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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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बीच बीच में थोड़ा सा फ़्लैश बैक हो जाता है,

रियल लाइफ में भी तो अक्सर कुछ मीठे तीखे प्रसंग याद आ जाते हैं,... और ननदों का मुकाबला करने के लिए नयी दुलहन का साथ देने के लिए उसकी जेठानिया तो होती हैं हैं,... नयी जगह नया माहौल, यह सब छेड़ छाड़ धीरे धीरे नयी दुल्हन को भी सहज कर देती है.
यही रियल लाइफ प्रसंग हीं तो अक्सर बोल-चाल में प्रयोग होते हैं .. जिससे रिलेट कर लगता है कि सचमुच कुछ आस-पास संवाद हो रहा है...
 

motaalund

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एकदम यह कहानी जिस का सीक्वेल है उस के शुरू में ही मैंने कहा था की होली की इस कहानी में सारी वर्जनाएं टूटेंगी, सभी लाइने पार होंगी

तो सीक्वेल में बची खुची,... और कुछ तो बैकग्राउंड होना चाहिए था तो कबड्डी की जीत की ये शाम


और इन्सेस्ट का तड़का भी
Exploring unchartered waters will give exhilarating feeling.
 

motaalund

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एकदम जबरदस्त मुकाबला होगा

और मैं अपनी सास का साथ दूंगी, सास न होतीं तो साजन कहाँ से आते
आखिर प्यारी-दुलारी और सबसे बढ़कर मनभावन
 

motaalund

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और सास ने ये जो बातें कही वो कहीं न कहीं पृष्ठ ६४३ के अपडेट और ६४६ की टिप्पणी से भी जुडी थीं
ये भेड़ चाल से हटकर एक ऐसी प्रस्तुति थी जो कहानी को बेजोड़ और बेमिशाल बनाती है....
 

motaalund

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वह गाँव आदर्श गाँव की सूची में भी है
👍👍👍👍
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने इसी से तो जीवन चक्र चलता है कोटिश वर्षों से इस पृथ्वी पर जीवन है तो इसी कृत्य के कारण
जो जीवन चक्र का आधार है...
हरेक पशु पक्षी... जीव-जंतु बिना किसी भेद भाव के इसमें संलग्न हैं...
अपने प्रतिरूप को जनम दे कर इसे आगे बढ़ा रहे हैं... वो गलत कैसे हो सकता है...
 

motaalund

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यह भाग और भाग से थोड़ा सा अलग है

धन्यवाद आपने सारी पोस्ट्स पर और कमेंट्स पर भी कमेंट्स किये
अलग होने के कारण हीं अद्भुत और अपूर्व है....
 

motaalund

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कुछ जीवन का उत्स है

कुछ काम -रति से और फर्टिलिटी रिचुअल से जुड़े और

कुछ तंत्र के प्रतीक थोड़ी चर्चा जिनकी मैंने आगे भी की पृष्ठ ६४६ में,

ग्रामीण जीवन से जो लोग जरा भी जुड़े होंगे उन्हें याद होगा, शादी के मंडप में हल की फाल, वो फर्टिलिटी रिचुअल ही तो है वो भी एकदम साफ़ जहाँ हल पुरुष है स्त्री धरती और मण्डप में गाँठ जोड़ के बैठे दुलहा दुलहन को उनकी भूमिका की याद दिलाता,

पांच तोते मंडप में लगे, कामदेव का वाहन है तोता, और कामदेव तो अशरीर हैं तो उनकी उपस्थिति उनके वाहन के रूप में, लावा और दोनों परिवारों का लावा मिलाना और साथ में अगर किसी को अभी भी न समझ में आ रहा हो तो गारियां,... मोर लावा तोर लावा एक में मिलाय दूँ तोर बहिनी आपन भाई,... कोहबर जो लिखा जाता है, उसमें बांस और कुमुदिनी,... सब कुछ प्रजनन से जुड़े प्रतीक है, नयी बहू के आने पर उसकी गोद में एक छोटा बच्चा बैठाना,...

इससे ज्यादा क्या साफ़ साफ़ कहा जाएगा उसकी भूमिका के बारे में,...


काम हमारी संस्कृति में चार पुरुषार्थों में एक है उसके साथ कोई सेन्स आफ गिल्ट नहीं जुड़ा है
प्रजनन और उत्सर्जन हीं तो अगली पीढ़ी की बुनियाद है....
काम वस्तुतः आमोद-प्रमोद के साथ जीवन का मूलाधार भी है...
यही कारण है कि जनम पर उत्सव , शादी विवाह पर उत्सव
तो अपराध बोध का कोई मतलब नहीं...
 
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