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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९८

अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, मजे ले, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
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motaalund

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आपने एकदम सही याद दिलाया पानी में छपाछप ननद की ट्रेनिंग और सोलहवां सावन के अलावा कहीं नहीं हुयी है हाँ ये कहानी जिस का सीक्वेल है उसमे होली के दिन छुटकी और उसकी सहेलियों के साथ,... लेकिन वो जल क्रीड़ा से ज्यादा होली थी,

किसी कहानी में मौका मिला तो देखूँगी।

धन्यवाद।
लेकिन वहाँ भी बस ट्रेलर के रूप में..
इस बार कुछ विस्तार से और कुश्ती का भी जबरदस्त वर्णन...
 

motaalund

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बाढ़ की विभीषिका तो बहुत ही भयावह और पूर्वांचल से भी बढ़कर मिथिलांचल में
नेपाल से बारिश के मौसम में नदियों का उफान.. इसको और गंभीर कर देता है...
 

Shetan

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भाग ५६ - गीता और खेत खलिहान

9,24,087



और बाऊजी के आने का

गीता अब थोड़ा सहज हो गयी थी, बोली,

चाचा से बात हुयी थी उनकी लेकिन आमने सामने नहीं फोनवे पे,... और चाचा का भी पासपोर्ट वहां रखवाय लिया है , उनका फोन आया था माँ के पास,... इधर से नहीं कर सकते उधर से ही वो भी हफ्ते में एक दिन,... तो माँ ने हम दोनों को भी बताया लेकिन ये भी बोला की जबतक वो खुद बात नहीं कर लेती तो, ... और चाचा ने उन्हें बोला है की बाऊ जी वो फूटबाल वाला सब मैचवा ख़त्म हो गया तो जिसके यहाँ थे उसी ने ६ महीने के लिए सऊदी भेज दिया है और बाऊ जी बोल रहे थे की छह महीने बाद पक्का बम्बई चले जाएंगे।

तो छह महीने बाद बाऊ जी गाँव आएंगे,... छुटकी को तो हर बात का जवाब चाहिए था.

गीता ने लम्बी सांस ली फिर कुछ रुक के बोली,... पता नहीं,... माँ ने बोला था बिना बाऊ जी से मिले गाँव नहीं लौटेंगी और उ मुँहझौंसी एजेंसिया क काम तो एकदम बंद. माँ तो कटाई बुआई तीज त्यौहार आएँगी, हफ्ता दस दिन में आता है फोन उनका,... लेकिन बाऊ जी आएंगे नहीं आएंगे गाँव पता नहीं।

एक बार गीता फिर से चुप हो गयी थी।

माहौल अब थोड़ा नार्मल हो चला था , छुटकी एक बात पूछने की सोच रही थी, हिम्मत कर के उसने पूछ ही लिया,...

" दी, गुस्सा मत होइयेगा, मेरी समझ में एक बात नहीं आयी, ...आप लोगों के पास इतना खेत, बाग़ बगीचा सब है,... लेकिन तब भी बाऊ जी बंबई गए और अब माँ भी,... "



गीता मुस्करा दी और छुटकी को गले लगाते बोली, गुस्सा क्यों होउंगी वो गाना सुना है , रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे,...

" सुना, अरे गाती भी हूँ, ... " और छुटकी ने गाने की पहली लाइनें दुहरा भी दी,




रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे,

रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे ।

जौन टिकसवा से बलम मोरे जैहें, रे सजना मोरे जैहें,


पानी बरसे टिकस गल जाए रे, रेलिया बैरन ।।


" एकदम " गीता बोली, फिर उसे दुलार से समझाया, लेकिन असली लाइन है आखिरी, जो अक्सर नहीं गाते,...

ना रेलिया बैरन ना जहजिया बैरन, इहे पइसवा बैरन,

तो असली चीज है पैसा, पक्का टाइम टाइम पे मिलने वाला वाला पैसा,... जो खेती में अक्सर,

गीता चुप हो गयी, थोड़ी उदास थोड़ी गुस्से में, फिर अचानक बोली,...

" अच्छा हम लोगो के पास तो खेत है, अच्छा ख़ासा बाग़ भी है ट्यूबवेल लगा है, ... और तुम पूछ रही हो क्यों गए

लेकिन कजरी का भाई क सोच वो नाउन के बेटवा, गुलबिया भौजी क मरद , बियाहे क महीना नहीं हुआ था चला गया कमाने,... केतना जमीन है उसके पास,... पहले तो जजमानी में गाँव में मनई, दाढ़ी बाल बनावे के,... नाउन कउनो तीज त्यौहार,... पैर में रंग लगाने रस्म काज,... अब पास में बजार में सैलून खुल गया है बढ़िया, जेको देखो वहीँ जाके बाल दाढ़ी और जउन स्टाइल चाहो तौन,... फिर जजमानी में जमीन एक दो बिस्सा, अब खेतिहर के पास खुदे जमीन नहीं तो नाऊ कहार के कहा, ... फिर कजरी की माई बताती है , जब वो बियाह के आयी,.. उसकी ददिया सास के जमाने में चार बिस्सा थी,... जजमानी क,... लेकिन चार भाई तो घट के एक बिस्सा और अगली पीढ़ी में,... फिर फुलवा क मरद उसकी तो न जजमानी न एक इंच जमीन न जाए कमाने तो का, दस दिन बाद वो भी,.... अरे कजरी क भौजी क गोड़े क महावर भी नहीं सूखा था, मुंह देखाई भी पूरी नहीं हुयी थी,... लेकिन जेतना छुट्टी उतना ही न, और एक बार नौकरी चली गयी तो,... हमारे गाँव में भरौटी कहारौटी छोडो कई दर्जन लोग, ...बस वही होली दिवाली कभी रिजर्वेशन नहीं मिला तो कभी छुट्टी नहीं, साल दो साल में एक बार "


छुटकी चुपचाप सुन रही थी वो शहर से आयी थी उसे ये सब बातें इतनी नहीं मालूम थी लेकिन सवाल पूछने में क्या, और उसने सवाल पूछ लिया,...

मान लीजिये जमीन नहीं है, तो मजदूरी कर के भी तो,..



गीता चुप रही फिर बड़ी बेचारगी की हंसी हंसी।

जिनके पास खेत है, उनकी हालत खराब और जिनके पास एकदम नहीं हो वो तो और, उनके पास कौन चारा है बाहर जाने के अलावा, केतना काम रह गया है , माँ बताती थीं जब वो बियाह के आयीं तो यह देखते थे की कितने हल की खेती है,... चार चार हरवाह थे "

और अब कितने हैं छुटकी ने उत्सुकता से पूछा


" एक तोहार भतार। " खिलखिलाते हुए गितवा बोली और छुटकी के गाल पे जोर से चिकोटी काट ली, और छुटकी न समझी हो तो बोल भी दिया,..

" अरे और कौन अरविन्द भैया "

छुटकी भी खिलखिला पड़ी। और गीता ने हाल खुलासा बयान किया

" भैया चलाते हैं खुदे ट्रैक्टर, शुरू में तो कोई और था लेकिन माँ पीछे पड़ीं और अब तो सब काम ट्रैकटर वाला वो खुदे ,...वो भी बाबू जी के पैसे से आया, कुछ कर्जा भी लिए थे लेकिन बमबई में ही आपन दो टैक्सी बैंक के पास रख के,... और जब आया तो मैं भैया और माँ उस पे चढ़ के मंदिर गए, फिर उसकी ट्राली आयी फिर और बहुत कुछ चीज पीछे लगाने वाली,... साल दो साल तो खाली हम लोगों के पास था अब तो तीन तीन ट्रैक्टर है और एक तो किराए पे भी चलाता है ,..."


गीता रुक गयी, फिर बोली ऐसा नहीं है की मजूर आसानी से गाँव में मिल जाते हैं
Pardesh jane vale mardo ke pariwar ka hal yahi hota he. Bahot khubshurati se darsaya he. Chhutki ki utsukhta mazedar tha. Khas kar rel vala gana. Maza aa gaya.
 

motaalund

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भाग ५७- कुश्ती ननद भौजाई की -

छुटकी और गितवा

9,41,000


weight lifter

अभी कहानी वापस मुड़ रही है जहाँ से मुड़ी थी या ननद भौजाई के बीच कबड्डी की तैयारी,..बस दो घंटे बचे हैं , कब से भौजाइयां लगातार हार रही हैं लेकिन अबकी पासा पलटना है , स्ट्रेटजी बनानी है , टीम का फाइनल करना है और टीम मेंबर्स के साथ बैठ के स्ट्रेटजी सेट करनी है तो बस

और घड़ाइये मत , गीता और छुटकी की आखिर में क्या कानाफूसी हुयी ,क्या बात छुटकी ने मानी और क्या शर्तें रखीं सब ,..
छुटकी अभी ननदो से होली खेल के लौटी नहीं पर मैं परेशान थी,



नहीं नहीं छुटकी के लिए नहीं, उसके तो अब खेलने खाने के दिन थे,... और ननद छिनार हों वो भी नैना ऐसी तो,...

मेरी परेशानी ननदों को लेकर ही थी लेकिन दूसरी,...

मंजू भाभी के यहाँ मैंने गाँव की अपनी जेठानियों को बोल तो दिया था की अबकी ननदों को हम लोग न सिर्फ हराएंगे बल्कि खुल के उनकी गाँड़ मारेंगे भी गाँव के बीच में खुले मैदान में और अपने देवरों से भी अगले दिन मरवाएँगे,...



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दो चार उमर में थोड़ी बड़ी जेठानियों ने मुंह भी बिचकाया,..सोच रही थी ये नयको नयी आयी आयी है पहली होली है इस गाँव की,... कुछ दिन पहले घूंघट छूटा है बस खाली माँ ने बढ़ बढ़ के बोलना सिखाया है, पर मंजू भाभी को पूरा भरोसा था मेरे ऊपर जिस तरह से चुन्नू की में थोड़ी देर पहले नथ उतारी थी और एक बहुत बड़ा चैलेंज गाँव की भौजाइयों ननदों सब का पूरा किया था, सुबह सुबह आज, चंदू ब्रह्मचारी देवर से तीन राउंड कुश्ती खेल के आ रही थी , और अब एक बार उसका लंगोट खुल गया तो वो नाग लंगोट में बंद होने वाला नहीं था. और ये भरोसा मंजू भाभी के साथ मेरी बाकी जेठानियों का भी था,...

मैंने बोल तो दिया और इस बार की कैप्टेन मंजू भाभी थीं तो मेरे मन की बात सुन सोच के उन्होंने टीम भी एकदम से बदल दी,...

४ हमलोगों के टोले की बाहर वाली, काम करने वालियां, लेकिन देह की बहुत कड़ी खूब जांगर वाली,



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दो तीन ऐसी भौजाइयां जो अभी लड़कोर नहीं थीं, तीन चार साल पहले गौना हुआ था,..


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मंजू भाभी और दो उमर में थोड़ी बड़ी लेकिन जो मानती थीं की हाँ हम लोग जीत सकते हैं,... जो मैच के पहले हार मान जाए सिर्फ रस्म रिवाज के लिए मैच खेले,...वैसी एकदम नहीं फायटिंग स्प्रिट हम लोगों से भी ज्यादा और अनुभव भी

जैसे दूल्हे को दुल्हिन लाने पे दूल्हे के मायके में कोहबर में पासा खिलाया जाता है , दूध में अंगूठी डाल के ढुंढवायी जाती है और बगल में बैठी भौजाई कान में देवर को समझा देती है, अगर गलती से भी एक बार जीत गए न,... तो ये मिठाई जो बगल में बैठी है आज रात में नहीं मिलेगी खाने को सोच लो,...





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और वो बेचारा तीनों बार हार जाता है,... फिर मौरी सेरवाने में नयी बहु, उसकी दुल्हन के सामने गांव की भौजाई सब अपनी ननदों को उसकी बहन को उसी का नाम लग लगा के खूब गरियाती है, लेकिन बगल में बैठी 'मिठाई ' के लालच में वो सब कुछ करता है,...

तो मेरी बात मान के टीम भी बदल गयी थी जो नयी नयी चार को शामिल किया गया था वो सब मान भी गयीं थी,... और थोड़ी देर में टीम की मीटिंग थी, पर बारह आने का खेल तो अभी होना था , टीम की स्ट्रेटजी तय करनी थी,... और ये तो मुझे ही करनी थी,...कैप्टेन मंजू भाभी जरूर थीं लेकिन सब जिम्मेदारी मेरे कंधो पर और अब टीम मेरे कहे अनुसार बन गयी थी पुरानी टीम के ६-७ सीनियर खिलाड़ी बदल गए थे तो,... अब तो कोई बहाना भी नहीं

और फिर इस ननद भौजाइयों की कबड्डी की हार जीत पे बहुत कुछ होना था,.... एक तो ननदों का घमंड,... वो भौजाई कौन जो ससुराल में पहुँच के ननद की नाक न रगड़वा दे,... अरे दुश्मन को दुश्मन के किले में हराना ही असली जीत है, अपनी गली में तो,...

लेकिन कैसे, ...


जो जीतता है उसकी बात न सिर्फ होली में, रंगपंचमी में बल्कि साल भर अगली होली तक चलती है अगर हम लोग जीत गए तो बस इस रंगपंचमी में नहीं साल भर,... और ये बात कौन भौजाई नहीं चाहेगी की ननद चुपचाप उसका कहा करती रहे, उसकी चुगली अपनी माँ से भाई से न करे,... और हम लोग जीत गए तो ऐसी रगड़ाई करवाउंगी उन सब की,... और अब तो ननद के भैया मोबाइल लाये हैं जो फोटो भी जबरदस्त आती है और वीडियो भी , बस सब कुछ रिकार्ड होगा,... लेकिन जीते तो सही है और उस के लिए बात थी स्ट्रेटजी की,

मैंने एक बार फिर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया,...

मुझे शुन त्जू की बात याद आयी, नो योर एनेमी ,...


और मैं नयी नयी इस गाँव में,... तो सबसे पहले ननदो की टीम की स्ट्रेंथ, ... और अलग अलग खिलाड़ियों की ताकत,....

फिर उनकी स्ट्रेटजी,... और वीकनेस,... वीकनेस का तो खैर मुझे अंदाजा था , उन सबका ओवरकॉन्फिडेंस और बड़बोलापन,... लेकिन अलग अलग खिलाड़ियों की कमजोरी इंडिविजुअल अगर पता चल जाए,...कबड्डी में जब कोई आपके पाले में आता है तो वो अकेला होता है और उस समय अगर उस की कमजोरी मालूम है तो उसे पटकना बहुत आसान है,... फिर पिछले मैचों में उनकी स्ट्रेटजी,...

वो तो खैर मंजू भाभी और बाकी दो मेरी जेठानियाँ जो प्रौढ़ा थीं और पिछले पांच छह साल से कबड्डी का ये मैच खेल रही थीं , उनसे ननदों की ट्रिक्स पता चल जायेगी,... और उनकी स्ट्रेंथ में सबसे बड़ी थी लीडरशिप, अबकी नैना वापस आ गयी थी और नैना की बात सब मानती थीं , वो थी भी बहुत शातिर दिमाग, एकदम असली ननद,...



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लेकिन ऐसी ननद के साथ ही तो ननद भौजाई का मजा आएगा,... लेकिन नैना के बारे में मैंने तय कर लिया था , डिफेन्स इस बेस्ट आफेंस, ... उसके आते ही हम सब पीछे हट जाएंगे और बस बचने की कोशिश करेंगे,... और वो मुझे या किसी तगड़े प्लेयर पे निशाना लगाएगी तो किसी प्रौढ़ा को आगे कर देंगे , सैक्रिफाइस के तौर पे,... लेकिन देर तक छकाने के बाद,... और फिर जो बाकी आएँगी तो उन्हें तो रगड़ रगड़ के,...

और बाद में अगर वो बच भी जायेगी तो क्या,...

लेकिन मेरी सब जेठानियाँ गीता की ताकत की भी तारीफ़ कर रही थीं और काठ की हांड़ी दो बार तो चढ़ती नहीं तो गीता की तो काट तो ढूँढ़नी पड़ेगी और वो मुझे सबसे कठिन लग रहा था,... पिछले साल नैना नहीं थी तो गितवा ने ही भौजाइयों को दौड़ा दौड़ा के,...


और अगर ननदें हार गयीं तो उनसे क्या क्या करवाएंगे,....

कोई कह सकता है की इससे क्या फरक पड़ता है लेकिन ये बहुत जरूरी था प्लान करना मेरी टीम के मेंबर्स को मोटिवेट करने के लिए,...

पहले भी जीतने के बाद सिपाहियों को दो तीन दिन तक लूटने की पूरी छूट मिलती थी , सिर्फ धन सम्पत्ति ही नहीं, लड़कियां औरतें भी,... जितो वा भोक्ष्यते महीम,... और दूसरा ऑप्शन मैंने कभी न दिया न सोचा,...

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,... बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे

लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,

उफ़ आप भूल गए कबड्डी वाली बात, चलिए पन्ना पलट के आप को याद दिला ही देती हूँ मंजू भाभी के यहाँ जो बातें हुयी थी फिर ढूंढती हूँ गीता की काट
कबड्डी तो घर के बड़े आंगन में हीं...
रात में जब घर के मर्द खाने के बाद दालान पर सोने गए तो...
औरतें सब कबड्डी की तैयारी..
और क्या कुश्ती टाइप कबड्डी होती थी...
लेकिन ये सब आधी रात के पहले तक हीं...
फिर आधी रात के बाद एक एक करके मर्द सब अपनी बीवियों के पास और सुबह होने से पहले वापस दालान पर...
 

Shetan

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गीता अब बड़ी हो गयी





गीता रुक गयी, फिर बोली ऐसा नहीं है की मजूर आसानी से गाँव में मिल जाते हैं

अब छुटकी को मौका मिल गया, वो चढ़ गयी, बोली यही बात तो मैं भी कह रही थी की फिर क्यों

लेकिन गीता ने उसे बात पूरी करने का मौका नहीं दिया, बोली अब रहोगी न तीन चार महीने तो पता चला जाएगा, ... अरे जब काम होता तो एकसाथ, सबकी कटाई दँवाई,... और जब नहीं होता तो कुछ नहीं, गर्मी भर देखना,...

पर अब छुटकी हार नहीं मानने वाली थी

बोली दी, लेकिन अब मजूरी का भी तो, गाँव में नहीं रहे लेकिन रेडियो सुनते हैं अखबार पढ़ते हैं , ...कोई स्किम है

गीता जैसे जल बुझ गयी, तू पढ़ी हो हम देखते हैं , १०० दिन मतलब २६५ दिन नहीं मिलेगा। उही में परधान जिसको चाहेगा लगाएगा, मेट की चिरौरी करो, रूपया में चार आना तो हाजिरी लगाएगा, वर्ना काम कोई करे हाजिरी किसी की,... कई तो खाली हाजिरी लगाए अंगूठा निशानी सब कराय के गायब,... अगर जुगाड़ है वरना २०-३० दिन मिल जाए तो बहुत,... और जो बाहर जाते है उनका तो हर महीने मनी आर्डर आएगा आजकल तो मोबाइल से ही,... केतना तो पैसा जोड़ के थोड़ बहुत खेत भी, मनई सोचता है हमारा जो हुआ बच्चो का भी,... अच्छा स्कूल मिल जाये,...

फिर पलट के उसने छुटकी पे ही वार किया,..

अपने दीदी क ससुराल देखो, ... उनके जेठ गए न बाहर, फिर अब जेठानी भी चली गयी,... और अपनी छुटकी ननद को भी ले गयी की वहां अच्छा स्कूल है,... और अब तोहरे घर में केतना आदमी केतना औरत, ... और तुमको ही न अब हम जल्दी जाने देंगे न गाँव के लौंडे,... तो तू, हमार नयकी भौजी, उनकी सास,... और मरद में तोहार जीजू,... अब ये जिन कहना की उ अकेले तीन तीन के लिए काफी हैं,...

हँसते हुए गीता के मुंह से निकला, लेकिन छुटकी के मुंह से हाँ निकलते निकलते रह गया,... उसके सामने ही जीजू ने बारी बारी से उसकी दोनों सहेलियों को क्या रगड़ रगड़ के, फिर मंझली के भी अगवाड़े पिछवाड़े,... बस वो मुस्करा दी।

गीता अब शांत हो गयी थी, फिर उसने अब तक की बातचीत समेटते हुए कहना शुरू किया

सब बातें समझायी गीता ने। वो बोली,


" सबसे पहले गाँव में हम लोगों का अपना ट्यूबवेल लगा,....कैसे बाऊ जी के बंबई के पैसे से, भैया की फटफटिया, , बमबई के पैसे से, हर महीने पांच तारीख को डाकिया खड़ा रहता था बाउ जी का मनीआर्डर,... "

फिर गीता ने खेती की परेशानी बतायी।

पहले तो बारिस का ठिकाना नहीं, और केतनो ट्यूबवेल हो गया लेकिन रोपनी है तो बिना पानी के ,


फिर बारिश नहीं तो गेंहू के लिए जमींन,... और एक दो बार तो फसल हो गयी कट के थोड़ बहुत खलिहान में, ... और बेटाइम क बारिस, ओला पड़ गया,...

तो बस सब मेहनत डाँड़,बीज, खाद क पैसा भी, और बाजार में कउनो चीज बिना पैसा के नहीं, हमरे और भैया के फ़ीस के लिए पैसा, किताब कपडा के लिए पैसा , और सबसे बढ़कर बीज, खाद कउनो चीज नहीं बिना पैसे के ,...


छुटकी ने ज्ञान की बात कर दी और डाँट पड़ गयी, लेकिन दी बैंक से पैसा,... पहले तो गीता ने डांटा और फिर प्यार से बोली,

" माँ नहीं है न नहीं तो दस गारी देतीं तोहरी महतारी के , वैसे भी उनका समधिन का रिस्ता लगता,... बैंक के नाम से मुंह नोच लेती थी, कहती थी हमार पैसा लेते है तो ओनकर कउनो जमीन जायदाद नहीं और हमको जरूरत पड़ी तो कुल गिरवी रखा लेंगे, हमार पैसा लेंगे तोदो टका सूद देंगे और हमें पैसा देंगे तो १२ से पंद्रह टका और लेंगे और टेबल टेबल जाके बिनती करा, परसाद चढ़ावा बाबू लोगन के,...


फिर गीता ने एक साल का किस्सा बताया , हंसती भी रही, साथ साथ

माँ भी न एक साल आलू का दाम खूब बढ़ गया, बस आधे खेत में आलू बोवाय दी , और बाकी लोग भी, फसल भी खूब अच्छी हुयी , लेकिन आलू जब खेत में से खोदा गया तो दाम एक रूपया डेढ़ रुपया किलो,...

"तो कोल्ड स्टोरेज " छुटकी ने फिर सलाह देने की गलती की,...

और एक जोर का हाथ पड़ा पीठ पे,...

" कोल्ड स्टोरेज,.. अरे वो ससुरे चौगुना दाम बढ़ा दिए , फिर ओहु में जगह नहीं, बाद में पता चला की तीन चौथाई जगह कुल बनिया लोग फसल क अंदाज कइके पहले से एडवांस रख लिए और केतना कोल्ड स्टोरेज तो उन्ही सब का,... बस आलू मंडी में पहुंचाने के लिए ट्रक, ट्रैक्टर छकड़ा सब ने दाम दूना तिगुना,... बस और वही बनिया सीधे खेत से उठा रहे थे तो वही एक रूपया दो रूपया,... भैया किसी तरह से ले गया मंडी तो वहां भी गोल बंदी कर के वही दाम और जानती हो शहर में चार पांच महीने बाद वही एक रूपये वाला आलू कितने में बिका,.. "

छुटकी तो हरदम पास की दूकान से ही खरीद के लाती थी , फिर भी उसने पूछा कितने में ,...

एकदम जल के गीता बोली,... २० रूपया में , हमें मिला एक रूपया और तुमको पड़ा २० रूपया।

" फिर खेती में साल भर का काम तो है नहीं , रोपनी, बोआई कटाई जब ज्यादा आदमी लगते हैं , बाकी तो अब मशीन आ गयी है , हरवाह नहीं रहे,... तो आदमी सब का करें कभी पंजाब कभी बंबई और जिसका जुगाड़ लग गया वो खाड़ी में,.. " गीता कुछ रुक के बोली। फिर समझाया,... कउनो गाँव में चल जाओ, आदमी कम है औरतें ज्यादा,..और वही कउनो बड़े सहर में तो उलटा,.... "

छुटकी सुन रही थी और एक बार फिर दोनों चुप थीं।



गीता अब सचमुच बड़ी हो गयी थी।



कुछ देर तक दोनों चुप बैठी रहीं, फिर गीता ने मुस्कराते हुए छुटकी की ओर देखा, फिर उसके बगल में आकर बैठ गयी और उसे चिपका लिया और उसके कान में बोली,....



" तू छोटी है लेकिन बात सही कहती है। "
Gitva badi hi nahi syani bhi ho gai. Ab maza aaya jab kahani ka kuchh hi pal lekin chhutki ke didi ke mayke ki bat dono saheliyo ke bich chali.


Kahi na kahi ye kami ab bhi khal rahi he ki lambe wakt se kahani geeta ke pariwar pe hi chal rahi he. Jab ki aaj bhi ham chhutki aur komaliya ko jyada miss kar rahe he.
 

Shetan

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अगली पोस्ट की नन्ही मुन्नी झलक




क्या बात हुयी दोनों सहेलियों के बीच , मतलब बहनों के बीच,... सबका मन करता है न लड़कियों की बातें सुनने का, एकदम प्राइवेट ख़ास बात हो तो भी,...


लेकिन अभी ये सब बाते यही ,

अभी कहानी वापस मुड़ रही है जहाँ से मुड़ी थी या ननद भौजाई के बीच कबड्डी की तैयारी,..बस दो घंटे बचे हैं ,

कब से भौजाइयां लगातार हार रही हैं लेकिन अबकी पासा पलटना है , स्ट्रेटजी बनानी है , टीम का फाइनल करना है और टीम मेंबर्स के साथ बैठ के स्ट्रेटजी सेट करनी है तो बस अगली पोस्ट में

और घड़ाइये मत , गीता और छुटकी की आखिर में क्या कानाफूसी हुयी ,क्या बात छुटकी ने मानी और क्या शर्तें रखीं सब अगली पोस्ट में ,..



छुटकी अभी ननदो से होली खेल के लौटी नहीं पर मैं परेशान थी,

नहीं नहीं छुटकी के लिए नहीं, उसके तो अब खेलने खाने के दिन थे,... और ननद छिनार हों वो भी नैना ऐसी तो,...



मेरी परेशानी ननदों को लेकर ही थी लेकिन दूसरी,...

मंजू भाभी के यहाँ मैंने गाँव की अपनी जेठानियों को बोल तो दिया था की अबकी ननदों को हम लोग न सिर्फ हराएंगे बल्कि खुल के उनकी गाँड़ मारेंगे भी गाँव के बीच में खुले मैदान में और अपने देवरों से भी अगले दिन मरवाएँगे,...

दो चार उमर में थोड़ी बड़ी जेठानियों ने मुंह भी बिचकाया,..सोच रही थी ये नयको नयी आयी आयी है पहली होली है इस गाँव की,... कुछ दिन पहले घूंघट छूटा है बस खाली माँ ने बढ़ बढ़ के बोलना सिखाया है,

पर मंजू भाभी को पूरा भरोसा था मेरे ऊपर जिस तरह से चुन्नू की में थोड़ी देर पहले नथ उतारी थी और एक बहुत बड़ा चैलेंज गाँव की भौजाइयों ननदों सब का पूरा किया था, सुबह सुबह आज, चंदू ब्रह्मचारी देवर से तीन राउंड कुश्ती खेल के आ रही थी , और अब एक बार उसका लंगोट खुल गया तो वो नाग लंगोट में बंद होने वाला नहीं था. और ये भरोसा मंजू भाभी के साथ मेरी बाकी जेठानियों का भी था,...
Hamari soch se aap ki soch aur kahani dono hi aage he. Ek comment pahele mene jikar kiya aur next post me muje vo mil gaya. Kab se intjar tha ki kahani vapas chhutki par lote. Or vo ho bhi gaya. Amezing Komalji
 

Sutradhar

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शायद इस फोरम को भी चलाने के लिए स्तन(धन) की आवश्यकता हो....
हो सकता है सर, लेकिन मुझे तो चाहे लाइक करना हो या अपडेट पढ़ना हो बार - बार आगे पीछे करने से विपरीत रति का सा आनन्द आ रहा है।

:ultralul::tongue::tongue::tongue::tongue:
 

Shetan

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भाग ५७- कुश्ती ननद भौजाई की -

छुटकी और गितवा

9,41,000


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अभी कहानी वापस मुड़ रही है जहाँ से मुड़ी थी या ननद भौजाई के बीच कबड्डी की तैयारी,..बस दो घंटे बचे हैं , कब से भौजाइयां लगातार हार रही हैं लेकिन अबकी पासा पलटना है , स्ट्रेटजी बनानी है , टीम का फाइनल करना है और टीम मेंबर्स के साथ बैठ के स्ट्रेटजी सेट करनी है तो बस

और घड़ाइये मत , गीता और छुटकी की आखिर में क्या कानाफूसी हुयी ,क्या बात छुटकी ने मानी और क्या शर्तें रखीं सब ,..
छुटकी अभी ननदो से होली खेल के लौटी नहीं पर मैं परेशान थी,



नहीं नहीं छुटकी के लिए नहीं, उसके तो अब खेलने खाने के दिन थे,... और ननद छिनार हों वो भी नैना ऐसी तो,...

मेरी परेशानी ननदों को लेकर ही थी लेकिन दूसरी,...

मंजू भाभी के यहाँ मैंने गाँव की अपनी जेठानियों को बोल तो दिया था की अबकी ननदों को हम लोग न सिर्फ हराएंगे बल्कि खुल के उनकी गाँड़ मारेंगे भी गाँव के बीच में खुले मैदान में और अपने देवरों से भी अगले दिन मरवाएँगे,...



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दो चार उमर में थोड़ी बड़ी जेठानियों ने मुंह भी बिचकाया,..सोच रही थी ये नयको नयी आयी आयी है पहली होली है इस गाँव की,... कुछ दिन पहले घूंघट छूटा है बस खाली माँ ने बढ़ बढ़ के बोलना सिखाया है, पर मंजू भाभी को पूरा भरोसा था मेरे ऊपर जिस तरह से चुन्नू की में थोड़ी देर पहले नथ उतारी थी और एक बहुत बड़ा चैलेंज गाँव की भौजाइयों ननदों सब का पूरा किया था, सुबह सुबह आज, चंदू ब्रह्मचारी देवर से तीन राउंड कुश्ती खेल के आ रही थी , और अब एक बार उसका लंगोट खुल गया तो वो नाग लंगोट में बंद होने वाला नहीं था. और ये भरोसा मंजू भाभी के साथ मेरी बाकी जेठानियों का भी था,...

मैंने बोल तो दिया और इस बार की कैप्टेन मंजू भाभी थीं तो मेरे मन की बात सुन सोच के उन्होंने टीम भी एकदम से बदल दी,...

४ हमलोगों के टोले की बाहर वाली, काम करने वालियां, लेकिन देह की बहुत कड़ी खूब जांगर वाली,



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दो तीन ऐसी भौजाइयां जो अभी लड़कोर नहीं थीं, तीन चार साल पहले गौना हुआ था,..


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मंजू भाभी और दो उमर में थोड़ी बड़ी लेकिन जो मानती थीं की हाँ हम लोग जीत सकते हैं,... जो मैच के पहले हार मान जाए सिर्फ रस्म रिवाज के लिए मैच खेले,...वैसी एकदम नहीं फायटिंग स्प्रिट हम लोगों से भी ज्यादा और अनुभव भी

जैसे दूल्हे को दुल्हिन लाने पे दूल्हे के मायके में कोहबर में पासा खिलाया जाता है , दूध में अंगूठी डाल के ढुंढवायी जाती है और बगल में बैठी भौजाई कान में देवर को समझा देती है, अगर गलती से भी एक बार जीत गए न,... तो ये मिठाई जो बगल में बैठी है आज रात में नहीं मिलेगी खाने को सोच लो,...





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और वो बेचारा तीनों बार हार जाता है,... फिर मौरी सेरवाने में नयी बहु, उसकी दुल्हन के सामने गांव की भौजाई सब अपनी ननदों को उसकी बहन को उसी का नाम लग लगा के खूब गरियाती है, लेकिन बगल में बैठी 'मिठाई ' के लालच में वो सब कुछ करता है,...

तो मेरी बात मान के टीम भी बदल गयी थी जो नयी नयी चार को शामिल किया गया था वो सब मान भी गयीं थी,... और थोड़ी देर में टीम की मीटिंग थी, पर बारह आने का खेल तो अभी होना था , टीम की स्ट्रेटजी तय करनी थी,... और ये तो मुझे ही करनी थी,...कैप्टेन मंजू भाभी जरूर थीं लेकिन सब जिम्मेदारी मेरे कंधो पर और अब टीम मेरे कहे अनुसार बन गयी थी पुरानी टीम के ६-७ सीनियर खिलाड़ी बदल गए थे तो,... अब तो कोई बहाना भी नहीं

और फिर इस ननद भौजाइयों की कबड्डी की हार जीत पे बहुत कुछ होना था,.... एक तो ननदों का घमंड,... वो भौजाई कौन जो ससुराल में पहुँच के ननद की नाक न रगड़वा दे,... अरे दुश्मन को दुश्मन के किले में हराना ही असली जीत है, अपनी गली में तो,...

लेकिन कैसे, ...


जो जीतता है उसकी बात न सिर्फ होली में, रंगपंचमी में बल्कि साल भर अगली होली तक चलती है अगर हम लोग जीत गए तो बस इस रंगपंचमी में नहीं साल भर,... और ये बात कौन भौजाई नहीं चाहेगी की ननद चुपचाप उसका कहा करती रहे, उसकी चुगली अपनी माँ से भाई से न करे,... और हम लोग जीत गए तो ऐसी रगड़ाई करवाउंगी उन सब की,... और अब तो ननद के भैया मोबाइल लाये हैं जो फोटो भी जबरदस्त आती है और वीडियो भी , बस सब कुछ रिकार्ड होगा,... लेकिन जीते तो सही है और उस के लिए बात थी स्ट्रेटजी की,

मैंने एक बार फिर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया,...

मुझे शुन त्जू की बात याद आयी, नो योर एनेमी ,...


और मैं नयी नयी इस गाँव में,... तो सबसे पहले ननदो की टीम की स्ट्रेंथ, ... और अलग अलग खिलाड़ियों की ताकत,....

फिर उनकी स्ट्रेटजी,... और वीकनेस,... वीकनेस का तो खैर मुझे अंदाजा था , उन सबका ओवरकॉन्फिडेंस और बड़बोलापन,... लेकिन अलग अलग खिलाड़ियों की कमजोरी इंडिविजुअल अगर पता चल जाए,...कबड्डी में जब कोई आपके पाले में आता है तो वो अकेला होता है और उस समय अगर उस की कमजोरी मालूम है तो उसे पटकना बहुत आसान है,... फिर पिछले मैचों में उनकी स्ट्रेटजी,...

वो तो खैर मंजू भाभी और बाकी दो मेरी जेठानियाँ जो प्रौढ़ा थीं और पिछले पांच छह साल से कबड्डी का ये मैच खेल रही थीं , उनसे ननदों की ट्रिक्स पता चल जायेगी,... और उनकी स्ट्रेंथ में सबसे बड़ी थी लीडरशिप, अबकी नैना वापस आ गयी थी और नैना की बात सब मानती थीं , वो थी भी बहुत शातिर दिमाग, एकदम असली ननद,...



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लेकिन ऐसी ननद के साथ ही तो ननद भौजाई का मजा आएगा,... लेकिन नैना के बारे में मैंने तय कर लिया था , डिफेन्स इस बेस्ट आफेंस, ... उसके आते ही हम सब पीछे हट जाएंगे और बस बचने की कोशिश करेंगे,... और वो मुझे या किसी तगड़े प्लेयर पे निशाना लगाएगी तो किसी प्रौढ़ा को आगे कर देंगे , सैक्रिफाइस के तौर पे,... लेकिन देर तक छकाने के बाद,... और फिर जो बाकी आएँगी तो उन्हें तो रगड़ रगड़ के,...

और बाद में अगर वो बच भी जायेगी तो क्या,...

लेकिन मेरी सब जेठानियाँ गीता की ताकत की भी तारीफ़ कर रही थीं और काठ की हांड़ी दो बार तो चढ़ती नहीं तो गीता की तो काट तो ढूँढ़नी पड़ेगी और वो मुझे सबसे कठिन लग रहा था,... पिछले साल नैना नहीं थी तो गितवा ने ही भौजाइयों को दौड़ा दौड़ा के,...


और अगर ननदें हार गयीं तो उनसे क्या क्या करवाएंगे,....

कोई कह सकता है की इससे क्या फरक पड़ता है लेकिन ये बहुत जरूरी था प्लान करना मेरी टीम के मेंबर्स को मोटिवेट करने के लिए,...

पहले भी जीतने के बाद सिपाहियों को दो तीन दिन तक लूटने की पूरी छूट मिलती थी , सिर्फ धन सम्पत्ति ही नहीं, लड़कियां औरतें भी,... जितो वा भोक्ष्यते महीम,... और दूसरा ऑप्शन मैंने कभी न दिया न सोचा,...

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,... बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे

लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,

उफ़ आप भूल गए कबड्डी वाली बात, चलिए पन्ना पलट के आप को याद दिला ही देती हूँ मंजू भाभी के यहाँ जो बातें हुयी थी फिर ढूंढती हूँ गीता की काट
Yaha tak pahochne ke lie aap ne tadpa diya. Kahani ka asli maza to ab lota. Is mukable ka to kab se muje intjaar tha. Ufff aur apni chhutki bhi he. Vaha se geetva bhi amezing
 

Shetan

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छुटकी और गितवा



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तो टीम तो बन गयी थी मंजू भाभी के ही यहाँ लेकिन बस अब ये गितवा की झंझट और फाइनल स्ट्रेटेजी

एक बार हम लोग जीत गए और जीतना तो है ही,

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,...



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बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे



लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,


और तभी छुटकी आती दिखी, हंसती खिलखिलाती,... उछलती




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और आते ही मेरे गले से चिपक गयी और फिर अपने आप बोलने लगी , .... वो गीता के पास से ही आ रही थी,... ये तारीफ़ ये तारीफ़

और मुझे गीता का हल मिल गया।




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छुटकी गीता और उसके भाई अरविन्द का किस्सा बताती रही और मैं सुनती रही, मुझे कुछ नया नहीं लग रहा था, पहले ही जानती थी ननद का मतलब खाली छिनार नहीं भाईचोद भी होता है और देवर स्साला अगर बहनचोद नहीं है तो उसे बहनचोद बनाना भौजाई क काम है,...

लेकिन मेरे कान खड़े हो गए जब छुटकी ने दो शर्तों की बात की तो उसी समय मैंने उसे टोक दिया, और हड़काया पूरा बोल.


मुझे लगा की गीता की चाभी मिल गयी।

और जब छुटकी ने हाल खुलासा सुनाया तो बस मैंने उसे गले से लगा लिया।


हुआ ये था की स्टेशन पर जब हम लोग थे तो अरविन्द भी था और बस छुटकी को देख के उसका टनटनाने लगा, और उसमें कोई अलग बात नहीं थी। छुटकी थी है ऐसी मेरी और उस दिन तो और रात भर जीजू ने उसके ट्रेन में रगड़ा था, चूँचियों पर ढक्क्न भी नहीं था, बिल में मलाई बजबजा रही थी,...

लेकिन अरविन्द बाबू की हालत तो एकदम ही खराब थी और उसी रात अपनी बहिनिया कम बीबी ज्यादा से अपने दिल का हाल बताया,...


लेकिन परेशानी जो गीता ने बताई वो ये थी की उसके भाई ने कसम खा रखा था की अपनी बहन के अलावा इस टोले में किसी और लड़की के साथ ( हालांकि इस अपवाद में रोपनी कटनी वाली , गाँव की भौजाइयां शामिल नहीं थीं ). बस मैं मान गयी छुटकी को जो उसने रास्ता निकाला,...

वो गीता से बोली, दीदी अरे मैं आपको तो दी ही मान रही हूँ मान क्या रही हूँ आप हैं ही,



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गीता ने छुटकी को गले से लगा लिया आज उसने पहली बार मन की बात किसी से कही थी, बोली, ...

बहन तो हो ही मेरी प्यारी प्यारी छोटी बहन , मेरी कोई छोटी बड़ी बहन नहीं थी, तो आज मुझे एक प्यारी प्यारी सुंदर सी मस्त छोटी बहन मिल गयी, असली वाली सगी से भी बढ़के ...

बस छुटकी ने वहीँ कैच कर लिया और बोली

" दी, पक्का मैं आपकी छोटी बहन हूँ तो भैया की भी तो छोटकी बहिनिया हूँ , फिर क्या, अब बड़ी बहन के साथ उन्होंने बहुत मस्ती कर ली अब छोटी का नंबर है,... और जानती हैं मेरे कोई भाई भी नहीं, सगा भी नहीं चचेरा ही नहीं,... मेरा बड़ा मन करता था भाई चोद होने का बस, ... और भैया को बोल दीजियेगा , अगर उन्होंने जो भी ना नुकुर की जो मैं आपकी बहन हूँ छोटी तो भैया की भी छोटी बहन ही हुयी न बस हम दोनों बहनें मिल के उन्हें चोद देंगे अगर उस बहन चोद ने ज़रा भी नखड़ा किया। "

गीता खिलखिलाने लगी, और हंस के बोली, पक्का,...

" बस अबकी राखी में उन्हें राखी बाँध दूंगी और उसी राखी बंधे हाथ से जुबना दबवाउंगी, तो बोलिये वो है न मेरा भाई"

छुटकी ने हँस के कहा,... और गीता मान गयी और फिर दोनों शर्त , छुटकी ने कहा की अगर वो बहन है तो उसकी बाकी बहने भी भैया की बहन ही लगेगी ,

लेकिन मुझे कोई फरक पड़ता था चाहे मैं उसे देवर समझ के चोदू या है भाई समझ के , सगा तो मेरा कोई था नहीं और सगे की तरह जो ममेरा भाई था चार पांच दिन पहले अपनी जेठानी ननदों के सामने उसी ममेरी भाई से खुल के चुदवाया,... उस समय तो चलिए मैं कच्ची दारु के नशे में थी पर शाम को ट्रेन में तो उसे उकसा के,

बस छुटकी की दूसरी शर्त का मैंने फायदा उठाया और उसे समझा दिया की मैच के दौरान या उसके ठीक पहले, वो गीता को,...

गीता कबड्डी में आएगी तो उसके सामने छुटकी ही ,... बस शर्त के मुताबिक़ वो छुटकी को मार नहीं सकती और छुटकी के आगे हार मान जाती,...

मेरी बड़ी मुश्किल सुलझ गयी



तबतक मंजू भाभी रामजनिया और कजरी की भौजी आ गयीं,... और मंजू भाभी ने और रमजनिया ने ननदों की स्ट्रेटजी के बारे में बताना शुरू कर दिए।



मंजू भाभी ने पिछले चार साल से कबड्डी खेली थी और दो साल तो वो वाइस कैप्टेन भी थीं. रमजनिया खेलती नहीं थी क्योंकि अब तक खाली बबुआने क लड़कियां और औरतें, लेकिन रहती जरूर थी और मुझे उसकी नज़र और अकल दोनों पे भरोसा था. उसी के भरोसे मैंने चंदू का किला जीता था वरना पूरे गाँव की औरतों ने ऐसा चैलेन्ज दिया था की उसका लंगोटा खुलवाना बड़ा मश्किल है और अब ननदो की शलवार स्कर्ट खुलवानी थी, ....
Wow anjane me hi sahi. Apni chhutki to kam ki nikli. Yaha to geetva khushi se haregi. Chhutki bhed jo jan lai he. Bahan chodu arvind ki randi nandiya geetva baheniya
 

motaalund

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भाग ५७- कुश्ती ननद भौजाई की -

छुटकी और गितवा

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अभी कहानी वापस मुड़ रही है जहाँ से मुड़ी थी या ननद भौजाई के बीच कबड्डी की तैयारी,..बस दो घंटे बचे हैं , कब से भौजाइयां लगातार हार रही हैं लेकिन अबकी पासा पलटना है , स्ट्रेटजी बनानी है , टीम का फाइनल करना है और टीम मेंबर्स के साथ बैठ के स्ट्रेटजी सेट करनी है तो बस

और घड़ाइये मत , गीता और छुटकी की आखिर में क्या कानाफूसी हुयी ,क्या बात छुटकी ने मानी और क्या शर्तें रखीं सब ,..
छुटकी अभी ननदो से होली खेल के लौटी नहीं पर मैं परेशान थी,



नहीं नहीं छुटकी के लिए नहीं, उसके तो अब खेलने खाने के दिन थे,... और ननद छिनार हों वो भी नैना ऐसी तो,...

मेरी परेशानी ननदों को लेकर ही थी लेकिन दूसरी,...

मंजू भाभी के यहाँ मैंने गाँव की अपनी जेठानियों को बोल तो दिया था की अबकी ननदों को हम लोग न सिर्फ हराएंगे बल्कि खुल के उनकी गाँड़ मारेंगे भी गाँव के बीच में खुले मैदान में और अपने देवरों से भी अगले दिन मरवाएँगे,...



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दो चार उमर में थोड़ी बड़ी जेठानियों ने मुंह भी बिचकाया,..सोच रही थी ये नयको नयी आयी आयी है पहली होली है इस गाँव की,... कुछ दिन पहले घूंघट छूटा है बस खाली माँ ने बढ़ बढ़ के बोलना सिखाया है, पर मंजू भाभी को पूरा भरोसा था मेरे ऊपर जिस तरह से चुन्नू की में थोड़ी देर पहले नथ उतारी थी और एक बहुत बड़ा चैलेंज गाँव की भौजाइयों ननदों सब का पूरा किया था, सुबह सुबह आज, चंदू ब्रह्मचारी देवर से तीन राउंड कुश्ती खेल के आ रही थी , और अब एक बार उसका लंगोट खुल गया तो वो नाग लंगोट में बंद होने वाला नहीं था. और ये भरोसा मंजू भाभी के साथ मेरी बाकी जेठानियों का भी था,...

मैंने बोल तो दिया और इस बार की कैप्टेन मंजू भाभी थीं तो मेरे मन की बात सुन सोच के उन्होंने टीम भी एकदम से बदल दी,...

४ हमलोगों के टोले की बाहर वाली, काम करने वालियां, लेकिन देह की बहुत कड़ी खूब जांगर वाली,



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दो तीन ऐसी भौजाइयां जो अभी लड़कोर नहीं थीं, तीन चार साल पहले गौना हुआ था,..


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मंजू भाभी और दो उमर में थोड़ी बड़ी लेकिन जो मानती थीं की हाँ हम लोग जीत सकते हैं,... जो मैच के पहले हार मान जाए सिर्फ रस्म रिवाज के लिए मैच खेले,...वैसी एकदम नहीं फायटिंग स्प्रिट हम लोगों से भी ज्यादा और अनुभव भी

जैसे दूल्हे को दुल्हिन लाने पे दूल्हे के मायके में कोहबर में पासा खिलाया जाता है , दूध में अंगूठी डाल के ढुंढवायी जाती है और बगल में बैठी भौजाई कान में देवर को समझा देती है, अगर गलती से भी एक बार जीत गए न,... तो ये मिठाई जो बगल में बैठी है आज रात में नहीं मिलेगी खाने को सोच लो,...





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और वो बेचारा तीनों बार हार जाता है,... फिर मौरी सेरवाने में नयी बहु, उसकी दुल्हन के सामने गांव की भौजाई सब अपनी ननदों को उसकी बहन को उसी का नाम लग लगा के खूब गरियाती है, लेकिन बगल में बैठी 'मिठाई ' के लालच में वो सब कुछ करता है,...

तो मेरी बात मान के टीम भी बदल गयी थी जो नयी नयी चार को शामिल किया गया था वो सब मान भी गयीं थी,... और थोड़ी देर में टीम की मीटिंग थी, पर बारह आने का खेल तो अभी होना था , टीम की स्ट्रेटजी तय करनी थी,... और ये तो मुझे ही करनी थी,...कैप्टेन मंजू भाभी जरूर थीं लेकिन सब जिम्मेदारी मेरे कंधो पर और अब टीम मेरे कहे अनुसार बन गयी थी पुरानी टीम के ६-७ सीनियर खिलाड़ी बदल गए थे तो,... अब तो कोई बहाना भी नहीं

और फिर इस ननद भौजाइयों की कबड्डी की हार जीत पे बहुत कुछ होना था,.... एक तो ननदों का घमंड,... वो भौजाई कौन जो ससुराल में पहुँच के ननद की नाक न रगड़वा दे,... अरे दुश्मन को दुश्मन के किले में हराना ही असली जीत है, अपनी गली में तो,...

लेकिन कैसे, ...


जो जीतता है उसकी बात न सिर्फ होली में, रंगपंचमी में बल्कि साल भर अगली होली तक चलती है अगर हम लोग जीत गए तो बस इस रंगपंचमी में नहीं साल भर,... और ये बात कौन भौजाई नहीं चाहेगी की ननद चुपचाप उसका कहा करती रहे, उसकी चुगली अपनी माँ से भाई से न करे,... और हम लोग जीत गए तो ऐसी रगड़ाई करवाउंगी उन सब की,... और अब तो ननद के भैया मोबाइल लाये हैं जो फोटो भी जबरदस्त आती है और वीडियो भी , बस सब कुछ रिकार्ड होगा,... लेकिन जीते तो सही है और उस के लिए बात थी स्ट्रेटजी की,

मैंने एक बार फिर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया,...

मुझे शुन त्जू की बात याद आयी, नो योर एनेमी ,...


और मैं नयी नयी इस गाँव में,... तो सबसे पहले ननदो की टीम की स्ट्रेंथ, ... और अलग अलग खिलाड़ियों की ताकत,....

फिर उनकी स्ट्रेटजी,... और वीकनेस,... वीकनेस का तो खैर मुझे अंदाजा था , उन सबका ओवरकॉन्फिडेंस और बड़बोलापन,... लेकिन अलग अलग खिलाड़ियों की कमजोरी इंडिविजुअल अगर पता चल जाए,...कबड्डी में जब कोई आपके पाले में आता है तो वो अकेला होता है और उस समय अगर उस की कमजोरी मालूम है तो उसे पटकना बहुत आसान है,... फिर पिछले मैचों में उनकी स्ट्रेटजी,...

वो तो खैर मंजू भाभी और बाकी दो मेरी जेठानियाँ जो प्रौढ़ा थीं और पिछले पांच छह साल से कबड्डी का ये मैच खेल रही थीं , उनसे ननदों की ट्रिक्स पता चल जायेगी,... और उनकी स्ट्रेंथ में सबसे बड़ी थी लीडरशिप, अबकी नैना वापस आ गयी थी और नैना की बात सब मानती थीं , वो थी भी बहुत शातिर दिमाग, एकदम असली ननद,...



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लेकिन ऐसी ननद के साथ ही तो ननद भौजाई का मजा आएगा,... लेकिन नैना के बारे में मैंने तय कर लिया था , डिफेन्स इस बेस्ट आफेंस, ... उसके आते ही हम सब पीछे हट जाएंगे और बस बचने की कोशिश करेंगे,... और वो मुझे या किसी तगड़े प्लेयर पे निशाना लगाएगी तो किसी प्रौढ़ा को आगे कर देंगे , सैक्रिफाइस के तौर पे,... लेकिन देर तक छकाने के बाद,... और फिर जो बाकी आएँगी तो उन्हें तो रगड़ रगड़ के,...

और बाद में अगर वो बच भी जायेगी तो क्या,...

लेकिन मेरी सब जेठानियाँ गीता की ताकत की भी तारीफ़ कर रही थीं और काठ की हांड़ी दो बार तो चढ़ती नहीं तो गीता की तो काट तो ढूँढ़नी पड़ेगी और वो मुझे सबसे कठिन लग रहा था,... पिछले साल नैना नहीं थी तो गितवा ने ही भौजाइयों को दौड़ा दौड़ा के,...


और अगर ननदें हार गयीं तो उनसे क्या क्या करवाएंगे,....

कोई कह सकता है की इससे क्या फरक पड़ता है लेकिन ये बहुत जरूरी था प्लान करना मेरी टीम के मेंबर्स को मोटिवेट करने के लिए,...

पहले भी जीतने के बाद सिपाहियों को दो तीन दिन तक लूटने की पूरी छूट मिलती थी , सिर्फ धन सम्पत्ति ही नहीं, लड़कियां औरतें भी,... जितो वा भोक्ष्यते महीम,... और दूसरा ऑप्शन मैंने कभी न दिया न सोचा,...

मैंने अल्टीमेट सरेंडर की लेस्बियन रेसलिंग के बहुत वीडियो देखे थे और इस समय वही दिमाग में नाच रहे थे, जीतने वाली एक फुटा स्ट्रैप ऑन डिलडो बाँध के और हारने वाली की क्या दुर्गत होती थी,... बस वो सब टीम के मेंबर्स को दिखाने थे और उनसे डिस्कस भी करना था क्या होना है ननदों के साथ,.. एक से एक मस्त मस्त ऑप्शन मेरे दिमाग में आ रहे थे

लेकिन तो सब तभी होगा जब गीता की कोई काट निकल जाए ,

उफ़ आप भूल गए कबड्डी वाली बात, चलिए पन्ना पलट के आप को याद दिला ही देती हूँ मंजू भाभी के यहाँ जो बातें हुयी थी फिर ढूंढती हूँ गीता की काट
ये सच है कि कबड्डी..
ताकत से ज्यादा कूटनीति और कौशल का खेल है...
और जो पहले हीं हार मान कर खेल रही हों...
तो आधी हार तो खेल शुरू होने पहले हीं हो चुकी है....
तो "how is the josh" कह करके तैयारी करवानी पड़ेगी....
 
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