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भाग ९८
अगली परेशानी - ननदोई जी, पृष्ठ १०१६
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भूली बिसरी यादें...दोस्त आपने सही कहा आजकल तो दूल्हा दुल्हन भी भोर में ही विदा हो जाते हें ,बेलगाडी में शादी अटेंड किये दशकों बीत गए उस समय में शायद ३,४ साल का था , बारात के जनवासे में पहुँचने से पहले एक जगह ठहराव था वहां रहट चलवाई गई वो समय भी अलग ही था , खाना भी द्वारचार के बाद लगभग १२, १ बजे होता था नीचे पंगत में बैठकर खाना और खाने में ज्यादा व्यंजन नही होते थे आलू की सब्जी काशीफल की सब्जी दही बूरा और रायता अब तो बस उन दिनों की यादें ही रह गई हे
कोमल मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कोमल में सभी देवर का मामला सेट कर दी कोमल मैं आपने कहा था सुबह देवर नंनद भोजाइयों की होली रहेगी लेकिन तुम्हारा जो सजना है यह सब का जेठ लगता है क्या वह भी तो सब भोजाइयों का देवर ही लगता है उसका सीन इसमें क्या है कोमल मैं किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए कोमल मैं लगता है 5 महीना आपका पोस्ट नहीं पढ़ पाऊंगा किस लिए कुछ काम आ गए हैं इसलिए 6 महीना या साल भर लग सकता कोमल मैं आप हर प्रकार की कहानी लिखी हैं सभी सामूहिक सेक्स की तरह कोमल मैं एक कहानी हीरो के ऊपर भी लिखना जैसे उसे कहानी में हीरो के परिवार वाले हीरो को नौकर की तरह रखते हो नौकर की तरह व्यवहार करते हो फिर उसे कहानी में एक हीरोइन एंट्री ले अपने हीरो का हिसाब सबसे ले सके यह कहानी एकदम गुलामी की तरह हो कोमल मैं एक कहानी ऐसा भी जरूर लिखना टाइम मिले तो सोचा कोमल में जय पोस्ट की और कोमल में बहुत शानदार था आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जैसे कहानी के बारे में जिक्र किया हूं कोमल में एक कहानी वह सभी जरूर लिखना आपका कोटि-कोटि नमन सामूहिक सेक्स तो बहुत लिखी हो कोमल में एक कहानी वैसा भी बना देना हीरो के ऊपर जैसा मैं कहां हूं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद होगामंजू भाभी के पास साथ में रज्जो भी. गुलबिया ने बताया की मंजू भाभी के पितयाउर देवर की एकलौती बेटी है, बस मेरी चमकी।
मेरा चुन्नू, उसका खड़ा भी जबरदस्त होता है और वो उतना ही सुकुमार भी, आज मैंने उसे बुर का स्वाद तो लगा ही दिया , और बेला उसके रिश्ते की बहन ही लगेगी, उसकी भी कोई सगी बहन नहीं, और ये उससे पट गयी तो दोनों का पक्का इंतजाम हो जाएगा,... लेकिन,...
और गुलबिया ने हँसते हुए हल बता दिया,..
ये तो वस्तुतः आपकी अथक और सतत मेहनत का नतीजा है...आप की दुआ का असर है की तमाम कमियों के बावजूद,
जोरू का गुलाम के १००० पृष्ठ पूरे हो गए हैं और जल्द ही वो बीस लाख व्यूज भी पूरा करेगी।
उसके २०५ भाग पोस्ट हो गए हैं और जल्दी ही वो अपने अंतिम चरण में प्रवेश करेगी, जहाँ से वो कहानी अधूरी रह गयी थी, पिछले फोरम के बंद होने के कारण।
बहुत बहुत आभार, धन्यवाद
बंद दरवाजे के पीछे क्या क्या खुला...एकदम सही कहा आपने,
बंद दरवाजे के पीछे पता नहीं क्या क्या गुल खिलाये होंगे ननद ने,
लेकिन अब भाभी के सामने और वो भी पूरी रात, और जब चाहे तब,... फिर तो मुकरने का सवाल ही नहीं,
और मजा भी दुगना....और क्या वो प्लास्टिक वाला स्ट्रैप ऑन कहाँ गाँव में मिलता, ऑनलाइन मंगाने में भी टाइम लगता,... इसलिए जब ननदों का मामला होता है तो भाभियों का दिमाग डबल स्पिट से चलता है, और काठ का खूंटा, बड़ा भी कड़ा भी,....
तिरबाचा भरने के बाद कोई मुकरने भी देंगी...एकदम और वो भी चमेलिया गुलबिया के सामने अब वो मुकर भी नहीं सकतीं दो दो गवाह मौजूद हैं.
अब अपने भैया और अपने सैंया में वो आगे से भेद नहीं करेंगी, और मेरे सामने ही,... और पाठकों की डिमांड भी थी
इन्सेस्ट के तड़के की,... तो होली की मस्ती में वो भी
अरे एकदम उम्दा....और मेरी कहानियों में हसीन बदलाव तो डाक्टर साहिबा की संगत का असर है,
अब उतना अच्छा तो नहीं लेकिन थोड़ा बहुत कभी कभी, ...इस कहानी में एक बार अरविन्द गीता के रिश्तों में हसीन बदलाव आया और अब मेरी ननद भी
धन्यवादी तो हमें होना चाहिए....वाह वाह
जबरदस्त एकदम जोगीड़ा के रंग में उसी तरह की लाइनें
और मुजरे की फरमाइश थी तो आपको अच्छा लगा, थैंक्स