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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

SultanTipu40

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पूर्वाभास ८ -

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छुटकी - कैसे फटी, जीजा संग कैसे फटी

पेज ३२ पोस्ट ३११ -३१३



मैं भी जोश में उनका शार्ट सरका के उनके मूसल चन्द को अपनी मुट्ठी में दबाती रगड़ती बोली-


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“अरे अभी असली टिकोरे वाली तो बची ही है, उसका भी तो…”

और मेरी बात काट के मेरे साये को कमर तक सरका के, मेरी बुर अपनी मुट्ठी में दबोचते बोले-


“उसकी तो ऐसी रगड़-रगड़ के लूंगा की, साल्ली जिंदगी भर याद करेगी अपनी पहली चुदाई।

फाड़ के रख दूंगा तेरी बहन की…”


और हम दोनों वैसे ही सो गए, दोपहरिया में अलसाये

पिछली रात भी मम्मी के साथ मस्ती में जागते बीती थी।

और जैसे ही हम सोते थे, इनके हाथ मेरे चूचियों पे, और मेरा इनके लण्ड पे, बस वैसे ही।

हम लोग सोते ही रहते अगर रितू भाभी आके नहीं जगातीं-

“जागो सोनेवालों जागो…”


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और इनके कान में जीभ से सुरसुरी करती बोलीं-

“अरे नन्दोई जी एक कच्ची कली, मस्त टिकोरों वाली,


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अपनी गुलाबी परी सम्हाले आपका इन्तजार कर रही है…”

और जब हम दोनों उठे, तो रितू भाभी ने न उन्हें अपना शार्ट ठीक करने दिया और न मुझे ब्लाउज।


नन्दोई सलहज में थोड़ी देर छेड़छाड़ चलती रही।

रितू भाभी उनके माँ बहनों का हाल लेती रही और वो रितू भाभी को गोद में खींचकर चोली के ऊपर से ही जोबन का रस कभी हाथों से कभी होंठों से।

और मौका पाकर मैंने ब्लाउज की बची खुची बटन बंद कर ली (चार में से दो तो उन्होंने तोड़ ही दी थीं),

साये का नाड़ा बाँध लिया और साड़ी बस लपेट ली।


(मुझे मालूम था, रितू भाभी हों तो ननद के देह पे कपड़े कितने देर टिकते थे, जैसे ये, उनके नन्दोई कपड़े के दुश्मन, वैसे ही उनकी सलहज)

तब तक रितू भाभी को उस मिशन की याद आई, जिसके लिए वो आई थीं, मिशन छुटकी। और उन्होंने अपने नन्दोई को ललकारा। शार्ट के ऊपर से ही उन्होंने नन्दोई के हथियार को जोर से दबाते मसलते कहा-


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“अरे नन्दोई जी, अपनी नहीं तो इसकी फिकर करो, बिचारा कितना भूखा है…”

और भाभी के दबाने मसलने से वो आधा सोया आधा जागा, पूरी तरह जग के फुफकारने लगा।

लेकिन इतने पर अगर वो छोड़ दें तो रितू भाभी कैसी,

शार्ट में अंदर हाथ डाल के एक झटके में रितू भाभी ने सुपाड़ा खोल दिया और उनके पेशाब के छेद पे अंगूठा लगा के, रगड़ने मसलने लगी। और साथ में उनकी बातें-

“बोल चाहिये छोटी साल्ली की कच्ची चूत… बहुत चिल्लाएगी, चीखेगी वो… लेकिन छोड़ना मत…

रगड़-रगड़ के फाड़ना, चीखने, चिल्लाने देना साल्ली को…”

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अब तो बिचारे उनका लण्ड एकदम पागल हो गया।

रितू भाभी मुठियाती रही, कभी पेल्हड़ भी सहला देती तो कभी उनके गाल पे हल्के से चुम्मी लेकर काट लेती।

सलहज हो तो रितू भाभी ऐसी।

थोड़ी देर में हम तीनों ऊपर छुटकी के कमरे में पहुँच गए।
वो लगता है बस इंतजार ही कर रही थी।
एक झीनी झीनी कम से कम दो साल पुरानी टाप और स्कर्ट में, उसके टिकोरे टाप फाड़ रहे थे,


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और स्कर्ट भी छोटी-छोटी किशोर गोरी-गोरी जांघों को दिखाती ज्यादा, छुपाती कम।

उसकी और उसके जीजा की आँखें चार हुई और दोनों मुश्कुराये।


उसके जीजा भी बस बनयान शार्ट्स में और, खूंटा पूरा तना, शार्ट्स को फाड़ता।


छुटकी को देखकर बल्की छुटकी के कच्चे टिकोरों को देखकर वो और बौरा गया।



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वो छुटकी के बगलमें ही बैठ गए, उससे सट कर।

और रितू भाभी मेरे बगल में बैठ गईं।

वो छुटकी को प्यासी नजरों से देख रहे थे, बल्की उनकी नजरें छुटकी के टीकोरों पे टिकी थीं।

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और छुटकी कुछ सहमी, कुछ डरी और कुछ हो जाय तो हो जाने दो के अंदाज में निगाहें झुकाये थी।


लेकिन बीच-बीच में जब उसकी निगाह इनसे चार होती, तो मुश्कुरा जाती।


रितू भाभी सोच रहीं थी कब खेल तमाशा शुरू हो।


और इस बीच भाभी की शरारती उंगलियों ने मेरे ब्लाउज की बची खुची बटनों को भी खोल दिया और उरोज मचलकर बाहर।


लेकिन जहाँ असली कबड्डी होनी थी वहां डेडलाक मचा था।


लेकिन छुटकी की चुदाई का रास्ता खोला, और किसने मम्मी ने।

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और उसे पक्का किया रितू भौजी ने।

नीचे से मम्मी ने आवाज दी-

“मैं जरा पड़ोस में जा रही हूँ, एक-डेढ़ घंटे में आऊँगी। दरवाजा बंद कर ले, छुटकी…”

छुटकी उतरकर नीचे जाती की उसके पहले मैंने उसे दस पांच काम बता दिए-


“सारे दरवाजे चेक कर लेना। मेरा कमरा भी अच्छी तरह बंद कर देना। आदि आदि…”

यानी अब 6-7 मिनट की छुट्टी।

और सबसे बड़ी बात, मम्मी हैं नहीं। दरवाजे सारे बंद।


तो अब छुटकी चाहे रोये, चाहे चिल्लाये, चाहे ये उसे दौड़ा दौड़ा के, चाहे ऊपर उसके कमरे में, चाहे नीचे खुले आँगन में चोदें, कोई उसकी चीख पुकार सुनने वाला नहीं था।

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हैं रितू भाभी तो वो तो खुद भौजाई का हक अदा करेंगी, उसकी टाँगें पकड़कर फैलाएंगी।


और मैं… मैं बहुत हुआ तो न्यूट्रल रहूंगी। और आखिर मेरा पति मेरा है।


जो उन्हें पसंद वो मुझे पसंद।

और रितू भाभी ने पहला शिकार मुझे ही बनाया। मुझे से बोलीं-

“है तेरे आँचल पे डिजाइन बड़ी अच्छी है, जरा खड़ी हो दिखा…”

और जैसे ही मैं खड़ी हुई उन्होंने आँचल पकड़कर खींचा और दूसरे हाथ से उन्होंने पेटीकोट में फँसी साड़ी निकाल दी।
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साड़ी मैंने वैसे ही बस लपेटी सी, थी।


और अगले पल सररर सररर, पूरी की पूरी साड़ी उनके हाथ में और मैं सिर्फ ब्लाउज साये में,


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और ब्लाउज के भी सारे बटन खुले।

रितू भाभी ने जोरदार आवाज लगायी, बाहर छत पे जाकर, नीचे आँगन में खड़ी छुटकी को-

“अरे छुटकी, सुन ये तेरी दीदी की साड़ी है, ले जरा ठीक से तहिया के रख देना…”

और जब वो नीचे, हँसती खिलखिलाती, छुटकी को साड़ी फेंक रही थीं, मौका मेरा था।


मैंने पहले तो साड़ी खींची और फिर दोनों हाथों से रितू भाभी के जोबन दबाते, चोली के बन्ध खोल दिए।

और अब हम दोनों खुले ब्लाउज में बिना साड़ी के थे।

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नीचे छुटकी हम लोगों का खेल तमाशा देखकर हँस रही थी।

और रितू भाभी की साड़ी नीचे फेंकते हुए मैंने उन्हीं का डायलाग दुहराया-

“अरे छुटकी, सुन ये तेरी भौजी की साड़ी है, ले जरा ठीक से तहिया के रख देना…”

हँसती, खिलखिलाती, छुटकी ने बोला-

“एकदम दीदी…”

और उसे कैच कर लिया।

रितू भाभी के ब्लाउज के कुछ बटन उनके नन्दोई के हाथ खेत रहे और कुछ मैंने तोड़ दिए।


हम दोनों वापस कमरे में थे, इनके सामने। मैंने पीछे से, रितू भाभी के गदराये, गब्बर जोबन दबोच लिए, (ब्लाउज की आड़ भी अब नहीं थी) और कस के रगड़ते मसलते चिढ़ाया-


“क्यों भाभी, भैया ऐसे ही दबाते हैं न…”



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हँसकर रितू भाभी बोली-


“अरे साफ-साफ क्यों नहीं बोलती, अपने भैया से दबवाने का मन कर रहा है, दबवा लो, चुदवा लो न खुद पता चल जाएगा। अरे सैयां से सैयां बदल लेओ ननदी, तुम मेरे सैयां से मजा ले लो ननद रानी और मैं तुम्हारे सैयां से…”

“नहीं भाभी, मेरे सैयां भी आपको मुबारक और मेरे भैया भी। एक आगे से एक पीछे से, एक साथ डबल मजा…”

उनके निपल जोर से पुल करते मैंने छेड़ा।


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लेकिन रितू भाभी से पार पाना इतना आसान नहीं था।

उन्होंने पलटा खाया, और अब हम दोनों अखाड़े के पहलवान के समान आमने सामने थे और वो अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों से मेरी चूचियां जोर से रगड़ मसल रही थीं, और मैं भी उसी तरह से जवाब दे रही थी।

वो एक नदीदे बच्चे की तरह हम दोनों को देख रहे थे।

रितू भाभी, जोर-जोर से मेरी चूची पकड़कर मसल रही थी, रगड़ रही थी और अचानक उन्होंने मेरा साया भी उठा दिया।

मैं क्यों पीछे रहती, और अगले पल हम दोनों की चूत भी घिस्से पे घिस्से लगाने लगी।




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वो गाण्ड के शौकीन, मैं रितू भाभी की बड़ी-बड़ी गोल-गोल गाण्ड पकड़कर उन्हें दिखा-दिखाकर ललचा रही थी।




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बस उनके मुँह से लार नहीं टपक रही थी, खूंटा एकदम जबरदस्त तन्नाया खड़ा था, शार्ट से बाहर झांकता।

और तब तक गालियों की बारिश भी शुरू हो गई।

रितू भाभी ने उन्हें जोर से आँख मारी और घचाक से मेरी गाण्ड में उंगली पेलते हुई

- “छिनार, सातभतरी, तेरी सारी ननदों की गाण्ड मारूं, बुर चोदूं, क्या कचकचौवा गाण्ड है साल्ली…”


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मैंने भी गाली के जवाब में गाली शुरू कर दी।

“तेरे नन्दोई बहनचोद की बहन चोदूँ, भौजी तोहरो गाण्ड में खूब माल भरल हौ…”


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एक के जवाब में दो उंगली मैंने पेल दी, रितू भाभी की कसी-कसी गाण्ड में।


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“तेरी सास का भोंसड़ा मारू, ससुराल में अपनी ननदों के साथ खूब कबड्डी खेल के आई है, छिनाल…” ''


रितू भाभी ने जवाब दिया।

“अरे भौजी मेरी साली ननदें हैं, भाईचोद। एक के ऊपर दस-दस चढ़ते हैं, तेरे मादरचोद नन्दोई की माँ का भोंसड़ा, जिसमें गदहे घोड़े सब घुसते हैं…”


उनकी गाण्ड में गोल-गोल उंगली घुमाते मैं बोली।

इस लेस्बियन रेस्लिंग के साथ गालियों ने उनकी हालत और खराब कर दी।

गालियां हम दोनों दे रही थी लेकिन टारगेट उन्हीं की माँ बहने थी।

रितू भाभी ने जोर से मुझे आलिंगन में दबोच लिया था।

मैंने उनके कान में फुसफुसाया- “

अरे भौजी, हम दोनों टापलेस हो गए हैं और आपके नन्दोई अभी भी…”
Hot majedar mast update Komal ji

hhhhhhhhh

nand bhabhi milkar achha maza le rahi hai jija se

lagta hai aaj chotki ki sil tut hi jayegi chotki bhi utawali hi hai chut fadwane ke liye
 
Last edited:

komaalrani

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Aap likhate rahiye main sath rahunga story likhte likhte mera bhi dimag thoda chakra gaya hai aap ki holi padh kar thoda achha kar leta huin

bahut maza aane raha aap ye story Komal ji

waise chotki ka apna bhai bhi hota to our maza aata story main 👀
Chutkai ka apna bhai to nahi hai, lekin chhutki ke Jija ji ki do shaandar jandaar bahne to hain na,...:wink::wink:


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Amazing!!
People have longed for this....
Keep Shining with it.
We have and will support you.
Congratulations from my side.
 

SultanTipu40

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छुटकी की फट गयी

पेज ३३ पोस्ट ३२७ -३२८

रितू भाभी ने अपनी मस्त चूचियां उनकी पीठ पे रगड़ते हुए, हल्के से उनका गाल काटा

और जैसे कोई मर्द किसी कच्ची कली के टिकोरों को पकड़कर दबोच ले, उनके दोनों टिट्स को पकड़कर मसल दिया।

उनके मुँह से चीख और सिसकारी दोनों निकल गई।

“क्या नन्दोई जी, लौंडिया की तरह सिसक रहे हो अभी दिलवाती हूँ, तुझे टिकोरों का मजा…”

और साथ ही शार्ट सरका के उन्होंने उनके मस्त खूंटे को बाहर निकाल लिया। एकदम मस्त कड़ियल, फुँफकारता,

“हे आज कोई रहमदिली मत दिखाना, कर देना खून खच्चर, चीखने चिल्लाने देना साली को, एक बार में हचक के पूरा 9” इंच ठेल देना…”


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भौजी उनके लण्ड को सहलाते और उकसा रही थीं। और फिर एक झटके में उन्होंने चमड़ा खोल दिया।

मोटा छोटे टमाटर ऐसा लाल, गुस्साया खूब कड़ा सुपाड़ा बाहर।

और मैं भौजी को याद दिलाती, उसके पहले उन्हें खुद याद आ गया।

(रितू भाभी पीछे पड़ी थीं की सूखे लण्ड से छुटकी की कच्ची चूत फाड़ी जाय,

लेकिन मेरे बहुत समझाने पे ये तय हुआ था की चलिए आज, तो ये वैसलीन लगा लेंगे, लेकिन रात में ट्रेन में सिर्फ थूक लगा के और,

उनके गाँव में जब उसकी गाण्ड फटेगी तो एकदम सूखी)

“अरे मेरी कच्ची ननद कैसे घोंट पाएगी ये मुट्ठी ऐसा सुपाड़ा, जरा वैसलीन तो लगा दूँ…”

रितू भाभी बोलीं और वैसलीन की शीशी उठाकर ले आई। और फिर सिर्फ उंगली की टिप वैसलीन से छुला के,

उन्होंने मुझे चिढ़ाते हुए दिखा के, सिर्फ उनके सुपाड़े पे पेशाब के छेद पे,

जैसे कोई बच्चे को नजर से बचाने केलिए टीका लगा दे, बस वैसे ही, वहां लगा दिया।

“भाभी ये फाउल है…”

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मैं चीखी लेकिन उन्होंने किसी दलबदलू नेता को भी मात देते हुए, पाला बदल लिया था और रितू भौजी का साथ दे रहे थे।

“क्यों?”

मुश्कुरा के वो बोले-

“अरे तुमने ही तो कहा था की आज वैसलीन लगा के, तो मेरी सलहज ने अपनी छोटी ननद का ख्याल करते हुए वैसलीन लगा तो दी है।
ये थोड़ी ही तय हुआ था की, कितने ग्राम लगाएंगे या कितना इंच लगाएंगे…”

“अच्छा चल तू कह रही है तो, तू भी क्या याद करेगी किस दिलदार से पाला पड़ा है…”

रितू भाभी हँसकर बोली और सुपाड़े के पेशाब के छेद पर लगे वैसलीन को फैला करके,

उन्होंने सुपाड़े के ऊपरी एक तिहाई भाग पे फैला दिया।

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मैं उनकी बदमाशी अच्छी तरह समझ रही थी। वो अपने नन्दोई को खुल के फेवर कर रही थीं।

किसी चिकने तेज धार वाले चाकू की तरह, अब उनका सुपाड़ा छुटकी की कसी चूत में घुस जाएगा, कम से कम उसका एक तिहाई हिस्सा, जहाँ तक वैसलीन लगा है, और फिर वो लाख अपने चूतड़ पटके, इनका सुपाड़ा निकल नहीं सकता

और उसके बाद तो जैसे कोई भोथरे चाकू से किसी मेमने को हलाल करे, बस एकदम उसी तरह से।

मैं कुछ बोलती, उसके पहले छुटकी के पैरों की आहट सुनाई पड़ी और रितू भाभी ने शेर को फिर से पिंजड़े में बंद कर दिया।

और हम दोनों ने अपने ब्लाउज को ठीक कर लिया (बटन तो दोनों की टूट चुकी थीं, हाँ बस चूची के ऊपर कर लिया)।

और छुटकी आई तो,

उसकी कसी-कसी छोटी स्कूल की टाप के नीचे दोनों छोटे-छोटे चूजे चोंच मार रहे थे।

वो कच्चे-कच्चे टिकोरे, जिसके न सिर्फ वो, बल्की मेरे नंदोई भी दीवाने थे, टाप के नीचे से साफ झलक रहे थे।

और उसे देखकर न सिर्फ मुँह सूख गया उनका, बल्की खड़ा खूंटा और तन के शार्ट के बाहर से झांकने लगा।

और अब मुँह सूखने की बारी छुटकी की थी।


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जान सूख गई थी, उसकी। उसे मालूम पड़ गया था कि अब थोड़ी देर में यहाँ क्या होने वाला था।

और ऊपर से रितू भाभी, उन्होंने शार्ट नीचे सरका दिया और रामपुरी 9” इंच के स्प्रिंग वाले चाकू की तरह, मोटा कड़ियल पगलाया लण्ड बाहर-

“क्यों लेगी इसे?”

मुट्ठी में उसे सहलाते, दबाते रितू भाभी ने पूछा।

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कितने अहसास एक साथ छुटकी के चेहरे पर से उतर गए।

1॰ लालच- मन कर रहा था बस गप्प से अंदर ले ले।

2॰ डर, और दहशत- क्या हालत होगी उस बिचारी की छोटी सी बिल की, जब ये कलाई ऐसा मोटा बालिश्त भर लम्बा, फाड़ता हुआ घुसेगा अंदर।

3॰ चाहत- कितना मजा आएगा, सुबह वो अपनी दो सहेलियों को देख चुकी थी, इसे घोंटते दोनों चीख चिल्ला रही थी लेकिन बाद में कितना मजा आया। और… और मंझली ने भी तो लिया था, इसे। एक ही साल तो बड़ी है वो।

4॰ घबड़ाहट- बहुत दर्द होगा, और खून भी निकलेगा। खून से बहुत डरती थी वो।

वो हिरणी की तरह डर के मेरी ओर मुड़ी, पर रितू भाभी की कोई ननद बच सके तो रितू भाभी कैसी।

उन्होंने उचक कर उसे पकड़कर पलंग पर खींच लिया-

“अरे छुटकी इससे डर लगता है, मुझसे तो नहीं…”

और प्यार से उसे अपने बाँहों में भींच लिया।

वो भी सिमटते हुए बोली-

“अरे भाभी, आपसे क्यों डरूँगी?”

“तो चल मेरे साथ मजा ले न…”

हसंते हुए वो बोली।

बिचारी छुटकी को क्या मालूम, वो खुद फँस के बड़े शिकारी के चंगुल में जा रही है।

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फटनी तो उसकी है ही वो भी आज और अभी।


मैंने इशारे से 'उनको' अपने पास बुला लिया।

पलंग पर रितू भाभी और छुटकी थीं, अब।

और रितू भाभी की मांसल जांघों की सँडसी की गिरफत में छुटकी की टाँगें थी।

उन्होंने एक पल में छुटकी की टाँगें फैला दी, और अब वो बिचारी लाख कोशिश करे, उसकी टाँगें सिकुड़ नहीं सकती थी।

रितू भाभी के हाथों ने साथ-साथ, छुटकी के टाप को हटा फेंका और उसके बाद नंबर टीन ब्रा का था।

बिचारे वो ललचा रहे थे, अपनी किशोर साली की उठती हुई चूचियां देखने को, लेकिन वो अब रितू भाभी की गिरफ्त में थीं।

कभी वो दिखातीं, कभी छिपाती और कुछ देर अपने नंदोई को तड़पाने के बाद, उन्होंने नीचे से दोनों टिकोरों को पकड़कर और उभारा, और उन्हें ललचाते तड़पाते बोलीं-

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“क्यों नंदोई जी, मस्त हैं न मेरी छुटकी के टिकोरे… बस अभी-अभी उठना शुरू हुए हैं, दबाने में मस्त, चूसने में मस्त… बोलिए चाहिए?”


और सिर्फ यही नहीं साथ-साथ में उसके छोटे-छोटे उरोजों को वो हल्के-हल्के दबा रही थीं, मसल रहीं थीं,

ललछौहें निपल्स को मसल दे रही थीं, कभी चिकोटी काट लेती।

“हाँ हाँ भाभी… हाँ चाहिए, बहुत मस्त चूचियां उठान है…”

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तड़पते हुए वो बोले।

और उन्हें दिखाते हुए, रितू भाभी ने छुटकी के छोटे-छोटे निपल्स चूसने शुरू कर दिए।

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छुटकी भी मजे से सिसकियां भर रही थी। वो सिर्फ एक काटन की छोटी सी चड्ढी में थीं।

भाभी का एक हाथ उसकी चुन्मुनिया सहला रहा था, रगड़ रहा था। कुछ ही देर में वहां पानी का एक हल्का सा धब्बा दिखाई देने लगा।

छुटकी की कच्ची चूत पानी फेंक रही थी।

रितू भाभी ने उसकी चड्ढी भी खोलकर फेंक दी और एक बार फिर छुटकी की टाँगें, भाभी की कड़ी कठोर मसस्लस वाली पिंडलियों में फँसी फैली थी। भाभी ने उसकी गुलाबी गीली परी को ढक रखा था, और हथेली के बेस से उसकी क्लिट को हल्के-हल्के रगड़ रही थीं।

फिर हाथ हटाकर दोनों हाथ के अंगूठों से उसकी चूत के पपोटों को पूरी ताकत से खोलते हुए उन्होंने एक बार फिर अपने नंदोई को ललचाया।

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भाभी की पूरी ताकत के बाद भी, बुलबुल की चोंच जरा सी खुली और अंदर की गुलाबी मखमली गली के थोड़े-थोड़े दर्शन हुए।

मैं सोच के सिहर उठी।


अभी थोड़ी देर में इनका बियर कैन से भी मोटा लण्ड इसमें घुसेगा, कैसे लेगी बिचारी मेरी बहन।

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लेकिन रितू भाभी का इरादा पक्का था- “हे लेना है इस कच्ची कली का?”

“हाँ भाभी हाँ…”


वो मस्ती में पागल हो रहे थे।

“मेरी शर्त याद रखना…”


भाभी ने याद दिलाया।

“एकदम पक्का…” वो बोले।

छुटकी की कसी कच्ची सील तोड़ने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार हो जाते।

(मुझे बाद में पता चला की भाभी की शर्त ये थी, कि वो छुटकी को पूरे लण्ड से चोदेंगे और खूब हचक-हचक कर।
छुटकी चाहे जितना रोये चिल्लाएगी, न तो वो चोदने की रफ्तार कम करेंगे और न, उसे रोने चिल्लाने से रोकने की कोई कोशिश करेंगे)।

रितू भाभी ने अपनी सबसे छोटी उंगली की टिप अपनी ननद की चूत में पेल दी और गोल-गोल घुमाने लगीं।


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साथ में उनका दूसरा हाथ, छुटकी के टिकोरों को दबा मसल रहा था।


मस्ती में छुटकी ने आँखें बंद कर ली थी और बस सिसक रही थी, छोटे-छोटे चूतड़ पटक रही थी।

और रितू भाभी ने इशारा करके इन्हें बुला के अपने पास बैठा लिया और छुटकी की गीली चूत से निकली उंगली सीधे इनके मुँह में।

वो सपड़-सपड़ चूस रहे थे।

और रितू भाभी उस कच्ची कली पर चढ़ बैठीं।

उनकी शैतान उंगलियां, दुष्ट जीभ सब उसकी गुलाबी परी को चिढ़ाने, छेड़ने में लग गए।


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पहले तो रितू भाभी के प्यासे होंठों ने अपनी छोटी ननद की गुलाबी कसी चूत की पुत्तियों को कस-कस के चूसा, और फिर उसे दो फांक करके अपनी लम्बी, मोटी रसीली जीभ एक लण्ड की तरह पेल दी, और लगीं गोल-गोल घुमाने।


साथ में ही उनकी उंगलियां कभी भगोष्ठों को रगड़ देती, कभी मसल देतीं तो कभी अंगूठा जोर-जोर से क्लिट के ऊपर घूमता, रगड़ता, मसलता।

बिचारी छुटकी… भौजी के इस हमले को तो कितनी खेली खायी, ब्याहता ननदें नहीं झेल पातीं थी, वो तो बिचारी 9वीं में पढ़ने वाली कमसिन, सेक्स के खेल से अनजान कली थी।


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छुटकी की चूत पानी फेंक रही थी, लेकिन जब वो झड़ने के कगार पर होती तो रितू भाभी रुक जातीं और छुटकी मन मसोस कर रह जाती।

नहीं, नहीं, उई… लगता है छुटकी के होंठों पर वो साथ-साथ, अपनी मजे लूटी बुर रगड़ रही थीं।

किसी तरह वो बोली-


“भौजी, झड़ने दो न, बस, बस करो ना…”

लेकिन ननदों को तड़पाने में रितू भाभी का जवाब नहीं था।

उन्होंने पूरी ताकत से दोनों हाथों से उसकी कसी चूत को फैलाया, और लगीं, हचक-हचक कर जीभ से चूत चोदने।

छुटकी तड़प रही थी, चूतड़ पटक रही थी।

लेकिन रितू भाभी, सिर्फ ननद को नहीं नंदोई को भी तड़पा रही थीं।



एक हाथ से उन्होंने उनके शार्ट को कबका उतार के दूर फेंक दिया था।


और जोर-जोर से लण्ड मुठिया रही थीं, खुला सुपाड़ा पागल हो रहा था।

मैं भी छुटकी के मुँह के पास बैठी थीं।

और अब जब छुटकी रिरयाने लगी-

“भाभी, प्लीज कुछ करो न…”

तो रितू भाभी हँसकर बोली-


“अरे जीजू का इतना मोटा मुस्टंडा लण्ड है और साली झड़ने के लिए तड़प रही है। ले लो न जीजू का लण्ड…”

उन्होंने मुझे कुछ इशारा किया, और छुटकी की फैली चूत में इनका सुपाड़ा सटा दिया।


मैं भी भाभी का इशारा समझ गई थी, छुटकी का प्यार से सर सहलाते हुए उसका मुँह खुलवाया और अपनी मोटी, बड़ी-बड़ी चूची अंदर ठेल दी।

वो गों-गों करती रही।


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लेकिन मैं उसका पूरा मुँह भरकरके ही मानी, और साथ में उसकी दोनों कलाइयों को भी पकड़ लिया।

रितू भाभी, छुटकी की गीली पनियाई चूत को एक हाथ से फैला रही थीं और दूसरे हाथ से नंदोई के मस्त मोटे लण्ड को अंदर घुसेड़ रही थी साथ में ललकार रही थीं-




“पेल दो साले, साल्ली की फुद्दी में, फाड़ दो रज्जा इसकी चूत…”
Zabrjast update Komal ji

Ab ghadi aa gadi hai chhotki ki chut fatne ki ritu bhabhi badi kamini lagti hai

chhotki ki chut fatne ke baad agar ritu bhabhi ki bhi gand fat jati to our maza aane jayega
 
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SultanTipu40

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पूर्वाभास ११ -

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साली चली - जीजू के गाँव

पेज ३५ पोस्ट ३४४ -३४५

कुछ देर हम लोग और काम में लगे रहे, तब तक मिश्रायिन भाभी आ गईं।


मिश्रायिन भाभी, सब भौजाइयों की लीडर थीं।

मम्मी से दो चार साल ही छोटी, 32-33 साल के आस-पास और मम्मी की तरह की फिगर वाली, दीर्घ नितम्बा, भरे-भरे चोली फाड़ उरोजों वाली थीं, मिश्रायिन भाभी।


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रिश्ते में भले ही बहू लगें, लेकिन थीं वो मम्मी की पक्की सहेली।


किचेन के काम में उन्होंने हम लोगों का हाथ बटाना शुरू कर दिया, और छुटकी के बारे में पूछा।

जवाब उन्हें सामने से मिल गया, जहाँ सीढ़ी से छुटकी उतर रही थी।


और उसे देखकर कोई नौसिखिया भी समझ लेती, की हचक के चुदी है बिचारी।


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एक भी कदम उसका सीधे नहीं पड़ रहा था।

एक ओर से रीतू भाभी और दूसरी ओर से ये उसे कसकर पकड़े हुए थे।

हर कदम पर कहर रही थी। उसके गालों पे दाँतों के निशान साफ दिख रहे थे।

टाप के ऊपर के दो बटन दिख रहे थे, और किशोर जस्ट उभरती उठती गोलाइयां न सिर्फ झाँक रही थीं, बल्की खुलकर दिख रही थीं और उनपर लगे दांत और नाखून के निशान भी।



लेकिन यहाँ तो मिश्रायिन भौजी ऐसी खेली खायी, घाट-घाट का पानी पी हुई, अनुभवी महिला थीं।

उन्होंने ऊपर से नीचे तक अपनी छुटकी ननद को देखा, जो अब उनकी बिरादरी में आ गई थी।

जिसकी सोन चिरैया फुर्र-फुर्र कर उड़ चुकी थी, बुलबुल ने चारा गटक लिया था।

और उनकी निगाह ने जैसे सहला दुलरा दिया हो, अपनी प्यारी दुलारी कुँवारी छोटी ननद को।

छुटकी शर्मा गई।

उसके गुलाबी लाजवन्ती गाल पे मिश्रायिन भाभी ने जोर से चिकोटी काटी, और पूछा-


“क्यों जा रही हो आज, अपने जीजा के साथ…”

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वो और शर्मा गई, जैसे वो समझ गई हो उसकी दीदी की ससुराल में क्या होना है?

लेकिन जवाब भौजी के नंदोई ने दिया, वो भी उदास स्वर में-

“अरे क्या भाभी, जा रही है लेकिन 15-20 दिन के बाद वापस आ जाएगी…”

“जबकी उसके दो हफ्ते बाद, गर्मी की दो महीने की छुट्टियां शुरू हो जाएँगी…”

छुटकी ने भी अपना दुःख जाहिर किया।


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“अरे गरमी की छुट्टी का मजा तो गाँव में ही, हमारी अपनी इतनी बड़ी आम की बाग है, खूब गझिन,

जहाँ दिन में रात हो जाय, लंगड़ा, दसहरी, सब कुछ, लेकिन अब इसको तो लौटना ही है…” '

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भौजी के नंदोई का उदास स्वर चालू था।

“लेकिन काहे को लौटोगी, नंदोई जी सही तो कह रहे हैं,

अबकी गर्मी छुट्टी का मजा दीदी की ससुराल में ही लो न, दीदी का भी तुम्हारे मन लगा रहेगा…”


मिश्रायिन भाभी ने कहा।

“मन तो मेरा भी यही कर रहा है, लेकिन…”

छुटकी उदास मन से बोली।

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और बात पूरी की, मम्मी ने- “

अरे आना तो पड़ेगा ही बिचारी को, आखिर सालाना इम्तहान है…”

मिश्रायिन भाभी मुश्कुराईं और फिर, प्यार से छुटकी का गाल सहला के पूछीं-

“तेरा क्या मन कर रहा है, जीजू के साथ गर्मी छुट्टी बिताने का, या फिर लौटकर आने का…”

छुटकी को तो अभी इतना मस्त जो नया-नया मजा मिला था, वो यहाँ लौट कर आने पर कहाँ मिलने वाला था, उसके मुँह से दिल की बात निकल ही गई-

“वहीं गर्मी की छुट्टी बिताने का…”

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“तो रहो न, क्यों लौट रही है 10 दिन के लिए…” मुश्कुराहट रोकती हुई, मिश्रायिन भाभी बोलीं।

“अरे तो इम्तहान कौन देगा मेरा?” झुंझलाते हुए छुटकी बोली।

“तो मत देना ना…”

मिश्रायिन भाभी बोलीं। फिर हँसकर उसे गले लगाते बोली-

“अरे बुद्धू, मैं किस दिन काम आऊँगी। तेरे छमाही में बहुत अच्छे नंबर थे, मुझे मालूम हैं, बस उसी के बेसिस पर, सप्लीमेंट्री आ जायेगी। मेरी गारंटी…”
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मिश्रायिन भाभी छुटकी के स्कूल की वाइस प्रिंसिपल थी और उनके ‘वो’ मैंनेजिंग कमेटी के सेक्रेटरी भी थे, किसकी हिम्मत थी उनकी बात टालती।

मारे खुशी छुटकी उनसे चिपक गई।

और उससे भी ज्यादा खुश हो रहे थे, ‘वो’ उसके जीजू।


और साथ में मैं, जिसमें उनकी खुशी, उसमें मेरी खुशी।


और तभी मंझली भी आ गई।

उसका बोर्ड का इम्तहान कल ही था।

तय ये हुआ की बोर्ड का इम्तहान खत्म करके, वो भी मेरे पास आ जायेगी, और फिर पूरी गर्मी की छुट्टी, दोनों बहने वहीं गाँव में बिताएंगी, मेरे साथ।

मैं मम्मी के साथ किचेन में लग गई।

बस दो घंटे बचे थे, हमें निकलने में।

आधे पौन घंटे में हम लोगों ने खाने का काम आलमोस्ट कर लिया।

मिश्रायिन भाभी और रीतू भाभी, नयी बछेड़ी, छुटकी को कबड्डी के दांव पेंच सिखा रही थीं।

आखिर भाभियां थीं- “नाम मत डुबोना हमारा…”

रीतू भाभी उसके टिकोरे मसलते बोलीं।

“अरे भाभी निचोड़ के रख दूंगी…” हँसते हुए छुटकी बोली।

और फिर मिश्रायिन भाभी पिछवाड़े के दरवाजे के गुर सिखाने में जुट गईं।

मम्मी मुझसे बोलीं-

“जरा मैं छुटकी के कपड़े सामान चेक कर लूँ…”

और मैं ऊपर छुटकी के कमरे की ओर चल दी।

उसके कपड़ों में से मैंने उसकी ब्रा और पैंटी निकाल के वापस बाहर कर दी।


सिवाय एक सेट के।

ये उन्हीं का इंस्ट्रकशन था की, मैं उसकी ब्रा पैंटी निकाल दूँ।


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बात सही थी, गाँव में ये सब कौन पहनता है।

फिर उनका और नंदोई जी का फायदा,

जब चाहा, पकड़ा, निहुराया, सटाया


और चोद दिया।

कुछ शरारत और की मैंने, उसके टाप की ऊपर की दो बटनें मैंने तोड़ दी,


अरे जब तक बहन के खुले-खुले जोबन, पूरे गाँव में आग न लगाएं, तो मजा क्या?

मिश्रायिन भाभी चली गई थीं और रीतू भाभी, मम्मी के साथ मिलकर टेबल लगा रही थीं।


;;;;


छुटकी तैयार हो रही थी, ट्रेन के टाइम में एक घण्टा बचा था।




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मंझली और रीतू भाभी हम लोगों को स्टेशन तक छोड़ने आये।

और हम सब जब ट्रेन में बैठ गए तो उन दोनों ने आँख नचाकर, मुश्कुराकर पूछा-


“क्यों जीजू, मजा आया ससुराल में पहली होली का…”


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गाड़ी चलने के पहले टीटी आया, वही जो परसों रात में ट्रेन में था, और उसने वही बात बोली-

“फर्स्ट क्लास में आज कोई और पैसेंजर नहीं है, आप लोगों के सिवाय। आप डिब्बे का ही दरवाजा अंदर से बंद कर लीजिये,

मुझे और डिब्बे भी चेक करने हैं…”

मुश्कुराते हुए उन्होंने हामी भरी।

कनखियों से मैंने देखा, ₹100 के दो नोट इनके हाथ से उनके हाथ पास हुए, आते हुए से दुगुने…

और क्यों नहीं माल भी तो दुगुने थे।

कच्चे टिकोरों वाली साली,

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रात भर रेल गाड़ी में सटासट-सटासट, गपागप-गपागप।

बस, यह थी ‘इनके’ ससुराल में पहली होली के दो दिनों की कहानी।
Super Update Komal ji

Mast maza kiya jija ne chhotki bhi chodwane ke liye taiyar hai dekhte hai kya hota hai ghar jakar
 

komaalrani

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Hot majedar mast update Komal ji

hhhhhhhhh

nand bhabhi milkar achha maza le rahi hai jija se

lagta hai aaj chotki ki sil tut hi jayegi chotki bhi utawali hi hai chut fadwane ke liye
Thanks so much,...
 

komaalrani

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Super Update Komal ji

Mast maza kiya jija ne chhotki bhi chodwane ke liye taiyar hai dekhte hai kya hota hai ghar jakar
Thanks, next post today, bas saath baanaye rkahiye, jude rahiye aur aise hi comments se himmat badhaate rahiye
 

komaalrani

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Amazing!!
People have longed for this....
Keep Shining with it.
We have and will support you.
Congratulations from my side.
Thanks so much, ... ab chhutaki ki kahani shuru to hogayi hai aur agr comments aate rahe, support milata rhaa to kahanai bhi aage badhegi hi , first part of story today
 

komaalrani

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होली की अग्रिम शुभकामनाएं


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