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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९६

ननद की सास, और सास का प्लान

Page 1005,


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हुकुमनामा



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और उन्होंने जाने का इशारा किया मैं फिर ननदो के बीच बैठ गयी, सब लोग चुप थे।

चुप मतलब एकदम चुप,... और धीरे धीरे चांदनी जो ऊपर से बरस रही थी, वो भी सिर्फ वही पर वो भी धीरे धीरे कम होने लगी,... जैसे बांदलो ने चाँद की मुश्के कस दी हों और उसे सांस लेने की भी इजाजत न हो,... गलती से भी चांदनी की एक किरण भी कहीं बादलों के पर से छलक कर भी नहीं आ रही थी, हम सब गहरे अँधेरे में सांस थामे बैठे बस उसी ओर देख रहे थे,...

जहाँ उनके पैर थे, जहाँ मैं बैठी थी कुछ देर पहले, कुछ भी नहीं दिख रहा था,... मेरी एक ओर लीना बैठी थी,जो कुछ दिन पहले ही रजस्वला हुयी थी, और आज उन पांच लड़कियों में थे जिन्हे आशीष मिला था , दूसरी ओर, रूपा, लीला की छोटी बहिनिया,... दोनों ने कस के मेरे हाथ को दबोच रखा था,...

हम सब एकदम उस घटाटोप अँधेरे में भी उसी ओर देखने की कोशिश कर रहे थे,... एक हल्का सा बवंडर ठीक उसी जगह और फिर धीरे धीरे ऊपर को,... जहाँ तक हम आँखें उठा के देखें वही,... जैसे बादलों में समा रही हों,

एक आवाज आनी शुरू हुयी पहले तो लगा जैसे कितनी दूर से, सदियों के पार से एक गहरी आवाज,... एकदम पहचानी नहीं जा रही थी , लेकिन एक एक शब्द साफ साफ़,... और फिर उसी आवाज की इको,..

हर एक वाक्य के बाद कुछ देर की चुप्पी और फिर दूसरी बात,

सारी ननदें, कच्ची उमर वाली, बियाहिता, जो गौने का इंतजारा कर रही थीं , सारी भाभियाँ, सास, ... गाँव की कोई लड़की या औरत नहीं होगी जो वहां न हो, उसने वो हुकुमनामा न सूना हो।

पहला हुकुम ननदों के लिए था लेकिन एक तरह से सबके लिए,...

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आज से सारी ननदें पूरे बाइस पुरवे के भौजाइयों को अपनी सगी भौजाई मानेंगी और उसी तरह से उनकी बात मानेंगी।

मतलब साफ़ थी सिर्फ हम लोगो का पुरवा नहीं , भरौटी, चमरौटी, अहिरौटी, जो नौ घर नाऊ ठाकुर के थे और भी,... और मैं ये चाहती भी थी इसलिए जिद करके मैंने चमेलिया, गुलबिया, चननिया और रमजनिया को और नैना ने भी अपनी टीम में कजरी, गुलबिया की ननद को,...

दूसरा हुकुम भी ननदों के लिए और हम सब कबड्डी मैच जीत गए थे इसी लिए,...

सारी ननदों को सब भौजाइयों का हुकुम तो मानना ही होगा, भौजाइयों के मायके वालों की भी सब बातें माननी होगी,... भौजाइयां जब कहें जहाँ कहें जिस जगह कहें जिस के साथ कहें,... बिना सोचे तुरंत,... और भौजाइयों से कोई भी बात न छिपानी होगी न किसी बात के लिए शर्म करनी होगी
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तीसरा हुकुम ननदों और भौजाई दोनों के लिए था, ...

वो पांच दिन छोड़ के, ... ननदें और भौजाइयां दोनों ही न ऊपर ढक्कन लगाएंगी न नीचे . जबतक गाँव में बाइस पुरवा में रहेंगी, ननदें स्कूल भी बिना ढक्क्न के,...


और भौजाइयां, पूरे बाइस पुरवे के की कोई भी भौजाई जब चाहे तब ननद के कपडे उठवा के बुर में ऊँगली डाल कर जांच सकती है, और अगर बुर में मलाई नहीं मिली तो भौजाई की जिम्मेदारी है ननद के लिए दिन भर के अंदर पांच मरदों, लौंडो का इंतजाम करे,.. और जब तक पांच लोग उस ननद के ऊपर नहीं चढेंगे, भौजाई भी अपनी बिल में कुछ नहीं घुसवायेगी।

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चौथा हुकुम सिर्फ भौजाई लोगों के लिए था,... भौजाई लोगों के लिए हुकुम था अपनी सारी ननदों को खूब प्यार दुलार करेंगी,... और कोई भी ननद, पूरे बाइस पुरवा की कोई भी ननद, जो चाहेंगी, उनके मन की बात होगी, तो उनका मन रखना होगा। उन्हें खुश रखना होगा, ख्याल रखना होगा।

और आखिरी हुकुम भी भाभी लोगों के लिए था, ननदो पर कोई दुःख परेशानी हो, कोई रोग दोष हो तो उसको वो ढाल बन कर खड़ी होंगी, ननद ने अगर अपनी कोई गलती, कोई बात बतायी तो वो किसी से भी नहीं बताएंगी बल्कि उसे छिपायेंगी।

उस के बाद जिसके लिए सास सब बेताब थीं और औरतें भी

साल का भविष्य फल और जो परेशानी हो तो कैसे दूर करें

खेत में गेंहू लहलहा रहे थे, लेकिन पिछले साल कटाई दंवाई के टाइम ही ऐसी बारिश हो गयी की काफी लोगों का तो मुश्किल से खाद बीज सिंचाई का पैसा ही निकल पाया,...
यही तो इंसान को समाज से जोड़ता है... और परस्पर एक दूसरे के सहयोग और समर्थन से फलता फूलता है...
 

motaalund

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साल का भविष्य फल




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उस के बाद जिसके लिए सास सब बेताब थीं और औरतें भी साल का भविष्य फल और जो परेशानी हो तो कैसे दूर करेंखेत में गेंहू लहलहा रहे थे, लेकिन पिछले साल कटाई दंवाई के टाइम ही ऐसी बारिश हो गयी की काफी लोगों का तो मुश्किल से खाद बीज सिंचाई का पैसा ही निकल पाया,...

बात वहीँ से शुरू हुयी,..

हुकुमनामे के बाद आवाज आयी



गेंहू की फसल इस साल तीन साल पहले जो सबसे ज्यादा हुयी थी, उससे भी दूनी होगी,... बारिश असाढ़ के पहले नहीं होगी, उसके पहले कटाई दँवायी करावे के जिसको बेचना हो बेच दें,... एक दाना भी खराब नहीं होगा,... असाढ़ में खूब बारिश होगी,... रोपनी टाइम से हो जाएगी, सावन भादों में भी बारिश होगी, लेकिन भादों में थोड़ा कम, तो रोपनी सावन में पूरा कर लें,...
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गन्ने की फसल भी अच्छी होगी,... लेकिन

अब वो आवाज रुक गयी और साँसे सब की रुक गयी, क्या पता क्या गड़बड़ होने वाला है,... कुछ रुक के आवाज चालू हो गयी

कउनो औरत ( मैं समझ गयी थी औरत में लड़की भी जुडी हैं इसलिए सब लड़कियां भी आज है यहाँ, हर उमर की,... ) अगर जांघ आपन सिकोड़ी तो खेती माई भी आपन जांघ सिकोड़ लेंगी, जो औरत हल लेने में अंदर सोचे बेरायेगी उसके खेत में भी हल नहीं चल पायेगा, .... बीज बेकार हो जाएगा,... और अगर बाइस पुरवा क कुल औरतें बात मानेंगी तो ऐसी लहलहा के खेती होगी जो गहना कपडा सोची होगी उससे दूना मिलेगा।

रोपनी अच्छी होने के लिए जरूरी है हर घर से रोपनी में एक कुँवारी लड़की, लड़की न हो तो नयी बहू रोपनी वालियों के साथ रहे, तो घर में धान रखने की जगह नहीं बचेगी, और एक दिन नहीं रोज, रोपनी वालीन की तरह ही

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एक पल के लिए आवाज बंद हुयी फिर जिसकी जिसकी परेशानी थी जो जो सोच के आया था वो सब बिना बताये,

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जमुनवा के मेहरारु, तोहरे गन्ने के खेत में पिछले साल खूब कीड़ा लग गया था,काहें,... कोही को गन्ना तोड़ने से मना की थी,....

तोहरे खेते में लड़का लड़की जाय के ,.... तो पूरे गाँव में, पंचायत बुलाने पे,.... अब ये गलती दुबारा न हो, और इस बार गन्ने की खेती में जमुना क मेहरारू और बिटिया दुनो बोआई में जाएंगी, कउनो को मना नहीं करेंगी,... बिना चौकी दारी के गन्ना दूना होगा, फिर टोका टोकी की तो,...

जमुनवा बहू ने तुरंत कान पकड़ा जमीन पर माथा टेका दोनों हाथ से गोड़ जोड़ा, माफ़ी मांगी


अब मैं समझी,... गन्ने के खेत में सब लड़के लड़कियां, मर्द सब इतने मस्ती करते हैं कोई नहीं बोलता,... लगता है इससे खेत की पैदावार बढ़ती है और गाँव में सब लोग इस को रोजाना की बात मान लेते हैं.
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आवाज जारी थी,.. गन्ने की मिल जो दो साल से बंद थी इस साल चालू होगी , और पिछला सब बकाया भी मिल जाएगा, टाइम पर आपन आपन पर्ची ले लेना।

इसके बाद गाय भैंस के लिए असीस थी,.. सब बछिया पंडिया गाभिन होंगी,... एक बार सांड़ चढ़ने के बाद, जैसे ही बछिया हुड़कने लगे, तुरंत सांड़ क इंतजाम करो, और सांड़ चढ़वाते समय घर क लड़की बहू जरूर,.... अपने हाथ से बछिया के ननद भौजाई गुड़ खिलावें तो दूध दूना होगा,... और जब तक सांड़ चला न जाये , बछिया के बगल में ओकर पीठ सोहरावें,...

सब ख़त्म होने के बाद, ... एक बात मेरी सास ने पूछ ली, जमीन पर सर रखकर,...

गितवा क माई बहुत परेशान

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एक गहरी सांस लेने की आवाज आयी, फिर हलकी सी आवाज में

गितवा क माई बहुत पूजा पाठ की है, सबका उपकार की है, सपने में भी किसी का बुरा नहीं सोची, है तो सावित्री की तरह सत्यवान को लौटा लेगी, अषाढ़ के उज्जर पाख के एकादशी के दिन, लौट आयंगे समुन्दर पार से,... लेकिन,...

वो आवाज रुक गयी , फिर हलकी आवाज में बोली,

उनकर मरद बस ठीक ठाक रहेंगे, ये लड़कन को यहाँ से ले जाने क धंधा छोड़ दें,... हाँ अब यह बाइस पुरवा क सरहद में बकी अब वो नहीं आ सकते,... नहीं आएं तो ठीक,... गितवा क माई का घर गाँव है जब चाहे आये,... सावन में आएगी वो महीना भर के लिए तो सत्ती माई क पूजा करे और बाइस पुरवा क औरतों को भोज दे, ... उसका, उसके घर का मर्दका, बेटवा बिटिया का कोई नुक्सान नहीं होगा,...



अब मैं समझी बात, बाइस पुरवा में ही तो पांच लोग मरे थे फूटबाल के खेल के लिए जो गए थे, गितवा के बाबू जी भेजे थे, गलती उनकी कोई नहीं थी वो तो अच्छी नौकरी ही दिलवाये थे,... लेकिन उसमें एक सुहागिन थी, हाथ की मेंहदी, पैर का महावर भी नहीं सूखा था की ज्यादा पैसे के लालच में वो चला गया और लौटी तो अखबार में फोटो, और कोई उसको समझा दिया की यही गितवा के माई के मर्द बुलवाये थे,
बस उसने जब चौखट पर चूड़ी तोड़ी तो गितवा के माई का नाम ले ले कर, जैसा मेरा सुहाग उजड़ा वैसे ही,...

बाद में लोगो ने बहुत समझाया,... गितवा के माई से वो खुद बोली, लेकिन गितवा क माई बोली, गलती तुम्हारी नहीं है दुःख ऐसा कौन बर्दास्त कर पायेगा, बस हम लोगों को माफ़ कर दो , गितवा के बाबू का पता नहीं चल रहा था, मिले भी तो कई महीने से टल रहा था अब बम्बई लौटेंगे तब लौटेंगे, लेकिन अब पक्का हो गया दो महीने में,... और गाँव नहीं आ पाएंगे की इतने लोगों की आह लगी है,...
( भाग ५५ पृष्ठ ५२१ माँ- इस के संदर्भ के लिए पढ़ें )

लेकिन अभी भविष्यवाणी पूरी नहीं हुयी थी, आखिर में एक चेतावनी बची थी हुकुम नामा को लेकर
गहरी आवाज में



जो ननदें ये हुकुम नामा में एक पल भी सोचेगीं , भौजाई की बात पे ना नुकुर करेंगी, उनके मायके वालों का मन नहीं रखेंगी,... वो लंड के लिए तरस जाएंगी,... घोंटना तो छोड़ दरसन नहीं होगा, ... पूरे दस साल और उसके बाद मिलेगा तो केंचुआ जस,...

और जो ननदें भौजाइयों की बात मानेगी उनको एक से एक सांड़ मिलेंगे,...

एक साथ दो दो, तीन तीन, तीन चढ़ेंगे तीन तैयार रहेंगे, ननदें समझ लें धन और जोबन बांटने से बढ़ता है, और ननद भौजाई के बीच में कोई नहीं आएगा,... भौजाइयां जिसके साथ कहें जब कहें, जहाँ कहें,... और जो पिलाये, खिलाएं मेरा परसाद समझकर बिना किसी नखड़े के, खुद आगे बढ़ के और उस ननद पर सबसे जबरदस्त जोबन होगा, सबसे नमकीन होगी। और अगर कोई ननद जरा भी नखड़ा करे किसी भी बात के लिए तो भौजाइयां उससे जबरदस्ती कर सकती हैं.
यह संवत पिछले पचास सालों में सबसे अच्छा होगा, खेत में खूब फसल होगी, गाय, भैंस खूब दूध देंगी,... लड़का बच्चा होगा, .... बस बात सब याद रखना। और बात मानना।


और उसके बाद आवाज बंद हो गयी, जो थोड़ी सी रौशनी आ रही थी उस जगह से धुंधली पड़ती जा रही थी, और धुल का एक गुबार वहां आ गया था, उसने उन्हें छिपा लिया था ,
एक एपिसोड गितवा के पिता के कुशल समाचार और माता-पिता के मिलन के लिए भी...
 

motaalund

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और,....



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जो ननदें ये हुकुम नामा में एक पल भी सोचेगीं , भौजाई की बात पे ना नुकुर करेंगी, उनके मायके वालों का मन नहीं रखेंगी,... वो लंड के लिए तरस जाएंगी,... घोंटना तो छोड़ दरसन नहीं होगा, ... पूरे दस साल और उसके बाद मिलेगा तो केंचुआ जस,...

और जो ननदें भौजाइयों की बात मानेगी उनको एक से एक सांड़ मिलेंगे,... एक साथ दो दो, तीन तीन, तीन चढ़ेंगे तीन तैयार रहेंगे, ननदें समझ लें धन और जोबन बांटने से बढ़ता है, और ननद भौजाई के बीच में कोई नहीं आएगा,... भौजाइयां जिसके साथ कहें जब कहें, जहाँ कहें,... और जो पिलाये, खिलाएं मेरा परसाद समझकर बिना किसी नखड़े के, खुद आगे बढ़ के और उस ननद पर सबसे जबरदस्त जोबन होगा, सबसे नमकीन होगी। और अगर कोई ननद जरा भी नखड़ा करे किसी भी बात के लिए तो भौजाइयां उससे जबरदस्ती कर सकती हैं.

यह संवत पिछले पचास सालों में सबसे अच्छा होगा, खेत में खूब फसल होगी, गाय, भैंस खूब दूध देंगी,... लड़का बच्चा होगा, .... बस बात सब याद रखना। और बात मानना।

और उसके बाद आवाज बंद हो गयी, जो थोड़ी सी रौशनी आ रही थी उस जगह से धुंधली पड़ती जा रही थी, और धुल का एक गुबार वहां आ गया था, उसने उन्हें छिपा लिया था ,

मेरी सास ने इशारा किया हम सब लोग तुरंत इशारा किया हम सब लोग वापस चलें, और सबकी देखा देखी,.... मैं भी अपनी दोनों छोटी नंदों का हाथ पकड़ के बिना उधर पीठ किये और जैसे ही १०० -२०० कदम हम लोग चल कर उस बाग़ से निकले जहाँ आज कबड्डी हुयी थी,... मेरी सास बोलीं , जल्दी बहुत जल्दी

मेरी दोनों छोटी ननदें घबड़ा रही थीं कस के मेरा हाथ पकडे थीं, रूपा घबड़ा कर बोली,

भाभी,...

मैंने उन दोनों से कहा चिंता न कर मैं हूँ न बस मेरा हाथ तुम दोनों कस के पकडे रहना,

मैं तेजी से चल रही थी दोनों मेरी छोटी ननदें मेरा हाथ पकड़े साथ साथ, करीब करीब भागती

हू हू हू हू कर के हवा की तेज भयानक आवाज पीछे से आ रही थी, और तेज होती जा रही थी,...


मेरी एक चचिया सास ने जोर से चेताया, " हे लड़कियों, पीछे मत देखना,... और जल्दी "

मैंने लगभग दौड़ना शुरू कर दिया, ... और मेरा हाथ पकडे मेरी दोनों ननदें भी, लीला की छोटी बहन रूपा के साथ वो जो जल्द ही रजस्वला हुयी थी,.. मैंने कस के उनके हाथ को दबाया और वो दोनों भी, उन को लग रहा था की मैं साथ हूँ तो उनका कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला है,... मेरी देखादेखी साथ साथ बाकी ननदें भी,...

सांस फूल रही थी लेकिन हम लोग रुक नहीं रहे थे, फिर कोई एक बाग़ पड़ी, मेरी सास ने आवाज लगाई अब रुक जाओ , अब कोई बात नहीं,... बादल छंटने शुरू हो गए थे हलकी हलकी चांदनी थी,... मेरी दोनों ननदें जिनका हाथ पकड़ रखा था मुस्करा रही थीं, दोनों मुझसे लिपट गयीं, और मैंने दोनों को चूम लिया सीधे होंठों पे,... और कस के दुबका लिया।

अब हम तीनों सबकी तरह उधर देख रहे थे जिधर से आये थे, जहां हम लोग कुछ देर पहले थे आज दिन भर जहाँ मस्ती हुयी , तेज आंधी चल रही थी, पेड़ झूम रहे थे, लग रहा था कुछ भी बचेगा नहीं सब पुराने बड़े बड़े पेड़ उखड जाएंगे,... और वहां,... वहीँ बीच में से एक गुबार उठा सिर्फ वही पर रौशनी थी

सब लोगों की तरह हम तीनो ने भी झुक कर उस ओर मुंह किये हाथ जोड़ लिए आँखे झुका ली. वो गुबार बहुत ऊपर उठ कर,.... मैं देख रही थी बाग़ के पेड़ों के ऊपर से,... जिस रास्ते से मैं, चमेलिया, मोहिनी भाभी, लीला और नीलू गयीं थी बस वही, पाकड़ का पेड़, बँसवाड़ी,... और दूर कहीं जहाँ वह पोखर रहा होगा,... उसी के ऊपर कुछ देर बवंडर मंडराता रहा,

हू हू की आवाज धीमी हो रही थी

सब के साथ मैं मेरी ननदें भी धीरे धीरे बुदबुदा रहे थे , जय होलिका माइ जय होलिका माई रच्छा करा आसीस दा, किरपा करा,...

कुछ देर बाद बहुत जोर से झपाक की आवाज आयी जैसे वो बवंडर उसी पोखर में समा गया हो,...

जहाँ हम लोग थोड़ी देर पहले बैठे थे वहां अभी भी तेज हवा चल रही थी, जैसे तूफ़ान बाबा झाड़ू लगा के सब कुछ साफ़ कर रहे हों और साथ साथ हम लोगों के मन से भी सब कुछ मिट रहा था, सिवाय हुकुमनामे, भविष्यवाणी और आसीस के,...

कुछ देर में एक बार फिर से वही मदन समीर किंशुक आम्र मंजरी की महक वाली महुआ के रस से भी तेज और अबकी सिर्फ हम पांचो को नहीं सारी औरतों, लड़कियों को,... चांदनी भी निकल आयी थी, हमें नहला रही थी,... थोड़ी देर में हम सब सामान्य हो गए,... सब से पहले सास लोग निकल गयीं कल की होली भौजाई देवर और नंदों की होती उसमें घर का कोई भी बड़ा, सास नहीं होती थीं,...
आपकी लेखनी ने ऐसा शमां बाँधा कि कब एपिसोड खत्म हो गया पता हीं नहीं चला...
सबकुछ जैसे परालोक से बिजली की तरह प्रदर्शित हो रहा था...
ऐसा परिदृश्य जो जागती अवस्था में दूसरी दुनिया की सैर करा के ले आए..
और जब आँख खुले तो....
 

motaalund

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अलग तो है लेकिन बहुत अलग नहीं लगी। ऐसी ही स्थिति आपकी एक और कहानी में भी वर्णित है लेकिन अधूरी सी (अनुज और गुड्डो)।

उसके बाद कहानी वहीं रुक गई, मुझ जैसे पाठकों ने आपसे उसे आगे बड़ाने का आग्रह भी किया था।

आपने यहां तो सच में बांध सा दिया, एक तांत्रिक सम्मोहन जैसा महसूस हुआ।

आपका जवाब नहीं कोमल मैम।

सादर
सचमुच एक सम्मोहन में बंध गए थे...
 

motaalund

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A good build up for the next upcoming episode, good work 👍 . Really excited for the upcoming mayhem in the village, please post it ASAP.
आखिर सब पोस्ट का कुछ मतलब है और ये अगले अपडेट्स का पूर्ववर्ती... जिसके ऊपर आगे की आधार शिला रखी जाएगी....
 

motaalund

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कोमल जी आपका यह पोस्ट बहुत शानदार था कोमल जी आपसे कुछ कहना था वह और टीचर ही क्या जो 200 स्टूडेंट को पढ़ा ना सके वह मूवी में के हीरो ही क्या जो 100 200 गुंडो को मार ना सके इस कहानी का हीरो ही क्या जो 5 6 ननंद को को 6 7 भोजाइयों को गभिन्न ना कर सके वह हीरो ही क्या जो तुम्हारे सास के ऊपर चचिया सास के ऊपर बुआ के ऊपर मौसी ऊपर मामी के ऊपर ना चढ़ सके वह हीरो किस काम का मेरी बात तो समझ ही गई होगी कोमल जी मैं क्या कहना चाहता हूं हीरो का क्या रोल रहेगा जानने के लिए इच्छुक हैं हम हीरो के बारे में ऐसा कुछ लिखो कोमल मैं शुरू से लेकर अंत तक हीरो का दबदबा बना रहे हीरो जैसा फिलिंग आना चाहिए मेरी बात पर थोड़ा गौर करना आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कमेंट जरुर करके बताना आपका राय क्या है आपका लाइक कमेंट दोनों कर दे रहा हूं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
गौर करके उन्होंने पोलाइटली जवाब भी दिया है...
कृपया आप उस पर भी गौर फरमाएं...
 

motaalund

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कोमल मैं आपकी हर एक कहानी में पड़ा हूं लेकिन पूरा नहीं पड़ा हूं इसलिए कि उसमें हीरो को रोल देखकर गढ़वा जैसा लगता है जैसे अभी जोरू का गुलाम पकड़ लो आपकी कहानी उसका पढ़ने के बाद फीलिंग क्या आती है पता है कोमल मैं आपको कोई मांस खाकर हड्डी फेंक दीजिए कोई कुत्ता खाए कुत्ते वाली फीलिंग आती है किस लिए कुत्ते वाली फीलिंग आती है वह भी बता दे रहा हूं मतलब किसी को भोगने के बाद तब जाकर झूठा हीरो को मिलता है खाने के लिए यह हुआ कुत्ते वाली फीलिंग दूसरा उसे कहानी में गढ़वा बोल-बोल के सचमुच में एकदम गढ़वा ही बना दी हो इसलिए गढ़वा लगता है कि जो हीरो दूसरे को गांड मारना चाहिए उसकी गांड दूसरे से खुद मरवा दे रही हो आप इसलिए गढ़वा लगता है तीसरा मां बहन भौजाई बीवी का जैसे दलाल लगता है दलाल कैसे लगता है मैं बताता हूं भोजी कोठी पर बहन जिले की रंडी बीवी दूसरे से छुड़वाने में बेस्ट इसलिए दलाल लगता है हीरो वाली फीलिंग किधर आती है इससे अच्छा होता कि वह जो बेचारा कंपनी में कम कर रहा है कंपनी छुड़वा दो यार जब घर में चार रंडियां कमाने वाली हो हीरो को कमाने की जरूरत क्या है जो फ्री में कर रही हैं वही पैसा लेकर करें हीरो को भी आराम मिले पूरा दलाल लगता है हीरो किधर लगता है यह उसे कहानी पढ़ने के बाद यही फीलिंग आती है सिर्फ इस पर आपका क्या कहना है कमेंट करके जरूर बताना बहुत-बहुत धन्यवाद यह जो दो पोस्ट की हो जोरू को गुलाम में बहुत शानदार था हीरो के बारे में ऐसा कुछ लिखो कोमल मैं की जो शुरू से लेकर अंत तक हीरो को दबदबा बना रहे हीरो जैसे फीलिंग आना चाहिए बस आपसे यही कहना था लाइक कमेंट कर दिया हूं बहुत-बहुत धन्यवाद
आदमी अपनी कल्पनाओं में हीं जीता है... और उसी अहम में दिवा स्वप्न देखता रहता है... खास कर हीरो के द्वारा अपनी अपनी अतृप्त आकांक्षाएं पूरी होते हुए महसूस करना चाहता है...
लेकिन सच का धरातल उससे कहीं दूर होता है...
बड़े-बड़े तुर्रम खां भी फेल हो गए...
खास कर फिल्मों ने (विदेशी) और भी सुपरमैन.. स्पाइडरमैन जैसे किरदार गढ़ दिए...
लेकिन वास्तविकता से कोसों दूर...
ऐसी कितनी हीं फिल्में हैं जिसमें हीरो कोई बहुत बलशाली नहीं है... लेकिन सब पर भारी होता है...
और कई बार हिरोइन प्रधान फिल्मों में हीरो की भूमिका नगण्य होती है....
 

motaalund

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Gazab update, nanadon ko hukamname se bandh dia hai. ab to unko bhabhi o ki baat man ni padegi. Aur sab nanadon ko ashish bhi Holika mai se ajib dhang se balki reeti rivaj se mili hai, lekin ek bhabhi ko bhi kuchh special ashish mili hai. Very deep meaning historical update.I read it after taking tea to understand it.
Super duper update
👌👌👌👌👌👌👌
💯💯💯💯💯
और एक बार के बाद दुबारा पढ़ने पर गूढ़ अर्थ से परिचय होता है...
 

motaalund

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Kahani to badi gambhir ho gyi. Kantara movie ki tarah
जीवन कई रंगों से भरा पड़ा है...
तभी आदमी एकरूपता से बचता है...
वरना एकरूप कहानियों की तो भरमार है...
 

motaalund

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बहुत बहुत धन्यवाद, पहली लाइक और पहले कमेंट के लिए,

अच्छा है आपको अच्छा लगा. आपने सही कहा भाषा शैली इस पार्ट की इसी कहानी के बाकी भागों से थोड़ी अलग है जैसे भाग ५० और ५१ में थी जहाँ दोहा में माइग्रेंट लेबर का जिक्र था, उसी तरह से लेकिन टोन थोड़ा अलग है।

अब धीरे कमेंट की रफ्तार इस थ्रेड पर कुछ कारणों से कम हो चली है, पिछली पोस्ट के बाद २७, ००० के करीब व्यूज थे लेकिन सिर्फ ६ मित्रों ने समय निकाल कर कमेंट दिया। जीवन की आपधापी, तनाव, खिंचाव, व्यक्तिगत त्रासदी, बहुत से कारण होते हैं

लेकिन कमेंट बातचीत की तरह होते हैं , सन्नाटा तोड़ते हैं, इसलिए हरदम अच्छे लगते हैं।
अपनी तरफ से जोर का हुंकारा भरने की कोशिश करता हूँ...
 
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