खिलखिलाते हुए.. छुपते-छुपाते हुए इसी तरह की बातें करती हैं अपने जोरा-पारी के संगी साथियों के साथ...Lo ye kamsin ladkiya bhi land ki tarif alag andaz me karne lagi. Mere jija ka tere bhaiya ka. Amezing superb
खिलखिलाते हुए.. छुपते-छुपाते हुए इसी तरह की बातें करती हैं अपने जोरा-पारी के संगी साथियों के साथ...Lo ye kamsin ladkiya bhi land ki tarif alag andaz me karne lagi. Mere jija ka tere bhaiya ka. Amezing superb
आखिर भाई का खूंटा है...Wah gitva to apni bhaiya ke khute ki shan me jara bhi kami nahi chahti. Are kawari ka pahela sajan he uska bhaiya. Jisne jawan hone ka ehsas dilaya he.
Woow 3no ki gadi chal padi hai dekhte hain aage aur kya khel hota haiमाँ बेटे की
लेकिन छुटकी के मन तो कुछ और ही चल रहा था , उसने गीता से पूछ लिया
"तो माँ बेटे की चुदाई फिर तो चालू हो गयी होगी। "
" अरे नहीं यार इत्ता आसान नहीं था, वो खाली भैया से मेरी गाँड़ मरवा मरवा के चौड़ी करवाने के पीछे पड़ी थीं, लेकिन मैंने और भइया ने मिल के , एक बार माँ की भैया से उनकी गाँड़ मरवा दी हचक के उसके बाद तो वो एकदम खुल के , खुद ही चूस कर के चुदवाने,... "गीता बोली
लेकिन छुटकी को इत्ता शार्ट कट पसंद नहीं था,... वो जिदियाते बोली, नहीं दीदी पूरा बताइये भैया ने माँ की गाँड़ कैसी मारी,...
upload image online
तू भी न, दुलार से उसे सीने से चिपकाती गीता बोली,... और आगे का हाल सुनाया,
तो हुआ ये था गीता और उसका भाई माँ के पीछे पड़े थे दो तीन दिन की वो भी चुदवा ले , लेकिन वो चूसने, मुठियाने से आगे नहीं बढ़ती थीं
और चूसने में तो माँ नंबरी थीं, पहले भैया का सुपाड़ा मुंह में लेके चुभलाती थीं साथ में उसे छेड़ती भी रहती थीं, कभी पिछवाड़ा सहला देतीं तो कभी उसके रसगुल्ले तो पिछवाड़े वाले छेद में ही सेंध लगा देतीं, और मुझे आँख से इशारे से कहतीं
' चल तू भी सीख कैसे लौंडों को चूस चूस के पागल करते हैं "
भैया का इत्ता लम्बा मोटा है लेकिन माँ धीरे धीरे कर के पूरा घोंट लेतीं एकदम हलक तक, और बिना आगे पीछे किये ऐसा मस्त चुसतीं की भैया की हालत ख़राब, न मुझे कहना पड़ता खुद ही खोल के मुंह में ले लेती और देखते ही देखते टनटना के भैया की हालत खराब,
कभी चूसते चूसते मुंह थक जाए तो बाहर निकाल के , साइड से चूसती चाटतीं,... और मेरी ओर देखतीं की कैसे मैं मुंह से अगर निकाल भी लूँ तो साइड से चाट के
और दो सहेलियों की तरह जैसे लॉलीपॉप मिल के चूसती हैं तो वैसे भी
हाँ जब बेटा गरमा जाता था तो उसे बेटी के ऊपर हर बार चढ़ा देती थी, ...
तो फिर गीता ने वही प्लान बनाया पहली बार की तरह माँ से भैया ने बोला और माँ ने गीता से , अब रोज कम से कम एक बार दिन या रात माँ के सामने ही गीता भैया के खड़े लंड पे खुद चढ़ के उसे चोदती थी, अब उसकी झिझक भी दूर होगयी , ऊपर चढ़ के चोदने के सारे ट्रिक माँ ने उसे सीखा दिया था। बस उसी तरह माँ एक दिन उसके पीछे पड़ीं,
"हे तू मेरे बेटे के ऊपर चढ़ के चोदती है, रोज उस से बिना नागा गाँड़ भी मरवाती है तो ऊपर चढ़ के गाँड़ मरवाने में कौन परेशानी है , हर बार वही काहें सब मेहनत करे,... "
और गीता यही तो चाहती थी बस पिछली बार की तरह , लेकिन इस बार माँ जब ऊपर चढ़ी दिखाने सिखाने के लिए की कैसे लंड के ऊपर चढ़ के गाँड़ मरवाई जाती है,... लेकिन इस बार भैया कुछ ज्यादा ही जोश में था , थोड़ी देर के बाद माँ नीचे , और कुछ देर बाद निहुरी हुयी और वो हचक के गाँड़ मारते हुए ,
साथ में गीता भी मजा ले रही थी और इस बार सब मलाई माँ की गाँड़ में ही छोड़ा। और उसके बाद भी चिपका के,...
और फिर माँ मान भी गयी, गीता ने भी समझाया, माँ मेरी वो पांच दिन वाली छुट्टी होगी तो बेचारा मेरा भाई, तो वो टाइम तो फुल टाइम। तो उस दिन के बाद हम दोनों सहेलियों की तरह साथ साथ , चूसती भी साथ साथ थीं , चुदवाती भी थी साथ साथ, जब भैया मुझे चोदता था तो माँ कभी मेरे मुंह पे तो कभी उसके अपनी बुर चटवाती थी ,
बहुत शहद है , उसमें ,...
और उसने कित्ती ढेर सारे ट्रिक मुझे सिखाये मर्दों को खुश करने के और भैया को मैं समझती थी सब कुछ आता है लेकिन उसको भी, एक साथ दो दो लड़कियों के साथ कैसे करते हैं , चूसने के बीसों ट्रिक,... गाँड़ के मामले में तो माँ एक्सपर्ट थी, ...
कुछ रुक के गीता हंसने लगी फिर बोली माँ मेरे पीछे पड़ी थी की मैं शर्माती काहें हूँ की कहीं मेरी सहेलियों को न मालूम पड़ जाए की भैया मुझे चोदता है , ये तो ख़ुशी की बात ही बजाय तुझे इधर उधर लंड ढूंढने के घर में ही इत्ता मस्त लंड मिल गया तेरी सहेलियां जलेंगी , मालूम पड़ जाने दे ,...
तो छुटकी अपनी उत्सुकता रोक नहीं पायी , तो मालूम पड़गया आपकी सहेलियों को, कैसे, ... पूछ लिया उसने।
छुटकी तो छुटकी सारे पाठक भी बेकरार हैं...Abhi chhutki ko kahani jan ne ki chestha khatam nahi hui. vo puri kahani nichod kar nikalvaegi
यही चीज मिसिंग होती है दूसरी कहानियों में...“”
" माँ, एक बार आप चढ़ जाओ न फिर आप को देख के मैं भी सीख जाउंगी,... "
लेकिन माँ उसके पीछे पड़ी रही आखिर तय ये हुआ की गीता पहले एक बार ट्राई करेगी , अगर उससे नहीं हुआ तो माँ खुद चढ़ के , अंदर ले के उसे दिखाएगी, लेकिन सिर्फ अंदर लेगी चुदवायेगी नहीं,
माँ तो खूब खेली खायी, घाट घाट की पानी पी , अपने भैया को नहीं मना की तो मेरे भैया को क्यों मना करेगी। '
“”
Waaah kya scene banaya hai
“”पिछवाड़े पर हमला
" अरे तुम लोग भी तो उसी की उमर की हो समझदार हो, अरे भाई उसका, है तगड़ा,... गितवा कुछ उसको चिढायी होगी, ललचायी होगी,... वो हलके मारा होगा तो जोर से लगा होगा और उससे भी ज्यादा जोर से चिल्लाती है वो,... बस निकल रही है वो, भाई बहन के बीच मैं नहीं नहीं बोलती, मैं इस लिए बाहर आ गयी,... उसे बोल दिया था जल्दी करे,... "
तब तक गीता की चीख दुबारा सुनाई पड़ी,... ( और ये मंत्र अपने बेटे के कान में दो देके आयी थीं की आज रोज से भी कस के, और हर धक्के पे चीख निकले तो आगे से लाज शरम भूल के जहाँ कहेगा वहां, जिसके सामने चाहेगा उसके सामने, पिछवाड़ा देने को तैयार रहेगी। )
बेटे ने वो फार्मूला इस्तेमाल किया जिसे थोड़ा बहुत तो चाची ने सिखाया था, लेकिन उसकी बारीकियां सिखायीं और अपने ऊपर ट्राई करा के परफेक्ट कराया उसकी माँ ने, ...
और वो तरीका ऐसा था जो आज के पहले वो सिर्फ भोसंडी वालियों पर ट्राई करता था, पांच छह बच्चे निकाल चुकी उन भोंसड़ी वालियों के भोंसडे पर जिन्हे तीन चार ऊँगली एक साथ घोंटने पे पता नहीं चलता था। और जब इस ट्रिक से वो उन की भी चीखें निकलवा देता था, उन्हें उन की गौने की रात याद दिला देता था, जब वो रोती चीखती रहतीं थी और मरद चढ़ा रहता था , फाड़ता रहता था , खून खच्चर से चादर लाल हो जाती थी। उस दिन से भी ज्यादा मजा और दर्द होता था,...
लेकिन कल की बछेड़ी और वो भी उसके पिछवाड़े, जिसका फीता ही चार पांच दिन पहले कटा हो, दिन दहाड़े, चीख चीख के उसकी बहिनिया की बुरी हाल थी, लेकिन बछिया लाख उछले कूदे, सांड़ एक बार चढ़ गया तो बिना गाभिन किये नीचे नहीं उतरता, वही हालत उसकी थी।
ट्रिक बहुत सिम्पल थी,
गाँड़ मारने के लिए कुतिया बना के उसने अपनी बहिनिया को निहुरा रखा था, फिर उसकी दोनों टांगों के बीच अपनी टाँगे डालके कैंची की फाल की तरह पूरी ताकत से फैला दिया, टांगों और जाँघों के साथ साथ बहिन की गाँड़ भी अच्छी तरह फैली थी, फिर सांड़ की ताकत से मारा धक्का, जबरदस्त ताकत थी उसकी कमर में ,
जो लड़की औरत एक बार उसके नीचे लेटती थी, दुबारा खुद उसके आगे पीछे मरवाने के लिए टहलती।
लेकिन उसकी बहिन की कसी खूब टाइट गांड में इत्ता फ़ैलाने के बाद भी, ( रसोई में कुछ और चिकनाई तो थी नहीं हाँ उसने भैंस का ताजा मक्खन अच्छी तरह अपने मूसल पे चुपड़ लिया , एक बार खाली घुसने की देर थी, दो चार धक्के के बाद, तो बहिनिया के गाँड़ का मक्खन लंड को वैसे ही चिकना कर देता).
और अब छह सात मिनट मरवाने के बाद उसके नीचे दबी कुचली छुटकी बहिनिया को भी गाँड़ में घुसे मोटे लंड का मज़ा मिलने लगा था, चीखें उतनी ही जोर जोर की सिसकियों में बदल गयी थीं , वो भी जैसा माँ ने सिखाया समझाया था, कभी अपनी गांड को सिकोड़ के लंड निचोड़ लेती तो कभी भैया के धक्के के जवाब में चूतड़ पीछे कर कर के धक्के मारती। वो भूल गयी थी, उसकी सहेलियां बाहर खड़ी हैं स्कूल का टाइम हो रहा है और वो सब देख भले न पाएं लेकिन कान पार कर के एक एक चीख सिसकी सुन रही थीं और इंटरवल तक पूरे स्कूल में ये बात फ़ैल जायेगी। और वो सब तो बाहर निकलते ही उसे चिढ़ाना शुरू कर देंगी।
उधर भैया ने वो माँ की सिखाई ट्रिक,...
न उसने धक्के धीमे किये , न बहन की चूँचियो को रगड़ना नोचना खसोटना, ... हाँ धीमे से बहन की दोनों टांगों को जबरदस्ती फैलाये अपनी टांगों को बाहर निकाल लिया, खूंटा वैसे भी उसका जड़ तक घुसा था, एकदम चिपका।
और फिर उतने ही धीरे धीरे अपनी दोनों टांगों से बहन की फैली टांगों को कसना शुरू कर दिया जैसे कोई कुशल घुड़सवार घोड़ी के ऊपर चढ़ के अपनी जाँघों से उसे दबोच लेता है और फिर घोड़ी लाख उछल कूद करे, उसकी पकड़ ढीली नहीं होती, जैसे खुली कैंची की फाल बंद हो जाए, बस उसी तरह उसकी टाँगे सिकुड़ती गयीं, उन में दबी फंसी उसकी बहन की टांगें सिकुड़ती गयी जब तक वो इतनी टाइट न हो गयी जितनी हफ्ते भर पहले अपने भैया से चुदने के पहले, उसकी बहन की कोरी अनचुदी चूत टाइट थी, सबसे छोटी वाली ऊँगली भी नहीं घुस सकती थी.
और उन सब के साथ बहन की पिछवाड़े की सुरंग भी, एकदम कसी, जब माँ ने उससे जबरदस्ती अपनी बहिनिया की गाँड़ फड़वायी थी, एकदम उसी तरह की . उस एकदम टाइट हुयी गांड से जब उसने धीरे धीरे सरका सरका के लंड उसने गाँड़ से बाहर खींचा तो बहिनिया की परपरायी, छरछरायी, लेकिन माँ ने सिखा सिखा कर,
अब उसे गाँड़ मरवाने में भी उतना ही मजा मिलता था जितना चूत चुदवाने में, ....
और एक बार फिर से भैया ने बहिनिया को दोनों टांगों से कस के कस दिया, मोटा मूसल बाहर निकलने से जो जगह खाली हुयी थी, वो भी टाइट हो गयी ( सिर्फ मोटा सुपाड़ा उसने धंसा के रखा था ) , और अब उसने हचाक से पेला, जिस ताकत से वो एक धक्के में गाँव की कुंवारियों की झिल्ली फाड़ता था, उससे भी तेज जोर लगा के,
और गीता चीखी, जोर से चीखी, जितनी उसकी फटी थी उस समय जितना दर्द हुआ था वो कुछ नहीं था इसके आगे,... एकदम टाइट कसी दबी फंसी इसकी गाँड़ में छीलता फाड़ता मूसल घुस रहा था, लगा रहा था चमड़ी छिल रही है है, उचड़ रही है, पर भैया रुका नहीं,....
उईईई उईईईईई चीख सीधे स्कूल तक पहुँच रही थी, मास्टराइन से लेकर चपरासिंन तक सुन रही होंगीं, तो बीस फीट दूर पे खड़ी उसकी तीनों सहेलियां तो कान फाड़े सुन रही थीं , उसकी चीख सुन के सब ऐसी खुश की मुस्कराहट कान तक पहुँच रही थी , अब तो किसी से पूछने की भी जरूरत नहीं थी, अंदर उनकी सहेली के साथ क्या हो रहा था, पहले जो चुदने के नाम पर भड़कती थी, आज जम के चोदी जा रही थी, आने दो स्साली को बाहर,...
और माँ भी मुस्करा रही थीं,... जैसे उन्हें भी मालूम हो अंदर बिटिया के साथ का हो रहा है,
पर एक लड़की से नहीं रहा गया वही जो चार पांच यारों को रोज निपटाती थी, माँ को सुनाती दूसरी सहेली से बोली,
"ई गितवा इतने जोर से काहें चीख रही है,... "
लेकिन माँ ने जवाब दिया खूब मुस्कराते हुए , " अरे समझती ना का हो तुम लोग, लड़की ऐसे कब चोकरती हैं,... अरे छिनरपना है, थोड़ा सा पिरायेगा , सात गाँव गोहार,... "
लेकिन भाई इत्ते से संतुष्ट नहीं था , बहन को पूरा मजा देना चाहती था। बस उसने गाँड़ में मूसल धकेलने के साथ बहिन की कसी बुर में भी एक साथ दो ऊँगली ठेल दी. गीता और जोर से चीखी, भैया थोड़ा थोड़ा सा निकाल दो,... कौन भाई निकालता है,... ऐसी स्कूल में पढ़ने वाली कमसिन बहिन की गांड में धंसा लंड बिना झड़े, तो उसने भी नहीं निकाला और बल्कि कचकचा के गाल काटते हुए उसके कान में फुसफुसाया,...
" बोल स्साली, का निकालना है , कहाँ से निकालना है , मैं का कर रहा हूँ , खूब जोर जोर से वरना अभी तो कुछ नहीं , ... और ये कह के उसकी छोटी छोटी बस आती हुयी चूँची के ऊपरी हिस्से में इत्ते कस के दांत गड़ाए की दूर से निशान दिखते,
और गीता ने जोर से बोला,
"भैया मेरी गाँड़ में से लंड निकाल लो बहुत पिरा रहा है , भले ही बुर चोद लो। "
" ये तो बोल मैं का कर रहा हूँ,... " भाई ने फिर धीरे बोल के उसे उकसाया ,
" ओह्ह भैया आज कैसे गाँड़ मार रहे हो , बहुत पिरा रही है ,... "
और भाई ने टांगों की पकड़ उसकी टांगों पर ढीली कर दी , दर्द कम हो गया , ... और गीताअब बिना इस बात की चिंता किये,... की बाहर सहेलियां कान पारे बैठीं होगी, उसकी चल रही चुदाई का हाल जानने के लिए, खुद रनिंग कमेंट्री कर रही थी,
" ओह्ह उफ़ भैया, अबे स्साले तेरा लंड कितना मोटा है, गदहे ऐसा एकदम, जरा हलके हलके गाँड़ मार, ओह्ह भैया हाँ ऐसे ही , रुक जाओ बस एक मिनट,... "
उसका भाई अरविन्द भी जान रहा था की आज उसकी बहिन और उसका नाम, बहन के स्कूल में फ़ैल जाएगा और इसलिए वो और हचक ह्च्चक के अपनी बहनिया को इस तरह पेल रहा था की आज दिन भर अपने स्कूल में वो सीधे न चल सके और उसके स्कूल की सब लड़कियों को बिन बोले पता चल जाए की गितवा की गाँड़ खूब मोटे लंड से हचक के मारी गयी है,
आखिर मोटा इतना था...“
अच्छा तो उन्हें भी लग रहा था, इत्ते दिन बाद ऐसा मस्त जवान लंड भोंसडे में घुसा था,
“” भोंसडे से एक दम चूत बना दिया था,.””
.. और दो टीनेजर्स की ताकत वो चाह के भी नहीं उठ सकती थीं , और सच बोलिये तो चाह भी नहीं रही थीं,
“”
Waaaaah kyaa likha hai komaalrani ji maza aa gaya
जो भी होगा.. अच्छा हीं होगा...Woow 3no ki gadi chal padi hai dekhte hain aage aur kya khel hota hai
सहेलियां तो पहले से चुदवाती फिर रही थीं...“”
अरे समझती ना का हो तुम लोग, लड़की ऐसे कब चोकरती हैं,... अरे छिनरपना है, थोड़ा सा पिरायेगा , सात गाँव गोहार,... "
“”
uffff tooo hot
भाग ४६
तीन सहेलियां खड़ी खड़ी, किस्से सुनाएँ घड़ी घड़ी
उस समय तक गीता का भाई भी अपनी बहन की मोटी मोटी गाँड़ में कटोरी भर मलाई छोड़ रहा था , माँ उससे कुछ कहतीं उससे पहले वो समझ गया और बाकी बचा रस सीधे गाँड़ से निकाल के बहन के गोरे गोरे चेहरे पे, ... "
माँ यही तो चाहती थी आज बेटी की सब शरम लाज उसकी गाँड़ में घुस जायेगी, फिर वो खुल् के उनके बेटे से मरवायेगी।
उन्होंने खींच के दोनों को अलग किया और गीता को हड़काते हुए बोलीं,
" अरे तुझे स्कूल जाना है की नहीं , आज तो वैसे ही जल्दी छुट्टी हो जाएगी लौट के चुदवा लेना। कब से तेरी सहेलियां बाट देख रही हैं "
लेकिन गीता की निगाह अपनी चड्ढी पर थी जो नहीं मिल रही थी।
" माँ, चड्ढी नहीं दिख रही है , उसके बिना,... "
" उसके बिना क्या,... अरे स्कर्ट तो है तेरी , सब ढका छिपा है और फिर लड़कियों का स्कूल है सबकी स्कर्ट के नीचे वही बुर और गांड है , जल्दी जा , ज्यादा देर हो गई तो वो छिनार तेरी बड़ी मास्टराइन , मुर्गा बना देगी , सब तोपा ढँका बराबर हो जायेगा भाग छिनार जल्दी। "
माँ ने जोर से डांटा और पकड़ के खड़ा किया , गीता के पिछवाड़े जोर से चिलख मची थी जैसे किसी ने मोटी खपच्ची ठोंक दी हो और वो अभी तक घुसी हो।
किसी तरह दीवाल का सहारा लेकर वो खड़ी हुयी , एक हाथ दीवाल पे दूसरा माँ के कंधे पे,... किसी तरह आड़े तिरछे चलते , कहरते घर से बाहर निकली की उसे याद आया की उसके चेहरे पर तो उसके भाई की रबड़ी मलाई,
लेकिन माँ ने उसे भी साफ़ करने से मना कर दिया,
" अरे चल तेरी दोस्त ही तो हैं , वो सब की सब चुदवाती होंगी,... उनसे क्या और रास्ते में पोंछ लेना , चल बिन्नो बहुत देर हो रही है। "
पहुँचते ही एक सहेली ने उसे सहारा दिया दूसरे ने उसका बस्ता ले लिया, और तीसरी ने रास्ते में चेहरे पर से मलाई अपनी उँगलियों से साफ़ कर के अपनी बाकी सहेलियों को भी चिखाया ,
और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
" तोर भयवा नम्बरी चोदू लगता है, स्साले ने तेरी गाँड़ फाड़ के रख दी,... "
तीसरकी बोली, गीता स्साली कमीनी रोज हम लोगों का किस्सा सुनती थी आज अपना सुनाओ और जरा भी कैंची लगाया न तो स्साली तेरी गाँड़ दुबारा फाड़ दूँगी।
ये वही थी जिसकी चूत उसकी भाभी ने इसी साल होली में भांग पिला के फड़वायी थी और शाम को भाभी के मायके के दो भाई लगने वालों ने भी मुंह लगा के खूब रस लिया और तब से कभी नागा नहीं होता। इस समय आधे दर्जन से ऊपर उसके यार थे और रोज चार पांच चढ़ते थे , इसी की भाभी ने गीता को समझाया चढ़ाया था की वो अपने सगे भाई अरविन्द के सामने टांग फैला दे, उससे मस्त मर्द उसे नहीं मिलेगा, झिल्ली फड़वाने के लिए और फिर घर की बात घर में।
घोंट तीनो चुकी थी और एक का नहीं कितनों का तो सबने पहला सवाल यही किया
' कितना बड़ा है तेरे भैया का '
और जब गीता ने अपना बित्ता पूरा फैला के इशारा किया, खड़े होने पे कम से कम इत्ता , ...
तो सब की आँखे फटी रह गयीं , सबसे पहले तीसरी बोली, गीता से ,
" अरे बित्ता नौ इंच का होता है , मेरे जीजा ने तो खुद कपडे वाले टेप से मुझसे नपवाया था, भाभी के सामने, एकदम फनफनाया था उनका पूरा सात इंच का और तेरे भैया का उससे भी बड़ा,... "
पहली हँसते हुए बोली, ' देर से आयी लेकिन गीता सही आयी यहाँ तो छह इंच वाला भी मिल जाए तो बड़ी बात,
और जब गीता ने तर्जनी और अंगूठे को जोड़ के बताया, की मुट्ठी में आसानी से नहीं आता, उसकी कलाई के बराबर मोटा होगा , तो फिर तो सब सहेलियों की,...
अगले दो पीरियड में पूरे स्कूल में बात फ़ैल गयी की गीता चुद गई। . हर लड़की दूसरी से यही कहती अरी सुन गितवा की फट गयी, लेकिन किसी और से मत कहना सिर्फ हमारी तुम्हारी , और दोपहर इंटरवल तक तो चपरासिन से लकर मोटी मास्टरनी तक उनको भी मालूम हो गया की गितवा उन्ही की बिरादरी में आ गयी.
हाँ दो बाते नहीं ब्रॉड कास्ट हुईं , एक तो वो अपने भाई से फंसी है ये सिर्फ उसकी खास सहेलियों को पता चला।
और दूसरी अपने माँ के रोल पे गीता ने खुद कैंची चला दी थी , किसी को भी कानोकान खबर नहीं हुयी। लेकिन अब सब लड़कियां उसे अलग ढंग से देखने लगी.