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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Luckyloda

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पिछवाड़ा फुलवा की ननदिया का



लेकिन गलती से उससे ये हुयी की वो जोर जोर से बोल रही थी और उसी समय अरविन्द भैया बाग़ में पीछे से आये , मैंने और चमेलिया ने तो देख लिया पर फुलवा की ननदिया की पीठ उनकी ओर थी उसने नहीं देखा और वो बोलती रही,...

" हमारे भैया क सार वैसे तो बहुत निक है आपने बहिन दिए हैं हमरे भैया को, औजार भी तगड़ा है, ओनकर माई जरूर गदहा घोडा से चुदवाए होंगी.

लेकिन गाँड़ फाड़े वाली हिम्मत नहीं है . देखा हम कोरी गाँड़ लिए आये, कोरी लिए जा रहे हैं और वो मुंह से लार टपकावत,..."



तबतक भैया ने पीछे से उसे दबोच लिया और मैंने और चमेलिया ने भी,

चमेलिया ने उसका पेटीकोट का नाड़ा खींच के बाहर निकाल के मुझे पकड़ाया और मैंने पूरी ताकत से उसको दो हिस्सों में तोड़ दिया अब पहने पेटीकोट,

और अमराई में अब उसका पेटीकोट भी जमीन पर सरसराकर, नाड़ा निकला नहीं टूट चूका था। ओर और वो एकदम निसुती,

लेकिन उसने भी मुड़ के सीधे अरविन्द भैया का लोवर पकड़ के नीचे , ... शर्ट भैया ने खुद ही उतार फेंकी।

तीन तीन चढ़ती जवानियों को देख के किसका न खड़ा हो और अरविन्द तो मेरा प्यारा मीठा दुलारा भइया,... उसका सोते में भी ६ इंच का जितना कितनों का खड़े होने पे मुठियाने पे न हो,

फुलवा की ननदिया जब्बर छिनार, भैया का लंड देख के पनिया रही थी, लेकिन मुझको चिढ़ाते बोली,

" चलो तुम दोनों इतना चिरौरी कर रही हो हाथ जोड़ रही हो तो मरवा लूंगी पिछवाड़ा लेकिन पहले इनका खड़ा तो हो,... "

चमेलिया भैया का हाथ में लेके मसलते बोली,

" अरे साली हरामी रंडी की जनी, तेरी माई को हमरे गाँव क गदहे चोदे, हमारे गाँव क लौंडन क हरदम खड़ा रहता है बोल देना कल जाके अपने गाँव भर में, जे चाहे, जब चाहे आके मरवा ले,... '



लेकिन फुलवा की ननद इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थी हंस के खिलखिलाते बोली,

" अरे गदहा से के चोदवाया है वो तो दिखाई पड़ रहा है, गितवा क महतारी, गदहा घोडा,... और फिर सीधे अरविन्द भैया पे हमला बोलते छेड़ी,

" कहो भैया क सार, ... अपने महतारी से कभी पूछे हो, माई हमको गाभिन करने के लिए कउने धोबी के यहाँ गयी थी, केकरे गदहवा से चुदवाई हो तानी हमहू के बताय दोगे, आवतजात हमहुँ अपने भैया के स्साले के बाबू जी से मिल लेब "

फिर अगला अटैक मेरे ऊपर,... एकदम असली ननद,...दर्जन भर भौजाई से घिरी हो तो भी हार न माने,

" अरे सगी बहिनिया चूस चूस के,... भाई चोद तो तुम पैदायशी हो, ... लेकिन देखना ये है की, ये गदहा अस, पूरा का पूरा मुंह में ले पाती हो की नहीं,... एक बार तू अपने मुंहे में ले ला तो हम भी अपने पिछवाड़े ,



चमेलिया और अरविन्द भैया दोनों ने मुझे बड़ी आशा से देखा,

आज और अभी आखिरी मौका था इस स्साली की गाँड़ फाड़ने का, भैया का मन भी बहुत कर रहा था, किसका नहीं करेगा, अमराई में गाँड़ मराई का।

इसी अमराई में भैया ने न जाने कितने लौंडे लौंडियों का पिछवाड़ा फाड़ा लेकिन फुलवा की ननदिया की बात और थी, कब से भैया को ललचा तडपा रही थी. और आज मौसम भी खूब मस्त हो रहा था अमराई में मरवाने वाला, बादल खूब घने छाये थे। वैसे तो हमार्री बाग़ इतनी गझिन थी की दुपहरिया में सांझ हो जाती थी ,... पर आज बदरी के चक्कर में अंधियार, हलकी हलकी पुरवाई बह रही थी, दूर कहीं बारिश हो रही थी हवा में भी नमी थी, और घर में भी माँ नहीं थीं सांझ को ही आने वाली थीं,...

लेकिन मैंने भी आज तक कभी किसी और लड़की के सामने भैया का मुंह में नहीं लिया था,... माँ की बात और थी वहां तो ज़रा देर होने पर मार मार के वो चूतड़ लाल कर देती,...

एक पल के लिए हिचकिचाई बहाना बनाया,

" अरे जेके मरवावे के हो वही चूसे,... "

पर चमेलिया आ गयी बीच में और वो मेरी पक्की वाली सहेली, उस की बात मैं सपने में भी नहीं टालती थी, वो बोली,

" अरे गितवा मेरी बहिनिया मान जा रे चूस ले ,... और चूसेगी वो भी तू उसकी गाँड़ में जाने के पहले चूस, वो गाँड़ में से झड़ के निकलने के बाद चूसेगी, और चूसेगी नहीं तो जायेगी कहाँ हम दोनों हैं न पटक के चुसवाएंगे उससे,... "



गांड में से निकलने के बाद हचक हचक के मारने के बाद, ... अरविन्द भैया के खूंटे की जो हालत होगी और सीधे फुलवा की ननदिया की कसी बिन फटी गाँड़ में से उसके मुंह में,...सोच के में सिहर गयी और तुरंत भैया का मुंह में

लेकिन बहन भाई का रिश्ता बिना छेड़छाड़ के तड़पाये ,...


भैया का सुपाड़ा तो हरदम खुला खड़ा रहता था, चाची ने उसे सिखाया था और अब माँ का भी हुकुम,... माँ ने मेरे सामने समझाया था देख कपडे से रगड़ रगड़ के खुला सुपाड़ा एकदम समझो सुन्न सा,... जल्दी नहीं झड़ेगा, मर्द वही जो लौंडिया को झाड़ के झड़े और ऐसा मरद पाके कोई भी लौंडिया उसके आगे पीछे,... और मुझे तो भैया आज तक बिना तीन बार झाड़े नहीं झड़ता था।

तो बस मैंने जीभ निकाली खूब लम्बी सी, और उसकी टिप बस भैया के खुले सुपाड़े में,... हाँ वही पेशाब वाले छेद में जैसे मेरी जीभ उसका लंड चोद रही हो , खूब सुरसुरी ,... और भैया की देह गिनगीना गयी, ... मैं अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उसे देख रही थी तड़पा रही थी मन तो उसका कर रहा था मैं उसका सुपाड़ा पूरा गप्प कर लूँ ,



मैं तो और तड़पाती लेकिन फुलवा क ननदिया छिनार मुझे चिढ़ाते बोली,

" अरे हमरे भैया के सारे क रखैल तोहसे ना होई , सुपाड़ा तो मुंह में ले नहीं पा रही हो उसका गदहा अस लंड का लोगी "

बस गप्प एक बार में ही मैंने अरविन्द भैया का पूरा सुपाड़ा गप्प कर लिया। स्साला खूब मोटा था लेकिन अभी तो फूलना शुरू हुआ था





और ऊपर से जिस पे अगवाड़े तो पूरा गाँव जवार चढ़ा था लेकिन पिछवाड़ा कोरा लेकर जाने का पिलान बना रही थी वो फुलवा क ननद और आग मूत रही थी,

" हे हमरे भैया क सारे क रखैल, पूरा घोंटा पूरा ये का खाली,... "

और मुझे माँ की बताई एक ट्रिक याद आयी,...

अगर हाथी को घर में घुसाना हो तो एक बच्चा हाथ दरवाजे से घुसा दो आंगन में, और कुछ दिन में वो बड़ा हो जाएगा तो बस,... माँ ने भाई के खूंटे के बारे में ही समझाया था, और अभी तो बढ़ना शुरू ही हुआ था,... बस मैंने धीरे धीरे सैलाइवा के सहारे भैया का पूरा खूंटा घोंटना शुरू कर दिया,... लेकिन आधे के बाद भाई का मूसल अटक गया, होता ये था की हर बार भाई ही मेरा सर पकड़ के अपना खूंटा पूरी ताकत से पेलता,...

मैं गो गो करती रहती और माँ उसे चढाती रहती, ... पेल न लौंडिया तो छिनरापना करेगी ही, इतने चौड़े मुंह में नहीं घोंटेंगी और पतली सी चूत की दरार और गाँड़ के गोल दरवाजे में घुसवा लेगी, पेल कस के बहनचोद,...

और भाई ठोंक देता, ...

भैया ने एक बार फिर मेरा सर पकड़ा लेकिन फिर वो छिनार जोर से चिल्लाई,

" अरे नहीं खुदे घोंटा,... नहीं शऊर है तो कल चला हमरे साथ हमारे गांव क लौंडन चुसाय चुसाय के सिखाय देंगे, ... फिर गदहा घोडा सब घोंट लेंगी तोहार रखैल, कुल छेद में "

मैंने खुद ही कोशिश की,... और साथ देने चमेलिया आ गयी, जैसे कभी कभी माँ करती थी, मेरा सर दोनों हाथों से पकड़ के कस के धकेलने लगी, अरविन्द भैया भी पूरी ताकत से कमर के जोर से ठेल रहा था पेल रहा था, माँ ने बहुत अच्छी तरह सिखाया था मुझे कैसे मोटा लम्बा हलक तक ले सकती हूँ , इंच इंच करके अंदर जा रहा था, मैं भी थूक लगा लगा के,...



और अब मेरे मुंह ने तिहरा हमला कर दिया था, मेरे रसीले होंठ अरविन्द भैया के बड़े होते खूंटे को मस्ती से रगड़ रहे थे, सगी छोटी बहन के होंठों को छू के किस भाई का लौंड़ा पागल नहीं हो जाएगा, नीचे से मैं जीभ से चाट रही थी और पूरी ताकत से वैक्यूम क्लीनर मात इस तरह से चूस रही थी,...

माँ ने सिखाया था,

देख गितवा पहले तय कर ले मरद का काहें चूस रही है, उसे खड़ा कड़ा करने के लिए या उसे झाड़ने के लिए, और दोनों की उन्होंने दस दस तरकीब बताई थी, तो आज मैं खड़ा कड़ा करने के लिए, मैं चाह रही थी जब मेरे प्यारे भैया का लंड ननद छिनार की गाँड़ में घुसे तो एकदम लोहे की रॉड बन के धंसे,... मोटा लम्बा बांस,

और चमेलिया भी यही सोच रही की आज उसकी बहन की ननद की गाँड़ मारी न जाए फाड़ी जाए और उसके लिए तो खूब मोटा कड़ा लोहे का खम्भा,...
Bahanchod Iss nanad ne shart bhi kya rakhi..... jo geeta roj karti hai
......



Khair usne apna hi fayda socha ki geela hoga to aaram se jayenge...
 

Luckyloda

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तैयारी और चढ़ाई -ननदिया के पिछवाड़े




मैं चाह रही थी जब मेरे प्यारे भैया का लंड ननद छिनार की गाँड़ में घुसे तो एकदम लोहे की रॉड बन के धंसे,...

मोटा लम्बा बांस, और चमेलिया भी यही सोच रही की आज उसकी बहन की ननद की गाँड़ मारी न जाए फाड़ी जाए और उसके लिए तो खूब मोटा कड़ा लोहे का खम्भा,...



बस थोड़ा सा ही बचा था तो चमेलिया ने पैंतरा बदला,


अब वो अरविन्द भैया के पीछे खड़ी अपने जोबन से उनके पीठ पे रगड़ रही थी और उसका बायां हाथ भैया के लंड के बेस पे, जान पहचान तो पुरानी थी आखिर उसी खूंटे तो तो चमेलिया को कली से फूल बनाया था और वो भी उसकी बहन फुलवा के सामने इसी अमराई में ,...

भैया का हाथ लगाना मना था लेकिन चमेलिया तो पकड़ सकती ही थी बस बेस पे पकड़ के जैसे कोई चूड़ी वाले नट बोल्ट को,... हलके हलके घुमा के ,... और अब पूरा का पूरा अंदर मेरे मुंह में



और चमेलिया ने ललकार के फुलवा की नंद से कहा

" चल छिनार आय के देख ले गितवा ने घोंट लिया पूरा अब तू चल घोड़ी बन और गाँड़ मरवा "



अब उस बेचारी के पास कोई रस्ता नहीं था लेकिन मैं और गितवा अभी अरविन्द भैया को और गरम करना चाहते थे तो अब हम दोनों ने मिल के चूमना चाटना चूसना शुरू कर दिया , अब एक बार सिर्फ सुपाड़ा मेरे मुंह में था और साइड से चमेलिया चाट रही थी कभी वो जीभ निकाल के बेस पे तो कभी हम दोनों सिर्फ जीभ निकाल के सुपाड़े को दायीं और से मैं और बायीं और से चमेलिया,



भैया का खूंटा एकदम पागल हो रहा था

और अब चमेलिया ने जबरदस्ती फुलवा की ननद को निहुरा के घोड़ी बना दिया और अरविन्द भैया को ललकारा, आ जाओ भैया चढ़ जाओ घोड़ी पे,...

अरविन्द तो एकदम गांड मारने में उस्ताद इसी अमराई में कितनों को घोड़ी बना के,...

और फुलवा की ननद का पिछवाड़ा तो एकदम कोरा, ऊँगली भी नहीं गयी थी अंदर और चौड़े चाकर चूतर, वो खुद कित्ते दिनों से कोशिश कर रहे थे पर वो छिनरपना करके पर आज बचने वाली नहीं थी।

और मैं अरविन्द भैया का लंड पकड़ के सीधे उस निहुरी हुयी फुलवा की ननद के सामने ले गयी,...
और बित्ते से नाप के भैया का पूरा तन्नाया, गुस्से से फूला, मोटा लंड नाप के दिखाया,...

" देख लो ध्यान से, पूरा बित्ता, और दो अंगुल की मोटाई और,... तोहरे चाची माई मौसी जेके मरवावे के हो अपनी अपनी बिटिया के साथ, खुल भोंसड़ी वाली को गौने क रात याद जायेगी,... "



चमेलिया क्यों पीछे रहती, उसकी सगी बहन की ननद, ... सामने, अरविन्द भैया का मुट्ठी में दबोचती बोली,..

देख ले केतना मोटा हो, मुट्ठी में नहीं आ पाता, अभी तोहार गाँड़ फाड़ेगा और एकरे बाद अपने गाँव जाय के फुलवा के मरद देवर ननदोई जिससे भी,... कुल लंड नहीं नूनी लगेंगे,... हाँ जब खुजली ज्यादा मचे आ जाना हमरे गाँव,.. और दो चार कच्ची अमिया लेआना, ...

और अब आगे से चमेलिया फुलवा की ननद को दबोचे निहुराये और पीछे से मैं, सच में उस स्साली की एकदम कोरी थी, मुश्किल से एक दरार दिख रही थी,... और मारे डर के सिकोड़े हुए थी, सिकोड़ ले आज तो मेरे प्यारे भैया का मोटा सांड़ ऐसा घुस के फाड़ेगा की,... देख के मैं सोच रही थी, मेरे चूसने से भैया का तो खूब गीला हो रहा था लेकिन फिर भी मैंने मुंह में थूक भरा और ढेर सारा भैया के सुपाड़े पे लिथड़ दिया,.. और फिर दुबारा मुंह में थूक ले के,... इतनी बार गन्ने के खेत में भैया से चुदवा के मुंह के लार का फायदा मैं अच्छी तरह समझ गयी थी,...



और फुलवा क ननद का चूतड़ मैंने खूब अच्छे से, लेकिन तबतक चमेलिया की आवाज सुनाई पड़ी, वो जोर जोर से सर हिला हिला के इशारा कर रही थी। मैं समझ गयी उसका मतलब गाँड़ मरवानी थी ननद रानी की, ननद की गाँड़ जबतक तीन दिन तक परपराये, छरछराये नहीं,... हर कदम रखते ही चिलख न उठे तो उसके मायके वाले कैसे जानेगें की भौजी के गाँव से ननद रानी, भौजी के भाई से गाँड़ मरवाये क आय रही हैं।

लेकिन मुंह में तो मैंने थूक भर ही लिया था तो बस अपने दोनों हाथ के अंगूठों पे पूरा का पूरा, और उस खैबर के दर्रे में दोनों अंगूठे एक साथ,

जब मामला ननद के पिछवाड़े का हो तो डबल ताकत आ जाती है , तो मैंने धीरे धीरे कर के पूरी ताकत से ननद की कुँवारी गाँड़ का छेद फैलाना शुरू किया और वो छिनार कुछ मारे डर के कुछ बदमाशी के सिकोड़ रही थी, लेकिन चमेलिया मेरी पक्की सहेली समझ गयी उसकी बदमाशी, बोली

" हमरे पूरे गाँव क रखैल, ढीली कर, ढीली कर,... वरना अरविन्द क लंड तो बाद में मैं और गितवा पहले साथ साथ मुट्ठी पेलेंगे तोहरी गांड में, ... "

और कस चमेलिया ने निहुरी हुयी ननदिया के निपल नोच लिए

मारे दर्द के उसकी चीख निकल गयी, पिछवाड़े पर से उसका ध्यान हट गया और मैंने पूरी ताकत से दोनों हाथों के अंगूठों को अंदर पेल दिया, अब सिकोड़े जितनी मर्जी हो, मेरे दोनों अंगूठे अंदर थे,... फिर मैंने कैंची की फाल तरह अपने दोनों अंगूठो को फैलाना शुरू किया और थोड़ा थोड़ा छेद खुलना शुरू हुया

और भैया का चेहरा खिल उठा खुले छेद को देख, ...

बस भैया ने अपना मोटा सुपाड़ा उस खुले छेद पर सटाया, मैंने अंगूठे बाहर निकाले और दोनों चूतड़ों को पकड़ के फैलाना शुरू किया, चमेलिया की आँखे मेरे चेहरे से चिपकी थी, बस जैसे ही मैंने आँख मारी उसे, एक बार फिर कस के निपल नोचना उसने शुरू किया उस निहुरी ननदिया का,... वो जोर से चीखी

और भैया ने पूरी ताकत से ठेला,...



नहीं नहीं सुपाड़ा पूरी नहीं घुसा बस फंस गया,... एक तो उस स्साली की गाँड़ वास्तव में बहुत कसी थी, दूसरे भैया का सुपाड़ा भी पहाड़ी आलू की तरह खूब मोटा था ,... पर इतना काफी था, अरविन्द भैया मेरा पक्का खिलाड़ी, कित्ते कोरे पिछवाड़े उसने फाड़े थे,... कमर पकड़ के उसने अब पूरी ताकत से धक्का मारा ,सुपाड़ा अभी भी पूरा नहीं घुसा था हाँ आधा धंस गया था. बहुत प्यारा लग रहा था ननद रानी की कसी कुँवारी गाँड़ में धंसा मोटा सुपाड़ा,...



सच में चुदती हुयी ननदें बहुत अच्छी लगती हैं और खास तौर पर जब भाभी के भाई से चुदे,... और कच्ची कसी गांड हो तो कहना ही क्या,...


और उस आधे धंसे का फायदा ये हुआ की अब वो लाख चूतड़ पटके चीखे चिल्लाये बिना आधे घंटे तक हचक के गाँड़ मारे, अंदर तक मलाई खिलाये वो निकलने वाला नहीं था.

भैया ने और नहीं धकेला बस कस के अपने दोनों हाथों से फुलवा की ननद की पतली कमरिया दबोच ली, वो छिनार खूब चूतड़ पटक रही थी, झटक रही थी पर मेरे अरविन्द भैया का , निकलने का सवाल ही नहीं था, ... थोड़ी देर में थक गयी वो तो भैया ने धक्के मारने शुरू किये और तीन चार धक्कों में सुपाड़ा अंदर,...

मुझे लगा अभी भैया धक्कापेल पेलेगा,

लेकिन बस सुपाड़ा घुसा के भैया ने छोड़ दिया, तबतक चमेलिया ने इशारा किया और मैंने फुलवा की ननद के चेहरे की ओर देखा, दर्द के मारे कहर रही थी. पूरे चेहरे पर दर्द लिखा था, किसी तरह होंठों को दांतों से दबाये थी की चीख न निकले,... हालत खराब थी बेचारी की, और अब मैं समझी की भैया रुक काहे गए

एक बार ननद रानी को पिछवाड़े का स्वाद मिल जाए, इस मोटे सुपाड़े की आदत पड़ जाये, फिर तो आना जाना लगा रहेगा, पहली बार घुसा है, याद रहेगी उसको ये फटन, अरविन्द भैया ने कस के एक बार फिर से उसको दबोचा दोनों हाथों से कमर को पकड़ा, मैंने भी और चमेलिया ने कंधो को पकड़ के दबाया, ... फिर अरविन्द भैया ने ज़रा सा मुश्किल से सूत भर बाहर निकाला और क्या जोरदार धक्का मारा और मारते ही रहे



दो बार, चार बार , पांच बार

और फुलवा की ननदिया रोती रही, चीखती तड़पती रही, क्या पानी से बाहर निकली मछली मचलेगी, तड़पेगी। बेचारी उलट पलट रही थी लेकिन मैंने और चमेलिया ने कस के उसे दबोच रखा था, कच्ची ननदियों को अपने भाई से फड़वाने में जो मजा मिलता है, उन्हें तड़पते कलपते चीखते देखते जो सुख मिलता है बता नहीं सकती,

उह्ह्ह उईईईईई माँ उययी माँ जान गयी ओह्ह माँ बहुत दर्द नहहीइ माँ
Gand marane ki tayaari joro par hai......




Ab hogi grand entry 🤩🤩🤩🤩🤩🛌🛌
 

Luckyloda

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Aur ye shuru huyi...... chikho ka daur shuru........




Majaedaar chiken..... shandaar chikhe.....


Dard wali chikhe......




Tadap wali chihke
.....




Maje wali chikhe ....... aur gali k sath chikhe.....
 

Luckyloda

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मलाई मक्खन -ननद के पिछवाड़े




" अरविन्द भइया और जोर से मार स्साली की कल तो चली ही जायेगी, इतने दिन से नौटंकी कर रही थी स्साली,... फाड़ के चीथड़े कर दे इसकी गाँड़ "


और ये कह के मैंने भैया को चूम लिया बस जैसे किसी ने एक्सीलेरेटर पर पूरी ताकत से पैर रख दिया हो, भैया ने मेरे चुम्मी का और जोश से जवाब दिया और दूनी तेजी से फच्चर फच्चर,... ननद की गाँड़ में और देखा देखी मैंने एक ऊँगली और ठेली, और चारो ऊँगली उसकी बुर में गोल गोल, अंगूठे से क्लिट और एक हाथ पीछे कर के उसकी बड़ी बड़ी चूँची दबा मसल रही थी, दूसरी चूँची चमेलिया के कब्जे में


और अबकी जब फुलवा की ननद झड़ी तो मैं रुकी नहीं बल्कि और जोर से,... थोड़ी देर में ही दो बार, तीन बार,... झड़ झड़ के वो थेथर हो गयी थी लेकिन न भैया ने गाँड़ मारने की रफ्तार की न चमेलिया ने उसके मुंह पे अपनी गाँड़ रगड़ने की,...


ननद की कसी गाँड़ में अपने भाई के मोटे मूसल के अंदर बाहर होते देखने का मज़ा ही कुछ और है। लेकिन मेरे मन में एक और शरारत आयी मैंने झुक के भैया के बांस के थोड़े से हिस्से को पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया जैसे कोई मथानी चल रहा हो और उसका असर ननद के पिछवाड़े वही होता जो मथानी चलने का होता है,...

तबतक चमेलिया भी उतर के आ गयी, और वो काम उसने अपने जिम्मे ले लिया और मैं एक बार फिर से ननद को झाड़ने,... और अब जब वो झड़ी तो फिर झड़ती रही देर तक और साथ में भैया भी ,




चमेलिया गोल गोल घुमाती रही और भैया का खूंटा पकड़ के सीधे फुलवा की ननद के मुंह की ओर

लेकिन फुलवा की ननद कम खिलाडी नहीं थी, वो समझ रही थी चमेलिया का करने वाली है उसकी गाँड़ से निकला सब कुछ उसी के मुंह में,...

फिर सब चिढ़ातीं उसको,... कैसा स्वाद लगा,... पूछतीं,...

उसने कस के मुँह भींच के बंद कर लिया, लेकिन अपनी भौजाई की फुलवा की गाँव वालियों को उसने कम समझा था, गितवा थी न उसके साथ. वो भी कम जब्बर नहीं थी.



बस गितवा ने झट से पूरी ताकत से एक हाथ से ननद के नथुने भींच लिए और दूसरे हाथ से गाल कस के दबा दिया और लगी गरियाने,


" खोल ससुरी, हमरे भैया के आगे बुर खोलने में लाज नहीं, गाँड़ फैलाने में शरम नहीं और साली तोर सारी बहिन महतारी को अपने भैया से चोदवाउ, .... मुंह खोलने में छिनरपना,... खोल नहीं तो मार मार के,... "




सांस ननद के लिए लेना मुश्किल हो गया था, एक पल के लिए उसने जरा सा होंठ खोला होगा, बस गीता ने उसके दोनों गालों को इत्ती कस के दबाया की मुंह उसने चियार दिया और चमेलिया तो तैयार बैठी बस फुलवा की ननदिया की गाँड़ से निकला लिथड़ा चुपड़ा सुपाड़ा उसने अंदर ठेल दिया,... और बस एक बार मरद का सुपाड़ा अंदर जाने की देर होती है उसके बाद तो बस, कउनो छेद हो वो बिना पूरा पेले छोड़ता नहीं और अरविंदवा तो पंचायती सांड़,

और मुंह भी फुलवा की ननद का जो महीने भर से नौटंकी कर रही थी गाँड़ मरवाने के नाम पर, उसने भी जोर लगा दिया और सुपाड़ा पूरा अंदर,...----

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866900

तो कैसा लगा ये अपडेट

फुलवा के ननद के पिछवाड़े की सेवा अगले भाग में भी जारी रहेगी और साथ में और भी बहुत कुछ


प्लीज पढ़ें , लाइक करें और कमेंट जरूर करें

Last few updates with page numbers


भाग ४८ - पृष्ठ 394 रोपनी -फुलवा की ननद

भाग ४९ पृष्ठ ४२० मस्ती -माँ, अरविन्द और गीता की

भाग ५० पृष्ठ ४३५ माँ का नाइट स्कूल

भाग ५१ पृष्ठ ४५६ भैया के संग अमराई में


भाग ५२ पृष्ठ ४७९ गन्ने के खेत में भैया के संग
Bhut shandaar update..........



Love you komal bhabhi 😘😘😘😘😘😍😍😍
 

komaalrani

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भाग ५३ -

फुलवा की ननद-अमराई का किस्सा

last update is on last page, page 495

please do read, like and comment
 

komaalrani

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Arvind ne kya sahi time par entry kari hai......



Ab to pichwade m bhi entry pakki hai......



🤣🤣🤣🤣👌👌👌
Ekdam aur vo bhi dhoom dhadake ke saath , sood byaj jod ke
 

komaalrani

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उफ्फ, लाजवाब, हमेशा की तरह
Thanks so much, you are the first to post comment and if you have missed any previous posts i have provided Index on the first page, please do check.
 

komaalrani

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Jese bhabhiyo ka kam hota he nanand ki fadvana. Yaha vo geetva kar rahi he. Bahot maza aa raha he. Amezing.
Ekdam sahi kaha aapne so much thanks for your support and help, koyi bhi thanks kam hoga:thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you::thank_you:
 
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छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

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यह कहानी सीक्वेल है, मेरी एक छोटी सी लेकिन खूब मज़ेदार और गरमागरम होली की कहानी, मज़ा पहली होली का ससुराल में, जी अभी उसकी लिंक भी दूंगी , उसके पहले पेज को रिपोस्ट भी करुँगी, लेकिन उसके पहले इस कहानी की हलकी सी रूपरेखा, जिस कहानी से जुडी है ये कहानी दो चार लाइनें उसके बारे में,

तो इस कहानी में, जुड़ाव बनाये रखने के लिए, पहली कहानी के दो चार प्रसंग, जिनसे
छुटकी का और इस कहानी के जुड़े चरित्रों का जुड़ाव है वो पूर्वाभास के तौर पर दूंगी, जिससे छुटकी और उसके जीजा की होली, कैसे और क्यों आयी छुटकी अपनी दीदी के गाँव में , वो सब कुछ कुछ साफ़ हो जाए,

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हालांकि मैं तो चाहूंगी की इस होली में आप मूल कहानी को भी एक बार पढ़ लें, अगर पढ़ी हो तो भी तो थोड़ी फगुनाहट, होली का सुरूर चढ़ जाएगा, लेकिन चलिए मैं दो चार बातें उस कहानी के बारे में भी बात देती हूँ, जिस का यह सीक्वेल है.

मज़ा पहली होली का ससुराल में, शादी के बाद की मेरी पहली होली की कहानी है , इनकी भी। मेरी ससुराल में ननदों , ननदोई, देवरों और सास के साथ कैसी पहली होली हुयी और इनकी अपनी ससुराल में सालियों, सलहज, और सास के साथ कैसी होली पड़ी दोनों ही. चलिए पहले पात्र परिचय करा दूँ, फिर आगे की बात , तो ससुराल में मेरे ये है और इनकी दो बहनें , एक शादी शुदा जो होली में नन्दोई जी के साथ अपने मायके आयी थीं, मेरी ही समौरिया, और दूसरी छोटी ननद , जो मेरी छोटी बहन, छुटकी जैसी ही. देवर कोई नहीं है, लेकिन होली में तो सारा गाँव नयी भौजाई के लिए देवर हो जाता है, और मेरी जेठानी और सास। मायके में मेरी माँ, और दो छोटी बहने, मंझली जो बोर्ड का इम्तहान दे रही थी और छुटकी, उससे छोटी।

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तो पहले दिन की होली मैंने अपनी ससुराल में मनाई और उसी शाम को ट्रेन से हम लोग इनकी ससुराल को चल दिए, और अगली सुबह वहां मेरी दोनों छोटी बहने इनसे होली खेलने के लिया एकदम बौराई थीं, और मेरी सगी तो नहीं लेकिन सगी से बढ़कर, भाभी, इनकी सलहज भी अपने नन्दोई का साथ दे रही थी। तो ससुराल में पहले दिन ही इन्होने अपनी मंझली साली का नेवान कर दिया, रात में सास के साथ सफ़ेद पिचकारी वाली होली खेली, और अगले दिन छुटकी की दो सहेलियां आयी थीं, उन दोनों के साथ, ... छुटकी बहुत घबड़ा रही थी, लेकिन उसकी भाभी,... अपने नन्दोई के साथ मिलकर तो होली में किस साली की बचती है, अगर ननदोई सलहज एक साथ हो जाएँ तो उसकी भी नहीं बची.

ये चाह रहे थे की छुटकी हम लोगों के साथ चले, और इनके साथ मेरे नन्दोई भी, मैंने छुप के दोनों का पूरा प्रोग्राम सुना था. पर इनकी सास तो अपने दामाद से भी दो हाथ आगे थीं , वो खुद,... तो दो दिन एक रात जो ससुराल में इन्होने बितायी होली की मस्ती के साथ, और अगली रात को जो हम इनके गाँव लौटे तो साथ में इनकी छोटी साली भी,

बस तो ये कहानी उसी ट्रेन यात्रा से शुरू होती है,...

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तो आशा रहेगी, मुझे आपके साथ की, प्यार की दुलार की और आपके कमेंट्स की , जो हर कथा यात्रा के लिए पाथेय की तरह है,....

तो बस शुरू करती हूँ और सबसे पहले जिस कहानी का यह सीक्वेल है उसका पहला पन्ना , एक झलक के तौर पर,




पूर्वाभास - पृष्ठ १ और २

भाग १ -पृष्ठ ५ छुटकी - होली, दीदी की ससुराल में

भाग २ पृष्ठ ८ छुटकी -बंधे हाथ, ट्रेन में

भाग ३ पृष्ठ १३ चाय चाय

भाग ४,
पृष्ठ १९ छुटकी का पिछवाड़ा और नन्दोई जी का इरादा


भाग ५ - पृष्ठ २२ गोलकुंडा पर चढ़ाई- चलती ट्रेन में

भाग ६ --पृष्ठ २९ -३० रात भर ट्रेन में, सटासट,...

भाग ७ पृष्ठ ३५ रेल में धक्क्म पेल

भाग ८ पृष्ठ ४० छुटकी पहुंच गयी जीजा के गाँव


भाग ९ -पृष्ठ ४६ मेरी सास

भाग १० --पृष्ठ ५० ननद, नन्दोई और छुटकी का पिछवाड़ा


भाग ११ - पृष्ठ ५३ सासू , ननदिया ( नैना ) का महाजाल

भाग १२ - पृष्ठ ५८ दो बहेलिये ( सासू और नैना ननदिया)

भाग १३ -पृष्ठ ६२ पूरा गाँव,... जीजा

भाग १४ पृष्ठ ६६ देवर मेरे

भाग १५ पृष्ठ ७२ चंदू देवर


भाग १६ -पृष्ठ ७७ फागुन का पहला दिन- देवर भौजाई

भाग १७ -पृष्ठ ८१ छुटकी - प्यार दुलार और,...

भाग १८ - पृष्ठ ८७ चुन्नू की पढ़ाई

भाग १९ - पृष्ठ ९१ ननदों भौजाइयों की रंगभरी कबड्डी

भाग २० -पृष्ठ ९३ छुटकी की हालचाल

भाग २१ - पृष्ठ ९९ छुटकी पर चढ़ाई -

भाग २२ पृष्ठ १०३ रात बाकी


भाग २३ पृष्ठ १०९ नई सुबह

भाग २४ पृष्ठ ११३ देवर भाभी की होली

भाग २५
पृष्ठ १२१ छोटा देवर - कैसे उतरी नथ चुन्नू की



भाग २६ पृष्ठ १२७ पिलानिंग - कच्ची ननदों की लेने की

भाग २७ पृष्ठ १३२ और छुटकी की होली




भाग २८ पृष्ठ १३६ - किस्सा इन्सेस्ट यानी भैया के बहिनिया पर चढ़ने का- उर्फ़ गीता और उसके भैया अरविन्द का


भाग २९ पृष्ठ - १४५ इन्सेस्ट का किस्सा -तड़पाओगे, तड़पा लो,... हम तड़प तड़प के भी

भाग ३० पृष्ठ १५२ किस्सा इन्सेस्ट का, भैया और बहिनी का -( अरविन्द -गीता ) दूध -मलाई
भाग ३१ पृष्ठ १६५ किस्सा इन्सेस्ट का,-रात बाकी बात बाकी


भाग ३२ पृष्ठ १७८ इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता,-सुबह सबेरे

भाग ३३ पृष्ठ २०० अरविन्द और गीता की इन्सेस्ट गाथा सांझ भई घर आये
भाग ३४ पष्ठ २१४ इन्सेस्ट कथा - चाची ने चांदनी रात में,...

भाग ३५ पृष्ठ २२५ फुलवा

भाग ३६ - पृष्ठ २३६ इन्सेस्ट किस्सा- मस्ती भैया बहिनी उर्फ़ गीता -अरविन्द की

भाग ३७ - पृष्ठ २५० इन्सेस्ट कथा - और माँ आ गयीं
भाग ३८ पृष्ठ २६० मेरे पास माँ है
भाग ३९ - पृष्ठ २७१ माँ, बेटा, बेटी और बरसात की रात
भाग ४० पृष्ठ २८६ इन्सेस्ट गाथा - गोलकुंडा पर चढ़ाई -भाई की माँ के सामने
भाग ४१ पृष्ठ ३०३ इन्सेस्ट कथा - मामला वल्दियत का उर्फ़ किस्से माँ के
भाग ४२ पृष्ठ ३१७ इन्सेस्ट कथा माँ के किस्से,
भाग ४३ पृष्ठ ३२९ इन्सेस्ट कथा- माँ के किस्से, मायके के
भाग ४४ पृष्ठ ३४१ रिश्तों में हसीन बदलाव उर्फ़ मेरे पास माँ है

भाग ४५ पृष्ठ ३४८ गीता चली स्कूल

भाग ४६ पृष्ठ ३६३ तीन सहेलियां खड़ी खड़ी, किस्से सुनाएँ घड़ी घड़ी

भाग ४७ पृष्ठ ३७५ रोपनी

भाग ४८ - पृष्ठ 394 रोपनी -फुलवा की ननद

भाग ४९ पृष्ठ ४२० मस्ती -माँ, अरविन्द और गीता की


भाग ५० पृष्ठ ४३५ माँ का नाइट स्कूल

भाग ५१ पृष्ठ ४५६ भैया के संग अमराई में

भाग ५२ पृष्ठ ४७९ गन्ने के खेत में भैया के संग


भाग ५३ - पृष्ठ ४९५ फुलवा की ननद
Achhi suruaat hai
 
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