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पिछवाड़ा फुलवा की ननदिया का
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लेकिन गलती से उससे ये हुयी की वो जोर जोर से बोल रही थी और उसी समय अरविन्द भैया बाग़ में पीछे से आये , मैंने और चमेलिया ने तो देख लिया पर फुलवा की ननदिया की पीठ उनकी ओर थी उसने नहीं देखा और वो बोलती रही,...
" हमारे भैया क सार वैसे तो बहुत निक है आपने बहिन दिए हैं हमरे भैया को, औजार भी तगड़ा है, ओनकर माई जरूर गदहा घोडा से चुदवाए होंगी.
लेकिन गाँड़ फाड़े वाली हिम्मत नहीं है . देखा हम कोरी गाँड़ लिए आये, कोरी लिए जा रहे हैं और वो मुंह से लार टपकावत,..."
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तबतक भैया ने पीछे से उसे दबोच लिया और मैंने और चमेलिया ने भी,
चमेलिया ने उसका पेटीकोट का नाड़ा खींच के बाहर निकाल के मुझे पकड़ाया और मैंने पूरी ताकत से उसको दो हिस्सों में तोड़ दिया अब पहने पेटीकोट,
और अमराई में अब उसका पेटीकोट भी जमीन पर सरसराकर, नाड़ा निकला नहीं टूट चूका था। ओर और वो एकदम निसुती,
लेकिन उसने भी मुड़ के सीधे अरविन्द भैया का लोवर पकड़ के नीचे , ... शर्ट भैया ने खुद ही उतार फेंकी।
तीन तीन चढ़ती जवानियों को देख के किसका न खड़ा हो और अरविन्द तो मेरा प्यारा मीठा दुलारा भइया,... उसका सोते में भी ६ इंच का जितना कितनों का खड़े होने पे मुठियाने पे न हो,
फुलवा की ननदिया जब्बर छिनार, भैया का लंड देख के पनिया रही थी, लेकिन मुझको चिढ़ाते बोली,
" चलो तुम दोनों इतना चिरौरी कर रही हो हाथ जोड़ रही हो तो मरवा लूंगी पिछवाड़ा लेकिन पहले इनका खड़ा तो हो,... "
चमेलिया भैया का हाथ में लेके मसलते बोली,
" अरे साली हरामी रंडी की जनी, तेरी माई को हमरे गाँव क गदहे चोदे, हमारे गाँव क लौंडन क हरदम खड़ा रहता है बोल देना कल जाके अपने गाँव भर में, जे चाहे, जब चाहे आके मरवा ले,... '
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लेकिन फुलवा की ननद इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थी हंस के खिलखिलाते बोली,
" अरे गदहा से के चोदवाया है वो तो दिखाई पड़ रहा है, गितवा क महतारी, गदहा घोडा,... और फिर सीधे अरविन्द भैया पे हमला बोलते छेड़ी,
" कहो भैया क सार, ... अपने महतारी से कभी पूछे हो, माई हमको गाभिन करने के लिए कउने धोबी के यहाँ गयी थी, केकरे गदहवा से चुदवाई हो तानी हमहू के बताय दोगे, आवतजात हमहुँ अपने भैया के स्साले के बाबू जी से मिल लेब "
फिर अगला अटैक मेरे ऊपर,... एकदम असली ननद,...दर्जन भर भौजाई से घिरी हो तो भी हार न माने,
" अरे सगी बहिनिया चूस चूस के,... भाई चोद तो तुम पैदायशी हो, ... लेकिन देखना ये है की, ये गदहा अस, पूरा का पूरा मुंह में ले पाती हो की नहीं,... एक बार तू अपने मुंहे में ले ला तो हम भी अपने पिछवाड़े ,
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चमेलिया और अरविन्द भैया दोनों ने मुझे बड़ी आशा से देखा,
आज और अभी आखिरी मौका था इस स्साली की गाँड़ फाड़ने का, भैया का मन भी बहुत कर रहा था, किसका नहीं करेगा, अमराई में गाँड़ मराई का।
इसी अमराई में भैया ने न जाने कितने लौंडे लौंडियों का पिछवाड़ा फाड़ा लेकिन फुलवा की ननदिया की बात और थी, कब से भैया को ललचा तडपा रही थी. और आज मौसम भी खूब मस्त हो रहा था अमराई में मरवाने वाला, बादल खूब घने छाये थे। वैसे तो हमार्री बाग़ इतनी गझिन थी की दुपहरिया में सांझ हो जाती थी ,... पर आज बदरी के चक्कर में अंधियार, हलकी हलकी पुरवाई बह रही थी, दूर कहीं बारिश हो रही थी हवा में भी नमी थी, और घर में भी माँ नहीं थीं सांझ को ही आने वाली थीं,...
लेकिन मैंने भी आज तक कभी किसी और लड़की के सामने भैया का मुंह में नहीं लिया था,... माँ की बात और थी वहां तो ज़रा देर होने पर मार मार के वो चूतड़ लाल कर देती,...
एक पल के लिए हिचकिचाई बहाना बनाया,
" अरे जेके मरवावे के हो वही चूसे,... "
पर चमेलिया आ गयी बीच में और वो मेरी पक्की वाली सहेली, उस की बात मैं सपने में भी नहीं टालती थी, वो बोली,
" अरे गितवा मेरी बहिनिया मान जा रे चूस ले ,... और चूसेगी वो भी तू उसकी गाँड़ में जाने के पहले चूस, वो गाँड़ में से झड़ के निकलने के बाद चूसेगी, और चूसेगी नहीं तो जायेगी कहाँ हम दोनों हैं न पटक के चुसवाएंगे उससे,... "
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गांड में से निकलने के बाद हचक हचक के मारने के बाद, ... अरविन्द भैया के खूंटे की जो हालत होगी और सीधे फुलवा की ननदिया की कसी बिन फटी गाँड़ में से उसके मुंह में,...सोच के में सिहर गयी और तुरंत भैया का मुंह में
लेकिन बहन भाई का रिश्ता बिना छेड़छाड़ के तड़पाये ,...
भैया का सुपाड़ा तो हरदम खुला खड़ा रहता था, चाची ने उसे सिखाया था और अब माँ का भी हुकुम,... माँ ने मेरे सामने समझाया था देख कपडे से रगड़ रगड़ के खुला सुपाड़ा एकदम समझो सुन्न सा,... जल्दी नहीं झड़ेगा, मर्द वही जो लौंडिया को झाड़ के झड़े और ऐसा मरद पाके कोई भी लौंडिया उसके आगे पीछे,... और मुझे तो भैया आज तक बिना तीन बार झाड़े नहीं झड़ता था।
तो बस मैंने जीभ निकाली खूब लम्बी सी, और उसकी टिप बस भैया के खुले सुपाड़े में,... हाँ वही पेशाब वाले छेद में जैसे मेरी जीभ उसका लंड चोद रही हो , खूब सुरसुरी ,... और भैया की देह गिनगीना गयी, ... मैं अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उसे देख रही थी तड़पा रही थी मन तो उसका कर रहा था मैं उसका सुपाड़ा पूरा गप्प कर लूँ ,
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मैं तो और तड़पाती लेकिन फुलवा क ननदिया छिनार मुझे चिढ़ाते बोली,
" अरे हमरे भैया के सारे क रखैल तोहसे ना होई , सुपाड़ा तो मुंह में ले नहीं पा रही हो उसका गदहा अस लंड का लोगी "
बस गप्प एक बार में ही मैंने अरविन्द भैया का पूरा सुपाड़ा गप्प कर लिया। स्साला खूब मोटा था लेकिन अभी तो फूलना शुरू हुआ था
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और ऊपर से जिस पे अगवाड़े तो पूरा गाँव जवार चढ़ा था लेकिन पिछवाड़ा कोरा लेकर जाने का पिलान बना रही थी वो फुलवा क ननद और आग मूत रही थी,
" हे हमरे भैया क सारे क रखैल, पूरा घोंटा पूरा ये का खाली,... "
और मुझे माँ की बताई एक ट्रिक याद आयी,...
अगर हाथी को घर में घुसाना हो तो एक बच्चा हाथ दरवाजे से घुसा दो आंगन में, और कुछ दिन में वो बड़ा हो जाएगा तो बस,... माँ ने भाई के खूंटे के बारे में ही समझाया था, और अभी तो बढ़ना शुरू ही हुआ था,... बस मैंने धीरे धीरे सैलाइवा के सहारे भैया का पूरा खूंटा घोंटना शुरू कर दिया,... लेकिन आधे के बाद भाई का मूसल अटक गया, होता ये था की हर बार भाई ही मेरा सर पकड़ के अपना खूंटा पूरी ताकत से पेलता,...
मैं गो गो करती रहती और माँ उसे चढाती रहती, ... पेल न लौंडिया तो छिनरापना करेगी ही, इतने चौड़े मुंह में नहीं घोंटेंगी और पतली सी चूत की दरार और गाँड़ के गोल दरवाजे में घुसवा लेगी, पेल कस के बहनचोद,...
और भाई ठोंक देता, ...
भैया ने एक बार फिर मेरा सर पकड़ा लेकिन फिर वो छिनार जोर से चिल्लाई,
" अरे नहीं खुदे घोंटा,... नहीं शऊर है तो कल चला हमरे साथ हमारे गांव क लौंडन चुसाय चुसाय के सिखाय देंगे, ... फिर गदहा घोडा सब घोंट लेंगी तोहार रखैल, कुल छेद में "
मैंने खुद ही कोशिश की,... और साथ देने चमेलिया आ गयी, जैसे कभी कभी माँ करती थी, मेरा सर दोनों हाथों से पकड़ के कस के धकेलने लगी, अरविन्द भैया भी पूरी ताकत से कमर के जोर से ठेल रहा था पेल रहा था, माँ ने बहुत अच्छी तरह सिखाया था मुझे कैसे मोटा लम्बा हलक तक ले सकती हूँ , इंच इंच करके अंदर जा रहा था, मैं भी थूक लगा लगा के,...
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और अब मेरे मुंह ने तिहरा हमला कर दिया था, मेरे रसीले होंठ अरविन्द भैया के बड़े होते खूंटे को मस्ती से रगड़ रहे थे, सगी छोटी बहन के होंठों को छू के किस भाई का लौंड़ा पागल नहीं हो जाएगा, नीचे से मैं जीभ से चाट रही थी और पूरी ताकत से वैक्यूम क्लीनर मात इस तरह से चूस रही थी,...
माँ ने सिखाया था,
देख गितवा पहले तय कर ले मरद का काहें चूस रही है, उसे खड़ा कड़ा करने के लिए या उसे झाड़ने के लिए, और दोनों की उन्होंने दस दस तरकीब बताई थी, तो आज मैं खड़ा कड़ा करने के लिए, मैं चाह रही थी जब मेरे प्यारे भैया का लंड ननद छिनार की गाँड़ में घुसे तो एकदम लोहे की रॉड बन के धंसे,... मोटा लम्बा बांस,
और चमेलिया भी यही सोच रही की आज उसकी बहन की ननद की गाँड़ मारी न जाए फाड़ी जाए और उसके लिए तो खूब मोटा कड़ा लोहे का खम्भा,...
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लेकिन गलती से उससे ये हुयी की वो जोर जोर से बोल रही थी और उसी समय अरविन्द भैया बाग़ में पीछे से आये , मैंने और चमेलिया ने तो देख लिया पर फुलवा की ननदिया की पीठ उनकी ओर थी उसने नहीं देखा और वो बोलती रही,...
" हमारे भैया क सार वैसे तो बहुत निक है आपने बहिन दिए हैं हमरे भैया को, औजार भी तगड़ा है, ओनकर माई जरूर गदहा घोडा से चुदवाए होंगी.
लेकिन गाँड़ फाड़े वाली हिम्मत नहीं है . देखा हम कोरी गाँड़ लिए आये, कोरी लिए जा रहे हैं और वो मुंह से लार टपकावत,..."
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तबतक भैया ने पीछे से उसे दबोच लिया और मैंने और चमेलिया ने भी,
चमेलिया ने उसका पेटीकोट का नाड़ा खींच के बाहर निकाल के मुझे पकड़ाया और मैंने पूरी ताकत से उसको दो हिस्सों में तोड़ दिया अब पहने पेटीकोट,
और अमराई में अब उसका पेटीकोट भी जमीन पर सरसराकर, नाड़ा निकला नहीं टूट चूका था। ओर और वो एकदम निसुती,
लेकिन उसने भी मुड़ के सीधे अरविन्द भैया का लोवर पकड़ के नीचे , ... शर्ट भैया ने खुद ही उतार फेंकी।
तीन तीन चढ़ती जवानियों को देख के किसका न खड़ा हो और अरविन्द तो मेरा प्यारा मीठा दुलारा भइया,... उसका सोते में भी ६ इंच का जितना कितनों का खड़े होने पे मुठियाने पे न हो,
फुलवा की ननदिया जब्बर छिनार, भैया का लंड देख के पनिया रही थी, लेकिन मुझको चिढ़ाते बोली,
" चलो तुम दोनों इतना चिरौरी कर रही हो हाथ जोड़ रही हो तो मरवा लूंगी पिछवाड़ा लेकिन पहले इनका खड़ा तो हो,... "
चमेलिया भैया का हाथ में लेके मसलते बोली,
" अरे साली हरामी रंडी की जनी, तेरी माई को हमरे गाँव क गदहे चोदे, हमारे गाँव क लौंडन क हरदम खड़ा रहता है बोल देना कल जाके अपने गाँव भर में, जे चाहे, जब चाहे आके मरवा ले,... '
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लेकिन फुलवा की ननद इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थी हंस के खिलखिलाते बोली,
" अरे गदहा से के चोदवाया है वो तो दिखाई पड़ रहा है, गितवा क महतारी, गदहा घोडा,... और फिर सीधे अरविन्द भैया पे हमला बोलते छेड़ी,
" कहो भैया क सार, ... अपने महतारी से कभी पूछे हो, माई हमको गाभिन करने के लिए कउने धोबी के यहाँ गयी थी, केकरे गदहवा से चुदवाई हो तानी हमहू के बताय दोगे, आवतजात हमहुँ अपने भैया के स्साले के बाबू जी से मिल लेब "
फिर अगला अटैक मेरे ऊपर,... एकदम असली ननद,...दर्जन भर भौजाई से घिरी हो तो भी हार न माने,
" अरे सगी बहिनिया चूस चूस के,... भाई चोद तो तुम पैदायशी हो, ... लेकिन देखना ये है की, ये गदहा अस, पूरा का पूरा मुंह में ले पाती हो की नहीं,... एक बार तू अपने मुंहे में ले ला तो हम भी अपने पिछवाड़े ,
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आज और अभी आखिरी मौका था इस स्साली की गाँड़ फाड़ने का, भैया का मन भी बहुत कर रहा था, किसका नहीं करेगा, अमराई में गाँड़ मराई का।
इसी अमराई में भैया ने न जाने कितने लौंडे लौंडियों का पिछवाड़ा फाड़ा लेकिन फुलवा की ननदिया की बात और थी, कब से भैया को ललचा तडपा रही थी. और आज मौसम भी खूब मस्त हो रहा था अमराई में मरवाने वाला, बादल खूब घने छाये थे। वैसे तो हमार्री बाग़ इतनी गझिन थी की दुपहरिया में सांझ हो जाती थी ,... पर आज बदरी के चक्कर में अंधियार, हलकी हलकी पुरवाई बह रही थी, दूर कहीं बारिश हो रही थी हवा में भी नमी थी, और घर में भी माँ नहीं थीं सांझ को ही आने वाली थीं,...
लेकिन मैंने भी आज तक कभी किसी और लड़की के सामने भैया का मुंह में नहीं लिया था,... माँ की बात और थी वहां तो ज़रा देर होने पर मार मार के वो चूतड़ लाल कर देती,...
एक पल के लिए हिचकिचाई बहाना बनाया,
" अरे जेके मरवावे के हो वही चूसे,... "
पर चमेलिया आ गयी बीच में और वो मेरी पक्की वाली सहेली, उस की बात मैं सपने में भी नहीं टालती थी, वो बोली,
" अरे गितवा मेरी बहिनिया मान जा रे चूस ले ,... और चूसेगी वो भी तू उसकी गाँड़ में जाने के पहले चूस, वो गाँड़ में से झड़ के निकलने के बाद चूसेगी, और चूसेगी नहीं तो जायेगी कहाँ हम दोनों हैं न पटक के चुसवाएंगे उससे,... "
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लेकिन बहन भाई का रिश्ता बिना छेड़छाड़ के तड़पाये ,...
भैया का सुपाड़ा तो हरदम खुला खड़ा रहता था, चाची ने उसे सिखाया था और अब माँ का भी हुकुम,... माँ ने मेरे सामने समझाया था देख कपडे से रगड़ रगड़ के खुला सुपाड़ा एकदम समझो सुन्न सा,... जल्दी नहीं झड़ेगा, मर्द वही जो लौंडिया को झाड़ के झड़े और ऐसा मरद पाके कोई भी लौंडिया उसके आगे पीछे,... और मुझे तो भैया आज तक बिना तीन बार झाड़े नहीं झड़ता था।
तो बस मैंने जीभ निकाली खूब लम्बी सी, और उसकी टिप बस भैया के खुले सुपाड़े में,... हाँ वही पेशाब वाले छेद में जैसे मेरी जीभ उसका लंड चोद रही हो , खूब सुरसुरी ,... और भैया की देह गिनगीना गयी, ... मैं अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उसे देख रही थी तड़पा रही थी मन तो उसका कर रहा था मैं उसका सुपाड़ा पूरा गप्प कर लूँ ,
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" हे हमरे भैया क सारे क रखैल, पूरा घोंटा पूरा ये का खाली,... "
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भैया ने एक बार फिर मेरा सर पकड़ा लेकिन फिर वो छिनार जोर से चिल्लाई,
" अरे नहीं खुदे घोंटा,... नहीं शऊर है तो कल चला हमरे साथ हमारे गांव क लौंडन चुसाय चुसाय के सिखाय देंगे, ... फिर गदहा घोडा सब घोंट लेंगी तोहार रखैल, कुल छेद में "
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माँ ने सिखाया था,
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