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Thanks so much, aise comments padh ke likhne ki saari mehnat vasool ho jaati hai, thanks againबहुत ही शानदार अपडेट भाभी जी पढ़कर मजा ही आ गया
Thanks so much, aise comments padh ke likhne ki saari mehnat vasool ho jaati hai, thanks againबहुत ही शानदार अपडेट भाभी जी पढ़कर मजा ही आ गया
भाभी को आज सही में ऐसा हुआ है कि गांव में खेतों का ट्वेल्थ का आम के पेड़ का सही प्रयोग क्या है और कैसे किया जाता ह
आप के हर कमेंट नावक के तीर होते हैं, देखन में छोटे लगें,... बहुत बहुत धन्यवाद ऐसे सटीक कमेंट्स के लिए।भाभी को आज सही में ऐसा हुआ है कि गांव में खेतों का ट्वेल्थ का आम के पेड़ का सही प्रयोग क्या है और कैसे किया जाता है
अरे नहीं जब देवरानी ले आउंगी तो,... इसलिए तो देवर की आँख में पट्टी बाँध के,... लेकिन छोड़िये सब सस्पेंस अभी,... ये तो कहानी के बिलकुल अंत के लिए सोचा है,... और उसमें अभी बहुत टाइम है,Yah sahi hai Pahle to pahalvan ko पहलवानी की जगह जुदाई में लगा रही हो और उसके बाद जब उसके लंगोट के बल खुद नहीं खेल पाई तो किसी कच्ची कली को उसके नीचे खून खच्चर के लिए लेकर आ रही हो अरे जब तुम्हारे जैसी एक नंबर की छिनाल भाभी उसको नहीं झेल पाई तो कोई नई नवेली कच्ची कली तो आकर खून खराब है और दहशत से ही मर जाएगी
बहुत बेसब्री से कच्चे केले की नथ उतरने का इंतजार है
देखते हैं कि कैसे उस नए नवेले लड़के की गांड पहलवान से छूटने के बाद भाभी मार पाती है
वैसे यहां पर एक कहावत याद आ रही है की " गधे पर तो पार बसाई नहीं गधिया के कान जा ऐठे""
गाँव की होली बिना कीचड़ के पूरी ही नहीं होती, क्या करूँ,... फिर देवर भाभी की होली में हाथ तो 'दूसरे कामों' में बिजी रहते है तो रंग हो कीचड़, देह से ही देह में लगते हैंजोरा-जोरी हुई ... कीचड़ के अखाड़े में..
PIcs के साथ ये तो और रंगीन लगने लगी...
शरारत, छेड़छाड़, खिजाना, सताना सब कुछ एक साथ...
यही तो जीवन के अनमोल रंग हैं....
जो अन्य कहानियों में missing है....
एकदम और बाजी भी मैं जीत गयी, अपनी ननदों और जेठानियों से,सही में देह की होली...
नेह की होली....
तगड़ी पिचकारी के साथ...
बांस पर चढ़ने उतरने की माहिर खिलाड़ी का संगम...
अच्छी ट्रेनिंग हो रही है देवर की....
अब तो देवर की भी शंका, भय, झिझक सब दूर हो जाएगी...
और गाँव की ननदें, देवरानी, जेठानी सब आपके जिंदगी भर गुण गाएंगी
और ये तो सर्वविदित है कि लडकियां लड़कों से ज्यादा मजा लेती हैं सेक्स में....
लेकिन नखरे ऐसे दिखाएंगी कि सारा मजा सिर्फ लड़कों को आता है....
एकदम और ननदों पर भी भाभी का सिक्का जम जाएगा,...यही चीख-चिल्लाहट का तो मजा है...
तूफान मेल का जमाना पीछे रह गया... अब राजधानी या जेट की रफ्तार से धक्के लगने चाहिए....
आखिर अखाड़े का तगड़ा पहलवान किसलिए....
सही में गाँव की संवाददाता की खबर तो पक्की होती है...
और जंगल में आग की तरह फैल जाती है...
तो देवरानी के चैलेंज पूरा करने समाचार मिलते हीं बाकियों के भी चूत में चींटे काटेंगे....
प्रेम की ही बगिया ही है, और गाँव में तो गन्ने, अरहर और मक्के के खेत भी प्रेमस्थल हो जाते हैं,... दो घण्टे वाले चददर बदल होटल की जरूरत, जरूरतमंदो को नहीं पड़ती,...अलग-अलग पोज... अलग-अलग आसन ...
अलग-अलग स्थान... कभी निहुरा के, कभी लिटा के और कभी हाथों में थामे...
आखिर variety is the spice of life....
बिना किसी अंदेशे या संदेह के इस गझिन बाग़ का नाम तो प्रेम की बगिया होनी चाहिए...
बस अगली पोस्ट में उसका नंबर,हाँ ये अपडेट पढ़कर लगा कि इतना हीं लंबा अपडेट होना चाहिए...
ये नहीं कि अभी मजा आना शुरू हुआ और अपडेट खत्म....
भौजाई का असली रोल निभाया है...
और बिना बंस के चाची तो ....
कच्चे केले का नथ उतराई भी इससे कम नहीं होनी चाहिए.....