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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

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माँ बेटी का प्यार दुलार



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" माँ, अरविन्द भैया को ललचाते अपने दोनों हाथों से मेरी अमिया उठा के पकड़ एक उसे दिखातीं और ललचातीं, बोलतीं,

" देख, मेरी बेटी के जुबना कितने मस्त है, स्साली इस गाँव क्या आस पास के किसी गाँव में किसी माल का इत्ता मस्त जोबन नहीं है, बोल चाहिए क्या ? और भैया लिबराता देखता तो माँ और उसे हड़काती, स्साले दो साल पहले से इसकी कच्ची अमिया आने लगी थीं , गांव भर के लौंडो को महक लग गयी थी, सब पीछे पड़े थे,..




और तू बुरबक,... अरे तभी पकड़ के चोद देता, दो चार बार जबरदस्ती पेलता रोती गाती कुछ दिन में खुद चुदवाने लगती,... लेकिन तू भी न,... पर सोच ले चाहिए तो मेरी सब बात माननी पड़ेगी "

" कौन सी बात माँ की " अब छुटकी से नहीं रहा गया उसने पूछ ही लिया, पर गीता ने नहीं बताया उसने किस्सा जारी रखा,

" मैं भी भैया को ललचाती हुयी बोलती,
आओ न भैया, तेरा मन नहीं कर रहा अपनी बहन की लेने का क्या, उह्ह आह्हः , देख मेरी महारानी किती गीली हो रही है , आओ न अरविन्द भैया, प्लीज,... "

भैया जैसे मेरी ओर आने को होता माँ उसे रोक देती बोलती,

पहले मैं दुलारी प्यारी बेटी की चाशनी चाटूँगी, तू चुपचाप मेरी बात मान और माँ बेटी का प्यार दुलार देख। "


फिर माँ मेरे पास आके मेरी एक टांग उठा के पहले तो मेरी प्यारी गीली बौराई सहेली को हलके हलके थपकाती, फिर हल्के हलके सिर्फ जीभ की टिप मेरी चूत की दोनों फांकों को अलग करती और फांकों के बीच में थोड़ा सा प्रेशर डल के जैसे कोई लौंडा बिनचुदी चूत में अपना सुपाड़ा फंसाता है माँ एकदम उसी तरह से , हलके हलके आगे पीछे,...



मस्ती से में चूतड़ उचकाती और पीछे से भैया निहुरि हुई माँ के पिछवाड़े जीभ लगा के सपड़ सपड़ , जितनी जोर से माँ मेरा चाटती, चूसती, उससे ज्यादा जोर से भैया माँ का,... "



" अरविन्द भैया माँ की बुर चूसता,... " छुटकी से रहा नहीं गया उसने पूछ लिया।



गीता बड़ी देर तक हंसती रही, फिर बोली ,

" तू स्साली सब पूछ के दम लेगी। हां भी नहीं भी। पहले तो वो माँ की बुर में ही मुंह लगाता,... लेकिन कुछ देर बाद माँ हल्के से झटके,...माँ के बड़े बड़े चूतड़ कोई भी लहालोट हो जाता तो अरविन्द भैया भी,... और माँ को एकदम मालूम था तो उस झटके से माँ के पिछवाड़े का छेद, और भैया का मालूम था की वहां ऊपर से चाटने से काम नहीं चलेगा पूरी जीभ अंदर डालनी पड़ेगी जबतक जीभ की टिप पे अंदर का माल न लगे , और फिर जैसे ऊँगली अंदर डाल के घुमाते हैं न उसी तरह से जीभ से, माँ ने अरविन्द और मुझे दोनों अच्छी तरह से ये सब सिखा दिया था, पिछवाड़े चाटना, चूसना,... मैं तुझे भी सिखा दूंगी, घबड़ा मत,"




गीता थोड़ी रुकी फिर फ़ास्ट फारवर्ड किया,...

" और जब भैया मुझे चूसता , तो मेरे मुंह पे माँ की बुर माँ खूब रगड़ रगड़ के मुझसे चुसवाती, ... और बेचारे अरविन्द भैया के ये देख के और हालत ख़राब,... और जब मैं अरविन्द भैया का लंड चूसती तो माँ उसके ऊपर चढ़के उससे अपनी बुर चुसवाती, खूब मजा आता ,लेकिन घंटे भर से पहले मैं अरविन्द भैया को चोदने के लिए नहीं मिलती थी।

और जब चुदाई शुरू होती तो,... कोई रात ऐसी नहीं गयी होगी जब मैं सात आठ बार से कम झड़ी होऊं और भैया भी तीन चार बार से कम कभी नहीं , कम से कम दो बार मेरे अंदर और एक दो बार माँ के अंदर मलाई छोड़ता ,...

और उसके अलावा जब मैं स्कूल के लिए तैयार हो जाती तो उस समय जबरदस्ती कर के भैया मुझे निहुरा के अगवाड़े पिछवाड़े मलाई जरूर भरता




और गाँड़ तो जब मेरी कमीनी सहेलियां आ जातीं उसके बाद ऐसे हचक हचक के मारता, सहेलियों का कन्धा पकड़ के, उन्ही के सहारे सहारे मैं स्कूल जा पाती"



और माँ कित्ती बार ,...



छुटकी को तो पूरा हिसाब चाहिए था और गीता थोड़ा उदास हो गयी बोली, मुश्किल से एक दो बार। फिर कुछ सोच के मुस्कराते हुए बोली , लेकिन हाँ एक रात मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की हम दोनों भाई बहन मिल के ,... और उस दिन चार बार माँ झड़ी रात में , .. और फिर गीता ने वो किस्सा माँ का , विस्तार से सुनाया।

वैसे तो कोई दिन नागा नहीं जाता था, जब मैं अरविन्द भैया और माँ, चाहे दिन हो या रात मस्ती नहीं करते थे. हाँ जब मैं नहीं रहती थी, स्कूल में या सहेलियों के साथ मटरगस्ती करने तो माँ और भैया कोई बदमाशी नहीं करते थे, ...

लेकिन एक दिन मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की जबरदस्त रगड़ाई करनी है, हम दोनों तो वैसे भी मौका पाते ही बदमाशी चालू कर देते थे, चुम्मा चाटी, मेरी छोटी छोटी चूँची दबाना, मसलना , खास तौर से मेरी सहेलियों के सामने उन्हें ललचाते जलाते, और मैं भी कौन कम, बस उसकी जांघिया नीचे सरका के चुसूर चुसूर चूस के खड़ा कर देती और देने के समय अपने चूतड मटका के, मुड़ के जीभ चिढ़ाते हुए बाहर भाग जाती थी.

मैं जानती थी की पकड़ में आउंगी तो अरविन्द भैया हचक के गाँड़ मारेगा, .. तो मारे न,.. मेरा एकलौता प्यारा मीठा सा सगा भाई है, वो स्साला बहनचोद नहीं मारेगा तो कौन मारेगा। लेकिन वो दिन मैंने और अरविन्द भैया ने माँ के नाम कर दिया और सोच के खूब जुगत लगा के,... गितवा छुटकी को सुनाते समझाते बोली।

छुटकी भी खूब ध्यान से सुन रही थी, सुन सुन के सोच सोच के पिघल रही थी। गीता सुना रही थी, उस दिन की बात,



" शाम से ही माँ कुछ उदास लग रही थी. हम दोनों की बात का जवाब हूँ हां में दे रही थी, हम दोनों आपस में बदमाशी भी करते, लड़ते तो डांट नहीं रही थी,... पता नहीं कहा था ध्यान उसका। ग्वालिन भौजी भी, उनसे तो रोज माँ खूब चहक चहक के बात करती थी, और भौजी भी गाँव की कुल लड़कियों औरतों का हाल मिर्च मसाले के साथ,..और अब तो मेरे सामने भी,... कौन किससे फंसी है, हमारे टोला के साथ, चमरौटी, भरौटी, अहिरोटी कोई पुरवा नहीं बचता था,... कौन भौजाई अपने मरद के पंजाब जाने के बाद देवर के साथ बिना नागा सोती है, कौन लड़की जवान हो रही है , कहाँ सास बहु मिल के किस लौंडे को फांस रही हैं, सब कुछ,...

लेकिन उस दिन माँ ने उन्हें भी बस दो चार मिनट में निपटा दिया,... "



छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, वो बताइये न दी, कैसे आप ने और अरविन्द भैया ने मिल के, आप ही तो कह रही थीं की माँ कभी भी रात भर में एक दो बार से ज्यादा नहीं झड़ती थी जबकि आप सात आठ बार, अरविन्द भैया चार बार,...






गीता उस रात की बात याद करके खिलखिलाने लगी और उसने भी गाड़ी चौथे गियर में डाल दी। और बताना शुरू किया,...
“”

" मैं भी भैया को ललचाती हुयी बोलती,
आओ न भैया, तेरा मन नहीं कर रहा अपनी बहन की लेने का क्या, उह्ह आह्हः , देख मेरी महारानी किती गीली हो रही है , आओ न अरविन्द भैया, प्लीज,... "

भैया जैसे मेरी ओर आने को होता माँ उसे रोक देती बोलती,

पहले मैं दुलारी प्यारी बेटी की चाशनी चाटूँगी, तू चुपचाप मेरी बात मान और माँ बेटी का प्यार दुलार देख। "

“””

Garam scene 🤤🤤🤤🤤
 

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और तू बुरबक,... अरे तभी पकड़ के चोद देता, दो चार बार जबरदस्ती पेलता रोती गाती कुछ दिन में खुद चुदवाने लगती,... लेकिन तू भी न,... पर सोच ले चाहिए तो मेरी सब बात माननी पड़ेगी "

" कौन सी बात माँ की " अब छुटकी से नहीं रहा गया उसने पूछ ही लिया, पर गीता ने नहीं बताया उसने किस्सा जारी रखा,

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भैया जैसे मेरी ओर आने को होता माँ उसे रोक देती बोलती,

पहले मैं दुलारी प्यारी बेटी की चाशनी चाटूँगी, तू चुपचाप मेरी बात मान और माँ बेटी का प्यार दुलार देख। "


फिर माँ मेरे पास आके मेरी एक टांग उठा के पहले तो मेरी प्यारी गीली बौराई सहेली को हलके हलके थपकाती, फिर हल्के हलके सिर्फ जीभ की टिप मेरी चूत की दोनों फांकों को अलग करती और फांकों के बीच में थोड़ा सा प्रेशर डल के जैसे कोई लौंडा बिनचुदी चूत में अपना सुपाड़ा फंसाता है माँ एकदम उसी तरह से , हलके हलके आगे पीछे,...



मस्ती से में चूतड़ उचकाती और पीछे से भैया निहुरि हुई माँ के पिछवाड़े जीभ लगा के सपड़ सपड़ , जितनी जोर से माँ मेरा चाटती, चूसती, उससे ज्यादा जोर से भैया माँ का,... "



" अरविन्द भैया माँ की बुर चूसता,... " छुटकी से रहा नहीं गया उसने पूछ लिया।



गीता बड़ी देर तक हंसती रही, फिर बोली ,

" तू स्साली सब पूछ के दम लेगी। हां भी नहीं भी। पहले तो वो माँ की बुर में ही मुंह लगाता,... लेकिन कुछ देर बाद माँ हल्के से झटके,...माँ के बड़े बड़े चूतड़ कोई भी लहालोट हो जाता तो अरविन्द भैया भी,... और माँ को एकदम मालूम था तो उस झटके से माँ के पिछवाड़े का छेद, और भैया का मालूम था की वहां ऊपर से चाटने से काम नहीं चलेगा पूरी जीभ अंदर डालनी पड़ेगी जबतक जीभ की टिप पे अंदर का माल न लगे , और फिर जैसे ऊँगली अंदर डाल के घुमाते हैं न उसी तरह से जीभ से, माँ ने अरविन्द और मुझे दोनों अच्छी तरह से ये सब सिखा दिया था, पिछवाड़े चाटना, चूसना,... मैं तुझे भी सिखा दूंगी, घबड़ा मत,"




गीता थोड़ी रुकी फिर फ़ास्ट फारवर्ड किया,...

" और जब भैया मुझे चूसता , तो मेरे मुंह पे माँ की बुर माँ खूब रगड़ रगड़ के मुझसे चुसवाती, ... और बेचारे अरविन्द भैया के ये देख के और हालत ख़राब,... और जब मैं अरविन्द भैया का लंड चूसती तो माँ उसके ऊपर चढ़के उससे अपनी बुर चुसवाती, खूब मजा आता ,लेकिन घंटे भर से पहले मैं अरविन्द भैया को चोदने के लिए नहीं मिलती थी।

और जब चुदाई शुरू होती तो,... कोई रात ऐसी नहीं गयी होगी जब मैं सात आठ बार से कम झड़ी होऊं और भैया भी तीन चार बार से कम कभी नहीं , कम से कम दो बार मेरे अंदर और एक दो बार माँ के अंदर मलाई छोड़ता ,...

और उसके अलावा जब मैं स्कूल के लिए तैयार हो जाती तो उस समय जबरदस्ती कर के भैया मुझे निहुरा के अगवाड़े पिछवाड़े मलाई जरूर भरता




और गाँड़ तो जब मेरी कमीनी सहेलियां आ जातीं उसके बाद ऐसे हचक हचक के मारता, सहेलियों का कन्धा पकड़ के, उन्ही के सहारे सहारे मैं स्कूल जा पाती"



और माँ कित्ती बार ,...



छुटकी को तो पूरा हिसाब चाहिए था और गीता थोड़ा उदास हो गयी बोली, मुश्किल से एक दो बार। फिर कुछ सोच के मुस्कराते हुए बोली , लेकिन हाँ एक रात मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की हम दोनों भाई बहन मिल के ,... और उस दिन चार बार माँ झड़ी रात में , .. और फिर गीता ने वो किस्सा माँ का , विस्तार से सुनाया।

वैसे तो कोई दिन नागा नहीं जाता था, जब मैं अरविन्द भैया और माँ, चाहे दिन हो या रात मस्ती नहीं करते थे. हाँ जब मैं नहीं रहती थी, स्कूल में या सहेलियों के साथ मटरगस्ती करने तो माँ और भैया कोई बदमाशी नहीं करते थे, ...

लेकिन एक दिन मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की जबरदस्त रगड़ाई करनी है, हम दोनों तो वैसे भी मौका पाते ही बदमाशी चालू कर देते थे, चुम्मा चाटी, मेरी छोटी छोटी चूँची दबाना, मसलना , खास तौर से मेरी सहेलियों के सामने उन्हें ललचाते जलाते, और मैं भी कौन कम, बस उसकी जांघिया नीचे सरका के चुसूर चुसूर चूस के खड़ा कर देती और देने के समय अपने चूतड मटका के, मुड़ के जीभ चिढ़ाते हुए बाहर भाग जाती थी.

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" शाम से ही माँ कुछ उदास लग रही थी. हम दोनों की बात का जवाब हूँ हां में दे रही थी, हम दोनों आपस में बदमाशी भी करते, लड़ते तो डांट नहीं रही थी,... पता नहीं कहा था ध्यान उसका। ग्वालिन भौजी भी, उनसे तो रोज माँ खूब चहक चहक के बात करती थी, और भौजी भी गाँव की कुल लड़कियों औरतों का हाल मिर्च मसाले के साथ,..और अब तो मेरे सामने भी,... कौन किससे फंसी है, हमारे टोला के साथ, चमरौटी, भरौटी, अहिरोटी कोई पुरवा नहीं बचता था,... कौन भौजाई अपने मरद के पंजाब जाने के बाद देवर के साथ बिना नागा सोती है, कौन लड़की जवान हो रही है , कहाँ सास बहु मिल के किस लौंडे को फांस रही हैं, सब कुछ,...

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गीता उस रात की बात याद करके खिलखिलाने लगी और उसने भी गाड़ी चौथे गियर में डाल दी। और बताना शुरू किया,...
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पीछे से भैया निहुरि हुई माँ के पिछवाड़े जीभ लगा के सपड़ सपड़ , जितनी जोर से माँ मेरा चाटती, चूसती, उससे ज्यादा जोर से भैया माँ का,... "

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भैया जैसे मेरी ओर आने को होता माँ उसे रोक देती बोलती,

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फिर माँ मेरे पास आके मेरी एक टांग उठा के पहले तो मेरी प्यारी गीली बौराई सहेली को हलके हलके थपकाती, फिर हल्के हलके सिर्फ जीभ की टिप मेरी चूत की दोनों फांकों को अलग करती और फांकों के बीच में थोड़ा सा प्रेशर डल के जैसे कोई लौंडा बिनचुदी चूत में अपना सुपाड़ा फंसाता है माँ एकदम उसी तरह से , हलके हलके आगे पीछे,...



मस्ती से में चूतड़ उचकाती और पीछे से भैया निहुरि हुई माँ के पिछवाड़े जीभ लगा के सपड़ सपड़ , जितनी जोर से माँ मेरा चाटती, चूसती, उससे ज्यादा जोर से भैया माँ का,... "



" अरविन्द भैया माँ की बुर चूसता,... " छुटकी से रहा नहीं गया उसने पूछ लिया।



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गीता थोड़ी रुकी फिर फ़ास्ट फारवर्ड किया,...

" और जब भैया मुझे चूसता , तो मेरे मुंह पे माँ की बुर माँ खूब रगड़ रगड़ के मुझसे चुसवाती, ... और बेचारे अरविन्द भैया के ये देख के और हालत ख़राब,... और जब मैं अरविन्द भैया का लंड चूसती तो माँ उसके ऊपर चढ़के उससे अपनी बुर चुसवाती, खूब मजा आता ,लेकिन घंटे भर से पहले मैं अरविन्द भैया को चोदने के लिए नहीं मिलती थी।

और जब चुदाई शुरू होती तो,... कोई रात ऐसी नहीं गयी होगी जब मैं सात आठ बार से कम झड़ी होऊं और भैया भी तीन चार बार से कम कभी नहीं , कम से कम दो बार मेरे अंदर और एक दो बार माँ के अंदर मलाई छोड़ता ,...

और उसके अलावा जब मैं स्कूल के लिए तैयार हो जाती तो उस समय जबरदस्ती कर के भैया मुझे निहुरा के अगवाड़े पिछवाड़े मलाई जरूर भरता




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और माँ कित्ती बार ,...



छुटकी को तो पूरा हिसाब चाहिए था और गीता थोड़ा उदास हो गयी बोली, मुश्किल से एक दो बार। फिर कुछ सोच के मुस्कराते हुए बोली , लेकिन हाँ एक रात मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की हम दोनों भाई बहन मिल के ,... और उस दिन चार बार माँ झड़ी रात में , .. और फिर गीता ने वो किस्सा माँ का , विस्तार से सुनाया।

वैसे तो कोई दिन नागा नहीं जाता था, जब मैं अरविन्द भैया और माँ, चाहे दिन हो या रात मस्ती नहीं करते थे. हाँ जब मैं नहीं रहती थी, स्कूल में या सहेलियों के साथ मटरगस्ती करने तो माँ और भैया कोई बदमाशी नहीं करते थे, ...

लेकिन एक दिन मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की जबरदस्त रगड़ाई करनी है, हम दोनों तो वैसे भी मौका पाते ही बदमाशी चालू कर देते थे, चुम्मा चाटी, मेरी छोटी छोटी चूँची दबाना, मसलना , खास तौर से मेरी सहेलियों के सामने उन्हें ललचाते जलाते, और मैं भी कौन कम, बस उसकी जांघिया नीचे सरका के चुसूर चुसूर चूस के खड़ा कर देती और देने के समय अपने चूतड मटका के, मुड़ के जीभ चिढ़ाते हुए बाहर भाग जाती थी.

मैं जानती थी की पकड़ में आउंगी तो अरविन्द भैया हचक के गाँड़ मारेगा, .. तो मारे न,.. मेरा एकलौता प्यारा मीठा सा सगा भाई है, वो स्साला बहनचोद नहीं मारेगा तो कौन मारेगा। लेकिन वो दिन मैंने और अरविन्द भैया ने माँ के नाम कर दिया और सोच के खूब जुगत लगा के,... गितवा छुटकी को सुनाते समझाते बोली।

छुटकी भी खूब ध्यान से सुन रही थी, सुन सुन के सोच सोच के पिघल रही थी। गीता सुना रही थी, उस दिन की बात,



" शाम से ही माँ कुछ उदास लग रही थी. हम दोनों की बात का जवाब हूँ हां में दे रही थी, हम दोनों आपस में बदमाशी भी करते, लड़ते तो डांट नहीं रही थी,... पता नहीं कहा था ध्यान उसका। ग्वालिन भौजी भी, उनसे तो रोज माँ खूब चहक चहक के बात करती थी, और भौजी भी गाँव की कुल लड़कियों औरतों का हाल मिर्च मसाले के साथ,..और अब तो मेरे सामने भी,... कौन किससे फंसी है, हमारे टोला के साथ, चमरौटी, भरौटी, अहिरोटी कोई पुरवा नहीं बचता था,... कौन भौजाई अपने मरद के पंजाब जाने के बाद देवर के साथ बिना नागा सोती है, कौन लड़की जवान हो रही है , कहाँ सास बहु मिल के किस लौंडे को फांस रही हैं, सब कुछ,...

लेकिन उस दिन माँ ने उन्हें भी बस दो चार मिनट में निपटा दिया,... "



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" देख, मेरी बेटी के जुबना कितने मस्त है, स्साली इस गाँव क्या आस पास के किसी गाँव में किसी माल का इत्ता मस्त जोबन नहीं है, बोल चाहिए क्या ? और भैया लिबराता देखता तो माँ और उसे हड़काती, स्साले दो साल पहले से इसकी कच्ची अमिया आने लगी थीं , गांव भर के लौंडो को महक लग गयी थी, सब पीछे पड़े थे,..




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" मैं भी भैया को ललचाती हुयी बोलती,
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पहले मैं दुलारी प्यारी बेटी की चाशनी चाटूँगी, तू चुपचाप मेरी बात मान और माँ बेटी का प्यार दुलार देख। "


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" तू स्साली सब पूछ के दम लेगी। हां भी नहीं भी। पहले तो वो माँ की बुर में ही मुंह लगाता,... लेकिन कुछ देर बाद माँ हल्के से झटके,...माँ के बड़े बड़े चूतड़ कोई भी लहालोट हो जाता तो अरविन्द भैया भी,... और माँ को एकदम मालूम था तो उस झटके से माँ के पिछवाड़े का छेद, और भैया का मालूम था की वहां ऊपर से चाटने से काम नहीं चलेगा पूरी जीभ अंदर डालनी पड़ेगी जबतक जीभ की टिप पे अंदर का माल न लगे , और फिर जैसे ऊँगली अंदर डाल के घुमाते हैं न उसी तरह से जीभ से, माँ ने अरविन्द और मुझे दोनों अच्छी तरह से ये सब सिखा दिया था, पिछवाड़े चाटना, चूसना,... मैं तुझे भी सिखा दूंगी, घबड़ा मत,"




गीता थोड़ी रुकी फिर फ़ास्ट फारवर्ड किया,...

" और जब भैया मुझे चूसता , तो मेरे मुंह पे माँ की बुर माँ खूब रगड़ रगड़ के मुझसे चुसवाती, ... और बेचारे अरविन्द भैया के ये देख के और हालत ख़राब,... और जब मैं अरविन्द भैया का लंड चूसती तो माँ उसके ऊपर चढ़के उससे अपनी बुर चुसवाती, खूब मजा आता ,लेकिन घंटे भर से पहले मैं अरविन्द भैया को चोदने के लिए नहीं मिलती थी।

और जब चुदाई शुरू होती तो,... कोई रात ऐसी नहीं गयी होगी जब मैं सात आठ बार से कम झड़ी होऊं और भैया भी तीन चार बार से कम कभी नहीं , कम से कम दो बार मेरे अंदर और एक दो बार माँ के अंदर मलाई छोड़ता ,...

और उसके अलावा जब मैं स्कूल के लिए तैयार हो जाती तो उस समय जबरदस्ती कर के भैया मुझे निहुरा के अगवाड़े पिछवाड़े मलाई जरूर भरता




और गाँड़ तो जब मेरी कमीनी सहेलियां आ जातीं उसके बाद ऐसे हचक हचक के मारता, सहेलियों का कन्धा पकड़ के, उन्ही के सहारे सहारे मैं स्कूल जा पाती"



और माँ कित्ती बार ,...



छुटकी को तो पूरा हिसाब चाहिए था और गीता थोड़ा उदास हो गयी बोली, मुश्किल से एक दो बार। फिर कुछ सोच के मुस्कराते हुए बोली , लेकिन हाँ एक रात मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की हम दोनों भाई बहन मिल के ,... और उस दिन चार बार माँ झड़ी रात में , .. और फिर गीता ने वो किस्सा माँ का , विस्तार से सुनाया।

वैसे तो कोई दिन नागा नहीं जाता था, जब मैं अरविन्द भैया और माँ, चाहे दिन हो या रात मस्ती नहीं करते थे. हाँ जब मैं नहीं रहती थी, स्कूल में या सहेलियों के साथ मटरगस्ती करने तो माँ और भैया कोई बदमाशी नहीं करते थे, ...

लेकिन एक दिन मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की जबरदस्त रगड़ाई करनी है, हम दोनों तो वैसे भी मौका पाते ही बदमाशी चालू कर देते थे, चुम्मा चाटी, मेरी छोटी छोटी चूँची दबाना, मसलना , खास तौर से मेरी सहेलियों के सामने उन्हें ललचाते जलाते, और मैं भी कौन कम, बस उसकी जांघिया नीचे सरका के चुसूर चुसूर चूस के खड़ा कर देती और देने के समय अपने चूतड मटका के, मुड़ के जीभ चिढ़ाते हुए बाहर भाग जाती थी.

मैं जानती थी की पकड़ में आउंगी तो अरविन्द भैया हचक के गाँड़ मारेगा, .. तो मारे न,.. मेरा एकलौता प्यारा मीठा सा सगा भाई है, वो स्साला बहनचोद नहीं मारेगा तो कौन मारेगा। लेकिन वो दिन मैंने और अरविन्द भैया ने माँ के नाम कर दिया और सोच के खूब जुगत लगा के,... गितवा छुटकी को सुनाते समझाते बोली।

छुटकी भी खूब ध्यान से सुन रही थी, सुन सुन के सोच सोच के पिघल रही थी। गीता सुना रही थी, उस दिन की बात,



" शाम से ही माँ कुछ उदास लग रही थी. हम दोनों की बात का जवाब हूँ हां में दे रही थी, हम दोनों आपस में बदमाशी भी करते, लड़ते तो डांट नहीं रही थी,... पता नहीं कहा था ध्यान उसका। ग्वालिन भौजी भी, उनसे तो रोज माँ खूब चहक चहक के बात करती थी, और भौजी भी गाँव की कुल लड़कियों औरतों का हाल मिर्च मसाले के साथ,..और अब तो मेरे सामने भी,... कौन किससे फंसी है, हमारे टोला के साथ, चमरौटी, भरौटी, अहिरोटी कोई पुरवा नहीं बचता था,... कौन भौजाई अपने मरद के पंजाब जाने के बाद देवर के साथ बिना नागा सोती है, कौन लड़की जवान हो रही है , कहाँ सास बहु मिल के किस लौंडे को फांस रही हैं, सब कुछ,...

लेकिन उस दिन माँ ने उन्हें भी बस दो चार मिनट में निपटा दिया,... "



छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, वो बताइये न दी, कैसे आप ने और अरविन्द भैया ने मिल के, आप ही तो कह रही थीं की माँ कभी भी रात भर में एक दो बार से ज्यादा नहीं झड़ती थी जबकि आप सात आठ बार, अरविन्द भैया चार बार,...






गीता उस रात की बात याद करके खिलखिलाने लगी और उसने भी गाड़ी चौथे गियर में डाल दी। और बताना शुरू किया,...
“”

मैं जानती थी की पकड़ में आउंगी तो अरविन्द भैया हचक के गाँड़ मारेगा, .. तो मारे न,.. मेरा एकलौता प्यारा मीठा सा सगा भाई है, वो स्साला बहनचोद नहीं मारेगा तो कौन मारेगा।

“”
 

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माँ बेटी का प्यार दुलार



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" माँ, अरविन्द भैया को ललचाते अपने दोनों हाथों से मेरी अमिया उठा के पकड़ एक उसे दिखातीं और ललचातीं, बोलतीं,

" देख, मेरी बेटी के जुबना कितने मस्त है, स्साली इस गाँव क्या आस पास के किसी गाँव में किसी माल का इत्ता मस्त जोबन नहीं है, बोल चाहिए क्या ? और भैया लिबराता देखता तो माँ और उसे हड़काती, स्साले दो साल पहले से इसकी कच्ची अमिया आने लगी थीं , गांव भर के लौंडो को महक लग गयी थी, सब पीछे पड़े थे,..




और तू बुरबक,... अरे तभी पकड़ के चोद देता, दो चार बार जबरदस्ती पेलता रोती गाती कुछ दिन में खुद चुदवाने लगती,... लेकिन तू भी न,... पर सोच ले चाहिए तो मेरी सब बात माननी पड़ेगी "

" कौन सी बात माँ की " अब छुटकी से नहीं रहा गया उसने पूछ ही लिया, पर गीता ने नहीं बताया उसने किस्सा जारी रखा,

" मैं भी भैया को ललचाती हुयी बोलती,
आओ न भैया, तेरा मन नहीं कर रहा अपनी बहन की लेने का क्या, उह्ह आह्हः , देख मेरी महारानी किती गीली हो रही है , आओ न अरविन्द भैया, प्लीज,... "

भैया जैसे मेरी ओर आने को होता माँ उसे रोक देती बोलती,

पहले मैं दुलारी प्यारी बेटी की चाशनी चाटूँगी, तू चुपचाप मेरी बात मान और माँ बेटी का प्यार दुलार देख। "


फिर माँ मेरे पास आके मेरी एक टांग उठा के पहले तो मेरी प्यारी गीली बौराई सहेली को हलके हलके थपकाती, फिर हल्के हलके सिर्फ जीभ की टिप मेरी चूत की दोनों फांकों को अलग करती और फांकों के बीच में थोड़ा सा प्रेशर डल के जैसे कोई लौंडा बिनचुदी चूत में अपना सुपाड़ा फंसाता है माँ एकदम उसी तरह से , हलके हलके आगे पीछे,...



मस्ती से में चूतड़ उचकाती और पीछे से भैया निहुरि हुई माँ के पिछवाड़े जीभ लगा के सपड़ सपड़ , जितनी जोर से माँ मेरा चाटती, चूसती, उससे ज्यादा जोर से भैया माँ का,... "



" अरविन्द भैया माँ की बुर चूसता,... " छुटकी से रहा नहीं गया उसने पूछ लिया।



गीता बड़ी देर तक हंसती रही, फिर बोली ,

" तू स्साली सब पूछ के दम लेगी। हां भी नहीं भी। पहले तो वो माँ की बुर में ही मुंह लगाता,... लेकिन कुछ देर बाद माँ हल्के से झटके,...माँ के बड़े बड़े चूतड़ कोई भी लहालोट हो जाता तो अरविन्द भैया भी,... और माँ को एकदम मालूम था तो उस झटके से माँ के पिछवाड़े का छेद, और भैया का मालूम था की वहां ऊपर से चाटने से काम नहीं चलेगा पूरी जीभ अंदर डालनी पड़ेगी जबतक जीभ की टिप पे अंदर का माल न लगे , और फिर जैसे ऊँगली अंदर डाल के घुमाते हैं न उसी तरह से जीभ से, माँ ने अरविन्द और मुझे दोनों अच्छी तरह से ये सब सिखा दिया था, पिछवाड़े चाटना, चूसना,... मैं तुझे भी सिखा दूंगी, घबड़ा मत,"




गीता थोड़ी रुकी फिर फ़ास्ट फारवर्ड किया,...

" और जब भैया मुझे चूसता , तो मेरे मुंह पे माँ की बुर माँ खूब रगड़ रगड़ के मुझसे चुसवाती, ... और बेचारे अरविन्द भैया के ये देख के और हालत ख़राब,... और जब मैं अरविन्द भैया का लंड चूसती तो माँ उसके ऊपर चढ़के उससे अपनी बुर चुसवाती, खूब मजा आता ,लेकिन घंटे भर से पहले मैं अरविन्द भैया को चोदने के लिए नहीं मिलती थी।

और जब चुदाई शुरू होती तो,... कोई रात ऐसी नहीं गयी होगी जब मैं सात आठ बार से कम झड़ी होऊं और भैया भी तीन चार बार से कम कभी नहीं , कम से कम दो बार मेरे अंदर और एक दो बार माँ के अंदर मलाई छोड़ता ,...

और उसके अलावा जब मैं स्कूल के लिए तैयार हो जाती तो उस समय जबरदस्ती कर के भैया मुझे निहुरा के अगवाड़े पिछवाड़े मलाई जरूर भरता




और गाँड़ तो जब मेरी कमीनी सहेलियां आ जातीं उसके बाद ऐसे हचक हचक के मारता, सहेलियों का कन्धा पकड़ के, उन्ही के सहारे सहारे मैं स्कूल जा पाती"



और माँ कित्ती बार ,...



छुटकी को तो पूरा हिसाब चाहिए था और गीता थोड़ा उदास हो गयी बोली, मुश्किल से एक दो बार। फिर कुछ सोच के मुस्कराते हुए बोली , लेकिन हाँ एक रात मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की हम दोनों भाई बहन मिल के ,... और उस दिन चार बार माँ झड़ी रात में , .. और फिर गीता ने वो किस्सा माँ का , विस्तार से सुनाया।

वैसे तो कोई दिन नागा नहीं जाता था, जब मैं अरविन्द भैया और माँ, चाहे दिन हो या रात मस्ती नहीं करते थे. हाँ जब मैं नहीं रहती थी, स्कूल में या सहेलियों के साथ मटरगस्ती करने तो माँ और भैया कोई बदमाशी नहीं करते थे, ...

लेकिन एक दिन मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की जबरदस्त रगड़ाई करनी है, हम दोनों तो वैसे भी मौका पाते ही बदमाशी चालू कर देते थे, चुम्मा चाटी, मेरी छोटी छोटी चूँची दबाना, मसलना , खास तौर से मेरी सहेलियों के सामने उन्हें ललचाते जलाते, और मैं भी कौन कम, बस उसकी जांघिया नीचे सरका के चुसूर चुसूर चूस के खड़ा कर देती और देने के समय अपने चूतड मटका के, मुड़ के जीभ चिढ़ाते हुए बाहर भाग जाती थी.

मैं जानती थी की पकड़ में आउंगी तो अरविन्द भैया हचक के गाँड़ मारेगा, .. तो मारे न,.. मेरा एकलौता प्यारा मीठा सा सगा भाई है, वो स्साला बहनचोद नहीं मारेगा तो कौन मारेगा। लेकिन वो दिन मैंने और अरविन्द भैया ने माँ के नाम कर दिया और सोच के खूब जुगत लगा के,... गितवा छुटकी को सुनाते समझाते बोली।

छुटकी भी खूब ध्यान से सुन रही थी, सुन सुन के सोच सोच के पिघल रही थी। गीता सुना रही थी, उस दिन की बात,



" शाम से ही माँ कुछ उदास लग रही थी. हम दोनों की बात का जवाब हूँ हां में दे रही थी, हम दोनों आपस में बदमाशी भी करते, लड़ते तो डांट नहीं रही थी,... पता नहीं कहा था ध्यान उसका। ग्वालिन भौजी भी, उनसे तो रोज माँ खूब चहक चहक के बात करती थी, और भौजी भी गाँव की कुल लड़कियों औरतों का हाल मिर्च मसाले के साथ,..और अब तो मेरे सामने भी,... कौन किससे फंसी है, हमारे टोला के साथ, चमरौटी, भरौटी, अहिरोटी कोई पुरवा नहीं बचता था,... कौन भौजाई अपने मरद के पंजाब जाने के बाद देवर के साथ बिना नागा सोती है, कौन लड़की जवान हो रही है , कहाँ सास बहु मिल के किस लौंडे को फांस रही हैं, सब कुछ,...

लेकिन उस दिन माँ ने उन्हें भी बस दो चार मिनट में निपटा दिया,... "



छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, वो बताइये न दी, कैसे आप ने और अरविन्द भैया ने मिल के, आप ही तो कह रही थीं की माँ कभी भी रात भर में एक दो बार से ज्यादा नहीं झड़ती थी जबकि आप सात आठ बार, अरविन्द भैया चार बार,...






गीता उस रात की बात याद करके खिलखिलाने लगी और उसने भी गाड़ी चौथे गियर में डाल दी। और बताना शुरू किया,...
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मैं जानती थी की पकड़ में आउंगी तो अरविन्द भैया हचक के गाँड़ मारेगा, .. तो मारे न,.. मेरा एकलौता प्यारा मीठा सा सगा भाई है, वो स्साला बहनचोद नहीं मारेगा तो कौन मारेगा।

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माँ की रगड़ाई


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छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, वो बताइये न दी, कैसे आप ने और अरविन्द भैया ने मिल के, आप ही तो कह रही थीं की माँ कभी भी रात भर में एक दो बार से ज्यादा नहीं झड़ती थी जबकि आप सात आठ बार, अरविन्द भैया चार बार,...

गीता उस रात की बात याद करके खिलखिलाने लगी और उसने भी गाड़ी चौथे गियर में डाल दी। और बताना शुरू किया,...

मैं और माँ रोज की तरह 69 कर रहे थे, अरविन्द भैया को ;ललचाने के लिए




और माँ इस लिए भी करती की मेरी चुनमुनिया गीली रहेगी तो पेलवाने में ज्यादा दिक्क्त नहीं आएगी ,... अब उसने कडुआ तेल में कंजूसी शुरू कर दी थी, और मैं कहती थी तो मुझे ही हड़काती थी,

' छिनार कल गन्ने के खेत में, आम क बगिया में बँसवाड़ी में पेलवायेगी गाँव क लौंडन से तो क्या कुल तेल क बोतल लेके आएंगे अरे थूक लगा लें तो गनीमत जान, ... "


बेचारा अरविन्द भैया उसका खूंटा टनटना रहा था, पूरे बित्ते भर का, लेकिन बेचारा हाथ भी नहीं लगा सकता था उसे मालूम था उसकी माँ के हर अंग में आँखे हैं और अगर कहीं उन्होंने भैया को ' उसे ' छूते देख लिया, तो बस आफ़त। डांट तो पड़ेगी ही क्या पता दो चार हाथ भी लग जाए। और बात भी सही है घर में दो दो मस्त माल नंबरी चुदवासी,... और घर का लड़का ६१, ६२,... हम दोनों की बेइज्जती।

और जब वो तड़पता तो मुझे बहुत मज़ा आता लेकिन आज मैं सोच रही थी आज भैया का खूंटा एकदम लोहे का खम्भा हो जाये तभी,...

आज कुछ भी हो हम दोनों भाई बहन को मिल के माँ की माँ चोद देनी थी, बिना तीन चार बार झाड़े उसे,...

और बहुत सी ट्रिक तो मैंने माँ से ही सीखी थीं ( कुछ ट्रिक्स तो माँ ने सिर्फ मुझे सिखाई थीं भैया को भी नहीं ) . और सबसे बड़ी बात हर लड़का औरत अलग अलग जगह पे छूने से गर्माती है, असली खेल है पांच मिनट के अंदर ये समझ जाना और बिना उसके कहे,... और माँ के साथ तो मैं और भैया कब से छल कब्बडी खेल रहे थे,... तो मुझे मालूम था की माँ की भारी भारी मांसल जाँघे, और बड़े बड़े चूतड़ ही खजाने की चाभी हैं, वहां हलके हलके सहलाना, जोर से नहीं न दबाना न और कुछ बस ऊँगली की टिप से सरसारते हुए सहलाना,...

दूसरी बात मुझे अंदाज लग गयी थी, बिन माँ के बताये, ... माँ की एक और चाभी थी हचक के गाँड़ मारना उनकी,... उन्हें मालूम था की हचक के उनके पिछवाड़े की ली जाए तो बस वो अपने को झड़ने से नहीं रोक पाएंगी, इसलिए वो गाँड़ ,मरवाने से बचती थी और कभी भैया ने जिद करके माँ की मार भी ली तो उस समय मुझे दूर ही रखती थीं

तो बस मैंने हलके हाथों से मैंने माँ की गोरी गोरी जाँघों का सहलाना शुरू किया, मेरी जीभ भी उनकी फांको पे नाच रही थी पतुरिया की तरह, कहीं भी एक पल नहीं टिकती थी,...




बीच बीच में लम्बे नाख़ून से माँ की जांघ सहलाना शुरू, थोड़ी देर में माँ ने कसमसाना शरू कर दिया, और अब मेरे होंठों ने कस के माँ की दोनो रसीली फांको को दबोच के चूसना शुरू कर दिए और एक हथेली माँ के चूतड़ों पे , अंगूठा बस उनके पिछवाड़े के छेद को छू छू के हट जाता

ओह्ह्ह ओह्ह माँ ने सिसकियाँ भरनी शुरू की और इस बढ के क्या सबूत होता की माँ को मज़ा आ रहा था,...

लेकिन माँ आखिर माँ थी हम दोनों ने उन्ही से सीखा था , ... तो माँ ने काउंटर अटैक शुरू कर दिया, वो कस कस के मेरी चूत चूस रही थी और साथ में अपनी मोटी जीभ मेरी कसी किशोर चूत में ढकेल दी , जो मजा भैया के मोटे लौंड़े में आता था उससे कम माँ की जीभ से नहीं आता था



और साथ में अपने दोनों हाथों से माँ ने मेरे चूतड़ मसलने शुरू कर दिए

अब मेरी हालत खराब हो रही थी, और माँ जानती थी की अब मेरी शरारतें धीमी हो जाएंगी, लेकिन मुझे अंदाज था ये होने ही वाला है और मेरे पास मेरा प्यारा दुलारा मीठा मीठा भैया था न, ... बस तो मैंने उसको इशारा किया, तकिए कुशन जो कुछ भी पलंग पे हो माँ के मोटे मोटे चूतड़ों के नीचे लगा के खूब ऊपर उठा दे,... बस माँ के मस्त चूतड़ हवा में एक बित्ते ऊपर उठ गए,... मैंने अपने दोनों हाथों से माँ की गाँड़ फैला दी,...

बस इतना इशारा काफी था, भइया ने तो पता नहीं कबसे लम्बे छेद के पहले ही गोल दरवाजे में घुसना शुरू कर दिया था,... बस उसने एक करारा धक्का मारा और माँ जो कस कस के चूस के मेरी हालत खराब कर रही थीं, उन की हालत खराब हो गयी, उनके बेटे ने पहले धक्के में ही अपना पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा अपनी माँ की गांड के पेल दिए अब वो लाख चूतड़ पटकें



मैंने भी गियर चेंज किया,...

और दो उँगलियाँ एक साथ माँ के भोंसडे में पेल दी, फिर तीसरी भी और अंगूठे से माँ की क्लिट रगड़नी शुरू कर दी , इस दोहरे हमले से माँ की हालत खराब हो गयीऔर भैया ने भी खूब ताकत से माँ की गाँड़ में धकेला उनके चूतड़ पकड़ के कस के जोर लगा के, दो धक्के में गाँड़ का छल्ला पार और उसी समय मेरी तीसरी ऊँगली भी अंदर, दस पंद्रह मिनट तक मैं माँ की बुर और भैया पिछवाड़े पूरी ताकत से,... लेकिन मैं समझ गयी इत्ती आसानी से काम नहीं चलेगा, मैंने भैया से गुहार लगाई,

" अरविन्द भैया चल हम दोनों मिल के माँ को मजा देते हैं मेरी उँगलियों से इसका कुछ नहीं होने वाला है '

मैंने कैची की तरह अपनी उँगलियाँ फैला के माँ का भोंसड़ा खोल दिया और भैया ने भी अब अपनी दो उँगलियाँ अंदर ढकेल दी. पांच उँगलियाँ, तीन मेरी दो अरविन्द भैया की और पिस्टन की तेजी और ताकत, साथ में न भैया ने गाँड़ मारने में ताकत कम की न मैंने क्लिट चूसने में,... फिर मुझे याद आया माँ ने सिखाया था, बुर की गली में अंदर, दो सवा दो इंच अंदर कुछ मसल्स बहुत हल्की सी फूली होती है हलकी ऊँगली से पता चलता है, वो जगह क्लिट से भी ज्यादा खतरनाक होती है,..सारी नर्व्स वहीँ होती हैं,... बस अब मैंने वहीँ ध्यान दिया,...

आधे घंटे से ऊपर हो गए थे, बस एक बार जगह वो मिल गयी तो बस ऊँगली के पीछे के नकल से मैंने पहले हलके हलके फिर कस के रगड़ना शुरू किया,

अरविन्द भैया का मोटा लंड भी माँ की गाँड़ में,...





माँ ने आखिरी कोशिश की, वो नीचे लेटी थी मैं उनके ऊपर 69 वाली पोज़ में, उन्होंने पूरी ताकत से मुझे पलटने की कोशिश की, छटपटा रही थीं वो, पर एक तो हम भाई बहिन की पांच उँगलियाँ उनके अंदर धंसी, अरविन्द भैया का मोटा खूंटा उनकी गाँड़ में जड़ तक धंसा और सबसे बड़ी बात अरविन्द भैया के देह में बहुत ताकत थी, रोज सुबह १५० डंड पेलता था, अखाड़े भी जाता था,... मैं अकेली होती तो माँ पार पा लेती लेकिन आज हम दोनों भाई बहन, ...

४० मिनट के लगातार तूफानी चुदाई के बाद जब भैया उनकी गाँड़ में झड़ा तो साथ साथ माँ भी,...




और बड़ी देर तक,... मैं तो तब तक दो तीन बार पार लग चुकी थी.
“”

अगर कहीं उन्होंने भैया को ' उसे ' छूते देख लिया, तो बस आफ़त। डांट तो पड़ेगी ही क्या पता दो चार हाथ भी लग जाए। और बात भी सही है घर में दो दो मस्त माल नंबरी चुदवासी,... और घर का लड़का ६१, ६२,... हम दोनों की बेइज्जती।

“”

Garaam🔥🔥
 
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माँ की रगड़ाई


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छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, वो बताइये न दी, कैसे आप ने और अरविन्द भैया ने मिल के, आप ही तो कह रही थीं की माँ कभी भी रात भर में एक दो बार से ज्यादा नहीं झड़ती थी जबकि आप सात आठ बार, अरविन्द भैया चार बार,...

गीता उस रात की बात याद करके खिलखिलाने लगी और उसने भी गाड़ी चौथे गियर में डाल दी। और बताना शुरू किया,...

मैं और माँ रोज की तरह 69 कर रहे थे, अरविन्द भैया को ;ललचाने के लिए




और माँ इस लिए भी करती की मेरी चुनमुनिया गीली रहेगी तो पेलवाने में ज्यादा दिक्क्त नहीं आएगी ,... अब उसने कडुआ तेल में कंजूसी शुरू कर दी थी, और मैं कहती थी तो मुझे ही हड़काती थी,

' छिनार कल गन्ने के खेत में, आम क बगिया में बँसवाड़ी में पेलवायेगी गाँव क लौंडन से तो क्या कुल तेल क बोतल लेके आएंगे अरे थूक लगा लें तो गनीमत जान, ... "


बेचारा अरविन्द भैया उसका खूंटा टनटना रहा था, पूरे बित्ते भर का, लेकिन बेचारा हाथ भी नहीं लगा सकता था उसे मालूम था उसकी माँ के हर अंग में आँखे हैं और अगर कहीं उन्होंने भैया को ' उसे ' छूते देख लिया, तो बस आफ़त। डांट तो पड़ेगी ही क्या पता दो चार हाथ भी लग जाए। और बात भी सही है घर में दो दो मस्त माल नंबरी चुदवासी,... और घर का लड़का ६१, ६२,... हम दोनों की बेइज्जती।

और जब वो तड़पता तो मुझे बहुत मज़ा आता लेकिन आज मैं सोच रही थी आज भैया का खूंटा एकदम लोहे का खम्भा हो जाये तभी,...

आज कुछ भी हो हम दोनों भाई बहन को मिल के माँ की माँ चोद देनी थी, बिना तीन चार बार झाड़े उसे,...

और बहुत सी ट्रिक तो मैंने माँ से ही सीखी थीं ( कुछ ट्रिक्स तो माँ ने सिर्फ मुझे सिखाई थीं भैया को भी नहीं ) . और सबसे बड़ी बात हर लड़का औरत अलग अलग जगह पे छूने से गर्माती है, असली खेल है पांच मिनट के अंदर ये समझ जाना और बिना उसके कहे,... और माँ के साथ तो मैं और भैया कब से छल कब्बडी खेल रहे थे,... तो मुझे मालूम था की माँ की भारी भारी मांसल जाँघे, और बड़े बड़े चूतड़ ही खजाने की चाभी हैं, वहां हलके हलके सहलाना, जोर से नहीं न दबाना न और कुछ बस ऊँगली की टिप से सरसारते हुए सहलाना,...

दूसरी बात मुझे अंदाज लग गयी थी, बिन माँ के बताये, ... माँ की एक और चाभी थी हचक के गाँड़ मारना उनकी,... उन्हें मालूम था की हचक के उनके पिछवाड़े की ली जाए तो बस वो अपने को झड़ने से नहीं रोक पाएंगी, इसलिए वो गाँड़ ,मरवाने से बचती थी और कभी भैया ने जिद करके माँ की मार भी ली तो उस समय मुझे दूर ही रखती थीं

तो बस मैंने हलके हाथों से मैंने माँ की गोरी गोरी जाँघों का सहलाना शुरू किया, मेरी जीभ भी उनकी फांको पे नाच रही थी पतुरिया की तरह, कहीं भी एक पल नहीं टिकती थी,...




बीच बीच में लम्बे नाख़ून से माँ की जांघ सहलाना शुरू, थोड़ी देर में माँ ने कसमसाना शरू कर दिया, और अब मेरे होंठों ने कस के माँ की दोनो रसीली फांको को दबोच के चूसना शुरू कर दिए और एक हथेली माँ के चूतड़ों पे , अंगूठा बस उनके पिछवाड़े के छेद को छू छू के हट जाता

ओह्ह्ह ओह्ह माँ ने सिसकियाँ भरनी शुरू की और इस बढ के क्या सबूत होता की माँ को मज़ा आ रहा था,...

लेकिन माँ आखिर माँ थी हम दोनों ने उन्ही से सीखा था , ... तो माँ ने काउंटर अटैक शुरू कर दिया, वो कस कस के मेरी चूत चूस रही थी और साथ में अपनी मोटी जीभ मेरी कसी किशोर चूत में ढकेल दी , जो मजा भैया के मोटे लौंड़े में आता था उससे कम माँ की जीभ से नहीं आता था



और साथ में अपने दोनों हाथों से माँ ने मेरे चूतड़ मसलने शुरू कर दिए

अब मेरी हालत खराब हो रही थी, और माँ जानती थी की अब मेरी शरारतें धीमी हो जाएंगी, लेकिन मुझे अंदाज था ये होने ही वाला है और मेरे पास मेरा प्यारा दुलारा मीठा मीठा भैया था न, ... बस तो मैंने उसको इशारा किया, तकिए कुशन जो कुछ भी पलंग पे हो माँ के मोटे मोटे चूतड़ों के नीचे लगा के खूब ऊपर उठा दे,... बस माँ के मस्त चूतड़ हवा में एक बित्ते ऊपर उठ गए,... मैंने अपने दोनों हाथों से माँ की गाँड़ फैला दी,...

बस इतना इशारा काफी था, भइया ने तो पता नहीं कबसे लम्बे छेद के पहले ही गोल दरवाजे में घुसना शुरू कर दिया था,... बस उसने एक करारा धक्का मारा और माँ जो कस कस के चूस के मेरी हालत खराब कर रही थीं, उन की हालत खराब हो गयी, उनके बेटे ने पहले धक्के में ही अपना पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा अपनी माँ की गांड के पेल दिए अब वो लाख चूतड़ पटकें



मैंने भी गियर चेंज किया,...

और दो उँगलियाँ एक साथ माँ के भोंसडे में पेल दी, फिर तीसरी भी और अंगूठे से माँ की क्लिट रगड़नी शुरू कर दी , इस दोहरे हमले से माँ की हालत खराब हो गयीऔर भैया ने भी खूब ताकत से माँ की गाँड़ में धकेला उनके चूतड़ पकड़ के कस के जोर लगा के, दो धक्के में गाँड़ का छल्ला पार और उसी समय मेरी तीसरी ऊँगली भी अंदर, दस पंद्रह मिनट तक मैं माँ की बुर और भैया पिछवाड़े पूरी ताकत से,... लेकिन मैं समझ गयी इत्ती आसानी से काम नहीं चलेगा, मैंने भैया से गुहार लगाई,

" अरविन्द भैया चल हम दोनों मिल के माँ को मजा देते हैं मेरी उँगलियों से इसका कुछ नहीं होने वाला है '

मैंने कैची की तरह अपनी उँगलियाँ फैला के माँ का भोंसड़ा खोल दिया और भैया ने भी अब अपनी दो उँगलियाँ अंदर ढकेल दी. पांच उँगलियाँ, तीन मेरी दो अरविन्द भैया की और पिस्टन की तेजी और ताकत, साथ में न भैया ने गाँड़ मारने में ताकत कम की न मैंने क्लिट चूसने में,... फिर मुझे याद आया माँ ने सिखाया था, बुर की गली में अंदर, दो सवा दो इंच अंदर कुछ मसल्स बहुत हल्की सी फूली होती है हलकी ऊँगली से पता चलता है, वो जगह क्लिट से भी ज्यादा खतरनाक होती है,..सारी नर्व्स वहीँ होती हैं,... बस अब मैंने वहीँ ध्यान दिया,...

आधे घंटे से ऊपर हो गए थे, बस एक बार जगह वो मिल गयी तो बस ऊँगली के पीछे के नकल से मैंने पहले हलके हलके फिर कस के रगड़ना शुरू किया,

अरविन्द भैया का मोटा लंड भी माँ की गाँड़ में,...





माँ ने आखिरी कोशिश की, वो नीचे लेटी थी मैं उनके ऊपर 69 वाली पोज़ में, उन्होंने पूरी ताकत से मुझे पलटने की कोशिश की, छटपटा रही थीं वो, पर एक तो हम भाई बहिन की पांच उँगलियाँ उनके अंदर धंसी, अरविन्द भैया का मोटा खूंटा उनकी गाँड़ में जड़ तक धंसा और सबसे बड़ी बात अरविन्द भैया के देह में बहुत ताकत थी, रोज सुबह १५० डंड पेलता था, अखाड़े भी जाता था,... मैं अकेली होती तो माँ पार पा लेती लेकिन आज हम दोनों भाई बहन, ...

४० मिनट के लगातार तूफानी चुदाई के बाद जब भैया उनकी गाँड़ में झड़ा तो साथ साथ माँ भी,...




और बड़ी देर तक,... मैं तो तब तक दो तीन बार पार लग चुकी थी.


आज कुछ भी हो हम दोनों भाई बहन को मिल के माँ की माँ चोद देनी थी, बिना तीन चार बार झाड़े उसे



😂😂😂😂
 

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माँ की रगड़ाई


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छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, वो बताइये न दी, कैसे आप ने और अरविन्द भैया ने मिल के, आप ही तो कह रही थीं की माँ कभी भी रात भर में एक दो बार से ज्यादा नहीं झड़ती थी जबकि आप सात आठ बार, अरविन्द भैया चार बार,...

गीता उस रात की बात याद करके खिलखिलाने लगी और उसने भी गाड़ी चौथे गियर में डाल दी। और बताना शुरू किया,...

मैं और माँ रोज की तरह 69 कर रहे थे, अरविन्द भैया को ;ललचाने के लिए




और माँ इस लिए भी करती की मेरी चुनमुनिया गीली रहेगी तो पेलवाने में ज्यादा दिक्क्त नहीं आएगी ,... अब उसने कडुआ तेल में कंजूसी शुरू कर दी थी, और मैं कहती थी तो मुझे ही हड़काती थी,

' छिनार कल गन्ने के खेत में, आम क बगिया में बँसवाड़ी में पेलवायेगी गाँव क लौंडन से तो क्या कुल तेल क बोतल लेके आएंगे अरे थूक लगा लें तो गनीमत जान, ... "


बेचारा अरविन्द भैया उसका खूंटा टनटना रहा था, पूरे बित्ते भर का, लेकिन बेचारा हाथ भी नहीं लगा सकता था उसे मालूम था उसकी माँ के हर अंग में आँखे हैं और अगर कहीं उन्होंने भैया को ' उसे ' छूते देख लिया, तो बस आफ़त। डांट तो पड़ेगी ही क्या पता दो चार हाथ भी लग जाए। और बात भी सही है घर में दो दो मस्त माल नंबरी चुदवासी,... और घर का लड़का ६१, ६२,... हम दोनों की बेइज्जती।

और जब वो तड़पता तो मुझे बहुत मज़ा आता लेकिन आज मैं सोच रही थी आज भैया का खूंटा एकदम लोहे का खम्भा हो जाये तभी,...

आज कुछ भी हो हम दोनों भाई बहन को मिल के माँ की माँ चोद देनी थी, बिना तीन चार बार झाड़े उसे,...

और बहुत सी ट्रिक तो मैंने माँ से ही सीखी थीं ( कुछ ट्रिक्स तो माँ ने सिर्फ मुझे सिखाई थीं भैया को भी नहीं ) . और सबसे बड़ी बात हर लड़का औरत अलग अलग जगह पे छूने से गर्माती है, असली खेल है पांच मिनट के अंदर ये समझ जाना और बिना उसके कहे,... और माँ के साथ तो मैं और भैया कब से छल कब्बडी खेल रहे थे,... तो मुझे मालूम था की माँ की भारी भारी मांसल जाँघे, और बड़े बड़े चूतड़ ही खजाने की चाभी हैं, वहां हलके हलके सहलाना, जोर से नहीं न दबाना न और कुछ बस ऊँगली की टिप से सरसारते हुए सहलाना,...

दूसरी बात मुझे अंदाज लग गयी थी, बिन माँ के बताये, ... माँ की एक और चाभी थी हचक के गाँड़ मारना उनकी,... उन्हें मालूम था की हचक के उनके पिछवाड़े की ली जाए तो बस वो अपने को झड़ने से नहीं रोक पाएंगी, इसलिए वो गाँड़ ,मरवाने से बचती थी और कभी भैया ने जिद करके माँ की मार भी ली तो उस समय मुझे दूर ही रखती थीं

तो बस मैंने हलके हाथों से मैंने माँ की गोरी गोरी जाँघों का सहलाना शुरू किया, मेरी जीभ भी उनकी फांको पे नाच रही थी पतुरिया की तरह, कहीं भी एक पल नहीं टिकती थी,...




बीच बीच में लम्बे नाख़ून से माँ की जांघ सहलाना शुरू, थोड़ी देर में माँ ने कसमसाना शरू कर दिया, और अब मेरे होंठों ने कस के माँ की दोनो रसीली फांको को दबोच के चूसना शुरू कर दिए और एक हथेली माँ के चूतड़ों पे , अंगूठा बस उनके पिछवाड़े के छेद को छू छू के हट जाता

ओह्ह्ह ओह्ह माँ ने सिसकियाँ भरनी शुरू की और इस बढ के क्या सबूत होता की माँ को मज़ा आ रहा था,...

लेकिन माँ आखिर माँ थी हम दोनों ने उन्ही से सीखा था , ... तो माँ ने काउंटर अटैक शुरू कर दिया, वो कस कस के मेरी चूत चूस रही थी और साथ में अपनी मोटी जीभ मेरी कसी किशोर चूत में ढकेल दी , जो मजा भैया के मोटे लौंड़े में आता था उससे कम माँ की जीभ से नहीं आता था



और साथ में अपने दोनों हाथों से माँ ने मेरे चूतड़ मसलने शुरू कर दिए

अब मेरी हालत खराब हो रही थी, और माँ जानती थी की अब मेरी शरारतें धीमी हो जाएंगी, लेकिन मुझे अंदाज था ये होने ही वाला है और मेरे पास मेरा प्यारा दुलारा मीठा मीठा भैया था न, ... बस तो मैंने उसको इशारा किया, तकिए कुशन जो कुछ भी पलंग पे हो माँ के मोटे मोटे चूतड़ों के नीचे लगा के खूब ऊपर उठा दे,... बस माँ के मस्त चूतड़ हवा में एक बित्ते ऊपर उठ गए,... मैंने अपने दोनों हाथों से माँ की गाँड़ फैला दी,...

बस इतना इशारा काफी था, भइया ने तो पता नहीं कबसे लम्बे छेद के पहले ही गोल दरवाजे में घुसना शुरू कर दिया था,... बस उसने एक करारा धक्का मारा और माँ जो कस कस के चूस के मेरी हालत खराब कर रही थीं, उन की हालत खराब हो गयी, उनके बेटे ने पहले धक्के में ही अपना पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा अपनी माँ की गांड के पेल दिए अब वो लाख चूतड़ पटकें



मैंने भी गियर चेंज किया,...

और दो उँगलियाँ एक साथ माँ के भोंसडे में पेल दी, फिर तीसरी भी और अंगूठे से माँ की क्लिट रगड़नी शुरू कर दी , इस दोहरे हमले से माँ की हालत खराब हो गयीऔर भैया ने भी खूब ताकत से माँ की गाँड़ में धकेला उनके चूतड़ पकड़ के कस के जोर लगा के, दो धक्के में गाँड़ का छल्ला पार और उसी समय मेरी तीसरी ऊँगली भी अंदर, दस पंद्रह मिनट तक मैं माँ की बुर और भैया पिछवाड़े पूरी ताकत से,... लेकिन मैं समझ गयी इत्ती आसानी से काम नहीं चलेगा, मैंने भैया से गुहार लगाई,

" अरविन्द भैया चल हम दोनों मिल के माँ को मजा देते हैं मेरी उँगलियों से इसका कुछ नहीं होने वाला है '

मैंने कैची की तरह अपनी उँगलियाँ फैला के माँ का भोंसड़ा खोल दिया और भैया ने भी अब अपनी दो उँगलियाँ अंदर ढकेल दी. पांच उँगलियाँ, तीन मेरी दो अरविन्द भैया की और पिस्टन की तेजी और ताकत, साथ में न भैया ने गाँड़ मारने में ताकत कम की न मैंने क्लिट चूसने में,... फिर मुझे याद आया माँ ने सिखाया था, बुर की गली में अंदर, दो सवा दो इंच अंदर कुछ मसल्स बहुत हल्की सी फूली होती है हलकी ऊँगली से पता चलता है, वो जगह क्लिट से भी ज्यादा खतरनाक होती है,..सारी नर्व्स वहीँ होती हैं,... बस अब मैंने वहीँ ध्यान दिया,...

आधे घंटे से ऊपर हो गए थे, बस एक बार जगह वो मिल गयी तो बस ऊँगली के पीछे के नकल से मैंने पहले हलके हलके फिर कस के रगड़ना शुरू किया,

अरविन्द भैया का मोटा लंड भी माँ की गाँड़ में,...





माँ ने आखिरी कोशिश की, वो नीचे लेटी थी मैं उनके ऊपर 69 वाली पोज़ में, उन्होंने पूरी ताकत से मुझे पलटने की कोशिश की, छटपटा रही थीं वो, पर एक तो हम भाई बहिन की पांच उँगलियाँ उनके अंदर धंसी, अरविन्द भैया का मोटा खूंटा उनकी गाँड़ में जड़ तक धंसा और सबसे बड़ी बात अरविन्द भैया के देह में बहुत ताकत थी, रोज सुबह १५० डंड पेलता था, अखाड़े भी जाता था,... मैं अकेली होती तो माँ पार पा लेती लेकिन आज हम दोनों भाई बहन, ...

४० मिनट के लगातार तूफानी चुदाई के बाद जब भैया उनकी गाँड़ में झड़ा तो साथ साथ माँ भी,...




और बड़ी देर तक,... मैं तो तब तक दो तीन बार पार लग चुकी थी.
“”

बस इतना इशारा काफी था, भइया ने तो पता नहीं कबसे लम्बे छेद के पहले ही गोल दरवाजे में घुसना शुरू कर दिया था,... बस उसने एक करारा धक्का मारा और माँ जो कस कस के चूस के मेरी हालत खराब कर रही थीं, उन की हालत खराब हो गयी, उनके बेटे ने पहले धक्के में ही अपना पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा अपनी माँ की गांड के पेल दिए अब वो लाख चूतड़ पटकें

“”

Uffff bahut hi kamuk scene banaya hai
 

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माँ की रगड़ाई


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छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, वो बताइये न दी, कैसे आप ने और अरविन्द भैया ने मिल के, आप ही तो कह रही थीं की माँ कभी भी रात भर में एक दो बार से ज्यादा नहीं झड़ती थी जबकि आप सात आठ बार, अरविन्द भैया चार बार,...

गीता उस रात की बात याद करके खिलखिलाने लगी और उसने भी गाड़ी चौथे गियर में डाल दी। और बताना शुरू किया,...

मैं और माँ रोज की तरह 69 कर रहे थे, अरविन्द भैया को ;ललचाने के लिए




और माँ इस लिए भी करती की मेरी चुनमुनिया गीली रहेगी तो पेलवाने में ज्यादा दिक्क्त नहीं आएगी ,... अब उसने कडुआ तेल में कंजूसी शुरू कर दी थी, और मैं कहती थी तो मुझे ही हड़काती थी,

' छिनार कल गन्ने के खेत में, आम क बगिया में बँसवाड़ी में पेलवायेगी गाँव क लौंडन से तो क्या कुल तेल क बोतल लेके आएंगे अरे थूक लगा लें तो गनीमत जान, ... "


बेचारा अरविन्द भैया उसका खूंटा टनटना रहा था, पूरे बित्ते भर का, लेकिन बेचारा हाथ भी नहीं लगा सकता था उसे मालूम था उसकी माँ के हर अंग में आँखे हैं और अगर कहीं उन्होंने भैया को ' उसे ' छूते देख लिया, तो बस आफ़त। डांट तो पड़ेगी ही क्या पता दो चार हाथ भी लग जाए। और बात भी सही है घर में दो दो मस्त माल नंबरी चुदवासी,... और घर का लड़का ६१, ६२,... हम दोनों की बेइज्जती।

और जब वो तड़पता तो मुझे बहुत मज़ा आता लेकिन आज मैं सोच रही थी आज भैया का खूंटा एकदम लोहे का खम्भा हो जाये तभी,...

आज कुछ भी हो हम दोनों भाई बहन को मिल के माँ की माँ चोद देनी थी, बिना तीन चार बार झाड़े उसे,...

और बहुत सी ट्रिक तो मैंने माँ से ही सीखी थीं ( कुछ ट्रिक्स तो माँ ने सिर्फ मुझे सिखाई थीं भैया को भी नहीं ) . और सबसे बड़ी बात हर लड़का औरत अलग अलग जगह पे छूने से गर्माती है, असली खेल है पांच मिनट के अंदर ये समझ जाना और बिना उसके कहे,... और माँ के साथ तो मैं और भैया कब से छल कब्बडी खेल रहे थे,... तो मुझे मालूम था की माँ की भारी भारी मांसल जाँघे, और बड़े बड़े चूतड़ ही खजाने की चाभी हैं, वहां हलके हलके सहलाना, जोर से नहीं न दबाना न और कुछ बस ऊँगली की टिप से सरसारते हुए सहलाना,...

दूसरी बात मुझे अंदाज लग गयी थी, बिन माँ के बताये, ... माँ की एक और चाभी थी हचक के गाँड़ मारना उनकी,... उन्हें मालूम था की हचक के उनके पिछवाड़े की ली जाए तो बस वो अपने को झड़ने से नहीं रोक पाएंगी, इसलिए वो गाँड़ ,मरवाने से बचती थी और कभी भैया ने जिद करके माँ की मार भी ली तो उस समय मुझे दूर ही रखती थीं

तो बस मैंने हलके हाथों से मैंने माँ की गोरी गोरी जाँघों का सहलाना शुरू किया, मेरी जीभ भी उनकी फांको पे नाच रही थी पतुरिया की तरह, कहीं भी एक पल नहीं टिकती थी,...




बीच बीच में लम्बे नाख़ून से माँ की जांघ सहलाना शुरू, थोड़ी देर में माँ ने कसमसाना शरू कर दिया, और अब मेरे होंठों ने कस के माँ की दोनो रसीली फांको को दबोच के चूसना शुरू कर दिए और एक हथेली माँ के चूतड़ों पे , अंगूठा बस उनके पिछवाड़े के छेद को छू छू के हट जाता

ओह्ह्ह ओह्ह माँ ने सिसकियाँ भरनी शुरू की और इस बढ के क्या सबूत होता की माँ को मज़ा आ रहा था,...

लेकिन माँ आखिर माँ थी हम दोनों ने उन्ही से सीखा था , ... तो माँ ने काउंटर अटैक शुरू कर दिया, वो कस कस के मेरी चूत चूस रही थी और साथ में अपनी मोटी जीभ मेरी कसी किशोर चूत में ढकेल दी , जो मजा भैया के मोटे लौंड़े में आता था उससे कम माँ की जीभ से नहीं आता था



और साथ में अपने दोनों हाथों से माँ ने मेरे चूतड़ मसलने शुरू कर दिए

अब मेरी हालत खराब हो रही थी, और माँ जानती थी की अब मेरी शरारतें धीमी हो जाएंगी, लेकिन मुझे अंदाज था ये होने ही वाला है और मेरे पास मेरा प्यारा दुलारा मीठा मीठा भैया था न, ... बस तो मैंने उसको इशारा किया, तकिए कुशन जो कुछ भी पलंग पे हो माँ के मोटे मोटे चूतड़ों के नीचे लगा के खूब ऊपर उठा दे,... बस माँ के मस्त चूतड़ हवा में एक बित्ते ऊपर उठ गए,... मैंने अपने दोनों हाथों से माँ की गाँड़ फैला दी,...

बस इतना इशारा काफी था, भइया ने तो पता नहीं कबसे लम्बे छेद के पहले ही गोल दरवाजे में घुसना शुरू कर दिया था,... बस उसने एक करारा धक्का मारा और माँ जो कस कस के चूस के मेरी हालत खराब कर रही थीं, उन की हालत खराब हो गयी, उनके बेटे ने पहले धक्के में ही अपना पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा अपनी माँ की गांड के पेल दिए अब वो लाख चूतड़ पटकें



मैंने भी गियर चेंज किया,...

और दो उँगलियाँ एक साथ माँ के भोंसडे में पेल दी, फिर तीसरी भी और अंगूठे से माँ की क्लिट रगड़नी शुरू कर दी , इस दोहरे हमले से माँ की हालत खराब हो गयीऔर भैया ने भी खूब ताकत से माँ की गाँड़ में धकेला उनके चूतड़ पकड़ के कस के जोर लगा के, दो धक्के में गाँड़ का छल्ला पार और उसी समय मेरी तीसरी ऊँगली भी अंदर, दस पंद्रह मिनट तक मैं माँ की बुर और भैया पिछवाड़े पूरी ताकत से,... लेकिन मैं समझ गयी इत्ती आसानी से काम नहीं चलेगा, मैंने भैया से गुहार लगाई,

" अरविन्द भैया चल हम दोनों मिल के माँ को मजा देते हैं मेरी उँगलियों से इसका कुछ नहीं होने वाला है '

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आधे घंटे से ऊपर हो गए थे, बस एक बार जगह वो मिल गयी तो बस ऊँगली के पीछे के नकल से मैंने पहले हलके हलके फिर कस के रगड़ना शुरू किया,

अरविन्द भैया का मोटा लंड भी माँ की गाँड़ में,...





माँ ने आखिरी कोशिश की, वो नीचे लेटी थी मैं उनके ऊपर 69 वाली पोज़ में, उन्होंने पूरी ताकत से मुझे पलटने की कोशिश की, छटपटा रही थीं वो, पर एक तो हम भाई बहिन की पांच उँगलियाँ उनके अंदर धंसी, अरविन्द भैया का मोटा खूंटा उनकी गाँड़ में जड़ तक धंसा और सबसे बड़ी बात अरविन्द भैया के देह में बहुत ताकत थी, रोज सुबह १५० डंड पेलता था, अखाड़े भी जाता था,... मैं अकेली होती तो माँ पार पा लेती लेकिन आज हम दोनों भाई बहन, ...

४० मिनट के लगातार तूफानी चुदाई के बाद जब भैया उनकी गाँड़ में झड़ा तो साथ साथ माँ भी,...




और बड़ी देर तक,... मैं तो तब तक दो तीन बार पार लग चुकी थी.
Bahut hi mast gaand marwai hai geetwa ne apni maa ki apne bhaiya se 🔥🔥🔥🔥🔥
 

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माँ बेटी का प्यार दुलार



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" माँ, अरविन्द भैया को ललचाते अपने दोनों हाथों से मेरी अमिया उठा के पकड़ एक उसे दिखातीं और ललचातीं, बोलतीं,

" देख, मेरी बेटी के जुबना कितने मस्त है, स्साली इस गाँव क्या आस पास के किसी गाँव में किसी माल का इत्ता मस्त जोबन नहीं है, बोल चाहिए क्या ? और भैया लिबराता देखता तो माँ और उसे हड़काती, स्साले दो साल पहले से इसकी कच्ची अमिया आने लगी थीं , गांव भर के लौंडो को महक लग गयी थी, सब पीछे पड़े थे,..




और तू बुरबक,... अरे तभी पकड़ के चोद देता, दो चार बार जबरदस्ती पेलता रोती गाती कुछ दिन में खुद चुदवाने लगती,... लेकिन तू भी न,... पर सोच ले चाहिए तो मेरी सब बात माननी पड़ेगी "

" कौन सी बात माँ की " अब छुटकी से नहीं रहा गया उसने पूछ ही लिया, पर गीता ने नहीं बताया उसने किस्सा जारी रखा,

" मैं भी भैया को ललचाती हुयी बोलती,
आओ न भैया, तेरा मन नहीं कर रहा अपनी बहन की लेने का क्या, उह्ह आह्हः , देख मेरी महारानी किती गीली हो रही है , आओ न अरविन्द भैया, प्लीज,... "

भैया जैसे मेरी ओर आने को होता माँ उसे रोक देती बोलती,

पहले मैं दुलारी प्यारी बेटी की चाशनी चाटूँगी, तू चुपचाप मेरी बात मान और माँ बेटी का प्यार दुलार देख। "


फिर माँ मेरे पास आके मेरी एक टांग उठा के पहले तो मेरी प्यारी गीली बौराई सहेली को हलके हलके थपकाती, फिर हल्के हलके सिर्फ जीभ की टिप मेरी चूत की दोनों फांकों को अलग करती और फांकों के बीच में थोड़ा सा प्रेशर डल के जैसे कोई लौंडा बिनचुदी चूत में अपना सुपाड़ा फंसाता है माँ एकदम उसी तरह से , हलके हलके आगे पीछे,...



मस्ती से में चूतड़ उचकाती और पीछे से भैया निहुरि हुई माँ के पिछवाड़े जीभ लगा के सपड़ सपड़ , जितनी जोर से माँ मेरा चाटती, चूसती, उससे ज्यादा जोर से भैया माँ का,... "



" अरविन्द भैया माँ की बुर चूसता,... " छुटकी से रहा नहीं गया उसने पूछ लिया।



गीता बड़ी देर तक हंसती रही, फिर बोली ,

" तू स्साली सब पूछ के दम लेगी। हां भी नहीं भी। पहले तो वो माँ की बुर में ही मुंह लगाता,... लेकिन कुछ देर बाद माँ हल्के से झटके,...माँ के बड़े बड़े चूतड़ कोई भी लहालोट हो जाता तो अरविन्द भैया भी,... और माँ को एकदम मालूम था तो उस झटके से माँ के पिछवाड़े का छेद, और भैया का मालूम था की वहां ऊपर से चाटने से काम नहीं चलेगा पूरी जीभ अंदर डालनी पड़ेगी जबतक जीभ की टिप पे अंदर का माल न लगे , और फिर जैसे ऊँगली अंदर डाल के घुमाते हैं न उसी तरह से जीभ से, माँ ने अरविन्द और मुझे दोनों अच्छी तरह से ये सब सिखा दिया था, पिछवाड़े चाटना, चूसना,... मैं तुझे भी सिखा दूंगी, घबड़ा मत,"




गीता थोड़ी रुकी फिर फ़ास्ट फारवर्ड किया,...

" और जब भैया मुझे चूसता , तो मेरे मुंह पे माँ की बुर माँ खूब रगड़ रगड़ के मुझसे चुसवाती, ... और बेचारे अरविन्द भैया के ये देख के और हालत ख़राब,... और जब मैं अरविन्द भैया का लंड चूसती तो माँ उसके ऊपर चढ़के उससे अपनी बुर चुसवाती, खूब मजा आता ,लेकिन घंटे भर से पहले मैं अरविन्द भैया को चोदने के लिए नहीं मिलती थी।

और जब चुदाई शुरू होती तो,... कोई रात ऐसी नहीं गयी होगी जब मैं सात आठ बार से कम झड़ी होऊं और भैया भी तीन चार बार से कम कभी नहीं , कम से कम दो बार मेरे अंदर और एक दो बार माँ के अंदर मलाई छोड़ता ,...

और उसके अलावा जब मैं स्कूल के लिए तैयार हो जाती तो उस समय जबरदस्ती कर के भैया मुझे निहुरा के अगवाड़े पिछवाड़े मलाई जरूर भरता




और गाँड़ तो जब मेरी कमीनी सहेलियां आ जातीं उसके बाद ऐसे हचक हचक के मारता, सहेलियों का कन्धा पकड़ के, उन्ही के सहारे सहारे मैं स्कूल जा पाती"



और माँ कित्ती बार ,...



छुटकी को तो पूरा हिसाब चाहिए था और गीता थोड़ा उदास हो गयी बोली, मुश्किल से एक दो बार। फिर कुछ सोच के मुस्कराते हुए बोली , लेकिन हाँ एक रात मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की हम दोनों भाई बहन मिल के ,... और उस दिन चार बार माँ झड़ी रात में , .. और फिर गीता ने वो किस्सा माँ का , विस्तार से सुनाया।

वैसे तो कोई दिन नागा नहीं जाता था, जब मैं अरविन्द भैया और माँ, चाहे दिन हो या रात मस्ती नहीं करते थे. हाँ जब मैं नहीं रहती थी, स्कूल में या सहेलियों के साथ मटरगस्ती करने तो माँ और भैया कोई बदमाशी नहीं करते थे, ...

लेकिन एक दिन मैंने और भैया ने तय कर लिया था की आज माँ की जबरदस्त रगड़ाई करनी है, हम दोनों तो वैसे भी मौका पाते ही बदमाशी चालू कर देते थे, चुम्मा चाटी, मेरी छोटी छोटी चूँची दबाना, मसलना , खास तौर से मेरी सहेलियों के सामने उन्हें ललचाते जलाते, और मैं भी कौन कम, बस उसकी जांघिया नीचे सरका के चुसूर चुसूर चूस के खड़ा कर देती और देने के समय अपने चूतड मटका के, मुड़ के जीभ चिढ़ाते हुए बाहर भाग जाती थी.

मैं जानती थी की पकड़ में आउंगी तो अरविन्द भैया हचक के गाँड़ मारेगा, .. तो मारे न,.. मेरा एकलौता प्यारा मीठा सा सगा भाई है, वो स्साला बहनचोद नहीं मारेगा तो कौन मारेगा। लेकिन वो दिन मैंने और अरविन्द भैया ने माँ के नाम कर दिया और सोच के खूब जुगत लगा के,... गितवा छुटकी को सुनाते समझाते बोली।

छुटकी भी खूब ध्यान से सुन रही थी, सुन सुन के सोच सोच के पिघल रही थी। गीता सुना रही थी, उस दिन की बात,



" शाम से ही माँ कुछ उदास लग रही थी. हम दोनों की बात का जवाब हूँ हां में दे रही थी, हम दोनों आपस में बदमाशी भी करते, लड़ते तो डांट नहीं रही थी,... पता नहीं कहा था ध्यान उसका। ग्वालिन भौजी भी, उनसे तो रोज माँ खूब चहक चहक के बात करती थी, और भौजी भी गाँव की कुल लड़कियों औरतों का हाल मिर्च मसाले के साथ,..और अब तो मेरे सामने भी,... कौन किससे फंसी है, हमारे टोला के साथ, चमरौटी, भरौटी, अहिरोटी कोई पुरवा नहीं बचता था,... कौन भौजाई अपने मरद के पंजाब जाने के बाद देवर के साथ बिना नागा सोती है, कौन लड़की जवान हो रही है , कहाँ सास बहु मिल के किस लौंडे को फांस रही हैं, सब कुछ,...

लेकिन उस दिन माँ ने उन्हें भी बस दो चार मिनट में निपटा दिया,... "



छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, वो बताइये न दी, कैसे आप ने और अरविन्द भैया ने मिल के, आप ही तो कह रही थीं की माँ कभी भी रात भर में एक दो बार से ज्यादा नहीं झड़ती थी जबकि आप सात आठ बार, अरविन्द भैया चार बार,...






गीता उस रात की बात याद करके खिलखिलाने लगी और उसने भी गाड़ी चौथे गियर में डाल दी। और बताना शुरू किया,...
“”

" शाम से ही माँ कुछ उदास लग रही थी. हम दोनों की बात का जवाब हूँ हां में दे रही थी, हम दोनों आपस में बदमाशी भी करते, लड़ते तो डांट नहीं रही थी,... पता नहीं कहा था ध्यान उसका। ग्वालिन भौजी भी, उनसे तो रोज माँ खूब चहक चहक के बात करती थी, और भौजी भी गाँव की कुल लड़कियों औरतों का हाल मिर्च मसाले के साथ,..और अब तो मेरे सामने भी,... कौन किससे फंसी है, हमारे टोला के साथ, चमरौटी, भरौटी, अहिरोटी कोई पुरवा नहीं बचता था,... कौन भौजाई अपने मरद के पंजाब जाने के बाद देवर के साथ बिना नागा सोती है, कौन लड़की जवान हो रही है , कहाँ सास बहु मिल के किस लौंडे को फांस रही हैं, सब कुछ,...

लेकिन उस दिन माँ ने उन्हें भी बस दो चार मिनट में निपटा दिया,... "



छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, “”

Chutki ko nahi but hume pura interest hai komaalrani ji ye geetwa ki maa kyun udaas hai bhai😉😉😉😉
 
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