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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०

वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट

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अमराई में-भाई बहन की मस्ती


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और अरविंद ने पीछे से उसके कान में फुसफुसाया, हे गितवा, तनी पेड़ के ऊपर देख , दो तोता,...

और जैसे गीता का ध्यान पेड़ के ऊपर की ओर गया उसके भाई अरविन्द का एक हाथ गीता और पेड़ के तने के बीच, और कस कस के बहन के उभार को भींचने लगा, दूसरे हाथ ने चोली की डोर खोल दी और सरक कर चोली नीचे,...


गीता की आँखे तो तोते की तलाश में थीं पर उसके दोनों कबूतर कस के उसके भाई अरविन्द के हाथों में थे और जोबन का रस लेने में तो वो पक्का खिलाड़ी था , जोबन पे उसका हाथ पड़ते ही बड़ी से बड़ी नखड़ीली लड़कियां खुद अपने हाथों से शलवार का नाड़ा खोलने लगती थीं, और गीता तो उसकी असली एकलौती सगी, सहोदर बहन थी.

कभी अरविन्द दोनों चूँचिया हलके हलके सहलाता , बस छू छू के जैसे छोड़ देगा, हवा के झोंके की तरह, ... तो कभी ऐसे रगड़ता की जैसे पीस पीस के पिसान ( आटा ) बना देगा,... कभी दो उँगलियों में निप्स को दबा के मसल देता



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और उसका असर अरविन्द के मूसल पे भी हो रहा था, वो सोते से जग गया था, थोड़ा थोड़ा टनटना रहा था,...

और बदमाशी का ठेका सिर्फ अरविन्द के पास थोड़े ही था, उसी पेट से तो उसकी बहन गीता भी निकली थी और अब जो लाज शरम का परदा हट गया था देह का रस उसके ऊपर भी हावी था तो गीता ने भी एक हाथ से, ... तम्बू बने शार्ट से , भैया के खूंटे को पकड़ लिया, दबोच लिया और कस के मसलने लगी,



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एक जवान होती, कच्ची उमर वाली टीनेजर, बहन अगर किसी भी सगे भाई के तने लंड को पकड़ ले , मसलने लगे तो लंड की क्या हालत होगी,...


वही हालत अरविन्द के लंड की हुयी , एकदम बेकाबू, बिना लगाम का घोड़ा सरपट दौड़ने को बेताब,...

कभी दबाती कभी मसलती और जब उसे मालूम हो गया की अरविन्द का लंड अब बिन चोदे नहीं छोड़ने वाला है , तो बस अगला काम भी उसने अरविन्द का खुद कर दिया,

बहन हो तो ऐसी,...

अपने हाथ से भाई का शार्ट खींच के जमीन पे, ... और खूंटा बाहर,

" हे तुझे बोला था न दोनों हाथों से कस के पकड़ना " अरविन्द ने उसे झूठ मूठ का हड़काया,

" अरे भैया पकडे तो हूँ ,... " अपने बाएं हाथ से वो पेड़ को अभी पकडे थी उसी ओर इशारा किया लेकिन साथ में कस के अपने हाथ से भैया के लंड को भी दबोच के समझा दिया की वो भी समझ रही है क्या पकड़ना है, और पकड़ने के साथ वो मुठिया भी रही थी, लेकिन एक झटका और सुपाड़ा खुल गया भैया का ,
ऐसी प्यारी दुलारी बहना सब को मिले,...



और उस के बाद गीता ने फिर दोनों हाथों से कस के पेड़ को पकड़ लिया,... इधर भाई का शार्ट नीचे गिरा तो उसने बहन की साड़ी साया उठा के सीधे कमर तक, और कमर में कस के लपेट दिया, कित्ते भी धक्के लगें वो खुले नहीं, और एक बार फिर बहन के दोनों हाथों पेड़ से लिपटे और भाई के दोनों हाथ बहना के जोबन से लिपटे, ... और भाई का लंड बहना के छोटे चूतड़ों पे टक्कर मारता,

जैसे दरवाजे कोई प्यार से दस्तक दे

और दरवाजा खुल गया , गीता ने अपनी दोनों टाँगे अच्छी तरह फैला दी. अरविन्द के हाथों में तो वो जादू था कि, बस एक बार उसका हाथ जोबन पे लग जाए फिर तो लाख मना करने वाली भी भी खुद पिघलने लगती थी, अपनी टाँगे फैलाती थी पर वो भी जब तक वो लड़की मस्ती के मारे पागल न हो जाए दस बार खुल के न बोले खूंटा अंदर नहीं पेलता था,


और गीता तो उसकी सगी बहन, ... गीता की हालत ख़राब हो रही थी, दोनों हाथों से वो अब पेड़ को पकडे थी, साड़ी उसकी कमर तक उलटी, प्रेम गली और नितम्ब दोनों एकदम खुले,... अब वो खुद भैया के खड़े लोहे से कड़े खूंटे पे अपने छोटे छोटे चूतड़ रगड़ रही थी मसल रही थी, ... बस सोच रही थी भैया कब उसे चोदना शुरू करें , बुर उसकी लिसलिसा रही थी,



इसी पेड़ के सहारे खड़ी कर के अरविन्द ने गाँव की कितनी लड़कियों को चोदा था, ज्यादातर तो गीता की समौरिया, और इसी पेड़ के सहारे खड़ा करके चमेलिया फुलवा की बहन को तो कितनी बार चोदा था और वो तो गितवा से साल भर से ऊपर छोटी थी, ... और कोई लड़की होती तो अबतक कब का अरविन्द ने चोदना शुरू कर दिया होता हाँ ये बात जरूर है की उसका सुपाड़ा घुसते ही दर्द के मारे बेचारी ऐसे चिल्लाती की पूरे बाग़ में, लेकिन बाग़ इतनी गझिन और बड़ी थी की बाहर तक कुछ भी पता नहीं चलता था,... और जितना वो चिल्लाती रोती कहरती उतना ही अरविन्द का जोश बढ़ता, ...

और खूब कस के दरेरते, रगड़ते पेलता, की चूत का चमड़ा छिल जाए और एक बार लंड पूरी तरह घुस के हर धक्का बच्चेदानी पर,.. लेकिन साथ साथ छोटी छोटी चूँचियाँ वो ऐसे रगड़ता की थोड़ी देर में वो ये भूल जाती की चूत में दर्द ज्यादा हो रहा है की चूँची में,...



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पर गीता की बात और थी,

वह उसे पहले खूब गीली करना चाहता था,... और उसका खूंटा जिस तरह से प्रेमगली के बाहर धक्के मार रहा था गीता की बुर पानी बहा रही थी, ... लेकिन अभी भी महीने के आस पास हो गए थे अरविन्द को अपनी बहन गीता को चोदते, लेकिन अभी भी हर बार दो ढक्क्न घर का कडुवा तेल जरूर अपनी बहन की फांकों को फैला के अंदर टपकाता था और अपने मूसल को भी तेल पानी करने के बाद ही , भले ही उसकी बुर उसकी मलाई से बजबजा रही हो,...

पर यह कहाँ तेल,...

लेकिन घर से निकलने के पहले उसने अपनी शार्ट की जेब में बोरोलीन की एक ट्यूब रख ली थी की क्या पता लग जाए मौका,...

तो बस पहले तो अरविन्द ने बोरोलीन,... बुर में लीलने के लिए, अपने लोहे की मोटी रॉड पे , सुपाड़ा तो उसकी बहन ने अपने हाथ से खोल दिया था , तो पहले ट्यूब पिचका के थोड़ा सा वहां और बाकी मुठिया के आगे के आधे हिस्से पे,... साथ में रुक रुक के वो पहले एक फिर दो उँगलियाँ गीता की बुर में कभी आगे पीछे कभी गोल गोल घुमा रहा था,




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उसकी बहन की बुर तो पानी फेंक रही थी, फुदफुदा रही थी , सगे भाई के लंड के लिए पागल हो रही थी और गीता के मुंह से सिर्फ गालियां निकल रही थीं, अरविन्द के लिए,

" स्साले बहनचोद, चोदता काहे नहीं,... तेरी बहन को तेरी माँ को अपने भाई से चुदवाउ,... पेल न भैया, बहुत चुदवास लगी है, चूत में आग लगी है ,... "


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लेकिन अरविन्द उसे और गीली कर रहा था साथ में अपने खूंटे पे बोरोलीन लगा के मुठिया रहा था,...

गीता पागल हो के अपने चूतड़ भाई के खूंटे पे रगड़ रही थी,... खूंटा और तन्ना रहा था,... फिर अरविंद ने उस बोरोलीन की ट्यूब का नोजल सीधे बहन की बुर की फ़ांको को फैला के उसके बीच लगा दिया और पूरी ताकत से टूयब दबा दी जबतक सारी की सारी क्रीम उसकी बहन गीता की फडफ़ड़ाती गीली बुर में पैबस्त नहीं हो गयी.

और उसेक बाद बस कहर बरपा हो गया,... अरविन्द ने अपनी बहन की दोनों गुलाबी रेशमी मखमल सी मुलायम फांको को फैला के अपना सुपाड़ा सेट किया और मार दिया करारा धक्का,



उईईईईई उईईई ओह्ह उफ्फफ्फ्फ़ उईईई ,.. गीता की जोरदार चीख निकली, ...
Kas ke pakade rahi Gitva ped ko.
Arvindva Gita ko.
Aur darshak aap ki writing ko.
U write so well didi ✅✅✅
 

Rajizexy

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लगा धक्का लगा छक्का आम के पेड़ के नीचे



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और उसेक बाद बस कहर बरपा हो गया,... अरविन्द ने अपनी बहन की दोनों गुलाबी रेशमी मखमल सी मुलायम फांको को फैला के अपना सुपाड़ा सेट किया और मार दिया करारा धक्का,

उईईईईई उईईई ओह्ह उफ्फफ्फ्फ़ उईईई ,.. गीता की जोरदार चीख निकली, ...

पर गीता ने कस के पेड़ को दोनों हाथों से पकड़ के रखा था , अपनी पूरी ताकत से गीता अपनी जाँघों को, टांगों को फैलाये थी और अपने अंदर घुसता, रगड़ता, दरेरता अपने भैया अरविन्द का मोटा सुपाड़ा महसूस कर रही थी,... चूत चरपरा रही थी , पहले भी भैया ने घर में उसे दीवाल के सहारे खड़े कर के उसकी ली थी, कई बार दिन में भी,... लेकिन इस तरह बाहर खुले में एक पेड़ के नीचे खड़े खड़े,... अपनी ओर से वो पूरी कोशिश कर रही थी पर दर्द तो हो ही रहा था ,




दो चार धक्को में सुपाड़ा पूरा पैबस्त हो गया,... और अब अरविन्द रुक गया, उसने अब सारा ध्यान अपनी छोटी बहन के छोटे छोटे जोबन की ओर दिया जिसके बारे में सोच सोच के ही उसका न जाने कितने दिनों से खड़ा हो जाता था,... कभी हलके से कभी जोर साथ में कभी गाल चूमता कभी होंठ काटता,
धीरे धीरे गीता भी अपने बुर में घुसे भाई के सुपाड़े का मजा लेने लगी चीखें अब सिसकियों में बदलने लगीं,

बिना दोनों जोबन छोड़े बल्कि उन्हें ही पकड़ के खूब जबरदस्त धक्के , भैया ने अपनी छुटकी बहिनिया की कसी चूत में मारने शुरू किये , और हर धक्के के साथ बहन का पेट उसकी देह पेड़ की छाल से कस के रगड़ जाती और वो बुरी तरह से अपने भैया और उस पेड़ के बीचपिस जाती ,

लेकिन कुछ देर में उसे भी मजा आने लगा , वो भी चूतड़ पीछे कर के धक्के का जवाब धक्के से देने लगी,... कभी अपनी चूत में अरविन्द का लंड वो निचोड़ देती, दबोच देती,



सच में जितना मजा अरविन्द को अपनी सगी बहन को चोदने में आ रहा था गीता से भी बारी कुंआरी कच्ची कलियाँ,... उतना किसी के साथ नहीं आया भले ही चाची की उम्र की भोंसड़ी वालियां हो या गीता से भी बारी कुंआरी कच्ची कलियाँ ,


सगी छोटी बहन को चोदने की बात ही और होती है, वो भी खुले आम,... फुलवा की माँ उसे सही समझाती थी,...


थोड़ी ही देर में गीता झड़ने के कगार पर पहुँच गयी पर अरविन्द उसका भाई नहीं रुका , वो पेलता ही रहा पूरी ताकत से,... और रुका भी तो एक ऊँगली से बहन की क्लिट रगड़ने लगा और बहन फिर गरमा गयी और अबकी गीता ने अपनी एक टांग उठा के पेड़ के सहारे,.. और अब चूत और अच्छी तरह खुल गयी थी,... लंड और खुल के जा रहा था , हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे

गीता जब दूसरी बार झड़ी तो भैया भी उसके अंदर देर तक मलाई छोड़ता रहा,...




कौन बहनचोद बहन को एक बार चोदने के बाद छोड़ता है , अरविन्द ने भी नहीं छोड़ा,



हाँ कुछ रुक के और बाग़ में जमीन पे लिटा के,..
अमराई में चढ़ा भैया



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गीता जब दूसरी बार झड़ी तो भैया भी उसके अंदर देर तक मलाई छोड़ता रहा,...

कौन बहनचोद बहन को एक बार चोदने के बाद छोड़ता है , अरविन्द ने भी नहीं छोड़ा,

हाँ कुछ रुक के और बाग़ में जमीन पे लिटा के,..




और अब एकदम गाँव की स्टाइल में खुले में दोनों की प्रेम लीला शुरू हो गयी थी और इससे अरविन्द से ज्यादा गीता खुश थी,...

" दीदी, अरविन्द भैया ने फिर कभी,... बाग़ में या कहीं घर के बाहर, आप पे चढ़ाई की। "



गीता बहुत देर तक खिलखिलाती रही, फिर छुटकी के गाल पे कस के चिकोटी काट के बोली,...

" पगली तू बड़ी भोली है, इस गाँव में नयी नयी आयी है न,... यहाँ तो सब खुल्ल्म खुल्ला,... ये पूछ किस दिन नहीं, नौवें दसवें में पढ़ने वाली बहिन को कोई भाई छोड़ता है, तू ही सोच, छोटी छोटी कच्ची अमिया, ... चिकने चिकने गाल, बस आ रही नयी नयी छोटी छोटी झांटे,... और अरविंदवा तो नंबरी चोदू, लोग लंड खड़ा करने के लिए सोचते हैं उसका तो बैठाना मुश्किल था,... "

फिर गीता ने ने अपना और अपने भाई अरविन्द का किस्सा आगे बढ़ाया,...


" अरे उस दिन आम के बाग़ में खुले आम में दो बार चोदने के बाद,... अरविन्द भैया की जो थोड़ी बहुत झिझक हिचक थी वो भी खतम हो गयी थी, ..

और वो तो मुझे बाद में पता चला, दो लड़कियां, चमेलिया, अरे वही फुलवा की बहिनिया और उस की एक सहेली उन दोनों ने भैया को मेरे ऊपर चढ़े हुए देख लिया था,... वो दोनों भी बाग़ में आयी थीं,... मैं तो , उस समय दूसरी बार भैया चोद रहा था मुझे बाग़ में लिटा के,...


मैंने ही उसे सहला के चूस के पहली चुदाई के बाद खड़ा कर दिया था वो वो क्यों छोड़ता,...



लेकिन उसने मुझे पेट के बल लिटा के,..एक आसन में तो कभी चुदाई उसकी आज तक ख़तम नहीं हुयी कम से तीन चार तरीके से , लेकिन हर बार बड़ी बेरहमी से,...



तो मैं पेट के बल लेटी थी , चूतड़ दोनों उठा के उसके धक्के खा रही थी, तो मुझे तो कुछ दिखता नहीं,... हाँ भैया ने जरूर दोनों शैतानों को देख लिया था, .. और मुस्करा के वो दोनों चली गयीं, चमेलिया तो खैर रोपनी वाली दिन से मेरी सहेली बन गयी थी लेकिन दूसरी वाली उस ने जरूर गाँव भर बाँट दिया , और अगले दिन ही स्कूल में मेरी दो सहेलियों ने खूब चिढ़ाया,... "

पर छुटकी तो अभी फास्ट फारवर्ड के मूड में थी उसने एक्सीलेटर पर दबाया, गीता को बाग़ से बाहर निकालने के लिए, और गीता ने अगले दिनों की बात बताई,...

गीता की माँ, वो तो गीता के भाई अरविन्द से भी एक हाथ आगे बढ़ की गीता के पीछे,... होता ये था की गीता के स्कूल की तो दो ढाई बजे छुट्टी हो जाती थी , दस मिनट में वो घर,भाई उसका अरविन्द भी दोपहर में बाहर का काम कामधाम करके वापस,...

लेकिन दोपहर के खाने के बाद ही माँ की गप्प गोष्ठी शुरू होती थी, सब पडोसिने, कभी और कोई नहीं तो ग्वालिन भौजी माँ की तेल मालिश करने या कभी ब्लाक से कोई आ गया, कोई मिलने वाले,...

तो वो भी चाहती थीं की उस समय दोनों भाई बहन बाहर रहें,.. फिर अब धीरे धीरे जो इत्ते सालो से वो घर की खेत की बाग बगीचे की जिम्मेदारी अकेले देख रही थीं अब धीरे धीरे पूरी तरीके से अपने बेटे के कंधे पर डाल रही थीं,... लेकिन साथ साथ वो बेटी को भी इस बात में शामिल करना चाहती थीं, आखिर इतने दिनों से वो सब काम देख रही थी तो गीता को भी अंदाज तो होना चाहिए,...भाई का हाथ बटाये साथ दे, और उन से बढ़ के गाँव वालियों को काम करने वालियों को भी मालूम हो की ये खाली स्कूल और घर वाली नहीं है,

तो उसे भी वो हाँक देती थीं भाई के साथ, बाहर,...



गीता की भी मन तो करता ही था,

रात भर तो माँ और भैया मिल के उस की चटनी बनाते ही थे,... लेकिन इस उमर में मन कहाँ भरता है,...

उस की बाकी सहेलियां किसी के दो तीन से कम आशिक नहीं थे, कई तो शाम को किसी से सिवान में मिलती थीं तो स्कूल से लौटते हुए किसी के और के सामने गन्ने के खेत में स्कर्ट पसारती थीं,... दिन भर क्लास में पढाई से ज्यादा तो कल किस ने किस से,... बस यही बातें,... और सुन सुन के जब लौटती गीता तो इतनी गर्मायी रहती की मन करता की कब भैया से अकेले में मिल के,.. बस अरविन्द भैया कब उसकी चोदे,... और सिर्फ सहेलियां ही नहीं, गाँव की भौजाइयां, काम करने वालियां, सब,..अब सब को तो मालूम ही था की वो अरविंदवा से चुदती है तो एकदम खुल के चिढ़ाती थीं,...

और उसका भाई भी, एक बार बहन की चूत का स्वाद लगने के बाद कौन भाई,...

और अरविन्द तो अपनी चाची का ट्रेंड किया,... तो वो भी अक्सर चक्कर काटता रहता, .... जहाँ जहाँ गीता जाती,... और स्कूल भी गाँव का, हफ्ते में दो तीन दिन तो कभी छुट्टी तो कभी जल्दी छुट्टी,.. और सावन का महीना, तो लड़कियां सब ( जिनको यारों के पास नहीं जाना होता था ) झरर मार के झूले पे भौजाइयों के साथ झूला झूलने, कजरी गाने,... और झूले से ज्यादा मजा झूले पे होने वाली छेड़छाड़ से, और अब तो गीता भी गाँव में साड़ी ही पहन के निकलती थी,


बस झूला शुरू होते ही छेड़छाड़ शुरू, उसके पीछे बैठी कोई भौजाई, साड़ी उलट देती थी और सोन चिरैया में ऊँगली डाल के पूछती, " अरविंदवा के मलाई हो न "





और बुर में ऊँगली शुरू, कोई न कोई भौजी चोली में बंद जोबन भी खोल देती,... और उसके भाई का नाम ले ले के, अरे देवर अरविन्द ऐसे दबाते हैं ना,... "



भाई का नाम सुन के और उसकी चूत गरमा जाती थी, ...

एक तो रोपनी के दिन उसने खुद कबूल कर लिया था फिर अमराई में तो चुदते ही,... दो लड़कियों ने साफ़ साफ़ देखा था , लेकिन गीता को कुछ भी बुरा नहीं लगता था बल्कि वो इसी छेड़छाड़ का इन्तजार करती थी पर सबसे मजा आता था कजरी ख़त्म होते जब वह भौजाइयों सहेलियों के साथ घर की ओर लौटती तो आस पास उसका भाई अरविन्द बाइक पे चक्कर काटता रहा, और उसे खींच के पीछे बैठा लेता, सब सहेलियां अरविन्द को खुद चिढ़ातीं,



" अरे कभी हमारे भी साथ,... "

लेकिन छुटकी फास्ट फारवर्ड चाहती थी सीधे मुद्दे पर कब खुले आसमान के नीचे गीता अपने भाई अरविन्द से कब कहाँ कैसे चुदी।



" गन्ने के खेत में, आम की बाग़ में चोदने के दो दिन बाद ही अरविन्द भैया ने गन्ने के खेत में नंबर लगा दिया , दोपहर में " गीता ने कबूला

लेकिन अब छुटकी हाल खुलासा चाहती थी और गीता ने सब किस्सा गन्ने के खेत का बताया।
Ekdam chhakas gazab super duper adbhut updates.
👌👌👌👌👌👌👌👌👌
💯💯💯💯💯💯💯
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छुटकी के पिछले २० अपडेट्स पृष्ठ संख्या सहित


  • भाग ५० माँ का नाइट स्कूल पृष्ठ ४३५
  • भाग ४९ मस्ती -माँ, अरविन्द और गीता की पृष्ठ ४२० –
  • भाग ४८ - रोपनी -फुलवा की ननद पृष्ठ 394
  • भाग ४७ रोपनी पृष्ठ ३७५
  • भाग ४६ तीन सहेलियां खड़ी खड़ी, किस्से सुनाएँ घड़ी घड़ी पृष्ठ ३६३
  • भाग ४५ गीता चली स्कूल पृष्ठ ३४८
  • भाग ४४ रिश्तों में हसीन बदलाव उर्फ़ मेरे पास माँ है पृष्ठ ३४१
  • भाग ४३ इन्सेस्ट कथा- माँ के किस्से, मायके के पृष्ठ ३२९
  • भाग ४२ इन्सेस्ट कथा माँ के किस्से, पृष्ठ ३१७
  • भाग ४१ इन्सेस्ट कथा - मामला वल्दियत का उर्फ़ किस्से माँ के पृष्ठ ३०३
  • भाग ४० इन्सेस्ट गाथा - गोलकुंडा पर चढ़ाई -भाई की पृष्ठ २८६
  • भाग ३९ - माँ, बेटा, बेटी और बरसात की रात पृष्ठ २७१
  • भाग ३८ मेरे पास माँ है पृष्ठ २६०
  • भाग ३७ - इन्सेस्ट कथा - और माँ आ गयीं पृष्ठ २५०
  • भाग ३६ -इन्सेस्ट किस्सा- मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द की पृष्ठ २३६
  • भाग ३५ फुलवा पृष्ठ २२५
  • भाग ३४ इन्सेस्ट कथा - चाची ने चांदनी रात में,... पष्ठ २१४
  • भाग ३३ अरविन्द और गीता की इन्सेस्ट गाथा सांझ भई घर आये पृष्ठ २००
  • भाग ३२ - इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता, पृष्ठ १७८
  • भाग ३१ इन्सेस्ट कथा उर्फ़ किस्सा भैया और बहिनी का पृष्ठ १६५
Didi sabhi 51 parts ki paging likhna , first page par please.
 

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माँ बेटी बेटे की मस्ती




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४० मिनट के लगातार तूफानी चुदाई के बाद जब भैया उनकी गाँड़ में झड़ा तो साथ साथ माँ भी,... और बड़ी देर तक,... मैं तो तब तक दो तीन बार पार लग चुकी थी.

लेकिन अगली बार भैया को माँ ने मेरे ऊपर ही चढ़ाया, अपने चूस के खड़ा किया और जब भैया मुझे चोद रहा था तो वो मेरे मुंह में अपनी पहले बुर फिर गाँड़ रगड़ रही थी जिसमें से अभी भी भी भैया का सड़का टपक रहा था,...



पर थोड़ी देर बाद,... और जैसे मैं और माँ मिल के भैया का चूसती थीं, उसी तरह हम दोनों भाई बहन ने मिल के चूस चूस के ,...


जब भैया अपनी जीभ माँ के भोसड़े में पेलता तो मैं माँ की क्लिट रगड़ती और माँ को अच्छी तरह गरम करने के बाद भैया ने माँ को चोदना शुरू किया। माँ को मैंने और भैया ने बाँट लिया था उनकी एक बड़ी सी चूँची भैया के हवाले और दूसरी मैं रगड़ रही थी। भाई का मोटा मूसल माँ के भोंसडे में,... और मेरे दोनों होंठ माँ की क्लिट पे,

भैया दो बार झड़ा था एक बार अपनी माँ की गाँड़ में, दुबारा सगी छोटी बहन की चुनमुनिया में तो इतनी जल्दी तो हार मानने वाला नहीं था, चोद चोद के माँ को थेथर कर रहा था , और अकेले तब भी उसके बस का नहीं था, लेकिन उसकी छोटी बहन की जीभ कम नहीं थी , तो एक बार जब भैया ने अपनी पिचकारी माँ की बिल में छोड़ी साथ माँ भी गई उस पार,... और इस बार बड़ी देर तक वो कांपती रही।

पूरी रात हम तीनो ने खूब मस्ती की और पहली बार माँ के हर छेद में भैया ने मलाई छोड़ी और तीन बार माँ को हम दोनों ने मिल के झाड़ दिया।

लेकिन उसका बदला माँ ने सुबह लिया स्कूल जाने के पहले माँ ने लिया सूद समेत, जिस तरह भैया से गाँड़ मरवाई मेरी,... पता नहीं का उन्होंने नाश्ते में खिला दिया था अपने बेटे को वो पूरा सांड़ हो रहा था,... मैं रो रही थी चीख रही थी,... और स्कूल के रस्ते में दोनों सहेलियों के कंधे पकड़ के ही गयी समझो टांग के ले गयीं वो सब।





छुटकी सुन रही मुस्करा रही थी, गीता और उसके भाई अरविन्द का किस्सा सुन सुन के,... और गीता भी मुस्कराने लगी और उसने एक मजेदार बात बतायी,

माँ एक बदमाशी और करती कभी कभी रात में मुझ जबरदस्ती ढेर सारा खिलाती कुछ प्यार से कुछ दुलार से कुछ जबरदस्ती डाँट डांट के,... लेकिन उस दिन रात के आखिरी फर बल्कि भोर में जब मुझे बड़ी जोर की लगती थी न,... इत्ता रात में खायी होती, एकदम रोका नहीं जाता,... उस समय जबरदस्ती मुझे पकड़ के दबोच के निहुरा के भैया से गाँड़ मेरी मरवाती। अपने हाथ से अपने बेटे का पकड़ के मेरे पिछवाड़े,... और मैं जब दुहाई करती माँ, बस जाने दे बहुत जोर से लगी है, लौट के,.. तो हंस के मेरी छोटी छोटी चूँची दबा के निप्स खींच के बोलतीं

" अरे स्साली छिनार काहें घबड़ा रही है, मेरा बेटा इतनी मोटी डॉट लगाए हैं, कुछ नहीं होने वाला है "



और भैया भी, सुबह के समय तो हर लौंडे का खड़ा होता है तो उसका भी , और मारने के साथ पकड़ के गोल गोल मथानी की तरह घुमाता भी, माँ की तरह मेरी हालत खराब करने में उसे भी मजा आता था,

गीता और छुटकी दोनों ये सोच सोच के हंस रही थीं,

और गीता ने माँ का एक और किस्सा सुनाया
“”


भैया दो बार झड़ा था एक बार अपनी माँ की गाँड़ में, दुबारा सगी छोटी बहन की चुनमुनिया में तो इतनी जल्दी तो हार मानने वाला नहीं था, चोद चोद के माँ को थेथर कर रहा था , और अकेले तब भी उसके बस का नहीं था, लेकिन उसकी छोटी बहन की जीभ कम नहीं थी , तो एक बार जब भैया ने अपनी पिचकारी माँ की बिल में छोड़ी साथ माँ भी गई उस पार,... और इस बार बड़ी देर तक वो कांपती रही।

“”

Itni garam thukai hui hai geetwa ki maa ki kis usko arvindwa ka alsi baap yaad aa gaya hoga 😉😉😉
 

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माँ बेटी बेटे की मस्ती




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४० मिनट के लगातार तूफानी चुदाई के बाद जब भैया उनकी गाँड़ में झड़ा तो साथ साथ माँ भी,... और बड़ी देर तक,... मैं तो तब तक दो तीन बार पार लग चुकी थी.

लेकिन अगली बार भैया को माँ ने मेरे ऊपर ही चढ़ाया, अपने चूस के खड़ा किया और जब भैया मुझे चोद रहा था तो वो मेरे मुंह में अपनी पहले बुर फिर गाँड़ रगड़ रही थी जिसमें से अभी भी भी भैया का सड़का टपक रहा था,...



पर थोड़ी देर बाद,... और जैसे मैं और माँ मिल के भैया का चूसती थीं, उसी तरह हम दोनों भाई बहन ने मिल के चूस चूस के ,...


जब भैया अपनी जीभ माँ के भोसड़े में पेलता तो मैं माँ की क्लिट रगड़ती और माँ को अच्छी तरह गरम करने के बाद भैया ने माँ को चोदना शुरू किया। माँ को मैंने और भैया ने बाँट लिया था उनकी एक बड़ी सी चूँची भैया के हवाले और दूसरी मैं रगड़ रही थी। भाई का मोटा मूसल माँ के भोंसडे में,... और मेरे दोनों होंठ माँ की क्लिट पे,

भैया दो बार झड़ा था एक बार अपनी माँ की गाँड़ में, दुबारा सगी छोटी बहन की चुनमुनिया में तो इतनी जल्दी तो हार मानने वाला नहीं था, चोद चोद के माँ को थेथर कर रहा था , और अकेले तब भी उसके बस का नहीं था, लेकिन उसकी छोटी बहन की जीभ कम नहीं थी , तो एक बार जब भैया ने अपनी पिचकारी माँ की बिल में छोड़ी साथ माँ भी गई उस पार,... और इस बार बड़ी देर तक वो कांपती रही।

पूरी रात हम तीनो ने खूब मस्ती की और पहली बार माँ के हर छेद में भैया ने मलाई छोड़ी और तीन बार माँ को हम दोनों ने मिल के झाड़ दिया।

लेकिन उसका बदला माँ ने सुबह लिया स्कूल जाने के पहले माँ ने लिया सूद समेत, जिस तरह भैया से गाँड़ मरवाई मेरी,... पता नहीं का उन्होंने नाश्ते में खिला दिया था अपने बेटे को वो पूरा सांड़ हो रहा था,... मैं रो रही थी चीख रही थी,... और स्कूल के रस्ते में दोनों सहेलियों के कंधे पकड़ के ही गयी समझो टांग के ले गयीं वो सब।





छुटकी सुन रही मुस्करा रही थी, गीता और उसके भाई अरविन्द का किस्सा सुन सुन के,... और गीता भी मुस्कराने लगी और उसने एक मजेदार बात बतायी,

माँ एक बदमाशी और करती कभी कभी रात में मुझ जबरदस्ती ढेर सारा खिलाती कुछ प्यार से कुछ दुलार से कुछ जबरदस्ती डाँट डांट के,... लेकिन उस दिन रात के आखिरी फर बल्कि भोर में जब मुझे बड़ी जोर की लगती थी न,... इत्ता रात में खायी होती, एकदम रोका नहीं जाता,... उस समय जबरदस्ती मुझे पकड़ के दबोच के निहुरा के भैया से गाँड़ मेरी मरवाती। अपने हाथ से अपने बेटे का पकड़ के मेरे पिछवाड़े,... और मैं जब दुहाई करती माँ, बस जाने दे बहुत जोर से लगी है, लौट के,.. तो हंस के मेरी छोटी छोटी चूँची दबा के निप्स खींच के बोलतीं

" अरे स्साली छिनार काहें घबड़ा रही है, मेरा बेटा इतनी मोटी डॉट लगाए हैं, कुछ नहीं होने वाला है "



और भैया भी, सुबह के समय तो हर लौंडे का खड़ा होता है तो उसका भी , और मारने के साथ पकड़ के गोल गोल मथानी की तरह घुमाता भी, माँ की तरह मेरी हालत खराब करने में उसे भी मजा आता था,

गीता और छुटकी दोनों ये सोच सोच के हंस रही थीं,

और गीता ने माँ का एक और किस्सा सुनाया
“”


जब भैया अपनी जीभ माँ के भोसड़े में पेलता तो मैं माँ की क्लिट रगड़ती और माँ को अच्छी तरह गरम करने के बाद भैया ने माँ को चोदना शुरू किया। माँ को मैंने और भैया ने बाँट लिया था उनकी एक बड़ी सी चूँची भैया के हवाले और दूसरी मैं रगड़ रही थी। भाई का मोटा मूसल माँ के भोंसडे में,... और मेरे दोनों होंठ माँ की क्लिट पे,

“”

Uffff kya scene banaya hai 🔥🔥🔥
 

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माँ बेटी बेटे की मस्ती




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४० मिनट के लगातार तूफानी चुदाई के बाद जब भैया उनकी गाँड़ में झड़ा तो साथ साथ माँ भी,... और बड़ी देर तक,... मैं तो तब तक दो तीन बार पार लग चुकी थी.

लेकिन अगली बार भैया को माँ ने मेरे ऊपर ही चढ़ाया, अपने चूस के खड़ा किया और जब भैया मुझे चोद रहा था तो वो मेरे मुंह में अपनी पहले बुर फिर गाँड़ रगड़ रही थी जिसमें से अभी भी भी भैया का सड़का टपक रहा था,...



पर थोड़ी देर बाद,... और जैसे मैं और माँ मिल के भैया का चूसती थीं, उसी तरह हम दोनों भाई बहन ने मिल के चूस चूस के ,...


जब भैया अपनी जीभ माँ के भोसड़े में पेलता तो मैं माँ की क्लिट रगड़ती और माँ को अच्छी तरह गरम करने के बाद भैया ने माँ को चोदना शुरू किया। माँ को मैंने और भैया ने बाँट लिया था उनकी एक बड़ी सी चूँची भैया के हवाले और दूसरी मैं रगड़ रही थी। भाई का मोटा मूसल माँ के भोंसडे में,... और मेरे दोनों होंठ माँ की क्लिट पे,

भैया दो बार झड़ा था एक बार अपनी माँ की गाँड़ में, दुबारा सगी छोटी बहन की चुनमुनिया में तो इतनी जल्दी तो हार मानने वाला नहीं था, चोद चोद के माँ को थेथर कर रहा था , और अकेले तब भी उसके बस का नहीं था, लेकिन उसकी छोटी बहन की जीभ कम नहीं थी , तो एक बार जब भैया ने अपनी पिचकारी माँ की बिल में छोड़ी साथ माँ भी गई उस पार,... और इस बार बड़ी देर तक वो कांपती रही।

पूरी रात हम तीनो ने खूब मस्ती की और पहली बार माँ के हर छेद में भैया ने मलाई छोड़ी और तीन बार माँ को हम दोनों ने मिल के झाड़ दिया।

लेकिन उसका बदला माँ ने सुबह लिया स्कूल जाने के पहले माँ ने लिया सूद समेत, जिस तरह भैया से गाँड़ मरवाई मेरी,... पता नहीं का उन्होंने नाश्ते में खिला दिया था अपने बेटे को वो पूरा सांड़ हो रहा था,... मैं रो रही थी चीख रही थी,... और स्कूल के रस्ते में दोनों सहेलियों के कंधे पकड़ के ही गयी समझो टांग के ले गयीं वो सब।





छुटकी सुन रही मुस्करा रही थी, गीता और उसके भाई अरविन्द का किस्सा सुन सुन के,... और गीता भी मुस्कराने लगी और उसने एक मजेदार बात बतायी,

माँ एक बदमाशी और करती कभी कभी रात में मुझ जबरदस्ती ढेर सारा खिलाती कुछ प्यार से कुछ दुलार से कुछ जबरदस्ती डाँट डांट के,... लेकिन उस दिन रात के आखिरी फर बल्कि भोर में जब मुझे बड़ी जोर की लगती थी न,... इत्ता रात में खायी होती, एकदम रोका नहीं जाता,... उस समय जबरदस्ती मुझे पकड़ के दबोच के निहुरा के भैया से गाँड़ मेरी मरवाती। अपने हाथ से अपने बेटे का पकड़ के मेरे पिछवाड़े,... और मैं जब दुहाई करती माँ, बस जाने दे बहुत जोर से लगी है, लौट के,.. तो हंस के मेरी छोटी छोटी चूँची दबा के निप्स खींच के बोलतीं

" अरे स्साली छिनार काहें घबड़ा रही है, मेरा बेटा इतनी मोटी डॉट लगाए हैं, कुछ नहीं होने वाला है "



और भैया भी, सुबह के समय तो हर लौंडे का खड़ा होता है तो उसका भी , और मारने के साथ पकड़ के गोल गोल मथानी की तरह घुमाता भी, माँ की तरह मेरी हालत खराब करने में उसे भी मजा आता था,

गीता और छुटकी दोनों ये सोच सोच के हंस रही थीं,

और गीता ने माँ का एक और किस्सा सुनाया
“”
पहली बार माँ के हर छेद में भैया ने मलाई छोड़ी और तीन बार माँ को हम दोनों ने मिल के झाड़ दिया।
“”

Puri raat ki summary
 

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माँ का पिछवाड़ा


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गीता और छुटकी दोनों ये सोच सोच के हंस रही थीं,

और गीता ने माँ का एक और किस्सा सुनाया

उस रात के बाद , बल्कि उस रात से ही भैया मेरा अरविन्द माँ की गाँड़ का दीवाना हो गया।

फिर कुछ रूक के छुटकी को चूम के उसकी कच्ची अमिया मसलते गीता ने ज्ञान दिया, " जानती हो ये स्साले लौंडे सब के सब गाँड़ के दीवाने होते हैं,... बस एक बार चखने की देर है और असली चक्कर है लड़की जब मिलती नहीं बल्कि लड़की की लेने के पहले आपस में ही,... तो जो लौंडा लौंडिया की गाँड़ न मारे समझ ले वो स्साला खुद गांडू है,... और अरविंदवा तो क्या हचक के गाँड़ मारता है, दोनों चूँची पकड़ के जब गाँड़ में पेलता है दिन में तारे दिखते हैं और दूसरी बात , गाँड़ मरवाते समय जितना चीखो चिल्लाओगी, तड़पोगी उसके चंगुल से छूटने की कोशिश करोगी मरद को उतना ही मजा मिलता है। वो और दबोच के रगड़ रगड़ के,... "


छुटकी ये सब बातें सुन सुन के खुश हो रही थी और उस के आँख सामने पहले दीदी के नन्दोई से फिर जीजू से गाँड़ मरवाने का सीन घूम रहा था लेकिन वो माँ वाली बात सुनना चाहती थी तो उसने गीता को टोका,

" दी, माँ वाली बात,... "

गीता कुछ देर खिलखिलाती रही फिर बोली माँ की गाँड़ तो भैया ने खूब आसन बदल बदल के , पहले तो निहुरा के और माँ को भी चाहे चुदवाना हो या गाँड़ मराना इसी पोज में सबसे अच्छा लगता है, मैंने खुद अपने हाथ से भैया का खूंटा पकड़ के माँ के पिछवाड़े सटाया और अपने हाथ से ही उनका चूतड़ कस के फैलाया, फिर क्या ताकत से भैया ने धक्का मारा,... पूरा सुपाड़ा एक बार में अंदर, गप्पांक



छुटकी ध्यान से सुन रही थी और गीता ने बात आगे बढ़ाई



" लेकिन मुझे भी तो मजा लेना था तो मैं माँ के आगे आयी और अपनी चिकनी चमेली माँ के मुंह पे ,... माँ ने मुझसे बहुत चटवाया था आज मेरा मौका था और जब कोई मर्द दो औरतों को आपस में मस्ती करते देखता है तो वो और गरम हो जाता है तो वही हालत भैया की हो रही थी मुझे चटवाते देख के वो पूरी ताकत से अपना मूसल माँ की गाँड़ में ठोंक रहा था। लेकिन कुछ देर बाद उसने पोज बदला माँ पीठ के बल और वो जैसे चोदते हैं बस आगे की जगह पीछे का छेद। माँ की दोनों टाँगे भैया के कंधे पर,...



" और दी आप क्या कर रही थीं "



छुटकी ने पूछा

" थोड़ी देर तक तो मैं भैया की बदमाशी देख रही थी फिर मैं भी माँ के ऊपर चढ़ के अपनी चूत उनके मुंह पे रगड़ने लगी और झुक के एक साथ होनी तीन ऊँगली माँ की बुर में पेल दिया और अब माँ के दोनों छेदों की पेलाई हो रही थी, एक तरफ से बेटा एक तरफ बेटी,...

माँ की चुनमुनिया मुझे बहुत प्यारी लगती है तो झुक के मैंने चूसना भी शुरू कर दिया और माँ बेटी 69 की पोज़ में और बेटा माँ की गांड़ मार रहा था। कुछ देर तक तो ऐसे ही




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फिर माँ को अपनी गोद में बिठा के और माँ भी ऐसी एक्सपर्ट की खुद उन्होंने अपने पिछवाड़े का छेद अपने बेटे के खूंटे पे सटा के क्या धक्के मारे,... भैया तो खाली उन्हें गोद में ले बैठा था , माँ खुद ऊपर नीचे होकर बेटे से गाँड़ कुटवा रही थीं और मुझे ऐसे देख रही थीं मानो कह रही हों सीख ले बेटी, बहन भाई के गोद में कैसे मजे लेती है। उसके बाद तो कोई दिन नागा नहीं गया जब भैया ने दिन दहाड़े मेरे सामने माँ की गाँड़ नहीं मारी हो और रात में तो माँ का नाइट स्कूल चलता ही था।
“”


छुटकी ये सब बातें सुन सुन के खुश हो रही थी और उस के आँख सामने पहले दीदी के नन्दोई से फिर जीजू से गाँड़ मरवाने का सीन घूम रहा था लेकिन वो माँ वाली बात सुनना चाहती थी तो उसने गीता को टोका,

" दी, माँ वाली बात,... "

“”

Chutki bhi humare team se hi hai maa ko akele nahi rehne dena chahti 😉😉
 

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माँ का पिछवाड़ा


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गीता और छुटकी दोनों ये सोच सोच के हंस रही थीं,

और गीता ने माँ का एक और किस्सा सुनाया

उस रात के बाद , बल्कि उस रात से ही भैया मेरा अरविन्द माँ की गाँड़ का दीवाना हो गया।

फिर कुछ रूक के छुटकी को चूम के उसकी कच्ची अमिया मसलते गीता ने ज्ञान दिया, " जानती हो ये स्साले लौंडे सब के सब गाँड़ के दीवाने होते हैं,... बस एक बार चखने की देर है और असली चक्कर है लड़की जब मिलती नहीं बल्कि लड़की की लेने के पहले आपस में ही,... तो जो लौंडा लौंडिया की गाँड़ न मारे समझ ले वो स्साला खुद गांडू है,... और अरविंदवा तो क्या हचक के गाँड़ मारता है, दोनों चूँची पकड़ के जब गाँड़ में पेलता है दिन में तारे दिखते हैं और दूसरी बात , गाँड़ मरवाते समय जितना चीखो चिल्लाओगी, तड़पोगी उसके चंगुल से छूटने की कोशिश करोगी मरद को उतना ही मजा मिलता है। वो और दबोच के रगड़ रगड़ के,... "


छुटकी ये सब बातें सुन सुन के खुश हो रही थी और उस के आँख सामने पहले दीदी के नन्दोई से फिर जीजू से गाँड़ मरवाने का सीन घूम रहा था लेकिन वो माँ वाली बात सुनना चाहती थी तो उसने गीता को टोका,

" दी, माँ वाली बात,... "

गीता कुछ देर खिलखिलाती रही फिर बोली माँ की गाँड़ तो भैया ने खूब आसन बदल बदल के , पहले तो निहुरा के और माँ को भी चाहे चुदवाना हो या गाँड़ मराना इसी पोज में सबसे अच्छा लगता है, मैंने खुद अपने हाथ से भैया का खूंटा पकड़ के माँ के पिछवाड़े सटाया और अपने हाथ से ही उनका चूतड़ कस के फैलाया, फिर क्या ताकत से भैया ने धक्का मारा,... पूरा सुपाड़ा एक बार में अंदर, गप्पांक



छुटकी ध्यान से सुन रही थी और गीता ने बात आगे बढ़ाई



" लेकिन मुझे भी तो मजा लेना था तो मैं माँ के आगे आयी और अपनी चिकनी चमेली माँ के मुंह पे ,... माँ ने मुझसे बहुत चटवाया था आज मेरा मौका था और जब कोई मर्द दो औरतों को आपस में मस्ती करते देखता है तो वो और गरम हो जाता है तो वही हालत भैया की हो रही थी मुझे चटवाते देख के वो पूरी ताकत से अपना मूसल माँ की गाँड़ में ठोंक रहा था। लेकिन कुछ देर बाद उसने पोज बदला माँ पीठ के बल और वो जैसे चोदते हैं बस आगे की जगह पीछे का छेद। माँ की दोनों टाँगे भैया के कंधे पर,...



" और दी आप क्या कर रही थीं "



छुटकी ने पूछा

" थोड़ी देर तक तो मैं भैया की बदमाशी देख रही थी फिर मैं भी माँ के ऊपर चढ़ के अपनी चूत उनके मुंह पे रगड़ने लगी और झुक के एक साथ होनी तीन ऊँगली माँ की बुर में पेल दिया और अब माँ के दोनों छेदों की पेलाई हो रही थी, एक तरफ से बेटा एक तरफ बेटी,...

माँ की चुनमुनिया मुझे बहुत प्यारी लगती है तो झुक के मैंने चूसना भी शुरू कर दिया और माँ बेटी 69 की पोज़ में और बेटा माँ की गांड़ मार रहा था। कुछ देर तक तो ऐसे ही




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फिर माँ को अपनी गोद में बिठा के और माँ भी ऐसी एक्सपर्ट की खुद उन्होंने अपने पिछवाड़े का छेद अपने बेटे के खूंटे पे सटा के क्या धक्के मारे,... भैया तो खाली उन्हें गोद में ले बैठा था , माँ खुद ऊपर नीचे होकर बेटे से गाँड़ कुटवा रही थीं और मुझे ऐसे देख रही थीं मानो कह रही हों सीख ले बेटी, बहन भाई के गोद में कैसे मजे लेती है। उसके बाद तो कोई दिन नागा नहीं गया जब भैया ने दिन दहाड़े मेरे सामने माँ की गाँड़ नहीं मारी हो और रात में तो माँ का नाइट स्कूल चलता ही था।


फिर माँ को अपनी गोद में बिठा के और माँ भी ऐसी एक्सपर्ट की खुद उन्होंने अपने पिछवाड़े का छेद अपने बेटे के खूंटे पे सटा के क्या धक्के मारे,... भैया तो खाली उन्हें गोद में ले बैठा था , माँ खुद ऊपर नीचे होकर बेटे से गाँड़ कुटवा रही थीं



Ek dum garam scene🔥🔥
 

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कितना प्यारा है अरविंद भैया

चोदे बहना और चोदे है मैया

दिन में मां और रात को बहना

इसकी किस्मत का क्या कहना

मां और बहना मिलकर बांटें

लौडा चुसे और अंडे चाटे

बहन की करे है रोज़ स्वारी

मां की गाण्ड भी लगती प्यारी

गितवा की अब नित खिल राही जवानी

जब से लगा उसे अरविंदवा का पानी

जी भर के गीतवा जवानी लूटावे

अरविंद भी अच्छे से चप्पू चलावे

रात भर चुद चुद के गीतवा की बदली चाल

अम्मा के नाइट स्कूल का हो गया कमाल


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Bahut garam kavita
 

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Komal ji , thoda samvad ki kami reh gayi is is scene me. Maa bete ne ek shabd nhi bola or raaat bhar maje kiye. Thoda conversation hona chahiye usse ese lgta hai jese story ankhon ke samne chal rhi hai, baki to aapka koi jawab nahi
Ha komaalrani ji thoda arvind aur uski maa mei bhi garam baate karwao na dono ab tak khule nahi hai jo bhi hai wo geetwa hi karwa rahi hai
 
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