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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०

वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट

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komaalrani

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" मैं भी भैया को ललचाती हुयी बोलती,
आओ न भैया, तेरा मन नहीं कर रहा अपनी बहन की लेने का क्या, उह्ह आह्हः , देख मेरी महारानी किती गीली हो रही है , आओ न अरविन्द भैया, प्लीज,... "

भैया जैसे मेरी ओर आने को होता माँ उसे रोक देती बोलती,

पहले मैं दुलारी प्यारी बेटी की चाशनी चाटूँगी, तू चुपचाप मेरी बात मान और माँ बेटी का प्यार दुलार देख। "

“””

Garam scene 🤤🤤🤤🤤
Thanks so much

lalachaane me aur tadpaane men maa ka jvaab nahi aur vo jaanti hai ek baar beta garam go gaya to beti ko aur ks ke kutegaa rgad ragd ke apni maa ke samane:thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you:
 

komaalrani

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" शाम से ही माँ कुछ उदास लग रही थी. हम दोनों की बात का जवाब हूँ हां में दे रही थी, हम दोनों आपस में बदमाशी भी करते, लड़ते तो डांट नहीं रही थी,... पता नहीं कहा था ध्यान उसका। ग्वालिन भौजी भी, उनसे तो रोज माँ खूब चहक चहक के बात करती थी, और भौजी भी गाँव की कुल लड़कियों औरतों का हाल मिर्च मसाले के साथ,..और अब तो मेरे सामने भी,... कौन किससे फंसी है, हमारे टोला के साथ, चमरौटी, भरौटी, अहिरोटी कोई पुरवा नहीं बचता था,... कौन भौजाई अपने मरद के पंजाब जाने के बाद देवर के साथ बिना नागा सोती है, कौन लड़की जवान हो रही है , कहाँ सास बहु मिल के किस लौंडे को फांस रही हैं, सब कुछ,...

लेकिन उस दिन माँ ने उन्हें भी बस दो चार मिनट में निपटा दिया,... "



छुटकी को तो सीधे एडल्ट सीन में इंट्रेस्ट था वो फ़ास्ट फारवर्ड करते बोली, “”

Chutki ko nahi but hume pura interest hai komaalrani ji ye geetwa ki maa kyun udaas hai bhai😉😉😉😉
Sab pata chalega aapko bhi Chhutaki ko bhi maa ki udasi ka sabab


lekin tab tak bete beti ne mil ke maa ko khush karane ka kya tarika socha ye padhiye, maja lijiye,... aise acche bacche aaj kal kahan milte hain maa ka dhyan rakhne vaale sb to mobile men frineds men party men appni apni duniya men khoye rahte hain lekin ARVIND aur GEETA ko maan ka poora dhyaan hai hai naa acchi baat , ye nahi ki Bhai behan sirf apne maje men
 

komaalrani

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मैं जानती थी की पकड़ में आउंगी तो अरविन्द भैया हचक के गाँड़ मारेगा, .. तो मारे न,.. मेरा एकलौता प्यारा मीठा सा सगा भाई है, वो स्साला बहनचोद नहीं मारेगा तो कौन मारेगा।

“”
Kitani acchi bhavana hai behan ki Bhai ke pyaar ke liye koyi bhi dard sahne ko taiyar hai , aisi baehan sabki ho,...


thanks for liking and sharing your favourite lines.
 

komaalrani

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Bahut hi mast gaand marwai hai geetwa ne apni maa ki apne bhaiya se 🔥🔥🔥🔥🔥
aap sab ki icchca thi ki Maa beta ka haal khulasa bhi is kahani men aaye aur yahi baat Geeta ke bhi man men thi to Geeta ne Chhutki ko bataya aur Chhutaki se sun ke maine aap sab ko
 

komaalrani

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अगर कहीं उन्होंने भैया को ' उसे ' छूते देख लिया, तो बस आफ़त। डांट तो पड़ेगी ही क्या पता दो चार हाथ भी लग जाए। और बात भी सही है घर में दो दो मस्त माल नंबरी चुदवासी,... और घर का लड़का ६१, ६२,... हम दोनों की बेइज्जती।

“”

Garaam🔥🔥
ek sundar kishori javaani ki dahlij pe khadi

aur ek khoob khayi pi gadraayi

aise do do ke rahte agar svyam sevaa karana pade to dono ko paap lagega na ,... kisko munh dikhayanegi dono aur Maa isliye bete ko hadkaa ke rkahti hai ki galat aadte naa lage aur majame vaale bolte bhai hai ki isase bahut se rog dosh aa jaate hain
 

komaalrani

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बस इतना इशारा काफी था, भइया ने तो पता नहीं कबसे लम्बे छेद के पहले ही गोल दरवाजे में घुसना शुरू कर दिया था,... बस उसने एक करारा धक्का मारा और माँ जो कस कस के चूस के मेरी हालत खराब कर रही थीं, उन की हालत खराब हो गयी, उनके बेटे ने पहले धक्के में ही अपना पहाड़ी आलू ऐसा मोटा सुपाड़ा अपनी माँ की गांड के पेल दिए अब वो लाख चूतड़ पटकें

“”

Uffff bahut hi kamuk scene banaya hai
ab maa bach nahi skati thi jo haalat roj apani beti ki karaati thi aaj uski ho rhi hai
 

komaalrani

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पीछे से भैया निहुरि हुई माँ के पिछवाड़े जीभ लगा के सपड़ सपड़ , जितनी जोर से माँ मेरा चाटती, चूसती, उससे ज्यादा जोर से भैया माँ का,... "

“”
Uffff tooo hot 🔥🔥🔥
Tino ko maja aa raha tha aur beta Gila chikna kar ke GOLKUNDA men ghusne ki taiyari bhi kar rhaa tha , ab maa ke saath to vaseine ya kaduaa tel laga nahi skata m sudh organic saliva hai
 

komaalrani

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भाग ५१

भैया के संग अमराई में

Last update is on page 456

 

komaalrani

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Rajizexy

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भाग ५१

भैया के संग अमराई में



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" दी कभी अपने भैया के साथ खुले में ,मतलब बाग़ बगीचे में, गन्ने के खेत में , खलिहान में नदी के किनारे,.. "


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गीता ने कुछ देर तक छुटकी को घूर के देखा और फिर हंस के बोली

" अरी बुद्धू जब गांव भर की लड़कियां , सब लौंडो के आगे आम के बाग़ में , गन्ने के खेत में स्कर्ट पसारती रहती हैं, नाड़ा लड़के का हाथ लगने के पहले खुद खोल देती हैं,... अपने अपने यार के संग मजा लेती हैं,नीले गगन के तले तो जोबन तो मेरे उपर भी आये थे मैं अपने यार के साथ बाग़ बगीचे का मजा क्यूँ न लूँ ?

फिर खुद ही खोल के बताया की एक दिन शाम को आम के बगीचे में,... जहाँ भैया ने फुलवा की , सबसे पहली बार किसी भी लड़की की झिल्ली फाड़ी थी,... उसी बगीचे में सांझ को , अंधेरिया पाख लग गया था, ... निहुरा के ली।

आम के बाग़ में,...

" भैया न अभी भी बहुत, घर से बाहर ऐसे लजाते झिझकते थे, मेरे साथ,... उन्हें का मालूम की उ रोपनी वाले दिन के बाद से तो आस पास के गाँव जवार, सब जगह,... लेकिन वो ,... " गीता ने आगे का किस्सा बताना शुरू किया,

और छुटकी ध्यान से कान रोप के सुन रही थी।

" घर में तो भैया पूरे सांड़ थे , दिन दुपहरिया कुछ नहीं देखते थे और माँ उनको और चढाती रहती थीं, ...



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लेकिन जहाँ घर से बाहर निकले,..सूनसान में तो कुछ नहीं,... हाथ कंधे से सरककर सीधे जोबन पे, और मैं भी माँ ने पक्का बोल दिया था, दर्जिन भौजी ने आधे दर्जन ब्लाउज सी दिए थे थे और साड़ी क कौन कमी, माँ की थी ही, दो चार माँ ने मेरे लिए भी खरीद दी थीं,... तो स्कूल जाना हो स्कर्ट टॉप , जो स्कूल की ड्रेस और बाहर गाँव में साड़ी ब्लाउज, चड्ढी पहनने का सवाल नहीं था, ब्रा भी अक्सर नहीं ही,... हां तो मैं भैया के बारे में बोल रही थी,... "

एक पल सुस्ता के गीता ने फिर बताया,

" वैसे तो एकदम चपका के, भैया के दोनों हाथ सीधे दुनो उभार पे,... लेकिन कहीं मेरी सहेलियां दिख गयी दूर से ही तो,... छिटक के एकदम दूर अच्छे बच्चे की तरह एकदम भोले, जब की मेरी सारी सहेलियों को उनकी हाल चाल मालूम थी,..

पर मैं भी न खुद जाके उनसे सट जाती थी, कभी एक दो बार तो सहेलियों के सामने ही उनकी छोटी सी चुम्मी भी ले ली,... बेचारे नई दुल्हन से लजा जाते थे,... और मुझे बहुत मजा आता , सहेलियां खिलखिलाने लगतीं,...

पर धीरे धीरे उनकी हिम्मत बाहर भी थोड़ी सी बढ़ती जा रही थी, काम करने वालियां तो हम दोनों को साथ देख के जरूर मजाक करती और एक दो जिनसे भौजाई का रिश्ता लगता मैं जवाब भी देती,... "

छुटकी चुपचाप सुन रही थी, बीच बीच में मुस्करा रही थी और गीता ने उस दिन का हाल सुनाया जब पहली बार खुले में उसके भाई ने उसकी ली.

हुआ ये था की गीता की माँ अब धीरे धीरे खेत खलिहान की सब जिम्मेदारी गीता के भाई अरविन्द पर देती जा रही थीं, सब फैसले भी उन्होंने एक एक करके अरविन्द के जिम्मे कर दिए थे और घर का बहुत कुछ गीता के , लेकिन वो सिर्फ घर का ही नहीं बाहर का काम भी गीता को समझातीं , उसे बोलतीं की तू भी अपने भाई के साथ बाग़, खेत , कहाँ क्या बोया गया है, किस फसल में पानी लगा कहाँ खाद चाहिए, ... .

और जब गीता बोलती की माँ भैया देख तो तो रहा है तो समझा के उसे वो बोलतीं

देख तेरे बाउ जी तीन साल से नहीं आये गाँवतो तो मैं अकेले देख रही हूँ न सब। अब तुम दोनों बड़े हो गए हो , जिम्मेदार हो गए हो ,... तो ये कहना की खाली मर्द ही खेत खलिहान देख सकते हैं एकदम गलत है, ... फिर भैया केतना, कभी उसको शहर जाना पड़ा,... एक दो दिन के लिए ,... कभी किसी और काम में फंसा है तो ,... तुमको मालूम तो होना चाहिए न की कौन खेत तुम्हारा है , कौन बाग़ है ,... काम करने वाले तो बहुत हैं , लेकिन ,...



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और गाँव का स्कूल महीने में दस दिन तो बंद ही रहता था , नहीं तो छुट्टी भी तीन बजे हो जाती थी, फिर घर में अक्सर दिन में तिझरिया में घर का काम काज निपटा के आयी माँ की सहेलियां, पडोसीने,...

तो गीता भी भाई के साथ निकल जाती थी , अपना साड़ी ब्लाउज पहन के गाँव में,...



बस उस दिन भी , और शाम थोड़ी जल्दी हो गयी थी, जल्दी सिर्फ इसलिए की बादल छा गए थे बरसने वाले नहीं , जी डरवाने वाले, घने घने काले बादल,... और गीता और उसका भाई अरविन्द उस दिन आम की बाग़ में थे, उसी बाग़ में जहाँ पहली बार अरविन्द ने किसी कच्ची कली को पेला था, फुलवा को,... उसकी झिल्ली फाड़ी थी ,... और गीता उसे चिढ़ा रही थी,... अक्सर सावन में उसी बाग़ में झूला भी पड़ता था लेकिन अभी शाम हो रही थी तो कोई नहीं था, और आज गीता गर्मायी भी बहुत थी,

पांच दिन का उपवास उस का आज ही ख़तम हुआ था,....

पांच दिन के खून खच्चर के बाद वो आज नहायी थी बाल धो के,...और भाई अब इतना समझदार गया थी की जिस दिन वो बाल धोती थी वो समझ जाता था की बस आज लाइन क्लियर, आज मिलेगी पूड़ी बखीर खाने को।

लेकिन इतना समझदार भी नहीं था , होते हैं सब लड़के ऐसे ही बुद्धू होते हैं की जिस दिन लड़की की 'छुट्टी ' ख़त्म होती है उस दिन चुनमुनिया में कैसी आग लगती है कोई लड़की ही जान सकती है, ... पर लड़कों को ये बात नहीं मालूम होती। हाँ इन पांच दिनों में अरविन्द भैया का भी ' उपवास' था। तो उनका भी कस के टनटना रहा था और ऊपर से गितवा कबि चूतड़ मटका के कभी झुक के चूँची दिखा दिखा के उसको उकसा भी रही थी.

और आज ब्लाउज भी उसने चोली कट,... दर्जिन भौजी ने वैसे भी सब बिलाउज एकदम झलकौवा सिले थे लेकिन ये वाला तो आग लगाउ ,...



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गीता के बित्ते के बराबर, बस नीचे से कस के दबोचे रहता था जैसे लगता था उसका भाई अरविंदवा दबोचे है, और उभार के रखता था, जोबन से चिपक के कड़ाव उभार कटाव सब सामने , छोटा इतना की बस निपल के ठीक ऊपर ख़तम , उभारों का ऊपरी हिस्सा, गहराई तो दिखती ही थी, जरा सा झुकने पे कबूतर की दोनों चोंचे भी,... और हुक नहीं सिर्फ एक पतली सी डोरी पीठ पे बंधी, बाकी गोरी चिकनी पीठ भी खुली,... और उसपर गीता की मोटी सी चोटी लहराती, ...

साड़ी बस कूल्हे के सहारे तो नाभि तो दिखती ही थी उसस्के नीचे भी कम से कम बित्ते भर,...

और अब वो दोनों भाई बहिन बाग़ के सबसे गझिन हिस्से में पहुँच गए थे जहाँ आम के साथ पाकुड़, महुवा और ढेर सारे बड़े पुराने पेड़, ... और वहां दिन में धूप की नन्ही सी किरण भी नहीं घुस पाती थी और अब तो शाम गहरा रही थी, ऊपर से काले बादलों ने तम्बू तान रखे थे, ...

बस एक दूसरे को पकडे गीता और अरविन्द,... एक बड़े से चौड़े मोटे पेड़ के सामने गीता को खड़ी कर के उसका भाई अरविन्द उसके पीछे से बोला,...



"बहना, इस पेड़ को कस के दोनों हाथों से पकड़ ले "

गीता तो समझ रही अरविंद किसी शरारत के मूड में हैं, लेकिन गरमा तो वो भी रही थी, पांच दिन के उपवास के बाद उसकी चुनमुनिया में भी जोर के चींटे काट रहे थे, आज दिन भर स्कूल में यही सोच रही थी , बस आज घर पहुँच के भैया ने जरा भी चूं चपड़ की न ,... तो वो उनके ऊपर चढ़ के उन्हें रेप कर देगी,... लेकिन चोदेगी जरूर,... पर घर में इत्ती ढेर सारी पडोसने, माँ की सहेलियां, ज़रा सा भी मौका नहीं मिल रहा था , इसलिए वो भी भैया के साथ,...

गीता ने चपक कर पेड़ को कस के दबोच लिया, दोनों हाथ पेड़ के तने के चारों ओर,...



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" कुछ भी हो जाए, तुझे ये पेड़ छोड़ना नहीं है, कुछ भी मतलब कुछ भी,... पीछे से उसे कस के चिपकाते अरविन्द बोला।

पेड़ से और जोर से चिपकती, गीता बोली, एकदम भैया मैं नहीं छोडूंगी, ... और अब उसके दोनों उभार, गोरा खुला पेट पेड़ की छाल से रगड़ खा रहे थे, आगे से वो पेड़ को दबा रही थी और पीछे से उसका भैया उसे,

गीता ने तो साड़ी और चोलीनुमा छोटा सा जोबन से चिपका बैकलेस ब्लाउज पहन रखा था और उसका भाई भी बनयान नुमा बिना बांह की टी और एक छोटा सा शार्ट बस, ... वो भी खूब टाइट, देह से चिपका,...

और अरविंद ने पीछे से उसके कान में फुसफुसाया, हे गितवा, तनी पेड़ के ऊपर देख , दो तोता,...



और जैसे गीता का ध्यान पेड़ के ऊपर की ओर गया उसके भाई अरविन्द का एक हाथ गीता और पेड़ के तने के बीच, और कस कस के बहन के उभार को भींचने लगा, दूसरे हाथ ने चोली की डोर खोल दी और सरक कर चोली नीचे,... गीता की आँखे तो तोते की तलाश में थीं पर उसके दोनों कबूतर कस के उसके भाई अरविन्द के हाथों में थे और जोबन का रस लेने में तो वो पक्का खिलाड़ी था , जोबन पे उसका हाथ पड़ते ही बड़ी से बड़ी नखड़ीली लड़कियां खुद अपने हाथों से शलवार का नाड़ा खोलने लगती थीं, और गीता तो उसकी असली एकलौती सगी, सहोदर बहन थी. कभी अरविन्द दोनों चूँचिया हलके हलके सहलाता , बस छू छू के जैसे छोड़ देगा, हवा के झोंके की तरह, ... तो कभी ऐसे रगड़ता की जैसे पीस पीस के पिसान ( आटा ) बना देगा,... कभी दो उँगलियों में निप्स को दबा के मसल देता
Kya bat hai Gita ke agge ped aur pichhe bhya .
Gita ko tote ki talash hai
Aur Arvind ko kabutaron ki.
Awesome update👌👌👌
Didi tum to aam ke bagiche mein ,aam se bhi mitha likh ti ho.
Ye nahi ke tumari story padh ne tumari Raji aati nahi thi ,
baat ye hai ke ab aap ki popularity mein badhotari ke chalte,
story page talash karna mushkil ho jata hai,
tabhi tum ko index banane ke liye intjah ki thi.
Mujhe bahut sharm mahsus hui
jab Komal ko Raji se
story padh ne ke liye kehna pada.
Tumari dant lekin pyari bhi bahut lagi.

Thanks meri request man kar index banane ke liye.♥️.
 
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