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भाग ५९ कबड्डी ननद और भौजाई की
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वाह कोमल जी वाहभाग ५९ कबड्डी ननद और भौजाई की
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Lovely pictures and updateजोरू का गुलाम भाग १९४ ( Page 819)
आनेवाला कल
update posted, please do read, enjoy like and comment.
https://exforum.live/threads/जोरू-का-गुलाम-उर्फ़-जे-के-जी.12614/page-819
सुखद संयोग कबड्डी की शुरआत के बाद सबसे पहला कमेंट आपका हीनिवेदन करना हमारा अधिकार...
स्वीकार करना न करना .. उनका अधिकार....
विविधता के साथ रसीले, मीठे.. मनमोहक डाय्लोग्स आपकी विशिष्टता है...
एकदम और कबड्डी शुरू भी हो गयी और पहला राउंड भाभियों के पक्ष में लेकिन लीड सिर्फ १ की है २-१फ्रंट सीट पर... रिजर्व..
फुल ऑन चियर लीडर्स के साथ....
हुडदंग वाली कबड्डी...
साथ में सास के एक्सपर्ट कमेंट भी...
बेईमानी का मौका और फिर दोनों पक्षों के कैप्टन के बीच बहसबाजी...
फिर सास का इंटरवेंशन....
एकदम सही कहा आपने, प्रौढ़ा का अनुभव भी होता है आग भी होती हैये तन की आग तो कभी बुझती हीं नहीं....
बल्कि और भड़क उठती है....
छुटकी तो हमारी टीम के लिए ट्रम्प साबित होगी, पर आगे आगे देखियेहल्की से हल्की हरकत भी छूटनी नहीं चाहिए...
और फिर होली का मौका...
और छुटकी जैसी कबड्डी प्लेयर.. जो पारशियलिटी के कारण सेलेक्ट होने से रह गई...
अब अपना करिश्मा पेश करेगी....
फर्स्ट ब्रेक - भौजाइयां २ ननदें १
लगातार ऊँगली और चूसने से कजरी झड़ने लगी अब कजरी मस्ती से पागल हो गयी खुद चूतड़ उठाने लगी
वो झड़ती रही , ... और पहली बार ननदों की टीम की पहली खिलाड़ी गेम से परमानेंटली बाहर हो गयी,...
हल्ला और गाली का ठिकाना नहीं था।
लेकिन हम लोगों की ख़ुशी देर तक नहीं रही, पंद्रह मिनट के ब्रेक के ठीक पहले हमारी ओर से रज्जो भाभी गयी और पकड़ी गयी.
रज्जो भाभी मेरी जेठानी, मुझसे थोड़ी ही बड़ी,... और पड़ोस की भी,... वैसे तगड़ी थीं, बहुत स्थूल भी नहीं,..
. लेकिन पकड़ी गयीं साड़ी के चक्कर में, साड़ी हम सब लोगों ने कमर में लपेट के बाँध रखी थी और ब्लाउज भी ढंका, ... बस साड़ी पेटीकोट में फंसी, और जब चारो की दीवाल ने उन्हें लौटानी में घेरा, उन्होंने कन्नी काटी लेकिन एक छुटकी बस पीछे से उसने बजाय उन्हें दबोचने के उनकी साड़ी पेटीकोट में जो फंसी थी खींच ली, उसको बचाने उस छुटकी के हाथ से उन्होंने साड़ी खींची तबतक एक किसी ने लंगड़ी फंसा दी और वो धड़ाम,...
पर गिरते गिरते भी वो लाइन के पास आ जाती लेकिन गितवा पास ही थी उसने उनका पैर पकड़ के पूरी ताकत से अंदर की ओर खींचा और उन चारों में से दो ने सीधे कपड़ों पे हमला बोला, एक ने ब्लाउज फाड़ के तार तार कर दिया, और दूसरी ने पेटीकोट खींच के उतार दिया,... और जिधर गाँव की ननदें बैठ के हो हो कर रही थीं, भौजाइयों को उनके मायके का नाम ले ले के गालियां दे रही थीं उधर उछाल के फेंक दिया।
नैना और उसकी टीम वाली हम लोगो ने भी दो हाथ आगे, साड़ी पेटीकोट ब्लाउज सब चीथड़े,...
और जब गीता उनके मुँह पे बैठी
और एक कच्ची कली को नैना ने आगे किया ऊँगली करने के लिए तो रज्जो ने हाथ उठा के हार मान ली, तब भी उस लड़की ने तीन ऊँगली एक साथ पेल दी।
ननदों का हल्ला हम लोगो से भी तेज था।
पहले ब्रेक के समय हम लोग एक प्वाइट से आगे थे, ननदो की टीम के दो खिलाडी खेल से बाहर थे और हमारी ओर से एक, नंदों की एक तगड़ी खिलाड़ी को छुटकी ने उनके पाले में जा कर छू के मारा था और कजरी हमारे इलाके में रगड़ी गयी।
पांच मिनट के इस ब्रेक में मैंने छुटकी, चननिया और मिश्राइन भाभी के साथ क्विक स्ट्रेटजी सेशन किया।
रमजानिया ने नैना की टीम के एक एक मेंबर का हाल खुलासा बताया। सबसे तगड़ी थीं वो चार जो पकडने का काम करती थीं, लीला, नीलू, चंदा, और रेनू।
चारों उमर में बड़ी थीं, दो की तो शादी हो गयी थी, गौना नहीं हुआ था, लीला और नीलू, .
चंदा थोड़ी स्थूल थी. इस चारों का पिछले चार साल से कबड्डी में भौजाइयों को हराने में उन का बड़ा हिस्सा था।
रेनू बिनचुदी थी हालांकि १२ वे पहुँच गयी थी,... और उसी का चचेरा भाई कटखने कुत्ते की तरह दौड़ता था अगर कोई उसके बहन को इशारा भी करे।
रेनू और चंदा बायीं साइड पे रहती थीं और नीलू और लीला दायीं ओर।
नैना और गीता दोनों सेण्टर में, लेकिन जैसे ही कोई अपनी ओर वाली घुसती थी पहले तो दोनों अपनी बगल में खड़ी नई उमर वालियों को इशारा करके,... और उसके आगे बढ़ने पर नैना दायीं ओर और गीता बायीं ओर का मोर्चा सम्हालती। जब रज्जो भाभी वापस आयीं और उन्होंने देखा लीला नीलू, चंदा खड़ी है तो बायीं ओर से बच निकलने के लिए कन्नी काट के, पर गीता पहले से अंदाज लगा लेती थी की आने वाली बच के कन्नी काट के किधर से,...
वो वहीँ पे और उस के साथ एक दो छुटकियाँ, उसी में से एक ने उनकी साड़ी पर हाथ मारा बस उसे बचाने के चक्कर में,... वो तब भी बच जातीं एक ने लंगड़ी मारी , गिर वो लाइन की ओर रही थीं और हाथ उन्होंने लम्बा कर लिया था ऐसे क्रिकेट में बैट्समेन रन आउट से बचने के लिए डाइव मारता है,... पर गीता ने समझ लिया था पहले ही और उनके गिरते ही उनकी टांग पकड़ के घसीट लिया।
अब बची पांच छुटकियाँ, सब की सब अपनी छुटकी की उमर की एक दो और भी कच्ची। कजरी को छोड़ के बाकी सब की सब कोरी।
मान गयी मैं नैना ननदिया को, वो सोच रही थीं की पिछले साल जैसे गितवा ने भौजाइयों के साथ ये ट्रिक चली थी,.. आधी तो उस के भाई अरविंदवा की चोदी,... और अरविंदवा ने सबका हाल खुलासा गीता को बता रखा था कौन कब कैसे चुदी, बस वो कान में यही बोलती थी, कहो भौजी सुना दूँ अरविन्द भैया के साथ अमराई में का हुआ था, और सामने सबकी सास बैठीं,... बस जहाँ तीन चार भौजाइयां टूटीं, ... घंटे भर में उसने मैदान मार लिया। बस इसी से बचने के लिए , और उन्ही पांचो को वो भेजती थी, सब की सब दुबली छरहरी बहुत फुर्तीली,... और हम अगर उनको पकड़ भी लेते तो उनके किसी राज़ की बात उनके कान में नहीं बोल सकते थे,... जो मैंने रमजनिया को टीम में जोड़ के सोचा था की सब ननदों का हाल चाल मिलेगा वो फायदा आधा रह गया था।
ये पांचो तीर के फल की तरह उसका शीर्ष धंसने वाला हिंसा, ... हमला करने भी वही आती, और जो हमारी टीम की ओर से जाती, उसे भी ललचाती, चिढ़ाती खूब अंदर तक और जैसे ही वो चारों,... लीला, नीलू, चंदा और रेनू रास्ता रोक लेती इन पाँचों में से भी दो दाएं की ओर, दो बाएं की और साइड से खड़ी, जिधर भौजाई कन्नी काट के निकले बस वही लंगड़ी मार के गिराने में,... फुर्तीली तो सब थीं ही और एक जो बची रहती वो जिधर भौजाई मुड़ती उसके दूसरे ओर की कहीं आखिरी मिनट पर कोई कन्नी काट के, और नैना भी उसी के साथ,
कजरी के अलावा बाकी चार थीं,... कम्मो, नीता, बेला और पायल।
पहले राउंड में छुटकी ने ताड़ लिया था की ये चार ही सबसे घातक होंगी,... जो दाएं बाएं है और दीवाल बना लेती हैं और उसने उनमे से एक रेनू को निपटा दिया था. कजरी आ के फंस गयी थी। पर अब रेनू की जगह ज गीता झप्पट के ले लेती।
पर जो चीज मैं देख के भी नहीं देख पा रही थी वो छुटकी और मिश्राइन भाभी ने देख लिया था, कपडे।
वो पांच जिनके जिम्मे हमले का काम था, ललचा के भाभियों को अंदर तक ले जाने का काम था, कम्मो, चंदा, बेला और पायल सब की सब या तो फ्राक में थीं वो भी बहुत टाइट, या टॉप और लेगिंग में,... जिससे उन्हें भागने दौड़ने में कोई दिक्कत नहीं थी. जो चार रोकने का काम कर रही थीं उनमे एक दो टॉप लेगिंग में और दो शलवार सूट में,... हमारी ओर से छुटकी ही सिर्फ टॉप और एक छोटे से सफ़ेद शार्ट में थी, बाकी सब साड़ी में, हालांकि रज्जो भाभी के गिरते ही हम सब ने साड़ी ब्लाउज पर से हटा के फेंटे की तरह बाँध लिया था, पर फिर भी,... एक दो झिझक रही थी की फेंटे की तरह बांधने में ब्लाउज खुल जाएगा, जोबन दिखने लगेगा,... तो मैंने समझाया
" अरे अपने टिकोरे दिखा रही हैं तो हम लोगों को क्या,... " और मिश्राइन भाभी ने बोला साड़ी उतार दो अगर ज्यादा झंझट है,...
Achhi adult kabbadi hai,भाग ५९ कबड्डी ननद और भौजाई की
हमारी टीम
९,८३,३७१
अबकी हमारी टीम एकदम अलग थी, छ वो थीं जो मेरी टीम की कोर स्ट्रेंथ थी। मैं और छुटकी। छुटकी तो जिले की कब्बडी टीम में तीन साल से थी और कुछ समय पहले स्टेट की अंडर 15 वाली टीम में बस होते होते रह गयी थी. लेकिन असली चार थीं, गुलबिया कजरी की भौजी नउनिया बहू जो पिछले साल गौने आयी थी, उमर में मेरी समौरिया,
चमेलिया, कल्लू की मेहरारू, गाँव में अकेली मेरी देवरानी, मेरे बाद जिसका गौना हुआ था, देह की बड़ी कड़ी,..
रमजनिया उमर में मुझसे थोड़ी बड़ी होगी पर हर चीज में होशियार और उसी के सहारे मैंने चंदू का किला जीता था और इन चारो में उमर में सबसे बड़ी लेकिन बहुत तगड़ी जिससे ८ -१० गाँव की ननदें नाम सुनने पे भागती थीं, अहिराने की चननिया, जो मंजू भाभी ने सजेस्ट किया था.
हम छह के अलावा टीम की कप्तान थीं मंजू भाभी, ३४-३५ की उमर की जिनके छोटे देवर चुन्नू को मैंने आज ही छोटे से बड़ा किया था, और दो और सीनियर लोग साल दो साल बड़ी, दूबे भाभी और मिश्राइन भाभी , जो जोश में और मस्ती में हम लोगों की ही टक्कर की थीं। कप्तान तो मंजू भाभी थी लेकिन हिम्मत बढानेवाली, अनुभवी और कोच कहें, मेंटर कहें मिश्राइन भौजी ही थीं तो ये हो गयी नौ।
बची दो तो वो मेरी दो जेठानियाँ,
असल में कई साल से बबुआने में नयी बहुएं तो टिकती ही नहीं थी सब मर्द के साथ नौकरी पे और साल दो साल पे कभी आएँगी लेकिन होली में तो शायद ही कोई,...
और गलती उनसे ज्यादा हमारी पट्टी के मर्दों की थीं, गलती भी क्या मन ,...हमारे गाँव के मर्द जो शहर में रहते थे, तो होली में अपनी साली सलहज के साथ ससुराल की ओर मुंह करते और बहुएं अपने मायके का, नहीं तो शहर की कालोनी की होली।
लेकिन ये दो एकदम अलग मिट्टी की बनी थीं, रज्जो और मोहिनी।
और जो दो चार थीं, जिनके मरद शहर में रहते थे वो कभी गाँव कभी शहर सबका साल भर के अंदर पेट फूल गया तो दो चार बच्चा दे देने के बाद न होली खेलने का जोश बचता न ताकत।
रज्जो भौजी के मर्द पंजाब में थे , वो भी आती जाती थीं लेकिन गौने की रात ही उन्होंने कसम दिला दी थी अगले पांच साल तक खाली कबड्डी होगी पेट नहीं फूलेगा। उनकी माँ भी बड़ी समझदार गोली खिला के और छह महीने की खुराक दे के भेजा था,... फिर उन्होंने तांबे का ताला लगवा लिया, साल में दो चार महीने मरद के पास बाकी टाइम गाँव में सास ससुर के पास, और गाँव में भी जवान होते देवरों की कोई कमी तो थी नहीं।
वही हाल मोहिनी का था, दोनों से मेरी खूब पटती थी। लेकिन होली की कबड्डी टीम में पहले उन्हें जगह नहीं मिली थी।
असल में पहले मेरी सबसे बड़ी उम्र की जेठानियाँ ही, औसत उम्र भौजाई की टीम की ३५-३६ के बीच की होती थी, आधी तो ४०-४५ पार वाली शायद ही किसी के चार पांच बच्चे न हों तो बस, और अब मेरी टीम की औसत उमर २४-२५ के बीच की होगी, हम ६ तो ( छुटकी की उमर क्या बताना )
मतलब मैं मेरी दो जेठानियाँ रज्जो और मोहिनी, कजरी की भौजी गुलबिया, कल्लू की मेहरारू, गाँव में मेरी अकेली देवरानी चमेलिया और रमजनीया तो १८ से २३ के बीच वाले, दूसरी बात आज मोटिवेशन भी जबरदस्त था जीतने के बाद रगड़ाई का जोश और कमिटमेंट भी, ... और सबसे बढ़ के हम सब में विश्वास था,.. हम होंगे कामयाब,... और नैना ननदिया की टीम में ओवरकॉन्फिडेंस इत्ते साल से जीतते आ रहे हैं,
लेकिन ननदों को नहीं मालूम था जमाना बदल गया है उनके गाँव में कोमल भौजी आ गयी है और साथ में उनकी सबसे छुटकी बहिनिया छुटकी भी है,....
और जैसा मुझे उम्मीद थी नैना ने पहले यही जिद की की छुटकी भी हमारी टीम में शामिल होगी और मैंने साफ़ मना कर दिया,... वो कोई गाँव की भौजाई थोड़े ही है अरे गाँव के लड़कों की बात है सब उसके जीजा लगेगें,... ये बात मानती हूँ लेकिन लड़कियां उसकी ननद कैसे लगेगीं,
सास सब न्यूट्रल थीं उन्होंने साफ़ कर दिया की मैं और नैना जैसे तय करें
दस मिनट तक हुज्जत हुयी आखिर मैंने कहा की ठीक है छुटकी खेलेगी लेकिन वो हमारी बारहवीं खिलाड़ी रहेगी और उनकी ओर से ११ खिलाड़ी रहेंगे, नैना तो शायद मान जाती वो इतना श्योर थी और किसी तरह आज खुले आम छुटकी की रगड़ाई करना चाहती थी पर उसके टीम की बाकी लड़कियां उसके पीछे पड़ गयीं अंत में नैना ने कहा
“आप बस मेरी एक यही बात मान लीजिये उसके बदले में आप की जो शर्त हो “
मैंने बस दो तीन बाते बताई , पहली मैच सिर्फ घंटे भर का होगा, ( पहले टाइम अनलिमिटेड होता था तो ननदें पहले तो भौजाइयों को थका देती थीं और उसके बाद आराम से रगड़ रगड़ के हराती थीं ) लेकिन नैना ने कहा डेढ़ घंटे से कम में क्या, दोनों ओर जोड़ के २२ खिलाड़ी हैं और ये सास लोगों ने बीच का रास्ता निकाला - बीस बीस मिनट के चार राउंड, पहले और तीसरे राउंड के बाद तीन तीन मिनट का और दूसरे राउंड के बाद हाफटाइम चार मिनट का। और नैना मान गयी , लेकिन सिर्फ ये शर्त लगा दी की मैच ड्रा नहींहोगा , उस समय जितने खिलाड़ी बचे होंगे उसके आधार पर फैसला हो जाएगा और ये बात मैंने मान ली।
दूसरी बात झाड़ने वाली, जो खिलाड़ीन झड़ गयी या बोल दी की वो झड़ गयी है बस वो खेल से बाहर उसे दुबारा जिन्दा नहीं कर सकते,...
और मेरे आगे कुछ बोलने के पहले नैना बोली,... सब शर्तें आप अम्पायर लोग को बता दें सब मैंने मान लिया लेकिन आज आपकी बहना की अच्छी तरह फटेगी सबके सामने,
टीम का नाम अम्पायर लोगों को बताना था और तीन लोगों में मेरी सास, एक मेरी चचिया सास, और एक और उन्ही की साथ थी,... लेकिन उन सब ने सुबह सुबह छुटकी का भोग लगाया था और मेरी सास तो मैं रात को दिन कहूं तो वो हाँ में हाँ मिलाने वाली थीं।
जो मैं सोच रही थी की गुलबिया, चमेलिया, रमजानिया और चननिया के भौजाइयों के टीम में शामिल होने ननदें बड़ी जोर से उछलेंगी पर वैसा ज्यादा कुछ नहीं हुआ जो दो चार लड़कियां उछली तो मेरे कुछ बोलने के पहले गितवा ने उन्हें आड़े हाथ लिया, होली में इ सब का,... और गितवा के भाई का तो हर पट्टी में , और गितवा की भी फुलवा की छोटकी बहिनिया से जबरदस्त दोस्ती थी और उसी के साथ और भी,... नैना को कुछ फरक नहीं पड़ता था। और असली बात ये थी की नउनिया की छुटकी बिटिया, गुलबिया की ननद कजरी तो नैना की खास थी और उसकी टीम में थी , तो अगर उसे कजरी को अपनी टीम में खिलाना था तो गुलबिया, कजरी की भौजी को कैसे मना करती, और एक बार गुलबिया आ गयी तो बाकी सब भी,...
लेकिन थोड़ी बहुत भुनभुनाई भौजाइयां ही, ज्यादातर जो इस बार टीम में नहीं थी... बबुआने में ये सब,... आज तक तो ऐसा,... लेकिन मिश्राइन भौजी ने एक बार आँखे तरेरी सब चुप और मंजू भौजी ने समझाया अरे आज एक बार बस जीत जाएँ हम लोग सबसे पहले तुंही लोग कच्ची कली क भोग लगाओगी।