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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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bas jald hi kabaddi shuru hogi Nanad Bahbhi ki agali post se hi apni seat book karvaa lijiye
फ्रंट सीट पर... रिजर्व..
फुल ऑन चियर लीडर्स के साथ....
हुडदंग वाली कबड्डी...
साथ में सास के एक्सपर्ट कमेंट भी...
बेईमानी का मौका और फिर दोनों पक्षों के कैप्टन के बीच बहसबाजी...
फिर सास का इंटरवेंशन....
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने इसलिए टीम में ऐसी सिर्फ मेरी तीन जेठानियाँ है, ... मिश्राइन भाभी, दूबे भाभी और मंजू भाभी,... और बाकी दो मेरी जेठानियाँ रज्जो भाभी और मोहिनी भाभी, उन्होंने गौने की रात ही शर्त रख दी थीं तीन चार साल तक पेट नहीं फूलेगा,... तो वो लरकोर नहीं हैं।

लेकिन दम भले कम हो जाय तन मन की आग शायद बढ़ जाती है,...
ये तन की आग तो कभी बुझती हीं नहीं....
बल्कि और भड़क उठती है....
 

motaalund

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बस अगली पोस्ट में कबड्डी शुरू होगी और एकदम आँखों देखा हाल, मुकाबला कत्तई एकतरफा नहीं होगा,... दोनों टीमें तैयार हैं

बस कल कब्बडी की शुरुआत ननद और भौजाइयों की होली के मौके पर।
हल्की से हल्की हरकत भी छूटनी नहीं चाहिए...
और फिर होली का मौका...
और छुटकी जैसी कबड्डी प्लेयर.. जो पारशियलिटी के कारण सेलेक्ट होने से रह गई...
अब अपना करिश्मा पेश करेगी....
 

motaalund

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बस कल कब्बडी की शुरुआत ननद और भौजाइयों की होली के मौके पर।
उफ्फ.. बेताबी से....
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने , कोई भी रणनीति, बिना विरोधी की शक्ति की समीक्षा के नहीं बन सकती। विशेष रूप से जब आप लगातार हार रहे हैं और आपके पक्ष ने हारना नियति मान लिया हो।
सचमुच मनोबल के साथ साथ... दांव पेंच भी....
आखिर हौसले से हीं जीत की बुलंदी को छू सकते हैं...
और फिर इनाम भी तो जबरदस्त है....
 

motaalund

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नहीं नहीं दो बातें, पहले तो नैना नहीं मानेगी वो उसे नयकी भौजी की छुटकी बहिनिया ही मान के. और छुटकी के सामने ही सासू माँ ने नैना को ये जिम्मेदारी दी है

भाग ११ ( पृष्ठ ५३ ) से लेकर भाग १३ तक


" अच्छा तो एक जीजू के साथ इतना मजा आया तो १०० जीजू के साथ कितना गुना ज्यादा मजा आएगा ,... " सासु जी ने पूछा

" सौ गुना ,... " छुटकी ने बिना समझे जवाब दिया , ---

--


सोच लो ,... " सासू जी ने जाल फेंका और विस्तार से डिस्क्राइब किया ,

" सोच ले , कित्ता मज़ा आएगा , ... अलग अलग शेप के साइज के , कोई खूब मोटाक्या , कोई खूब लंबा ,... हचक हचक के , अलग स्वाद , पकड़ने में , मुंह में लेने , चूत में लेने में हर बार अलग मजा , है ना , सुबह कोई तो शाम को कोई , कोई डालता रहेगा तो कोई इन्तजार करेगा , तेरे तीन महीने ऐसे मस्ती में निकल जाएंगे ,... "

" और ज्यादातर तेरे जीजू से बड़े हैं इस गाँव के मरद , दो तिहाई से ज्यादा , ... लेकिन वो तेरे क्या लगेंगे ,... तेरे देवर जेठ थोड़े ही लगेंगे , तेरे जीजू के भाई ही हैं तो सब के सब ,... "

नैना सामने आ गयी बात पूरी करने

और अबकी बात खिखिलाते हुए छुटकी ने पूरी की ,

" मेरे जीजू,... "
' और तूने खुद कहा था , और सही कहा था ,... जीजू का तो साली पर हक होता है , साली ना ना करती रहे तो भी जीजू का काम , काम करना है ,... " सासू ने उसे और लपेटा , ...

सास मेरी प्यार से उसे सहला रही थीं , प्यार से दुलरा रही थीं , ... और छुटकी के चुप होने पर भी , बड़ी देर तक वो भी चुप रहीं , फिर धीरे से बोली

" तभी तो ,.. यही तो मैं तुझे समझा रही थी , ... सोच न एक बार तो तूने मजा ले ही लिया है , जो भी दर्द होता है , पहली बार , ... तूने फड़वा ही लिया है , झिल्ली तो तेरी फ़ट ही गयी है ,... और तू खुद कह रही थी की बहुत बहुत मजा आया , जीजू के साथ ,... तो वही मैं कह रही थी , अगले तीन महीने तक ,... एक जीजू के साथ इतना मजा तो १०० जीजू के साथ १०० गुना ,... फिर एक बार अपने शहर गयी तो वही सब चालू हो जाएगा ,... इसी लिए कम से कम तीन महीने तक खुल के मजे , ... "

---

और खींच कर जैसे कोई छोटी बच्ची को अपनी गोद में बैठा ले , उसी तरह उन्होंने छुटकी को खींच कर ठीक से अपनी जाँघों पर बिठा लिया , उनकी साडी पेटीकोट भी सरक कर घुटनों से बहुत ऊपर उठ गयी थी , उनकी स्थूल मांसल जाँघे साफ़ साफ़ दिख रही थीं , ... उन्होंने कस के छुटकी को चूमा और एक हाथ से उसके नए आ रहे उभारों को दबाते सहलाते , बोलीं ,

" देख जैसे मरद तोहार सब के सब जिज्जा लगेंगे , चाहे छोट हों चाहे बड़ा ,... चाहे नए नए लौंडे हो , चाहे दो बच्चों के बाप , उसी तरह जितनी इस गाँव की लड़कियां है , सब की सब तोहार का , लगेंगी ,... "

" ननद " छुटकी भी रिश्तों का गणित अब अच्छी तरह समझने लगी थी ,


" बस एन ननदन से लजाये शरमाये क कउनो बात नहीं है , आखिर उनके भाइयों के आगे तो रोज आपने स्कर्ट , साड़ी पसारोगी तो इनसे का सरमाना , तो इनको एक ही बात समझ में आती है , सिर्फ गाली ,... "

---

तो सास और नैना दोनों का जो प्लान है उसमे छुटकी के ननद में बदलने का खतरा नहीं

वो सिर्फ गीता की और वो भी असली तो तब होगी जब अरविन्द गीता के सामने छुटकी पर,..
ओहह.. तो विरोधी टीम में भी आपके हमदर्द मिल जाएंगे..
नैना के रूप में....
 
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motaalund

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बस अब मैच शुरू होने दीजिये, एक से एक दांव, हर तरह की ननदें और उनके दांव,

चाहे तो फैंटेसी प्लेयर और टीम भी बना सकते हैं

कल
ड्रीम ११ की तरह...
 

motaalund

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इनकी संस्कृत काव्य पर भी बहुत अच्छी पकड़ है और हिंदी साहित्य पर भी
सही है... इनका संसर्ग भी साहित्य के कई रूपों से अवगत कराता है....
 
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