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To yeh raaj hai , renu ke dar kaदीवाल -
भाई बहिन के बीच में
रेनू की चाची ने जो ये आँखों देखा हाल सुनाया, वो बगल के कमरे में थीं और वहां से सब कुछ दिख रहा था,... तो मैंने पूछा
" लेकिन फिर तो ललिया को खुश होना चाहिए था न गाँड़ तो कभी न कभी फटती ही, लेकिन वो तीन बार झड़ी, तो किस बात का गुस्सा , उसे तो खुश होना चाहिए था? " मैं बोली
" स्साली नौटंकी, असल में तोहरे देवर ने ,... रेनू की चाची, ... कमल की माँ बोलते बोलते रुक गयीं और फिर हंसने लगी, मुश्किल से हंसी रुकी तो बोली,
"तोहरे देवर ने गंडिया से निकाल के आपन खूंटा स्साली के मुंह में बस वो मुंह बंद कर ली,...एकदम जोर से भींच ली,... "
" काहें,... अरे माल मसाला तो ससुरी के गांड का तो साफ़ कौन करता हमरे देवर का मूसल ? मैं भी बोली।
" यही तो, रेनू की चाची बोलीं, फिर जोड़ा, जब कमलवा से नहीं रहा गया तो एक चांटा कस के उसके गाल पे,... "
" यही देवर हमारे गलती कर गए,... " मैं बड़ी सीरियस हो के बोली।
अब रेनू की चाची भी चुप, मेरी ओर देखने लगीं, मैं बोली,...
" देवर जी को कम से कम चार चांटे मारने चाहिए थे, वो भी पूरी ताकत से, दोनों गालों पर दो दो , हफ्ते भर गाल सूजा रहता, लाल लाल बंदर के पिछवाड़े की तरह तो अगली बार खूंटा पिछवाड़े से बाद में बाहर निकलता स्साली मुंह पहले खोलती, झोंटा पकड़ के चार लगाते,... "
अब वो मुस्करायीं बोली, तू हो असली भौजी देवर की, लेकिन स्साली एक चांटे में ही मुंह खोल दी, लंड पूरा घोंटी भी, चाटी भी चूसी भी एकदम चिक्कन।
लेकिन रेनू की चाची ने बताया ललिया की असली बदमाशी कैसे उसने रेनू को भड़काया मेरे देवर, कमल के खिलाफ। तीन चार बातें थीं।
रेनू की चाची का चेहरा एकदम राख हो गया था, रुंआसा, मुंह लटक आया,... मुश्किल से मुंह से उनके निकला,
स्साली, मुँहझौंसी, कलमुंही, हमरे बेटवा बिटिया दोनों क जिन्नगी, सात पुश्त ओकर,...
फिर उन्होंने बताया की ललिया ने कैसे रेनू और रेनू के भाई के बीच अम्बुजा सीमेंट टाइप दीवाल खड़ी की, वो भी फेविकोल का जोड़ लगा के जिसे खली भी न तोड़ सके, ...
खेल तमाशा तो सब ही देख रहे थे, दिन का टाइम,...
रेनू की माँ रसोई में थी, दिखाई ज्यादा नहीं पड़ रहा था लेकिन सुनाई सब पड़ रहा था, और सुन के खुश हो रही थीं ललिया की चीख, कमल की गालियां और जो चांटे वो मार रहा था उसकी आवाजें,... और वो रेनू की माँ भी, कलावती के साथ वो भी तो पीछे पड़ी थी रेनू के भाई के की ललिया क पिछवाड़ा अब जरूर बेधना, बहुत छिनरापना कर रही है, और एक बार घुस जाएगा पिछवाड़े तो खुदे निहुर के हाथ से पकड़ के पीछे भी सटवायेगी,
रेनू की चाची, कमल की माँ, अपने कमरे में, लेकिन एक खुली खिड़की से सब कुछ देख रही थीं, एक एक चीज तभी तो उन्होंने सब कुछ इतना डिटेल में बताया,... हाँ वो दोनों के पिछवाड़े के साइड में थी, तो कमल और ललिया के उनके देखने का चांस नहीं था,.. और वो ललिया की कच्ची कोरी गाँड़ में घुसता रेनू के भाई का मोटा खूंटा देख देख के खुस हो रही थी, कैसी जबरदस्त मस्त गाँड़ मार रहा है रेनू का भाई,...
लेकिन ये किसी को नहीं मालूम था की रेनू भी घर में है,... वो तब ही आयी थी जब कमल ने ललिया के पिछवाड़े अपना मोटा खूंटा ठोंकने की कोशिश की थी,...
ललिया की ह्रदय विदारक चीख, आधे गाँव ने सुना होगा,... तो रेनू क्यों नहीं सुनती,...
बस एक छेद, छेद क्या बिलुक्का था बड़ा सा,.. जो रेनू के भाई ने अपने कमरे से अपनी बहन के कमरे में तांक झाँक करने के लिए बनाया था, और रेनू को पता चल गया था. बस वो कपडे बदलती तो ठीक उसी छेद के सामने, उस ेभी अपने भैया को तड़पाने में ललचाने में मजा आता था,... उसी छेद के सामने खड़ी होकर हर टीनेज लड़की की तरह अपने जोबन मुट्ठी में दबा के देखती कित्ते बड़े हो रहे है ,... और वो भी तब जब उसे मालूम होता की कमल बगल के कमरे में है और तांक झाँक कर रहा है, ....
हाँ बाद में कमरा खोलने के पहले एक कलेण्डर टांग देती ठीक उसी छेद के ऊपर, जिससे माँ या चाची को उस छेद का भेद न पता चले।