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भाग ३९ - माँ, बेटा, बेटी
और बरसात की रात
और बरसात की रात
Me mohe rang de ke bad aap ki 1st wali story padhna chahungi. Holi he holi ke hisse komal ke kisse.तबतक आप मेरी नॉन- इन्सेस्ट स्टोरीज पढ़ें ना ,
मैं उन नॉन इन्सेस्ट स्टोरीज का नाम और लिंक दे रही हूँ,...
प्लीज पढ़िएगा जरूर और कमेंट भी दीजियेगा,... तभी तो लगेगा आप पढ़ रहे हैं
1. होली है - होली के किस्से , कोमल के हिस्से
Erotica - होली है - होली के किस्से , कोमल के हिस्से
होली है - होली के किस्से , कोमल के हिस्सेहोली है - होली के किस्से , कोमल के हिस्सेये थ्रेड मेरी होली की उन कहनियों की हैं जब मैंने किस्से कहने शुरू किये थे , लिखने की कला तो मुझे अभी तक नहीं आयी उस समय तो और,... इंटरनेट पर याहू के ग्रुप होते थे , अटैचमेंट मेल के ३ एम् बी के इसलिए...exforum.live
2. मोहे रंग दे ,
Erotica - मोहे रंग दे
मोहे रंग दे ,मोहे रंग दे ,रंग की यह कहानी साजन के रंग में सजनी के रंगने की है ,सजनी के रंग में साजन के रंगने की है ,और होली की है , ...और होली की नहीं भी है ,...मन और तन दोनों रंगने की है ,नेह के रंग की , देह के रंग की ,... एक ऐसी कहानी जो सिर्फ इस देस में हो...exforum.live
3. जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
Erotica - जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्लीअपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करेंexforum.live
4. मजा पहली होली का, ससुराल में
Erotica - मजा पहली होली का ससुराल में
मजा पहली होली का, ससुराल में( इस कहानी के सभी पात्र वयस्क हैं और सभी चित्र इंटरनेट से लिए गए हैं यदि किसी को कोई आपत्ति हो तो टिप्पणी कर सकता है। अंडर एज सेक्स न सिर्फ इस फोरम के नियमों के खिलाफ है बल्कि वैधानिक रूप से भी निषिद्ध है , और मैं वयक्तिगत रूप से भी इसे नहीं पसंद करती।)मुझे...exforum.live
5. It’s a hard rain
Non-Erotic - It’s a hard rain
It’s a hard rainWhen the evening is spread out against the sky Like a patient etherized upon a table…Dusk was dawning on glass panes of his window, smoke rubbing its muzzle, peeping from outside , streets following like tedious argument, …every evening, it reminded him of Prufrock’s love...exforum.live
इस कहानी में ज़रा सा भी इन्सेस्ट नहीं है पर अब तक इत्ते संस्कारी लोगों के बावजूद मुश्किल से चार हजार लोगों ने तीन साल में पढ़ा है आप जरूर पढियेगा और कहानी पर कमेंट भी करियेगा तीन साल में चार लोगों ने इस नॉन इन्सेस्ट कहानी पे कमेंट किया है आप पांचवे होंगे
इन्तजार रहेगा
और आप को अगर नान फिक्शन पसंद हो तो मैं अपने कुछ और थ्रेड और लिंक्स बता दे रही हूँ
1. मेरे चंद पसंदीदा शायरमेरे चंद पसंदीदा शायर
मीर तकी मीर , ग़ालिब और इकबाल , शर्तिया तीन सबसे मशहूर शायर है और मेरे पसंदीदा भी , हाल के गुजरे जमाने के शोरा में फैज और फ़िराक , ख़ास तौर से इस लिए भी मुझे दोनों से मिलने का भी इत्तफाक रहा , और अलाहाबाद यूनिवर्सिटी की सीनेट हाल की वो शाम जिंदगी भर याद रहेगी , जब फैज , फ़िराक और महादेवी साथ थे।...exforum.live
2. दोहे -रसभरे
दोहे -रसभरे
दोहे -रसभरेकल हिंदी दिवस था तो मैंने सोचा अपने इस फोरम पर भी कुछ शुरू करूँ। शेरो शायरी के तो कई थ्रेड हैं इस फोरम में , एक दो कविता ग़ज़ल के भी, तो मैं एक दुष्चेश्टा करने का निर्णय किया,हिंदी के रस सिद्ध लेखकों के दोहे , और ये फोरम फ़ोरम श्रृंगार का है तो रस भरे दोहे ही होंगे, हाँ मुझे पूरा...exforum.live
3. Tribute to Satyajit Ray- Birth Centenary
Serious - Tribute to Satyajit Ray- Birth Centenary
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तो मेरे बहुत से ' नॉन -इन्सेस्ट' थ्रेड हैं आप का वहां स्वागत है नए वर्ष के पहले दिन वहीँ से शुरुआत करिये और जैसे ही इन्सेस्ट का किस्सा यहाँ ख़तम हो जाएगा आप वापस आ सकते हैं,
नए वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं
Bahen bole aur bhai na kare ye to galat baat haiभाग ३९ -
माँ, बेटा, बेटी
और बरसात की रात
" दी, रात का हाल बता न , माँ और भैया के साथ। "
और गीता सीधे मुद्दे पे आ आगयी लेकिन उसने रात में खाना बनाते समय, रसोई में वो और माँ थी उस समय का भी हाल बताया की माँ और उस में कैसे सहेलियों से भी बढ़ के पक्की दोस्ती हो गयी,... उसने अपनी गुलाबो के बारे में कुछ बोला तो माँ ने हड़काया, और बेलन दिखाते मजे ले ले कर बोलीं,...
" स्साली भाईचोद, चूत में भाई का लंड घोंटने में शरम नहीं, माँ के सामने और,... आज से मेरे सामने, इस घर में और बाहर भी कभी तेरे मुंह से चूत, बुर, लंड.गाँड़ और चुदाई के अलावा कुछ इधर उधर का सुना न तो ये बेलन देख रही है,... तेरे भैया के लंड से भी बड़ा है , तेरी गाँड़ में घुसा के फाड़ दूंगी। "
और गीता भी खिलखिलाते बोली, ...
" अरे माँ मेरे भाई को समझती क्या हो, अभी तो बहनचोद ही बना है, जल्द ही मादरचोद बन जाएगा, वो भी बहन के सामने , बोल चुदवायेगी, बेटा चोद "
माँ भी हँसते बोली
,' स्साली रंडी की, पक्की छिनार है। अरे जिसके बाप से चुदवा के उसे पैदा किया, उसके लौंड़े से डरूंगी, उसके बाप से नहीं डरी तो,... बोल देना बहनचोद को,... "
जल्द खाना बना के तीनों खा के,.... माँ ने कहा था,... आज हम तीनो जैसे जब तुम दोनों छोटे थे, मेरे साथ सोते थे , उसी तरह, मेरे कमरे में वहां बिस्तर भी बड़ा है,...
और माँ की ये बात सही थी की आज रात पानी जल्दी आएगा , और रात भर तेज बारिश,...
गाँव में वैसे भी सोता जल्दी हो हो जाता , बारिश में तो और,.. आठ बजे के पहले पहले हम तीनों माँ के बिस्तर में,... और कपडे जमीन पर,...
माँ ने मेरे कान में कुछ बुदबुदाया,... बस मैंने भैया को कुछ समझा बुझा के , कुछ बहला फुसला के,...
बगल में पड़ी कुर्सी पे, और फिर माँ का ब्लाउज, अपने टॉप से उसके दोनों हाथ कुर्सी के हत्थे से बाँध दिए, ...
और माँ की साड़ी से उसके पैर,...
माँ खिलखिला रही थी, उससे बोली,
" अरे थोड़ी देर मैं अपनी बेटी को प्यार दुलार करुँगी तुम चुप चाप देखना, मत ललचाना, "
और मुझे उकसाया,...
"हे तेरे भाई के जाँघों के बीच में क्या छोटा छोटा,... "
और मैं उखड़ गयी, मैं अपने भाई को चाहे जो कहूं, लेकिन अगर कोई भी कुछ और बोले , तो मैं भाई की ओर से उसका मुंह नोच लेती थी, भले ही वो माँ न क्यों हो,... मैंने बिन रुके जवाब दिया "
" अरे अभी सो रहा है माँ, जब जागेगा न ,तो तेरी फाड़ के रख देगा, मेरी ननिहाल में जो लंड खायी हो न सब भूल जाओगी, एक बार मेरे भाई से चुदवा के देख लो ,... "
" अरे बड़ी तारीफ़ कर रही है, भैया क बहनी , तो जगा दो न देख लूँ की एक इंच का है का दो इंच,... "
वो हँसते हुए बोलीं।
बस मैं काम पे जुट गयी, माँ ने शाम को जो सब सिखाया था, बस वैसे, कभी उसके बॉल्स चूमती तो कभी जीभ से बस लिक कर लेती, फिर होंठों से बस सुपाड़ा, खोल के माँ को दिखा दिखा के चाट रही थी, ... और माँ को ललचा रही थी,
" माँ देख केतना बड़ा लॉलीपॉप है है मेरे मेरा भैया का लेगी,... "
और उस के बाद पूरा सुपाड़ा मुंह में ले के गप्प और कभी चुभलाती तो कभी कस कस के चूसती, ... बस दो चार मिनट में शेर जग गया था , और भैया का खूंटा बेस पे पकड़ के माँ को दिखाते ललचाते,... कभी माँ को ललचाती कभी भाई को उकसाती।
" देख माँ, मेरे बित्ते से भी बड़ा है,.. और मेरी मुट्ठी में तो आता नहीं, मेरी कलाई से मोटा भी है , तेरी भी मुट्ठी में नहीं आएगा,... "
और भाई से भी बोलती,
" भैया, माँ बहुत बोल रही है न , अरे यार अपनी नहीं तो अपनी बहन की इज्जत का ख्याल कर, हर साल राखी बांधती हूँ, पैसा भी नहीं देते,... आज इसको चोद के बता दो मेरा भैया चीज़ क्या है, जिस भोंसडे से निकले हो न उसी में, पक्का, बहुत मजा आएगा,.. "
और साथ में मैं चूस भी रही थी, चाट भी रही थी, मुठिया भी रही थी, आठ दस मिनट तक,... बेचारे की हालत खराब हो रही थी,...
Bhai apni bahen ko rakhi ka neeg sahi de raha haiलिप सर्विस
" भैया, माँ बहुत बोल रही है न , अरे यार अपनी नहीं तो अपनी बहन की इज्जत का ख्याल कर, हर साल राखी बांधती हूँ, पैसा भी नहीं देते,... आज इसको चोद के बता दो मेरा भैया चीज़ क्या है, जिस भोंसडे से निकले हो न उसी में, पक्का, बहुत मजा आएगा,.."
और साथ में मैं चूस भी रही थी, चाट भी रही थी, मुठिया भी रही थी, आठ दस मिनट तक,... बेचारे की हालत खराब हो रही थी,...
लेकिन मैंने भी तय कर लिया था की आज इस बाबू जी को तड़पाना है,...
स्साले ने मुझे कित्ते दिन तड़पाया था,... चाची ने बोला, घर में सगी बहन बैठी है,...
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फुलवा बोली,.... मस्त माल घर में है,
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मुझसे बारी चमेलिया, फुलवा की छुटकी बहिनिया की खुले आम, आम की बाग़ में फाड़ दिया , गन्ने के खेत में टांग उठा के पेल दिया
और मैं बेचारी, ऊपर से मुझे देख के फनफनाता था, मेरे बारे में सोच सोच के बेचारा बाथरूम में मुट्ठ मारता था, सगी बहन की चूँची देखने के लिए बाथरूम के दरवाजे में स्साले ने छेद कर दिया था, ... और मैं भी उसे दिखा के ठीक छेद के सामने अपना जोबन मसलती थी,
तड़प स्साले , तेरी किस्मत में तड़पना लिखा है,...
वो तो सहेली की भौजी ने मुझे इत्ता सिखाया पढ़ाया,... और मैं ही,... तो आज तू भी तड़प,...
मैं थोड़ी देर चूस के उस गदहे छाप लंड को छोड़ देती थी, एकदम कुतुबमीनार, ...
बस कभी ऊँगली से सहलाती रहती तो फिर बस छोटे छोटे चुम्मे खूंटे के बेस से सुपाड़े तक, बहुत छोटे छोटे और चुम्मी में उसे ४४० वोल्ट के करेंट का झटका लगता,...
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बेचारा जब दस बार कहता हे गितवा मुंह में ले
तो ले लेती लेकिन
उस मोटे खूंटे को नहीं,... नीचे लटक रहे दोनों रसगुल्लों को,... कभी हलके हलके चूसती तो कभी जोर से ,..
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माँ ने आज कुछ ट्रिक तो भैया के सामने सिखाई थी और उससे दस गुना ज्यादा चाची के यहाँ आते जाते ,... चूसने के चाटने के , .. और न लड़की की देह में कुछ गन्दा होता है न लड़के के देह में ,
मैंने हिचकते हुए पूछा माँ लड़के के पिछवाड़े , तो वो खिलखिलाने लगीं बोलीं अरे बेटी असली खेल तो वहीँ है,... तीन चार बार चोद के मरद थक के चूर हो गया हो , बस ज़रा सा जीभ दरार में घुमा दो,... बस फनफनाने लगेगा,... शरारत करनी हो पिछवाड़े ऊँगली पेल दो,... जो मरद एकदम सांड़ हो,
" भैया ऐसा न माँ " मैं हंस के बोली , एकदम माँ ने हामी भरी लेकिन बात अपनी जारी रखी
"जल्दी न झड़ रहा हो बस उसकी गाँड़ में ऊँगली डाल दो, अक्सर जल्दी से घुसती नहीं है , लेकिन थूक लगा के चिकनी कर लो,... बस कोहनी के जोर से और गोल गोल घुमाते हुए ,... ये खेल जल्दी बाजी का नहीं है अंदाज लगाना होत, है कहाँ है , जहाँ पेल्हड़ ख़तम होता है उसी के ऊपर,... मैं सिखा दूंगी प्रैक्टिस करा के , अखरोट के साइज की होती है वो बस गाँड़ में ऊँगली डाल के ज़रा सा खुरचो, हलके हलके दबाओ , दो मिनट में खेल ख़तम,.. तेरे भैया को हो सकता है छह सात मिनट लगे, लेकिन पक्का शर्तिया तरीका है,... "
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तो गीता बॉल्स चूसते चूसते माँ की बातें सोचते सोचते भाई के पिछवाड़े की दरार में कभी ऊँगली से सहलाती तो कभी जीभ से ही दो चार बार लम्बा लम्बा चाट लेती ,...
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एक दो बार तो उसे कुछ ऐसा ऐसा,...
बेचारा भाई कुछ कर भी नहीं सकता था ,
खूंटा खड़ा तन्नाया,...
माँ भी अपने बेटे बेटी का ये खेल अपनी आँखों के सामने देख के खुश हो रही थी अब धीरे धीरे बेटी की हिचक ख़तम हो रही थी,...
बस अरविन्द तड़प रहा था मन तो यही कर रहा था की पटक के गितवा को चोद दे,... लेकिन ऐसा बंधा छना, बस एक बार खुल जाय किसी तरह तो आज ऐसा चोदेगा उसे की तीन दिन तक चल नहीं पाएगी स्साली, अब तक बहन समझ के,... उसके दर्द की परवाह करता था,... लेकिन आज स्साली कित्ता भी रोये कूदे, चूतड़ पटके, अभी तक उसने उसकी ताकत देखी नहीं थी, हर बार वो बहुत सम्हल सम्हल के,...
पर गीता को आज कुछ परवाह नहीं थी जितना देर उसने चूसा था उससे ज्यादा तड़पाया और फिर सिर्फ सुपाड़ा मुंह में ले के चुभलाने लगी,.... कभी जीभ से सिर्फ पेशाब वाले छेद को छेड़ती,
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अरविन्द का हाथ खुला होता,... तो सर पकड़ के बहन के मुंह पूरा बित्ते भर का ९ इंच का लंड हलक तक पेल देता लेकिन
पर बहन कौन जो भाई के मन की बात न समझे तो गीता ने खुद ही धीरे धीरे कर के इंच इंच, ... गाल में दर्द हो रहा था , हलक फटा पड़ रहा था लेकिन घोंट लिया पूरा, फिर गीता के होंठ हलके हल्के बस चर्म दंड को सहला रहे थे, नीचे से जीभ भी सुरसुरा रही थी और सबसे बढ़ के गीता की दीये की तरह की बड़ी बड़ी आँखे भाई की आँखों को छेड़ रही थीं , उकसा रही थीं , बता रही थीं उसे कितना मज़ा आ रहा है, ...
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भाई का गन्ना चूसने में
गीता ने छुटकी से आगे का हवाल बयान किया,...