नहीं नहीं दो बातें, पहले तो नैना नहीं मानेगी वो उसे नयकी भौजी की छुटकी बहिनिया ही मान के. और छुटकी के सामने ही सासू माँ ने नैना को ये जिम्मेदारी दी है
भाग ११ ( पृष्ठ ५३ ) से लेकर भाग १३ तक
" अच्छा तो एक जीजू के साथ इतना मजा आया तो १०० जीजू के साथ कितना गुना ज्यादा मजा आएगा ,... " सासु जी ने पूछा
" सौ गुना ,... " छुटकी ने बिना समझे जवाब दिया , ---
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सोच लो ,... " सासू जी ने जाल फेंका और विस्तार से डिस्क्राइब किया ,
" सोच ले , कित्ता मज़ा आएगा , ... अलग अलग शेप के साइज के , कोई खूब मोटाक्या , कोई खूब लंबा ,... हचक हचक के , अलग स्वाद , पकड़ने में , मुंह में लेने , चूत में लेने में हर बार अलग मजा , है ना , सुबह कोई तो शाम को कोई , कोई डालता रहेगा तो कोई इन्तजार करेगा , तेरे तीन महीने ऐसे मस्ती में निकल जाएंगे ,... "
" और ज्यादातर तेरे जीजू से बड़े हैं इस गाँव के मरद , दो तिहाई से ज्यादा , ... लेकिन वो तेरे क्या लगेंगे ,... तेरे देवर जेठ थोड़े ही लगेंगे , तेरे जीजू के भाई ही हैं तो सब के सब ,... "
नैना सामने आ गयी बात पूरी करने
और अबकी बात खिखिलाते हुए छुटकी ने पूरी की ,
" मेरे जीजू,... "
' और तूने खुद कहा था , और सही कहा था ,... जीजू का तो साली पर हक होता है , साली ना ना करती रहे तो भी जीजू का काम , काम करना है ,... " सासू ने उसे और लपेटा , ...
सास मेरी प्यार से उसे सहला रही थीं , प्यार से दुलरा रही थीं , ... और छुटकी के चुप होने पर भी , बड़ी देर तक वो भी चुप रहीं , फिर धीरे से बोली
" तभी तो ,.. यही तो मैं तुझे समझा रही थी , ... सोच न एक बार तो तूने मजा ले ही लिया है , जो भी दर्द होता है , पहली बार , ... तूने फड़वा ही लिया है , झिल्ली तो तेरी फ़ट ही गयी है ,... और तू खुद कह रही थी की बहुत बहुत मजा आया , जीजू के साथ ,... तो वही मैं कह रही थी , अगले तीन महीने तक ,... एक जीजू के साथ इतना मजा तो १०० जीजू के साथ १०० गुना ,... फिर एक बार अपने शहर गयी तो वही सब चालू हो जाएगा ,... इसी लिए कम से कम तीन महीने तक खुल के मजे , ... "
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और खींच कर जैसे कोई छोटी बच्ची को अपनी गोद में बैठा ले , उसी तरह उन्होंने छुटकी को खींच कर ठीक से अपनी जाँघों पर बिठा लिया , उनकी साडी पेटीकोट भी सरक कर घुटनों से बहुत ऊपर उठ गयी थी , उनकी स्थूल मांसल जाँघे साफ़ साफ़ दिख रही थीं , ... उन्होंने कस के छुटकी को चूमा और एक हाथ से उसके नए आ रहे उभारों को दबाते सहलाते , बोलीं ,
" देख जैसे मरद तोहार सब के सब जिज्जा लगेंगे , चाहे छोट हों चाहे बड़ा ,... चाहे नए नए लौंडे हो , चाहे दो बच्चों के बाप , उसी तरह जितनी इस गाँव की लड़कियां है , सब की सब तोहार का , लगेंगी ,... "
" ननद " छुटकी भी रिश्तों का गणित अब अच्छी तरह समझने लगी थी ,
" बस एन ननदन से लजाये शरमाये क कउनो बात नहीं है , आखिर उनके भाइयों के आगे तो रोज आपने स्कर्ट , साड़ी पसारोगी तो इनसे का सरमाना , तो इनको एक ही बात समझ में आती है , सिर्फ गाली ,... "
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तो सास और नैना दोनों का जो प्लान है उसमे छुटकी के ननद में बदलने का खतरा नहीं
वो सिर्फ गीता की और वो भी असली तो तब होगी जब अरविन्द गीता के सामने छुटकी पर,..