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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Premkumar65

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भाग २१ छुटकी पर चढ़ाई - और जो थोड़ी बहुत उम्मीद बची थी, उसपर मेरी सास ने न सिर्फ दरवाजा बंद कर दिया बल्कि मोटा सा भुन्नासी ताला भी लगा दिया,... ननद की बात के जवाब में छुटकी की ओर से वो बोलीं, " अरे मेरी छुटकी बेटी को समझती क्या हो, डरती है क्या किसी से.... अभी देखो,... क्यों " और उन्होंने बॉल मेरे पाले में डाल दी. बेचारी छुटकी कभी मुझे देखती कभी मेरी सास को,... और मुझे जल्द फैसला लेना था, पहली बात सास की बात, वो भी सबके सामने काटने की मैं सोच भी नहीं सकती थी, फिर मैंने सोचा सास को अपने साथ मिलाने के बड़े फायदे हैं, पहली बात तो तुरंत ही, कल ननद भौजाई का जो मैच होगा उसमें जज वही होंगी,... और थोड़ा बहुत मैच फिक्सिंग,... फिर अब घर में भी जेठानी और छुटकी ननदिया तो जेठ जी के पास चली गयी हैं साल में कभी कभार छुट्टी छपाटी, लौटेंगी ... और ये ननद नन्दोई भी चार पांच दिन में, ... फिर तो घर में मैं, मेरी छोटी बहिन, उसके जीजा,... और मेरी सास ही रहेंगी, ... मैं सोच रही थी सास जी के बारे में और मेरी चमकी, बहुत सी बड़ी उमर की औरतों को कुछ करने करवाने से ज्यादा मज़ा आता है,.. देखने में,.... और जिस पर चढ़ाई हो रही हो , वोएकदम कच्ची उमर वाली, कच्चे टिकोरों वाली हो हो कहना ही क्या, फिर छुटकी को देख के सबसे ज्यादा आँखे उन्ही की चमकी थी, उसे साथ ले के अपने कमरे में चली गयीं थी,... तो उसकी कच्ची अमिया उनके सामने कुतरी जाए , ये देखने का मन उनका कर रहा होगा मैंने एक पल ननद जी की और उनके भैया की ओर देखा, और मुझे लगा की अगर आज सबके सामने , अपनी माँ के सामने ये खुल के मेरी बहन की चुदाई करेंगे तो इनकी जो भी झिझक है और ननद जी की भी वो सब निकल जायेगी, फिर एक दो दिन में मैं इनकी बहन के ऊपर इसी घर में अपने सामने चढ़ाउंगी, तब आएगा असली मज़ा. जो मजा ननद के ऊपर भौजाई को अपने सामने ननद के सगे भाई को चढ़ाने में आता है न उसके आगे कोई भी मजा फेल है। बस ये सब सोच के मैंने अपनी सास का साथ दिया,... " एकदम, क्यों डरेगी और किससे डरेगी, बड़ी बहादुर है मेरी छुटकी बस अभी थोड़ी देर में,... " छुटकी ने कुछ बोलने की कोशिश की तो मैंने समझा दिया अरे मैं रहूंगी न तेरे साथ, ... और अबकी मेरी सास ने भी उसका साथ दिया,... हाँ मैच शुरू होने के पहले मैंने कुछ शर्तें ननद औरसास से मनवा ली, वो क्या थीं, मौके पर बताउंगी। और एक बात और रीतू भाभी ने जो सूखी गाँड़ मारने की शर्त रखी थी, वो तो सिर्फ पहली बार के लिए थी, फटने के लिए, ... और फट तो चुकी ही थी उसकी इसलिए अब तो कोई भी चिकनाई उसको लगा सकती थी मैं, दूसरे नन्दोई जी ने जो कटोरी भर मलाई उसकी कच्ची गाँड़ में डाली थी उससे भी तो पिछवाड़े का छेद कुछ कुछ चिकना हो चुका होगा,... बीच आँगन में ननद रानी ने गद्दे बिछा दिया, पर छुटकी बिचक रही थी, पर मैंने उसे बहलाया फुसलाया , चुम्मी ली , उसकी छोटी छोटी चूँचिया दबायी,... मुझे उसके देह की एक एक बटन मालूम थी , ट्रेन में तो इनके सामने हम दोनों ने खूब लेस्बो सेक्स कर के उसके जीजा को खूब ललचाया था तो बस फिर से वही, " अरे चल थोड़ी देर हम दोनों मजा लेते है न , उसमें तो नहीं दर्द होगा तुझे न,... " मैंने समझाया उसे और थोड़ी देर में हम दोनों आंगन में सिक्स्टी नाइन वाली पोज में थे, रीतू भाभी, मिश्राइन भाभी और मोहल्ले की भाभियों ने कब का छुटकी को चूत चूसने की तगड़ी ट्रेनिंग दे दी थी , और हम दोनों एक दूसरे की चूत चूसने में लगे थे , पर झाड़ने की जल्दी न मुझे थी न उसे। छुटकी की फांके अभी एकदम चिपकी थीं, एक दो बार ही तो उसमें मूसल घुसा था, कस के एक दूसरे को पकडे जैसे सहेलियां बिछुड़ने के डर से गलबहिंया बाँध के बैठी हों, रस तो इतना छलक रहा था की संतरे की फांके झूठ,... लेकिन मेरी जीभ ने वहां छुआ भी नहीं , बस जाँघों पर उसके आसपास, हाँ मेरे तगड़े हाथों ने कस के उसकी जाँघों को न सिर्फ फैला दिया बल्कि टाँगे उठा भी दी, और मेरी सास जो बगल में ही बैठीं थी, एक दो तकिये छुटकी के चूतड़ के नीचे भी लगा के खूब उठा दिए, मेरी जीभ और उँगलियाँ बस उस कुँवारी के रस कूप के आस पास, और थोड़ी ही देर में वो रसकूप रस से भर गया, रस छलकने लगा , पर मैंने उसे तड़पने दिया, मैं जानती आज असली हमला तो कहीं और होना है,... तो बस जीभ की टिप थोड़ा और नीचे,... गोलकुंडा के गोल गोल दरवाजे पर जो आज ही थोड़ी देर पहले आम की बगिया में खुला था, जहाँ मेरे प्यारे दुलारे ननदोई का मोटा मूसल खूब जम के चला था, और जीभ की टिप नहीं नहीं गोलकुंडा के गोल कुंवे के अंदर नहीं, बस कुंवे के चारो ओर बनी चौड़ी जगत पर, कभी जीभ की टिप छू देती , कभी रगड़ देती कभी बस सहला देती, वो पिछवाड़े वाला छेद अब बुदबुदा रहा था, हलके हलके सिकुड़ता, फैलता,... और जैसे कोई दरवाजे की कुण्डी खटका के बच्चा भाग जाए, बस उसी तरह मेरी जीभ भी, चित्तौड़गढ़ के दरवाजे पर सांकल खटखटा के , एकदम से हट गयी, और फिर छोटे छोटे चुम्मे उस लौंडा छाप चूतड़ों पे,... नहीं मैंने उस रस कूप को नहीं छोड़ दिया था , मेरी कोमल कोमल उंगलिया,... उस संतरे की रस से भरी फांको पर, कभी हलके हलके रगड़ती रगड़ती, कभी फांकों के बीच में हल्के से दबा के उस दरवाजे को खोलने की कोशिश करती, जिसके अंदर अब तक सिर्फ मेरे साजन को दाखिला मिला था,... मेरी इन शरारतों से सिर्फ छुटकी की हालत नहीं खराब हो रही थी, मैंने देख लिया था की मेरी सास के साथ सास के दामाद भी, मेरे नन्दोई भी और शॉर्ट्स में उनका खूंटा पूरा तना, नन्दोई का ख्याल सलहज नहींकरेगी तो क्या ननद की ननद करेगी ? मैंने इशारे से ऊँगली मोड़ के उन्हें पास बुलाया और एक झटके से उनकी शॉर्ट्स को खींच के उतार फेंका, इत्ता मस्त मोटा लंड, ... कैद में रहे, वो भी ससुराल में , मेरे ऐसी सलहज के रहते, ... और मैंने कनखियों से देखा मेरी सास के चेहरे की ख़ुशी को, अब मेरा एक हाथ नन्दोई के मोटे फनफनाये लंड को मुठिया रहा था, दूसरा हाथ मेरी छुटकी बहन के कभी जाँघों पे कभी उसकी चिपकी सहेली पर फिसल रहा था,... और होंठ उसी जगह अब चिपके थे जहाँ असली खेल होना था, मेरी छुटकी बहिनिया का पिछवाड़ा,... खूब चूस रही थी , चाट रही थी , मुंह में ढेर सारा थूक ले के उसी जगह फैला के अंदर तक,... बेचारे ननदोई , सलहज मुठिया रही थी , सलहज की छुटकी बहिनिया का पिछवाड़ा सामने , एकदम तैयार,... ऊपर से मैंने आँख मार के उनसे बिन बोले पूछा, " चाहिए ये माल, इसकी कच्ची गाँड़ ' कौन मर्द पागल नहीं हो जाता। और अब मैंने थोड़ा फास्ट फारवर्ड किया, ..सीधे अब जीभ कसी चूत पर दोनों फांके मेरे होंठों के बीच, कस कस के मैं चूस रही थी , जीभ कभी क्लिट को सहला देती , तो कभी दोनों फांकों को फ़ैलाने की कोशिश करती, और अब मेरे दोनों हाथ असली काम में जुट गए थे, कस के मेरी बहन के चूतड़ फ़ैलाने में , उसके लौंडा मार्का छोटे छोटे चूतड़ नन्दोई जी को पागल बना रहा थे , हाँ मेरे सास की आइडिया थी , मैंने दोनों हाथों की दसों उँगलियों में घर के कोल्हू का कडुवा तेल, अच्छी तरह से एकदम तर कर लिया था,... और अब वो उँगलियाँ छुटकी की पिछवाड़े की दरार में , दरार के पहले उस दर्रे में , उसके चारों ओर, गाँड़ मरवाते समय न सिर्फ जिस छेद में मूसल घुसता है वहां दर्द होता है, बल्कि उसके अगल बगल भी फटन होती है, और एक बार तो जबरन मंझली ऊँगली , तेल में डूबी दो पोर तक घुसेड़ कर पूरे दो मिनट तक गोल गोल , लेकिन सिर्फ बछिया को तैयार करने से नहीं काम चलने वाला था सांड़ को भी तो पागल करना था, बस जो होंठ मेरे बहिनिया की चूत चूस रहे थे वो खुले और नन्दोई का सुपाड़ा, अंदर खूब सटासट, और वो तेल लगी उँगलियाँ उस चर्मदण्ड को तेल से,... बस दोनों पगलाए थे, एक बार फिर मैंने छुटकी की चूत को खूब कस कस के चूसना शुरू किया, और जीभ अब अंदर घुस गयी थी , बस वो झड़ने के कगार पर थी, दोनों हाथों ने उसका पिछवाड़ा कस के पहले फैलाया, फिर एक हाथ से मैंने नन्दोई का खूंटा पकड़ के अपनी छुटकी बहिनिया की कसी गाँड़ के छेद पर सटाया, बहुत ताकत थी मेरे प्यारे नन्दोईया की कमर में , क्या जबरदस्त धक्का मारा उन्होंने,... और मैं पहले से तैयार थी, छुटकी इतना तेज उछली, ... पर मैंने अपनी पूरी देह का वजन उसके ऊपर डाल रखा था, जैसे कोई बछिया खूंटा छुडाके भागने की कोशिश करे , कोई मछली जाल से पूरी ताकत से उछल के वापस नदी में जाने की कोशिश करे, पर न बछिया खूंटा छुड़ा के भाग पाती है , मछली बच पाती है, न छुटकी बची,...
wowww mast update.
 

Premkumar65

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धंस गया,... घुस गया,...

उईईई उईईईईई




दोनों हाथों ने उसका पिछवाड़ा कस के पहले फैलाया, फिर एक हाथ से मैंने नन्दोई का खूंटा पकड़ के अपनी छुटकी बहिनिया की कसी गाँड़ के छेद पर सटाया,

बहुत ताकत थी मेरे प्यारे नन्दोईया की कमर में , क्या जबरदस्त धक्का मारा उन्होंने,... और मैं पहले से तैयार थी, छुटकी इतना तेज उछली, ... पर मैंने अपनी पूरी देह का वजन उसके ऊपर डाल रखा था, जैसे कोई बछिया खूंटा छुडाके भागने की कोशिश करे , कोई मछली जाल से पूरी ताकत से उछल के वापस नदी में जाने की कोशिश करे,

पर न बछिया खूंटा छुड़ा के भाग पाती है , मछली बच पाती है,


न छुटकी बची,...

मैंने खुद नन्दोई जी का मोटा खूंटा पकड़ रखा था और उसे अपनी बहन की गाँड़ में ठेल रही थी, सलहज का इशारा नन्दोई न समझे , अबकी पहली बार से ही ज्यादा जोर से नन्दोई जी ने धक्का मारा , और पूरा तो नहीं लेकिन आधा सुपाड़ा उस कसी गाँड़ में अटक गया।




इतना अच्छा लग रहा था बता नहीं सकती, नन्दोई जी का लाल टमाटर ऐसा खूब मोटा फूला सुपाड़ा, आधे से ज्यादा छुटकी बहिनिया की गाँड़ में अटका धंसा, बस मैंने झुक के जो सुपाड़े का हिस्सा बाहर निकला था, उसे मारे ख़ुशी के चूम लिया,

थोड़ी देर तक मैं जीभ से अपनी लपर लपर उसे चाटती रही, जिस जगह सुपाड़ा बाकी लंड से जुड़ता है, वहां जो चमड़ा रहता है , उसे जीभ से सहलाती रही , फिर कभी एक हाथ से नन्दोई के बॉल्स को सहला देती तो कभी लंड जड़ से जहाँ तक गांड में घुसा था, धीरे धीरे चाटती।



नन्दोई मेरे गाँड़ मारने में पूरे उस्ताद थे, ... चोदने और गाँड़ मारने का अंतर् उन्हें अच्छी तरह मालूम था ,




चूत में जहाँ सुपाड़ा घुसा उसके बाद तो कस के पेल के , धक्के पर धक्का,... लेकिन गाँड़ में बस एक बार सुपाड़ा अटक जाए, जिसकी मारी जा रही है वो झटका दे के उसे निकाल न पाए , बस मारने वाला थोड़ी देर उसे उसी तरह छोड़ देता है, ... जिससे गाँड़ धीरे धीरे फ़ैल जाए, उसे उस मोटे सुपाड़े की आदत पड़ जाए, मसल्स थोड़ी ढीली हो जाए ,

बस कुछ रुक के अगला धक्का, दूसरी बात बजाय बार बार अंदर बाहर करने के शुरू में बस खाली पुश, पूरी ताकत से पुश , और एक बार गाँड़ का छल्ला पार हो जाए,...

लेकिन अब टाइम आ गया था,... पर सब बड़ी बात होती है की जिसकी मारी जाती है वो कहीं मारे डर के गांड़ लंड पर भींच न ले , किसी तरह वहां से ध्यान हटे,...

और नन्दोई का काम उसकी सलहज नहीं कराएगी तो कौन करायेगा, बस मैंने छुटकी की चूत कस कस के चूसनी शुरू की, और जब वो झड़ने के करीब आयी तो बस अंगूठे और तर्जनी से कस के उसकी क्लिट कस के पिंच कर दी,




और दूसरे हाथ से नन्दोई का खूंटा कस के पुश किया, इतना इशारा काफी था और नन्दोई ने वो जबरदंग धक्का मारा अबकी पूरा सुपाड़ा छुटकी की गाँड़ के अंदर था,... क्लिट में हो रहे दर्द के चक्कर में वो पिछवाड़े का दर्द एकदम भूल गयी थी और उसी का फायदा उठा के नन्दोई ने छक्का मार दिया , अब वो गांड भींच के भी क्या करती सुपाड़ा तो पूरा अंदर था।



लेकिन दर्द तो उसे हो ही रहा था , वो सिसक रही थी, कराह रही थी, बीच बीच में चीख भी रही थी, मैंने अपनी बुर से उसके मुंह को बंद करने की कोशिश की तो मेरी ननद ने इशारे से मना कर दिया ,


मेरी ननद तो यही चीख पुकार सुनना चाहती थीं, बल्कि गाँव भर को मालूम हो जाए की आज मेरी बहिनिया की अच्छी तरह ली गयी , उन्होंने खिड़कियां भी खोल दी,...

उईईई उईईईईई छुटकी चीख रही थी, चिल्ला रही थी , बिलख रही थी ,




पर अब जब आधा लंड गाँड़ में घुस चुका हो तो बिना गाँड़ मारे कौन छोड़ता , और नन्दोई तो बचपन के अपने साले की तरह पिछवाड़े के शौक़ीन,... और जब जिसकी मारी जाए, वो कच्ची अमिया वाली , गाँड़ एकदम कसी सिर्फ एक बार मूसल चला हो ,

और नन्दोई का हल नहीं ट्रैक्टर था,

मुझसे ज्यादा कौन जानता था , इत्ती बार ( शादी के तीसरे चौथे दिन से तो , रोज बिना नागा मेरी मारी जाती थी ) इनसे गाँड़ मरवाने के बाद भी जब चार दिन पहले ही तो, होली में नन्दोई ने गाँड़ मेरी मारी थी, ...बस जान नहीं निकली थी, ... लम्बा तो इन्ही का ज्यादा होगा , पर मोटा नन्दोई जी का ही , और जिस तरह से दरेरते, रगड़ते धकेलते थे , मजा भी खूब आता था लेकिन आँख में आंसू छलक जाते थे,हो

और ये तो नई बछेड़ी थी, आम के बाग़ में थोड़ी बहुत चीख पुकार मची भी होगी तो सिर्फ नैना ननदिया ने सुना था और तुरंत ही तो उसके जीजा ने अपना मूसल उसके मुंह में ठेल दिया था हलक तक,... अब दरद चाहे जितना हो , गाँड़ फट के चीथड़े चीथड़े हो जाए , वो एक आवाज नहीं निकाल पा रही थी , पर अभी तो


जोर जोर से चोकर रही थी, रो रही थी दुहाई दे रही थी , पर जब गाँड़ फटती है न तो बचाने वाला कोई नहीं होता,...
और चिढ़ाने मज़ाक उड़ाने वाले बहुत ,

यहाँ तो मेरी ननद ही थी , चिढ़ाने मज़ा लेने में , भौजाई की छोटी बहन की मारी जा रही हो , सबके सामने , मारने, फाड़ने वाला उसका अपना मर्द हो तो कौन ननद ये मौका छोड़ती ,...

" अरे भौजी क छुटकी बहिनिया , चीख लो , चिल्ला लो ,... पूरे गाँव में सुनाई पड़ रही होगी ,... और पूरे गाँव वाले मेरे सब भाई तेरे जीजू लगेंगे, और ये छोटी छोटी गाँड़ जो मटका के चलती है न , महीने भर में तेरी माँ के भोंसडे से चौड़ा तेरी गाँड़ का छेद हो जाएगा ,... "




छुटकी कुछ भी कहने सुनने की हालत में नहीं थी , सिर्फ चीख चिल्ला रही थी और ननद के साथ अगर किसी और पे उसका असर हुआ तो वो मेरे नन्दोई थे जो हर चीख के साथ दूनी ताकत से धक्के मार रहे थे ,

सास मेरी बोल तो नहीं रही थीं , लेकिन कच्ची कली की गाँड़ फाड़ी जाती देख के उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था,.. उनकी आँखे उस की कच्ची गाँड़ के छेद पे चिपकी थीं ,




नन्दोई अब धीमे धीमे ठेल रहे थे , एक बार उसकी गाँड़ तो मार ही चुके थे और उन्होंने खुद मेरे साजन से कबूल किया था की उन्होंने दर्जनों कच्ची गांड खोली थी, लेकिन अबतक की ये सबसे कसी थी।


मैं अपनी छुटकी बहिनिया की कस कस के चूस रही थी, पर वो जैसे झड़ने के किनारे आती मैं रुक जाती दो चार बार ऐसे ही तड़पाया मैंने उसे , फिर एक बार जब वो किनारे पर आयी, मैंने कस के उसकी क्लिट को चूसना शुरू कर दिया और दो ऊँगली एक साथ जड़ तक उसकी चूत में पूरी ताकत से पेल दी , मोड़ के , बस वो झड़ने लगी





पर मैं अबकी इत्ती आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी, मेरी मुड़ी उँगलियों के नकल ने उसकी बिल के अंदर उसके जी प्वाइंट ढूंढ लिया था, बस मैं वहीँ बार बार रगड़ रही थी , साथ में मेरी जीभ मेरे होंठ उसके क्लिट पर, एक बार उसका झड़ना रुकता उसके पहले वो दूसरी बार झड़ना शुरू कर देती ,
और मौके का फायदा उठा के नन्दोई जी ने अपना बांस पूरा ठेल दिया गांड का छल्ला पार हो गया।



अब मैं रुक गयी और नन्दोई जी पूरी ताकत से और पूरी स्पीड से चालू गए, जैसे कोई धुनिया रुई धुनें उस तरह छुटकी की गाँड़ मारी जा रही थी,... जैसे इंजिन का पिस्टन अंदर बाहर हो उसी तरह ननदोई जी का लंड मेरी बहन की गाँड़ में,...


आठ दस मिनट तक ,

छुटकी रो रही थी , चीख रही थी अपने हाथ पटक रही थी , पर जितना वो तड़पती उतना ही नन्दोई जी और कस कस के,...


तभी मैंने देखा की मेरे साजन भी, उन्हें मैं क्यों बख्शती , उनकी भी शार्ट उतर गयी , ननदोई का खूंटा मेरी छोटी बहन की गाँड़ में और ननदोई के साले का खूंटा नन्दोई की सलहज के मुंह में
,...
What a sexy post. Komal ji you are best in creating erotica.
 

Premkumar65

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दोनों बहनों की एक साथ,...








छुटकी रो रही थी , चीख रही थी अपने हाथ पटक रही थी , पर जितना वो तड़पती उतना ही नन्दोई जी और कस कस के,...



तभी मैंने देखा की मेरे साजन भी, उन्हें मैं क्यों बख्शती , उनकी भी शार्ट उतर गयी , ननदोई का खूंटा मेरी छोटी बहन की गाँड़ में और ननदोई के साले का खूंटा नन्दोई की सलहज के मुंह में ,...




मस्त हो कर मैं चूस रही थी , और जब बीच में उन्हें छोड़ के उनकी साली की चुत चुसाई में लग जाती तो मेरी उँगलियाँ ,


दस बाहर मिनट तक नन्दोई जी छुटकी की गाँड़ मारते रहे , छुटकी चीखती चिल्लाती रही,... पर पता नहीं साले जीजा में क्या बात चीत हुयी , खिलाड़ी बदल गए ,

अब छुटकी के जीजा छुटकी के पिछवाड़े,... छुटकी की चीख के साथ मेरी भी चीख निकली ,

पीछे से ननदोई जी ने मेरी गाँड़ में ठेल दिया था और एक बार में आधा बांस, मैं जोर से चीखी,...




और मेरी छिनार ननद खूब जोर से हंसी,

" अब मजा आ रहा है , दोनों बहनों की एक साथ गाँड़ मारी जा रही है , खुले आँगन में "




हम दोनों बहने सिक्सटी नाइन की पोज में , मेरी बहन के पिछवाड़े मेरे साजन और मेरे पिछवाड़े नन्दोई जी , मेरी गाँड़ के रसिया

और मैं भी कभी गांड में उनके लंड को निचोड़ लेती कभी उनके धक्के का जवाब धक्के से देती , कभी उनकी बहिन महतारी गरियाती ,




आधे घंटे के बाद जीजा साले एक साथ झड़े, और देर तक हम दोनों के अंदर ,



मुझे सहारा देकर ननद जी ने खड़ा किया और सासू जी ने छुटकी को।

सासू जी छुटकी को लेकर अपने कमरे की ओर जाने लगीं तो छुटकी का मुंह छोटा सा हो गया, वो मुड़ मुड़ के अपने जीजू की ओर देखने लगी, और इनकी आँखे भी ललचाती हुयी छुटकी को देख रही थीं सासू जी की आँखों से तो कुछ छिपा नहीं रहता, तो बस छुटकी से वो बोलीं,...



" बस मुझे ज़रा सी नींद लगने लगे तो तू अपनी दीदी के पास चली जाना।"



बोल तो वो छुटकी से रही थी लेकिन, जैसे सूरज को देख के कमल खिलता है, उनका चेहरा खिल रहा था.



उधर ननद रानी भी नन्दोई जी के साथ जाने के लिए मुड़ी तो मैंने नन्दोई जी को जबरदस्त आँख मार दी, और इन्हे उकसाते,

ननद जी को छेड़ते अपने साजन से बोली,

" आज आपने मेरी बहिनिया की गाँड़ मारी तो कल अपनी बहिनिया की मारिएगा,.. बहुत मस्त चूतड़ हैं ननद रानी के "




और साथ में कस के चिकोटी ननद के मोटे मोटे चूतड़ों में काट ली,... "

मुस्कराती ननद, नन्दोई के साथ अपने कमरे में, और ये बोले,

" तेरी ननद की तो कल देखी जायेगी, आज अभी तो ननद की भाभी अपना पिछवाड़ा बचाएं "

मैं भी जानती थी और ये भी जानते थी की न मैं बचाने वाली न ये छोड़ने वाले, अरे बचाने के लिए थोड़ी मेरी माँ ने इनके पास भेजा था, पर मैं बोली,

" तो कल ननद के पिछवाड़े पर ननद के भइया चढ़ेंगे, पक्का "

और खिलखिलाते हुए अपने कमरे में इनके आगे आगे , मैं खुद पलंग को निहुर के पकड़ के,




दरवाजा भी इन्होने नहीं बंद किया , इत्ती जल्दी मची थी इस जल्दबाज को,... बस मेरी साड़ी पकड़ के खींचनी शुरू की और उनसे तेज मैंने अपनी साड़ी उतारकर वहीँ फर्श पे, साया मोड़ के उन्होंने कमर तक कर दिया, ब्लाउज की आधी बहने तो छेड़छाड़ में इनकी बहना ही खोल देती थीं,... बाकी इन्होने, टाँगे मैंने खुद अच्छी तरह फैला दीं,...
lovely Komal ji. It reminds me of my experience with my chhoti mausi and her niece inside the Rajai during the marriage of her ( my chhoti mausi) sister in a village near Firozabad. That was the sexiest night of my life with one married lady ( mother of two) on one side and a nubile girl ( similar to chhhutki) on the other. The lady was very active while the girl was extremely passive allowing me to do the action.
 

komaalrani

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lovely Komal ji. It reminds me of my experience with my chhoti mausi and her niece inside the Rajai during the marriage of her ( my chhoti mausi) sister in a village near Firozabad. That was the sexiest night of my life with one married lady ( mother of two) on one side and a nubile girl ( similar to chhhutki) on the other. The lady was very active while the girl was extremely passive allowing me to do the action.
Thanks so much yahi to hota hai three some men
 

Premkumar65

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रीत रिवाज







बताया तो था आपको, ... रीत रिवाज के बारे में , कल के दिन गाँव में सिर्फ औरतें लड़कियां रहती थी और उन्ही की होली होती थी, तो जितने मर्द थे उन्हें घंटा भर रात रहते ही, गाँव छोड़ के जाना होता था, और पास में ही १२-१४ किलोमीटर पर एक हम लोगों की छावनी थी, वहां भी ट्यूबवेल, बाग़, खेत थे हमी लोगों के तो तय ये हुआ था की बस ये और नन्दोई जी वहीँ चले जाएंगे, एक घंटा रात रहते, और अगले दिन रात में आ जाएंगे, ...

तो बस उसी में आधा घंटा बचा था,....

छुटकी बांस पे उतरने चढ़ने में अब थक रही थी, चेहरे पर उसके पसीना साफ़ साफ़ छलकता दिख रहा था, जाँघे उसकी फटी पड़ रही थी, अभी कल ही तो उसकी नथ उतरी थी, झिल्ली फटी थी,

आज इतनी ह्च्चक ह्च्चक के उसके जीजू और डबल जीजू ने उसकी कच्ची गाँड़ मार के पूरा खोल दिया था , उसके बाद भी अपने जीजा के लिए कुछ भी कर सकती थी वो इसलिए पूरी ताकत से,...

और सच पूछूं तो उस मोटे लंड को देख के मेरी चूत मचल रही थी और कुछ लंड पे दया भी आ रही थी, बस हम दोनों बहनों ने जगह बदल ली,... और के फायदा ये भी था की छुटकी सीख भी रही थी, ...

और अब मैं कुछ देर में उनके लंड पर चढ़ी उन्हें हचक के चोद रही थी,



और वो अपनी छोटी साली की कसी कसी मीठी मीठी चूत चाट रहे थे, एकदम चाशनी में रसी बसी थी,...


चोदने के साथ मैं उनकी माँ बहिन का नाम ले ले कर जोर जोर रही थी , कभी एक हाथ से उनके निप्स स्क्रैच कर लेती तो दूसरे हाथ से कभी उनके बॉल्स सहला देती तो कभी मेरी बहिन की गाँड़ मारने की सजा देते, उनकी गाँड़ में ऊँगली कर देती, और एक नहीं दो दो,... अंदर तक करोच लेती,... और वो भी चूतड़ उचका के मेरा साथ देते,...



बस पांच मिनट, बगल के कमरे से नन्दोई जी के तैयार होने की आवाजें आनी शुरू हो गयी थीं,... उसी समय



छुटकी ने जीजू के ऊपर से उठने की कोशिश की तो मैंने पहले तो हड़काया,... पर उस बेचारी ने पहले तो बार बार एक ऊँगली दिखाकर सिग्नल दिया की उसे ,.. ' आ रही है ",...

मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान रोकी, इस घर में ये सब इशारे बाजी नहीं चलती, ... यहाँ तो सब के सामने सब बातें सब लोग खुल्ल्म खुल्ला बोलते हैं.

" बोल न " मैंने हड़काया।

झुंझला के वो बोली, दी आ रही है बड़ी जोर से ,... हो जाएगी अभी , जीजू को बोलिये जाने दे न। "


जीजू महा दुष्ट , उन्होंने उस छोटी साली को और कस के पकड़ लिया,... और अपना मुंह उस पनाली के पास,... और उन की पकड़ से तो मैं नहीं छूट पाती थी ये तो कल की ,...




' तो कर ले न ,... जीजू के,... " हँसते हुए मैं बोली,...

वो छटपटा रही थी , ये कस के पकडे थे,... मैं समझ गयी इनका भी मन कर रहा है साली की सुनहरी शराब पीने का , फिर छुटकी बेचारी को, कल दिन भर तो यही सब होगा , मेरी ननद ने बोल रखा था ,


सीधे कुप्पी से पिलाऊंगी,... मेरी जेठानी ने मरे सामने छुटकी से भी छोटी उम्र वाली को, मैंने भी अपनी छोटी ननद को,..

बस मैंने अपनी ऊँगली के टिप को उसके मूत्र छिद्र पर , योनि छिद्र के ऊपर, पहले तो कस कस के रगड़ा फिर अपने नाख़ून से सुरसुरी कर दी,...

बस पहले तो सुनहली पिघलती एक बूँद,... फिर,...

और उसके बाद तो छुटकी भी कुछ नहीं कर सकती थी,...



उसी समय ननदोई जी ने दरवाजा खटखटाया,... नहीं नहीं बिना बिना झड़े नहीं गए , मैं तो बिदा कर भी देती उनको खड़े लंड के साथ पर उनकी छोटी स्साली , उससे नहीं रहा गया,...



और बाहर नन्दोई जी खटखट कर रहे थे और वो मेरी बहन पर चढ़े हुए थे,... जब मैंने दरवाजा खोला उस समय भी उनका खूंटा अंदर धंसा अपनी साली के निचले मुंह को रबड़ी मलाई खिला रहा था,




थोड़ी देर में वो और नन्दोई जी निकल गए , मैं छुटकी को दुबका के सो गयी , घंटे आध घंटे की जो नींद मिल जाए,...

आधी नींद में मैं सोच रही थी पहले दिन मेरी सास, जेठानी और नंदों ने मिल के,... क्या क्या नहीं ,... और इन्ही ननद ने साफ़ साफ़ बोला था की भौजी ये तो ट्रेलर है, असली तो उस दिन होगा जब आप मायके से लौट आइयेगा, जिस दिन गाँव में सिर्फ औरतें होती है, पर उस दिन भी,...



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Super hot Komal ji.
 

Premkumar65

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देह की होली







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दस पंद्रह मिनट देह की होली हुयी और हम दोनों साथ, ... उसकी पिचकारी का सफ़ेद रंग मेरी बाल्टी में भर गया।लेकिन चाहे नयी अनचुदी लौंडिया हो या अनचुदा लौंडा, चुदाई का मजा दूसरी बार में ही आता है , और कभी भी लौंडिया या लौंडे को एक बार चोद के नहीं छोड़ना चाहिए , जख्मी शेर वाली हालत होती है,... और एक बार हदस गयी तो दुबारा नाड़ा खोलने के पहले दस बार सोचेगी,...



तो अपने देवर को भी बिना दुबारा चोदे तो मैं छोड़ने वाली नहीं थी, और नयी उमर की नयी फसल के साथ फायदा यही की झट से रिचार्ज हाइट हैं जैसी पावर बैंक लगा रखा हो,... तो बस थोड़ी देर कुछ होली , कुछ छेड़छाड़ , कुछ गाँव की लड़कियों उसकी रिश्ते की बहनों का नाम ले लेकर मज़ाक,.. उसने शार्ट पहनने की कोशिश की तो मैंने हाथ से खींच के हड़काया,

' फेंक दूंगी अभी बाग़ में , नंगे पकड़ के नीचे ले जाउंगी , मैंने तो चोद के छोड़ दिया है, बाकी नीचे जो भौजाइयां है स्साले बिना तेरी ये चिकनी गाँड़ मारे छोड़ेंगी नहीं,... "



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अरे खुद नंगे होने में शरमाएगा स्साला, तो होनी बहनों को कैसे नंगा करेगा, तो पहली लाज तो मैंने उसकी उतार दी, देर तक ऐसे ही छत पर नंगे पुंगे,...


और जो उसका खड़ा हुआ तो अबकी वही ऊपर,... हाँ मैं खुद नीचे लेट गयी , अपनी टाँगे फैला के जाँघे खोल के , अपनी टाँगे मैंने उसके कंधे पर भी रख दिया , और छेद में पकड़ के सटा दिया

और क्या धक्का मारा स्साले ने ,



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बड़ी ताकत है इस लौंडे में मैं मान गयी, बस थोड़ी सी ट्रेनिंग और,... दरेरते, रगड़ते, घिसटते जिस तरह मेरी बुर में घुसा मजा आ गया,

अब चोदने का काम उसका था और चुदवाने का मेरा,.... लेकिन था तो नौसिखिया ही, कई बार खींच के उसका हाथ मैं अपने जोबन पे रखती , उसके होंठों को निप्स पे ,



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चोदने के साथ साथ जब तक बाकी कामकाज न हो, आधे से ज्यादा लोग सोचते हैं सिर्फ घुसेड़ने के पहले ही लौंडिया को गरम करना चाहिए , ये नहीं जानते की चुदाई में असली मजा तभी है जब बाकी काम भी चलता रहे,



यहाँ तक की उसकी ऊँगली पकड़ के मैंने अपने जादू के बटन, क्लिट पर भी और हचक कर चोदते समय एक साथ होंठ से कस के निपल चूसने के साथ, औरत की क्लिट को अंगूठे से रगड़ने से कैसी भी खूंखार चुदकड़ औरत क्यों न हो, झड़ जाती है,...


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मैं भी झड़ गयी , और दुबारा उसके साथ भी,.... कटोरी भर मलाई छोड़ी होगी उसने मेरी बुर में ,

दो ऊँगली डाल के मलाई निकाल के उसे दिखा के मैं चाट गयी और बोली, जबरदस्त स्वादिष्ट है , और फिर जो मेरे होंठों पे बचा था उसे चटा दिया और कस के चूम लिया ,



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नीचे से आवाजें आ रही थीं , इसका मतलब भौजाइयों का जमावड़ा शुरू हो गया था और कोई सूंघते ऊपर आ जाए उससे पहले मेरा नीचे जाना जरूरी था ,...

जल्दी से मैंने ब्लाउज पहना साड़ी लपेटी,... लेकिन मेरे नीचे उतरने से पहले मेरे छोटे बाले देवर ने मुझे रोककर पूछा,

" भौजी, फिर कब होगी होली, अगले फागुन में "

कस के उसे बाँहों में बाँध के पहले तो मैंने दस बार चुम्मा लिया कचकचा के गाल काटा , और उसके 'छोटू ' को पकड़ के सहलाते बोली ,

" बुद्धू , देवर भौजाई का फागुन तो साल भर चलता है , कल फिर लूंगी तेरी और अच्छी तरह से , हाँ लेकिन कल अगर दरवाजा बंद मिला या तूने कुछ भी नखड़ा किया न तो तेरी ये चिकनी गाँड़ पहले मारूंगी, चोदुंगी बाद में ,... "



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और धड़ धड़ मैं सीढ़ी से नीचे लेकिन उतरते समय भी मैं चुन्नू के बारे में ही सोच रही थी,

कामवालियां ,... रमजनिया जो चंदू के साथ , गाँव की हर औरत लड़की के बारे में उसे रत्ती रत्ती खबर रहती है तो कामवालियों में , खेत में घर में जो थोड़ी बड़ी खूब खेली खायी ,.. ऐसी दो चार को इस देवर के साथ , सिखा सिखा के पक्का कर देंगी,...


और नैना ,...उसी ने तो इस कच्चे केले के बारे में बताया था ,.. तो वो मजा ले ले और गाँव की लड़कियों के साथ इसकी सेटिंग कराने में तो उससे अच्छी कोई नहीं, दो चार पे वो चढ़वा देगी उसके बाद तो वो खुद ही शिकार करने लगेगा और उन दोनों के मुंह मारने के पहले हफ्ते दस दिन तो में खुद इस नए माल को अचे से भोगूंगी ,...


मेरी हालत देख के ही सब लोग समझ गयीं की ' होली हो गयी ' लेकिन अभी बात सीरियस चल रही थी और मैं भी कान रोप कर सुनने लगी.



एक मेरी बड़ी उम्र की जेठानी कहने लगीं,... ' अरे इसमें क्या इतना सोचना है,... मौज मस्ती ही तो है , क्या जीत हार, अरे पिछले कितने सालों से तो ननदें ही जीतती आयीं है , इस बार फिर वही जीतेंगी। इसमें क्या प्लानिंग, क्या,... "




और उन की बात में बात जोड़ती उन्ही की उमर की एक जेठानी बोलीं, ' सही कह रही हो , हम तो भुलाई गए कब भौजाई लोगन की टीम जीती थी,... अरे ननदों के आगे,...
wonderful update Komalji. Purani yaden taza kardi. Meri nath bhi kuchh isi tarat utri thi. Bhabhi ki jagah meri chhoti mausi thi aur main chunnu ki age ka.
 

Premkumar65

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" मार लो,... "




दिन भर वो मौका आपके अपने भाई को चिढ़ाती रही, छेड़ती रही, उकसाती रही. कभी पीछे से उसको दबौच लेती थोड़ा , बिना ढक्कन के अपने कच्चे टिकोरों को उसकी पीठ पे रगड़ते बोलती,...


" भैया, मारो न, सच्च में मैं किसी से नहीं कहूँगी,... "




और पीछे से उसके कानो पर एक किस्सी ले लेती , जो कत्तई भाई बहिन वाली नहीं होती,...



अगले दिन भी माँ कहीं पड़ोस में गयी थीं , और गीता का स्कूल भी था, नहा के, बिना ब्रा के सिर्फ सफ़ेद स्कूल टॉप और स्कर्ट में वो बाथरूम में,...


और भाई के बाथरूम में अंदर घुसते ही आज बजाय मोबाइल के, वो दरवाजे से चिपक गयी, थोड़ी देर में ही उसका भाई चालू था, उसकी २८ सी की टीन सफ़ेद ब्रा हाथ में लिए, पूरी तेजी से मुट्ठ मार रहा था , जितनी तेजी से उसका हाथ चल रहा था उतनी ही तेजी से उसकी छुटकी बहिनिया के छोटे छोटे कबूतर अपने भैया का मूसल सा लंड देखकर धड़क रहा था, ...


गीता ने एक पल घडी की ओर नजर डाली,... अभी स्कूल में टाइम था,...



और भाई का हाथ पूरी तेजी से चल रहा था, आँखे बंद थीं,




गीता की भी आँखे बंद हो गयीं बस उसे लग रहा था किसी तरह यह मोटा दोस्त उसकी सहेली के अंदर ,लम्बा कितना, भैया के मुट्ठी बंद करने के बाद भी आधे से ज्यादा मुट्ठी से बाहर, उसके तो बित्ते से बड़ा ही होगा और भैया की भी मुट्ठी में नहीं समा पा रहा था,... ओह्ह्ह कित्ता मज़ा आएगा, ... जब उसकी दोनों टाँगे उठा के भैया इसे पेलेगा उसकी कोरी बिल में



और जब उसकी आँखे खुलीं तो उसके भैया ने ब्रा के कप फिर एक बार अपने खुले सुपाडे , और थोड़ी देर में सफ़ेद दूध की धारा बह निकली, खूब गाढ़ी मलाई मार के, और की कटोरे के बाद दूसरे कटोरे को,... वो भी छलकने लगा,...

गीता खूब गरमा गयी थी , समझ में नहीं आ रहा था क्या करे,, दोनों जाँघों को एक दूसरे से रगड़ती रही , उसकी चड्ढी भी हलकी हलकी गीली हो गयी थी, 'वो ' खूब लसलसा गयी थी,

बाहर जा के उसने घड़े से एक ग्लास पानी पिया, थोड़ा पानी के छींटे अपने गोरे गोरे चेहरे पर मारा,... गाल पर छेड़ती लट को सीधा किया और वापस अपने कमरे में ,

भैयाअभी भी बाथरूम में था, उसने छेद से देखा बस वो निकलने वाला था और उसकी ब्रा के दोनों कप अभी भी रबड़ी मलाई से भरे,

पलंग पे वो आके बैठ गयी , उसे एक शरारत सूझी,... माँ अभी भी नही आयी थी और बाहर का दरवाजा अभी भी बंद था,...

" भैया, जल्दी निकलो , ... कित्ती देर से घुसे हो ,... "





और उसके भैया बाहर निकल आये, सिर्फ टॉवेल लपेटे, और बहन बाथरूम में अंदर,...

पहले तो दरवाजा उसने अंदर से बंद किया और उस छेद से पीठ सटा के खड़ी हो गयी , जिससे उसके भैया देखना चाहें तो भी न देख पाएं , अपना सफ़ेद स्कूल का टॉप उठा के हुक पे टांग दिया, और ब्रा उठा के अपने अनावृत नए आ रहे उरोजों पर, ...




ठंडा ठंडा ,गरम गरम , पूरे उभारों पर वो फ़ैल गया, लेकिन हाथ से कस के उन कप्स को उसने अपने कच्ची अमिया पर दबा रखा था जिससे बाहर ज्यादा न छलके सब रबड़ी मलाई वहीँ पे,... ,

पीछे हाथ उठा के उसने हुक बंद करने की कोशिश की , लेकिन एक हुक वो भी आधा बंद हुआ,... और वहीँ से उसने आवाज लगाई ,

" भैया आँखे बंद कर लो, मैं बाहर आ रही हूँ,... "

बाहर सिर्फ ब्रा और स्कर्ट पहने वो निकली,... सच में उसका भाई आँख बंद किये था,

मन ही मन उसने सोचा एकदम बुद्धू है, और उसकी ओर पीठ कर के खड़ी हो गयी,...

" भैया मुझसे अंगिया का हुक नहीं लग रहा है , बंद कर दो न , आँख मत खोलना लेकिन "

" पागल हो क्या, आँख बंद किये कैसे हुक बंद करूंगा,... " वो बोला।

तो ठीक है आँख खोल लो,... वो मान गयी,




और जब तक वो हुक बंद करता रहा वो बोलती रही,

" भैया मेरी अंगिया छोटी हो गयी है , तुम बाजार से इससे बड़ी ला दो न अच्छी सी खूब,... "

" मैं कैसे लाऊंगा , लड़कियों का सामान , फिर मुझे नाप भी क्या मालूम " आखिरी हुक लगाते वो बोला।

" अरे तो नाप लो न , " खिलखिलाती वो शरीर बोली और अपने भैया के दोनों हाथ पकड़ के अपने ब्रा में कैद उभारों पर,... पल भर के लिये दोनों को जबरदस्त करेंट लगा लेकिन भैया ने हाथ हटा लिया ,..

और वो बदमाश मुड़ी, ... उसके भैया की आँखे उसकी ब्रा से चिपकी,

" बदमाश, आँखे बंद, ... "


शरारत से वो बोली और वापस बाथरूम में और अपनी स्कूल की शर्ट पहन ली, खूब खींच के उसने टक की थी , स्कूल की बेल्ट भी खूब टाइट बाँधी थी , जिससे उभारों का कटाव , कड़ापन सब कुछ साफ़ खूब मीठे वाले प्यारे वाले बुद्धू , तूने मेरा देखा था न , चल ,... " और चलने के पहले अपने भैया का टॉवेल खींच दिया ,

उसके पकड़ते रोकते भी उसको उस बदमाश मोटू की झलक दिख गयीसाफ़ दिख रहा था,...

जैसे वो बाहर निकली, दरवाजे पर खटखट की आवाज सुनाई दी, लगता है माँ आ गयी थीं , पर चलने के पहले उसने अपने भैया के होंठों पे कस के चुम्मी ली,... और हंस के बोली,

" बुद्धू"

दरवाजे पर माँ खड़ी थी और खुलते ही हड़का लिया ,

" कहाँ सो गयी थी , तेरी सहेलियां इन्तजार कर रही हैं और शाम को सीधे घर आना किसी सहेली के यहाँ नहीं ,... "

एकदम माँ और दौड़ती उछलती अपनी सहेलियों के साथ स्कूल की ओर वो हिरणी,...




लेकिन स्कूल में तो और उसकी सहेलियों ने आग लगाई, ... जो उसकी सबसे अच्छी सहेली थी , वही जिसके जीजू ने शादी के चार दिन के अंदर उसकी फाड़ी थी, छह सात महीने पहले ही और फिर तो हफ्ते भर दीदी की ससुराल में , ... कई बार तो दीदी के सामने ही, और दीदी भी हंस के बोलती तो क्या हुआ जीजा हैं तेरे, हक़ है उनका,...

और कल शाम को वो आ गए थे आज सुबह गए ,.. रात भर,...वो दूध लेकर गयी थी उनको देने बस उन्होंने पकड़ लिया, तेरी दीदी तो आज हैं नहीं तो तेरे साथ ही,... पूरे तीन बार,... पूरा डिटेल , कितना लम्बा, ,मोटा,... एक बार तो निहुरा के भी,... और गीता को वो और उकसा रही थी,

" हे जीजू तुझे बहुत याद कर रहे थे चिरौरी कर रहे थे , गितवा की दिलवा , गितवा की ,...दस बार तो कहा होगा , ... तो मैंने भी बोल दिया ठीक है अगली बार आप आने वाले होंगे तो पहले से बता दीजियेगा , मैं साथ पढ़ने के नाम पे उसके घर से परमिशन लेके ले आउंगी। उसकी चिड़िया तो अभी तक उड़ती भी नहीं है। "



लेकिन गीता के आँख के सामने तो अपने भैया का खूंटा घूम रहा था, जो उसकी सहेली अपने जीजू का बता रही थी , ... उसके भैया के आगे कुछ भी नहीं था,...बडे घमंड से कह रही जीजू , ६ -७ मिनट से पहले कभी नहीं , और उसके भैया तो उसने खुद घड़ी देखी थी इत्ता तेजी से मुठिया रहे थे, तब भी पूरे चौदह मिनट,...


आधे से ज्यादा लड़कियां तो उसकी क्लास की स्कर्ट फैला चुकी थीं और जिनकी नहीं फटी थी उनका मज़ाक उड़ाती थीं.


एक जिसके यार आधे दर्जन से भी ऊपर थे, रोज नया किस्सा , कल शाम को वो बोली,... की दिशा मैदान के लिए गाँव की एक भाभी के साथ जा रही थी,... उन भाभी से पहले ही सेटिंग थीं , उन का कोई देवर बहुत दिन से उनसे कह रहा था,... बस वो पहले से गन्ने के खेत में था और वहीँ गन्ने के खेत में निहुरा के क्या मस्त चोदा उसने,... भाभी दूर खड़ी चौकीदारी कर रही थीं,... गन्ने के खेत में अजब ही मजा आता है।



स्कूल की छुट्टी से लौटते हुए गीता के मन में बस यही बात थी , कुछ भी हो जाय,... कुछ भी , ..आज भैया के साथ,... मन तो उनका भी इतना करता है , रोज तो मेरी ब्रा में मुट्ठ मारते हैं,... लेकिन बस वही झिझक, ... मुझे ही कुछ करना पडेगा।

बादल उमड़ घुमड़ कर रहा था,... सावन तो लगा ही था , ... खूब तेज हवा चल रही थी,... लग रहा था पानी बरसेगा,...

और घर में पहुँचते ही वो ठिठक गयी , माँ एकदम तैयार , खूब सज धज के हरी साडी हरी चूड़ियां ,... गोरी तो वो खूब थीं ही , थोड़ी मांसल ,बहुत सुन्दर लग रही थीं,... उनका बैग भी बगल में रखा था, ...
भैया भी वहीँ खड़ा,

माँ ने उसे पकड़ के दुलराते हुए कहा ,

" तेरी ही बाट जोह रही थी,... मैं एकदम तैयार थी , तेरे मामा के यहाँ जा रही हूँ ,... उनका अर्जेन्टी बुलावा आया है ,... मामी को अपने मायके जाना पड़ा, कोई बात है ,... तो मुझे बुलाया है बस आज के लिए कल शाम को मैं आ जाउंगी,... घबड़ाना मत , बाहर मत जाना,... दो तीन दिन तेरी स्कूल की भी तो छुट्टी है, ... खाना मैंने बना के रख दिया है , खुद भी खा लेना भैया को भी दे देना। "




वो और दुलार से माँ से दुबक गयी और भैया को शरारत से देखते बोली,


" दे दूंगी, लेकिन एक बात है माँ, भैया से कह देना ,.... "

"क्या बोल न,... " माँ ने पूछा।
" भैया से कह देना,... मारेंगे नहीं ,..."

" क्यों नहीं मारेगा , जरूर मारेगा, ... कस के मारेगा, ... अरे तू उसकी छोटी बहन है तुझे नहीं तो क्या बाहर किसी को,... " माँ ने प्यार से गीता को चपत मारते हुए अपने बेटे को देखा और उसको और उकसाया,...




" हे ये मना भी करे न तो भी मारना जरूर, और कस के,... "

" मैं बहुत जोर से चिल्लाऊंगी ,... " गीता खिलखिलाते हुए बोली।

" तो ये तेरा मुंह बंद करके मारेगा,... ऐसे " माँ ने हँसते हुए गीता का मुँह अपने हाथ से कस के बंद कर के बोलीं , फिर जाते हुए कहा,


" अच्छा बड़े प्यार से मारेगा , अब तो ठीक, चलती हूँ नहीं तो बस छूट जाएगी। " और वो चली गयीं
Very very erotic. Feeling bra and panty of sisters is a normal thing at teenage. Smelling the panty of young pussy is so intoxicating that you can't resist musterbating on the undergarments. I have done it myself many times.
 
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मलाई








वो झड़ती रही , झड़ती रही , और भैया के हाथ, होंठ रुक गए और बिल में घुसा मोटा डंडा चालू हो गया जैसे ट्रेन के इंजन का पिस्टन , स्टेशन से गाड़ी चलते समय पिस्टन जैसे पहले धीरे धीरे ,.....



फिर तेजी से , सट सट ,सटासट सट , एक बार फिर भैया के कंधे पर बहन की टाँगे और अब कभी दोनों चूतड़ पकड़ के वो कसके धक्के मारता तो कभी एक हाथ छोटी छोटी टेनिस के बाल की साइज की चूँची पर और दूसरा पतली कमरिया पर , थोड़े ही देर में धक्क्के चौथे गियर में पहुँच गए,...

उसके सगे भाई अरविन्द का का लंड अब छुटकी बहिनिया की चूत में पैबस्त हो गया था , बहन कभी दर्द से चीखती , कभी मजे से सिसकती,



और जैसे ही लंड जड़ तक घुसा उस कच्ची चूत में, जैसे किसी संकरी बोतल में जबरदस्ती कोई मोटी डॉट ठूंस दे और वो बाहर न आये पाए बस, वही हालत थी , चूत ने लंड को एकदम दबोच लिया था,....

लेकिन भैया ने अब लंड के बेस से ही चूत के ऊपरी हिस्से में कस कस के रगड़ना, घिस के जुबना को निचोड़ रहा था और दूसरे उभार को कस के चूस रहा था,...



कुछ देर में छुटकी बहिनिया फिर से कगार पे पहुँच गयी और अब भाई ने हल्का हलका बाहर निकाल के पूरी तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए ,


पलंग हिल रही थी , और बहिनिया झड़ रही थी लेकिन उसने चोदना नहीं रोका, हाँ अब चूमना चूसना सब बंद कर के बस धुआंधार चुदाई,



" नहीं, बस एक मिनट , अब और नहीं , रुक जाओ भैया , ओह्ह्ह्हह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ उईईईईई "




वो सिसक रही थी , मजे से चीख रही थी , तूफ़ान रुकने के पहले नया तूफ़ान आ जाता , वो अपने छोटे छोटे नितम्ब उछाल रही थी , रुका तो नहीं वो लेकिन स्पीड जरूर धीमी कर दी और अब गुदगुदी लगा के चिकोटी काट के , ... उसके सगे भाई अरविन्द ने गीता की आँखे खुलवा ली, कभी वो शरम से आँखे बंद कर लेती कभी मजे से



बाहर बादलो को चीर कर चाँद बाहर निकल आया था और चाँद की चांदनी में वो बहुत सुंदर लग रही थी, ....




और एक चुम्मे के साथ,... गीता ने कुछ बोलने की कोशिश की तो चूम के भाई ने होंठ बंद कर दिए और इशारे से कहा बस चुप,... और अब कभी धीमे कभी तेज


गीता की देह में अभी भी दर्द था , चिलख जोर से जाँघों के बीच में से उठ रही थी लेकिन जैसे कोई झूले की पेंग पर , बस वो भी अब अपने भैया के धक्को के साथ, ... चांदनी पूरे बिस्तर पर पसरी थी, और उसका भाई, अरविन्द उसकी फैली खुली जाँघों के बीच हचक हचक के ,... अब वो साथ देने की कोशिश कर रही थी ,...लेकिन थोड़ी देर में फिर पूरी देह में तूफ़ान ,


और जब वो तीसरी बार झड़ी तो साथ में उसका भाई भी, ...


लेकिन उसे लगा कहीं उसका भाई कुछ डर के सोच के बाहर न निकाल ले झड़ने के पहले,...

उसने खुद कस के पानी बाहों में पकड़ के उसे अपनी ओर खींचा, अपनी टांगो को कस के भाई के कमर पर बाँध लिया , उसके अंदर भैया का सिकुड़ , फ़ैल रहा था ,...

और फिर जब फव्वारा छूटना शुरू हुआ तो बड़ी देर तक,... कटोरी भर से ज्यादा रबड़ी मलाई, और उसकी प्रेम गली से निकल के ,... बाहर उसकी जाँघों पे ,... लेकिन उसका उठने का
मन नहीं कर रहा था और उसने कस के अपने भाई,अरविन्द को को अपनी बाँहों में बाँध रखा था




बाहर बारिश रुक गयी थी, लेकिन अभी भी घर की छत की ओरी से, पेड़ों की पत्तियों से पानी की बड़ी बड़ी बूंदे चू रहीं थीं



टप टप टप



आधे घंटे के बाद बांहपाश से दोनों अलग हुए और एक दूसरे को देख के कस कर मुस्कराये फिर छोटी बहिनिया लजा गयी और अपना सर भाई के सीने में छुपा लिया।
Finally Bhaiyya ne Nath star di gita ki. Superb update Komal ji.
 
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भैया बहिनी




जमीन पर बिखरे दोनों के कपड़ों की तरह शरम भी अब कहीं फर्श पर बिखरी थी, खुली खिड़की से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी, थोड़े बहुत बादल कभी चाँद को घेर कर अँधेरा कर देते तो कभी चांदनी उन्हें बिखरा के गीता और उसके भाई अरविन्द की काम क्रीड़ा देखने कमरे में घुस के पसर जाती।


बात गीता ने ही शुरू की, ... बिन बोले, कभी छोटे छोटे चुम्मी से तो कभी अपनी उँगलियों से भाई अरविन्द के चौड़े सीने पे कुछ लिख के,... और फिर फुसफुसाहटों में, ...

" भैया तेरा मन बहुत दिन से कर रहा था न "



हाँ "

बहुत हलके से बोला अरविन्द लेकिन कस के अपने चौड़े सीने से बहन के छोटे छोटे जोबन को दबा देकर और जोर से बहन की बात में हामी भरी। बहन ज्यादा बोल्ड थी, वो खुल के बोली,...

" भैया, मेरा मन भी बहुत दिन से कर रहा था,... तेरे साथ करवाने को,... तेरा मन कर रहा था तो किया कयों नहीं ?"

" अब करूँगा अपनी बहना से प्यार रोज करूंगा, बिना नागा, दिन रात,... " और अरविन्द ने कस के अपनी बहन को चूम लिया





और जैसे उसके इरादे की हामी भरते, उसका खूंटा भी अब खड़ा होने लगा था।

गीता ने भी अपने सगे भाई को कस के चूम लिया,... और उसका एक हाथ खींच के अपने उत्तेजना से पथराये जोबन पे रख दिया , मन तो उसका यही कर रहा था, भैया कस के दबाएं मसलें कुचले,... मीज मीज के इसे, ... और जैसे बिन उसके बोले भैया ने इरादा समझ लिया और अब वो कस कस के अपनी छोटी बहन की चूँचियाँ मसल रगड़ रहे थे,

गीता और कस के भैया से चिपक गयी, बस मन कर रहा था ये रात कभी ख़तम न हो। अपनी देह वो भैया की देह से रगड़ने लगी, मन तो उसका बस यही मन कर रहा था की भैया कस के पेल दें, लेकिन उनकी बाहों से वो अलग भी नहीं होना चाहती थी, और अब चांदनी पूरी तरह दोनों की देह को नहला रही थी , गीता खुल के सब देख रही थी,


बात गीता के मन की ही हुयी , वो भले ही अनाड़ी थी पर भैया उसका पूरा खिलाडी था,

हाँ भाई बहन के रिश्ते के नाते कुछ बहन की कच्ची कोरी उमर के नाते लेकिन अब दो बार कस कस के चोद लेने के बाद, ...


खूंटा अब पूरा खड़ा हो चुका था,, उसने साइड में लेटे लेटे ही,...



साइड में बहन की जाँघों को पूरा फैलाया, एक हाथ से पकड़ के अपनी टांग के ऊपर, अब खूंटा सीधे बिल के पास, ... एक हाथ में तेल लेके एक बार फिर से कस के अपने लंड को मुठियाते हुए उसे तेल से चुपड़ दिया,... दो बार की हचक की चुदाई के बाद चूत का मुंह थोड़ा खुल गया था पर फिर भी एक हाथ की ऊँगली से दोनों फांको को फैला के , सुपाड़ा सटा दिया,...




और बस एक करारा धक्का और आधे से ज्यादा मोटा सुपाड़ा बहन की बुर के अंदर,... और बहन की बुर ने उसे भींच लिया कस के .

दो बार की मलाई और कडुआ तेल से गीता की बुर चप चप कर रही थी।




इसलिए सुपाड़े को घुसने में उत्ती दिक्क्त नहीं हुयी, दो तीन धक्के और पूरा सुपाड़ा अंदर पैबस्त हो गया, गीता की बिल में लेकिन एक बार फिर से तेजी से दर्द की लहर उठी और वो उसे पी गयी लेकिन उसे इसका इलाज मालूम था और उसने अपने होंठ भैया के होंठों पे रख दिए , अरविन्द को और इशारा करने की जरूरत नहीं थी , जीभ की नोक से उसने बहिना के रसीले गुलाबी होंठों को खोल दिया और अपनी जीभ बहन के मुंह में पूरी अंदर तक घुसेड़ दिया।




यही स्वाद तो हर बहन चाहती ,है नीचे वाले मुंह में भैया का खूंटा धंसा हो और ऊपर वाले मुंह में भैया की जीभ। अरविन्द ने अपने होंठों से उसके होंठों को एकदम सील करदिया था , कभी बहन के होंठों को चूस चूस के उसका रस लूटता तो कभी हलके से दांत गड़ा देता,

बेचारी गीता सिसक भी नहीं पाती पर इसी बेबसी के लिए तो हर बहन तरसती है, और वो चाहती भी यही थी की भैया के जीभ का रस उसे मुंह के अंदर मिले।


उसे कस के दबोच के उसके भाई अरविंद ने चार खूब करारे धक्के लगाए , अब तो बहन चाह के भी चीख नहीं सकती थी , लंड आधे से ज्यादा घुस गया, और उसने धक्का लगाना रोक दिया , एक हाथ कस के बहन के जोबन का रस ले रहा था तो दूसरा क्लिट की हाल चाल,

गीता गरमा रही थी, और वो समझ गयी थी उसे क्या करना है , भैया क्या चाहता है उससे,



वो भी भाई को कस के पकडे थी, और गाँव की लड़की ताकत में किसी से कम नहीं , बस कस के उसने भी भाई पर अपनी बाँहों की पकड़ बढ़ाई और कस के धक्का मारा, पहली बार तो कुछ नहीं हुआ लेकिन दो चार धक्के के बाद लंड इंच इंच कर के उसकी बुर में सरक सरक के अंदर जाने लगा,... बुर उसकी दर्द से फटी जा रही थी लेकिन पहली बार वो खुद धक्के मार मार के इस बदमाश मोटू को घोंट रही थी।

लेकिन आठ दस धक्के के बाद उसकी कमर थकने लगी,...

कुछ देर दोनों रुके रहे पर अब भाई ने नंबर लगाया लेकिन बजाय अंदर पेलने के वो धीरे धीरे सरका के बाहर निकाल रहा था , गीता से नहीं रहा गया,... और अब एक बार उसने धक्को की जिम्मेदारी सम्हाल लिया और जितना बाहर निकला था वो एक बार फिर से अंदर,...


बारिश तेज हो गयी थी , और हवा का रुख बदल गया था।




खुली खिड़की से तेज बौछार अब पलंग पे आ रही थी और दोनों भाई बहन भीग रहे थे, लेकिन जोश में कोई कमी नहीं थी। जैसे बारिश में भी सहेलियां , ननद भौजाई , सावन में भीगते हुए भी झूले का मजा लेती रहती हैं, ... उसी तरह दोनों बारी बारी से झूले की पेंग की तरह धक्के लगा रहे थे, जल्दी किसी को नहीं थी , भाई दो बार बहन की बुर में झड़ चुका था वैसे भी वो लम्बी रेस का घोडा था , बीस पच्चीस मिनट के पहले और अबकी तो तीसरा राउंड था,...

और बहन भी अब दर्द की दरिया पार कर सिर्फ खुल के मजे ले रही थी और समझ रही थी की नयी नयी आयी भौजाइयों को क्यों रात होते ही नींद आने लगती है , जम्हाई भरने लगती हैं पिया के पास जाने को।

आठ दस मिनट के बाद ही अबकी पूरा मोटू गीता के अंदर घुसा , लेकिन एक बार जैसे ही बच्चेदानी पे धक्का लगा , गीता कापने लगी, झड़ने लगी , पर भाई अबकी रुका नहीं , दोनों हाथों से उसने कस के बहन की चूँची पकड़ के , पहले तो कुछ देर तक मसला और जैसे ही बहन का कांपना रुका , एकदम तूफानी धक्के ,...



हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे , आलमोस्ट पूरा लंड बाहर और फिर रगड़ते दरेरते चूत फाड़ते पूरी ताकत से बहन की बच्चेदानी पे जबरदस्त चोट मारता और बहन काँप जाती, कुछ दर्द से लेकिन ज्यादा मजे से,... दस पंद्रह मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद जब गीता झड़ी तो साथ साथ उसका भाई अरविन्द भी उसकी चूत में


दोनों थोड़ी देर में ही नींद में गोते लगा रहा थे, देस दुनिया से बेखबर। भाई बहन तीन बार के मिलन के बाद खूब गहरी नींद,..

Ohhh god very sexy. Meri bhi malai nickel gai.
 

Premkumar65

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" हे देगी "








अब तक गीता भी गरम हो गयी थी , मुस्करा के अपने चूतड़ कस के उठाती बोली,...

" चोद बहनचोद, मेरे बहनचोद भाई , चोद अपनी बहन की चूत हचक के दिखा दे तू कित्ता बहनचोद है "

बस इतना काफी था,... और उसके भाई ने बहन को दोनों चूँचियों को कस के पकड़ा, और जोर जोर से दबाते मसलते , पहले तो पूरा का पूरा ८ इंच बाहर निकाला और पूरी ताकत लगा के , एक धक्के में ही सुपाड़े ने बहन की बच्चेदानी पे वो जबरदस्त चोट मारी की गीता झड़ने लगी ,



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ऊपर से बादल झड़ रहे थे नीचे से बहन, ... काँप रही थी , हिल रही थी और भाई का मूसल जड़ तक धंसा , वो चुपचाप उसके ऊपर लेटा,... लेकिन उसके हाथ आज जैसे बदला ले रहे हों , बहन के इन उभारों ने जिसे देखे ही न जाने कितने दिनों से उसकी पैंट टाइट हो जाती थी, आज उसके हाथों में थे। खूब कस के रगड़ रहा था मसल रहा था,....



और धक्के एक बार फिर चालू हो गए जैसे बहन का झड़ना रुका और अब वो शुरू से ही चौथे गियर में और उकसा के जो बहन के मुंह से सुनना चाहता था , अब वो खुल के बोल रही थी,...



" चोद, बहनचोद चोद , चोद अपनी एकलौती सगी छोटी बहन की चूत, फाड़ दे ,... बहुत अच्छा लग रहा है , चोद, चोद ,... "

और साथ में बूंदो का संगीत, उन दोनों की देह पर सावन की बरसती रिमझिम की धुन, तेज हवा में सर हिलाते झूमते साथ में जैसे ताल देते आंगन का पुराना नीम का पेड़

, जिसके नीचे कितनी बार दोनों भाई बहन खेलते थे, गीता अपनी गुड़िया की शादी की तैयारी रच रच के करती थी और उसका भाई उसे बिगाड़ने पे तुला रहता था,...

उसके नीचे दबी आंगन के कीचड़ में लथपथ, ...दो दो बार झड़ने के बाद , एकदम चुद चुद के थेथर होने पर भी,
अपने भाई के हर धक्के की ताल पर नीचे से चूतड़ उछालती, उसे बाहों में कस कस के भींच के कभी चीखती कभी सिसकती तो कभी अपने दांतों से भाई के कंधो काटती, नाखूनों से उसके पीठ को नोचती



अगर, भाई के धक्के एक पल के लिए भी धीमे होते या जान बूझ के वो रोकता,...

अब रिश्तों में हसीन बदलाव एकदम पूरा था अब सिर्फ एक रिश्ता था , दुनिया का सबसे मीठा ,



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कभी खुद सर उठा के अपने ऊपर चढ़े भाई के होंठों को चूम लेती, चूस लेती , भाई के चेहरे को भिगो कर, भाई के देह से रस से भीगी बारिश की बूंदों को होंठो की अंजुली बना, चुल्लू चुल्लू पी लेती,

कितनी प्यासी थी वो, पर अब उसके भाई के देह की हर बूँद अब सीधे उसके भीतर उसकी देह में समाएगी, जैसे भाई के ऊपर हो रही सावन की बारिश,... की हर बूँद छलक के उसकी देह पर पड़ रही थीं,... और वो अपनी बांह पाश में बांधे भाई को और कस कस के अपनी ओर, अपने अंदर खींच रही थी, अपने अंदर घुसे भाई को अपनी योनि भींच भींच के बता रही थी अब नहीं छोड़ने वाली वो उसे,...

सावन अब तक कितनी बार बरसा था, कितनी बार माँ के मना करने पर भी भीगी थी वो,

पर आज सावन की बात ही और थी, देह पर बरसता सावन और देह के अंदर बरसता भाई का,...

गीता की देह के हर अंग भाई से हजार हजार बातें बिन बोले कर रहे थे, अब तक की तपन, प्यास, चढ़ती जवानी की चुभन, अगन


और उस की हर बात का जवाब आज उस केभाई अरविन्द के धक्के दे रहे थे , जैसे इस बरसते पानी में गीली मिट्टी और कीचड़ में बहन की चूत वो फाड़ के रख देगा।

औरअरविन्द ने साथ में कचकचा के उसके निप्स काटे और बोला, सुन आज के बाद से से अगर तूने मेरे सामने चूत, बुर लंड गाँड़ चुदाई के अलावा कुछ बोला न ,... "


नहीं बोलूंगी , भैया , बस तो ऐसे ही चोदता रह , ओह्ह भैया कित्ता अच्छा लग रहा है ,... "

उसने माना और थोड़ी देर बाद बरसते पानी में वो दोनों बरस रहे थे,...

और झड़ने के बाद भी एक दूसरे की बाँहों में गीली मिट्टी पे बहुत देर तक पड़े रहे,... और उठने के बाद दोनों ने बारिश की पानी से ही एक दूसरे को साफ़ किया ,...



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वो तो और देर तक भीगती रहती बारिश में इत्ता अच्छा लग रहा था, बिना कपड़ों के साथ साथ इस तरह भीगना,

पर भाई ने खींच के उसे बरामदे में किया, और तौलिये से उसे साफ़ किया रगड़ रगड़ के ( बदमाश, ... जो कटोरी भर मलाई उसकी ताल तलैया में छोड़ा था, और रिस रिस के उसकी गोरी मांसल जाँघों पे बूँद बूँद बह रहा था, उसे भैया ने वैसे ही छोड़ दिया ),

बारिश बंद हो गयी थी, बस छज्जों से, आँगन के नीम के पेड़ की डालियों, पत्तों से, पुनगियों से अभी भी बची हुयी बूंदे रह रह के टप टप गिर रही थीं,...





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मुंडेर के पास एक गौरइया, आंगन में झाँक रहे पीपल की के पत्ते की छतरी बना अभी भी बैठी थी,....


" हे चल भूख बहुत लगी है, खाना निकाल , अभी बारिश बंद है, थोड़ी देर जा के खेत का बाग़ बगीचे का हाल देख लूँ, अगर ग्वालिन भौजी आएँगी तो गाय गोरु का भी,... "

और वह तैयार होने अपने कमरे में, गीता भी अपने कमरे में, कपडे पहनते ही जो लाज अभी आँगन में बह कर कीचड़ माटी के साथ धुल गयी थी, थोड़ी थोड़ी वापस आ गयी,... और फिर वो रसोई में, ... सच में भैया को निकलने की जल्दी होगी,...


कल तो गीता ने गुड़ वाली बखीर बना के पूए के साथ भैया को खिलाया था, लेकन उसे मालूम था की भैया को दाल भरी पूड़ी बहुत पसंद है , तो उसने दाल भरी पूड़ी के साथ चावल की खीर, आलू की रसे की सब्जी, चटनी, सब कुछ भैया की पसंद का ही बनाया था।



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और फिर भैया की पसंद का जो खाना बनाया था , उसकी गोद में बैठ के कभी बहन ने अपने कभी होंठों से बहुत प्यार से भैया को खिलाया,... बारिश रुकी हुयी थी लेकिन बादल अभी भी घिरे थे और आज रात फिर जम के बरसने के आसार थे ...


और भाई एक बार फिर बाहर खेती किसानी की हाल चाल लेने और बहन रसोई में ,...


जल्दी जल्दी बर्तन वर्त्तन साफ़ करके रसोई समेट के रात के खाने का इंतजाम भी भैया के आने के पहले कर लेना चाहती थी, रसोइ में वो लगी थी पर मन में बस एक बार उमड़ घुमड़ रही थी,

माँ एक दो दिन और न आये,... वैसे भी मामा के यहाँ से वो देर रात को ही आती थी और अगर एक बार पानी बरसना शुरू हो गया तो,... अक्सर तो उन के गाँव की बस भी एक दो दिन बंद हो जाती थी तेज बारिश में कहीं कच्ची सड़क कट गयी, ... बस एक दो दिन और भैया के साथ , कम से कम आज रात को,... लेकिन उसके चाहने से क्या होता है , अगर कहीं माँ न आये तो,... पर तू तो अपना काम जल्दी समेट, तेरा भाई आ गया न तो उसे एक ही काम सूझता है , उसने अपने मन से बोला,

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घंटे दो घंटे बाद जब, अरविन्द उसका भाई खेत का काम धाम देख के लौटा तो लौटा तो बहन ,.

.क्या सेक्सी माल लग रही थी,...


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उसे मालूम था की उसके भैया को क्या पसंद है ,

लड़के भले ने समझे, सोचें वो चोरी चुपके अपने माल को ताड़ रहे हैं, लेकिन लड़कियाँ बिना उनकी ओर देखे , नजर का खेल समझ लेती हैं, ...और साल भर से वो देख रही थी,... उसके स्कूल के टॉप से झांकते छलकते उसके उभार,...

और अभी उसने जान बूझ के दो साल पहले की स्कूल ड्रेस की सफेद टॉप,... कब से उसने नहीं पहनी थी,... उस समय तो बस उभार आने ही ही शुरू हुए थे, ब्रा भी नहीं पहनती थी,.. बड़ी मुश्किल से उसके अंदर घुसी,...

बिना ब्रा के भी उन कबूतरों को बंद करना मुश्किल था , और उसे ऊपर की दो बटने भी खोलनी पड़ीं, गोरी गोरी गोलाइयों का उभार , गहराई सब एकदम साफ़ साफ़ दिख रही थी,...

और स्कर्ट भी उसी के साथ की,... तब से वो लम्बी भी हो गयी थी , गदरा भी गयी थी,... स्कर्ट घुटनों से बहुत ऊपर ख़तम हो जाती थी और उसकी गुलाबो से बस बित्ते भर नीचे, हाँ घेर बहुत था,...

भैया जब घर आया, बारिश तो कब की बंद हो चुकी थी , लेकिन बादल उसी तरह घिरे,...

शाम होने थी,काले काले बादलों में हों रही शाम की सिंदूरी आभा बस जब तब झलक उठती थी , जैसे खूब गहने श्यामल बालों के बीच नयी दुल्हन की मांग,...



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वो आते ही मूड में था और गीता को देख के उसका अपने आप टन्नाने लगा,...

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उसकी निगाहें बहन के छोटे छोटे जुबना पे,.. वो हिरणी मुस्करा रही थी और उसकी चिढ़ाती निगाहें , भैया के खड़े प्यासे खूंटे पे एकदम बेशर्मी से चिपकी,...


भाई बहन में क्या शरम , बचपन में डाक्टर नर्स खेलते , कित्ती बार एक दूसरे का देखा भी है , छुआ भी है , पकड़ा भी है ,...



" हे देगी " ... भाई ने छेड़ा,...



" क्या भैया,... " अपने उभारों को हलके से उभारते, निगाहों से चिढ़ाते, उकसाते , बहुत भोलेपन से उसने पूछा




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What a great update. Nothing to beat Bro Sis incest. Thats the ultimate in sex. Lust fear excitement and risk of being caught gives extreme pleasure.
 
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