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बहुत बहुत धन्यवाद आभार स्वागत इस कहानी पेकोमल जी ,
आप की लेखनी का जबाब नही,इतना सजीव चित्रण किया कहानी का ऐसा लगता है कि सब कुछ सामने एक फीचर फिल्म की तरह चल रही हैं।
आप के लेखन कला में जादू है ,जो हम पाठको के दिल और दिमाग को मंत्र मुग्ध कर लेती ।एक महान लेखिका है,आप महान कहानीकार है, इस बात में कोई दो राय नही है।आप को कोटि कोटि साधुवाद
गीता की माँ छोटी होने का फायदा मायके में मिल रहा है तीन तीन जीजा, और बड़ी भाभी होना का लाभ ससुराल में उनके तो दोनों हाथ में लड्डू है।
हर बिल में हमेशा जावन रहता है चाहे मायका हों या ससुराल।गीता अपने माँ से अलग थोड़ी ही होगी
जरा मायके में हुई रगड़ाई का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिये गा ।
आप का बहुत बहुत धन्यवाद
आप सदा स्वस्थ रहे ,सुखी रहे, आप की कलम का जादू यू ही चलता रहे ,मेरी ईश्वर से यही प्राथर्ना है
बहुत बहुत धन्यवाद
कोटि कोटि नमन आप को आप की लेखनी को
बस इसी तरह कमेंट्स से उत्साह वर्धन कीजिये , ... और माँ के मायके का थोड़ा किस्सा तो इस पोस्ट में आ ही गया कुछ और अगली पोस्ट में बस साथ बने रहिएगा और लाइक्स कमेंट से हिम्मत बढ़ाते रहिये
आभार