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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९६

ननद की सास, और सास का प्लान

Page 1005,


please read, enjoy and comment. your support is requested
 
Last edited:

motaalund

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कहानी में किरदारों का वर्णन कुछ दिनों तक का हीं रहता है...
बहुत हद तक महीने से ज्यादा नहीं... मेरा मतलब है कि कहानी के शुरू से अंत तक वक्फा प्लाट के अनुसार इससे ज्यादा नहीं होता....
लेकिन कहानी को धारावाहिक के तौर पर पेश करने में सालों लग जाते हैं...
उसपर पाठकों की तरह-तरह की फरमाइशें... जिसे भी फ़्लैशबैक या किसी दूसरे पात्र के द्वारा देखी-सुनी घटनाओं पर एडजस्ट करना ..
कहानी लिखने वाले पर उसके साथ जस्टिफाई करना कठिन हो जाता होगा...
इसलिए मेरे मतानुसार लेखिका को अपनी सुविधा अनुसार लिखने का फ्रीडम हो तो अधिक उचित होगा...
इसे अन्यथा न लें... ये सिर्फ मेरा मत है....
आगे जैसी लेखिका की मर्जी...
शायद इसलिए आपके कमेंट कम आते हैं...
 

motaalund

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आपकी करिश्माई लेखनी हर बार मुग्ध कर देती है...
मुखाकृति... भावभिव्यक्ति .. हाव-भाव... प्रकटन...
घटनाओं एवं दृश्य को वास्तविकता के धरातल पर उतार देते हैं....
साथ में जो बाकी पात्रों की प्रस्तुति और भी चार चाँद लगा देती है ... अपने एक्शन और संवादों से...
ऐसी कामना उत्पन्न होती है कि ये कभी खत्म हीं न हो..
लेकिन सबकी अपनी सीमा है...
इसलिए अधिक कुछ न कहते हुए बस इतना हीं कहना चाहूंगा कि अगले अपडेट के लिए प्रतीक्षारत रहेंगे...
लेकिन जब कमेंट करते हैं...
तो गागर में सागर भर देते हैं..
 

motaalund

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bahoot kuch depend karta ha story kahan par based hai aur uski time line kya hai

jaise JKG type story men New year ka bhi Jikra aaya tha lekin yah kahani gaaon men based hai isliye mushkil hoga. doosare kahani likhte samaya tin baaton ka dhyaan rkahana main jaroori smajhati hun

Kaal

Samay


Sthan


jaise is story men abhi Rang pnachami ka samaya chal raha hai yaani holi ke baad ke 5 din ka smaay, agar aap prequel se dhyan karen to Holi do din padi thi to sb kuch March ke season ke hisaab se hoga, Khet ki fasalen, baag ki haalt, mausam,

doosari baat hai samay, din ka hai shaam ka ya raat ka iska bhi dhyaan rakhna jarori hai

tisari baari hai sthan, to is kaahani ka sthaan gaaon hai to lok geet, reet rivaj, aur gaaon ki baki baaten bhi, Gaon ke sukh dukh bhi aate hain jaise maigration ki problem aur usi templete ke backdrop men hi Erotica likhi jaati hai to vo likhne vaale ka haath thoda baandh deti hai.


aapki baat se main sahmat hun lekin kahani ka frame rok deta hai.

Merry X Mas
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कहानी के साथ-साथ आपका एक्सप्लेनेशन भी जबरदस्त रहता है...
 

motaalund

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I agree with you komal ji. Wo to bus ek suggestion hai. Hum pathak itna deeply nhi soch pate. Bus possibility rakhna agar kabhi timeline match ho or apko lage ki link kiya ja skta hai bina problem ke. Jese bade bade festival jo gaon or sehar dono me manaye jate hai. Holi diwali rakhi, karwachoth, . Baki aap jyada achhe se janti hai
कई बार कहानी पढ़ने वाले उसी समय नहीं पढ़ पाते जिस समय पोस्ट की गई है...
दो- चार महीने बाद वो सब अप्रासंगिक हो जाता है...
 

motaalund

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Ekda m, pahle main har saal Holi par ek kahani likhti thi, au ashok ji jaise diwali par. Abhi bhi Holi par main ek thread ya purane thread men kuch post karti hun islye aapka suggestion sahi hai kosish karungi
और आप दोनों अपने-अपने क्षेत्र के महारथी हैं...
 

motaalund

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भाग ७५

पठान टोले वाली
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13,79,335

कोई मुझे बुला रहा था,


महुआ के पेड़ों के एक झुण्ड के पीछे से गुलबिया और उसकी ननद कजरी, मुझे इशारा कर रहे थे,... मुझे याद आ गया, मैं उठी और साथ में रेनू और कमल भी, दोनों ने कपड़े पहन लिए थे.
मैंने दो शर्ते कमल को बोली थीं रेनू की दिलवाने के लिए, बस पहली शर्त मैंने याद दिलाई


एक कच्ची कली है, बेलवा के साथ पढ़ती है, बहुत नखड़ा करती है स्साली , अपने गाँव की नहीं है, उसकी झिल्ली फाड़नी है वो भी बेरहमी से, जहां जाए दूर से पता चल जाए किसी तगड़े मरद के नीचे से रगड़वा के आ रही है, स्साली बहुत नखड़ा पेलती है, पूरे गाँव की इज्जत का सवाल है, एकदम कच्ची कोरी है।

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बिना बोले उसके आंख का अचरज मैं देख रही थी, आज के पहले वो सोच नहीं सकता था, की किसी कुँवारी लड़की के साथ, चुदी चुदाई भी,... चंदा ऐसी जो सदाबर्त चलाती थीं, जिनकी टाँगे फैली ज्यादा रहती थीं,... वो भी उसके नाम से टांग सिकोड़ लेती थी, एक तो इतना मोटा मूसल दूसरे उसकी बेरहमी भी मशहूर हो गयी थी जो रेनू की सहेली का किया धरा था,... कुछ तो ताने भी मार देतीं,... अरे तेरे घर में खुद एक कोरा माल पड़ा है, वो तो तेरे से,... बेचारे कमल का काम कभी महीने दो महीने दो चार बच्चे की माँ,... कोई कामवाली कभी मान जाती, उसका मन रख लेती,...


लेकिन उससे भी अचरज वाली बात थी रेनू का रिस्पांस, जिस तरह से वो अपने भाई कमल की ओर से बोली,

" अरे भौजी, समझती का हैं मेरे भैया को, ... एक धक्क्के में स्साली की झिल्ली फाड़ के रख देगा। पूरा खून खच्चर, बस एक बार चढ़ गया न जिसके ऊपर, जिसकी मेरी भैया कमल ने एक बार भी टांग फैला दी, जिंदगी भर टांग सिकोड़ नहीं पाएगी। और आप की बात तो टालने की ये सोच भी नहीं सकता "

फिर रेनू कमल के पीछे पड़ गयी,

" भैया मैं तेरे साथ हूँ. एकदम बगल में रहूंगी, आज दिखा दे पूरे गाँव को मेरे भैया के मूसल का जोर, आराम से नहीं खूब रगड़ रगड़ के फाड़ना, चार दिन तक टाँगे फैला के दीवाल के सहारे चले. पूरे बाइस पुरवा में मशहूर हो जाए, की किससे फड़वा के आ रही है। " '
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कमल सोच रहा था सच में आज उसकी किस्मत खुल गयी, नयकी भौजी की बात मान के। आज उसकी बहन के ऊपर न सिर्फ चढ़ने का मौका मिल गया बल्कि पिछवाड़ा भी, स्साली रेनुवा जब चूतड़ कसमसा के टाइट शलवार में चलती थी तो दूर से देखने वालों की पैंट भी टाइट हो जाती थी, वो तो भाई था, हर पल घर में रहता था। लेकिन मरवाने को कौन कहे छूने भी नहीं देती थी. और ऊपर से मैं बोल रही थी, चल तुझे एक कच्ची कली और दिलवाऊं,... वो भी एकदम कमसिन।

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रेनुवा की फटी नहीं थी लेकिन वो इंटर में पहुँच गयी थी जबकि गाँव में हाईस्कूल का रिजल्ट निकलने के पहले कोई न कोई निवान कर ही देता था. और मैं जिसके बारे में बात कर रही थी वो एकदम ही सुकुवार,...


हाँ इस पुरवा की नहीं थी तो लड़के इतने ज्यादा उसे नहीं जानते थे लेकिन थी तो बाइस पुरवा की ही और फिर पूरे बाइस पुरवे में एक ही लड़कियों का स्कूल जिसमें रेनू भी पढ़ती थी इंटर में, बेला रूपा सब लड़कियां। रूपा तो अभी अभी हाईस्कूल में पहुंची थी उसी के क्लास में. उसी की सहेली भी थी.


बाईसपुरवा में जैसे भरौटी, बम्हनौटी, चमरौटी, ऐसे अलग अलग पुरवा थे वैसे ही एक पठान टोला भी था, ज्यादा बड़ा नहीं, १० -१२ घर होंगे,... उसी में दो घर सैयद थे, एक का तो बस कभी कभार आना जाना था लेकिन दूसरे ने गांव की माटी नहीं छोड़ी थी, कोई कहता भी तो कहते हैं की हमार पुरखे यहीं दफ़न है उनका दिया बाती कौन करेगा,... अभी भी बहुत पैसे वाले, एक पुरानी हवेली दो खंड वाली,... पहले १८ गाँव की जमींदारी थी,... डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के मेंबर भी उनके खानदान में कोई था, लेकिन अब सब किस्सा,.. पर अभी भी गाँव में बहुत इज्जत थी, कहरौटी के आधे घर अभी भी उनकी बसाई जमीन पर,...

मेरी सास से बड़ी दोस्ती थी, मेरी मुंह दिखाई में खूब बड़े बड़े एक जोड़ी झुमका दी थीं,... जहाँ हम लोगो की छावनी थी उसी की बगल में उनकी छावनी भी थी , गाँव से दस बारह कोस दूर पे। आज जब हमारी सास सब गाँव की बाकी कुल सास को लेके छावनी में गयी थीं रात रुकने के लिए तो उनको भी बुलाया था ,


तो उसी घर की थी, नाम था हिना। छुटकी की समौरिया होगी या उस से भी दो चार महीने छोटी। मेरी छुटकी ननद जो होली के अगले दिन जेठानी जी के साथ चली गयी हाईस्कूल की पढ़ाया शहर में करने उसके साथ की उसकी भी सहेली, इसलिए मैंने तो देखा भी था. गोरी इतनी की हाथ लगा तो मैली हो जाए, हंसती तो दूध खील बिखर जाए, लेकिन एक गड़बड़ थी, और वो बात रूपा ने बतायी। जब कल शाम को सब ननदें अपने घर लौट गयी तो रूपा रुक गयी और मुझे कहने लगी,

" भाभी एक काम मेरा करवा दो, ... काम थोड़ा मुश्किल है लेकिन,... "
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" कौन सा काम,... अब ये मत कहना की कल तू नहीं आएगी या कल तेरी न फड़वाऊं,... " उसकी नाक पकड़ के चिढ़ाते मैं बोली,...


" अरे कल सबसे पहले मैं आउंगी,... और फड़वाने वाली चीज तो कभी न कभी फटनी ही है तो उसका का डर, जब हमार ये नयकी भौजी इतना दूर आपन गर परिवार, शहर छोड़ हमरे गाँव आ गयीं,... काहें फड़वाने न,... तो हम तो अपने ही गाँव में,.. नहीं बात दूसरी है हमरे क्लास में एक लड़की है स्साली बड़ी नकचढ़ी है, ... है बड़ी सुंदर, जोबन भी जबरदस्त आया, मेरी पक्की दोस्त भी, लेकिन हर चीज एकदम तोप ढांक के,... और कउनो लड़कों को लेके मजाक भी कर दो तो,... अरे एक दिन ठकुराइन भौजी मज़ाक कर दी, हम दोनों स्कूल से आ रहे थे, वो कहीं गिर गयी थी हलकी सी मोच तो थोड़ा सा टांग छितरा के तो वही भौजी बोल दी,


" अरे कउनो लौंडा चढ़ गया था का की जउन ऐसे टांग छितरा के,... अरे घर से निकले के पहले छँटाक भर कडुवा तेल लगा के निकला करो नीचे बिलिया में,... "


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बस मुंह बना के वो बोली, भौजी हमका ये सब मज़ाक अच्छा नहीं लगता।



रूपा की बात काट के मैं बोली, सही तो बोली वो, ये मजाक की बात थोड़े है, मज़ाक में का मज़ा, भौजी को सच में कउनो लौंडा को चढ़ाना चाहिए था उसके ऊपर, भौजी लोग रोज दोनों जून गपा गप घोंटे, दूसरे गाँव से आके और यह गाँव क लड़की बेचारी भूखे उपवास करें।


रूपा हंसती रही, फिर बोली यही बात ठकुराइन भौजी भी बोलीं लेकिन वो अलफ़,..

एक दिन कम्मो क भाई है न पंकज,... वो ऐसे ही कुछ बोल दिया तो वो जाके अपनी महतारी से शिकायत कर दी,... वो तो वो बहुत समझदार है उसको समझायीं,... अरे यह उमर में तो लड़के बोलते ही हैं और खाली तुमको थोड़ी बोलते हैं बाकी लड़कियों को भी,... न बोले तो बुरा मानने की बात है। '



" यार इलाज उसका बहुत सिम्पल है , एक बार लम्बा मोटा घोंट ले न वो भी अपने स्कूल की लड़कियों के सामने, गाँव की भौजाइयों की मौजदूगी में बस, ... एक बार घोंटेंगी तो दस बार घोंटेंगी,... मैं गारंटी लेती हूँ महीने भर में मेरे गाँव की कुल ननदों में सबसे छिनार वही होगी, हरदम,... स्कूल में बैठेगी तो अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर से सड़का टपकेगा, ... और पर्दा वरदा छोड़ दो, न ऊपर ढक्क्न न नीचे, और दर्जिन भौजी से बोल दूंगी उसके लिए एकदम झलकौवा दोनों अनार दूर से दिखेगा,... लेकिन लाने की जिम्मेदारी तेरी,... फिर जो क्लास में नखड़ा पेलती है, छिनरपन करती है सब बंद,... " मैंने रूपा को हल बताया।



तय ये हुआ की रूपा करीब बारह बजे के आसपास उसे लाएगी, तब तक दो राउंड चुदाई हो चुकेगी, सारी कुँवारी ननदों की झिल्ली फट चुकी होगी और लौंडे गरमाये होंगे ,



हाँ हिना नाम था उस शेखजादी का।
लेकिन उससे भी अचरज वाली बात थी रेनू का रिस्पांस, जिस तरह से वो अपने भाई कमल की ओर से बोली,



" अरे भौजी, समझती का हैं मेरे भैया को, ... एक धक्क्के में स्साली की झिल्ली फाड़ के रख देगा। पूरा खून खच्चर, बस एक बार चढ़ गया न जिसके ऊपर, जिसकी मेरी भैया कमल ने एक बार भी टांग फैला दी, जिंदगी भर टांग सिकोड़ नहीं पाएगी। और आप की बात तो टालने की ये सोच भी नहीं सकता "


साली इसी मूसल से डर कर भाग रही थी रेनुआ इतने दिनों से... अब एक बार में हीं...

और अब इस हीना को रगड़ना हीं पड़ेगा..
तभी तो जितना रगड़ो रंग खुल के आएगा... एकदम गहरा..
 

motaalund

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हिना और भौजाइयां

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" यार इलाज उसका बहुत सिम्पल है , एक बार लम्बा मोटा घोंट ले न वो भी अपने स्कूल की लड़कियों के सामने, गाँव की भौजाइयों की मौजदूगी में बस, ... एक बार घोंटेंगी तो दस बार घोंटेंगी,... मैं गारंटी लेती हूँ महीने भर में मेरे गाँव की कुल ननदों में सबसे छिनार वही होगी, हरदम,... स्कूल में बैठेगी तो अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर से सड़का टपकेगा, ... और पर्दा वरदा छोड़ दो, न ऊपर ढक्क्न न नीचे, और दर्जिन भौजी से बोल दूंगी उसके लिए एकदम झलकौवा दोनों अनार दूर से दिखेगा,... लेकिन लाने की जिम्मेदारी तेरी,... फिर जो क्लास में नखड़ा पेलती है, छिनरपन करती है सब बंद,... "


मैंने रूपा को हल बताया।
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तय ये हुआ की रूपा करीब बारह बजे के आसपास उसे लाएगी, तब तक दो राउंड चुदाई हो चुकेगी, सारी कुँवारी ननदों की झिल्ली फट चुकी होगी और लौंडे गरमाये होंगे ,

हाँ हिना नाम था उस शेखजादी का।

तो वही आ गयी थी, लीना ने आके इशारा किया था. उसी लिए मैंने कमल को बोला था, की उसकी झिल्ली फड़वाउंगी, वो भी न आँख पर पट्टी न छिप के,.... एकदम मरद मेहरारू की तरह.

कमल को मैंने बोला की बस दस मिनटमें आ जाना, वो कलमी आम वाले पेड़ के पास,...

उससे पहले रेनू बोली, अरे भौजी मालूम है मुझे कल जहां कबड्डी हो रही थी न, मैं ले आती हूँ भैया को , आप चलिए।

मैं जब तक पहुंची हिना को सब भौजाइयां घेरे हुयी थीं, रज्जो भाभी उसे ठंडाई का ग्लास पिला रही थीं, जिसमे भांग की डबल डोज के साथ रमजनिया की वो सब जड़ी बूटियां भी मिली थीं जिसे पी के हर बात पर ना करने वाली के भी चूत में ऐसी जबरदस्त चींटियां काटती हैं की वो खुद मोटा खूंटा ढूंढती है,... और किसी ने बताया की रूपा उसे पहले ही एक ग्लास पिला चुकी है,


और गाँव की भौजाइयों के बीच ननद के कपडे बचते, गनीमत यह था की कपडे फटे नहीं, शलवार का नाड़ा सिर्फ तोड़ दिया,



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और शलवार सररर करके पैरों के बीच, और दो भाभियों ने उसका टॉप खींच के, फिर ब्रा उतरते कौन देरी लगती है,

हे मुझे जाने दो मैं बोल रही हूँ,... एकदम नंग धड़ंग खड़ी वो बोल रही थी

तो जा न बबुनी ऐसे निसुती, रस्ते में दर्जन भर लौंडे मिलेंगे,... एक भौजाई ने चिढ़ाते हुए कहा.
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कपडे उसके एक से से दुसरे के हाथ होते हुए गायब,...

चमेलिया बोली,

अरे ननद रानी होली का मौका है गले तो मिल लो,...और वो जबरदस्त चुम्मा लिया की लौंडे मात,... और थोड़ी देर में हिना जमीन पर थी,... और चार पांच गाँव की भौजाइयों ने उसे छाप लिया था, और भौजाई ननद का चुम्मा लेगी वो भी खाली ऊपर, ये कैसे हो सकता है,... दो ने कंधे पकडे थे कस के दो ने टाँगे और गुलबिया ने आराम से जीभ निकाल के धीरे धीरे पहले चूत रानी के चारों ओर गोल गोल जीभ का चक्कर शुरू किया, जल्दी किसे थी , आराम से गरम करना था, थोड़ी देर में चूत हिना की पनियाने लगी. और अब लपड़ लपड़ चूत की दोनों फांको को फैला के,... हिना ने हाथ पैर पटकना बंद कर दिया, और वो हल्के हल्के सिसक रही थी,

एकदम कसी कच्ची चूत, छोटी छोटी रेशमी मुलायम झांटे बस आना शुरू ही हुयी थीं, एकदम मलाई मक्खन,... गोरी चिकनी तो वो थी खूब, और नीचे वाली रानी उसकी मरद का हाथ तो छोड़िये, लगता है कभी कच्ची धूप भी नहीं पड़ी होगी उस पर. दोनों फांके जबरदस्त चिपकी, जैसे दरार हो ही न.
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दोनों हाथ पकडे चमेलिया और रज्जो भौजी ने हिना के दोनों बस उभरटे हुए जोबन सम्हाले, जिसे वो इतना छुपा के रखती थी जैसे गड़ा धन हो, कहानियों में खजाने के ऊपर जैसे काला सांप बैठा रहता है एकदम उसी तरह, तीन तह कर के दुप्पटा उन छोटे छोटे जोबन को छिपाने के लिए ओढ़ती थी, और ऊपर से,...

चमेलिया सोच रही थी अब बहुत छिपा लिया हिना रानी,.... अब एक बार जो हम लोगन क देवरन का हाथ पड़ना शुरू होगा न, तो अगली होली तक एकदम गद्दर अनार हो जायेगा, दूर से झलकेगा।


रज्जो और चमेलिया दोनों हिना के खूब गोरे आते हुए उभार मसल नहीं रही थीं, बस कभी हलके से छूती कभी सहला देतीं कभी ऊँगली की टिप से निप्स को रगड़ देतीं और हिना की पूरी देह झनझना उठती, और अब उस भांग मिली ठंडाई का असर भी होना शुरू हो गया था.

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नीचे गुलबिया ने स्पीड बढ़ा दी और ननद की दोनों कुँवारी फांको को मुंह में रखकर हलके हलके चूसना शुरू कर दिया।

गुलबिया ने दोनों फांको को अलग किया और हिना को चिढ़ाते बोली,

" अब ये दोनों सहेली कभी नहीं मिलेगीं बीच में हमरे देवरन क मोटका खूंटा रहेगा "
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फिर उन अलग की गयी फांको के बीच में अपनी जीभ कस कस के डाल के चलानी शुरू की, और भौजाइयां चालाक थीं ऊँगली से बिल नहीं छू रही थीं उसमें तो गांव के लौंडो का लंड ही घुसना था, लेकिन गुलबिया की जीभ आग लगाने के लिए काफी थी, थोड़ी देर में ही हिना अपने छोटे छोटे चूतड़ उचका रही थी बस थोड़ी देर और वो झड़ने के कगार पर पहुँच जाती.
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तब तक एक मेरी जेठानी आ गयीं, साड़ी कमर तक सरका के ( पेटीकोट ब्लाउज तो आज किसी ने पहना ही नहीं था) और गुलबिया को बोलीं,

"कच्ची अमिया क अकेले अकेले मजा लेगी, चल लौंडो से बचती है न तो मैं लौंडों से बढ़ के मजा देती हूँ स्साली ननद को "

और फिर क्या उन्होंने अपने भोंसडे से उस नन्ही परी की नन्ही नयी नयी परी पर जम के घिस्से मारे,... थोड़ी देर में हिना बेचारी एक बार फिर झड़ने के कगार पर,...

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लेकिन भौजाइयां उसे झड़ने थोड़ी देने चाहती थीं बस तड़पाना इतना चाहती थी की खुद मुंह खोल के लंड लंड करे,... और जब वो जेठानी हटी तो चमेलिया दोनों टांगो के बीच, कभी होंठों से चूसती तो कभी क्लिट को रगड़ती,.. बेचारी हिना कभी खुद तो उसने चूत रानी की मनसा नहीं पूरी की होगी और यहाँ खुले बाग़ में उसके क्लास की, स्कूल की लड़कियों के सामने,... गांव क कुल भौजाई, भरौटी कोइरोटी वाली भी,...



लेकिन जब खुजली मचती है न तो सिर्फ बस एक मन करता है किसी तरह पानी निकल जाए। पांच मिनट में पांच बार चमेलिया उसे झड़ने के किनारे पर ले जाकर रोक दी.



और मैं खड़े खड़े मजा ले रही थी, सोच रही थी, होलिका माई क हुकुम ननदों के लिए बाइस पुरवा क कउनो भौजाई हो तोहन सब के लिए भौजाई है, ओकर हुकुम,... और पठान टोला भी तो बाइस पुरवा में हैं, फिर जो बात ननदों के लिए भौजाइयों के लिए भी बाइस पुरवा क गाँव क कउनो बिटिया हुयी हम सब भौजाई के लिए ननद ही होगी, जात बिरादरी क मतलब नहीं न ननद के लिए न भौजाई के लिए,...

मैं एकदम आगे आ गयी, हिना के पास, मुझसे बोली वो,

" नयकी भौजी, भौजी को बोल दीजिये न एक बार बस एक बार,.. झाड़ दें, ... "

मैं एकदम से हिना की ओर हो गयी, जोर से बोली,

" बेचारी ननद तड़प रही है और यहाँ, ... घबड़ा जिन अइसन जबरदस्त सांड़ अभी चढ़ाउंगी, अरे असली मस्त औजार होते हुए ऊँगली से झड़ोगी, ... "
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फिर कमल को आवाज दी,

" हे हमरी ननद रेनुआ क यार, अपनी बहिनी क भतार,.. कहाँ घुसे हो,... "

वो तो पीछे ही खड़ा था, हिना की रगड़ाई देखकर उसका भी बित्ते से भी बड़ा खूंटा एकदम फनफनाया, साथ में एक भौजाई क सहारा लेकर खड़ी रेनू, वही उससे बोली,

" अरे भौजी कुछ कह रही हैं जाओ, और नाक न कटवाना हम सब की "

भौजाइयां, हिना की क्लास की की लड़कियां, रूपा, लीना, सोना सब पहले से तैयार झट से किसी ने कन्धा पकड़ा, किसी ने हाथ, ... गुलबिया ने हिना क जो कपडा छुपाया था वही लेकर हिना के छोटे छोटे चूतड़ के नीचे लगा के अच्छी तरह उठा लिया, जैसे गौने की रात दुलहा पेलने के पहले अपनी दुलहिनिया के चूतड़ के नीचे पलंग पर क कुल तकिया लगा के उठा देता है जिससे छेद में सटाने में कोई दिक्कत न हो,

और गौने की रात की तरह ही कमल ने हिना की दोनों टांगों को उठा के अपने कंधे पर रख दिया,...
बहला-फुसला के आखिर आ हीं गई हीना..
और ऐसी खेली-खाई भौजाइयों के बीच...
और सही समय होलिका माई का आशिर्बाद मिली भौजी का पदार्पण...
और जब फटने को आती है... आस-पास के लोग तो क्या सारी कायनात साथ देने लग जाती है...
 

motaalund

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कमल ने फाड़ी हिना की

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मैं एकदम आगे आ गयी, हिना के पास, मुझसे बोली वो,

" नयकी भौजी, भौजी को बोल दीजिये न एक बार बस एक बार,.. झाड़ दें, ... "


मैं एकदम से हिना की ओर हो गयी, जोर से बोली,

" बेचारी ननद तड़प रही है और यहाँ, ... घबड़ा जिन अइसन जबरदस्त सांड़ अभी चढ़ाउंगी, अरे असली मस्त औजार होते हुए ऊँगली से झड़ोगी, ... "

फिर कमल को आवाज दी,



" हे हमरी ननद रेनुआ क यार, अपनी बहिनी क भतार,.. कहाँ घुसे हो,... "
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वो तो पीछे ही खड़ा था, हिना की रगड़ाई देखकर उसका भी बित्ते से भी बड़ा खूंटा एकदम फनफनाया, साथ में एक भौजाई क सहारा लेकर खड़ी रेनू, वही उससे बोली,


" अरे भौजी कुछ कह रही हैं जाओ, और नाक न कटवाना हम सब की "

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भौजाइयां, हिना की क्लास की की लड़कियां, रूपा, लीना, सोना सब पहले से तैयार झट से किसी ने कन्धा पकड़ा, किसी ने हाथ, ... गुलबिया ने हिना क जो कपडा छुपाया था वही लेकर हिना के छोटे छोटे चूतड़ के नीचे लगा के अच्छी तरह उठा लिया, जैसे गौने की रात दुलहा पेलने के पहले अपनी दुलहिनिया के चूतड़ के नीचे पलंग पर क कुल तकिया लगा के उठा देता है जिससे छेद में सटाने में कोई दिक्कत न हो,

और गौने की रात की तरह ही कमल ने हिना की दोनों टांगों को उठा के अपने कंधे पर रख दिया,...



रेनू जो अपने भाई कमल के नाम से बिदकती थी, चुदाई तो छोड़िये अगर छू भी दिया तो वो झटक के दस बात सुना के दूर खड़ी हो जाती थी आज एकदम सट के बैठी, और उसे और चढ़ा रही थी एकदम खुल के,...


" अरे भैया पेल दो कस के, एक झटके में सुपाड़ा अंदर जाए तब उसे पता चलेगा की मेरे भैया के नीचे आयी है,... "

क्या पानी से बाहर निकलने पर मछली तड़पती है, उछलती है, उसी तरह तड़प के उछली वो, ये तो भौजाइयों ने दबोच रखा था वरना वो झटके दे के,

सुपाड़ा एक झटके में तो नहीं घुसा लेकिन चार पांच धक्के में अंदर,


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और उसको पकड़ी लड़कियों भौजाइयों ने छोड़ दिया, एक बोली अब स्साली पटके चूतड़ जितना पटकना है, ... इतना मोटा सुपाड़ा अंदर घुस गया है लाख कोशिश आकर बाहर तो निकलेगा नहीं और कमल ऐसा चुदवैया बिन चोदे, अंदर सीधे बच्चेदानी में पानी छोड़े इसे छोड़ेगा नहीं।


लेकिन जो रगड़ाई गुलबिया चमेलिया ने की थी हिना की बिल अंदर तक गीली हो गयी थी,


वो रो रही थी, चूतड़ पटक रही थी

बाकी लड़कियां भौजाइयां अचरज से कमल का मोटा मूसल देख रही थीं, कोई नहीं थी जिसने न घोंटा हो,.. लेकिन ऐसा और सबसे बढ़कर ये ताकत,... कोई नहीं था जिसने न घोंटा हो मूसल, ... लेकिन रेनू के भाई का मूसल सबसे बाइस नहीं, बल्कि पचीस, मोटाई में भी लम्बाई में भी। ननदें, भौजाइयां ललचा के देख रही थीं, और रेनू दोहरे गर्व से अपनी सहेलियों, भौजाइयों को, एक तो मेरा है वाला। और दूसरा, दोनों ओर घोंट चुकी हूँ इस गदहा ब्रांड को जड़ तक। और उन चेहरों की आँखों की तारीफ़ एकदम कमल से सट कर बैठी रेनू देख रही थी, उसकी बहन जो पहले उससे कोसों दूर भागती थी, ... और सबसे ज्यादा उसे ख़ुशी हो रही थी, ... कभी वो बस छू लेती तो कभी चिपक जाती अपने भैया से,...



ओनर्स प्राइड नेबर्स एन्वी

इस सबसे बेखबर कमल हिना की हर चीख के साथ दूने जोर से मूसल पीछे खिंच के पूरी ताकत से पेल रहा था, ... जिस तरह से उसी कसी चूत में रगड़ता, दरेरता , घिसटता हुआ बड़ी मुश्किल से जा रहा था और उस का वो असर हुआ, जो होना था,... कलाई ऐसा मोटा होने से हिना की चूत की मसल्स जिस तरह फ़ैल रही थीं, अंदर की दीवालों की नर्वस पर जिस तरह बार बार मोटे जबरदस्त सुपाड़े से रगड़ाई हो रही थी,... चीखें धीरे धीरे सिसकियों में बदलनी ही थी वो बदल गयी. चेहरे पर दर्द की जगह सुकून छा गया,... आधे से ज्यादा घुस गया था लेकिन अब अड़स गया था.

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मैंने उस शेखजादी के खूब खूब सूरत छोटे छोटे नए नए उभारों को देखते हुए कमल को इशारा किया और वो समझ गया,...

अब धीरे धीरे समझना शुरू कर दिया था उसने, वो देख रहा था की कैसे चमेलिया ने हिना के छोट छोट जुबना को बस हलके हलके छू के, सहला के हिना को पागल कर दिया था,... असली बात है मज़ा लेने की और मजा देने की

बस एक बस एक दम उसी तरह, कमल की उँगलियाँ बस एक लाइन सी खींच रही थीं उभारों के नीचे से ऊपर तक, और निपल के चारों ओर चक्कर काट रही थी, लेकिन निपल एकदम अब खड़े हो रहे थे मानो दावत दे रहें आओ न पकड़ो न दबाओ न, जिन उभारों को गाँव के लड़कों की नजर न लग जाये इसलिए वो तीन परत कर के दुप्पटे के अंदर ढँक कर छुपा कर रखती थी, अब वो खुद पागल हो रहे थे पथरा रहे थे,...

और कमल ने बस भौरें की तरह झुक के जीभ की टिप से उन खड़े बावरे निप्स को छू भर दिया।
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गरम तवे पर जैसे किसी ने पानी की दो बुँदे डाल दीं.



हिना छनछना उठी, जोर जोर से सिसकने लगी खुद चूतड़ उठाने लगी और कमल ने बस झुक के अपने होंठ हिना के होंठों के पास,... छुआ नहीं, चूमा नहीं, लेकिन बस एक गुलाबी पंखुड़ी भर का फरक था दोनों के होंठों में ,


हिना इन्तजार कर रही थी और फिर खुद उसने अपने होंठ उठाकर कमल को चूम लिया, उसके बाद कमल कौन छोड़ने वाला था, हिना के दोनों होंठ कमल के होंठों के कब्जे में , और अब हाथ भी हलके हलके उन टीनेज उभारों को दबा रहे थे, मसल रहे थे,.. और हिना अब पगला रही थी लेकिन अब पहल की और किसने कमल की बहन रेनू ने, वो देख रही थी की हिना कैसे कसमसा रही है, खुद चूतड़ उठाने की कोशिश कर रही थी,...


" अरे भैया पेलो ने, ठोंक दो पूरा अंदर तक इस स्साली को आधे में मजा नहीं आएगा,... देख केतना गरमा रही है हमरे भैया के मोटे लंड के लिए"
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रेनू जिसके लिए न जाने कब से ललचा रहा था कमल, अपनी बहन की बात टालने की सोच भी नहीं सकता था, बस उसने हिना को दुहरा कर दिया, एक बार फिर, जरा सा खूंटा बाहर निकाला, एक हाथ कंधे पर दूसरा हिना के छोटे छोटे जोबन पर और कस के दबौच के तीर मार दिया,
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अब वो रुक नहीं रहा था, धक्के भी नहीं मार रहा था, बस ठेल रहा था, धकेल रहा था, और उस कच्ची कली की संकरी प्रेम गली में रगड़ते दरेरते, अंदर और अंदर जा रहा था,... और बस जब थोड़ा सा रहा गया होगा तो वो रुका एक पल के लिए आधे से ज्यादा खूंटा हलके हलके बाहर खींचा, और अबकी दोनों कंधो को पकड़ के पूरी ताकत से एक बार में ही पेल दिया,



हिना पहले तो चीखी, लेकिन जैसे ही वो मोटा सुपाड़ा उसकी बच्चेदानी से टकराया,... तूफान में पेड़ से टूटा पत्ता जिस तरह कांपता है झूमता है बस उसी तरह से उसकी देह , कुछ भी उसके कण्ट्रोल में नहीं था, जोर से उसने मिट्टी के ढेले पकड़ लिए और वो धुल हो गए, आँखे जैसे मस्ती से उलट रही हो पूरी देह में जैसे लहर के बाद लहर आ रही हो और जब लहर रुकी तो प्यार से उसने कमल की ओर देखा और अब खुद सर उठा के उसे चूम लिया,...



कमल ने जैसे कोई भाले को धंसा के मोड़ दे और हर अंग घायल हो जाए बस उसी तरह सुपाड़े को हिना के बच्चेदानी पर एक बार कस के रगड़ दिया और फिर वही लहरें एक नहीं अनेक, और अब कमल ने धक्के रोक दिया था, बस कभी वो हिना के उरोजों को छू रहा था तो कभी होंठों को, कभी झुक के निपल चुभला देता, कुछ देर में हिना ने आँखे खोल ली, उसे देख के मुस्करा दी, बस इससे बड़ा ग्रीन सिग्नल क्या होता।



धक्के फिर से चालू हो गया था साथ में कमल के बगल में बैठी उसकी बहन रेनू की कमेंट्री भी,

" अरे भैया और जोर से पेलो, अरे तनी गलवा पे निशान दे दो, स्कूल में कुछ तो दिखाने के लिए रहे बहुत छिपाती ढंकती थी न रगड़ो कस कस के इसकी चूँची "


कुछ देर में हिना फिर से झड़ने के कगार पर थी लेकिन कमल बस ले जा के रोक देता था


अंत में हिना को मुंह खोलना ही पड़ा, लेकिन जवाब रेनू ने दिया,


" अरे तो जोर से मुंह खोल के बोल न स्साली,... और अब स्कूल में ये सब तोपना ढांकना बंद, छुपा के रखने का काम बंद "


सर हिला के मुस्करा के हिना ने हामी भरी लेकिन रेनू ने उससे तीन बार जोर जोर से पूरा कबुलवाया, ये भी की अब बाइस पुरवे के किसी भी लड़के को मना नहीं करेगी,...
हीना की फटने में उतना मजा नहीं आया
जितना रेनुआ या गितवा के फटने में आया था...
कहाँ कमी रह गई ये पिन प्वायंट करना मुश्किल था...
लेकिन था रेनुआ से उन्नीस हीं...
शायद आगे अभी और भी हों जहाँ ये कमी पूरी हो जाए...
 
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motaalund

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हिना संग मस्ती



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कमल के बगल में बैठी उसकी बहन रेनू की कमेंट्री भी,

" अरे भैया और जोर से पेलो, अरे तनी गलवा पे निशान दे दो, स्कूल में कुछ तो दिखाने के लिए रहे बहुत छिपाती ढंकती थी न रगड़ो कस कस के इसकी चूँची "

कुछ देर में हिना फिर से झड़ने के कगार पर थी लेकिन कमल बस ले जा के रोक देता था


अंत में हिना को मुंह खोलना ही पड़ा, लेकिन जवाब रेनू ने दिया,

" अरे तो जोर से मुंह खोल के बोल न स्साली,... और अब स्कूल में ये सब तोपना ढांकना बंद, छुपा के रखने का काम बंद "
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सर हिला के मुस्करा के हिना ने हामी भरी लेकिन रेनू ने उससे तीन बार जोर जोर से पूरा कबुलवाया, ये भी की अब बाइस पुरवे के किसी भी लड़के को मना नहीं करेगी,...

जब तक हिना ने बोल नहीं दिया,... चोदो न,... प्लीज पेलो न रुको मत

तब तक कमल के धक्के रुके रहे, और फिर उसके बाद जब चालू हुए तो तूफ़ान मात, ...


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थोड़ी देर में हिना भी उसकी ताल पर ताल दे रही थी अब उसे चुदाई का असली मजा आ रहा था,... और अबकी वो झड़ी तो साथ में कमल भी उसके अंदर। देर तक जैसे मानसून देर से तो आये लेकिन एक बार में ही सूद के साथ उधार चुकता कर दे, हिना की कटोरी भरी, थोड़ी बहुत खीर छलक कर बाहर भी आ गयी,...


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दोनों देर तक एक दूसरे को भींचे रहे

लेकिन हिना रानी की होली अभी पूरी नहीं हुयी थी, जैसे कमल ने बाहर निकाला मैंने ननदो को चैलेंज किया



" कउनो ननद है जो मजा ले इस रबड़ी मलाई का हमरे देवर का,"

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और कोई बोलता उसके पहले रेनू बोली, मैं हूँ न अपने भैया की बहिनी, मलाई मेरे भैया की है, खाउंगी मैं एक बूँद नहीं छोडूंगी।
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और हिना की फैली जाँघों पर जो मलाई बह रही थी, रेनू ने पहले वो साफ़ किया, फिर सपड़ दोनों फांकों में जो जो बूंदे चिपकी अटकी थीं उसे जीभ की टिप से और फिर दोनों फांको को फैला के अंदर की सुरंग में जो मलाई भरी थी पहले तो जीभ अंदर डाल कर चाटा, फिर दोनों होंठों को बुर से लगा के जैसे कोई कटोरी मुंह में लगा के बची खुची खीर पी जाये, उसी तरह पी गयी.


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थोड़ी देर में मुझे असली खेल समझ में आया वो चूस चूस के हिना को दुबारा गरम कर रही थी।

दोनों हाथों से रेनू ने हिना की जांघों को कस के फैला दिया था, एक तो उससे कम से कम चार साल बड़ी रही होगी,... दूसरे उसके भाई ने चोद चोद के हिना की चूल चूल ढीली कर दी थी जैसे कोई रोड रोलर चल गया हो उसके ऊपर, और रेनू में ताकत भी बहुत थी. पूरी जीभ हिना की अभी अभी पहली बार चुदी चूत के अंदर घुसी, दोनों होठों से हिना के दोनों निचले होंठ कस के दबोचे, कभी चूसती कभी चाटती, कभी जीभ से लंड की तरह चोद चोद के हिना को जवानी के असली मजे का अहसास दिलाती,


हिना झड़ने के नजदीक तो नहीं पहुंची लेकिन हाँ गरम हो गयी, थोड़ी देर पहले चमेलिया और गुलबिया भी उस शेखजादी की चूत चूस चाट रही थीं, लेकिन सम्हल सम्हल कर, ऊँगली अंदर घुसाने का सवाल नहीं था. पहला धक्का तो गाँव के लौंडे के लंड का लगना था और गाँव में कमल से ज्यादा खूंखार और भूखा कोई लंड नहीं था, लेकिन अब जब चूत फट चुकी थी, मलाई घोंट चुकी थी तो फिर रहम करने का कोई मतलब नहीं था, इसलिए बीच बीच में उँगलियाँ भी मैदान में आ रही थीं, कभी अंगूठे और तर्जनी से चूत की दोनों फांके रगड़ती आपस में एक दूसरे को तो कभी ऊँगली से क्लिट को बस सहला देती, और जब होंठों से क्लिट रेनू चूसती तो रेनू की उँगलियाँ हिना की चूत का मोर्चा सम्हाल लेती,
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काफी लड़कियां भौजाई तो हिना के चारो ओर झुण्ड बना के लेकिन कुछ अभी भी अपने भाइयों से मस्ती कर रही थी, कुछ मस्ती के बाद चिपका चिपकी,..

तभी कम्मो आयी और उसका सगा भाई पंकज,...


दो राउंड अपनी बहिनिया को चोद के, कम्मो अभी भी आम का पेड़ पकड़ के कभी किसी भौजाई का सहारा ले के चल पा रही थी,... उसकी भी झिल्ली आज ही फटी थी,... दर्द से दुहरी हो रही थी लेकिन हिना को ऐसे बाग़ में पसरे और उसकी बुर चूसती रेनू को देख के उसका दर्द गायब हो गया. उसे भी मालूम था की पंकज उसके भाई ने उसे हलके से छेड़ा था, कोई चुम्मा वुम्मा भी नहीं,... बस उसका दुप्पटा खींच के उभारों पर हलके से हाथ लगाया था, कोई अंदर डाल के रगड़ा मसला भी नहीं, और हिना गुस्से से अलफ,

कम्मो ने उसे समझाया भी अरे भैया हैं उसके कोई गैर नहीं, क्या पता कम्मो को समझ के शरारत कर दी हो,... और सही तो किया दुपट्टा हम सब भी लगाती हैं लेकिन घर से निकलते ही सीने से उठकर गले से चिपक जाता है, लड़के बेचारे इत्ता इन्तजार करते हैं, स्कूल के बगल की दुकाने चलती हैं तो जरा सा देख लेंगे, कभी मौका पा के छू लेंगे तो कौन सा घट जाएगा ,...


लेकिन हिना का गुस्सा उसने जाके अपनी माँ से भी कह दिया वो तो उसकी माँ समझदार थी , गाँव में सब घरों में आना जाना, उन्होंने खुद उसको समझाया,...

और आज,...

पंकज का तन्ना गया था और कुछ कम्मो खुद अपने हाथ से पकड़ के मसल रही थी और उसे छेड़ते हुए बोली,...

" अब असली ताकत इसकी यहाँ दिखाओ बेचारी खुद चल के आयी है " और रेनू से बोली, हे तू बहुत मेहमानी कर ली,... चल अब हमरे भैया को,...

" अरे तो मैं कौन अकेली हूँ , मेरे भैया भी हैं यही, " अरे रेनू बड़े ठसके से कमल के पास,...

जबतक हिना कुछ समझे समझे, पंकज उसकी जाँघों के बीच और उसका खूंटा हिना के अंदर,... मुट्ठी ऐसे मोटे सुपाड़े से फटी थी , थोड़ा बहुत मलाई अंदर अभी भी थी और सबसे बढ़ कर रेनू ने जो चूसा था चूत एक तार की चाशनी फेंक रही रही, लसलसा रही थी. थोड़ा सा मेहनत लगी पंकज को, पर सुपाड़ा अंदर घुस गया
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और अब हिना भी समझ गयी थी की एक बार सुपाड़ा घुस गया तो लड़की के पास चुदने के अलावा कोई चारा नहीं और जब चुदना ही है तो मजे ले ले के चुद.

उसने भी पंकज को बाँहों में बाँध लिया हलके हलके आ रहे छोटे छोटे उभार पंकज के सीने से रगड़ने लगी, पंकज ने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी,..

कम्मो चिल्ला रही था, हाँ भैया हाँ मसल दो रगड़ दो,..

लीना भी उसका साथ देती हिना को चिढ़ाती बोली, अरे हिना रंग लाती है पिसने के बाद, कस कस के पीस ताकत लगा के मीस

रेनू कमल के पीछे जा के खड़ी थी एकदम चिपकी कभी अपने उभार अपने भाई की पीठ से रगड़ देती तो कभी हलके से होंठों से उसके कान की लर को काट लेती, जब लड़कियां गर्माती हैं तो लड़कों से भी दस हाथ आगे निकल जाती हैं और यही हाल रेनुवा की हो रही थी। दोनों हिना की चुदाई देख रहे थे और कमल का खूंटा एक बार फिर सोने से जागने की हालत में आ रहा था, रही सही कसर रेनू ने पूरी कर दी,... जिस खूंटे से वो डरती तो, ... हदस गयी थी उसी को कोमल कोमल हाथ में लेकर, पहले तो सिर्फ खूंटे के बेस पर रगड़ रही थी फिर सिर्फ अंगूठे और तर्जनी से चर्म दंड को दबाते हुए आगे -पीछे, आगे -पीछे,... और जब तो तनतना के खड़ा हो गया तो एक हथेली में कमल की बॉल्स ले के सहलाने लगी,

पंकज अब पूरी रफ़्तार से हिना को चोद रहा था,



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लेकिन गुलबिया ने मेरी ओर देखते हुए आँख मार के पंकज को ललकारा,

" पलट साली को असल चुदवासी है तो लंड के ऊपर चढ़ के चोदेगी,... "



और पंकज ने पलटी मारी, खूंटा जड़ तक अंदर था और कस के उसने हिना को दबोच रखा था, अब हिना ऊपर, पंकज नीचे,...

अब कम्मो के मजे हो गए एक से एक गारी और उसकी चचेरी बहन लीना जो इसी साल रजस्वला हुयी थी जिसको आसिष मिली थी वो तो और गरमा रही थी। हिना उसी की क्लास में पढ़ती थी और सब पर्दा, लुकना छिपाना का नाटक,... वो और जोर से चिढ़ा रही थी,
अब तो दोनों बहिनी.. बद कर ..
अपने भाईयों को हीना पर चढ़वाएगी..
और पंकज भी अपना पुराना बदला चुकता कर पाएगा...
 
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