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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Premkumar65

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भाग ३८


मेरे पास माँ है- इनसेस्ट् कथा गीता और अरविंद की



भैया और मुझे भी लग रहा था , माँ को भी लगने लगा, बहुत चोर सिपाही हो गया , अब असली खेल घुस्सम घुसाई वाला होना चाहिए ,... मैं माँ का इशारा समझ के पलंग पे पीठ के बल लेट गयी, और टाँगे उठाने लगी,... लेकिन तभी माँ की डांट पड़ी,...



"ऐसे नहीं, चल पेट के बल लेट, टाँगे नीची,..."




और मैं पेट के बल, ...


मेरी दोनों टाँगे फर्श पे बस छू रहीं थी,... माँ ने पलंग पे जितनी तकिया रखी थीं, सब मेर पेट के नीचे लगा के मेरा पिछवाड़ा ऊंचा कर दिया था, जिससे मेरे पैर फर्श पे बस,... मान गयी मैं माँ को,अब जो भैया धक्के मारेगा, सब तकिये पे जोर पडेगा, ... वो मारता भी था कस कस के बहुत, बस जान नहीं निकलती थी,...

माँ सिरहाने आके मेरे सर के पास बैठ गयी, दोनों अपनी टाँगे फैला के, वो अब बस पेटीकोट पहनी थी वो भी घुटने के बहुत ऊपर सरका, समझो कमर के पास सरका, सिमटा, हम दोनों के कपडे तो पहले से ही उतरे,... माँ बहुत दुलार से मेरा सर सहला रही थी, ऊँगली मेरे बालों में घुमा रही थी, और मेरे मुंह को अपनी गोद में दुबका के,... फिर झुक के हलके से बोली,...

" माँ के पेटीकोट का नाड़ा खोलने का हक़ वैसे तो बेटे का पहले है,लेकिन तू कौन बेटे से कम है, चल खोल दे,... "



और खुद मेरा हाथ पकड़ के माँ ने अपने नाड़े पर,... मुझे मालूम था,...वो नाड़ा डबल गाँठ बांध के उसे एकदम अंदर खोस लेती थी, और उस की देखादेखी मैं भी शलवार और चड्ढी का नाड़ा वैसे ही बाँधने लगी थी की कभी मज़ाक मजाक में कोई भौजाई या सहेली न,...



थोड़ी देर में उसका पेटीकोट भी सरक के फर्श पे,...

और माँ ने मेरा मुंह खिंच के सीधे अपनी जाँघों के बीच,

कितनी बार मैं अपनी सहेलियों या गाँव की भौजाइयों के साथ , .... मैं समझ गयी,.. माँ ने जाँघे पूरी फैला ली थी और खुद उन्होंने खींच सीधे वहीँ, खूब मोटी मोटी फांके थी, झांटे थीं लेकिन हलकी,



कस के उन्होंने मेरे सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ के अपनी बुर पे मेरे होंठों को दबा रखा था,...

मैं चुसूर चुसूर चूस रही थी।

बहुत अच्छा लग रहा था,...

तभी भैया ने मेरी दोनों टांगो को फैला के सटाने की कोशिश ही की की माँ की आवाज गरजी,

" मैं तो सोच रही थी ये मेरी दुलारी बेटी ही बेवकूफ है, लेकिन तुम भी कम घोंचू नहीं हो,... अबे, स्साले, रंडी के,... तेरी बहन की बुर तेरी मलाई से बजबजा रही है , ऐसे में इसकी मारेगा तो न तो इसको मजा आएगा , न तुझे, कुछ भी नहीं समझ में आता क्या,... "




बचपन से जब भी माँ मेरे सामने भैया को डांटती थी, मुझे बहुत मजा आता था, और आज भी मारे खुसी के मैं कस कस के माँ की चूसने लगी,..

भैया कोई कपड़ा ढूंढ रहा था, माँ का ब्लाउज ही उसके हाथ लगा, माँ ने हामी भरा ठीक है, चल साफ़ कर,...

भैया ने ऊँगली में लपेट के मेरी बिल में धीरे धीरे डाल के दाएं बांये रगड़ रगड़ के, फिर बाहर निकाल के माँ को दिखाया, उसके ब्लाउज में भैया की मलाई, ...

अच्छी तरह से,...

" अरे चार पांच बार और कर,... फिर इसके दुसरे ओर से, एक बूँद भी अंदर बचना नहीं चाहिए, चाहे तेरी मलाई हो या इसकी चासनी एकदम सूखा कर दो,...

दो चार मिनट के बाद माँ ने हामी में सर हिलाया,

पर साथ ही अपनी दोनों टाँगे माँ ने मेरी पीठ के ऊपर कर के कस के जकड़ लिया, दोनों हाथों से मेरे सर को एक बार फिर कस के अपनी जाँघों के बीच में सटा लिया,... और उसी समय भैया ने कस के धक्का मारा, और एक झटके में वो मोटा सुपाड़ा मेरे अंदर,...

जैसे कोई मोटा लोहे का रॉड घुस गया हो, मैंने और माँ ने उसे जितना गरम किया था वो एकदम स्टील ऐसा कड़ा,...

और मुझे लगा जैसे मेरा चमड़ा छील गया हो , पहली बार जब भैया ने पेला था तो अच्छी तरह से सीधे बोतल से मेरी बिल में सरसों का तेल पिलाया था , आधी बोतल, और खुद भी उसके बाद हर बार उसकी मलाई भी रहती थी , आज सुबह से दो बार मैं खुद तेल अंदर तक लगा चुकी थी और तीन बार की मलाई भी थी ,

लेकिन कपडा अंदर डाल के सुखाने से चूत एकदम सूखी हो गयी,

लग रहा था मेरी चमड़ी छिल गयी हो,...

दूसरा टाइम होता तो मैं जोर से चीखती, पलंग पे उछल पड़ती , पर आज माँ की मोटी मोटी जाँघों के बीच मेरा सर फंसा था चीखें घुट के रह गयी, और माँ के पैरों की पकड़ इतनी कस के मेरी पीठ पे थी,...
Ohhh Komal ji you are superb. I thought with arrival of mother the bro- Sis action will end but your twist to involve mom to teach the children is out of the box. Great going.
 

Shetan

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Premkumar65

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बेटा /बेटी किसके

( बाप के /की माँ के ?)



लेकिन फिर गीता का उदास चेहरा देख के माँ ने उसे दुलार से गले लगा लिया और चूमते हुए बोलीं,

" अरे स्साली काहें कुम्हला रही है, तू मेरी कोख से पैदा हुई मेरी बेटी है और तेरा भाई मेरी कोख से जन्मा, मेरा बेटा,... तो तू भाईचोद और तेरा भाई बहनचोद,... "

और माँ ने वो लॉजिक दिया जिसकी काट नहीं थी, दुलराते,चूमते अपनी बिटिया की कच्ची अमिया सहलाते बोलीं,

" अच्छा बता, तुझे दही जमाना है , दूध रखा है लेकिन घर की दही का जामन नहीं बचा, कोई बिल्ली चाट गयी, पर दही जमाना जरूरी है तो का करेगी तू "




" अरी माँ, ये भी कोई बात है , ग्वालिन भौजी या चाची या आस पड़ोस से जामन मांग लूंगी, अरे कटोरी भर भी तो नहीं होता, चम्मच दो चम्मच बहुत है जमाने के लिए "

खिलखिलाते हुए गीता ने जवाब दिया, गाँव की लड़की, दही जमाना रोज का काम।




" अच्छा, सेर भर दही आपन कहतरी में जमाय ली, लेकिन जउने पड़ोसिन से जामन मांग के लायी थी, वो आ जाए और कहे की ये दही तो हमरे जामन का है, कुल दही हमको दो "




माँ ने बड़ी सीरियसली पूछा।

" अरे वाह," तमक के गीता बोली,


" अरे एक चम्मच जामन ले आयी थी दो चम्मच ले लें , कटोरी भर ले ले, ...




कहतरी हमारी, दूध हमार, अंजुली भर जामन से दही उनका, ... ये कैसे "



माँ खिलखिलाने लगी फिर प्यार से उसे चिपका के बोलीं,
" यही तो, तेरे लिए चम्मच भर जामन,चाहे तेरे चाचा का, फूफा का हो, मामा का हो, लेकिन कहतरी तो हमारी है, ... "उस पेट को, सहलाते जिसमे गीता और उसका भाई ९ महीने थीं,... वो बोलीं और जोड़ा दूध भी हमारा, तो जरा सा जामन कहीं से मैं लूँ क्या फर्क पड़ता है "




गीता समझ गयी माँ की लॉजिक और दुलार से उनकी गोद में चिपक गयी, रिश्ता तो माँ का ही है।

माँ ने अब बात और आगे बढ़ाई

" देखो कुछ बातें औरतें ही समझ सकती हैं इसलिए ये सब माँ बेटी की बात हैं किसी भी मरद के दिमाग में नहीं घुसतीं, बिधना उसे बनाये ही नहीं ऐसे, अच्छा चलो एक बात बताओ , जब तू हमरे पेट में आयी तो नौ महीने कहाँ रही "

गीता ने दुलराते हुए माँ के गोरे गोरे चिकने पेट को सहलाते हुए खिलखिला के कहा,

" यहाँ,... "



" और पेट के अंदर से जो लात चलाती थी, कौन सहती थी ? तेरी दादी पेट छू के खूब खुश होक चिढ़ाते बता देती थीं , बहु बिटिया होगी इतना लात चला रही होगी,... बहुते चंचल होगी, कुलच्छिनी "

और मैं हंस के कहती थी हाँ सासू जी एकदम अपनी बुआ पे पड़ेगी। कदम घर में नहीं टिकेगा। इस घर की बेटी, इस घर की बेटी की तरह होगी। और दादी बहुत खुश, हम ननद भौजाई की छेड़छाड़ में वो बहू का ही साथ लेती थीं आखिर वो भी इस गाँव की बहू थीं , मेरी तरह बेटी थोड़ी थीं। अच्छा ये बता की जब तू पैदा हुयी तो दर्द किसको हुआ मुझको या तेरे बाऊ जी को ,... "



" आपको " बड़ी बड़ी आँखों से बेटी ने माँ को देखते हुए कहा।

" और पूरे दो साल चुसूर चुसूर दूध कौन पिलाया , मैं की तोहरे बुआ के खसम तोहार बाऊ " हँसते हुए माँ ने फिर पूछा।

" माँ ने "

तो अब सोच के बताओ , नौ महीने मेरे पेट में रही , दर्द हमको हुआ , दूध हमने पिलाया , और सब बिसरा के माँ नहीं बाउ जी ,... साफ़ साफ़ बोल, किसकी बेटी है माँ की या बाप की,... "

और अब गीता ने माँ को चिपका लिया और कान में बोली माँ की।



लेकिन माँ का एक सवाल बचा था , और उन्होंने वो पूछ लिया,

" और तीन साल पहले जो तुझे खून खच्चर चालू हुआ,... तो रोती घबड़ाती किसके पास आयी "

" माँ आप के पास " अब गीता एकदम माँ की गोद में आ गयी थी , ...

और माँ उसे समझा रही थी, सुन कुछ बातें ऐसी होती हैं , औरतों के तन मन की बात जो सिर्फ और सिर्फ औरतें ही समझ पाती हैं एक दूसरे से सुख दुःख कह पाती हैं,



लेकिन माँ को लगा बड़ी सीरियस बातें हो गयी और उन्होंने ट्रैक बदला

माँ ने अब छेड़ते हुए गीता के गाल पे चिकोटी काट के चिढ़ाया,



" समझी छिनरो, चूतमरानो ,.... तुम और तेरा भाई इसी कोख में से निकला है , इसलिए तुम दोनों सगे हो, बाप चाहे जो हो. और इसलिए, तेरा भाई अपनी बहन को चोद के बहन चोद है और तू अपने भाई से चुदवा चुदवा के पक्की भाईचोद हो। "





गीता भी तो उन्ही की बेटी थी, माँ को चूमते बोलीं,...

" हे मेरे भाई को कुछ मत बोलना, जल्द ही मादरचोद भी बन जायेगा, घबड़ा काहें रही है तू। "

माँ ने चुम्मी का जवाब और कस के गाल काटते बोला,

" उस स्साले, तेरे बहनचोद भाई की हिम्मत ही नहीं है, मादरचोद बनने की।"

" अरे इस का दीवाना है वो "

गीता ने माँ के आँचल को ढलकाते हुए कहा, ...

" मुझे मालूम है, .. जिस तरह से चोरी से छिप छिप के देखता है , कित्ती बार मैंने देखा है और उसका पजामे में खूंटा खड़ा हो जाता है , लेकिन स्साले की हिम्मत ही नहीं है सिवाय मेरी बेटी को चोदने की,... "





" अरे माँ, बेटी तुम्हारी है तुम पे गयी है , तुम भी तो कुंवारेपन में मामा से ही फड़वायी थी,... तो,…

लेकिन मेरा भाई देखिये जल्द ही बहनचोद से मादरचोद बनेगा , "



माँ ने बात बदलने की कोशिश की की मुंह से क्या निकल जाये और कहने लगी तू कह रही थी न जब तू पेट में आयी होली की रात तो उस दिन मेरी बड़ी रगड़ाई हुयी थी , लेकिन असली रगड़ाई तो एक साल पहले मायके की होली में हो चुकी थी। "

गीता ने उत्सुकता से पूछा और माँ ने शादी के बाद की दूसरी होली का जिक्र शुरू कर दिया था। पहली होली में तो वो सौरी में थी , छट्टी भी नहीं हुयी थी, बेटा हुआ था, इसलिए वो देवरों से बची रहीं। और दूसरी होली में रस्म के मुताबिक़ अपने मायके में थी,

और माँ ने शुरू किया होली का किस्सा
What a great logic Komalji. Jaman kisika ho. Dahi to mera hai........!
 

komaalrani

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T
Ohhh Komal ji you are superb. I thought with arrival of mother the bro- Sis action will end but your twist to involve mom to teach the children is out of the box. Great going.
Thanks, yes it was a twist in story and it pushed story to a new direction. Problem in such stories is that they become repetitive, and sex becomes mechanical. to avoid that, bring variety and spice i try to make some twists and turns,... and it is great that you like it.
 

komaalrani

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What a great logic Komalji. Jaman kisika ho. Dahi to mera hai........!
Thanks ek uljhe hue mamale ko maine suljhaane ki koshish ki hai typcial gaaon ke logic se
 

komaalrani

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Besabri se intjar......bhar bhar ke
Bas ek din aur parson pakka post karungi
 

Premkumar65

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रनिंग कमेंट्री



लेकिन भाई इत्ते से संतुष्ट नहीं था , बहन को पूरा मजा देना था। बस उसने गाँड़ में मूसल धकेलने के साथ बहिन की कसी बुर में भी एक साथ दो ऊँगली ठेल दी. गीता और जोर से चीखी, भैया थोड़ा थोड़ा सा निकाल दो,... कौन भाई निकालता है,... ऐसी स्कूल में पढ़ने वाली कमसिन बहिन की गांड में धंसा लंड बिना झड़े, तो उसने भी नहीं निकाला और बल्कि कचकचा के गाल काटते हुए उसके कान में फुसफुसाया,...

" बोल स्साली, का निकालना है , कहाँ से निकालना है , मैं का कर रहा हूँ , खूब जोर जोर से वरना अभी तो कुछ नहीं , ... और ये कह के उसकी छोटी छोटी बस आती हुयी चूँची के ऊपरी हिस्से में इत्ते कस के दांत गड़ाए की दूर से निशान दिखते,

और गीता ने जोर से बोला,

"भैया मेरी गाँड़ में से लंड निकाल लो बहुत पिरा रहा है , भले ही बुर चोद लो। "



" ये तो बोल मैं का कर रहा हूँ,... " भाई ने फिर धीरे बोल के उसे उकसाया ,

" ओह्ह भैया आज कैसे गाँड़ मार रहे हो , बहुत पिरा रही है ,... "

और भाई ने टांगों की पकड़ उसकी टांगों पर ढीली कर दी , दर्द कम हो गया , ... और गीताअब बिना इस बात की चिंता किये,... की बाहर सहेलियां कान पारे बैठीं होगी, उसकी चल रही चुदाई का हाल जानने के लिए, खुद रनिंग कमेंट्री कर रही थी,

" ओह्ह उफ़ भैया, अबे स्साले तेरा लंड कितना मोटा है, गदहे ऐसा एकदम, जरा हलके हलके गाँड़ मार, ओह्ह भैया हाँ ऐसे ही , रुक जाओ बस एक मिनट,... "

उसका भाई अरविन्द भी जान रहा था की आज उसकी बहिन और उसका नाम, बहन के स्कूल में फ़ैल जाएगा और इसलिए वो और हचक ह्च्चक के अपनी बहनिया को इस तरह पेल रहा था की आज दिन भर अपने स्कूल में वो सीधे न चल सके और उसके स्कूल की सब लड़कियों को बिन बोले पता चल जाए की गितवा की गाँड़ खूब मोटे लंड से हचक के मारी गयी है,

पर उसका भाई अरविन्द, आज चुदने के बाद बहन पहली बार स्कूल जा रही थी तो चूत रानी को भी परसाद दिए बिना,... तो अपनी कभी दो तो कभी तीन उँगलियों से कस कस के चोद रहा था, और बहन उसके लिए भी सिसक रही थी. अरविन्द उसका भाई जानता था की उसकी बहिन की सारी सहेलियां उससे मरवाने के लिए मरती थीं, और सहेलियां ही क्यों, एक दो बार अपनी बहन के स्कूल में गया था, उसकी कसरती जवान देह देख के उसकी टीचरें भी उसे दिखा दिखा के अपनी चूचियां मसलती थीं.

गाँड़ में लग रहे धक्के खूब तूफानी थे, गीता कभी रोती बिसूरती तो कभी अपने भैया के धक्कों से सिसकती।



और कुछ देर बाद अरविन्द , गीता के भाई ने उसे रसोई के फर्श पे जमीन पे पीठ के बल लिटा दिया, लेकिन लंड अभी भी गाँड़ में धंसा था और तीन उँगलियाँ बुर में , कुछ देर में ही गीता झड़ने लगी और उसकी बदली आवाज सुन के बाहर खड़ी उसकी सहेलियां समझ गयीं सब खेली खायी थीं और अब आज उनकी सहेली भी उन्ही की गोल में ,... और उन सहेलियों के साथ गीता की माँ भी समझ गयी, अब खेल किनारे पे है, वो बोलीं,

" देखूं गितवा कहाँ इतना टाइम लगा रही है,... " और वो अंदर पहुँच गयीं,

उस समय तक गीता का भाई भी अपनी बहन की मोटी मोटी गाँड़ में कटोरी भर मलाई छोड़ रहा था ,





माँ उससे कुछ कहतीं उससे पहले वो समझ गया और बाकी बचा रस सीधे गाँड़ से निकाल के बहन के गोरे गोरे चेहरे पे, ... "

माँ यही तो चाहती थी आज बेटी की सब शरम लाज उसकी गाँड़ में घुस जायेगी, फिर वो खुल् के उनके बेटे से मरवायेगी।

उन्होंने खींच के दोनों को अलग किया और गीता को हड़काते हुए बोलीं,

" अरे तुझे स्कूल जाना है की नहीं , आज तो वैसे ही जल्दी छुट्टी हो जाएगी लौट के चुदवा लेना। कब से तेरी सहेलियां बाट देख रही हैं "

लेकिन गीता की निगाह अपनी चड्ढी पर थी जो नहीं मिल रही थी।

" माँ, चड्ढी नहीं दिख रही है , उसके बिना,... "

" उसके बिना क्या,... अरे स्कर्ट तो है तेरी , सब ढका छिपा है और फिर लड़कियों का स्कूल है सबकी स्कर्ट के नीचे वही बुर और गांड है , जल्दी जा , ज्यादा देर हो गई तो वो छिनार तेरी बड़ी मास्टराइन , मुर्गा बना देगी , सब तोपा ढँका बराबर हो जायेगा भाग छिनार जल्दी। "



माँ ने जोर से डांटा और पकड़ के खड़ा किया , गीता के पिछवाड़े जोर से चिलख मची थी जैसे किसी ने मोटी खपच्ची ठोंक दी हो और वो अभी तक घुसी हो।

किसी तरह दीवाल का सहारा लेकर वो खड़ी हुयी , एक हाथ दीवाल पे दूसरा माँ के कंधे पे,... किसी तरह आड़े तिरछे चलते , कहरते घर से बाहर निकली की उसे याद आया की उसके चेहरे पर तो उसके भाई की रबड़ी मलाई,

लेकिन माँ ने उसे भी साफ़ करने से मना कर दिया,

" अरे चल तेरी दोस्त ही तो हैं , वो सब की सब चुदवाती होंगी,... उनसे क्या और रास्ते में पोंछ लेना ,"




पहुँचते ही एक सहेली ने उसे सहारा दिया दूसरे ने उसका बस्ता ले लिया, और तीसरी ने रास्ते में चेहरे पर से मलाई अपनी उँगलियों से साफ़ कर के अपनी बाकी सहेलियों को भी चिखाया ,और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं


चल बिन्नो बहुत देर हो रही है। "

और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
" तोर भयवा नम्बरी चोदू लगता है, स्साले ने तेरी गाँड़ फाड़ के रख दी,... "

तीसरकी बोली, गीता स्साली कमीनी रोज हम लोगों का किस्सा सुनती थी आज अपना सुनाओ और जरा भी कैंची लगाया न तो स्साली तेरी गाँड़ दुबारा फाड़ दूँगी।




ये वही थी जिसकी चूत उसकी भाभी ने इसी साल होली में भांग पिला के फड़वायी थी और शाम को भाभी के मायके के दो भाई लगने वालों ने भी मुंह लगा के खूब रस लिया और तब से कभी नागा नहीं होता। इस समय आधे दर्जन से ऊपर उसके यार थे और रोज चार पांच चढ़ते थे , इसी की भाभी ने गीता को समझाया चढ़ाया था की वो अपने सगे भाई अरविन्द के सामने टांग फैला दे, उससे मस्त मर्द उसे नहीं मिलेगा, झिल्ली फड़वाने के लिए और फिर घर की बात घर में।

घोंट तीनो चुकी थी और एक का नहीं कितनों का तो सबने पहला सवाल यही किया


' कितना बड़ा है तेरे भैया का '
what a wonderful writing Komalji. The family keeps planning new new tricks to expand their horizon. Kudos to you.
 
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