और अनुभवों को शब्दों के रूप में नहीं ढाला जा सकता...मेरा भी यही मानना है
इस भाग को लिखने के बाद मेरी भी कुछ देर तक सोचने महसूस करने की क्षमता रुक सी गयी,.. यह भाग सिर्फ महसूस करने के लिए हैं बात करने से शायद उनका असर कम हो जाए
और अनुभवों को शब्दों के रूप में नहीं ढाला जा सकता...मेरा भी यही मानना है
इस भाग को लिखने के बाद मेरी भी कुछ देर तक सोचने महसूस करने की क्षमता रुक सी गयी,.. यह भाग सिर्फ महसूस करने के लिए हैं बात करने से शायद उनका असर कम हो जाए
तभी तो ननद भी भाभी के अंक में सिमट गई... सुरक्षा का अहसास पा कर...एकदम गांव के रिश्ते जो जाति से, किसी भी बांटने वाली लाइन से ऊपर हो इस लिए पूरे बाइस पुरवा में हर जात बिरादरी, ब्याह कर आयी है तो भौजाई और गाँव की बेटी है तो ननद,... और भौजाई का रिश्ता सिर्फ छेड़ छाड़ का, मजे का नहीं प्यार दुलार का भी है छोटी ननद का ख्याल रखने का भी है
सही संदर्भ में सही हवाला...यह भाग जैसे अलग सा था उसी तरह दोहा के फ़ुटबाल के वर्ड कप से जुड़ा हुआ भाग भी था,
गितवा की माँ और बाबूजी की बात कर के उस प्रसंग को एक फिर से उघड़ गया और कुछ हल भी मिला, ...
गाँव की जिंदगी खेती किसानी से जुडी है इसलिए उसका भी हवाला
आप उन पलों को जीवंत कर देती हैं...इसलिए अब बहुत से रीत रिवाज भी ख़तम होते जा रहे हैं
लोकगीतों की जगह लेडीज संगीत, कोरियोग्राफी और डी जे,...
लेकिन मैं अपनी ओर से थोड़ी बहुत कोशिश करती हूँ जो गाने अभी भी कानों में कभी कभी गूंजते हैं जो यादें आ आ कर दस्तक देती हैं उन्हें इन कहानियों में कभी कभी जोड़ दूँ, उन यादों को कुरेद दूँ
और आप ऐसे पाठक मित्रों का साथ सपोर्ट, लगता है वो प्रयास विफल नहीं रहा,... मेरे साथ बहुत लोगों के मन की गठरी में वो यादें बची हैं, अक्षुण हैं
वो सामने समझने वाले पर निर्भर है...एकदम आपने सौ बात की एक बात कह दी, वो भी बिना लाग लपेट के.
बहुत बहुत धन्यवाद
और ऐसी बात पर एक अपडेट तो बनता ही है, तो
अगला अपडेट कल, पक्का।
शाम.. घर की ओर ... और अगले दिन उजाले की बारी...भाग ६८
हो गयी शाम, घर की ओर
11,96,121
यह संवत पिछले पचास सालों में सबसे अच्छा होगा, खेत में खूब फसल होगी, गाय, भैंस खूब दूध देंगी,... लड़का बच्चा होगा, .... बस बात सब याद रखना। और बात मानना।
और उसके बाद आवाज बंद हो गयी, जो थोड़ी सी रौशनी आ रही थी उस जगह से धुंधली पड़ती जा रही थी, और धुल का एक गुबार वहां आ गया था, उसने उन्हें छिपा लिया था ,
मेरी सास ने इशारा किया हम सब लोग तुरंत इशारा किया हम सब लोग वापस चलें, और सबकी देखा देखी,....
मैं भी अपनी दोनों छोटी नंदों का हाथ पकड़ के बिना उधर पीठ किये और जैसे ही १०० -२०० कदम हम लोग चल कर उस बाग़ से निकले जहाँ आज कबड्डी हुयी थी,...
मेरी सास बोलीं , जल्दी बहुत जल्दी
मेरी दोनों छोटी ननदें घबड़ा रही थीं कस के मेरा हाथ पकडे थीं, रूपा घबड़ा कर बोली, भाभी,...
मैंने उन दोनों से कहा चिंता न कर मैं हूँ न बस मेरा हाथ तुम दोनों कस के पकडे रहना,
मैं तेजी से चल रही थी दोनों मेरी छोटी ननदें मेरा हाथ पकड़े साथ साथ, करीब करीब भागती
हू हू हू हू कर के हवा की तेज भयानक आवाज पीछे से आ रही थी, और तेज होती जा रही थी,...
मेरी एक चचिया सास ने जोर से चेताया, " हे लड़कियों, पीछे मत देखना,... और जल्दी "
मैंने लगभग दौड़ना शुरू कर दिया, ... और मेरा हाथ पकडे मेरी दोनों ननदें भी, लीला की छोटी बहन रूपा के साथ वो जो जल्द ही रजस्वला हुयी थी,.. मैंने कस के उनके हाथ को दबाया और वो दोनों भी, उन को लग रहा था की मैं साथ हूँ तो उनका कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला है,... मेरी देखादेखी साथ साथ बाकी ननदें भी,...
सांस फूल रही थी लेकिन हम लोग रुक नहीं रहे थे, फिर कोई एक बाग़ पड़ी,
मेरी सास ने आवाज लगाई अब रुक जाओ , अब कोई बात नहीं,...
बादल छंटने शुरू हो गए थे हलकी हलकी चांदनी थी,... मेरी दोनों ननदें जिनका हाथ पकड़ रखा था मुस्करा रही थीं, दोनों मुझसे लिपट गयीं, और मैंने दोनों को चूम लिया सीधे होंठों पे,... और कस के दुबका लिया।
अब हम तीनों सबकी तरह उधर देख रहे थे जिधर से आये थे, जहां हम लोग कुछ देर पहले थे आज दिन भर जहाँ मस्ती हुयी , तेज आंधी चल रही थी, पेड़ झूम रहे थे, लग रहा था कुछ भी बचेगा नहीं सब पुराने बड़े बड़े पेड़ उखड जाएंगे,... और वहां,... वहीँ बीच में से एक गुबार उठा सिर्फ वही पर रौशनी थी
सब लोगों की तरह हम तीनो ने भी झुक कर उस ओर मुंह किये हाथ जोड़ लिए आँखे झुका ली. वो गुबार बहुत ऊपर उठ कर,.... मैं देख रही थी बाग़ के पेड़ों के ऊपर से,... जिस रास्ते से मैं, चमेलिया, मोहिनी भाभी, लीला और नीलू गयीं थी बस वही, पाकड़ का पेड़, बँसवाड़ी,... और दूर कहीं जहाँ वह पोखर रहा होगा,... उसी के ऊपर कुछ देर बवंडर मंडराता रहा,
हू हू की आवाज धीमी हो रही थी
सब के साथ मैं मेरी ननदें भी धीरे धीरे बुदबुदा रहे थे ,
जय होलिका माइ जय होलिका माई रच्छा करा आसीस दा, किरपा करा,...
देर बाद बहुत जोर से झपाक की आवाज आयी जैसे वो बवंडर उसी पोखर में समा गया हो,...
जहाँ हम लोग थोड़ी देर पहले बैठे थे वहां अभी भी तेज हवा चल रही थी, जैसे तूफ़ान बाबा झाड़ू लगा के सब कुछ साफ़ कर रहे हों और साथ साथ हम लोगों के मन से भी सब कुछ मिट रहा था, सिवाय हुकुमनामे, भविष्यवाणी और आसीस के,...
कुछ देर में एक बार फिर से वही मदन समीर किंशुक आम्र मंजरी की महक वाली महुआ के रस से भी तेज और अबकी सिर्फ हम पांचो को नहीं सारी औरतों, लड़कियों को,...
चांदनी भी निकल आयी थी, हमें नहला रही थी,...
थोड़ी देर में हम सब सामान्य हो गए,...
सब से पहले सास लोग निकल गयीं.
कल की होली भौजाई देवर और नंदों की होती उसमें घर का कोई भी बड़ा, सास नहीं होती थीं,... दो गाँव बाद हम लोगों की एक बड़ी सी छावनी थी, चार पांच कमरे का घर, चारो ओर बाग़,... काम करने वाले,... बड़ा सा आँगन,... मेरी सास अपनी सब देवरानियों को लेकर वहीँ जा रही थीं , आज की रात कल का दिन सब सास बाहर रहतीं, कल रात में ८-९ बजे की वापसी,
"कल रात में आउंगी, ... आठ नौ बजे तक,... आज तू हमार नाक ऊँची कर दी."मेरी सास
सब से पहले सास लोग निकल गयीं कल की होली भौजाई देवर और नंदों की होती उसमें घर का कोई भी बड़ा, सास नहीं होती थीं,...
दो गाँव बाद हम लोगों की एक बड़ी सी छावनी थी, चार पांच कमरे का घर, चारो ओर बाग़,... काम करने वाले,... बड़ा सा आँगन,... मेरी सास अपनी सब देवरानियों को लेकर वहीँ जा रही थीं , आज की रात कल का दिन सब सास बाहर रहतीं, कल रात में ८-९ बजे की वापसी,
सास मेरी अपनी सहेलियों जेठानी देवरानी के साथ निकलने से पहले मेरी ओर आयीं, लहालोट मुझे देख कर. बहुत खुश। बोल नहीं पा रही थीं, बस अँकवार में भर लिया और बोलीं,
"कल रात में आउंगी, ... आठ नौ बजे तक,... आज तू हमार नाक ऊँची कर दी."
लेकिन मैं छेड़ने का मौका क्यों छोड़ती अपने जोबन से उनके जोबन को रगड़ती, चिढ़ाती उन्हें याद दिलाते, जो उन्होंने वादा किया था, कल की रात मेरे साजन के संग,... के लिए बोली,...
" तैयार रखियेगा, खूब तगड़ा सांड़ मिलेगा, तेल वेल लगा के आइयेगा, देखते ही सीधे चढ़ जाएगा "
वो मुझसे भी दो हाथ आगे थीं और अपनी समधन, मेरी माँ को गरियाते खिलखिलाते बोली,... बिना मेरे साजन, अपने बेटे का नाम लिए,...
" अरे मैं उस रंडी, छिनार गदहाचोदी के दामाद से डरूंगी,... देख लूंगी ताकत बस तुम देखना की कही तोहरे महतारी क दमाद ही न भाग जाए,... "
मैं क्यों छोड़ती मामला मेरे साजन पर आ गया था, ... माँ मेरी तो उनकी समधन थी वो दोनों एक दूसरे को खूब चाहती थीं और बिना गारी के बात भी नहीं करती थीं, ... मैंने सास को सुनाया,..
" अरे उस रंडी के जाने मादरचोद, बहनचोद, छिनार के पूत की हिम्मत है, की मेरी महतारी के समधन के ऊपर न चढ़े, अगवाड़े पिछवाडे दोनों ओर कल रात दूध दही की नदी बहेगी, जहाँ से दूध पिया है चुसूर चुसूर, वहीँ अपनी मलाई गिरायेगा, जिस भोंसडे से निकला है उसी में धककम धुक्का होगा, उनके मामा याद आ जायेंगे,... बस आज रात आराम कर लीजियेगा,... "
बगल में सब नयी उम्र की मेरी ननदें , वही जो हाल में ही रजस्वला हुयी थीं और जिन्हे आज आशीष मिला था, बड़े मन से सुन रही थीं और मजे ले रही थीं,...
मेरी सास लोग भी, ...
मेरी सास बोलीं,... " चल कल की कल,... खाना वाना बना के रखना, "
"एकदम पूड़ी बखीर, और कल रतजगा होगा ही और कल से रतजगे की बल्कि शुरुआत होगी,... बहुत दिन आपकी गुलाबो ने आराम कर लिया। "
मैंने बोला, सास लोग सब निकल गयी, मेरी निगाह कच्ची उम्र की नन्दो पर पड़ी वही पांच जिन्हे अभी आशीष मिला था, जो पिछली होली के बाद रजस्वला हुयी थीं, एक लीना तो मेरी ऊँगली ही पकडे थी,...
मेरे मन में एक सवाल उठा था और सास लोगों के जाने के बाद बगल में खड़ी दूबे भाभी ने मैंने पूछ लिए,... उन लड़कियों की ओर इशारा करते हुए,..
" कल इनको बुलाएँगे की नहीं और फिर इनके साथ, आज ही तो इन्हे भभूत चढ़ा है,... "
दूबे भाभी ने जोर का ठहाका लगाया, उनके साथ मंजू भाभी और रमजानिया,... भी मुस्करा रही थीं,... दूबे भाभी ने घंटे हुए बोला,... सबसे पहले तो उन्ही के ऊपर,... नयकी भौजी की सबसे पहली जिम्मेदारी है, अरे भभूत नहीं, भूत चढ़ा है उन सबों के ऊपर, दो चार घंटे के बाद असर होगा और कल सबेरे तो सब एकदम माती रहेंगी, उसके बाद २४ घंटे तक पूरा असर रहेगा, "
मैं कान रोप के सुन रही थी,... और दूबे भाभी मुझे एक पेड़ के नीचे, ननदों के झुण्ड से दूर ले गयीं और समझाया,..
लीला... सोना... रूपा...कल का प्रोग्राम
. मेरी सास बोलीं,... " चल कल की कल,... खाना वाना बना के रखना, "
"एकदम पूड़ी बखीर, और कल रतजगा होगा ही और कल से रतजगे की बल्कि शुरुआत होगी,... बहुत दिन आपकी गुलाबो ने आराम कर लिया। " मैंने बोला,
सास लोग सब निकल गयी, मेरी निगाह कच्ची उम्र की नन्दो पर पड़ी वही पांच जिन्हे अभी आशीष मिला था, जो पिछली होली के बाद रजस्वला हुयी थीं, एक लीना तो मेरी ऊँगली ही पकडे थी,...
मेरे मन में एक सवाल उठा था और सास लोगों के जाने के बाद बगल में खड़ी दूबे भाभी से मैंने पूछ लिए,... उन लड़कियों की ओर इशारा करते हुए,..
" कल इनको बुलाएँगे की नहीं और फिर इनके साथ, आज ही तो इन्हे भभूत चढ़ा है,... "
दूबे भाभी ने जोर का ठहाका लगाया, उनके साथ मंजू भाभी और रमजानिया,... भी मुस्करा रही थीं,...
दूबे भाभी ने हँसते हुए बोला,...
"सबसे पहले तो उन्ही के ऊपर,... नयकी भौजी की सबसे पहली जिम्मेदारी है, अरे भभूत नहीं, भूत चढ़ा है उन सबों के ऊपर, दो चार घंटे के बाद असर होगा और कल सबेरे तो सब एकदम माती रहेंगी, उसके बाद २४ घंटे तक पूरा असर रहेगा, "
मैं कान रोप के सुन रही थी,... और दूबे भाभी मुझे एक पेड़ के नीचे, ननदों के झुण्ड से दूर ले गयीं और समझाया,..
" देख ये पांच जो हैं न जिनको होलिका की राख लगी है चूत और चूँची पर, इनकी चूत तो कुछ भी हो कल सूरज डुबने के पहले फट जानी चाहिए, वरना साल भर कोई संयोग नहीं होगा, दूसरे जिन ननदों की चूत में भभूत लगने के अगले दिन मलाई भी पड़ जाती है,... भभूत और मलाई मिल जाएँ अगर तो पक्का असर हो जाता है ननदियों के ऊपर उमर भर के लिए जिंदगी भर चूत में चींटे काटेंगे,... तो उन सबको तो जरूर चुदवाना होगा,... जहाँ जहां मलाई गिरेगी, तो जाके एक एक ननद से,... "
मैं समझ गयी, और मेरे साथ रज्जो भाभी, और गुलबिया ननदों के झुण्ड की ओर आये तभी मुझे याद आया परसाद,...
जो लड़कियां साल भर के अंदर रजस्वला हुयी थीं उनकी तो योनि और कुचो पर खुद देवी ने लेकिन बाकि नंदों की ओर इशारा करके उन्होंने मुझे भभूत दिया था बाकी ननदों को बांटने के लिए,...
तब तक लीला, उसकी छोटी बहन रूपा और रूपा की सहेली सोना दिख गयीं, रूपा और सोना ने खूब गालियां दी थी कबड्डी में,...
लीला और रूपा मुस्कराते हुए बोलीं,... भौजी आपने बुरा तो नहीं माना हम सबने आपको इतना गरियाया,...
मैंने जान बूझ के बड़ा सीरियस सा मुंह बनाया और वो बेचारी तीनों परेशान की कहीं मैं सचमुच में गुस्सा लेकिन मैं देर तक एक्टिंग नहीं कर पायी और खिलखिलाने लगी और एकदम भाभी के अंदाज में आके बोली,...
" सालियों, छिनारों, ... अगर तुम सब गारी नहीं देती तो मैं गुस्सा होती,... और स्साली रूपा तू बोल रही थीं न की मिर्चे के अचार वाले तेल लगा के गाँड़ मारोगी,... तो कल जरूर आना "
" एकदम भाभी, आज तो आप लोग मैच जीत बच गयीं,... " रूपा बोली,...
" अरे यार कल तू तीनों जिससे गाँड मरवाओगी न उससे मैं भी मरवालुंगी, पक्का " ,मैं हँसते हुए बोली।
" एकदम भाभी,... कल मैं तो आउंगी और इस सबको भी ले आउंगी लेकिन आप याद रखियेगा " खिलखिलाते लीला बोली,...
मैंने वो भभूत निकाला और सबसे पहले उन तीनो को लगाया और बोली,... "आज परसाद मिला है कल मलाई मिलेगी, ठीक दस बजे आ जाना "
तब तक कम्मो और नीलू भी आ गयीं,... नीलू को चिढाते मैं बोली,... " हे ननद रानी अपने तो खूब मजा ले रही हो और बेचारी हमारी छोटी ननद कम्मो , उपवास कर रही है, ... "
नीलू तो बज्जर छिनार, पट से जवाब दिया,... " अरे सब काम हमी कर देंगे तो हमार चंदा अस नयकी भौजी का करीहें,... "
" तो आना कल तुम दोनों जरूर से,... अगवाड़े पिछवाड़े दोनों पर मलाई की नदी बहेगी आज तो खाली ट्रेलर था असली मस्ती को कल होगी। " मैंने परसाद का भभूत पहले तो दोनों की योनि में लगाते हुए बोला
" और सुन चुनमुनिया में कडुवा तेल वेल मत लगाना,... लगा के आओगी तो मैं फटे बोरे से पहले पोंछ के सुखा दूंगी "रेनू- बेला
मैं रेनू को ढूँढ रही थी कबड्डी टीम की पांच कुंवारियों में सबसे बड़ी उमर की वही थी इंटर में पहुँच गयी थी और उसके चचेरे भाई के चक्कर में किसी लौंडे की हिम्मत नहीं पड़ी उसका शलवार का नाड़ा खोलने के लिए,
वो मिल गयी मोहिनी भाभी के पास, घर उसका उन के बगल में ही था। उस के साथ बाकी छुटकियाँ, पायल और नीता। मोहिनी भाभी वही काम कर रही थीं जो मैं कर रही थीं , ननदों को बहला कर पटा कर फुसला कर कल की होली में पक्का आने के लिए,... मैंने भी उन सबसे तीन तिरबाचा भरवाया,... और भभूत भी लगाया चूत में भी चूँची में भी।
जबसे दूबे भाभी ने बोला था की भभूत लगाने के बाद तो जिस की बिल में लगेगा वैसे ही चींटे काटेंगे, मैं एक भी ननद को छोड़ नहीं रही थी….
लेकिन बेला नहीं दिख रही थी,
सबसे सुकुवार वही थी, उमर में भी देह में भी, खूब गोरी, और मैं चाह रही थी की उसकी कुंवारेपन की आज आखिरी रात हो, लेकिन पहली बात तो वो कल आये, और दूसरी बात,... उसपर चढ़ने के लिए कोई उसी ऐसा जो सम्हाल सम्हाल के करे,... फिर हम लोगों ने सोचा था की ननदों के ऊपर सगे न सही तो चचेरे, रिश्ते के, जिसको वो राखी बांधती हो,... बेला अकेली थी, पर पहले दिखे तो,
और वो दिख गयी,
मंजू भाभी के पास साथ में रज्जो भी. गुलबिया ने बताया की मंजू भाभी के पितयाउर देवर की एकलौती बेटी है, बस मेरी चमकी।
मेरा चुन्नू, उसका खड़ा भी जबरदस्त होता है और वो उतना ही सुकुमार भी, आज मैंने उसे बुर का स्वाद तो लगा ही दिया , और बेला उसके रिश्ते की बहन ही लगेगी, उसकी भी कोई सगी बहन नहीं, और ये उससे पट गयी तो दोनों का पक्का इंतजाम हो जाएगा,... लेकिन,...
और गुलबिया ने हँसते हुए हल बता दिया,..
मेरी परेशानी थी की चुन्नू खुद नया है, कहीं छेद ढूंढने में ही,...
गुलबिया का हल था पहले राउंड में चुन्नू के ऊपर कउनो खेली खायी ननद, लीला या नीलू ऐसी जो दर्जनों खूंटा घोंट चुकी हो, उसके बाद दुबारा टनटनाने पर बेला के ऊपर , दुबारा झड़ने में टाइम भी लगेगा और वो और चमेलिया रहेंगी न , पकड़ के खूंटा सटा देंगी,... और एक बार घुस गया तो हचक के चोदेगा। एक बारे खुले में सबके सामने अपनी बहन पे चढ़ गया न तो जो लाज सरम ख़तम करने में साल भर लगता, वो एक दिन में,...
और बेला भी जो अब तक जांघ चिपका के रखती है उसके बाद बाकी लौंडो से भी मस्ती करने लगेगी,,... जब सबके सामने अपने चचेरे भाई से, गाँव में अकेले जिसको राखी बांधती है , उसका घोंटेंगी, तो काहे की लाज शरम,...
फिर एक दो और ननदों को, कल तो चंदा भी आएगी उसी की पट्टी की है बस वही सिखा पढ़ा के, चंदा तो सदाबर्त चलाती है कउनो दिन तीन चार से कम नहीं घोंटती,... एक बार चुन्नू चढ़ गया, झिल्ली फट गयी तो चंदा के साथ ही उस को भी एक साथ दो लौंडे अगल बगल,...
मान गयी मैं गुलबिया को,
और जब तक चुन्नू को लीला कबड्डी खेला खिलाएगी तबतक मैं बेला के साथ मौज मस्ती, चूस चूस के ऐसी आग लगाउंगी उसकी चुनमुनिया में, लेकिन झाड़ूंगी नहीं,.. की वो खुद चढ़ के मेरे लहुरे देवर को चोद दे,...
ननद का भी फायदा, ... मेरे देवर का भी,...
और मैं झट से मंजू भाभी के पास पहुंची,... और बेला के गाल पे चिकोटी काट के मंजू भाभी से बोली,...
" मेरी मीठी मीठी ननद से अकेले मजा ले रही हैं,... "
बेला ऐसी लजायी की मैं निहाल, गाल दोनों गुलाब,... क्या मजा आएगा इन्हे चूमने में चूसने में काटने में,...
कोई काम मैं उधार रखने में बिश्वास नहीं रखती थी खास तौर से ननदों का, मैंने भर अँकवार उसे दबा लिया और कस के दोनों गाल चूम लिए, फिर सीधे होंठ पे चूमती बोली,...
तुझे ढूंढ रही थी परसाद देने के लिए, ... जांघ फैलाओ, अरे पेलूँगी नहीं, वो तो कल मेरे देवर करेंगे,...
फिर पोटली में से भभूत निकाल के, ...
बेला ने भी देखा था की सब ननदों को इशारा करके मुझे भभूत मिला था बांटने को, जो लड़किया हाल में रजस्वला हुयी थीं उन्हें , ' उन्होंने ' खुद लगाया था बाकी ननदो को लगाने का काम मेरे जिम्मे दिया था,...
पहले तो एक बस छोटा सा टीका ऐसा दोनों फांके जहां मिलती हैं ठीक उसके ऊपर,... लेकिन फिर मुझे दूबे भाभी की बात याद आ गयी
इन ननदों को तो जितना भभूत लगेगा उतना ही लंड का भूत चढ़ेगा,.. और खास तौर से जो अभी तक चुदी नहीं है, और ये देवी का भभूत लगने के बाद जब मरद की मलाई लगेगी तो असर एकदम पक्का, ननद का दूसरा नाम छिनार,... तो उनको फिर छिनार बनने से कोई रोक नहीं सकता,... और भभूत के बाद जिस लौंडे की मलाई सबसे पहले बिल में जायेगी न, उसकी तो वो ऐसी दीवानी हो जाएंगी,...
बरसते पानी में भी उससे मिलने नंगे पाँव दौड़ी आएँगी , उस को देखते ही स्साली की चूत पनियाने लगेगी,... खुद पकड़ के सटायेंगी,...
मेरी आँखों के सामने मेरे देवर चुन्नू की शक्ल घूम गयी जिसकी नथ मैंने उतारी आज सुबह ही तो जबरदस्ती उतारी थी,... आलमोस्ट रेप, मेरी ऐसी भौजाई के रहते गाँव में कोई देवर की नथ न उतरे, शरम की बात है न,
बस उसी का फायदा सोच के मैंने थोड़ी और भभूत बेला की चूत की दोनों फांके फैला के जबरदस्ती खोल के, अंदर भी लगा दी, .. और जो हाथ में लगा था वो सब उसके आते हुए छोटे छोटे उरोजों पर मल दिया, जोबन भी तो ननद का गदराना चाहिए,.... तभी तो यार चक्कर काटेंगे,...
और मैंने बेला से कहा, ... ननद रानी कल आना जरूर,...
वो खिस्स से हंस दी और एक बार जोर से लजा गयी जैसे गालों पर किसी ने सिन्दूर पोत दिया हो,
रज्जो भाभी बोलीं,... अरे हमारे घर के बगल में ही रहती है पकड़ के ले आउंगी,
" नहीं नहीं भौजी आउंगी जरूर आउंगी,... " मुस्कराते हुए बेला बोली,... फिर जोड़ा, " हमारी मीठी भौजी से मिलने तो आना ही होगा "
" और सुन चुनमुनिया में कडुवा तेल वेल मत लगाना,... लगा के आओगी तो मैं फटे बोरे से पहले पोंछ के सुखा दूंगी " मैंने उसे चिढ़ाया,