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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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40 Min ki non stop mehnat ke baad nanad ko bhi aram chahiye. Bechari thak gyi hogiगोलकुंडा पर चढ़ाई फिर से
गितवा ने अरविन्द के कानों में कुछ कहा, जैसे ही चमेलिया ने अपनी दोनों ऊँगली बाहर निकाली, बस गितवा ने ननद रानी की बुरिया में घुसे अपने भैया के लंड को बाहर निकाल के सीधे ननद की गाँड़ के अंदर और जब तक वो समझे
गप्पाक, ...सुपाड़ा पहले ही धक्के में अंदर
उह्ह्ह आह नहीं बहुत दर्द हो रहा है जान गयी आरी माँ,... फुलवा की ननदकी चीखे चालू हो गयी और चमेलिया का चिढ़ाना भी
" अरे बार बार काहें माई माई बोल रही हो, माई क गाँड़ मरवावे क हो का "
पांच दस मिनट में पूरा खूंटा अंदर था और अब गितवा भी मैदान में आ गयी, फुलवा की ननद से बोली
" हे ननद छिनार तू तो खूब मजा ले रही और मैं सूखी सूखी, चल चाट हमार, चूस कस के " और दोनों टाँगे फैला के
खुद ही गितवा ने फुलवा की ननद का सर अपनी चिकनी चमेली में लगा लिया , और अब कोई रस्ता बचा था क्या कुछ देर में ही चूसम चुसाई चालू हो गयी , ये सब ट्रिक माँ ने ही सिखाई थी, गितवा निहुर के अपने सगे भैया से गाँड़ मरवाती, बुर चुदवाती और साथ में माँ की बिल की चुसाई भी, माँ भाई दोनों का मजा एक साथ,...
गितवा ननद का मुंह अपनी बुरिया पे रख के चुसवा रही थी,
गितवा का भाई अरविन्द हचक हचक के गांड मार रहा था '
फुलवा की ननद की और फुलवा की छुटकी बहिनिया चमेलिया गितवा के भाई के पीछे खड़ी अपनी छोटी छोटी चूँची उसके पीठ पर रगड़ रही थी,
तिझरिया हो रही थी, मस्त पुरवाई चल रही थी, हवा भीगी भीगी थी नमी थी लगा था कहीं पास में ही पानी बरस रहा है। बादल यहाँ भी घिरे हुए थे,... काले काले जी को डरवाने वाले, लेकिन मस्ती करने वालों को मस्ती के आगे कुछ नहीं दिखता। यही महीने भर भी नहीं हुआ था की दोनों में इतनी झिझक शरम लाज, अरविन्द बाथरूम में अपनी छोटी बहन की ब्रा में मुट्ठ मारता, और गितवा वही सड़के से गीली ब्रा पहन के भाई दिखाती ललचाती, और आज,
चमेलिया ने अरविंद को बोला रुक जाओ और अरविन्द ने अपना लंड आलमोस्ट बाहर तक निकल लिया और सिर्फ सुपाड़ा अंदर धंसा, और चमेलिया बोली
हे दीदी की ननद, कुल मेहनत हमार भाई करेंगे अबकी पहली बार नहीं मरवा रही हो , चलो अब आगे पीछे कर के लंड घोंटो, ...
बुर चुसवाती गितवा भी बोली,
अरे ननद रानी कुछ नहीं करना है ज़रा पीछे की ओर धक्का मारो न,
कुछ देर तक तक फुलवा की ननद झिझकी फिर खुद ही पीछे धक्का मार के धीरे धीरे पूरा खूंटा घोंट गयी
और गितवा चमेलिया खिलखिला रही थीं।
और चिढ़ा रही थीं, काहो ननद रानी मज़ा आ रहा है भैया से गाँड़ मरवाने में केतना नखड़ा पेल रही थी और एक बार लंड घोंट ली न तो खुदे उचक उचक के उछल के मरवा रही हो। अरे तोहार और कौन बहिनिया गरमाय हो तो भेज दिया यहाँ,...
लेकिन कुछ देर में अरविंदवा से नहीं रहा गया उसने निहुरि हुयी फुलवा की ननदिया की दोनों उभरती हुयी चूँची पकड़ी और हचक हचक के उसकी गाँड़ मारने लगा, स्साली उसे बहुत भैया क सार कह के चिढ़ाती थी, पिछवाड़ा मरवाने के नाम पे कितना नाटक करती थी और आज वैसे भी आखिरी दिन है कल भोर भिनसार चली जायेगी, ...
जितना जोर से वो धक्के मार रहा था उतनी ही कस के उसकी छुटकी सगी बहिनिया गितवा फुलवा की ननद का मुंह अपनी दोनों जाँघों के बीच सटाये उसे गरिया रही थी,
" अरे छिनार तोहरी महतारी के गदहन से चोदवावे से फुरसत नहीं मिलती की का बिटिया को भेजने के पहले तानी ढंग से बुर गाँड़ चाटना चूसना सीखा दें , खाली महतारी क देखा देखी लंड चूसना , गाँड़ मरवाना सीखी हो , अरे चूस कस के झाड़ जल्दी,... "
चमेलिया पीछे से अरविन्द से चिपकी कभी अपनी छोट छोट चूँची उसके पीठ पे रगड़ती कभी शैतानी से अपनी जीभ अरविन्द के कान में तो कभी हलके से ईयर लोब्स काट लेती, कभी नाख़ून से उसके मेल टिट्स छेड़ देती और अरविन्द जोश में आके दुगनी ताकत से कुतिया बनी, निहुरी फुलवा की ननद की गाँड़ फचर फचर मार रहा था।
कुछ देर तक तो ऐसे ही चलता रहा फिर चमेलिया ने एक बदमाशी और की, अपनी दोनों टांगो को फंसा के फुलवा की ननद की टांगो को पहले तो खूब फैला दिया और जब अरविन्द का लंड एकदम अंदर तक धंसा था तो फिर अपनी दोनो टांगों को कैंची की फाल के तरह सिकोड़ के फुलवा की ननद की टांगों को एकदम चिपका दिया, नतीजा ये हुआ की उसके चूतड़, छेद सब चिपक गए एकदम टाइट, और जब अरविन्द ने धीरे धीरे बाहर निकाल के फिर पूरी ताकत से एकदम कसी गाँड़ में पेला तो बस जान नहीं निकली और सब हो गया,
छरछराते परपराते, दरेरते,... गाँड़ का छल्ला तो अच्छी तरह छिल गया,...
लेकिन वो रो कलप भी नहीं सकती थी मुंह तो गितवा की बिल में और गितवा ने पूरी ताकत से सर पकड़ रखा था,..
और पांच सात मिनट चाटने के बाद जब गितवा झड़ी तो उसने पकड़ ढीली की
लेकिन अरविन्द तो एक बार झड़ चूका था दुबारा जयादा टाइम लगना ही थी तो पूरे चालीस मिनट बाद ही फुलवा की ननद की गाँड़ में कटोरी भर मलाई पूरी की उड़ेल दी।
ये कहने की बात नहीं की पिछवाड़े से निकाल के अरविंदवा ने मूसल कहाँ पेला, अबकी न चमेलिया न गितवा और फुलवा की ननद ने खुद ही मुंह खोल दिया।
,
लेकिन उसके बाद चमेलिया और गितवा ने ब्रेक अनाउंस कर दिया।
दो बार के बाद अरविन्द को रिचार्ज होने में टाइम लगना ही था , गितवा उससे बोली,... भैया फुलवा की ननद क बहुत मजा ले लिए अब थोड़ी देर आराम कर लो पेड़ के नीचे,...
Lajab komal ji. Apki stories me sab variety mil jayegi jisko jo pasanad aa jaye. Bura mt manna but mujhe yeh sunheri sharbat or besan ka halwa yeh jyada achhe nhi lgte. Pta nahi kyun. Shayad yeh jyada commin nhi h isliye. Baki padhte to fir bhi hai chhodte kuchh nhiननद एक और,...
मस्ती गीता , चमेलिया की
लेकिन उसके बाद चमेलिया और गितवा ने ब्रेक अनाउंस कर दिया।
दो बार के बाद अरविन्द को रिचार्ज होने में टाइम लगना ही था , गितवा उससे बोली,... भैया फुलवा की ननद क बहुत मजा ले लिए अब थोड़ी देर आराम कर लो पेड़ के नीचे,...
और गितवा फुलवा की ननद से बोली, हे ननद रानी हमारे भैया से बहुत मजा ले ली अब चलो हम दोनों की सेवा करो थोड़ी। "
अरविन्द भैया बहुत मजा ले लिए ननद का, अब हम दोनों का नंबर है तू वहीँ पेड़ के नीचे बैठ के खेल तमाशा देखा " गितवा बोली,
और चमेलिया ने हल्का सा धक्का मार के फुलवा की ननद को मिट्टी में गिरा दिया जहाँ थोड़ी देर पहले निहुरा के उसकी जबरदस्त गाँड़ मारी गयी थी। और जब तक फुलवा की ननद सम्हले सम्हले चमेलिया उसके ऊपर और दोनों घुटनों से उसकी दोनों जाँघों को दबा के, अपनी चूत से उसकी चूत रगड़ती, और बोली
" हे हमरे भैया लोगन क त बहुत मजा ले लिया अब तनी अपनी फुलवा भौजी के बहिनियों का जोर देखला। "
और क्या जोर से वो अपनी चूत से उसकी चूत रगड़ रही थी, चमेलिया,
गितवा उसके सर की ओर और अपनी दोनों जाँघों को फैला के सीधे अपनी बुर उसकी मुंह पे सटा के बोली
फुलवा की ननद रानी हमरे अरविन्द भैया क लंड तो खूब चूस रही थी तनी उनकी बहिनिया गितवा क बुर अब चूसा। और बिना झड़े मैं उतरूंगी नहीं,...
फुलवा की जीभ जैसे कुछ देर पहले चमेलिया के पिछवाड़े घुसी थी अब गितवा की बिलिया में और एक चूँची उसकी चमेलिया के हाथ में एक गितवा के चमेलिया पक्की इसी अमराई की सीखी सिखाई, क्या उसकी बहन फुलवा को, फुलवा की ननद के भाई ने धक्के लगाए होंगे जिस तरह से वो अपनी चूत से फुलवा की चूत घिस रही थी, फिर उसको एक बदमाशी सूझी,
" हे ननद रानी, भैया के सार क तो खूंटा ले ली हो दो दो बार तो तनी अपनी भौजी क छुटकी बहिनिया क ऊँगली का भी मजा ले लो, पिछवाड़े,... "
और जब तक फुलवा क ननद समझे सम्हले चमेलिया ने पहले एक फिर दो और बाद में तीन ऊँगली दीदी की ननद के पिछवाड़े पेल दी, वो बिचारीचीख चिल्ला भी नहीं सकती थी,...
उसके मुंह में गितवा अपनी बुरिया रगड़ रही थी,
चमेलिया कम बदमाश नहीं थी फिर दीदी की ननद मिल जाए तो, अंगुली घुसाने के साथ उसने कैंची की फाल की तरह पहले तो उसी पूरी तरह फैला दिया फिर पिछवाड़े ननद रानी के गोल गोल,... बुर चुसवाती गितवा भी समझ गयी की चमेलिया क्या बदमाशी कर रही है , वो छेड़ते हुए बोली
" चमेलिया ये तो बड़ी नाइंसाफी है पिछवाड़े पहले मोटा मूसल गया अब तीन तीन ऊँगली और आगे,... "
" अरे तो ननद तो तोहार भी है करो न खातिर कल चल जायेगी ,... " हचक के तीन ऊँगली से गाँड़ मारत्ते चमेलिया बोली।
बस अब आगे गितवा ने पेला, सावन से भादों दूबर, उसने भी तीन ऊँगली अंदर,...
अरविन्द आम के पेड़ के नीचे बैठा अपनी सगी छोटी बहन गीता की बदमाशी देख रहा था, मस्ता रहा था,
" ऊँगली निकलवाना हो तो तो चूस चूस के झाड़ा पहले " हचक के पेलते गितवा बोली।
गितवा और चमेलिया तो दोनों झड़ी लेकिन फुलवा की ननद को वो झड़ने नहीं दे रही थीं। जब वो झड़ने के नजदीक होती कभी क्लिट पे चिकोटी काट ले तो कभी निपल कस के मरोड़ देतीं,
और झड़ने के बाद दोनों ने पोज़िशन बदल ली,
लेकिन चमेलिया ने एक बदमाशी और की, गितवा के ऊपर से हटते ही जैसे फुलवा की ननद ने मुंह खोला, सीधे उसके पिछवाड़े से निकली तीन उंगलिया चमेलिया ने खुले मुंह में ठेल दी,... अरे स्वाद ले लो, इतनी देर में भुलाय गयी होगी।
अब चमेलिया उससे अपनी बुर चुसवा रही थी और गितवा अपनी बुर से फुलवा की ननद के बुर पे घिस्से मार रही,
दिन दहाड़े, गझिन अमराई में, खूब मस्त नम नम हवा चल रही थी, काले बादल छाए हुए थे लग रहा था पानी अब बरसा तब बरसा और ऐसे मौसम में आदमी तो छोड़िये गाँव में जानवर भी बाहर नहीं निकलता। और वो चारों यहाँ,... अरविन्द कुछ दूर बैठा हुआ टुकुर टुकुर तीनों लड़कियों की मस्ती देख रहा था ,...
गलती से उसने अपना तन्नाता खूंटा छुआ तो एक साथ दो दो आवाजें गरजीं,
गितवा और चमेलिया दोनों एक साथ बोलीं,... " खबरदार जो उसको छुआ, ... बहने क्यों होती हैं, और अभी तो फुलवा की ननद छिनार भी है "
अरविन्द ने हाथ हटा लिया और अब चमेलिया गितवा से हंस के बोल रही थी,...
" हे फुलवा की ननद आखिर हम लोगन क मेहमान है और हमरे भाई को इतना मजा देती है और हम दोनों एक बूँद पानी भी नहीं पूछे, केतना पियास लगी होगी उसको,... "
गितवा कौन कम, जोर जोर से फुलवा की ननद की क्लिट पे अंगूठा रगड़ती बोली,
" अरे अरविन्द भैया दो दो बार जो रबड़ी मलाई खियाये हैं भले पिछवाड़े से गया तो इस छिनार के पेट में ही फिर कैसे मस्ती से मक्खन चाट रही थी भैया के खूंटा से ये,... लेकिन पियास की बात तो सही है, पियाय दो न,... और प्यासी को पानी पिलाने से बहुत पुण्य मिलता है,... और पूछने की का जरूरत है "
" क्यों पीयेगी शरबत,.. ... बोलो न दीदी की ननदिया, याद रहेगा यह स्वाद,... " चमेलिया ने कस के अपनी खुली फैली बुर उसके मुंह पे रगड़ते बोला,...
और कस के उसका सर पकड़ के
और और
सुनहरी बारिश, पहले बूँद बूँद, ... फिर हलकी धार,... ननद के खुले मुंह में
गितवा ने भी दोनों हाथों से झुक के फुलवा की ननद की दोनों कलाई जकड़ रखी थी, हिल भी नहीं सकती थी और चमेलिया ने सर,... होली में तो कोई भौजाई किसी ननद को छोड़ती नहीं थी बिना ' पिलाये', लेकिन जब ननद हो तो सावन में भी फागुन हो जाता है,
थोड़ी देर बाद फिर ड्यूटी बदली और अबकी एक बार फिर गीता फुलवा की ननद से अपनी बुर चटवा रही थी उसके ऊपर चढ़ी और उसने इशारे से अरविन्द को बुलाया,... आधे घंटे से ये सब खेल तमाशा देख के उसकी हालत ख़राब
और गप्प से अरविन्द का लंड उसकी सगी छोटी बहन ने गप्प कर लिया.
Bahut badhiya komal ji. Fulwa ki nanad ko yeh safar yaad rahega. Lekin is baar bhi fulwa ke dwara baatin ki kami khal rhi hai. Sab baaten geeta or chamoli kr rahe haiअमराई में मस्ती
अबकी एक बार फिर गीता फुलवा की ननद से अपनी बुर चटवा रही थी उसके ऊपर चढ़ी
और उसने इशारे से अरविन्द को बुलाया,... आधे घंटे से ये सब खेल तमाशा देख के उसकी हालत ख़राब
और गप्प से अरविन्द का लंड उसकी सगी छोटी बहन ने गप्प कर लिया.
------गितवा ने कितनी बार भैया का गन्ना चूसा होगा और अब तो खुले में भी, लेकिन अपनी दो दो सहेलियों के सामने, दिन दहाड़े अमराई में चूसने का मज़ा वो पहली बार ले रही थी लेकिन उसका उसे कोई फर्क नहीं पड़ा बस वो मस्ती से अपनी बूर फुलवा की ननद के मुंह पे कस के रगड़ते अपने सगे भाई का लंड कस कस के चूसने में मगन थी, ...
" हे अकेले अकेले " चमेलिया ने चिढ़ाया, और जैसे कोई सहेली लॉलीपॉप चूसते हुए सहेली की ओर बढ़ा देती है गितवा ने भी चमेलिया की ओर, थोड़ी देर दोनों बारी बारी से फिर तो साथ साथ, सुपाड़ा चमेलिया के मुंह में तो साइड से गितवा चाट रही है।
चूस चूस के जब गितवा को फुलवा की ननद ने झाड़ दिया तभी गितवा उसके ऊपर से उठी। गितवा और चमेलिया दोनों चार चार बार झड़ चुकी थी लेकिन फुलवा की ननद को एक बार भी नहीं झड़ने दिया दोनों सहेलियों ने
फुलवा की ननद बोली भी,... कमीनियों एक बार तो मुझे झाड़ दिया होता पागल हो रही है मेरी चुनमुनिया,... तो हंस के गितवा ने चिढ़ाया,
" अरे तो हमरे अरविन्द भैया का लंड भी पागल हो रहा है तेरी गाँड़ के लिया मरवाय लो,... "
और अबकी खड़े खड़े, चमेलिया और गितवा दोनों ने पकड़ के फुलवा की ननद को आम के पेड़ से सटा के,,
चल पकड़ ले पेड़, गितवा बोली, एकदम वैसे ही जैसे उसके भैया ने इसी पेड़ के सहारे उसे पहली बार पेला था. फरक ये था की गितवा ने अपने अरविन्द भैया का खूंटा पकड़ के फुलवा की ननद के पिछवाड़े वाले छेद पे सेट किया, ... और क्या ताकत थी क्या धक्का मारा भैया ने की फुलवा की ननद की चीख पहले धक्के में ही गूँज उठी पूरी अमराई में
ओह्ह्ह उईईई नहीं फट गयी ,... वो रो रही थी
" स्साली नौटंकी, फट तो तेरी उस दिन रोपनी में ही गयी थी, भौजी के गाँव आयी थी तो क्या कोरी ले के आयी थी कोरी ले के जाती अरे तेरी फुलवा भौजी का गाँव है और दो बार गाँड़ भी मरवा चुकी है अभी भी रो रही है "
चमेलिया ने चिढ़ाया, ...
लेकिन बात असल ये थी की अबकी अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों साथ साथ रगड़ा जा रहा था पिछवाड़े तो मोटे लंड का धक्का खा रही थी लेकिन वो बात नहीं छेद बने इसी काम के लिए होते हैं, इसी के लिए तड़पते तरसते हैं लेकिन उसकी दोनों चूँचियाँ भी आम के पेड़ की छाल से हर धक्के से रगड़ खा रही थी,
पर चमेलिया चाहती भी यही थी, फुलवा की ननद के देह पे यहाँ से जाने के हफ्ते दस दिन तक निशान रहे और उसके सारे गाँव वालों को मालूम हो जाये, ... खूब चिपका के रगड़ के पूरी ताकत से अरविंद धक्क्के पर धक्के मार रहा था, तीनों लड़कियों की शरारत खास तौर से उसकी सगी छोटी बहन गीता की मस्ती देख के उसकी भी हालत खराब हो रही थी,
दस पंद्रह मिनट ऐसे ही गाँड़ मारने के बाद, ... वहीँ आम की बाग़ में जमीन पे लिटा के पेट के बल, पीछे से उसके ऊपर चढ़ के रगड़ रगड़ के अरविन्द
और गितवा चमेलिया फुलवा की ननद को चिढ़ा रही थीं, उससे उसके माई को बाप को भाई को बहन को खूब गन्दी गन्दी गाली एक से एक दिलवाई दसो बार
,... और तब जाके अरविन्द को बोला और उसने पलट के फुलवा की ननद को करवट कर के,...
और जैसे नाउन शादी में गाँठ जोड़ती है, गितवा ने अपने सगे भाई का खूंटा पकड़ के फुलवा की ननद के पिछवाड़े सटाया और अरविन्द ने जो धक्का मारा की मूसल अंदर।
तीसरी बार अरविन्द ऐसे साइड से फुलवा की ननद के पिछवाड़े झड़ा।
3th and 4th round to apne bahut short me samapt kr diya. Jabki 3 and 4 me to or jyada time lgna chahiye. Last wale to me ghnte bhar railgadi chali hogiफुलवा की ननद-घर वापसी
तीसरी बार अरविन्द ऐसे साइड से फुलवा की ननद के पिछवाड़े झड़ा। फुलवा की ननद अब उठने के लायक भी नहीं रह गयी थी बार बार कह रही थी अब बस
चमेलिया और गितवा बोलीं
" तीन बार नहीं कम से कम चार बार "
एक बार फिर दोनों सहेलियों ने चूस के भाई का लंड मिल के खड़ा किया और फुलवा की ननद की बोला
" चल स्साली चढ़ "
वो समझी की ऊपर चढ़ के चुदवाने की बात हो रही है लेकिन गितवा पहले से तैयार थी उसने ऐन मौके पे अपने भाई का खूंटा बजाय आगे के पीछे की ओर सटा दिया, ऊपर से चमेलिया ने बहन की ननद के दोनों कंधे पकड़ के दबा दिए,...
एक बार फिर से चीख पुकार
कुछ देर तक तो अरविन्द उसकी कमर पकड़ के कभी नीचे करता कभी नीचे से धक्का मारता, लेकिन गीता ने मना कर दिया नहीं अब ये खुद ऊपर नीचे चढ़ उतर के मरवाएँगी,... वरना अंदर ऐसी ही पेल के रखना,
बेचारी फुलवा की ननद , लेकिन कुछ देर के बाद उसने हलके हलके ऊपर नीचे हो के मरवाना शुरू किया दोनों हाथ जमीन पे रख के पुश कर के ऊपर होती, फिर धीरे धीरे सरकती हुयी नीचे, जिस गाँड़ में इस अमराई में आज घुसने के पहले ऊँगली घुसने में मुश्किल होती थी वो आज खुद कलाई ऐसा मोटा ऊपर नीचे कर के घोंट रही थी।
जब अरविन्द चौथी बार फुलवा की ननद की गाँड़ में झडा तो बेचारी खड़ा होने कौन कहे, उठने की हालत में नहीं थी, चमेलिया और गितवा ने उसे कपड़े पहनाये, ...पहनाये क्या देह पर टांग दिए,
लेकिन चमेलिया को एक बदमाशी सूझी वो बोली
" अरे ननद रानी अपने पिछवाड़े क स्वाद तो भैया क खूंटा से हमरे ऊँगली से ले लिया , हमरे पिछवाड़े क खुदे मुंह से चूस के तो ये गितवा बची है,... और जब तक गितवा समझे, चमेलिया की ऊँगली उसके पिछवाड़े और वहां से ननद के मुंह में
और उन दोनों के सहारे से किसी तरह फुलवा की ननद वापस लौटी,
सांझ हो चुकी थी।
जमीन पर एक कदम रखते ही जोर की चीख निकलती,... पिछवाड़े से अभी भी रह रह के सड़का टपक रहा था गालों पर जोबन पर दांतों के नाख़ून के निशान
गितवा की माँ भी फुलवा की माँ के घर के बाहर खड़ी थी,...
समझ तो दोनों गयीं की ये बुरी तरह से गाँड़ मरवा के आ रही है और खुश भी हुयी लेकिन गितवा की माँ ने पूछ ही लिया
" अरे ये का हुआ, ये तोहार हालत,... "
फुलवा की ननद की तो दर्द से हालत खराब थी, गुस्से से फुलवा की माँ की ओर इशारा करते बोली,
" और कौन करेगा, इनके दामाद ने,... चला नहीं जा रहा, कल सबेरे भिन्सारे वापस जाना है , एक कदम तो उठ नहीं रहा है कैसे गाँव जाउंगी अपने "
" अरे तो जिसने ये हालत किया है वही ले जायेगे पहुंचाएगा,... "गितवा की माँ मुस्कराते हुए बोली
तब तक अरविन्द कहीं दिख गया और गितवा की माँ ने उसे जोर से बुलाया,...
" सुन कल भिन्सारे, अपनी फटफटिया पे इसको फुलवा के ससुरारी, पीछे बैठा के, और हाँ बहिनयोरे जा रहे हो खाली हाथ नहीं जाना चाहिए,... अभी जा के पांच सेर मिठाई ले आना , ... "
" बस , हो गया न फटफटिया पे टांग फैलाये रखना दोनों " चमेलिया ने चिढ़ाया
" और अरविन्द भैया को कस के पकडे रखना " गितवा क्यों छोड़ देती।
फुलवा की माँ बोली अरे तो फैलाये रहेगी न टांग कौन बड़ी बात है और बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान दबायी ,...
अगले दिन जब फुलवा की ननद जा रही थी तो गितवा भी आयी और फुलवा की ननद उसे ऐसे गले भेंट के मिली जैसे कोई सगी बहन हो,... और वादा भी किया की बस होली ख़तम होने के चार पांच दिन बाद वो आएगी और फिर महीना भर रहेगी,...
और मामला भी साफ़ किया , दसवे का इम्तहान,... कउनो स्किम है की जो लड़की दस पास कर लेती हैं उनको कउनो कन्या योजना में दस हजार मिलता है तो बड़े मास्टर बोले हैं की बस इम्तहान मैं दे दूँ पास कराने का जिम्मा उनका,...
पीछे से चमेलिया ने अपनी बहन के ननद के दोनों जोबन दबाते हुए कहा, और पास कराई में ये मास्टर जी को दे देना,..
लेकिन इम्तहान के बाद , फुलवा की ननद ने हामी भरते हुए कहा, ... कॉपी वापी पे खाली हम नाम लिखे देंगे बाकी गुरु जी,...
अरविंद इन्तजार कर रहा था और फुलवा की ननद फटफटिया पर पीछे बैठ के चल दी,...
गीता थोड़ी देर चुप रही
फिर मुस्कराते हुए बोली तुम पूछती रहती हो ने ये कहाँ सीखी कैसे तो चलो बता देती हूँ माँ ने ही,...
,... लेकिन मुझे उन्होंने जो चीजें सिखायीं न,... हम लोगों के बीच रिश्ता माँ बेटी से बढ़ के सहेली का हो गया था,... हम दोनों बिना बात के खिलखिलाते रहते थे, देर तक बतियाते, माँ अपने मायके की, शादी के बाद की, और मैं भी स्कूल की, सहेलियों की, कुछ भी माँ से छुपाती नहीं थी। और माँ ने वो बातें बतायीं, वो सिखाया,... जो एक औरत ही,... " ये कह के गीता खिलखिलाने लगी.
और छुटकी के मन में और उत्सुकता बढ़ गयी, बताओ न दीदी, ... मुझसे क्या छिपाना।
गीता ने उसे गले से लगा लिया और चूम के बोली, " बुद्धू, ये बताने से ज्यादा सिखाने की चीज है, लेकिन चल तुझे भी सिखा दूंगी। "
और बताना शुरू किया, की माँ ने उसे कैसे बताया था की क्या क्या जोबन पे लगाएं क्या एक्सरसाइज करें की जोबन हरदम तने कड़े रहें,... चाहे जितना दबवाओ, मिसवाओ,... और माँ के खुद उन्होंने तो हम दोनों को दूध पिलाया था लेकिन अभी भी बिना ब्रा के एकदम टनाटन रहते थे उनके, हरदम तने खड़े,... मालिश का तरीका, बाहर से नीचे की ओर से हलके हाथ से ऊपर की ओर और एक खास् तेल था उनके पास, दस बाहर जड़ी बूटियां पड़ी थी उसमें, और उस तेल को बनाने का तरीका भी मुझे सिखाया था। पहले तो हर दूसरे तीसरे दिन में मेरे उभारों पे वो तेल लगा के, फिर खुद मुझे बोलतीं की मैं उनके सामने करूँ , हफ्ते भर में मैं पक्की हो गयी और चुनमुनिया का भी,.. "
छुटकी अपने को रोक नहीं पायी और बोली, चुनमुनिया का क्या,
" अरे वो असल में माँ का नहीं नानी का था, भैया के होने के बाद,... उनकी माँ ने सिखाया था कैसे क्या करें। उन्होंने मेरी माँ से कहा था की बच्चे होने के बाद औरत की ढीली हो जाती है , और फिर मरदो का मन फिरने लगता है तो उन्होंने कोई मलहम सा देसी दारू में मिला के ऊँगली में लगा के,... तो वही माँ मेरे साथ , ... और बोलती थीं यार तू दिन रात चुदवा, इस उमर में नहीं चुदवायेगी तो कब, और तेरे लिए मैंने सांड़ ऐसा बेटा जना है, तेरा भाई,.... लेकिन चूँची और चूत दोनों खूब टाइट होनी चाहिए,... पहली बार चुद रही लड़की की तरह,.. तो वो अभी भी हफ्ते में एक दो बार,... और रोज दो बार सुबह शाम और कभी कभी दिन में भी,... स्कूल में भी ,... "
" क्या " छुटकी बोली,
" तू भी किया कर ,... " बड़ी बहन की तरह गीता ने समझाया,... जब जोर से मूतवास लगती है न और चूत को भींच के रोकते हैं, बस वही,... बस पूरी ताकत से , लेकिन गिनती गिन के १०० तक रोके रह,... फिर धीरे धीरे टाइम बढ़ा के और देर तक,... फिर ढीला करो, लेकिन एक झटके में नहीं नहीं बहुत धीरे धीरे काम से कम १०० तक गिनती गिन पूरी ढीला होने तक,... और ये काम कम से कम २० बार, सुबह शाम, ... सिखा दूंगी न मैं तुझे सब,... और एक बात माँ ने समझायी मरद की देह में क्या होता है खूंटे के अलावा, उन्हें गरम करने के लिए,
छुटकी कान पारे सुन रही थी,...
गीता खिलखिला के बोली, माँ ने जो बताया तो मैं हंसती रही लेकिन बात उनकी सोलहों आने सही, वो बोलीं की जो जो छूने से लड़कियां गर्माती हैं बस वही, जैसे लड़कियां चूँची दबाते मसलते ही गर्माने लगती है, तो मर्द के भी जो छोटी छोटी टिट्स होती हैं वहां बस सहला दो , नाख़ून से , जीभ से छू दे,...
लेकिन छुटकी हँसते हुए बोली पर दी, उनकी चूत तो नहीं होती न,
" एकदम होती है बस पीछे की ओर होती है " हंसती हुयी गीता बोली और छुटकी को गले लगा के समझा दिया , अरे पीछे वाली दरार छूने से भी बहुत मरद गिनगीना जाते हैं , चूतड़ सहलवाना भी अच्छा लगता है , चल सब सब समझा दूंगी तुझे अभी तो तू तीन चार महीने है न यहां। "
लेकिन एक बात और छुटकी को नहीं समझ में आ रही थी और उसने पूछ लिया,
"माँ नहीं है , कहाँ गयी कब आएँगी "
और अब गीता थोड़ी खामोश हो गयी पर रुक रुक के उसने सब बता दिया
Exforum try karoJIO network pr xforum open nhi ho raha. Iska koi solution hai kya. Agar dusri sim pr bhi xforum block hua kya krenge
Thanks it is workingExforum try karo
isiliye to do round ke baad bread ke diya tha aur aur nanad ko to aaraam hi aaram, kbhi leti, kabhi nihuri40 Min ki non stop mehnat ke baad nanad ko bhi aram chahiye. Bechari thak gyi hogi
kul do part, 20 page MS word ke,... isliye last ke do paart men duhraav se bachne ke liye3th and 4th round to apne bahut short me samapt kr diya. Jabki 3 and 4 me to or jyada time lgna chahiye. Last wale to me ghnte bhar railgadi chali hogi
ab next post pe aapke reaction ka waith karungiThanks it is working