- 22,129
- 57,324
- 259
भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
Last edited:
आप भी थोड़ा उनके स्वतंत्रता का विचार कीजिए...Bahut shandar update hai Kumar mam joru ka gulam Jo kahani hai comment box Mera kholo to like comment kaise karunga usmein Bhala Jo ek do bhag badhiya lag Raha hai uska Hi like comment de dun kholna hai to kholo Jo comment kiya tha uska jawab achcha kharab kuchh to bolati aap
और मानसिक क्षुधा भी शांत होती है...Ekdam, thoda to antar tha,... mujhe lagata hai bich bich men kahani men thoda sa traetment men antar laaane se monotny tootati hai varana readers bhi sochte hain ki har episode men vahi ho raha hai, aur yes maine kohosh ki hai dher saare symbols use karne ki is part men kaamdev aur rati se jude aur tantra esp. females se jude, meri stories men feminine perspective rhata hai
aur ye bich ke is tarh ke paart aap aise expert writers se taarif paane ke liye bhi likhti hun, thodi fantasy, thodi mystry, aur sirf women
thanks for reading and enjoying the update
जीवन कल्पनाओं से बहुत परे होता है....कोमल मैं जैसे अपने तुम अपने जीजा को अपना कुंवारापन सोप अपनी ननद को भी सोपे तुम्हारे जीजाओं की मां बुआ बहने इनको कुंवारापन दिलाओगी की नहीं हीरो भोदा ही रहेगा कि आगे कुछ नया देखने के लिए मिलेगा हीरो के प्रतीत आप कहते हैं किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा तो क्या हीरो के पद के हिसाब से भेदभाव हुआ है में आप ऐसा कुछ आगे ऐसा ही करोगी हीरो का हक भी बनता है उनके माल पर कोई हाथ डाले और जवाब ना दे हीरो का सेक्स लाइफ कुछ अलग कर दो कोमल मैं कुछ इस तरह 10 inch 4 mota domination sex ऐसा बनाने के लिए आपको ही हाथ लगाना पड़ेगा कोमल में किस लिए अखड़क समय अब आ गया है जो गीता और मंजू ने मेहनत किया था उसका फल देखने को आगे मिलेगा क्या कोमल मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद पढ़ने के बाद कमेंट जरुर करना कोमल में मन में जिज्ञासा था तो पूछ लिया कमेंट करके जरूर बताना अच्छा खराब पढ़ने और कमेंट के लिए बहुत धन्यवाद
अपना अपना नजरिया है...कोमल मैं मेरा कहने का मतलब था की जो खास आपकी ननद हो और तुम और जो इनकी खास भोजाई जो लड़ और प्यार करती हो इसे हो उनको तो गभिन्न कर ही सकते हैं ना ज्यादा नहीं कह रहा हूं बस दो-तीन कह रहा हूं बस कोमल मैं एक बात और कहना था जब इनका सल जब उनकी बहन के ऊपर चढ़ सकता है हीरो का जीजा हीरो को बीवी के ऊपर जब हीरो के साली के ऊपर चढ़ सकता है तो हीरो तब क्यों अपने जीजा बहनों के ऊपर नहीं चढ़ता क्या कोमल मैं क्या यहां पर भेदभाव नहीं हो रहा है इस कहानी के आगे हीरो के कुछ प्रतीत नया कुछ देखने को मिलेगा पद के हिसाब से हीरो को कैसे रहना चाहिए आप ही बताइए कोमल मैं एक राजा एक प्रजा में अंतर रहता है आपके जैसी कहानी लिखनी है कोमल मैं वैसे ही लिखो आपको रुकावट नहीं बन रहे हैं वैसे इस कहानी का हीरो और विलन का अंतर बना के रखो बस यह रही पिछली कहानी की बात जिज्ञासा थी पूछ लिया कमेंट करके जरूर बताना आपका कॉमेंट इंतजार करेंगे आगे का जो पोस्ट आएगी अब उसे पर बात करेंगे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कोमल मां कमेंट करके जरूर बताना
इतना वृहद ज्ञान कदाचित नहीं था...पुष्पधन्वा
छुटकी की आखिरी पोस्ट, होलिका माई में कामदेव और रति से जुड़े, कुछ फर्टिलटी रिचुअल से संबंधित और कुछ तंत्र प्रतीक हैं। मुझे पूरा विश्वास है की मेरे सुधी पाठक अच्छी तरह समझ गए होंगे,
लेकिन फिर भी मैं थोड़ी बहुत बात इस पोस्ट के बारे में फिर से दुहराना चाहूंगी।
कहानी में भी यह बात मैंने कहि थी की होलिका के दहन के बारे में कहीं कहीं उसे कामदेव के दहन से भी जोड़ कर देखा जाता है। होली को बसंतोत्स्व या मदनोतस्व से भी एक जमाने में जोड़ा जाता था और इस प्रसंग में वही विम्ब हैं,
कहानी की यह लाइन देखें
और फिर एक अजीब सी फूलों की मिली जुली महक,.. किंशुक, आम के बौर और चमेली के साथ जैसे पोखर के ताजे कोपल खोल रहे, सरोज और कुमुदनियाँ हों,... वो महक तेज हो रही थी,
कामदेव को हम पुष्प धन्वा भी कहते हैं उनके पांच शर पुष्पों से ही बने है और उसी के चार बाणों का यहाँ जिक्र हैं. पांच बाण है, आम्रमंजरी, चमेली, दो प्रकार के कमल और अशोक के फूल, ... और वह सुगंध उनमें से चार बाणो की याद दिलाती है, तो वह सुगंध पुष्पधन्वा के तीरों का असर है और उस के साथ किंशुक या पलाश ( टेसू ) की गंध भी जुडी है जिसके बिना हम होली को कौन कहे फागुन की कल्पना नहीं कर सकते।
और कामदेव और होली से जुड़े इन पुष्पों की गंध बार बार इस कहानी में आती है।
वह चांदनी, वह संगीत, वह फूलों की गमक, ... बढ़ती ही जा रही थी,...
---
मेरी आंखे झुकीं, वो सिद्धासन में बैठीं, उनकी नाभि तक देख रही थी, फिर थोड़ा सा सर उठाया तो उन्नत उरोज भभूत ऐसे होली की राख में लपटे जैसे दग्ध मन्मथ का देहांश हो, ...
एक बार वही फूलों की महक, किंशुक, आम्र मंजरी, चमेली,... भीनी भीनी,... मेरी देह मेरे काबू में नहीं थी, और भीतर से कोई बोल रहा था कोमल अब इसे काबू में करने की जरूरत भी नहीं,... जैसे माँ की गोद में बचपन में, अभी भी सहज हो जाती हूँ, बिलकुल वैसे ही,...
उन्होंने दुलार से मेरे सर पर हाथ फेरा,... फिर ठुड्डी पकड़ कर मेरा चेहरा हलके से ऊपर किया,... मेरी आँखे अभी भी नीचे लेकिन तब भी मैं उनकी ग्रीवा तक देख रही थी, एक दिव्य रूप,... वह स्पर्श, जैसे मस्तिष्क, मन से लेकर पूरे तन में एक फुरहरी सी फ़ैल गयी, रोम सारे खड़े,... मेरी सारी इन्द्रियाँ चैतन्य, जैसे बारिश हो रही हो और मैंने एक छोटी बच्ची की तरह अंजुरी रोपे अमृत बूंदो को इकठ्ठा करने की कोशिश कर रही हूँ,...
---
कुछ देर में एक बार फिर से वही मदन समीर किंशुक आम्र मंजरी की महक वाली महुआ के रस से भी तेज और अबकी सिर्फ हम पांचो को नहीं सारी औरतों, लड़कियों को,... चांदनी भी निकल आयी थी, हमें नहला रही थी,... थोड़ी देर में हम सब सामान्य हो गए,... सब से पहले सास लोग निकल गयीं कल की होली भौजाई देवर और नंदों की होती उसमें घर का कोई भी बड़ा, सास नहीं होती थीं,...
कामदेव के तीर तो फूल से जुड़े हैं और उनका धनुष गन्ने का है और होलिका के आशीर्वाद में गन्ने का भी जिक्र आया
---
पुष्पधन्वा के इन पुष्पशर के साथ साथ होलिका रति का रूप इस प्रसंग में थीं। और वह भभूत दग्ध कामदेव के देहांश का रूप. रति के विलाप के बाद आशीष मिला था यह राख होने के बाद तो पुनर्जीवित नहीं हो सकते, लेकिन सूक्ष्म रूप में मन में रहेंगे इसलिए मन्मथ कहलाये।
रति के साथ तो सारी काम क्रिया ही जुडी है, काम क्रिया को रति क्रिया भी कहते हैं. और सीधे रति रूपा का आशीष।
जैसे आग की भट्ठी,... कितनी ऊर्जा, लेकिन गर्मी ऐसी जो शीतलता दे,... बर्फ को छूने पर जैसे कई बार हाथ जलता लेकिन धीरे धीरे मेरा हाथ भी उसी तरह,... और उनकी उँगलियों ने मेरी उँगलियों को अपने भगोष्ठों पर,.... अमृत कुंड में कोई स्नान कर ले, रति रस का वो स्पर्श,... निर्झर स्रोत,... और मेरी उँगलियों से होते हुए मेरे तन मन में ,
इस तरह के अनेक प्रतीक इस भाग में हैं
उसी के साथ फर्टिलिटी सिंबल जो लोक कलाओं में खास तौर से विवाह से जुडी जहाँ सिर्फ औरतें रहती हैं, जैसे कोहबर,... वहां सिर्फ पुरुषों में दूल्हा ही जाता है, कोहबर के चित्र में बांस, बँसवाड़ी पुरुष प्रतीक हैं ( जो आप सोच रहे हैं वो कारण तो है ही ) क्योंकि माना जाता है की बांस की आयु बहुत होती है उसी तरह महिला प्रतीक चिन्ह के तौर पर कुमुदनी बनती है और कहानी के इस पार्ट में दोनों आते हैं
उन पेड़ों के पीछ सैकड़ों साल पुरानी बँसवाड़ी, ... जिसके बांस सिर्फ शादी में मंडप के लिए, किसी जाति की बाइस पुरवा में लड़की की शादी हो या लड़के की बांस यहीं से, लेकिन बांस काटने के पहले भी खूब पूजा विधान,... और शादी के अलावा कोई उस बँसवाड़ी की ओर मुंह भी नहीं करता था,... उसी बँसवाड़ी के घने झुरमुट में,....
हां मालूम था उसके अंत में एक पोखर है लेकिन गाँव की बड़ी बूढ़ियों ने, गुलबिया की सास ने, सबने बरजा था, बल्कि कभी सपने में उसकी बात भी नहीं करनी थी,...
---
जैसे पोखर के ताजे कोपल खोल रहे, सरोज और कुमुदनियाँ हों
तंत्र प्रतीकों का उल्लेख अगले भाग में
हमारे तरफ कई दिनों तक शादी में रुकने की प्रथा को मर्याद कह कर पुकारते थे...गाँव में त्यौहार मनाने का अलग ही मजा और उल्लास होता हे , जो शहर में कहाँ सम्भव हे , गाँव में पेसे का दिखावा कम होता हे कुछ होली दिवाली मेने भी गाँव में मनाई हें , सुबह २ टोली बनाकर गाँव में घूमना और रंगो की जगह कीचड़ से होली खेलना अच्छी तरह याद हे , शादी में बरी पूरी लेकर छोटे २ बच्चों का जनवासे से शादी वाले घर तक जाना और तीज त्यौहार में उल्लास और मस्ती अलह ही दिखती थी , जो शहर की शादियों मे कहाँ सम्भव हे हर रीती रिवाज का पालन करना , बेलगाडी में बारात का जाना और कई कई दिन बारात का रुकना जिसे बढाध बोलते हें वो सब कहाँ सम्भव हे
वर्तमान और प्राचीन प्रथा का समावेश और हल-बैल को ट्रैक्टर से जोड़ना...तंत्र प्रतीक
The inverted triangle represents the feminine power that is the source of all creation. The creative force in nature is a result of feminine power’s vitality. The first enclosure enclosing the tiny nucleus of most yantras is typically this inverted triangle.
Given that space can never be contained by fewer than three lines, the triangle is the prototypical representation of a sacred enclosure. Thus, it is believed that the triangle was the first closed form to appear when order was brought about by chaos. It is referred to as the source of all manifested nature in this manifestation.
This inverted triangle is generally the first enclosure surrounding the infinitesimal nucleus of most yantra. The pointing down of the triangle represents the YONI, the female sexual organ, and the symbol of the supreme creation.
Now let me revert back to the lines of story, where girls who have attained puberty in the last one year are being blessed. girls who have started mensurating after last HOLI.
ये वह लड़कियां थीं जो पिछली होली के बाद रजस्वला हुयी थीं और उनका कामछिद्र अभी अक्षुण था,... पांच ननदें, उभार भी बस आ रहे थे, ... सिर्फ अपनी देह को धारण किये,... एक एक करके,
उन्होंने बहुत दुलार से पहली लड़की को अपनी बायीं जांघ पर बिठाया, अपनी बाएं हाथ की तर्जनी को अपनी योनि के अंदर पूरी तरह घुमाया थोड़ी देर तक,... और उसी योनि रस से डूबी ऊँगली में, चांदनी में चाशनी चमक रही थी,...
मैं साँस बांधे देख रही थी,... उसी ऊँगली से उन्होंने उस कुँवारी कन्या के योनि के चारों ओर एक त्रिकोण की तरह बनाया,... फिर अपनी जांघ पे लगी होलिका की राख को उसकी कोख पे कुछ मसल दिया और बाकी उसके बस आ रहे उरोजों पर होली की राख लगा कर मसल दिया,,...
बिना बोले हम सब देख रहे थे और मैं धीरे धीरे होलिका देवी का आशीष समझ रही थी, योनि पर त्रिकोण, मतलब अब वो पूरी तरह सुरक्षित है कोई रोग दोष अवांछित गर्भ कुछ नहीं होगा,... और कोख पर आशीष तो सबसे बड़ा, वो उर्वरा होगी, जब चाहे तब,... और जोबन पर होली की राख लग गयी तो अब अगली होली जलने तक उसके जोबन पूरी तरह गद्दर,
Inverted triangle also symbolizes YONI, which is the source of all creations. And in one school of Tantra, YONI is venerated, revered and worshipped.
Secondly, all over the human history, women have been linked with the fertility and all fertility symbols focus apart from YONI on heavy buttocks and heavy breasts which later on got metamorphosed into sex symbols too. We all know that because of womb, uterus, female pelvis is designed differently to hold the child in the womb and to procreate. and it leads to heavier hips. Secondly a lactating female will have heavier breasts. Old statues of Venus in the pre-historic societies have heavier breasts and well -developed hips, denoting fertility. This importance of fertility is desire of any being, human, animal or plant to preserve its species, its race.
Even in last part, Part 66 in a flash back post, बातें मेरी सास की, सास ज्ञान,
it has been alluded.
"किसान के लिए हल बैल और अब भले ट्रैक्टर आ गया हो तो ओहु की पूजा होती है, .... क्यों क्योंकि , वो जमीन जोतता है,... और जब बीज पड़ता है पानी पड़ता है तो जमीन लहलहाने लगती है , किसान हो या उसके घर के सब लहलहाती फसल देख के सब हरषाते हैं, एक बीज डालो और हजारों बीज,... और ये काम करता है कौन,... "
" धरती,... " मैं बोली
" बस हम तुम उसी तरह से हैं " मुझे अँकवार में भरती बोलीं,
"धरती की तरह, ... जितना लेते हैं सौ हजार गुना लौटाते हैं। तो धरती लजाती है का , अरे जउने दिन खेत में पहली बार हल चलता है समझो त्यौहार होता है ख़ुशी का मौका, उसी तरह धान की जब रोपनी होती है खूब गा गा कर खुसी से " फिर कुछ रुक के बोलीं
" देख तोहरे तरह तो हम इंटर पास नहीं है, लेकिन इतना जानते हैं की हजारो साल से पता नहीं कौन जमाने से खेत जोता जाता है , बीज डाला जाता है और फसल होती है,... और यही फसल होना बंद हो जाए तो , अरे जो बकरा मुर्गी खाते हैं उस बकरा मुर्गी को भी तो घास दाना चाहिए। ... उसी तरह इंसान की जात कैसे चल रही है ऐसे ही तो खेत की तरह,
मरद हल चलाता है, बीज डालता है,... और फिर नौ महीने,... हम सब जो आये हैं जाएंगे लेकिन हमारी जगह दूसरे, तीसरे, चौथे, ...जैसे गेंहू तो काट पीट के चक्की में पीस के लेकिन बीज उसका किसान बचा के रखता है,... "
मैं ध्यान से उनकी बातें सुन रही थी, बात सोलहो आने सही थी।
Now coming back to the last part, one part starts with this image,
This has many symbols related with the YONI.
Outer shape encompasses an inverted triangle which is the symbol of the creation, circle which shows completion and dot in the center which shows energy. so female power should be ready to receive the energy
and there is an upward triangle.
When the triangle is pointing upwards, it signifies the intense spiritual aspiration, the sublimation of a person’s nature into the subtle plane and the (AGNI TATTVA), i.e., the element of fire. The fire is always pointing upwards, which makes the correlation with the upward triangle –The downward triangle signifies the part of water, which means to flow and acquire the bottom position.
Completion happens when both triangle unite and result of it is received in the womb. It is most natural rather essential part to make the cycle of creation, run. and now let me revert back to story where this symbol has been used as blessing,
फिर उन्होंने अपने बाएं हाथ की एक ऊँगली अपनी योनि के ऊपर जहाँ स्पर्श करा कर उन्होंने नयी रजस्वला हुयी बालिकाओं के योनि के ऊपर आशीष के चिन्ह बनाये थे , ... लेकिन इस बार ऊँगली रस कूप के पूरी तरह अंदर थी, एक बाद दूसरी, तर्जनी और मध्यमा दोनों,... जैसे अमृत मंथन हो रहा हो, ... मेरी निगाहें एक बार फिर बंद हो रही थीं सिर्फ मुझे अपनी रससिक्त उँगलियों का अहसास हो रहा था था जो मेरी योनि पर थीं,... वो अत्यंत संवेदन शील हो गयी थी,... और उनकी दोनों उँगलियाँ योनि कूप से निकली, सीधे मेरी योनि पर और रस कूप के अमृत से उन्होंने पहले एक बड़ा त्रिकोण बनाया उलटा, ...
मेरी योनि के चारों ओर, रस की बूंदे उनकी मेरी त्वचा से होते हुए सीधे मेरी देह मन में समा रही थीं,... हम दोनों जिस तरह बैठे थे यह सब कोई और नहीं देख सकता था, वैसे भी जब वो किसी को आशीर्वाद देती थीं तो बाकी लोगों की निगाह जमीन पर ही होती थी,...
यह बड़ा त्रिकोण मेरी भगनासा ( क्लिट ) के बाहर से शुरू हुआ और वहीँ समाप्त हुआ, फिर उस त्रिकोण के अंदर एक छोटा त्रिकोण सीधे योनि द्वार पर वह भी उसी तरह उलटा, लेकिन दोनों उँगलियों के सम्पुट से,... और दुहरी लाइन से, फिर एक बिंदु उस बड़े उलटे त्रिकोण के ठीक ऊपर , वो रस का मंथन कर के निकली उँगलियाँ फिर मेरी नाभि पर, और वहां एक कमल दल और उसके बीच दो त्रिकोण एक उल्टा, एक सीधा, उसके बाद मेरे उरोजों का नंबर था। उस समय मैं कुछ भी नहीं सोच रही थी, लेकिन बाद में कुछ समझ में आया,
उलटा त्रिकोण यानि फेमिनिन पावर, सृजन की, प्रजनन की शक्ति, फेमिनिन पावर, और सीधे रति स्वरूपा के रति रस से खिँचित,... नाभिं पर उन्होंने अष्टदल कमल बनाया था, ... और दो त्रिकोण, एक सीधा एक उलटा, पुरुष और प्रकृति, एक के बिना दूसरे की गति नहीं,...
हीरो को राक्षस नहीं मानवीय होना चाहिए...कोमल जी जो जोरू का गुलाम कहानी है लोग पढ़ते थे कुछ तो कहानी समझने में कंफ्यूज हो गए और कुछ हीरो पद के हिसाब से जो हीरो का कैरेक्टर निभाया जा रहा है बहुत लोगों को बुरा लगा था इसलिए बोला था कोमल मैं हीरो का 10 इंच 4 इंच मोटा एक टाइमिंग उनका बढ़ा दो कोई भी पुरुष हो उसको शामिल करती हैं तो 6 इंच 7 इंच 7:15 इंच ढाई इंच मोटा रखना था इसलिए बोल रहा था कि आपका मन भी रह जाए और दर्शकों भी मन रह जाए आगे कहानी खींचने में कोई दिक्कत ना आए रही बात कुछ अलग करने की आपके दिमाग के ऊपर है कोमल जी हीरो का सेक्स लाइफ सबसे अलग रहना चाहिए जैसे हीरो की मां मौसी मामी बुआ और हीरो की सास हो यह पोंचो का थोड़ा अलग ही रिश्ता है इन पोंचो में lesbian सेक्स करवाया जाए तो कितना अच्छा रहेगा सेक्स करने के टाइम पर सिर्फ हीरो का नाम से गाली दी जाए हीरो का नाम से छेड़खानिया की जाए बात-बात पर कोई भी त्यौहार हो जैसे समारोह हो हीरो का नाम पर छेड़खानी हो लाड थोड़ा प्यार थोड़ा प्रेम थोड़ा जब यह सब कहानी में इस्तेमाल किया जाता है तो कहानी अपने आप खींची हुई चली जाती है हीरो का सेक्स domination BDSM ki tarah ho जैसा कैरेक्टर हो उसे हिसाब से फोटो डालो ऐसी कहानी भी अलग हो जाएगी मां बेटी का सपना भी पूरा हो जाएगा जैसे बनाना चाहती थी दर्शकों का भी मन रह जाएगा कुछ अपना दिमाग लगा लेना कोमल में आपको कैसे रखना है क्या करना है सलाह कुछ ठीक लगे तो अमल करना कमेंट करके जरूर बताना आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
ये इसलिए कि वे विलक्षण प्रतिभा की धनी हैं...Exemplary... Both the updates embody a significant degree of profundity.