Shetan
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Ab to sharat to puri hogi. Har nandiya apne bhaiya ke khute pe bethegi.जीत गयी भौजाइयां
अब ढाई मिनट बचे थे। यानी हमारी ओर से कोई एक जाना था
और हम दो प्वाइंट से आगे , हमारी तरफ चार, मैं मिश्राइन भौजी , गुलबिया और मेरी देवरानी चमेलिया।
उधर नैना और पायल , ... लास्ट मूमेंट था गेम का।
मिश्राइन भौजी ने मुझे इशारा किया जाने का, और मैं पाला पार कर के नंदों के इलाके में
अब तो मैच उस तरह से था जैसे आखिरी बाल पे नंदों को नौ रन बनाना हो, छक्का मारने से भी नहीं, जब तक नो बाल न हो और मैं नो बाल, कोई फाउल नहीं करने वाली थी. लेकिन मान गयी मैं नैना को, उसमे उतना ही जोश था और पायल को भी जोश दिला रही थी,... दोनों दो ओर दो अलग कोनों,... मैंने पहले पायल की ओर हमला किया, ... मैं जानती थी की नैना पीछे से पकड़ने आएगी जब मैं पायल के पास पहुंचूंगी,.... पर पायल के पास पहुंचने के पहले मैं मुड़ के नैना की ओर,... अब पायल को टाइम लगना था पीछे से घेरने में और मैं लाइन से बहुत दूर नहीं थी, चमेलिया और गुलबिया दोनों एकदम लाइन के पास,... अगर मैं डाइव मार के लाइन पार करूँ तो वो दोनों मुझे पकड़ के खींच ले,
लेकिन मैच का फैसला हो चुका था, अगर मैं आउट भी हो जाती हमारी टीम एक प्वाइंट से जीत जाती,...
बाहर बैठी भौजाइयों ने ननदों को घेर लिया था, और एक से एक गालियां, ... बस मैच ख़तम होने का इन्तजार था,
हमारी टीम और ननदों के टीम के जो लोग आउट हो गए थे वो भी लाइन के किनारे बैठी,
मिश्राइन भाभी अब बाहर बैठी भौजाइयों को ललकार रही थीं,..
." कउनो स्साली छुप के बच के जानी नहीं चाहिए,... आपन आपन माल छांट लो,... अरे वो देखो मितवा कहाँ छिप रही है, अरे आज तोहरी महतारी के भोंसड़ी में से निकाल ले आएंगे , कहाँ जाओगी तोहार भैया भी नहीं है जिनसे चुदवाने जा रही है"
बड़ी जोर से आवाज आयी मेरी एक जेठानी की,... " अरे हमरे देवर से तो रोज चुदवाती हो आज भौजाई से चोदवाय के मजा लो,... आज बिन चोदे, गाँड़ मारे छोड़ना नहीं,..."
वो वही थीं जिन्होंने मंजू भाभी के यहाँ मेरी बात मना की थी कि हम लोग ननदों को हरा देंगे बस थोड़ी सी स्ट्रेटजी, बोली फालतू अरे नयको तोहार पहली होली है, चुपचाप हार मानने में ही अरे पिछले चार साल से मैं टीम में हूँ , पर साल तो खाली गीता थी अबकी नैना भी आगयी,... अब तो किसी सूरत में भौजाई नहीं जीत सकतीं,... "
जब टीम बनी तो हम लोगों ने उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया था और आज हम जीत की ओर थे तो सबसे जोश में वही,..
मैं बार बार कभी नैना कभी पायल , लेकिन कभी किसी के इतना पास नहीं जाती थी की दोनों ओर से घिर जाऊं,...
तभी एनाउंस हुआ बस एक मिनट और,...
और चमेलिया गुलबिया पायल को चिढ़ा रही थीं,...
रात पायल कहाँ बजी,... हमरे भैया के संग बजी, हमरे भैया से चोदावत बजी, गाँड़ मरावत बजी,
मैंने एक बार फिर पायल की ओर हमला किया, तेज वो भी थी कम्मो इतना तो नहीं फिर भी, कन्नी काटने में बहुत तेज, अचानक से मुड़ कर वो मेरे पीछे पहुँच गयी और नैना भी दूसरी ओर से बढ़ी,... मैं उस समय बाएं और थी ,
चमेलिया गुलबिया बोल रही थीं वापस, वापस
कोई कह सकता है की मैंने पायल या नैना को आउट करने की कोशिश क्यों नहीं की,... दो तीन बातें थीं पहले तो हम लोग दो प्वाइंट से आगे थे तो जीतना तो पक्का था , दो प्वाइंट से जीतें या तीन प्वाइंट से,... लेकिन अगर कहीं मैं पकड़ी जाती, मेरी सांस छूट जाती तो मैं आउट, मेरी रगड़ाई होती सो होती, बाहर बैठी ननदों का मोरल जो अभी डाउन था , थोड़ा ऊपर हो जाता,
दूसरे पायल भले ही उछल रही थी पर नैना भी मान चुकी थी की मैच ख़त्म हो गया है तो वैसे में नैना को आउट करके उसकी इतनी दिनों की साख मैं खराब नहीं करना चाहती थी, ... अगर मैच फंसा होता, एक राउंड बाकी होता तो बात अलग थी, और ऐसे में नैना के पीछे पड़ने का मतलब नहीं था और एक बात यह थी की मैं भी थक रही थी कल रात एक पल नहीं सोई थी पहले नन्दोई जी के साथ, फिर इनके साथ,... रत जगा तो चलिए रोज की बात थी लेकिन सुबह सुबह चंदू देवर के साथ ( भाग २४ देवर भाभी की होली पृष्ठ ११३ ) वो चंदू जिसका नाम लेने से लड़कियां क्या औरतें कांपती थीं, चार चार बच्चो की माँ भोसड़ी वालियां उसका एक बार घोंट लेती थी तो हफ़्तों सहारा लेकर चलती थीं, उसके साथ सुबह सुबह दो राउंड,... और पहले राउंड में तो मैं ही ऊपर पूरे कमर का जोर लगा के,... दूसरे राउंड में आधे से ऊपर कीचड़ में रगड़ के आम के पेड़ के सहारे खड़ा कर के,... निहुरा के,... और वहां से निकली तो मंजू भाभी के यहाँ चुन्नू का भोग लगाया,... फिर तब से कबड्डी की प्लानिंग तो मैं भी बस टाइम पास कर रही थी
असली चीज थी भौजाइयों का जितना, और मैंने अपनी टीम के साथ दिखा दिया था तो आखिरी मिनट पर रिस्क लेने का मतलब भी नहीं था और मिश्राइन भाभी ने मेरे आने के पहले दस बार समझाया भी था
मैंने नैना को पास आने दिया,... और फिर तीर की तेजी से दाएं छोर पे मैदान के अब उन दोनों को मैं ललचा रही थी,
" जो मुझे पकड़ लेगा उसकी की गाँड़ में मैं मुट्ठी नहीं करूंगी, ... ( मैंने ये नहीं कहा था की उसकी गाँड़ में मुट्ठी नहीं होंगी, चमेलिया और गुलबिया दोनों बौरायीं थी पायल की गाँड़ मारने के लिए , लेकिन कल पहले अपने सगे भैया के खूंटे के ऊपर चढ़ेगी उसके बाद,... )
हे पायल, तय कर लो मेरे किस किस देवर से कल चुदवाओगी,...
मैं खड़े खड़े चिढ़ा रही थी पर साथ साथ कनखियों से देख रही थी नैना चुपके से मेरे पीछे की ओर ,....
और मैं भाग कर लाइन के पास वहां से एक बार फिर उन दोनों को ललचा रही थी,...
तबतक अनाउंस हुआ टाइम ओवर,
मैं लाइन के पास ही थी, मैंने लाइन अपनी ओर पार कर ली,...
एक बार मंजू भाभी, दूबे भाभी,... मोहिनी और रज्जो ने जोर का हल्ला किया,
और उनसे ज्यादा बाहर बैठी भौजाइयों ने , हल्ला किया ,जिसके हाथ जो ननद लगी, उसे पकड़ के दबोच लिया, चननिया, रामजनिया और दो चार भौजाइयां जो बच के छिप के भाग रही थीं उन ननदों को पकड़ के घसीटा, एक भी नहीं बच पायी
भौजाइयों का हल्ला आसमान छू रहा था।
चमेलिया और गुलबिया ने साथ साथ लाइन पार की और पायल को दबोच के आराम से पहले उसका टॉप फाड़ा और कुछ बोला,...
लेगिंग उसने खुद उतार के चमेलिया को पकड़ा दी,
और एक बार मैं फिर लाइन के पार थी दौड़ती हुयी, नैना कबड्डी के मैदान के दूसरी ओर अकेले थी, ...
अपने घुटनों के बल बैठी, मुझे देख कर खड़ी हुयी पर मैंने उसे कस के अँकवार में में भेंट लिया जैसे दो बहनें सालों बाद मिली हों, ....
नैना ननद से बढ़ कर मेरी सहेली भी थी, गाँव के बारे में", गाँव के लड़के लड़कियों के बारे में जितना उसे मालूम था जितना उसने मुझे एक ही मुलाक़ात में बताया, बिना बोले हम दोनों कस के एक दूसरे को भींचे खड़ी रहीं फिर बैठ गयीं।