बहुत बहुत धन्यवाद आभार स्वागत इस कहानी पेकोमल जी ,
आप की लेखनी का जबाब नही,इतना सजीव चित्रण किया कहानी का ऐसा लगता है कि सब कुछ सामने एक फीचर फिल्म की तरह चल रही हैं।
आप के लेखन कला में जादू है ,जो हम पाठको के दिल और दिमाग को मंत्र मुग्ध कर लेती ।एक महान लेखिका है,आप महान कहानीकार है, इस बात में कोई दो राय नही है।आप को कोटि कोटि साधुवाद
गीता की माँ छोटी होने का फायदा मायके में मिल रहा है तीन तीन जीजा, और बड़ी भाभी होना का लाभ ससुराल में उनके तो दोनों हाथ में लड्डू है।
हर बिल में हमेशा जावन रहता है चाहे मायका हों या ससुराल।गीता अपने माँ से अलग थोड़ी ही होगी
जरा मायके में हुई रगड़ाई का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिये गा ।
आप का बहुत बहुत धन्यवाद
आप सदा स्वस्थ रहे ,सुखी रहे, आप की कलम का जादू यू ही चलता रहे ,मेरी ईश्वर से यही प्राथर्ना है
बहुत बहुत धन्यवाद
कोटि कोटि नमन आप को आप की लेखनी को
थैंक्स यह प्रसंग कुछ अलग सा था लेकिन कहानी कहते कहते अगर कहने वाला अपनी मन की बात न कह दे उसमे और मैं यही मानती हूँ ,... माँ का रिश्ता,... और आज कल तो कितनी सिंगल मदर होती हैं , भौंरा तो रस लेकर चला जाता है लेकिन फूल से फल बनने की जो प्रक्रिया है" यही तो, तेरे लिए चम्मच भर जामन,चाहे तेरे चाचा का, फूफा का हो, मामा का हो, लेकिन कहतरी तो हमारी है, ... "उस पेट को, सहलाते जिसमे गीता और उसका भाई ९ महीने थीं,... वो बोलीं और जोड़ा दूध भी हमारा, तो जरा सा जामन कहीं से मैं लूँ क्या फर्क पड़ता है "
क्या शानदार लॉजिक दिया है...
एकदम लाजवाब कर दिया....
बेजोड़....
और माँ से बढकर कोई नहीं...
क्या आदमीं या क्या जानवर सब अपने बच्चों के रक्षा के लिए किसी भी प्रतिद्वंदी से भिड़ने को तैयार ..
बच्चो. के मुख पर से किसी भी बात को वो तुरंत भांप लेती है...
और उसके निराकरण के लिए जान लगा देती है...
गितवा की मायूसी को भी उन्होंने महसूस किया और अपने जिंदादिल जवाब से माँ की महता बता दी... खासकर बेटी और माँ का रिश्ता...
गितवा भी पीछे पड़ी है... मादरचोद बनाने के लिए...
" हे मेरे भाई को कुछ मत बोलना, जल्द ही मादरचोद भी बन जायेगा, घबड़ा काहें रही है तू। "
माँ ने चुम्मी का जवाब और कस के गाल काटते बोला,
" उस स्साले, तेरे बहनचोद भाई की हिम्मत ही नहीं है, मादरचोद बनने की।"
" अरे इस का दीवाना है वो "
गीता ने माँ के आँचल को ढलकाते हुए कहा, ...
" मुझे मालूम है, .. जिस तरह से चोरी से छिप छिप के देखता है , कित्ती बार मैंने देखा है और उसका पजामे में खूंटा खड़ा हो जाता है , लेकिन स्साले की हिम्मत ही नहीं है सिवाय मेरी बेटी को चोदने की,... "
माँ का भी मन तो है...
लेकिन बेटी के सामने नखड़े कर रही है...
अरे गितवा की माँ के मौसियां तीन है , लेकिन मौसेरी बहनें सात तो कुल जीजा सात, सबसे छोटी साली गितवा की माँ तो होली का हाल थोड़ा बहुत तो और वो अगले पोस्ट में भी जारी रहेगा , गीता सुनेगी तो सीखेगीगितवा की माँ की माँ की बहने हैं... उनसे तीन जीजा अलग से....
अब तो जबरदस्त होली पार्टी होगी...
बहुत बहुत धन्यवाद,कमाल हो आप कोमल दीदीहोली में इंसेस्ट का जो तड़का लगाया है..... लाजवाब..... मुठ मारने के बजाय हल्के हल्के लण्ड सहलाते हुये आपकी कहानी पढ़ने में और मजा है.....
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और क्या भतीजी के होने का नेग मिलेगा,...“" और क्या बचपन में खेलेगा और जब टनटनाने लगेगा,... तब पेलेगा . मेरा असीरर्बाद है भतीजी ही होगी आज भौजी गाभिन तो तू हो गयी हो पक्का। "”
बुआ अपना और अपनी भतीजी का भला हो ऐसा आशीर्वाद दे कर गई है , आख़िर बुआ भी कभी बहन थी![]()
अरविंदवा पहले मातृ सेवा तो कर ले , ऐन मौके पे दोनों बिदक जाते हैं ये तो गितवा पीछे पड़ी है अब देखिये आगे क्या होता हैहाँ .. अब अरविंदवा का मादरचोद बनना तय है....
लेकिन अरविंदवा की माँ की इतनी बहनें... तो कोई मौसेरी बहन भी तो होगी...
और मामा ने अपने तगड़े हथियार से मामी के पेट से कोई ममेरी बहन....
तो सगी को चोदने के पहले .. गाँव के अलावा .. कोई ममेरी, चचेरी, फुफेरी या मौसेरी बहन भी ..
vo to hai lekin gitvaa ki maa ki bhi kaun sagi bahane thiलेकिन बेचारी गितवा इकलौती....
जीजा से महरूम...
एक साथ तीन वाली सेवा का फायदा नहीं ले पाएगी...
कभी लॉगिन नहीं करता था, आपकी कहानी के लिये लॉगिन करना पड़ा....बहुत बहुत धन्यवाद,
अगर आप ने जोरू का गुलाम पहले न पढ़ी हो तो एक बार वहां भी नजर डालिएगा,
और पोस्ट पे बस इसी तरह के मीठे मीठे कमेंट डालते रहिए,... लगे तो पढ़ने वालों को कैसा लग रहा है![]()
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