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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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और कैसे कोई कुशल धनुर्धर बाण संधान के पहले प्रत्यंचा को अपने कंधे तक पूरी ताकत से खींचता और फिर बाण छोड़ता है , एकदम उसी तरह , पूरी ताकत से , उसके भैया ने पुश किया , वो ठेलते गए , धकलते गए,

कोमल... मैंने आपके द्वारा लिखी गई बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं और आपकी हर कहानी उत्कृष्ट है। आप जिस तरह के शब्दों और कहावतों का इस्तेमाल करते हैं, वह एक परिपक्व लेखक का गुण है। मैं आपके लेखन कौशल के आगे नतमस्तक हूं
Aru sis tum ne mere muh se shabd chheen liye
.Mein to ye baat Komal didi ko many years se bol rahi hu
.Komal didi ek hira hai jiski pehchan sirf hum jesi johri hi kar sakti hai.
Aru yar apni Raji ki new update ke liye poem likhna mat bhul jana.

Vese Komal ki story site par tumare ye shabd bhi mujhe poem jese hi lagte hai.Love u 💕 Arushi.
 

komaalrani

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Ek dum ras bhara update bhabhi ji👅👅💋💋💋
No nut November to gya mera💦💦💦
aaaaaaaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhh 😘
Thanks so much, i am a novice in this field, just a toddler, taking baby steps, and such praise, i can't believe it. Thanks for encouraging a tyro.:thanks::thanks:🙏🙏
 

komaalrani

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“” " गीता दे दे न, यार बहुत मन कर रहा है , आराम से लूंगा तेरी, ओह्ह कित्ता मजा आएगा तेरी लेने में, प्लीज गीता बस एक बार अपनी कोरी मटकी का रस ले लेने दे, एक बार मिल जाए न मेरी बहना ऐसा पेलूँगा, ऐसा पेलूँगा,... "

" ओह्ह तो पेलता क्यों नहीं, भैया, कैसे भाई हो बहन की चूत में आग लगी है और इत्ता मोटा लम्बा लेके और, ... बहन पियासी बैठी है , सच में भइया एकदम मना नहीं करुँगी, मैं तो खुद अपनी टाँगे फैला दूंगी, बस एक बार भैया,... ओह्ह उफ़ ". “”



Too hot 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
thanks soooooooooo much, ek aisi vidha jo mere liye poori tarah anjnaajn hai bas usme kosish kar rahi hun
 

komaalrani

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सुपर मेगा अपडेट इस इन्सेस्ट की कहानी का

७ भाग

पेज १५२ पर,


१ इन्सेस्ट कथा उर्फ़ किस्सा भैया और बहिनी का ( अरविन्द -गीता )

दूध -मलाई

२ दूध के कटोरे

३. समझदार, बहन ...ते हैं,
४ बरसात की रात

५. .....घुस गया

६ उईईईईई नहीं ओह्ह्ह्हह्ह भैयाआ उईईईई जान गईइइइइइइइ,

फ़ट गयी

७ टप टप टप

मलाई


Please, do read, enjoy, like and must share your comments on a beginner's efforts of writing an incest, i will be waiting, aapke comments ka intezaar rahega , comment jaroor jaroor se den aur har parts pe
 

pprsprs0

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सुपर मेगा अपडेट इस इन्सेस्ट की कहानी का

७ भाग


पेज १५२ पर,


१ इन्सेस्ट कथा उर्फ़ किस्सा भैया और बहिनी का ( अरविन्द -गीता )

दूध -मलाई

२ दूध के कटोरे

३. समझदार, बहन ...ते हैं,
४ बरसात की रात

५. .....घुस गया

६ उईईईईई नहीं ओह्ह्ह्हह्ह भैयाआ उईईईई जान गईइइइइइइइ,

फ़ट गयी

७ टप टप टप

मलाई


Please, do read, enjoy, like and must share your comments on a beginner's efforts of writing an incest, i will be waiting, aapke comments ka intezaar rahega , comment jaroor jaroor se den aur har parts pe
Har part mei coments hafte bhar pe aayenge , content itna garam hai ki har post pe gharo ki diwalee safed ho rahi hai 😅😂
 

komaalrani

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Very erotic, super update. Komal didi,u r gr8 👌👌👌✅✅✅
Thanks so much, Its only your support and encouragement which has goaded me to traverse a path, a i have never stepped upon before , 10000 thanks
 

motaalund

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भाग ३०


इन्सेस्ट कथा उर्फ़ किस्सा भैया और बहिनी का ( अरविन्द -गीता )

दूध -मलाई




" भैया से कह देना,... मारेंगे नहीं ,..."

" क्यों नहीं मारेगा , जरूर मारेगा, ... कस के मारेगा, ... अरे तू उसकी छोटी बहन है तुझे नहीं तो क्या बाहर किसी को,... " माँ ने प्यार से गीता को चपत मारते हुए अपने बेटे को देखा और उसको और उकसाया,..." हे ये मना भी करे न तो भी मारना जरूर, और कस के,... "

" मैं बहुत जोर से चिल्लाऊंगी ,... " गीता खिलखिलाते हुए बोली।



" तो ये तेरा मुंह बंद करके मारेगा,... ऐसे " माँ ने हँसते हुए गीता का मुँह अपने हाथ से कस के बंद कर के बोलीं , फिर जाते हुए कहा,

" अच्छा बड़े प्यार से मारेगा , अब तो ठीक, चलती हूँ नहीं तो बस छूट जाएगी। "



और वो चली गयीं।

.......




शाम हुयी रात हुयी , मन तो दोनों का कर रहा था था , लेकिन हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा था , कौन शुरू करे ,...




" दूध पियेगा मेरा, भैया,... पिलाऊंगी ना खूब प्यार से "

गीता अपने भाई अरविन्द की बात पे खिलखिला के हंस रही थी. आज उसने जान बूझ के एक दो साल पुरानी एकदम घिसी हुयी छोट सी टॉप पहनी थी, वो भी खूब लो कट वाली। उभार तो उभर के सामने आ ही रहे थे, नए नए आ रहे निप्स भी टॉप फाड़ते सफ़ साफ़ दिख रहे थे. और हंसती हुई जब वो आगे की ओर झुकती तो दोनों जुबना और उनके बीच की गहराई भी खुल के सामने आ जाती।

और वो ये भी देख रही थी की उसके भैया का खूंटा एकदम लोहे का रॉड हो रहा था, लेकिन वो मन में गुस्सा भी हो रही थी, स्साला लोहे का रॉड होने का, इत्ता मोटा मूसल होने का क्या फ़ायदा अगर सामने ओखली रखी है और वो चलाने से घबड़ा रहा है,

खाने की मेज़ पे दोनों आमने सामने बैठे थे. माँ को गए चार घंटे हो गए थे, उनका फोन भी आ गया था की वो मामा के यहाँ पहुँच गयी हैं और कल शाम के बाद ही आएँगी।

लेकिन गीता अब उछल के अपने भाई के बगल में बैठ गई एकदम चिपक के और गाल से गाल सटा के, हलके हलके रगड़ते अरविंद से बोली,


" भैया आप भी न, एतना खेत खलिहान क बात जानते हो इहौ नहीं मालूम की जबतक बछिया के ऊपर सांड़ हचक ह्च्चक के नहीं चढ़ता बछिया दूध नहीं देती,... "




अब इससे ज्यादा कोई क्या बोलती लेकिन माँ नहीं थी थी आज इसलिए उसकी भी हिम्मत एकदम बढ़ी थी और उसके भाई अरविन्द की भी , ये नहीं की इसके पहले वो चढ़ा नहीं था, ... कितनों पर,... उसकी बहन के उमर वाली भी, बड़ी उम्र की,... वो भी खुल के बोला,...
" हे बछिया जब हुड़कती है न खूंटा तोड़ाने लगती है तो उसको सांड़ के पास ले जाते हैं, इहो मालूम होगा तुमको "

मजाक में उसका कान खींचती वो बोली,
" हुड़क तो रही है इत्ते दिनों से , अब कोई कान में तेल डाल के बैठे, आँख में मोटी पट्टी लगा के बैठा हो तो बेचारी बछिया का करे " .



और भाई का हाथ खींच के अपने कंधे पर रख लिया , और अब वो आलमोस्ट उसकी गोद में चढ़ गयी.

बेचारे अरविन्द का मन तो ललचा रहा था की कंधे पर का हाथ बस थोड़ा सा सरका एक उस रसीले जोबन को दबोच ले, अब बहुत होगया। छेड़ते हुए वो भी बोला ,

" और बछिया की हालत देखी है जब सांड़ चढ़ता है तो बछिया कैसे कस के उछलती है, छुड़ाने की कोशिश करती है, ... "

हंसती खिलखिलाती गीता ने अपने भाई का कंधे पर का हाथ खुद खींच के अपने उभार पे न सिर्फ रख लिया बल्कि अपने हाथ उसको हाथ के ऊपर रख के हलके हलके दबाने लगी की कहीं वो झिझक के हाथ हटा न ले। और एकदम खुल के जवाब दिया,

" अरे भैया मैं गाँव की लड़की हूँ सब देखी हूँ, बछिया पे चढ़ते सांड़ को भी और कातिक में कुतिया पे चढ़ते कुत्ते को भी कैसे जब गाँठ बन जाती है तो,... लेकिन एक बात मैं भी समझ गयी हूँ,... की बछिया कितनो नौटंकी करे,लेकिन साँड़ जब दोनों अगली टांग से उसको कस के चांप देता है न बिना पूरा काम धाम किये छोड़ता नहीं , और थोड़ी देर बाद बछिया भी मजे ले ले के ,... और आज तक कउनो बछिया सांड क शिकायत ले के कही नहीं गयी, और अगली बार फिर हुड़कती है , वही हालत कुतिया की, अगले दिन फिर कउनो और चढ़ा रहता है,... "



और अबकी जान बूझ के गीता ने जैसे गलती से पड़ गया हो, उसकी शार्ट फाड़ते खूंटे पे हाथ रख दिया, देखती तो रोज थी की उसे देखते ही भैया के तम्बू में बम्बू तन जाता था लेकिन शार्ट के ऊपर से ही उसे छूने का मौका पहली बार मिला।

कितना मोटा, कितना कड़ा,... मन तो कह रहा की पकड़ के कस कस के मुठियाये जैसे भैया के मोबाइल में लड़कियां करती थीं, पर,... मन को दिलासा दिया
आएगा आएगा वो भी दिन आएगा जल्दी ही और बात आगे बढ़ाई.

लेकिन गीता कुछ बोलती, की उसकी बातों का वो असर उसके भाई अरविन्द पे हुआ की जो हाथ बस ऊपर ऊपर से टॉप के ऊपर हलके हलके उभारों को छू रहा था, अब वो जोबन मसलने रगड़ने लगा,... और गीता ने मजे से सेक्सी सिसकियाँ लेते हुए भाई का दूसरा था भी पकड़ के अपने दूसरे उभार पे रख दिया और उसके गाल पे हल्की सी चुम्मी ले के बोली,
इस बछिवा को तो पकड़ के अरविन्दवा को चढ़ के हचक-हचक के लेनी चाहिए....
बहुते गरमा रही है....

अब पकड़-धकड़ से आगे बढ़ के कुछ...
 

motaalund

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दूध के कटोरे






लेकिन गीता कुछ बोलती, की उसकी बातों का वो असर उसके भाई अरविन्द पे हुआ की जो हाथ बस ऊपर ऊपर से टॉप के ऊपर हलके हलके उभारों को छू रहा था, अब वो जोबन मसलने रगड़ने लगा,... और गीता ने मजे से सेक्सी सिसकियाँ लेते हुए भाई का दूसरा था भी पकड़ के अपने दूसरे उभार पे रख दिया और उसके गाल पे हल्की सी चुम्मी ले के बोली,

" भैया, मेरे तो दोनों दूध के कटोरे तेरे लिए हैं लेकिन मुझे भी गाढ़ी वाली रबड़ी मलाई चाहिए, ये नहीं की इधर उधर कभी मेरे कपड़े में, कभी अपने, अब हर बूँद मुझे, मेरे लिए, ... तुझे तो मालूम है मुझे रबड़ी मलाई कित्ती पसंद है "




और ये कहके गीता ने शॉर्ट्स के ऊपर से भाई का खूंटा कस के अबकी खुल के दबा दिया।


अब दोनों गरम हो गए थे तो गीता ने ही बात मोड़ी,


" लेकिन मैंने तेरे लिए दूध की खीर बनायी है, गुड़ डाल के बखीर




( गीता को मालुम था की गौने की रात को दूल्हा दुल्हन दोनों को ये खिलाई जाती है और उसकी तासीर ये होती है की दुल्हन दूल्हा का हाथ लगने के पहले ही अपने साये का नाड़ा खोल देती है और दुलहा जो चढ़ता है तो सूरज चढ़ने के बाद ही, वो भी चार पांच राउंड के बाद ही जबतक दुल्हन थेथर नहीं हो जाती, मलाई उसकी बुर से निकल के जाँघों पर नहीं बहने लगती, पेलता ही रहता है ).



मुझे मालूम है तुझे बहुत पसंद है, बस पांच दस मिनट और,... क्या बहुत भूख लगी है भैया ?


" बहोत भूख लगी है यार " उसके दोनों उभारों को अब खुल के रगड़ता वो बोला, .... और जोड़ा,

" बोल देगी न गितवा की खाली बोल रही है ?"
" भैया आपने अपनी बहन को देखा नहीं है, अभी आप लेते लेते थक जाओगे , मैं देते देते नहीं थकूँगी "



और वो उठ कर रसोई की ओर जाने लगी तभी बिजली लपलापने लगी. वैसे तो गाँव में बिजली थी पर जाती ज्यादा थी आती कम थी, और गाँव वालों को भी बिजली की जरूरत जाड़े में खासतौर से सुबह, ट्यूबवेल से गेंहू की सिचाई के लिए ज्यादा महसूस होती थी. और बाकी दिन तो गाँव में सब को जल्दी सोने की आदत थी,


सात आठ बजे तक खाना, साढ़े आठ तक लालटेन भी बुझ जाती थी



और पौने नौ बजे हर घर में साये का नाड़ा खुल जाता , टाँगे उठ जातीं और रात भर जुताई होती।




और बारिश में तो खासकर, एक बूँद पानी की आयी नहीं की लाइट गायब,

माँ भी नहीं थी सब जिम्मेदारी अरविन्द पे, वो जान रहा था बस आधे घंटे, घंटे में लाइट जायेगी और फिर कब आएगी भरोसा नहीं, उसने गीता से बोला,


" सुन यार तू ज़रा सब दरवाजे खिड़की चेक कर ले , तेज बारिश आने वाली है , लाइट जायेगी, तूफ़ान भी आ सकता है, मैं तब तक सब लालटेन, ढिबरी बत्ती जला लेता हूँ।"


सिर्फ भाई बहन थे घर में तो जिम्मेदारी भी उन दोनों की।

" हाँ भैया, ग्वालिन भौजी बोल गयी थी की उन्होंने गाय गोरु को चारा खिला के बंद कर दिया है , सांझ से ही लग रहा था की आज तूफ़ान आएगा, लेकिन मैं वो भी एक नजर देख लूंगी। बस दस मिनट, लौट के आके खाना लगाती हूँ। "




गीता बाहर गयी और उसका भाई अरविन्द, स्टोर से सब लालटेन ढिबरी निकाल के साफ़ कर के पूरा तेल भर के जलाने में लगा गया. तूफ़ान आने वाला था लेकिन उस के मन में एक दूसरा तूफ़ान चल रहा था उसकी बहन को लेकर, करे न करे
मौसम भी आशिकाना हो रहा है...

लेकिन बादल और तूफान को गरजना-बरसना होगा....
तभी उथल-पुथल शांत होगी...
तब तक बछिया हुड़कती रहेगी....
और दूध के कटोरे झलकाती रगड़ती रहेगी.....
 
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motaalund

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समझदार, बहन ...ते हैं,









गीता बाहर गयी और उसका भाई अरविन्द, स्टोर से सब लालटेन ढिबरी निकाल के साफ़ कर के पूरा तेल भर के जलाने में लगा गया.

तूफ़ान आने वाला था लेकिन उस के मन में एक दूसरा तूफ़ान चल रहा था उसकी बहन को लेकर,

करे न करे,

मन तो उसका काबू में एकदम नहीं था और ललचाता तो कब से उसको देख के था लेकिन जब एक दिन नहीं रहा गया और उसने बाथरूम में छेद करके, ...


उफ़ उफ़ क्या जोबन उभरा था, आस पड़ोस के चालीस पचास गाँव में ऐसी कोई नहीं ,...




और जब एक दिन उसने उसकी चूत देख ले , ..एकदम चिकनी, जैसे झांटे आयी ही नहीं हो, संतरे की फांकों की तरह रसीली


और फिर उस दिन से , कोई दिन बाकी नहीं गया,... जब उसका नाम ले के दो तीन बार वो मुट्ठ नहीं मारता था,...


भाई बहन के रिश्ते का भी ख्याल था, लेकिन उसकी बातों से ,..और इतना बुद्धू भी नहीं था की उसकी बातें इशारे न समझता हो , वो जान गया था की वो गरमा रही है

और गाँव का , उसके स्कूल के आसपास का , किसी सहेली का भाई उसे ठोंक ही देगा , अभी नहीं तो महीने दो महीने के अंदर ही , और बाहर वाले से पेलवा के वो कहीं बदनाम न करे और उसको सब में बांटे,... उससे अच्छा तो वही,

घर का माल घर में इस्तेमाल होगा,


परेशानी उसको दूसरी हो रही थी. बचपन से वो गीता को बहुत प्यार करता था और अब न जाने कब से वो प्यार जवानी के प्यार में बदल गया था और अब गीता खुद भी,..

लेकिन वो गीता के चेहरे पे दर्द नहीं देख सकता था और उसका थोड़ा ज्यादा,...




और वैसे भी उसने अब उसकी कच्ची कली को देख लिया था, एकदम कसी चिपकी कोरी, लेने में तो बहुत मजा आएगा, आज के पहले भी उसने बहुत सी कच्ची कलियों की, लेकिन जैसा मज़ा इसके साथ आएगा , न कभी आया था न कभी आएगा,



पर उसे दर्द बहुत होगा, वो दर्द पीने की कोशिश करेगी, पर,...

लेकिन और कोई करेगा तो भी गितवा को दर्द होगा और वो पता नहीं कहाँ कैसे फाड़े उसकी, गन्ने के खेत में खाली थूक लगा के,... और वो कितना रोयेगी , चूतड़ पटकेगी वो और जोर जोर से, बिना फाड़े कौन छोड़ता है,...

और वो करेगा तो घर के कोल्हू में पेरा कडुवा तेल लगा के,



और लंड में भी अपना अच्छी तरह चुपड़ के , खूब सम्हाल के और पहली बार में बस थोड़ा सा,... घर की चीज कहाँ जा रही है, दूसरी तीसरी बार में ही पूरा पेलेगा। तो वो अगर उसका ख़याल करता है तो अब उसे, बस और आज माँ भी नहीं है,...

आज अगर उसने और इशारा किया तो रात में जब वो सो जायेगी, नहीं तो सबेरे होने के पहले तीन चार बजे,उस समय चीख पुकार होगी भी तो कोई सुनेगा नहीं , और फिर उस समय उसका,.... लेकिन आज की रात,... बहुत मन कर रहा था,

उसे दो ऊँटो वाला एक विज्ञापन याद आया और उसने अपने आप से मुस्कराते हुए बोला,...




समझदार बहन चोदते हैं,







और उधर सब दरवाजे खिड़की देख के बाहर गाय गोरु देख के किचेन में खाना लगाते गीता मन ही मन में मुस्करा रही थी, जिस तरह से भैया आज खुल के जोबन दबा रहा था , जिस तरह से उसका लंड फनफनाया था , और माँ भी नहीं थी आज लग रहा था उसकी सहेली का दरवज्जा खुल जाएगा।
समय भी सही चुना है....

मौका भी है...
दस्तूर भी....
बस हथौड़ा मारने की देरी है.....
 
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