भाग ५० - माँ का नाइट स्कूल
माँ -गीता -अरविन्द
how to download high quality images from facebook
माँ रसोई में चली गयी खाना गरम करने के लिए, लेकिन वहां से भी कान पारे, मेरी चीखें जरा भी कम हुयी तो वहीँ से भैया को कभी डांट लगाती तो कभी उकसातीं, और वो गाँड़ मारने की रफ्तार बढ़ा देता,...
जब माँ खाना ले के निकली आधे घंटे बाद तो उसी समय भैया मेरी गाँड़ में झड़ रहा था, हालत ये थी की जमीन पर चूतड़ रख के बैठा भी नहीं जा रहा था, माँ ने अपने हाथ से मुझे खाना खिलाया खूब दुलार से, ... भैया ने भी,... खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था दोनों ने पकड़ के मुझे सहारा देकर उठाया,... भैया चिढ़ा रहा था माँ ने उसे भी डांटा,..
पर छुटकी उसे तो रात का किस्सा सुनना था ये तो बस चटनी थी, और उसने कैंची चलाई और गीता से बोला,
:" दीदी तो उस दी क्या रात को कुछ नहीं आपने सिर्फ आराम किया ?"

गीता बड़ी जोर से खिलखिलाई और उस कच्ची अमिया, छुटकी को गले में लिपटा के कस के पहले चुम्मी ली और कचकचा के गोरे गुलाबी गाल काट लिए।
" अरे नयकी भौजी क छुटकी बहिनिया, रोज तोहार गाँड़ बिन नागा यह गाँव में जब मारी जायेगी न तो समझोगी। एक दो बार जीजा डबल जीजा से चुदवाने, गाँड़ मरवाने से कुछ नहीं होता, अभी तो आयी हो,... अरे ओह दिन नहीं, रोज बिना नागा रात भर,... रात में तो माँ का नाइट स्कूल चलता था, ये ये बात माँ ने सिखाई मुझे, क्या बताऊँ, ... माँ ने ऐसी एक्सरसाइज सिखाई है की दिन रात कोई चुदवाये गांड़ मरवाये, कितने भी मोटे मोटे मूसल से, चोदने वाले को लगेगा पहली बार चोद रहा है,... चूँची भी ढीली नहीं होगी मिजवाने दबवाने से,... और सिर्फ मुझको भी नहीं भैया को भी, लौंडिया को बिन चोदे कैसे खाली छू के , वो भी बिना चूत में हाथ लगाए कैसे पागल कर दो , खुद ही लौंड़ा अपने हाथ से पकड़ के अपनी बिल में घुसवायेगी, सिर्फ गाँड़ मार के कैसे लौंडिया को झाड़ दें,... "

छुटकी बहुत ध्यान से कान पारे गीता की बाते सुन रही थी, फिर छोटी बच्ची की तरह जिद करके बोली,
" दीदी, मुझे भी चाहिये, मुझे भी सीखना है,.... "
गीता ने उसे दुलार से चिपका लिया और कच्ची अमिया दबाती बोली,...
" अबे स्साली तुझे तो सिखाऊंगी ही, मेरे गाँव के लौंडो का फायदा होगा, उन्हें मजा मिलेगा तुझे दर्द,.. चल अभी एक ट्रिक बताती हूँ फिर रात का माँ के साथ का किस्सा, चूत टाइट करने के लिए माँ ने सिखाया था, दिन में चार पांच बार, तुझे तो कम से कम दस बार करना होगा, ... सुन, .. माँ बोली, जब मुतवास लगती है बड़ी जोर से लेकिन क्लास में हो या जा नहीं सकती हो तो का करती हो,
छुटकी खिलखिलाती हुयी बोली,.. अरे कस के बिलिया भींच लेती हूँ और का, एक बूँद बाहर न निकले जिससे,...
चूम के गीता बोली,...
बस एकदम यही करना है कम से कम दस बार और घडी देख के दो मिनट तक पूरी ताकत से और जब ढीली करो तो एक झटके में नहीं बहुत धीरे धीरे पूरे एक मिनट में और यही काम चार पांच बार करो,... कहीं भी कभी भी, दिन में दस बार,... इससे चुदवाने में भी बड़ा मजा आता है , जब लौंडे का औजार पूरा घुस गया हो, तो बस धीरे धीरे कर के दबोच लो,... निचोड़ लो स्साले को,.. बुरिया में ऊँगली डाल के प्रैक्टिस कर, माँ मुझे करवाती थीं, अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर, ... मैं भी करवाउंगी तुझे, ... तुझे छोटी बहन बनाया है स्साली तो सिखाना ही पड़ेगा लेकिन चल पहले रात का किस्सा बताती हूँ, बहुत सीखेगी तू। "
और गीता ने किस्सा सुनाना शुरू किया, किस्सा नहीं पूरा का पूरा सच,
" रात में सबसे पहले मैं और माँ मिल के अरविन्द भैया की ऐसी की तैसी करते थे,...
माँ मुझे कहती थी उसके सामने भैया का मुंह में ले के चूसूं,...ऐसे नहीं सिर्फ होंठों के जोर से बिना हाथ लगाए, खूब धीरे धीरे भैया का पूरा सुपाड़ा गप्प करना, और साथ में आँखे मेरी भैया को लगातार देखती रहती थीं उसे चिढ़ाती उकसाती थीं, और सपड़ सपड़ चाट के जब सुपाड़ा खूब गीला हो जाए तो बस, मुंह हटा लो और तड़पने दो,...
फिर मैं सिर्फ जीभ की टिप से अरविन्द भैया के मूत वाले छेड़ में घुसा के खूब सुरसुरी करती थी, बेचारा गिनगीनाता रहता, तड़पता रहता, और मैं सिर्फ जीभ की टिप से मूत वाले छेद से हलके हलके पहले मोटे तड़पते सुपाड़े पर फिर उस चमड़े के मोटे मूसल के बेस तक थूक लगा के सहलाते, रगड़ते और बॉल्स तक,...
" और माँ क्या करती थीं " छुटकी ने मजे लेते हुए पूछा।
" माँ तो और,... " गीता ने किस्सा आगे बढ़ाया,
"थोड़ी देर में हम माँ बेटी मिल के अरविन्द भैया के खूंटे का मजा लेते, कभी गन्ना वो चूसती और रसगुल्ला मैं, कभी एक साइड से वो जीभ लगा के और दूसरी साइड से मैं जीभ लगा के चाटतीं,.. चाटते चूसते कभी माँ, अरविन्द भैया को दिखा दिखा के मेरे होठं चूसने लगती , लेकिन अरविन्द भैया को छोड़ती नहीं थी जब हम वो की जीभ होंठ लंड को छोड़ देती तो माँ की उँगलियाँ मैदान में आ जातीं और वो भैया के खूंटे को पकड़ के मुठियाने लगती और उनकी उँगलियाँ जब खूंटे को पकड़तीं तो मैं भैया की बॉल्स को, ...
तू ही सोच कोई स्साला लौंडा, अगर उसकी जवान होती कच्ची उमर वाली बहन और मस्त बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूँची वाली माँ, मिल के ऐसी की तैसी करेंगी तो क्या हालत होगी,... "
छुटकी के दिमाग में तो सिर्फ गितवा के भाई अरविन्द का मोटा खड़ा तन्नाया लंड ही नजर आ रहा था उसके मुंह से निकल गया,
" बेचारे अरविन्द भैया"
गीता बड़े जोर से खिलखिलाई,
" और क्या दो दो मस्त माल सामने और चोदने को नहीं मिल रहा,... कम से कम घंटे भर माँ, अरविन्द भैया को तड़पाती लेकिन सबसे ज्यादा मजा तब आता जब भैया को बिना छुए वो उसकी हालत खराब कर देती,
" बिन छुए, ... कैसे" गीता की आँखे विस्मय से फ़ैल गयीं,
" माँ के आगे सब फेल,.. माँ पीछे से मुझे अपनी गोद में दुबका लेती थी फिर उसके दोनों हाथ मेरी छोटी छोटी चूँचियों पे, क्या मस्त दबाती है माँ,... कभी हलके हलके छूती तो कभी कस के दबोच लेती,... कभी मेरी किसमिश ऐसे निपल पकड़ के जोर जोर से पुल करती,
देख देख के भैया की हालत ख़राब, डंडा एकदम टनटना जाता, बेचारे का. लेकिन माँ की उँगलियों से मेरी हालत भी कम खराब नहीं होती, मेरी फांके गीली होने लगतीं, मेरी हथेलियां खुद मेरी पनियाई चूत पे हलके हलके सहलाने लगतीं,... मेरे मुंह से जोर जोर से सिसकियाँ निकलतीं और साथ में उफ्फ्फ माँ के चुम्मी, नहीं चेहरे पे नहीं,... कभी गले पे , कभी कंधे पे, भैया को दिखाते ललचाते, और भैया का खूंटा एकदम हवा में तना पूरे बित्ते भर का, तड़पता,...
और ये सोच के सुन के छुटकी भी गीली हो रही थी पर बिन बोले, टोके गीता की बात वो सुन रही थी,... और गीता सुना रही थी,
" माँ, अरविन्द भैया को ललचाते अपने दोनों हाथों से मेरी अमिया उठा के पकड़ एक उसे दिखातीं और ललचातीं, बोलतीं, " देख, मेरी बेटी के जुबना कितने मस्त है, स्साली इस गाँव क्या आस पास के किसी गाँव में किसी माल का इत्ता मस्त जोबन नहीं है, बोल चाहिए क्या ? और भैया लिबराता देखता तो माँ और उसे हड़काती, स्साले दो साल पहले से इसकी कच्ची अमिया आने लगी थीं , गांव भर के लौंडो को महक लग गयी थी, सब पीछे पड़े थे,.. और तू बुरबक,... अरे तभी पकड़ के चोद देता, दो चार बार जबरदस्ती पेलता रोती गाती कुछ दिन में खुद चुदवाने लगती,... लेकिन तू भी न,... पर सोच ले चाहिए तो मेरी सब बात माननी पड़ेगी "
“”
माँ ने ऐसी एक्सरसाइज सिखाई है की दिन रात कोई चुदवाये गांड़ मरवाये, कितने भी मोटे मोटे मूसल से, चोदने वाले को लगेगा पहली बार चोद रहा है,... चूँची भी ढीली नहीं होगी मिजवाने दबवाने से,... और सिर्फ मुझको भी नहीं भैया को भी, लौंडिया को बिन चोदे कैसे खाली छू के , वो भी बिना चूत में हाथ लगाए कैसे पागल कर दो , खुद ही लौंड़ा अपने हाथ से पकड़ के अपनी बिल में घुसवायेगी, सिर्फ गाँड़ मार के कैसे लौंडिया को झाड़ दें,... "
“”
Ufff geetwa ki maa ne sab kuch thik se sikhaya hai dono bacho ko