और अंतिम सीढ़ी.. तीनों छेदों में मलाई...Yes bro.
और अंतिम सीढ़ी.. तीनों छेदों में मलाई...Yes bro.
आह्ह्ह बहना..Aur gapagap leti rhna
अरे ऐसी डिपेंडेंसी ना रखें...Me intjaar kar rahi hu. JKG padhne ke bad hi apna likhna suru karungi
उसकी तो कोई कमी नहीं....बोरोलीन सिर्फ बहन के लिए
बाकी के लिए आर्गेनिक सलाइवा
और चूतड़ मटका दे तो तैयार समझो...ekdam sahi kaha aapne thanks so much
आपका नरेशन और चित्रण एकदम लाजवाब है...कहानी कुछ चुनी हुयी घटनाओं को एक फ्रेम में एक चौखटे में रखती हैं जैसे हम कोई नाटक या फिल्म देखते हैं और हर पात्र कहानी के कथ्य को आगे बढ़ाते हैं उसे एक दिशा देते हैं या एक रिचनेस लाते हैं, और बहुत से पात्र जो शायद हो सकते हैं तो भी नहीं होते, तो मेरी कहानी में भी एक लम्बी कहानी में जो मूल कथ्य या उससे जुडी हुयी छोटी छोटी उप कथाएं ( लम्बी कहानियों में जैसे फागुन के दिन चार या जोरू का गुलाम या मोहे रंग दे में ) वही चरित्र मैं जोड़ना चाहती हूँ जिनके साथ मैं न्याय कर पाऊं, जो भले ही थोड़ी देर के लिए आएं पर वह एक कटआउट या पोस्टकार्ड थिन कैरेक्टर न लगे
और वैसे भी मैं मूल रूप से स्त्री प्रधान कहनियां लिखती हूँ और वैसे परिवेश में जहाँ ज्यादातर कहानियां पुरुष परिप्रेक्ष्य में लिखी जा रही हों यह कुछ गड़बड़ मुझे नहीं लगता की एक दो कहानी महिलाओं के प्वाइंट आफ व्यू से हैं हालाकिं कुछ पाठक असहज हो सकता है महसूस करते हों
मैंने फागुन के दिन चार को पुरुष नैरेटर के द्वारा लिखने की कोशिश की पर मेरी कलम पर मेरा ज्यादा जोर नहीं चलता और उस कहानी में भी स्त्री पात्र कहानी में भारी पड़े, चाहे रीत हो या बाकी,...
और जहाँ तक इस कहानी का सवाल है बस मैं यही कहूंगी की कहानी के साथ बने रहिये अगले कुछ भागों के बाद अगर फिर से यह सवाल उठेगा तो मैं जरूर चर्चा करुँगी
किसी की गांड़ भले फट जाए...आपकी भावनाएं गितवा और चमेलिया से एकदम मिलती हैं
बस कल का इंतजार करिये देखिये क्या होता है, फुलवा की ननद के साथ
गाँव की इज्जत का सवाल है।
सूत्रधार के रूप में कहानी लिखने पर कैनवास बड़ा हो जाता है...Kahani to Apke perspective se hi sunni hai, male character ke perspective se wo maja nhi ata. Me to bus isiliye bol raha hai taki bus family ke baare me pta chal. Ki pitaji / sasur ji kahin ghar se baahar gaye hai ya alag rehte hai ya bhagwan ke pass chale gaye, bus isse jyda or kuch nahi, apki story sabse jyada to isliye achhi lagti gai kyun female side padhne ko milta hai
एवररेडी ... एक्स्ट्रा पावर.. एक्स्ट्रा माइलेज.. दमदार परफ़ॉर्मेंस...कौन बहनचोद बहन को एक बार चोदने के बाद छोड़ता है.....जब तक लंड में जान है चोदता ही रहेगा और बहन को चोदते वक्त तो 'एक्सट्रा पॉवर' आ जाती है।