- 22,129
- 57,346
- 259
भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
Last edited:
कई बार इतने इशारे करने के बाद भी...Mujhe bhi yahi lag raha hai , Geeta ki saheli ne to kaha bhi tha use,..aur maan bhi nahi to aaj raat bechaare bhaai ki izzat lutne se koyi bacha nahi skata
जागने के बाद हीं शिकार का मजा आएगा...जब एक बार शेर बाहर पिजड़े से निकलेगा तो पता चलेगा की बब्बर शेर है , हाँ जब तक शेर सोया तो कोई कित्ता भी छेड़ ले, पर जागते ही,... और अब उसके जागने का टाइम आ रहा है जल्द
Only admin can help..
This comes when i am trying to open my thread, and after almost half a dozen only thread opens. secondly i use an anti virus, Kaspersky and may be because of adds it is now preventing site tabs to open up.
मारना नहीं मस्त करना है....मार ही डालोगे
well expressed.Waitinggggggggggggggggggggggg
Gita to kab se tyar thi lekin ab Arvind ne bhi man bana liya lagta hai.Very kamuk, super updateसमझदार, बहन ...ते हैं,
गीता बाहर गयी और उसका भाई अरविन्द, स्टोर से सब लालटेन ढिबरी निकाल के साफ़ कर के पूरा तेल भर के जलाने में लगा गया.
तूफ़ान आने वाला था लेकिन उस के मन में एक दूसरा तूफ़ान चल रहा था उसकी बहन को लेकर,
करे न करे,
मन तो उसका काबू में एकदम नहीं था और ललचाता तो कब से उसको देख के था लेकिन जब एक दिन नहीं रहा गया और उसने बाथरूम में छेद करके, ...
उफ़ उफ़ क्या जोबन उभरा था, आस पड़ोस के चालीस पचास गाँव में ऐसी कोई नहीं ,...
और जब एक दिन उसने उसकी चूत देख ले , ..एकदम चिकनी, जैसे झांटे आयी ही नहीं हो, संतरे की फांकों की तरह रसीली
और फिर उस दिन से , कोई दिन बाकी नहीं गया,... जब उसका नाम ले के दो तीन बार वो मुट्ठ नहीं मारता था,...
भाई बहन के रिश्ते का भी ख्याल था, लेकिन उसकी बातों से ,..और इतना बुद्धू भी नहीं था की उसकी बातें इशारे न समझता हो , वो जान गया था की वो गरमा रही है
और गाँव का , उसके स्कूल के आसपास का , किसी सहेली का भाई उसे ठोंक ही देगा , अभी नहीं तो महीने दो महीने के अंदर ही , और बाहर वाले से पेलवा के वो कहीं बदनाम न करे और उसको सब में बांटे,... उससे अच्छा तो वही,
घर का माल घर में इस्तेमाल होगा,
परेशानी उसको दूसरी हो रही थी. बचपन से वो गीता को बहुत प्यार करता था और अब न जाने कब से वो प्यार जवानी के प्यार में बदल गया था और अब गीता खुद भी,..
लेकिन वो गीता के चेहरे पे दर्द नहीं देख सकता था और उसका थोड़ा ज्यादा,...
और वैसे भी उसने अब उसकी कच्ची कली को देख लिया था, एकदम कसी चिपकी कोरी, लेने में तो बहुत मजा आएगा, आज के पहले भी उसने बहुत सी कच्ची कलियों की, लेकिन जैसा मज़ा इसके साथ आएगा , न कभी आया था न कभी आएगा,
पर उसे दर्द बहुत होगा, वो दर्द पीने की कोशिश करेगी, पर,...
लेकिन और कोई करेगा तो भी गितवा को दर्द होगा और वो पता नहीं कहाँ कैसे फाड़े उसकी, गन्ने के खेत में खाली थूक लगा के,... और वो कितना रोयेगी , चूतड़ पटकेगी वो और जोर जोर से, बिना फाड़े कौन छोड़ता है,...
और वो करेगा तो घर के कोल्हू में पेरा कडुवा तेल लगा के,
और लंड में भी अपना अच्छी तरह चुपड़ के , खूब सम्हाल के और पहली बार में बस थोड़ा सा,... घर की चीज कहाँ जा रही है, दूसरी तीसरी बार में ही पूरा पेलेगा। तो वो अगर उसका ख़याल करता है तो अब उसे, बस और आज माँ भी नहीं है,...
आज अगर उसने और इशारा किया तो रात में जब वो सो जायेगी, नहीं तो सबेरे होने के पहले तीन चार बजे,उस समय चीख पुकार होगी भी तो कोई सुनेगा नहीं , और फिर उस समय उसका,.... लेकिन आज की रात,... बहुत मन कर रहा था,
उसे दो ऊँटो वाला एक विज्ञापन याद आया और उसने अपने आप से मुस्कराते हुए बोला,...
समझदार बहन चोदते हैं,
और उधर सब दरवाजे खिड़की देख के बाहर गाय गोरु देख के किचेन में खाना लगाते गीता मन ही मन में मुस्करा रही थी, जिस तरह से भैया आज खुल के जोबन दबा रहा था , जिस तरह से उसका लंड फनफनाया था , और माँ भी नहीं थी आज लग रहा था उसकी सहेली का दरवज्जा खुल जाएगा।
Bilkul sahi kahaऔर क्या खूब लिखा है....
जितनी तारीफ की जाए उतनी कम......
Ab toh Arvind ne bhi ubhar aur talab ko daba kar barsat hone ka bharosa de diya hai.So erotic,jandar update, typical Komal trade mark,wowतेरी दो टकिया की नौकरी मेरा लाखों का सावन जाए
और उधर सब दरवाजे खिड़की देख के बाहर गाय गोरु देख के किचेन में खाना लगाते गीता मन ही मन में मुस्करा रही थी, जिस तरह से भैया आज खुल के जोबन दबा रहा था , जिस तरह से उसका लंड फनफनाया था , और माँ भी नहीं थी आज लग रहा था उसकी सहेली का दरवज्जा खुल जाएगा।
खाना खाते समय भी दोनों की छेड़ छाड़ चालू रही।
उसके भाई अरविन्द ने अपनी बहन गीता की आँख में आँख डाल के बोला,
आज लगता है जबरदस्त बारिश होगी,
थोड़ा मुस्करा के, थोड़ा उदास चेहरा बना के गीता खाना निकालते बोली,
" हो जाने दे न बारिश , लेकिन, कहाँ भैया, मेरा सावन तो सूखा सूखा जा रहा है, "
और ये बोलते गीता के एक हाथ की उँगलियाँ उसकी दोनों जाँघों के बीच, जिससे किसी को अंदाज भी न लगाने को बाकी रहे,' कहाँ की बारिश' की बात हो रही है। उसका भाई अरविन्द भी बहुत गरमाया था, खूंटा उसका भी खड़ा था. उसे चिपकाता बोला,
" अरे बहना सोलहवां सावन में बारिश नहीं होगी तब कब होगी, इस बार देखना तुम्हारा ताल पोखर सब भर जाएगा, पानी से हरदम छलकता रहेगा,. "
" भैया इस बात पे तेरे मुंह में गुड़ खीर,... और अपने हाथ से गुड़ का पूआ और गन्ने के रस की खीर खिला दी, , और जब उसके भाई ने हाथ पकड़ने की कोशिश की तो झिड़क दिया,
" भैया तू भी न , अपने हाथ में खीर लगा लोगे, फिर उसी हाथ से मेरे इधर उधर छुओगे, दे तो रही हूँ , आज लेने का काम तेरा देने का मेरा , तू मन भर के ले मैं एकदम मना नहीं करुँगी "
और अब सरक कर वो सीधे अपने भैया के गोद में, जहाँ खड़ा मोटा खूंटा उसकी छोटी छोटी किशोर गाँड़ में धंस रहा था, पर यही तो वो चाहती थी।
सहेली की भौजी ने यही तो सिखाया था की,
"जब तेरे अरविन्द भैया का खूंटा तुझे देख के, छू के, रगड़ के खड़ा हो जाए तो समझ ले अब अरविंदवा तुझे चोदना चाहता है, तुझे अब वो माल की तरह देखने लगा है और दूसरी बात खूंटा, जितना बड़ा हो,कड़ा हो, और मोटा हो, उत्ता ही मजा आएगा।"
और भैया का खूंटा खड़ा कौन कहे, एकदम बौरा रहा था, उसके चूतड़ पे रगड़ खा के, ... बस वो कौन कम गरमा रही थी, वो भी अपने छोटे छोटे चूतड़ उसके मोटे पागल मूसल पे रगड़ने लगी. और अपने भाई अरविन्द का हाथ पकड़ के अपने दोनों जोबन पे रख के दबाते हुए कहने लगी,
" भैया ठीक से पकड़ न, तुझे जवान लड़की को पकड़ना भी नहीं आता। "
बस पकड़ने के साथ गदराते उभरते उभारों को अरविन्द ने पहले हलके हलके फिर कस के मसलना शुरू कर दिया, और गीता की जाँघों के बीच लसलसाने लगा।
अबकी गीता ने ललचाते हुए पूए का एक टुकड़ा खीर में लगा के पहले अपने भैया को दिखाया फिर खुद गड़प कर लिया और कस कस के अपने छोटे नितम्बों से उसके खूंटे को दबा के बोली,
" भैया, तुम खाली बोलते हो बहिन का ख्याल नहीं करते, तेरी दो टकिया की नौकरी मेरा लाखों का सावन जाए
जो बादल गरजते हैं वो बरसते नहीं। "
अंगूठे और तर्जनी के बीच एक निपल को पकड़ के मसलते उसके भाई ने कहा,
" करिया बादर जी डरवाये,भूरा बादर पानी लाये,... तो गितवा ये भूरा बादल है सिर्फ बरसेगा नहीं बाढ़ आ जायेगी तेरी ताल तलैया में, बस आज रात."
और अपना एक हाथ उभार से हटा के लसलसाती जाँघों के बीच सीधे वहीँ रख दिया। गीता गिनगीना गयी।
उसने अपनी दोनों जाँघों को कस के भैया के हाथों के ऊपर सिकोड़ लिया और ऐसे भींच लिया जैसे वो उसका हाथ नहीं मस्ताना लंड हो।
इसी छेड़छाड़ और डबल मीनिंग बात में खाना खत्म होगया और गीता बर्तन लेकर किचेन में,
भाई का मन वो जान रही थी थी , उसके शार्ट में खूंटा एकदम तना था , बित्ते भर का तो होगा,... लेकिन वही झिझक,...