Komalrani जी पिछले कुछ दिनों से मै कॉमेंट्स पढ़ रहा हूं, जिसमे लोग आपको कुछ सलाह दे रहे हैं। मैं भी अपना विचार रखना चाहता हूं। हीरो हीरोइन साधारण कहानियों में जरूरी होते हैं। कामुक कहानियों में हीरो हीरोइन कोई जरूरी नही है। कामुक कहानियों में चूत वाली होनी चाहिए और लंड वाला होना चाहिए। चूत बराबर रस छोड़े तभी लंड को सही ग्रीस मिलती है। इसके लिए कुछ सहेलियां, भौजाइयां, ननदें सास होनी चाहिए जो चूत में आग लगा सकें और बुझवाने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकें। बुझाने के लिए नए लउंडे, देवर आदि होने चाहिए जो कच्ची कलियों को रगड़कर फूल बनाएं। फूल बन चुकी भौजाइयों का, दीदियों का, यहां तक चाची, सास का भी रस (उप्पर और नीचे का दूध) निचोड़कर पी सके, गाभिन कर सकें। गायें जब चोकड़ेंगी (रंभाएंगी)। तो उन पर चढ़वाने के लिए हीरो ढूंढा जाएगा या अच्छा सांड़ ढूंढा जाएगा फिर चाहे वह देसी हो, साहीवाल हो, जर्सी हो या फ्रीजियन हो । अब कोई जर्सी गाय ज्यादा दूध देती है तो दूधिया के यहां बेच देते हैं। कोई भौजाई ज्यादा दूध देने लगे तो कौन दूध पिएगा देवर ही न। आप जैसी कहानी लिख रही हैं वैसे ही लिखते जाइए। कमेंट्स के अनुसार कहानी की दिशा मोड़ेंगी तो कहीं न कहीं मौज मस्ती कम हो जायेगी और कहानी एकविमीय हो जाएगी। अन्य लोगों से निवेदन है कि कहानी के ढांचे पर कृपा करके आलोचना न लिखें । लेखक कितना भी इग्नोर करने का प्रयास करे उसके मन में कोई भी आलोचना घर कर जाती है और वह उसका निदान करने का प्रयास करता है। इससे इस रसप्रद कहानी का रस ही कम होगा भले ही साहित्यिक दृष्टि से कहानी अधिक सटीक हो जाय।