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Hot majedar mast update Komal jiपूर्वाभास ८ -
छुटकी - कैसे फटी, जीजा संग कैसे फटी
पेज ३२ पोस्ट ३११ -३१३
मैं भी जोश में उनका शार्ट सरका के उनके मूसल चन्द को अपनी मुट्ठी में दबाती रगड़ती बोली-
“अरे अभी असली टिकोरे वाली तो बची ही है, उसका भी तो…”
और मेरी बात काट के मेरे साये को कमर तक सरका के, मेरी बुर अपनी मुट्ठी में दबोचते बोले-
“उसकी तो ऐसी रगड़-रगड़ के लूंगा की, साल्ली जिंदगी भर याद करेगी अपनी पहली चुदाई।
फाड़ के रख दूंगा तेरी बहन की…”
और हम दोनों वैसे ही सो गए, दोपहरिया में अलसाये
पिछली रात भी मम्मी के साथ मस्ती में जागते बीती थी।
और जैसे ही हम सोते थे, इनके हाथ मेरे चूचियों पे, और मेरा इनके लण्ड पे, बस वैसे ही।
हम लोग सोते ही रहते अगर रितू भाभी आके नहीं जगातीं-
“जागो सोनेवालों जागो…”
और इनके कान में जीभ से सुरसुरी करती बोलीं-
“अरे नन्दोई जी एक कच्ची कली, मस्त टिकोरों वाली,
अपनी गुलाबी परी सम्हाले आपका इन्तजार कर रही है…”
और जब हम दोनों उठे, तो रितू भाभी ने न उन्हें अपना शार्ट ठीक करने दिया और न मुझे ब्लाउज।
नन्दोई सलहज में थोड़ी देर छेड़छाड़ चलती रही।
रितू भाभी उनके माँ बहनों का हाल लेती रही और वो रितू भाभी को गोद में खींचकर चोली के ऊपर से ही जोबन का रस कभी हाथों से कभी होंठों से।
और मौका पाकर मैंने ब्लाउज की बची खुची बटन बंद कर ली (चार में से दो तो उन्होंने तोड़ ही दी थीं),
साये का नाड़ा बाँध लिया और साड़ी बस लपेट ली।
(मुझे मालूम था, रितू भाभी हों तो ननद के देह पे कपड़े कितने देर टिकते थे, जैसे ये, उनके नन्दोई कपड़े के दुश्मन, वैसे ही उनकी सलहज)
तब तक रितू भाभी को उस मिशन की याद आई, जिसके लिए वो आई थीं, मिशन छुटकी। और उन्होंने अपने नन्दोई को ललकारा। शार्ट के ऊपर से ही उन्होंने नन्दोई के हथियार को जोर से दबाते मसलते कहा-
“अरे नन्दोई जी, अपनी नहीं तो इसकी फिकर करो, बिचारा कितना भूखा है…”
और भाभी के दबाने मसलने से वो आधा सोया आधा जागा, पूरी तरह जग के फुफकारने लगा।
लेकिन इतने पर अगर वो छोड़ दें तो रितू भाभी कैसी,
शार्ट में अंदर हाथ डाल के एक झटके में रितू भाभी ने सुपाड़ा खोल दिया और उनके पेशाब के छेद पे अंगूठा लगा के, रगड़ने मसलने लगी। और साथ में उनकी बातें-
“बोल चाहिये छोटी साल्ली की कच्ची चूत… बहुत चिल्लाएगी, चीखेगी वो… लेकिन छोड़ना मत…
रगड़-रगड़ के फाड़ना, चीखने, चिल्लाने देना साल्ली को…”
अब तो बिचारे उनका लण्ड एकदम पागल हो गया।
रितू भाभी मुठियाती रही, कभी पेल्हड़ भी सहला देती तो कभी उनके गाल पे हल्के से चुम्मी लेकर काट लेती।
सलहज हो तो रितू भाभी ऐसी।
थोड़ी देर में हम तीनों ऊपर छुटकी के कमरे में पहुँच गए।
वो लगता है बस इंतजार ही कर रही थी।
एक झीनी झीनी कम से कम दो साल पुरानी टाप और स्कर्ट में, उसके टिकोरे टाप फाड़ रहे थे,
और स्कर्ट भी छोटी-छोटी किशोर गोरी-गोरी जांघों को दिखाती ज्यादा, छुपाती कम।
उसकी और उसके जीजा की आँखें चार हुई और दोनों मुश्कुराये।
उसके जीजा भी बस बनयान शार्ट्स में और, खूंटा पूरा तना, शार्ट्स को फाड़ता।
छुटकी को देखकर बल्की छुटकी के कच्चे टिकोरों को देखकर वो और बौरा गया।
वो छुटकी के बगलमें ही बैठ गए, उससे सट कर।
और रितू भाभी मेरे बगल में बैठ गईं।
वो छुटकी को प्यासी नजरों से देख रहे थे, बल्की उनकी नजरें छुटकी के टीकोरों पे टिकी थीं।
और छुटकी कुछ सहमी, कुछ डरी और कुछ हो जाय तो हो जाने दो के अंदाज में निगाहें झुकाये थी।
लेकिन बीच-बीच में जब उसकी निगाह इनसे चार होती, तो मुश्कुरा जाती।
रितू भाभी सोच रहीं थी कब खेल तमाशा शुरू हो।
और इस बीच भाभी की शरारती उंगलियों ने मेरे ब्लाउज की बची खुची बटनों को भी खोल दिया और उरोज मचलकर बाहर।
लेकिन जहाँ असली कबड्डी होनी थी वहां डेडलाक मचा था।
लेकिन छुटकी की चुदाई का रास्ता खोला, और किसने मम्मी ने।
और उसे पक्का किया रितू भौजी ने।
नीचे से मम्मी ने आवाज दी-
“मैं जरा पड़ोस में जा रही हूँ, एक-डेढ़ घंटे में आऊँगी। दरवाजा बंद कर ले, छुटकी…”
छुटकी उतरकर नीचे जाती की उसके पहले मैंने उसे दस पांच काम बता दिए-
“सारे दरवाजे चेक कर लेना। मेरा कमरा भी अच्छी तरह बंद कर देना। आदि आदि…”
यानी अब 6-7 मिनट की छुट्टी।
और सबसे बड़ी बात, मम्मी हैं नहीं। दरवाजे सारे बंद।
तो अब छुटकी चाहे रोये, चाहे चिल्लाये, चाहे ये उसे दौड़ा दौड़ा के, चाहे ऊपर उसके कमरे में, चाहे नीचे खुले आँगन में चोदें, कोई उसकी चीख पुकार सुनने वाला नहीं था।
हैं रितू भाभी तो वो तो खुद भौजाई का हक अदा करेंगी, उसकी टाँगें पकड़कर फैलाएंगी।
और मैं… मैं बहुत हुआ तो न्यूट्रल रहूंगी। और आखिर मेरा पति मेरा है।
जो उन्हें पसंद वो मुझे पसंद।
और रितू भाभी ने पहला शिकार मुझे ही बनाया। मुझे से बोलीं-
“है तेरे आँचल पे डिजाइन बड़ी अच्छी है, जरा खड़ी हो दिखा…”
और जैसे ही मैं खड़ी हुई उन्होंने आँचल पकड़कर खींचा और दूसरे हाथ से उन्होंने पेटीकोट में फँसी साड़ी निकाल दी।
साड़ी मैंने वैसे ही बस लपेटी सी, थी।
और अगले पल सररर सररर, पूरी की पूरी साड़ी उनके हाथ में और मैं सिर्फ ब्लाउज साये में,
और ब्लाउज के भी सारे बटन खुले।
रितू भाभी ने जोरदार आवाज लगायी, बाहर छत पे जाकर, नीचे आँगन में खड़ी छुटकी को-
“अरे छुटकी, सुन ये तेरी दीदी की साड़ी है, ले जरा ठीक से तहिया के रख देना…”
और जब वो नीचे, हँसती खिलखिलाती, छुटकी को साड़ी फेंक रही थीं, मौका मेरा था।
मैंने पहले तो साड़ी खींची और फिर दोनों हाथों से रितू भाभी के जोबन दबाते, चोली के बन्ध खोल दिए।
और अब हम दोनों खुले ब्लाउज में बिना साड़ी के थे।
नीचे छुटकी हम लोगों का खेल तमाशा देखकर हँस रही थी।
और रितू भाभी की साड़ी नीचे फेंकते हुए मैंने उन्हीं का डायलाग दुहराया-
“अरे छुटकी, सुन ये तेरी भौजी की साड़ी है, ले जरा ठीक से तहिया के रख देना…”
हँसती, खिलखिलाती, छुटकी ने बोला-
“एकदम दीदी…”
और उसे कैच कर लिया।
रितू भाभी के ब्लाउज के कुछ बटन उनके नन्दोई के हाथ खेत रहे और कुछ मैंने तोड़ दिए।
हम दोनों वापस कमरे में थे, इनके सामने। मैंने पीछे से, रितू भाभी के गदराये, गब्बर जोबन दबोच लिए, (ब्लाउज की आड़ भी अब नहीं थी) और कस के रगड़ते मसलते चिढ़ाया-
“क्यों भाभी, भैया ऐसे ही दबाते हैं न…”
हँसकर रितू भाभी बोली-
“अरे साफ-साफ क्यों नहीं बोलती, अपने भैया से दबवाने का मन कर रहा है, दबवा लो, चुदवा लो न खुद पता चल जाएगा। अरे सैयां से सैयां बदल लेओ ननदी, तुम मेरे सैयां से मजा ले लो ननद रानी और मैं तुम्हारे सैयां से…”
“नहीं भाभी, मेरे सैयां भी आपको मुबारक और मेरे भैया भी। एक आगे से एक पीछे से, एक साथ डबल मजा…”
उनके निपल जोर से पुल करते मैंने छेड़ा।
लेकिन रितू भाभी से पार पाना इतना आसान नहीं था।
उन्होंने पलटा खाया, और अब हम दोनों अखाड़े के पहलवान के समान आमने सामने थे और वो अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों से मेरी चूचियां जोर से रगड़ मसल रही थीं, और मैं भी उसी तरह से जवाब दे रही थी।
वो एक नदीदे बच्चे की तरह हम दोनों को देख रहे थे।
रितू भाभी, जोर-जोर से मेरी चूची पकड़कर मसल रही थी, रगड़ रही थी और अचानक उन्होंने मेरा साया भी उठा दिया।
मैं क्यों पीछे रहती, और अगले पल हम दोनों की चूत भी घिस्से पे घिस्से लगाने लगी।
वो गाण्ड के शौकीन, मैं रितू भाभी की बड़ी-बड़ी गोल-गोल गाण्ड पकड़कर उन्हें दिखा-दिखाकर ललचा रही थी।
बस उनके मुँह से लार नहीं टपक रही थी, खूंटा एकदम जबरदस्त तन्नाया खड़ा था, शार्ट से बाहर झांकता।
और तब तक गालियों की बारिश भी शुरू हो गई।
रितू भाभी ने उन्हें जोर से आँख मारी और घचाक से मेरी गाण्ड में उंगली पेलते हुई
- “छिनार, सातभतरी, तेरी सारी ननदों की गाण्ड मारूं, बुर चोदूं, क्या कचकचौवा गाण्ड है साल्ली…”
मैंने भी गाली के जवाब में गाली शुरू कर दी।
“तेरे नन्दोई बहनचोद की बहन चोदूँ, भौजी तोहरो गाण्ड में खूब माल भरल हौ…”
एक के जवाब में दो उंगली मैंने पेल दी, रितू भाभी की कसी-कसी गाण्ड में।
“तेरी सास का भोंसड़ा मारू, ससुराल में अपनी ननदों के साथ खूब कबड्डी खेल के आई है, छिनाल…” ''
रितू भाभी ने जवाब दिया।
“अरे भौजी मेरी साली ननदें हैं, भाईचोद। एक के ऊपर दस-दस चढ़ते हैं, तेरे मादरचोद नन्दोई की माँ का भोंसड़ा, जिसमें गदहे घोड़े सब घुसते हैं…”
उनकी गाण्ड में गोल-गोल उंगली घुमाते मैं बोली।
इस लेस्बियन रेस्लिंग के साथ गालियों ने उनकी हालत और खराब कर दी।
गालियां हम दोनों दे रही थी लेकिन टारगेट उन्हीं की माँ बहने थी।
रितू भाभी ने जोर से मुझे आलिंगन में दबोच लिया था।
मैंने उनके कान में फुसफुसाया- “
अरे भौजी, हम दोनों टापलेस हो गए हैं और आपके नन्दोई अभी भी…”
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nand bhabhi milkar achha maza le rahi hai jija se
lagta hai aaj chotki ki sil tut hi jayegi chotki bhi utawali hi hai chut fadwane ke liye
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