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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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धन्यवाद आपके स्पष्टीकरण के लिए...थोड़ी अनकही बातें थोड़ी टाइप की गलती
और छुटकी बाहर बैठी नंदों को, ... जो अबतक बहुत हल्ला कर रही थीं, गरिया रही थीं, कोई भौजाई पकड़ी जाती तो गारी दे दे कर, उन नंदों को अब चिढ़ा रही थी, ललकार रही थी,...
" अरे काहें चुपाय गयी, मुंहवा में कोई घोटाय दिया का,...
जैसे तोहरी बहिनी को हो रहा है न बस थोड़ी देर और,... ऊँगली नहीं सीधे मैं मुक्का अंदर करुँगी, कोहनी तक,...
पहली लाइन में छुटकी ननदों की चुप्पी को ले के चिढ़ा रही थी,... मुंह में कुछ घोटने से इशारा था,... यानी BJ or Fellatio
और टाइपो था को हाँ की जगह होना चाहिए था को हो
यानी जैसे तोहरी बहिनी को हो रहा है न बस थोड़ी देर
कमेंट्री ऐसी हीं होनी चाहिए...आप सब लोगों के उत्साह वर्धन और सलाह का नतीजा था, मैंने तो सिर्फ कोशिश की ,... और हर पात्र के लिए एक्शन और खेल के हर पल को कैप्चर करने में पोस्ट्स काफी लम्बी भी हो गयीं , लेकिन मैंने अपने मित्रों की धैर्य की परीक्षा लेते हुए राउंड को ब्रेक नहीं किया और चार राउंड को चार पार्ट्स में ख़त्म कर दिया भले ही पोस्ट्स लम्बी हो गयी हों।
इंतजार रहता है...वो भी ऐसी ही जोरदार होगी।
बस थोड़े व्यूज, थोड़े लाइक्स और थोड़े कमेंट्स
बारिश के मौसम में सराबोर होने का लुत्फ हीं कुछ और है...बाहर भी बारिश और अंदर भी बारिश
जोरू का गुलाम के पिछले तीन चार पोस्ट्स में यही चल रहा है।
जीत के बाद खेल के मैदान को शानदार तरीके से निरुपित किया है....भाग ६३
जीत गयीं भौजाइयां
10,71,987
मिश्राइन भाभी अब बाहर बैठी भौजाइयों को ललकार रही थीं,... कउनो स्साली छुप के बच के जानी नहीं चाहिए,... आपन आपन माल छांट लो,... अरे वो देखो मितवा कहाँ छिप रही है, अरे आज तोहरी महतारी के भोंसड़ी में से निकाल ले आएंगे , कहाँ जाओगी तोहार भैया भी नहीं है जिनसे चुदवाने जा रही है
बड़ी जोर से आवाज आयी मेरी एक जेठानी की,... " अरे हमरे देवर से तो रोज चुदवाती हो आज भौजाई से चोदवाय के मजा लो,... आज बिन चोदे गाँड़ मारे छोड़ना नहीं,...
वो वही थीं जिन्होंने मंजू भाभी के यहाँ मेरी बात मना की थी कि हम लोग ननदों को हरा देंगे बस थोड़ी सी स्ट्रेटजी, बोली फालतू अरे नयको तोहार पहली होली है, चुपचाप हार मानने में ही अरे पिछले चार साल से मैं टीम में हूँ , पर साल तो खाली गीता थी अबकी नैना भी आगयी,... अब तो किसी सूरत में भौजाई नहीं जीत सकतीं,... "
जब टीम बनी तो हम लोगों ने उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया था और आज हम जीत की ओर थे तो सबसे जोश में वही,..
मैं बार बार कभी नैना कभी पायल , लेकिन कभी किसी के इतना पास नहीं जाती थी की दोनों ओर से घिर जाऊं,...
तभी एनाउंस हुआ बस एक मिनट और,...
और चमेलिया, गुलबिया पायल को चिढ़ा रही थीं,...
रात पायल कहाँ बजी,... हमरे भैया के संग बजी, हमरे भैया से चोदावत बजी, गाँड़ मरावत बजी,
मैंने एक बार फिर पायल की ओर हमला किया, तेज वो भी थी कम्मो इतना तो नहीं फिर भी, कन्नी काटने में बहुत तेज, अचानक से मुड़ कर वो मेरे पीछे पहुँच गयी और नैना भी दूसरी ओर से बढ़ी,... मैं उस समय बाएं और थी ,
चमेलिया गुलबिया बोल रही थीं वापस, वापस
पर मैंने नैना को पास आने दिया,... और फिर तीर की तेजी से दाएं छोर पे मैदान के अब उन दोनों को मैं ललचा रही थी,
जो मुझे पकड़ लेगा उसकी की गाँड़ में मैं मुट्ठी नहीं करूंगी, ... ( मैंने ये नहीं कहा था की उसकी गाँड़ में मुट्ठी नहीं होंगी, चमेलिया और गुलबिया दोनों बौरायीं थी पायल की गाँड़ मारने के लिए , लेकिन कल पहले अपने सगे भैया के खूंटे के ऊपर चढ़ेगी उसके बाद,... )
हे पायल, तय कर लो मेरे किस किस देवर से कल चुदवाओगी,...
मैं खड़े खड़े चिढ़ा रही थी पर साथ साथ कनखियों से देख रही थी नैना चुपके से पीछे की ओर ,.... और मैं भाग कर लाइन के पास वहां से एक बार फिर उन दोनों को ललचा रही थी,...
तबतक अनाउंस हुआ टाइम ओवर मैं लाइन के पास ही थी, मैंने लाइन अपनी ओर पार कर ली,...
एक बार मंजू भाभी, दूबे भाभी,... मोहिनी और रज्जो ने जोर का हल्ला किया, चमेलिया और गुलबिया ने साथ साथ लाइन पार की और पायल को दबोच के आराम से पहले उसका टॉप फाड़ा और कुछ बोला,... लेगिंग उसने खुद उतार के चमेलिया को पकड़ा दी,
जीत के हल्ले में कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था, भौजाइयां जैसे पागल हो गयीं थी।
खूब जोर जोर से हो हो की आवाजें, एक से एक गालियां सब ननदों का नाम ले ले के और बाहर बैठी भौजाइयों ने नंदों को छाप लिया, अबतक जो ननदें चुन चुन कर गालियां दे रही थीं, ललकार रही थीं, किसी की आवाज सुनाई नहीं पड़ रही थी, एक एक ननद पर दो दो तीन तीन भौजाई,... दो चार बाहर निकलने के रस्ते पे कोयो ननद पेड़ पे चढ़ के न छिप जाए, कोई बाग़ में भागने की कोशिश न कर पाए
चारों ओर चररर चर्रर्र की आवाज ही सुनाई पड़ रही थी, कोई ननद अगर खुद ही शलवार खोलने को मान भी जाए तो भौजाइयां बस फाड़ने में लगी हुयी थीं, कुछ ही देर में सब ओर फटे हुए टॉप, कुर्ती, लेगिंग, शलवार, न कोई भौजाई उमर देख रही थी न नंदों की चीख पुकार सुन रही थी,... इत्ते साल बाद मौका मिला था,...
और एक बार मैं फिर लाइन के पार थी दौड़ती हुयी, नैना कबड्डी के मैदान के दूसरी ओर अकेले थी, ...
अपने घुटनों के बल बैठी, मुझे देख कर खड़ी हुयी पर मैंने उसे कस के अँकवार में में भेंट लिया जैसे दो बहनें सालों बाद मिली हों, .... नैना ननद से बढ़ कर मेरी सहेली भी थी, गाँव के बारे में", गाँव के लड़के लड़कियों के बारे में जितना उसे मालूम था जितना उसने मुझे एक ही मुलाक़ात में बताया, बिना बोले हम दोनों कस के एक दूसरे को भींचे खड़ी रहीं फिर बैठ गयीं।
मिश्राइन भौजी कुछ बोल रही थीं,...
दूसरे कोने पे चंदा , जिसके पैर में मोच लगी थी जिसे गुलबिया चमेलिया और छुटकी लंगड़ी घोड़ी कह के चिढ़ा रहे थे , और दूबे भाभी ने आउट होने के पहले अपना पूरा वजन उसके एक पैर पे डाल दिया था,.. बैठी थी और उसे घेर के गुलबिया दूबे भाभी और चननिया बैठी थीं, चननिया कोई तेल उसके पैर पे मल रही थीं,... और दूबे भाभी समझा रही थीं गुलबिया को। गुलबिया ने फिर पान के पत्ते कोई मलहम जो दूबे भाभी ने दिया था उसे लगा के बांध दिया। दूबे भाभी समझा रही थीं यही चुप्पे बैठी रहो तुम्हे कोई तंग नहीं करेगा मैं हूँ न बस घण्टे दो घंटे में ठीक हो जाएगा,
गुलबिया पान के पत्ते बांधते हुए उसे छेड़ रही थी,... अरे हमरे फायदे में है की जल्दी से जल्दी ठीक हो जाए, वरना रात में हमरे देवर लोगन के सामने टांग कैसे उठाओगी ,...
मेरा हाथ नैना के कंधे पर था और नैना का मेरे कंधे पर
मिश्राइन भाभी कुछ अनाउंस कर रही थीं।
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मिश्राइन भौजी अनाउंस कर रही थीं और सब ननदें भौजाइयां कान फाड़ के सुन रही थीं, सासें भी अब होनेवाले मस्ती को देखने के लिए बेताब थीं , आज हर कोई यहाँ औरत थी और सबकी देह की आग धधक के जल रही थी.
मिश्राइन भौजी की आंखे मुंझे ढूंढ रही थी और मैं और नैना ननदिया एक दूसरे को भींचे, दुबकाये, कब की बिछड़ी सहेलियों की तरह चिपकी एक कोने में, ... मिश्राइन भाभी की आँखे जब मेरी ओर पहुंची तो मैंने नैना की ओर दिखा के कुछ इशारा किया, और उनकी मुस्कराहट ने बता दिया तार पहुँच गया इशारे का उन के पास।
सब मैच देख रही भाभियों ने ननदों को छाप लिया था, कहीं कहीं एक एक नन्द को दो दो भौजाई दबोचे थीं,...
पहला अनाउंसमेंट हारने वाली टीम के लिए था,...
ये रेसलिंग भी कबड्डी से कम मजेदार नहीं...मिश्राइन भौजी
मिश्राइन भौजी अनाउंस कर रही थीं और सब ननदें भौजाइयां कान फाड़ के सुन रही थीं, सासें भी अब होनेवाले मस्ती को देखने के लिए बेताब थीं , आज हर कोई यहाँ औरत थी और सबकी देह की आग धधक के जल रही थी.
मिश्राइन भौजी की आंखे मुंझे ढूंढ रही थी और मैं और नैना ननदिया एक दूसरे को भींचे, दुबकाये, कब की बिछड़ी सहेलियों की तरह चिपकी एक कोने में, ... मिश्राइन भाभी की आँखे जब मेरी ओर पहुंची तो मैंने नैना की ओर दिखा के कुछ इशारा किया, और उनकी मुस्कराहट ने बता दिया तार पहुँच गया इशारे का उन के पास।
सब मैच देख रही भाभियों ने ननदों को छाप लिया था, कहीं कहीं एक एक नन्द को दो दो भौजाई दबोचे थीं,...
पहला अनाउंसमेंट हारने वाली टीम के लिए था,... आपस में कुश्ती,... कुश्ती का मतलब, पहले तो कुश्ती और फिर झाड़ना वो भी पांच मिनट में और बिन चुदी नंदों को ऊँगली नहीं कर सकते थे,..
और कुश्ती में जो झड़ जायेगी, वो हार जायेगी और उसके साथ क्या होगा ये मिश्राइन भाभी तय करेंगी
और मिश्राइन भाभी ने जोड़ियां बना दी,... लेकिन पहले उन्होंने बता दिया टीम में ११ खिलाड़ी है दो चोटिल होगये हैं गीता और चंदा वो इस में भाग नहीं लेंगी, अब बची नौ, तो नौ की जोड़ तो बन नहीं सकती,... इसलिए नैना अभी इस मुकाबले में नहीं रहेगी,... लेकिन सिर्फ अभी,... और जोड़ियां इस तरह से होंगी , चार जोड़ियां।
मिश्राइन भाभी ने जोड़ियां अनाउंस की, लीला के साथ पायल, नीलू के साथ बेला, रेनू के साथ नीता और कजरी और कम्मो,
दूसरी बात अगर पांच मिनट में दोनों में से कोई नहीं झड़ पाया ( कहीं दोनों ननदें आपस में मिल गयीं , सांठ गाँठ कर के मैच ड्रा करा लिया ) तो चमेलिया और गुलंबिया दोनों की गाँड़ मुट्ठी से मारेंगी
और दोनों साल भर तक के लिए पूरे गाँव की रंडी कहलाएंगी। इन चार कुश्तियों में जितने वाली की आपस में कुश्ती की दो जोड़ियां होंगी जिसके लिए सात मिनट का समय होगा और उसके बाद फाइनल,...और जब तक ये कुश्तियां चलेंगी, बाहर बैठीकोई भौजाई ननदों की ले नहीं सकती हाँ चुम्मा चाटी में, रगड़ाई में चूँची मसलने में कोई कसर नहीं छोड़ी जायेगी,...
मान गयी मैं मिश्राइन भौजी को,
घंटे भर से ऊपर की कबड्डी के बाद हम सब थक गए थे और अब कम से कम आधे घंटे तक ये हारने वाली टीम की लेस्बियन रेसलिंग तो सब लोग ताजा दम हो जायेंगे,... और दूसरे ननदों की टीम भी चूस चूस के चुसवा चुसवा के खूब गरम भी हो जायेगी तो लेने में मजा देगी,... गर्म नहीं करना पडेगा,... बस सीधे घचाघच्च,...
और बाहर बैठी ननदें भी इन्तजार करेंगी, क्या रगड़ाई होगी, उनकी और ये इन्तजार और टेंशन देता है।
लेकिन अगली बात जो मिश्राइन भौजी ने बोली उसने सब भौजाइयों को सन्न कर दिया,... और कुछ नंदों को भी जिनमे नैना भी थी,
पांच खिलाडियों का नाम उन्होंने अनाउंस किया, बेला, पायल, कम्मो , नीता और रेनू,... कुश्ती के दौरान इनकी जोड़ी ऊँगली नहीं कर सकती न आगे न पीछे,... बस चूस चूस के रगड़ के सहला के झाड़ना होगा।
नैना ने मेरी ओर सवाल भरी आँखों से देखा, मैंने चूम के उसका मुंह बंद करा दिया।
और बाहर भी काफी ननदें थी , जो कुँवारी थीं,... गौना छोड़िये शादी भी नहीं हुयी थी, १५-१६ के करीब,... सब की सब चुदी, सिवाय चार के,...
और मिश्राइन भाभी ने उनका भी नाम अनाउंस किया। उन्हें भी ऊँगली नहीं की जा सकती।
पर भौजाइयां सन्न रही गयी मिश्राइन भाभी की अगली बात से,...
और बाकि बची कुँवारी बियहता कउनो ननद को भी ऊँगली नहीं होगी,..मतलब एक मेरी जेठानी के मुंह से निकल गया
और मिश्राइन भाभी के बगल में खड़ी चमेलिया उनकी ओर से बोली,..
और बोलने के पहले अपनी बंद मुट्ठी और कुहनी तक हवा में लहराया और साफ़ कर दिया,...
" अरे मतलब ऊँगली नहीं मुट्ठी होगी वो भी कुहनी तक, और खाली बियहता नहीं सब के,... और अगवाड़े पिछवाड़े दोनों, ... और वो भी साथ साथ हमरे ननद छिनरन क एक लंड में कबसे पेट भरने लगा,... तो बुरिया और गाँड़ दोनों साथ साथ मारी जाएंगी "
किसी ननद की चीख निकली तो मिश्राइन भाभी हँसते हुए बोलीं,...
" अरे कोहनी तक यह लिए की ये भौजी लोगन क आशीर्वाद और होलिका क प्रसाद है, बियाहे के पहले और बियाहे के बाद ऐसे ही कलाई ऐसा मोटा, मोटा कड़ा लंड मिलेगा,... जिंदगी बार लंड क कमी नहीं होगी।"
और अब अगला ऐलान ननदों के लिए,
मैच शुरू होने के पहले ही सब को अपने सारे कपडे उतार के बगल में बैठी भौजाई को देना होगा , अगर मैच शुरू होने के बाद तक किसी ननद के देह पे एक सूत भी दिखा तो कपडे तो फटेंगे ही अगले सात दिन तक गाँव में कभी भी कहीं भी दिखेगी , सब भौजाइयां मिल के उसके कपडे फाड़ के चीथड़े कर देंगी,... हाँ भौजाइयां के जिम्मे भी एक काम है , जिसे कपडे मिलेंगे उसकी जिम्मेदारी उस कपडे के दस दस टुकड़े करने के
और मैच शुरू हो आया , लीला के साथ पायल, नीलू के साथ बेला, रेनू के साथ नीता और कजरी और कम्मो
जोड़ी में खेली एक ओर तो खेली खायी बड़ी उम्र वाली, रेनू, नीलू और लीला तीनो नैना से भी एकाध साल बड़ी होंगी या समौरिया और उनके साथ मुकाबले में उतरी पायल बेला और नीता तीनों छुटकी की उमर की,... पर फायदा ये था की इन छुटकियों की ऊँगली नहीं की जा सकती थी पर वो कर सकती थीं ( सिवाय रेनू और नीता की कुश्ती के जहाँ दोनों की नहीं फटी थी ) लेकिन छुटकिया बड़ी फुर्तीली थीं छटक के निकल जाती थीं,... इलसिए मुकाबला बराबर का तो नहीं लेकिन १९-२० का हो गया था। हाँ कजरी और कम्मो दोनों समौरिया थीं पर कजरी के ऊँगली की जा सकती थी।
चमेलिया के साथ मोहिनी भौजी और रज्जो भौजी कुश्ती करा रही थीं,....
गुलाबिया दूबे भाभी और चननिया चंपा के साथ बैठीं थी, उसके मोच वाले पैर में पान का पत्ता बंधा था और गुलबिया हलके हलके उसका पैर मींज रही थी, गुलबिया हमारी नाऊन के बहुरिया के हाथ में जादू था , ऐसा बढ़िया तेल लगाती थी पैर दबाती थी,... गौने की रात में इस गाँव में कोई ऐसी दुल्हिन नहीं होती थी जिसकी टाँगे रात भर न उठी रहती हों,... और अगले दिन सबेरे गुलबिया हाजिर और रात को कुश्ती के लिए अपनी देवरानी को दुबारा तैयार कर देती।
मिश्राइन भाभी के साथ अब मंजू भाभी और रमजानिया बैठी थीं।
बाहर से चररर चरर की आवाज हो रही थी सब ननदें खुद ही टॉप, शलवार कुर्ती उतार उतार के भाभियों को दे रही थीं,...
मिश्राइन भाभी ने कल का टाइम और प्रोग्राम अनाउंस कर दिया,...
कल सबेरे दस बजे के पहले, ... और कुल ननदों का नाम नोट हैं सब की सब आएँगी यहाँ,... और जिनकी ऊँगली भी नहीं हुयी है वो तो पक्का और उनकी कोई सहेली, चचेरी ममेरी बहन आयी होगी तो उसको भी लेकर,...
बेला सबसे छोटी थी उम्र में
लेकिन बार बार नीलू की पकड़ से बच के निकल जाती, और एक दो बार नीलू ने उसे दबोचा भी , उसकी जाँघों के बीच ऊँगली ले भी गयी तो सिर्फ सहला के झाड़ना मुश्किल था,... और बेला बच के निकल गयी लेकिन बेला के हाथों में बड़ी ताकत थी उसने नीलू की टाँगे फैलाएं और चुसूर चुसूर,.. लेकिन चूसने के ढंग से लग रहा था वो नौसिखिया थी ज्यादा उसने बुर नहीं चाटी चूसी थी थोड़ी देर में ही नीलू को मौका मिल गया और अब बेला की जाँघों के बीच में वो और कस के चूस रही थी, उसके छोटे छोटे बस आते हुए २८ साइज के चूजे सहला रही थी ,...
नैना ने अब फुसफुसा के मुझसे पूछ ही लिया, इन सबो की ऊँगली क्यों नहीं जो बारी कुँवारी हैं,...
और मैंने उसे प्रोग्राम बताया की कल इन सबकी इनके सगे भाई से फड़वाई जायेगी और जिसके सगे नहीं होंगे उनके चचेरे ममेरे , जिसको भी कभी भी राखी बाँधी होंगी सब लौंडे चढ़ेंगे इन सबके ऊपर , सब के सामने,... "
दो अंकों में स्कोर तो पहुँचना चाहिए...नैना ननदिया
नैना ने अब फुसफुसा के मुझसे पूछ ही लिया, इन सबो की ऊँगली क्यों नहीं जो बारी कुँवारी हैं,... और मैंने उसे प्रोग्राम बताया की कल इन सबकी इनके सगे भाई से फड़वाई जायेगी और जिसके सगे नहीं होंगे उनके चचेरे ममेरे , जिसको भी कभी भी राखी बाँधी होंगी सब लौंडे चढ़ेंगे इन सबके ऊपर , सब के सामने,... "
मान गयी कोमलिया भौजी ( मैंने नैना को बोल दिया था वो ननद के साथ मेरी सहेली भी है तो नाम लिया करे पर ननद का हक कौन छोड़ता है तो वो नाम भी लेती थी भौजी भी कहती थी ) और यह ख़ुशी में कुछ मीठा हो जाए,... नैना बोली।
साडी तो मेरी कब की उतर चुकी थी ननदों की पकड़ धकड़ में ब्लाउज भी फट के बस लटका सा था,... और नैना ने उसे पकड़ के खींच दिया मेरे दोनों जोबन बाहर, एक मेरी ननद की मुट्ठी में और एक मुंह में,..स्साली नैना क्या मस्त चूँची चूसती थीं, साथ में मेरे निप पर अपने जीभ से फ्लिक भी कर रही थी।
मेरी ननद के जोबन बंद रहे बड़ी नाइंसाफी और है जहाँ मेरा फटा ब्लाउज जमीन पर था वहीं नैना का टॉप और अब मैं उसके जोबन कस कस के मीज रही थी एकदम जैसे उसके भैया और मेरे सैंया दबाते मसलते थे पूरी ताकत से ,...
नैना के साथ जो मज़ा आ रहा था आज तक किसी भी ननद के साथ नहीं आ रहा था, दबवा दबवा के उसके उभार बड़े हो गए थे, लेकिन थे उसी तरह कड़े और मस्त जैसे टीनेजर्स के होते हैं,
उमर में मुझसे दो साल छोटी थी लेकिन साइज में मुश्किल से १-२ का फरक रहा होगा, मैं कभी कभी हलके हलके उसके जोबन मीजती कभी कस के मसल देती और उसकी सिसकी निकल जाती तो मैं मटर के दाने के बराबर उसके निपल पकड़ के कभी पुल कर लेती तो कभी नोच देती,... और वो सिसक उठती।
मेरे मुंह में उसकी जीभ घुसी हुयी थी और मैं मस्ती में चूस रही थी,... जब पल भर के लिए हम दोनों के होंठ अलग हुए तो खुश होके नैना बोली,...
" भौजी,... स्साले किसी लौंडे के साथ भी इतना मजा नहीं आया जितना आज तोहरे साथ आ रहा है,... अगले जनम में तू हमार मरद हम तोहारऔरत,... "
कचकचा के उसका गाल काटती मैं बोलीं,... " यार देर कर दी,... अब तोहरे भैया के साथ सात जन्म का तो पक्का है पर आठवे में हम मांग किये हम मरद और वो हमारी दुलहिनिया, फिर उन्हें रगड़ रगड़ के चोदुंगी, गाँड़ मारूंगी,... हाँ नौंवे जनम की बात,... लेकिन इतना इन्तजार कौन करेगा, यही जन्म में,... लूटूँगी न तोहार भरतपुर,... "
और मेरे हाथ पलभर के लिए उसके जोबन से हटे और उसकी लेगिंग सरक के नीचे, और मेरा वो हाथ सीधे चुनमुनिया पे स्साली मक्खन मलाई, एकदम चिक्क्न,... कोई कह नहीं सकता था सैकड़ों मूसल इसके अंदर घुस चुके हैं,... और इस मामले में वो मुझसे मीलों आगे थी, मेरे तो सब देवर ननदोयी जोड़ के भी दस नहीं पूरे हुए थे,...
नैना ननदिया की लेगिंग नीचे सरकी और मेरा पेटीकोट ऊपर
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उफ्फ्फ, ओह्ह्ह उह्ह्ह्ह,.... क्या मस्त नैना ननदिया ने ऊँगली पेली मेरी बुरिया में, एक साथ दो, एक पर एक चढ़ा के,... होली में ससुराल में कितनी ननदों, जेठानियों, यहाँ तक की मेरी सास ने भी खूब ऊँगली की थी,... पर जो मजा इस की ऊँगली में,...
सिर्फ आगे पीछे, आगे पीछे नहीं, बल्कि हलके हलके गोल गोल और लग रहा था नैना की उँगलियों में कुछ अलग से जान है,... मेरी प्रेम गली की अंदर की दीवारों को कभी कभी वो हलके हलके टैप करती, कभी चम्मच की तरह ऊँगली मोड़ के रगड़ देती, कभी कैंची की फाल की की तरह दोनों उँगलियाँ फैला देती,...
न झड़ने की जल्दी मुझे थी न झाड़ने की उसे,... नैना को जैसे मेरी देह के एक एक नर्व एंडिंग के बारे में पता हो, जैसे सितार बजाने वाला कोई उस्ताद जाने की तार को किस जगह छेड़ने पर कौन सा सुर निकलेगा,... बस उसी तरह,... सितार के साथ जैसे तबले की ताल हो,... नैना का दूसरा हाथ मेरे खुले जोबन पर, कभी जोर से थाप देता तो कभी बस छू देता,...
कौन कहता है लड़कियां आपस में मजे नहीं ले सकतीं, आखिर ननद भौजाई के रिश्ते में इतना रस क्यों है, एक थोड़ा खेली खायी एक जवानी की दहलीज पर खड़ी किशोरी, कभी लजाती कभी ललचाती, कभी पर्दा उठा के हलके से झांकती तो कभी सोचती ये क्या कर रही हो,...
और नैना के साथ मैं भी चालू थी, पहले तो मैं अपनी ननद की चुनमुनिया को बस अपनी हथेली से हलके हलके रगड़ रही थी और धीरे धीरे एक तार की चाशनी नैना की रसीली बुरिया से निकलने लगी, फिर मैंने रगड़ने मसलने की रफ्तार बढ़ा दी और जब नैना ने अपनी ऊँगली मेरी बिल में तो मैंने भी दो नहीं एक साथ तीन ऊँगली पेल दी,... हम दोनों मस्ती कर रहे थे, चारो ओर क्या हो रहा है उससे बेखबर,... कभी मस्ती में आँखे बंद हो जातीं कभी चूमा चाटी
लेकिन जो ननदों की आपस में कुश्ती चल रही थी वो भी मस्त थी, नैना ने ही मेरा ध्यान उधर खींचा
लीला के साथ पायल, नीलू के साथ बेला, रेनू के साथ नीता और कजरी और कम्मो
ये नीलू और बेला का तो कल के उनके भाईयों द्वारा एक विशिष्ट प्रसंग होना चाहिए..ननदों की कुश्ती
नीलू और बेला
लेकिन जो ननदों की आपस में कुश्ती चल रही थी वो भी मस्त थी, नैना ने ही मेरा ध्यान उधर खींचा
लीला के साथ पायल, नीलू के साथ बेला, रेनू के साथ नीता और कजरी और कम्मो
मैंने नैना से पूछा किस जोड़ी का निबटारा पहले होगा, और हम दोनों के मुंह से एक साथ निकला
नीलू और बेला की
सब लोगों की आँखे भी उसी कुश्ती पे लगी थीं,...
बेला न सिर्फ उमर में बाकी सब से बारी थी, यह सोचिये कजरी, गुलबिया की ननद छुटकी से साढ़े पांच महीने छोटी थी और बेला उससे भी चार पांच महीने,...
जब कपडे उसके फटे तो उसके उभार देख सब भौजाइयों के मुंह से सिसकी निकल गयी ,... जैसे हलवाई की कड़ाही से ताज़ी ताज़ी जलेबिया बस अभी छानने के लिए डाली हों, हल्की सुनहली हो रही हों,... और चारों ओर सब इन्तजार कर रहे हों कड़ाही से निकलने का,
बस सूरज निकलते समय जो ललछौंहा होता है , उसी तरह के कच्चे टिकोरे, बस बौर से कच्ची अमिया बन ही रही थी ... मारे देखा देखी जिससे सब समझे की वो भी अब बड़ी हो गयी महीने भर पहले ही उसने ढक्क्न लगाना शुरू किया था,... शक्ल देख के लगती थी,... दूध के दांत भी न टूटे होंगे, ... गोरी इतनी की , गोरी भी नहीं,... दूध के कटोरे में कोई दो बूँद ईंगुर डाल दे, एकदम बेला की कली जो बस अब तब में खिलने वाली हो,...
और चुनमुनिया भी एकदम चिपकी, दोनों दरवाजे कस के चिपके, कोई सगी भौजाई थी भी नहीं जो पहले दिन से ऊँगली करती,... और होली में भी हम सब से बच गई थी, कच्चे सूत के धागों की तरह दो चार झांटे, काली नहीं भूरी उसी के रंग की तरह जो बड़ी मुश्किल से दिखती थीं, अभी बस आ ही रही थीं,
लेकिन अपनी उमर की लड़कियों की तरह, बल्कि उन सबसे आगे छटकती बहुत तेज थी,.. कभी कभी कोई भौजाई पकड़ भी लेती तो बस सट्ट से फिसल के निकल जाती, हाथ पैर भी अच्छे निकले थे, कभी भागने दौड़ने का उसके स्कूल में हुआ तो हरदम नंबर वन,...
और बेला का मुकाबला जिससे था नीलू, ननदों में छटी छिनार, शादी तो डेढ़ साल पहले हो गयी थी, जेठ में गवना था, बहुत ताकत थी उसके देह में में,... और जोबन भी खूब दबवा दबवा के गदरा गए थे, ...
भरौटी, अहिरौटी, चमरौटी कोइराना कोई जगह नहीं बची थी जहाँ उसके दो चार यार न हों,...
शुरू में तो बेला सट्ट से निकल के कभी उछल के नीलू की पकड़ से बचती रही, और एक बार नीलू ने पकड़ भी लिए तो वो पलट गयी तो लाख कोशिश नीलू करे वो पेट के बल ही और दोनों टाँगे भी बेला ने कस के फंसा रखी थी जिससे उसके बीच से नीलू अपना हाथ न डाल सके,... दो मिनट तो इसी में निकल गए लेकिन जब हाफ टाइम, ढाई मिनट मोहिनी भौजी बोलीं,... तो बस नीलू ने बेला के सीने के नीचे से हाथ डाल के बस आते हुए दोनों उभार पकड़ लिए और लगी दबाने ,... पर बेला ने जमीन नहीं छोड़ी लेकिन नीलू ने शायद उसके निपल पे कस के चिकोटी काट ली तो बस एक पल के लिए बेला की जमीन पर पकड़ ढीली हुयी और नीलू ने दोनों हाथों के जोर से उसे उठा के सीधा करने की कोशिश की,
बेला एक बार फिर सटक के निकल गई और इस बार वो नीलू के ऊपर, और उसकी हथेली नीलू की जम के चुदी बुर पे,...
सब भौजाइयां, ननदें एक साथ हल्ला कर रही थीं,हाँ बेलवा पेल दे , बेलवा पेल दे,...
बेला का हाथ नीलू की दोनों जाँघों के बीच और कोई भी लड़की सनसना जाए , बस नीलू की जाँघे खुल गयी और बेला ने दो उंगलिया
लेकिन उसने न पहले किसी की ऊँगली की थी न किसी से ऊँगली करवाई थी,... तो बस वो दोनों फांकों के बीच छेद ढूंढ़ती रही, फांको को मसलती रही,... और जब मुश्किल से उसे छेद मिला, आधी ऊँगली अंदर गयी,... बेला अपने डिफेन्स से पूरा ध्यान हटा कर सिर्फ छेद ढूंढने पर लगा रही थी और नीलू के लिए इतना मौका काफी थी, गाँव का कोई गन्ने अरहर का खेत नहीं था जिसमें उसने कुश्ती नहीं लड़ी हो,... बस झटके से पूरी ताकत से उसने बेला को हटाया, ... उसे नीचे किया,... और दोनों टाँगे फैला ली,..
लेकिन तभी नीलू को याद आया बेला के ऊँगली तो की नहीं जा सकती,... और बेला कसमसा रही थी पल भर की देर होती तो वो छटक के निकल जाती, ...
साढ़े तीन मिनट टाइम मोहिनी भौजी ने बोला,...
बस दो ऊँगली से दोनों फांको को दबा के कस कस के बेला ने मसलना शुरू किया, पहली बार बेला की चूत पे किसी का हाथ पड़ा था, ... वो मस्ताने लगी,...
लेकिन नीलू खेल जल्दी ख़तम करना चाहती थी उसने रिस्क नहीं लिया और अपने दोनों होठों के बीच उस कच्ची कली की दोनों फांको को पकड़ा, ... दोनों हाथों से बेला के दोनों हाथों को जकड़ा की वो उछल कूद न करे और कस के चूसने लगी,
चार चार कुश्तियां एक साथ चल रही थीं लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान सबका बेला और नीलू की जोड़ी पे था,... थोड़ी देर में बेला की देह ढीली पड़ने लगी तो नीलू ने अपने दाएं हाथ से बेला के दोनों कलाइयों को जकड़ा,... और खाली हुआ बायां हाथ, पहले तो पेट पे सहलाती रही , फिर किसी बाज की तरह झप्पटा मार के सीधे क्लिट पे, क्लिट जो पहले छुपी हुयी थी अब गरम होने के, कस के चुसम चुसाई के बाद , एकदम कड़ी होके ,... जैसे सुहागरात में दुल्हन का घूंघट दूल्हा हटा दे,... सामने
और खेली खायी नीलू एक साथ चूस भी रही थी, क्लिट भी रगड़ रही थी, ...
चार मिनट मोहिनी भाभी ने थोड़ी देर पहले ही बोला था,...बस एक मिनट बचा था, बेला अपने चूतड़ पटक रही थी, झटक रही थी , लेकिन क्लिट चुसवाने का असर, थोड़ी देर में ही वो झड़ने लगी लेकिन तभी भी बेलवा ने नहीं छोड़ा,... चमेलिया जबतक आकर उठाती, नीलू की ऊँगली और जीभ दोनों, और बेला दुबारा झड़ रही थी,... नीलू को भी बहुत मजा आ रहा था कच्ची कली को चूसने का झाड़ने का,... वो तो मोहिनी भाभी ने आके नीलू को जीता अनाउंस किया और पकड़ के उसे नीलू को बेला से अलग किया, तब जाकर
और लीला पायल का मुकाबला भी नीलू बेला की तरह आलमोस्ट वन साइडेड था।
नीलू और बेला की तरह लीला और पायल का भी मुकाबला भी आलमोस्ट एकतरफा था.
नहीं पायल बेला की तरह एकदम कच्ची नहीं थी, उमर में भी छुटकी से थोड़ी बड़ी ही होगी, नौवीं दसवीं वाली,... हाँ उस पे चढ़ाई नहीं हुयी थी, पायल बहुत तेज थी भागने में बचने में
लेकिन लीला पकड़ने में उससे भी दो हाथ आगे थी, तो दो मिनट ख़तम होने तक तो पायल भाग कर छटक के बचती रही, लेकिन लीला जब एक बार उस के ऊपर चढ़ गयी तो पायल ने टाँगे सिकोड़ने की जो कोशिश की तो लीला को फरक नहीं पड़ा, वो खुद पायल के दोनों कन्धों पर पैर मोड़ के बैठ गयी और दोनों हाथों को लीला ने पायल की चूतड़ पर रख के पिछवाड़े के छेद पे जो ऊँगली रगड़नी शुरू की बस पायल ने करवट बदलनी शुरू कर दी, बस लीला को मौका मिला गया और उसकी हथेली सीधे पायल की चुनमुनिया पे,
फिर पायल लाख उछली कूदी, लीला का हाथ बिलिया पर से नहीं हटा जब तीन मिनट का टाइम मोहिनी भाभी ने बोला लीला का हाथ पायल की बिल से चिपक गया था और वो रगड़ मसल रही थी,...
रेनू और नीता और कजरी और कम्मो का मुकाबला टक्कर का था। कजरी के अलावा सब बिनचुदी थी, और कजरी भी बस एक बार,....
रेनू को देख के मुझे एक परेशानी याद आ गयी, इंटर में पहुँच गयी थी और अब तक बिना फटे,...
इस नैना ननदिया को तो सबके किस्से मालूम है..रेनू और उसका भाई - किस्सा नैना ननदिया का
रेनू को देख के मुझे एक परेशानी याद आ गयी, इंटर में पहुँच गयी थी और अब तक बिना फटे,... और रमजानिया ने बतया था और गुलबिया और चननिया ने भी वही बात कही जब हम लोग मैच के बाद किस ननद से किसका,...
रेनू का एक चचेरा भाई था कटखना कुत्ता,... रेनू से दो तीन साल बड़ा, लेकिन गाँव में कोई उसके मुंह नहीं लगता था, लौंडे तो रेनू के पीछे,... कबसे,... माल तो खूब मस्त थी वो, गोरी चिकनी, जोबन भी एकदम टाइट, कुर्ती को फाड़ते रहते थे,... लेकिन उसके उस चचेरे भाई के डर से, ... उसने साफ़ साफ़ बोल दिया थी की अगर किसी ने उसकी बहन रेनू की ओर आँख उठा के देखा, तो वो उसकी गाँड़ मार लेगा, हाथ पैर दोनों तोड़ देगा और उसकी माँ बहिन सब चोद देगा गाँव के बीचो बीच, एक लड़के ने ऐसे कुछ कमेंट किया था रेनू के उस चचेरे भाई ने उसका हाथ तोड़ दिया।
मुझे लगा की शायद उसका भाई बहुत संस्कारी होगा, लंका में विभीषण की तरह,... पर गुलबिया, नाउन की बहू हंसने लगी, बोली
"अरे जेतना घासवाली है, खेत में काम करेवाली, ओहु में जेकरे दो चार लड़का बच्चा हो गए हैं,... कोई नहीं बची हैं उससे,... नम्बरी चोदू है स्साला, लेकिन बहिनिया को अपने सात ताला में,... लोग तो रेनुआ को चिढ़ाते है तोहार भाई अपने बहनोई को भी बोलेगा, खबरदार अगर हमारी बहन के साथ कुछ ऊंच नीच किया,..."
नैना बड़ी देर तक हंसती रही फिर उसने रेनू और उसके चचेरे भाई का खुलासा किया।
कमल नाम है उसका नैना बोली लेकिन उलटे मुझसे एक सवाल दाग दिया,
" चंदू के साथ कैसा लगा, "
मैं समझ गयी उसका मतलब और उलटे मैंने सवाल दाग दिया
" तो का, कमलवा का, रेनुआ क भाई क चंदू अस,... ? "
" अरे नहीं कोमल भौजी,.... चंदू ऐसा तो गाँव में एक ही था वो आपके हिस्से में परमानेंट आ गया,... "
नैना मुझे छेड़ते बोली, फिर कुछ सोच के जोड़ा, और थोड़ बहुत इन दोनों के आसपास कोई है तो गितवा क भाई अरविंदवा,... लेकिन वो खाली अब गितवा और दो चार और बस,... "
" तो वो कमलवा क,... "
मैं जानती थी की नैना चाहती है की मैं उससे खोद खोद के पूछूँ,...
जवाब में नैना ने बित्ता पूरा फैला के दिखाया,.. और मेरी आँखें फ़ैल गयीं, और नैना ने मामला साफ़ कर दिया, ...
चंदू से १८ नहीं १९ होगा बल्कि साढ़े उन्नीस। लेकिन मोटाई में उसके बराबर ही हमरी तोहरी कलाई ऐसा. लेकिन चोदता बहुत गन्दा है इसलिए कोई उससे चुदाने में,...
मेरे कुछ समझ में नहीं आया चुदाई में क्या गन्दा क्या साफ़ और मैंने ननद की बात काट के पूछा यार स्साली साफ़ साफ़ बोल, पहेली मत बुझा,...
और तब नैना ने बताया की रेनू का वो चचेरा भाई, सिर्फ औजार ही नहीं चोदने में भी वो सांड़ की तरह है, जैसे सांड़ एक बार बछिया पर चढ़ जाता है अपनी दोनों टाँगे उसके ऊपर रख देता है तो फिर बछिया लाख उछले कूदे,...
" सही तो करता है इसके बिना कौन लड़की चुदवायेगी सब छटक जाती हैं " मैंने बीच में अपनी राय जाहिर की
पर नैना बिना रुके बोलती रही,...
" चाहे एकदम नयी लौंडिया हो, तब भी वो स्साला एकदम सूखे चोदता है,... थूक लगाना भी नहीं सीखा उसने,... इसलिए जल्दी कोई लड़की तैयार नहीं होती,... और फिर चुदाई शुरू होते ही, लड़की जितनी चीखे चिल्लाए, उसका जोश उतना ही बढ़ जाता है और उतनी ही जोर से पेलता है,... और साथ में चूँची भी कस के मसलेगा,... दांत से काटेगा, गाल पे काटेगा,... और अगर लड़की साथ न दे, चूतड़ उठाय उठाय के साथ न दे तो और जोर से,... फिर पोजीशन बदल बदल के,... कुतिया बनाय के अगर लड़की ने पीछे से धक्के नहीं खुद मारे तो चूतड़ पे हाथ मार के लाल कर देगा,... साले का कड़ा भी बहुत अउ खड़ा भी बहुत देर तक,... फिर पांच दस मिनट में दुबारा,... और फिर बिना गाँड़ मारे नहीं छोड़ेगा, चार चार बच्चों वाली भी जब उससे चुदवा के आती है तो दो दिन टांग फैला के चलती है "
मुझे कुछ कुछ अंदाजा लग गया रेनू के भाई के बारे में लेकिन एक बात अभी भी समझ में नहीं आई, और मैंने पूछ लिया,
" यार वो सब तो ठीक है स्साला नंबरी चोदू है,... पर रेनू के ऊपर लाइन मारने वालों को उसका चचेरा भाई क्यों काटने को दौड़ता है "
मैं बस यही सोच रही थी की कल कौन तैयार होगा रेनू पर चढ़ने को फाड़ने को, सबकी फटेगी रेनू के भाई कमल के बारे में सोच के,...
और नैना ने पूरी बात साफ़ कर दी, चचेरा कहने को थे,... घर चूल्हा अलग अलग नहीं थे, एक ही घर में एक परिवार,... कमल एकलौता लड़का और रेनू एकलौती लड़की,... छोटी चचेरी बहन,...सगी से बढ़कर,... तो जबसे उसका खड़ा होना फनफनाना शुरू हुआ,... तभी से उसने तय कर लिया था की रेनू की सील कोई तोड़ेगा तो वही ,... उसका माल है, उसके घर की, तो दूसरा कैसे,... हाँ एक बार वो चढ़ गया, फाड् दिया अगवाड़ा पिछवाड़ा, तो कमल को ऐतराज नहीं था।
" तो रेनू ने काहें नहीं उससे,... " मैंने अपनी शंका बताई,...
" एकदम और यही बात तो तो रेनू की चाची, कमल की माँ भी उससे कहती हैं,
"अरे किसी ने किसी से फड़वाओगी तो मेरे बेटे में कौन सा कांटा लगा है. "
लेकिन रेनू क्या बताती कौन कौन कांटे हैं,... एक बार नहीं कई बार उसने देखा था की कोई लड़की उसके भाई से, ... एकदम खून खच्चर,... और चीखें तो सुनती रहती थी, ... लेकिन खैर अब तो कोई लड़की नहीं दो चार बच्चे वाली ही, पर औजार इतना मस्त है की वो औरतें खुद ही आती हैं उसके पास,...
दूसरी बात कमल ने जब रेनू हाईस्कूल में में गयी थी तभी बोल दिया था,...
"देख रेनुवा तेरी तो पहली बार मैं ही लूंगा और सिर्फ लूंगा ही नहीं अपनी रंडी बना के रखूंगा, एक बार तेरी फट जाए बस, उसके बाद जब जहाँ मन करे दिन दहाड़े, खेत खेताडी, बँसवाड़ी,... वहीँ निहुरा के,... सबके सामने,... "
इसलिए वो हदस गयी है। उसने चाची से कहा भी, बस एक दो बार किसी के और के साथ, एक बार उसकी खुल जाए जाए फिर भैया के साथ,...फिर भैया चाहे जितनी बार, जब चाहे तब ले लें, उसको दर्द से बहुत डर लगता है,... एक बार खुलने के बाद मना नहीं करेगी अपने भैया को,...
लेकिन न उसकी चाची तैयार न कमल,.... की घर का मॉल, है तो पहले घर वाला,... यहाँ तक की रेनू की माँ भी बजाय अपनी एकलौती बेटी का साथ देने के देवरानी का ही साथ देती हैं, पहला हक़ तो कमल का ही है, .... फाड़ेगा तो वही,... पर रेनू की जिद्द भी डर भी,... रेनू की माँ ने कितनी बार समझाने की कोशिश भी की, बेटी अच्छी तरह अपने हाथ से तेल लगा के भेजूंगी तेरे भैया के पास, माना वो सूखे पेलता है, लेकिन तू पहले से बिल में दो चार अंजुरी तेल पिला के जाना,... लेकिन रेनू कुछ हदस गयी है कुछ उसकी जिद्द,...
" यार उसकी बात तो सही है भले चचेरा है लेकिन एकलौता है, राखी वो बंधवाएगा तो चढ़ेगा कौन " हँसते हुए में बोलीं,
तो नैना ने एक राज और खोला,..
' चचेरा है की क्या पता,... " हँसते हुए बोली, फिर कहा अपनी सास से पूछ लेना,.. लेकिन मेरे पूछने पर सब बात उगल दी।
रेनू के बाबू बाहर कमाने जाते थे, कभी कलकत्ता तो कभी,... साल में ८-९ महीना बाहर,... आते भी तो हफ्ता दस दिन,... बस फिर बाहर, तो रेनू के चाचा यहाँ खेती बाड़ी,.. तो फिर जैसे बाहर खेत जोतते थे वैसे घर का खेत भी जोतना शुरू कर दिया, आखिर भौजी का ख्याल देवर नहीं रखेगा तो कौन,... सब लोग कहते हैं रेनू जब पेट में आयी तो उसके बाबू ६ महीना से बाहर थे, अरे सपने में आने से तो नहीं गरभ रह जाता,... और वो कमलवा को तो लोग कहते हैं, मैंने नहीं देखा कभी लेकिन सही होगा की स्साला मादरचोद भी है,... इ रेनू के चच्चा भी अब रेनू के बाबू के साथ कलकत्ता चले गए हैं तो,... कमलवा अपनी माँ का भी ख्याल रखता है,इसलिए रेनू की चाची खुदे रेनू के पीछे पड़ी हैं .
" तो कल, रेनू के ऊपर,... " मैंने मन की बात कह दी,
" एकदम चढ़ा दीजिये उसके उसी कटखने चचेरे भाई को, फाड़ के रख देगा,... और उसकी इतने दिन की साध पूरी हो जायेगी,... भौजी आपके तो गोड़ धोके पियेगा, गुलामी करेगा। "
नैना ने एकदम हामी भर दी।
लेकिन मेरे मन में अभी उहापोह चल रही थी। कमलवा को तो मैं जानती नहीं न उसकी माँ को तो कैसे उसे पटा के कल यहाँ,..मेरे मन की उहापोह नैना समझ गई और बोली,
"ये कौन बड़ा काम है भौजी आपकी ननद कौन दिन काम आएगी, मैं बोल दूंगी,.... बस ये बता दूंगी की कल नयकी भौजी के पास होली में , और जो जो कहें चुपचाप मानना तो बड़ा फायदा होगा, हाँ कोमल भौजी बस ये ध्यान रखियेगा की रेनुआ स्साली के खबर न हो की कल जिस जिस ननद की नहीं फटी है सब की फाड़ी जायेगी वरना वो भाग जाएगी।"
" एकदम नहीं ये प्लान खाली मुझे, मिश्राइन भौजी को और एक दो लोगो को, .. और सब को बोला गया है एकदम चुप्प रहने को " मैंने कबूला।
तबतक बड़ी जोर से हल्ला हुआ, पहली कुश्ती का फैसला हो गया था, नीलू के साथ बेला, बेला को चूस चूस के नीलू ने झाड़ दिया था और मोहिनी भाभी ने नीलू का हाथ उठा के उसे जीता हुआ घोषित कर दिया था।
सब कोई एक जैसी नहीं होती...Renu or kamal ka to bada ajeeb mamla hai, esi situation to komal ji ki kisi story me nhi aai Jab behen ne bhai ko dene se mana kar diya. Manna padega komal ji ko, har baar new story with new situation. Itna asan nhi hota story ko dohrav se bachana . Best of luck komal ji