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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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I realize posting comments are becoming hard because of some issues of the forum, every post requires effort ( probably except for paid members). I will still request members to try to share thoughts, opinions and wade through hurdles to express themselves. comments are a bridge between readers and writer and opens up a dialogue, so please do share comments
I too agree. It is too much irritating and frustrating.
But the problem is that other well known social media platform is also opting for paid membership.
Probably rentals has to be paid by the admin and only way to generate revenue is Ad.
 
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motaalund

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एकदम सही बात कही आपने गीता और अरविन्द मैदान के नयी खिलाड़ी हैं इसलिए माँ उनसे बार बार अभ्यास करवाएंगी अलग अलग तरीके से अलग पिचों पर,... हाँ माँ भी भी कभी कभी, कभी सिखाने के बहाने तो कभी बस मजे के लिए, अभी आगे भी आयंगे माँ बेटी बेटे के प्रसंग, अभी तो बस झिझक मिटी है
पहले घर के पिच पर पर्फेक्ट हो जाए.. फिर तो घर के बाहर भी पिच पर सेंचुरी ठोंक हीं देगा....
 
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motaalund

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इसलिए शब्द, मुहावरे लोक्तियाँ गाँव के परिवेश की ही इस भाग में इस्तेमाल कर रही हूँ। एकदम सही कहा आपने। थोड़ा सा आंचलिक परिवेश आने से कहानी में कुछ कुछ माटी की महक आती है वरना तो वो घटना दुनिया के किसी भी हिस्से में हो सकती है।
इसी रस और माटी की महक के लिए तो आपके थ्रेड पर बारंबार आते हैं....
 
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motaalund

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पिछला भाग, भाग ४५ पेज ३४८ पर

गीता चली स्कूल

अगला भाग, भाग ४६

तीन सहेलियां खड़ी खड़ी, किस्से सुनाएँ घड़ी घड़ी
फरियाद करें घड़ी-घड़ी कि बिना काट-छांट के पूरा का पूरा किस्सा बयान करना होगा..
 
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motaalund

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भाग ४६

तीन सहेलियां खड़ी खड़ी, किस्से सुनाएँ घड़ी घड़ी



उस समय तक गीता का भाई भी अपनी बहन की मोटी मोटी गाँड़ में कटोरी भर मलाई छोड़ रहा था , माँ उससे कुछ कहतीं उससे पहले वो समझ गया और बाकी बचा रस सीधे गाँड़ से निकाल के बहन के गोरे गोरे चेहरे पे, ... "

माँ यही तो चाहती थी आज बेटी की सब शरम लाज उसकी गाँड़ में घुस जायेगी, फिर वो खुल् के उनके बेटे से मरवायेगी।

उन्होंने खींच के दोनों को अलग किया और गीता को हड़काते हुए बोलीं,

" अरे तुझे स्कूल जाना है की नहीं , आज तो वैसे ही जल्दी छुट्टी हो जाएगी लौट के चुदवा लेना। कब से तेरी सहेलियां बाट देख रही हैं "



लेकिन गीता की निगाह अपनी चड्ढी पर थी जो नहीं मिल रही थी।

" माँ, चड्ढी नहीं दिख रही है , उसके बिना,... "





" उसके बिना क्या,... अरे स्कर्ट तो है तेरी , सब ढका छिपा है और फिर लड़कियों का स्कूल है सबकी स्कर्ट के नीचे वही बुर और गांड है , जल्दी जा , ज्यादा देर हो गई तो वो छिनार तेरी बड़ी मास्टराइन , मुर्गा बना देगी , सब तोपा ढँका बराबर हो जायेगा भाग छिनार जल्दी। "

माँ ने जोर से डांटा और पकड़ के खड़ा किया , गीता के पिछवाड़े जोर से चिलख मची थी जैसे किसी ने मोटी खपच्ची ठोंक दी हो और वो अभी तक घुसी हो।

किसी तरह दीवाल का सहारा लेकर वो खड़ी हुयी , एक हाथ दीवाल पे दूसरा माँ के कंधे पे,... किसी तरह आड़े तिरछे चलते , कहरते घर से बाहर निकली की उसे याद आया की उसके चेहरे पर तो उसके भाई की रबड़ी मलाई,

लेकिन माँ ने उसे भी साफ़ करने से मना कर दिया,

" अरे चल तेरी दोस्त ही तो हैं , वो सब की सब चुदवाती होंगी,... उनसे क्या और रास्ते में पोंछ लेना , चल बिन्नो बहुत देर हो रही है। "



पहुँचते ही एक सहेली ने उसे सहारा दिया दूसरे ने उसका बस्ता ले लिया, और तीसरी ने रास्ते में चेहरे पर से मलाई अपनी उँगलियों से साफ़ कर के अपनी बाकी सहेलियों को भी चिखाया ,

और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं

" तोर भयवा नम्बरी चोदू लगता है, स्साले ने तेरी गाँड़ फाड़ के रख दी,... "





तीसरकी बोली, गीता स्साली कमीनी रोज हम लोगों का किस्सा सुनती थी आज अपना सुनाओ और जरा भी कैंची लगाया न तो स्साली तेरी गाँड़ दुबारा फाड़ दूँगी।

ये वही थी जिसकी चूत उसकी भाभी ने इसी साल होली में भांग पिला के फड़वायी थी और शाम को भाभी के मायके के दो भाई लगने वालों ने भी मुंह लगा के खूब रस लिया और तब से कभी नागा नहीं होता। इस समय आधे दर्जन से ऊपर उसके यार थे और रोज चार पांच चढ़ते थे , इसी की भाभी ने गीता को समझाया चढ़ाया था की वो अपने सगे भाई अरविन्द के सामने टांग फैला दे, उससे मस्त मर्द उसे नहीं मिलेगा, झिल्ली फड़वाने के लिए और फिर घर की बात घर में।

घोंट तीनो चुकी थी और एक का नहीं कितनों का तो सबने पहला सवाल यही किया


' कितना बड़ा है तेरे भैया का '



और जब गीता ने अपना बित्ता पूरा फैला के इशारा किया, खड़े होने पे कम से कम इत्ता , ...



तो सब की आँखे फटी रह गयीं , सबसे पहले तीसरी बोली, गीता से ,

" अरे बित्ता नौ इंच का होता है , मेरे जीजा ने तो खुद कपडे वाले टेप से मुझसे नपवाया था, भाभी के सामने, एकदम फनफनाया था उनका पूरा सात इंच का और तेरे भैया का उससे भी बड़ा,... "

पहली हँसते हुए बोली, ' देर से आयी लेकिन गीता सही आयी यहाँ तो छह इंच वाला भी मिल जाए तो बड़ी बात,

और जब गीता ने तर्जनी और अंगूठे को जोड़ के बताया, की मुट्ठी में आसानी से नहीं आता, उसकी कलाई के बराबर मोटा होगा , तो फिर तो सब सहेलियों की,...

अगले दो पीरियड में पूरे स्कूल में बात फ़ैल गयी की गीता चुद गई। . हर लड़की दूसरी से यही कहती अरी सुन गितवा की फट गयी, लेकिन किसी और से मत कहना सिर्फ हमारी तुम्हारी , और दोपहर इंटरवल तक तो चपरासिन से लकर मोटी मास्टरनी तक उनको भी मालूम हो गया की गितवा उन्ही की बिरादरी में आ गयी.

हाँ दो बाते नहीं ब्रॉड कास्ट हुईं , एक तो वो अपने भाई से फंसी है ये सिर्फ उसकी खास सहेलियों को पता चला।

और दूसरी अपने माँ के रोल पे गीता ने खुद कैंची चला दी थी , किसी को भी कानोकान खबर नहीं हुयी। लेकिन अब सब लड़कियां उसे अलग ढंग से देखने लगी.
" तोर भयवा नम्बरी चोदू लगता है, स्साले ने तेरी गाँड़ फाड़ के रख दी,... "

और जब गीता ने अपना बित्ता पूरा फैला के इशारा किया, खड़े होने पे कम से कम इत्ता , ...
बित्ता दिखाने पर हदस जाएंगी तीनों सहेलियां...

लेकिन जब एक सहेली दूसरी को बताती है तो और मिर्च मसाले के साथ...
कहीं सहेलियां भैया के गुहार न करने लगें...
आखिर अभी तक सुना है... देखने के बाद... उनकी चूतें भी गीली हो जाएंगी....
 
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motaalund

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सहेलियां











दो बाते नहीं ब्रॉड कास्ट हुईं , एक तो वो अपने भाई से फंसी है ये सिर्फ उसकी खास सहेलियों को पता चला।

और दूसरी अपने माँ के रोल पे गीता ने खुद कैंची चला दी थी , किसी को भी कानोकान खबर नहीं हुयी। लेकिन अब सब लड़कियां उसे अलग ढंग से देखने लगी.



हाँ क्लास में भी उसे खड़ी होने के लिए किसी सहेली का साथ लेना पड़ता था और वो दीवाल के बगल में जानबूझ के बैठी थी। स्कूल में इंटरवल के एक घंटी बाद ही आज छुट्टी भी हो गयी, जिन सहेलियों के साथ वो आयी थीं , उन्होंने उसे खुद पकड़ के,...

लेकिन रास्ते में उसके भैया को लेकर वो सब ऐसी गरम गरम बातें कर रही थीं की गीता खुद गरमा गयी। बस उसका मन कर रहा था, घर पहुँच के भैया के साथ,

गीता आज बहुत खुश थी, स्कूल आते समय तो वो बहुत घबड़ा रही थी की उसकी सब सहेलियों को पता चल जाएगा की अब उसकी भी चिड़िया उड़ने लगी. सहेलियों को क्या पूरे स्कूल को पता चल गया उसकी चाल से जिस तरह से वो हचक रही थी की वो न सिर्फ चुद के आ रही है बल्कि उसकी गाँड़ भी अच्छी तरह से मारी गयी है, पर उसकी ख़ास सहेलियों और क्लास की लड़कियों को छोड़ के चिढ़ा कोई नहीं रहा था और लौटते समय तो उसकी सहेलियां न सिर्फ उसका हाथ पाने कन्धों पे रख के सपोर्ट कर रही थीं, घर पहुँचने में बल्कि उन की बातों से उस का मन बल्लियों उछल रहा था।



और वो इस लिए भी खुश थी की तारीफ़ उसके साथ उसके भैया अरविन्द की हो रही थी , सीधे न सही इनडायरेक्ट ही सही,... और वो वो ये भी जान रही थी की कई लड़कियां जल भी रही थीं थी. वो सहेली वही जो चार पांच लौंडो का रोज घोंटती थी (और जिसकी भाभी ने गीता को उकसाया था अपने भाई को पटा के चुदने के लिए ) उसको छेड़ते हुए तारीफ़ की,

"स्साली संगीता, इंतज़ार का फल तुझे मीठा मिला,... " गीता का स्कूल का नाम संगीता ही था, शुरू में बताया तो था, हाँ घर में सब गितवा ही कहते थे )



दूसरी ने टुकड़ा लगाया,' सिर्फ मीठा ही नहीं खूब लम्बा और मोटा भी लेकिन संगीता स्साली है पक्की हमारी सहेली, हमारे गोल वाली , घप्प से इतना मोटा अगवाड़े पिछवाड़े पूरा घोट लिया। "


तीसरी को बिस्वास नहीं हो रहा था या बार बार संगीता के भाई के मूसल के बारे में सुनना चाहती थी सोच सोच के खुजली हो रही थी , अब तक सात आठ तो वो घोंट ही चुकी थी, पर सबसे बड़ा छह इंच का था,... और ज्यादातर तो मुश्किल से पांच साढ़े पांच टनटनाने के बाद उसने फिर पूछा

" सच बोल, मेरी कसम,... तूने नापा था , तेरे बित्ते के बराबर, और मोटा भी,...

गीता समझ गयी स्साली की झांटे सुलग रही हैं, वो पहले तो मुस्कराती रही, फिर बोली,

" अरे अंदर चलो न भैया का खोल के नाप लेना, न हो तो मुंह में ले लेना। पक्का एक बित्ते का , आज रात को टेप से नाप लूंगी तब तो मानेगी न ,... और मेरी कलाई से ज्यादा ही होगा , स्साली जान निकल जाती है जब वो ठेलता है , लेकिन कमर में जांगर बहुत हैं जब दरेरते हुए फाड़ते हुए घुसता है,.. दस दिन हो गए चुदवाते, पर अभी भी चीख निकल जाती है , चूतड़ पटकने लगती हूँ ,... "

वो जान बूझ के खूब डिटेल में चुदाई के बारे में बता रही थी ये सब भी तो अपने जीजा के साथ , तो कभी अपने यार के साथ, तो कभी भैया के तो कभी कोई काम करने वाले के साथ,... और सब की सब जलाती मुझे,

' अरे संगीता, एक बार घोंट ले तो खुद तू , दुनिया में इससे बड़ा मज़ा कोई नहीं , तेरे पीछे तो दर्जनों लौंडे पड़े रहते हैं, डरती है तो मेरे यार के साथ,... "

और आज गीता उन सब की सुलगा रही थी, सोच रही थी मेरे भैया को देख के वैसे ही सब की पनियाती थी, ६ फुट लम्बा, खूब गोरा, कसरती देह, ताकत छलकती रहती थी देह से और शरारत आँखों से, और जब से उसके मूसल के बारे में मैंने बताया और कित्ता नंबरी मस्त चोदू है, सब की हाथ में आ गयी,... सब की सब जल रही थीं , लेकिन मेरी ख़ुशी से खुश भी थीं।

गीता छुटकी को उस दिन स्कूल का किस्सा बता रही थी। औरसोच रही थी खुश थी अपने भैया से, उसके चक्कर में आज नाम इत्ता ऊपर हो गया. उसके ऊपर बहुत प्यार छलक रहा था, और असली बात ये थी की अपनी भैया के चुदाई की बात बताते बताते भी अच्छी तरह गरमा गयी थी, पनिया गयी थी. बस मन कर रहा था की आज वो कुछ भी कर रहा हो मैं खुद उसके ऊपर चढ़ के पेलूँगी।


दोनों जाँघों के बीच चाशनी बह रही थी, लसलसा रही थी,... मन पागल हो रहा था. पर,...
घर में पहुँचते ही सब गड़बड़ हो गया


माँ ने कोई गप्प गोष्ठी कर रखी थी, उनकी चार पांच सहेलियां, घर के बरामदे में और मेरे कमरे में भी कोई उनकी सहेली बैठी अपने बच्चे को दूध पिला रही थीं,... और भैया थे तो अपने कमरे में, लेकिन माँ आजकल उनके जमीन के घर के बाग़ बगीचे के सब काम समझा रही थीं और उसी के सब कागज़ देख रहे थे , सीरियस मूड में , घर में तो सिर्फ जांघिया और बनियान पहन के रहते थे बस उसी तरह। लेकिन उस कमरे में भी 'कुछ होना' एकदम मुश्किल था , दर्जन भरा चाची लोग , और बगल के कमरे में भी एक पड़ोस की भाभी,...

लेकिन जाँघों के बीच ऐसी आग लगी थी,... ऐसे में तो लड़कियों का दिमाग दस गुना रफ़्तार से चलता है और चुदाई के मामले में तो बाकी लड़कियों से दस हाथ आगे थी, मेरे दिमाग में बिजली सी कौंधी,... बस मैं भाई का हाथ पकड़के सीधे छत पे,... वो लाख गुहार लगाता रहा, और मैं बोलती रही अरे छत पे तुझे कुछ दिखाना है ,...
सहेलियों को सुनाते हुए गीता लसलसा गई.. चाशनी बहने लगी..
लेकिन अभी तो छुटकी को सुना रही है...
तो अभी गितवा का क्या हाल है...
भाई को या मामा को याद कर रही है... या फिर कोई जीजा...
गीता का दिमाग तो कंप्यूटर से भी तेज चलता है...
तो तरीका तो जबरदस्त ढूंढा...
खुली छत पर खुले आसमान के नीचे..
भौजी से बतियाते...
 
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भाग ४४

रिश्तों में हसीन बदलाव


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उर्फ़ मेरे पास माँ है




अब माँ ने थोड़ा सा ब्रेक लिया और बोलीं इस लिए मैं कह रही थी की ननदों के लिए सबसे बड़ा खतरा भौजियां होती हैं ,..देवर , जीजू नन्दोई क्या करेंगे अगवाड़े पिछवाड़े का मजा ले के ,... और मैं तुझसे अभी से बोल रही हूँ अबकी इस होली में तेरी,... तेरी भौजाइयां तो मेरी गाँव वालियों से १०० गुना ज्यादा कमीनी हैं क्या करेंगी पता नहीं।




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और जोड़ा, 'और खाली मेरे जीजू थोड़े ही थे मेरी सहेलियों के भी, जिनकी शादी हो गए थे उनके भी मर्द, तेरी नानी ने सब को बोल रखा था फिर भौजाइयां भी तो थीं आग लगाने वाली रात को खड़े होने की हालत नहीं थी , याद भी नहीं आ रहा था कितने मर्दों ने ,..आधी बाल्टी से कम बीर्य नहीं घोंटा होगा मेरे तीनों छेदो ने। '

गीता छुटकी को माँ की मायके की होली का किस्सा बता रही थी

लेकिन छुटकी तो कुछ और जानना चाहती थी, वो गीता के पीछे पड़ गयी,

" गीता दीदी, आप असली बात गोल कर रही हैं ये बताइए, भैया का माँ ने कब कैसे घोंटा,... और ये मत कहियेगा की भैया माँ के ऊपर नहीं चढ़ा। सीधे उसी बात पे आइये। "

गीता बड़ी जोर से हंसी और छुटकी को गोद में दबोचती चूम के बोली,

"तू सच में मेरी असली छोटी बहन है कभी मेर्ले में बिछुड़ गयी होगी। अरे भैया कैसे छोड़ता माँ को और फिर मैं छोड़ने देती उसे,... लेकिन माँ ने बहुत नखड़ा किया, पर हम भाई बहन के , अरे अगर बेटे बेटी मिल जाएँ तो माँ कभी भी नहीं जीत सकती। थोड़ा छल कपट, थोड़ी जबरदस्ती , पहले तो बस थोड़ा सा , लेकिन दो तीन दिन में वो एकदम हम भाई बहन के रंग में रंग गयी , एकदम मिल के मजे लेने लगी,... "



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गीता थोड़ी देर सुस्ताई फिर बोली,

" उसी रात, हम भाई बहन ने पहले गंठजोड़ कर लिया था, आज कुछ भी हो भैया का मूसल माँ की बिल में जाना ही है। "

लेकिन छुटकी उकता रही थी, गीता से सीधे मुद्दे पे जाने के लिए जिद्द कर रही थी,
" दीदी, बोल न भैया बने मादरचोद की नहीं,... "



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गीता खिलखिलाने लगी, हंस के बोली,

" स्साली, तेरा गांडू भैया मादरचोद नहीं पैदायशी मादरचोद है,वो स्साला पैदा ही अपनी माँ को चोदने के लिए हुआ था, और फिर लंड भी उसका इतना कड़क है एक बार गलती से भी, रस्ता भूलके भी किसी की बुर में घुस जाए न, तो वो स्साली कित्ती भी छिनारपने के लिए मशहूर हो, अपनी टांग नहीं सिकोड़ सकती। बस एक बार माँ के भोंसडे में लंड घुस जायेगा न तो माँ खुद ही भैया का लंड मांगेगी। और मेरी ये सोच काम कर गयी। "


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छुटकी खूब खुश, हंस के बोली,

" वह दीदी, तो भैया और माँ के रिश्तों में,.. क्या कहते हैं , वो,... हाँ
'रिश्तों में हसीन बदलाव' आ गया।

गीता ने प्यार से छुटकी को गले लगा लिया बोली, तू तो कच्ची उमर में ही सब सीख गयी. एक दम सही बोल रही है,... रिश्तो में हसीन बदलाव, ..एकदम यही हुआ. ये सोच न माँ बेटे से हसींन रिश्ता क्या होगा है न। लेकिन बेटे की नूनी कौन सबसे पहले पकड़ती है ?

छुटकी समझदार थी , झट से बोली,

' और कौन माँ पकड़ के सू सू कराने के लिए, चमड़ी खोल के तेल लगाने के लिए जसी आगे चल के मस्त सुपाड़ा बने , कुंवारियों की चूत फाड़ने के लिए, मस्त मस्त गाँड़ मारने के लिए,... "


"और मुंह कौन लगाता है सबसे पहले " छुटकी का इम्तहान जारी था , उसकी मुंहबोली बहन अपनी छोटी बहन का टेस्ट ले रही थी


" माँ,और कौन। " छुटकी ने न सिर्फ झट से जवाब दिया बल्कि आगे एक्सपेलनेशन भी दे दिया

" अरे चमड़ी सुपाड़े की चिपक न जाए इसलिए फूंक के खोलती है , मुंह भी, और खोल के तेल भी "



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" तो सोच न माँ जब पकड़ती होगी तो ये न सोचती होगी की जब ये बड़ा और मोटा होगा तो एक बार मैं भी,... आखिर घर की खेती है... तो बस, और असली हसींन रिश्ता है लंड और बुर का, मजा दोनों को उसी में आता है , लंड बना है चोदने के लिए,...

" एकदम दी ,... "

अब छुटकी और गीता में परफेक्ट बहनापा हो गया था। और गीता की बात को उसने आगे बढ़ाया,

"लंड बना है चोदने के लिए बेवकूफ समझते हैं मूतने के लिए। और बुर बनी है चुदवाने के लिए और कमीनी लड़कियां टाँगे सिकोड़ के रखती हैं। "

" एकदम छुटकी,... तो सबसे हसीन रिश्ता तो वही हुआ जिसमें मजे आएं तो माँ और के बेटे, मेरे भैया के रिश्तों में भी हसीन बदलाव आ गया। बन गया वो पक्का मादरचोद ,... "

तो
रिश्तों में ये हसीन बदलाव कैसे हुआ, गीता ने हाल खुलासा सुनाया।


फिर गीता ने रात का किस्सा सुनाया, उसने और उसके भाई ने मिल के, ... भाई ने क्या पिलानिंग सब गीता की ही थी,

गीता ने भैया को सिखा दिया था और भैया ने वही बातें माँ से कहा, ... और कबड्डी शुरू होते ही माँ ने कहा,

" गीता सुन, बड़ी चुदवासी है न तू छिनार, तेरी बुर में आग लगी है तो तुझे मेरे बेटे के खूंटे पे चढ़ना होगा , "




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" नहीं माँ , " गीता ने नखड़ा किया "रोज तो चोदता है, एक दिन खेत में काम करने गया तो क्या घुटने टूट गए, ... मुझसे नहीं होगा। आप भी न बचपन से इसी का साथ देती हैं "
माँ ने फुसफुसा के गीता को सारी ट्रिक समझायी,...

" अरे स्साली कुछ नहीं करना है , टाँगे फैला के जैसे झूले पे चढ़ते हैं, बस उसी तरह, चढ़ जा, और अपनी बुरिया में दोनों ऊँगली से पहले फैला दे , फिर सटा दे, .. एक बार ज़रा सा फंस जाए,... फिर मैं हूँ न , मैं तेरे कंधे पकड़ के दबा दूंगी,सट्ट से चला जाएगा, अरे बहुत मज़ा आएगा,... "

लेकिन गीता ने जिद्द पकड़ ली नहीं उससे नहीं होगा,... सटक के कही इधर उधर हो गया तो कैसे फैलाएगी , कैसे सटायेगी , .. बहुत जिद्द करने पे बोली,

" माँ, एक बार आप चढ़ जाओ न फिर आप को देख के मैं भी सीख जाउंगी,... "

लेकिन माँ उसके पीछे पड़ी रही आखिर तय ये हुआ की गीता पहले एक बार ट्राई करेगी , अगर उससे नहीं हुआ तो माँ खुद चढ़ के , अंदर ले के उसे दिखाएगी, लेकिन सिर्फ अंदर लेगी चुदवायेगी नहीं,

गीता जानती थी की भैया का मस्त लंड सिर्फ एक बार घुसने की देर है कौन लौंडिया फिर टांग सिकोड़ सकती है, माँ तो खूब खेली खायी, घाट घाट की पानी पी , अपने भैया को नहीं मना की तो मेरे भैया को क्यों मना करेगी। '

वो चढ़ी तो पांच मिनट कोशिश भी हुयी,... पर भाई बहन की लगी सधी, आज तो असली शिकार माँ का होना था,.. कभी वो ठीक से सटाती नहीं, खुद छेद चिपका लेती, तो कभी भाई खुद उसका अपनी कमर हिला के सरका देता,...



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और

माँ चढ़ी,

और गीता को समझाती रही देख ऐसी अपनी बुरिया को फैलाना चाहिए , ऐसे सटाओ और कमर के जोर से , दोनों हाथ से कंधे को पकड़ के कस के धक्का लगाओ ,

अबकी उनके बेटे ने माँ की कमर कस के पकड़ लिया था और उनके धक्के के साथ उसने जोर का ऊपर पुश किया,

गप्पाक से सुपाड़ा पूरा अंदर चला गया,... और

“”


" माँ, एक बार आप चढ़ जाओ न फिर आप को देख के मैं भी सीख जाउंगी,... "

लेकिन माँ उसके पीछे पड़ी रही आखिर तय ये हुआ की गीता पहले एक बार ट्राई करेगी , अगर उससे नहीं हुआ तो माँ खुद चढ़ के , अंदर ले के उसे दिखाएगी, लेकिन सिर्फ अंदर लेगी चुदवायेगी नहीं,

माँ तो खूब खेली खायी, घाट घाट की पानी पी , अपने भैया को नहीं मना की तो मेरे भैया को क्यों मना करेगी। '

“”

Waaah kya scene banaya hai
 
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motaalund

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छत पे,




घर में पहुँचते ही सब गड़बड़ हो गया. माँ ने कोई गप्प गोष्ठी कर रखी थी, उनकी चार पांच सहेलियां, घर के बरामदे में और मेरे कमरे में भी कोई उनकी सहेली बैठी अपने बच्चे को दूध पिला रही थीं,... और भैया थे तो अपने कमरे में, लेकिन माँ आजकल उनके जमीन के घर के बाग़ बगीचे के सब काम समझा रही थीं और उसी के सब कागज़ देख रहे थे , सीरियस मूड में , घर में तो सिर्फ जांघिया और बनियान पहन के रहते थे बस उसी तरह। लेकिन उस कमरे में भी 'कुछ होना' एकदम मुश्किल था , दर्जन भरा चाची लोग , और बगल के कमरे में भी एक पड़ोस की भाभी,...

लेकिन जाँघों के बीच ऐसी आग लगी थी,... ऐसे में तो लड़कियों का दिमाग दस गुना रफ़्तार से चलता है और चुदाई के मामले में तो बाकी लड़कियों से दस हाथ आगे थी, मेरे दिमाग में बिजली सी कौंधी,... बस मैं भाई का हाथ पकड़के सीधे छत पे,... वो लाख गुहार लगाता रहा, और मैं बोलती रही अरे छत पे तुझे कुछ दिखाना है ,...


गाँव में ज्यादातर तो कच्चे ही घर होते हैं, दस बारह घरों में ही पक्की छत है और दो चार दुमंजिले , गीता ने बोला और उस के घर में भी छत थी, एकदम खुली हाँ सीढ़ी , दरवाजा था और छत पर मुंडेर थी, कमर से थोड़ी ऊपर. हाँ छत खूब बड़ी एकदम खुली, घर से सटे भी दो चार पक्के घर थे , और छत पे कभी बड़ी सुखाने तो कभी कपडे फ़ैलाने मैंआती तो अगल बगल की भाभियों से गप्प होती।


गीता छुटकी को दिन दहाड़े छत पे कैसे वो अपने भाई को ले गयी क्या हुआ सब बता रही थी।

और छत पे पहुँचते ही हल्का सा धक्का मार के भैया को उसने छत पे लिटा दिया और एक झटके में जांघिये का नाड़ा खोल दिया,...

" एक बात कहनी थी लेकिन तुझसे नहीं इससे,... "

और पहले तो हाथ में फिर मुंह में लेकर,... दो मिनट चूसने चुभलाने के बाद ही उसके भैया का खूंटा एकदम टनटना के खड़ा हो गया,... "

गीता तो स्कूल भी बिना चड्ढी और ब्रा के गयी थी, और अब तक माँ ने उसे अच्छी तरह सिखा दिया था की कैसे मरद के ऊपर चढ़ के चोदते हैं,... बस स्कर्ट कमर तक उठा के,सट्ट से उसने भैया का लंड घोंट लिया, चार पांच धक्के में और कभी झुक के अपने भैया को दुलार से चूम लेती तो कभी बदमाशी से उसके मेल टिट्स को कुतर लेती। पर उसका भाई क्यों छोड़ता और बहन चाहती भी नहीं थी बचना, उसने खुद अपने हाथ से अपना स्कूल का टॉप उतार के छत पे फेंक दिया और भैया के हाथ खुद पकड़ के अपने छोटे छोटे बस आते हुए उभरते हुए जोबन पर,

और अब कौन मर्द रुकता, भैया तो उसका खुद नंबरी चोदू, ऊपर से बहना उसकी उसके ऊपर चढ़ी , और गाली दे दे के और उसे उकसा रही थी,...

" अरे जरा जोर से धक्के लगा, वरना तेरी माँ चोद दूंगी " ऊपर से हचक के धक्के लगाते गीता ने उसे उकसाया।

" अरे स्साली भाई चोद, माँ तो तेरी रोज चोदता हूँ और वो भी तेरे सामने, तू क्या, चल अब सम्हाल मेरे धक्के,.. " नीचे से धक्के लगाता वो बोला।

और यही तो गीता चाहती थी,... नीचे से अब उसके तूफानी धक्के चालू हो गए,... और ऊपर से गीता भी कभी कमर गोल गोल घुमा के कभी सिर्फ आगे पीछे कर के , कभी धक्कों का जवाब धक्के से दे के,..



तभी एक दो मकान छोड़ के एक छत पे एक भौजाई अपनी साड़ी ( डारे पर सूख रही, पहनी हुयी नहीं ) उतारने छत पे आयीं, और वहीँ से उन्होंने गीता को देखा,... और जबरदस्त आँख मारी, और चुदाई का इशारा ऊँगली से किया। कोई भी समझदार देख के एक मिनट में समझ जाता जी गीता क्या कर रही है, और भौजाइयां इस गाँव को तो बिना नागा चुदवाती हैं, मर्द से नहीं तो देवर से। गीता ने भी चुम्मी लेके और आँख मार के उनके शक्क की पुष्टि कर दी।

आज स्कूल में जब बात फ़ैल गयी थी की वो चुदती है और जबरदस्त चुदती है तो भाभियों को तो सबसे पहले पता चल जाता है,... हाँ भैया छत पे लेटा था इसलिए उसे वो नहीं देख पायी होंगी।

पर बिना अपने धक्कों की रफ़्तार कम किये , गीता अपने भाई के साथ चुदवाती रही, ऊपर वही रही , भले दो बार झड़ी और फिर उसके भाई ने कटोरी भर मलाई उसकी बुर में निकाली , और उसके बाद वो थेथर होक वहीँ छत पे पड़ गयी पर वो भी जानती थी की आज तक ऐसा नहीं हुआ की भैया ने सिर्फ एक बार चोद के छोड़ दिया हो , हाँ अब जो भी करना था भैया को करना था और उसी ने किया।

पहले तो अपनी छत पे लेटी बहना की जाँघों के बीच आके, चुम्मी जो खुली जाँघों से शुरू हुयी वो सीधे बुर पे आके,... और फिर जीभ अंदर घुस के

पांच मिनट में ही बहन फिर से गरमा गयी और अबकी उसे निहुरा के, गीता छज्जे को पकड़ के निहुरी कर अब जबरदस्त धक्के उसका भैया मार रहा था , दूसरी बार कभी भी वो पंद्रह बीस मिनट से कम में और आज तो बीस मिनट से भी ज्यादा,...


जब तक दोनों नीचे गए,... माँ की गप्प गोष्ठी ख़तम हो गयी थी और वो खुद गाय भैसों का हाल देखने बाहर गयी थी.

गीता झट्ट से अपने कमरे में घुस के स्कूल के कपडे निकाल के घर वाले कपडे पहनने में लग गयी और भाई अपने कमरे में,...

" तो फिर तो पूरे गाँव में आप के बारे में,... " छुटकी ने मुस्कराते हुए पूछा।

" जितना न मेरे और अरविन्द भैया में जोड़ के गरमी है, उसके दूने से भी ज्यादा माँ गरमाई रहती थीं, और उन को लगता था, भाई अगर बहन को नहीं चोदेगा तो कौन चोदेगा, ओहमें कौन सरमाने , छुपाने क बात है, फिर गाँव जवार में तो सब कुछ,... और वो तो खुदे, गौना के पहले अपने एकलौते सगे भाई से गाभिन हो के आयी थीं, चुदवाने क बात तो छोडो,... तो वही,... हमसे ज्यादा तो वही,... " खिलखिलाती हुयी गीता ने छुटकी से कहा



"तो माँ ने क्या किया,... " छुटकी जानने को बेताब थी,...



" अरे माँ ने नहीं,शुरुआत तो हमीं किये, लेकिन माँ उसको और,... बचपन से हमारी आदत थी, जो काम भइया करता वो करने की जिद मैं भी करती, आखिर ढाई तीन साल की छुटाई बड़ाई,... उसके लिए साइकिल आयी तो मैं भी उसी की तरह कैंची चला के,... तो रोज सुबह,... भैया रोपनी पे चला जाता था मुंह अँधेरे सब रोपनी वालियों को काम पे लगाने, कितनी आयीं नहीं आयीं , कौन से खेत में आज होना, फुलवा क माई ले आती थी रोपनी वालियों को बटोर के,... तो मैं भी जिद करने लगी की मैं भी जाउंगी भैया के साथ,... तो माँ ने मना नहीं किया बल्कि बोलीं की तू फुलवा की माई को नहीं जानती तुझे भी रोपनी पे लगा देगी,... लेकिन अच्छा है न खेती बाड़ी का काम भी,... "



"तो ",छुटकी से रहा नहीं गया फास्ट फारवर्ड करने के लिए वो बोली,...



" बस अगले दिन मैं भी सुबह मुंह अँधेरे, सूरज अभी निकला भी नहीं था चाँद ठीक से डूबा भी नहीं था, हाँ,... माँ ने मुझे पहनने के लिए अपनी एक बड़ी पुरानी घिसी साड़ी दी, की पानी मैं घुसना पडेगा , कीचड़ माटी लगेगी,... और ब्लाउज तो मेरे सिल ही गए थे,... "



उसके बाद गीता ने रोपनी का हाल बयान किया
लगता है गितवा भी गाभिन होके ससुराल जाएगी...
लेकिन गीता की सहेलियां भी गरमा गई होंगी...
तो क्या फिर हाथों से रगड़ के हीं... या कोई और इंतजाम किया...
आखिर गितवा से बरदाश्त नहीं हुआ और दिन-दहाड़े घर में सबके होते हुए भी...
या फिर सहेलियां भी अपने-अपने घर ... अपना-अपना इंतजाम...
 

motaalund

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एक बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है

komaalrani ' g​

मजा आ गया
अपडेट थोड़े छोटे थे...
लेकिन मस्ती में बाकी सब से कम नहीं...
बल्कि बढ़-चढ़ कर...
 

pprsprs0

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चढ़ गयी माँ बेटे पर



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" माँ, एक बार आप चढ़ जाओ न फिर आप को देख के मैं भी सीख जाउंगी,... " लेकिन माँ उसके पीछे पड़ी रही आखिर तय ये हुआ की गीता पहले एक बार ट्राई करेगी , अगर उससे नहीं हुआ तो माँ खुद चढ़ के , अंदर ले के उसे दिखाएगी, लेकिन सिर्फ अंदर लेगी चुदवायेगी नहीं,

गीता जानती थी की भैया का मस्त लंड सिर्फ एक बार घुसने की देर है कौन लौंडिया फिर टांग सिकोड़ सकती है, माँ तो खूब खेली खायी, घाट घाट की पानी पी , अपने भैया को नहीं मना की तो मेरे भैया को क्यों मना करेगी। '

वो चढ़ी तो पांच मिनट कोशिश भी हुयी,... पर भाई बहन की लगी सधी, आज तो असली शिकार माँ का होना था,.. कभी वो ठीक से सटाती नहीं, खुद छेद चिपका लेती, तो कभी भाई खुद उसका अपनी कमर हिला के सरका देता,... और

माँ चढ़ी,


और गीता को समझाती रही देख ऐसी अपनी बुरिया को फैलाना चाहिए , ऐसे सटाओ और कमर के जोर से , दोनों हाथ से कंधे को पकड़ के कस के धक्का लगाओ ,



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अबकी उनके बेटे ने माँ की कमर कस के पकड़ लिया था और उनके धक्के के साथ उसने जोर का ऊपर पुश किया,

गप्पाक से सुपाड़ा पूरा अंदर चला गया,... और


अब गीता ने भी खेल ज्वाइन कर लिया,... उसने माँ के दोनों कंधे कस के दबोच लिए , बेटी ने कंधे पकडे थे, बेटे ने कमर, जबतक माँ समझती लंड आधे से ज्यादा अंदर,...

और गीता माँ के कान में बुदबुदा रही थी , "माँ बस थोड़ी देर पांच मिनट मैं अच्छी तरह सीख जाऊं ने देख देख के , प्लीज माँ , "

अच्छा तो उन्हें भी लग रहा था, इत्ते दिन बाद ऐसा मस्त जवान लंड भोंसडे में घुसा था, भोंसडे से एक दम चूत बना दिया था,... और दो टीनेजर्स की ताकत वो चाह के भी नहीं उठ सकती थीं , और सच बोलिये तो चाह भी नहीं रही थीं,

थोड़ी देर में चुदाई फुल स्पीड में हो गयी और वो भूल गयीं की उनके नीचे कौन लेटा है और जैसे वो गीता के फूफा और मौसा से गरिया गरिया के चुदवाती थीं बस उसी तरह से,...

" अबे स्साले लगा जांगर, का कुल ताकत अपनी बहिनी के बिलिया में डाल आये हो या रोपनी वालों की ताल पोखरिया में



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बस इतना कहना काफी थी, जैसे अरबी घोड़े को कोई ऐड लगा दे और वो चेतक बन जाए, क्या जबरदस्त धक्के नीचे से कमर उछाल उछाल के मारना उसने शुरू कर दिया, लेकिन उसके ऊपर चढ़ी कोई नहीं बछेड़ी नहीं, उसके मामा से चुदी, खुद उसकी,... वो हर धक्के का जवाब धक्के से,... कभी झुक के बड़ी बड़ी चूँचियाँ उसके चौड़ी छाती से रगड़ देतीं और वो किशोर सिहर जाता,...

लेकिन साथ में वो सिखा भी रही थी, ...


हाँ ठीक है मान गयी बहुत ताकत है , अब थोड़ा धीरे,.. अरे पागल सबसे पहले जिसको चोद रहे उससे बाकी मज़ा भी लो , बाकी मज़ा भी दो , चल पहले एक हाथ से चूँची पकड़ के दबा, अरे कस, कउनो टिकोरे वाली नहीं है ऊपर तोहार, ... अरे दो दो हाथ है न ,..

और खुद उसका हाथ पकड़ के अपने क्लिट पे , चल एक साथ निपल और यहाँ एक साथ रगड़ पहले धीरे धीरे फिर कस कस के , कउनो औरत पागल हो जायेगी,...



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सीखने के मामले में बेटा उनका बहुत तेज था, और धीरे धीरे उसने जैसे जैसे कहा जा रहा था,वैसे ही साथ में सांड़ से तगड़े धक्के,.. माँ भूल गयीं की वो सिर्फ अपनी बेटी को विपरीत रति सिखाने के लिए इसके ऊपर चढ़ीं थीं। गीता ने कब का अपना हाथ उनके कंधे पर से हटा लिया था और वो खुद अपने जोर से धक्के लगा रही थीं, दस मिनट से ऊपर हो गया था,

और कुछ देर में ही वो काँप रही थी , देह हिल रही थी। गीता ने पहचान लिया बस उसने भी पीछे से पकड़ के बड़े बड़े जोबन का रस लेना, होंठों को चूमना चूसना शुरू कर दिया, माँ ने खुद अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और गीता कस कस के चूस रही थी ,



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वो बार बार झड़ रही थीं , नीचे से खूंटा जड़ तक घुसा था , हाँ धक्के रुक गए थे, एक बार झड़ना रुकता तो दूसरी बार. कुछ ही देर में वो थेथर हो गयी थीं फिर गीता ने उन्हें पकड़ के उस लम्बे भाले पर से उतारा,... वो कटे पेड़ की तरह पलंग पर बेटे के बगल में पड़ पर गिर गयी पर तारीफ़ की निगाह से अपने बेटे को देख रहा था , ...

क़ुतुब मीनार पे अब बहन के चढ़ने की बारी थी ,


पर थोड़ी देर में उनका बेटा, उसे तो बहन को निहुरा के पेलने में मजा आता था, तो वहीँ पलंग पे निहुरा के हचक हचक के चोदना शुरू कर दिया।


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और झड़ा बहन की बुर में ही।

बहन को दो बार अच्छी तरह से झाड़ के

लेकिन छुटकी के मन तो कुछ और ही चल रहा था , उसने गीता से पूछ लिया
"तो माँ बेटे की चुदाई फिर तो चालू हो गयी होगी। "


अच्छा तो उन्हें भी लग रहा था, इत्ते दिन बाद ऐसा मस्त जवान लंड भोंसडे में घुसा था,

“” भोंसडे से एक दम चूत बना दिया था,.””

.. और दो टीनेजर्स की ताकत वो चाह के भी नहीं उठ सकती थीं , और सच बोलिये तो चाह भी नहीं रही थीं,

“”

Waaaaah kyaa likha hai komaalrani ji maza aa gaya
 
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