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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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एक ही यार भले हो पर पक्का हो।।।
जब भी नीचे हाल चल हो

बस उसकी सहेलियां इलाज करवा दे
अपने भाई का इंजेक्शन 🤦🤦

इत्ता बड़ा और मोटा
एकदम सही कहा आपने

कुछ तो हैं एक भाई व्रता

गीता अरविन्द के अलावा किसी और नहीं घोंटती और रेनू कमल के अलावा,

लेकिन कुछ का मन एक से नहीं भरता जैसे हिना ने पहले दिन ही कमल, पंकज और चुन्नू से मजा ले लिया और अभी आज का खेल ख़तम भी नहीं हुआ और लड़के भी, ... सब तोतों का मन करता है कच्ची अमिया पे चोंच मारने का और पठानटोली में तो कच्चे टिकोरों और कच्ची अमिया की कमी नहीं है आगे आगे देखिये



बहुत बहुत शुक्रिया आपका, कहानी से जुडी रहिये ऐसे ही कमेंट्स सुझाव देती रहिये।

:thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks:
 

komaalrani

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Welcome to the story, bas yahi request hai ki isi tarh ek ek paarts ko padh ke apne comment dete rahiye bahoot bahoot thanks for reading the story and sharing your comments.


Thanks Thank You GIF by 大姚Dayao
 

komaalrani

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So afterall i read your all stories . Really those days was fantastic . Lagbjag 2 3 stories sath me padhta tha . Erotica ka highest level hai apni kahaniya .bahut si stories padhi hai maine aaj tak itne saalo me lekin jo heat , seduction ,lust for sex apki kahani padhne ke baad dil dimag me paida hoti hai wo ekdam alag hai . Right now mai 3 mahine se ghar se bahar hun . Apki har ek kahani padhi lejin kabhi kisi ki company ke liye urge feel nahi ki. Ab to lag raha hai mere hath ki lakeere bhi kahin air chhap gayi hai aapki kahani padhte padhte. Simply you are awesome writer in erotica
Thanks so much, I am grateful for your words of appreciation. aur haath ki lakiron vaali abat apne sahi kahi, superb. Bas kahani padhte rhaiye aur unhi haathon se har update ke baad do line apne comment ke bhi jaroor dijiye.
 

komaalrani

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Bahut hi maje aa rahe hain. Pathan ki toli ka interaar hai.
aayengi sab pathan toli vaali aaynegi kuch sidhe se kuch bahla fusla ke aur baaki ke saath,... lekin hoga vahi jo aap chaahte hain aur dhoom dhadkae se hoga

Hijab-Girls-OIP.jpg
 

komaalrani

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भाग ७५ पृष्ठ ७४४ पठान टोले वाली

भाग ७६ - पृष्ठ ७४९ बुर्के वाली पठान टोले की


भाग ७७ पृष्ठ ७६५ इंटरवल के बाद ननदों की मस्ती

Readers are requested to read all the parts and share your views, your advice, plase do like and comment.
 

komaalrani

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अगली पोस्ट के कुछ अंश


कमल कम उस्ताद नहीं था, जहाँ छिला था, चमड़ी अंदर की छिल गयी थी, रगड़ गयी थी वहीँ पे दरेररते रगड़ते जान बुझ के पेल रहा था.

चिल्लाये ससुरी पूरे गाँव की लौंडियों को मालूम हो जाए , बीच बीच में चंदा के चूतड़ पे हाथ भी लगा रहा था, चटाक .

चूतड़ पे दर्जन भर कमल के फूल छप गए थे। कभी पूरा बाहर निकाल के जब अपनी कमर की पूरी ताकत से जड़ तक पेलता गाँड़ का छेद चौड़ा होकर फैल जाता, और दर्द से चंदा की चीख पूरी बगिया में फ़ैल जाती।


हिना को दबोचे, सुगना और गुलबिया समझ रही थीं, उनकी भी देख के सुरसुरा रही थी, इसी दर्द में तो मजा है, मरद कौन जो दरद न दे।

इसी दर्द को घूँट घूँट पीने में, अंजुरी में लेकर रोम रोम में रगड़ने मसलने में, ही तो असली मजा है। जब दरद देह का हिस्सा हो जाए, दरद इतना हो की उसी दरद के लिए जिया में हुक उठे, उस दरद देने वाले का इन्तजार करते, देहरी पर खड़े खड़े पलक न झपके, कुछ आहट हो तो लगे वो दरद देने वाला आ गया है

और जब यह अहसास हो जाए तो समझ लीजिये कैशोर्य की चौखट डांक कर, गली में आंगन में ठीकरे से इक्कट, दुक्क्ट खेलने वाली लड़की अब तरुणी हो गयी है,

और हिना को यह अहसास हो रहा था थोड़ा थोड़ा, ..

सुगना और गुलबिया के दुलार की दुलाई में लिपटी अब धीरे धीरे उन जैसी ही हो रही थी।

घुस चंदा के पिछवाड़े रहा था, चीख चंदा रही थी, दुबदुबा हिना की कसी गाँड़ रही थी,लग हिना को रहा था की उसके पिछवाड़े कोई मोटा पिच्चड घुसा है जो दर्द भी दे रहा है और मज़ा भी।

सुगना और गुलबिया की आँखे कमल के खूंटे पर लगी थीं लेकिन जाने अनजाने उन दोनों के हाथ अपनी किशोर ननद के उभारों को सहला रही थी बहुत हलके हलके जैसे कोई रुई के फाहे की तरह छू रहा हो. हिना का बदन उसके जोबन पलाश की तरह दहक रहे थे।

हिना का मन चावल चुगती कभी इस मुंडेर पर कभी उस मुंडेर पर फुदकती गौरेया की तरह, कभी चंदा की ख़ुशी में डूबी देह को देखता तो कभी सोचता साल दो साल पहले ही तो इस गाँव के लड़के लड़कियों के साथ बिना हिचक वो खेलती, झगड़ा करती, लड़ती, बारिश आने पे पहली बूँद के साथ ही अपनी इन्ही सहेलियों के साथ कभी अपने आंगन में कभी कम्मो के घर, अरई परई गोल गोल चक्कर काटती, सब सहेलिया देखतीं किसके ऊपर कितनी बूंदे पड़ी , सबकी मायें डांटती, लड़की सब पागल हो गयी हैं का,

सावन आता तो झूला झूलने इसी बगिया में आती, भाभियों की चिकोटियां, किसका झूला कितना ऊपर जाता है बस मन करता सावन को लपेट ले, ओढ़ ले और साल के बारहो महीने सावन के हो जाए, हरे भरे, सावन में पूरे गाँव में उसके अपने टोले में भी नयी नयी सुहागने गौने के बाद पहली बार मायके आतीं और भौजाइयां घेर के उनसे गौने की रात का हाल बार बार पूछतीं, ... चिकोटियां काटतीं और जब हिना ऐसे कुंवारियां भी चिपक के हाल सुनती तो कोई भौजाई उन कुंवारियों को छेड़ती भी

" सुन ले, सुन ले तेरे भी काम आएगा " .

और जब वो लड़कियां बिदा होती, किसी भी पुरवा की, पठानटोली वाली हो या पंडिताने की, जाने के पहले सब से, काकी ताई से भौजी से सब से, मिल के भेंट के, दिन कैसे बीत जाते थे पता ही नहीं चलता,

पिछले सावन ही अजरा उदासी की चादर हटाने के चक्कर में बात बदलने के लिए पंडिताइन चाची से भेंटते हुए छत पर चढ़े कद्दू की बेल को देखते हुए बोली,

" चाची, पिछली बार तो एकदम बतिया थी ये "

" अरे पगली खाली बेटियां थोड़ी बड़ी होती हैं, " पंडिताइन चाची हंसने की कोशिश करते बोलीं और आँचल की कोर से आंसू का एक कतरा पोंछ लिया।
 
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Sutradhar

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अगली पोस्ट के कुछ अंश


कमल कम उस्ताद नहीं था, जहाँ छिला था, चमड़ी अंदर की छिल गयी थी, रगड़ गयी थी वहीँ पे दरेररते रगड़ते जान बुझ के पेल रहा था.

चिल्लाये ससुरी पूरे गाँव की लौंडियों को मालूम हो जाए , बीच बीच में चंदा के चूतड़ पे हाथ भी लगा रहा था, चटाक .

चूतड़ पे दर्जन भर कमल के फूल छप गए थे। कभी पूरा बाहर निकाल के जब अपनी कमर की पूरी ताकत से जड़ तक पेलता गाँड़ का छेद चौड़ा होकर फैल जाता, और दर्द से चंदा की चीख पूरी बगिया में फ़ैल जाती।


हिना को दबोचे, सुगना और गुलबिया समझ रही थीं, उनकी भी देख के सुरसुरा रही थी, इसी दर्द में तो मजा है, मरद कौन जो दरद न दे।

इसी दर्द को घूँट घूँट पीने में, अंजुरी में लेकर रोम रोम में रगड़ने मसलने में, ही तो असली मजा है। जब दरद देह का हिस्सा हो जाए, दरद इतना हो की उसी दरद के लिए जिया में हुक उठे, उस दरद देने वाले का इन्तजार करते, देहरी पर खड़े खड़े पलक न झपके, कुछ आहट हो तो लगे वो दरद देने वाला आ गया है

और जब यह अहसास हो जाए तो समझ लीजिये कैशोर्य की चौखट डांक कर, गली में आंगन में ठीकरे से इक्कट, दुक्क्ट खेलने वाली लड़की अब तरुणी हो गयी है,

और हिना को यह अहसास हो रहा था थोड़ा थोड़ा, ..

सुगना और गुलबिया के दुलार की दुलाई में लिपटी अब धीरे धीरे उन जैसी ही हो रही थी।

घुस चंदा के पिछवाड़े रहा था, चीख चंदा रही थी, दुबदुबा हिना की कसी गाँड़ रही थी,लग हिना को रहा था की उसके पिछवाड़े कोई मोटा पिच्चड घुसा है जो दर्द भी दे रहा है और मज़ा भी।

सुगना और गुलबिया की आँखे कमल के खूंटे पर लगी थीं लेकिन जाने अनजाने उन दोनों के हाथ अपनी किशोर ननद के उभारों को सहला रही थी बहुत हलके हलके जैसे कोई रुई के फाहे की तरह छू रहा हो. हिना का बदन उसके जोबन पलाश की तरह दहक रहे थे।

हिना का मन चावल चुगती कभी इस मुंडेर पर कभी उस मुंडेर पर फुदकती गौरेया की तरह, कभी चंदा की ख़ुशी में डूबी देह को देखता तो कभी सोचता साल दो साल पहले ही तो इस गाँव के लड़के लड़कियों के साथ बिना हिचक वो खेलती, झगड़ा करती, लड़ती, बारिश आने पे पहली बूँद के साथ ही अपनी इन्ही सहेलियों के साथ कभी अपने आंगन में कभी कम्मो के घर, अरई परई गोल गोल चक्कर काटती, सब सहेलिया देखतीं किसके ऊपर कितनी बूंदे पड़ी , सबकी मायें डांटती, लड़की सब पागल हो गयी हैं का,

सावन आता तो झूला झूलने इसी बगिया में आती, भाभियों की चिकोटियां, किसका झूला कितना ऊपर जाता है बस मन करता सावन को लपेट ले, ओढ़ ले और साल के बारहो महीने सावन के हो जाए, हरे भरे, सावन में पूरे गाँव में उसके अपने टोले में भी नयी नयी सुहागने गौने के बाद पहली बार मायके आतीं और भौजाइयां घेर के उनसे गौने की रात का हाल बार बार पूछतीं, ... चिकोटियां काटतीं और जब हिना ऐसे कुंवारियां भी चिपक के हाल सुनती तो कोई भौजाई उन कुंवारियों को छेड़ती भी

" सुन ले, सुन ले तेरे भी काम आएगा " .

और जब वो लड़कियां बिदा होती, किसी भी पुरवा की, पठानटोली वाई हो या पंडिताने की, जाने के पहले सब से, काकी ताई से भौजी से सब से, मिल के भेंट के, दिन कैसे बीत जाते थे पता ही नहीं चलता,

पिछले सावन ही अजरा उदास की चादर हटाने के चक्कर में बात बदलने के लिए पंडिताइन चाची से भेंटते हुए छत पर चढ़े कद्दू की बेल को देखते हुए बोली,

" चाची, पिछली बार तो एकदम बतिया थी ये "

" अरे पगली खाली बेटियां थोड़ी बड़ी होती हैं, " पंडिताइन चाची हंसने की कोशिश करते बोलीं और आँचल की कोर से आंसू का एक कतरा पोंछ लिया।
कोमल जी

मानव मन और भावनाओं खासकर महिलाओं की आपको कितनी गहरी समझ है, बस इसे समझा ही जा सकता है बताया नहीं जा सकता।

और आप इस समझ को शब्दों में इस बारीकी से उतारती है कि बस अंदर कहीं भीतर तक मन भीगता चला जाता है।

काश आपका एक अंश मात्र भी लिखना आता तो शायद अपनी बात पूरी तरह कह पाता।


थोड़ा कहा बहुत समझना।

सादर
 

komaalrani

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कोमल जी

मानव मन और भावनाओं खासकर महिलाओं की आपको कितनी गहरी समझ है, बस इसे समझा ही जा सकता है बताया नहीं जा सकता।

और आप इस समझ को शब्दों में इस बारीकी से उतारती है कि बस अंदर कहीं भीतर तक मन भीगता चला जाता है।

काश आपका एक अंश मात्र भी लिखना आता तो शायद अपनी बात पूरी तरह कह पाता।


थोड़ा कहा बहुत समझना।

सादर
सारी क्रेडिट आप और आप ऐसे रससिद्ध रसिक पाठकों को है

मेरी इस पोस्ट के बाद कम से कम ६-७०० व्यूज तो हुए ही होंगे जिन्होंने इस पोस्ट पर एक अदद दृष्टिपात किया होगा। पर कमेंट तो छोड़िये लाइक तक किसी की नहीं आयी।

आप ऐसे जौहरी मेरे पाठकों में मित्रों में हैं, इसके लिए मैं और मेरे दोनों थ्रेड आपके आभारी हैं। और जो बातें आप ने कही है मैं बस कोशिश करती हूँ

कई बार इरोटिका एकदम यंत्रवत हो जाती है जैसे पॉर्न फिल्म आप अंदाज लगा सकते हैं की अगला एक्शन क्या होगा, हर पार्ट में एक सेक्स सीन आएगा ही, लेकिन तन के साथ मन, और खासतौर से जिस परिवेश में वो हैं वहां के अनुसार ही उपमाओं का चयन, अब ये कहानियां ग्रामीण परिवेश की हैं या उसके चरित्र ग्रामीण परिवेश से जुड़े हैं तो कुछ न कुछ उसका असर होना चाहिए।

दूसरी बात फर्स्ट परसन में ये कहानी बहुत कुछ चलती है तो उसका परिप्रेक्ष्य भी स्त्री के रूप में ही होना चाहिए, हर बार नहीं तो दस पांच पार्ट में एक बार मन में झाँक भी लेना चाहिए,

लेकिन अगर पढ़ने वाला न हो तो बहुत खलता है

एक बार फिर से आपका कोटिश आभार मेरी पोस्टों को लाइक करने के लिए और इस कमेंट के लिए।
 

komaalrani

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कोमल में चासनी तो गुड्डी भाई को ही चटवाई तब तो लगेंगे असली गढ़वा कोमल में गुड्डी के साथ भाई का भी पिछवाड़े का सील पैक तुड़वा देती कितना अच्छा होता उनकी साली का और उनकी बीवी का दोनों का इच्छापुर हो जाता है अभी तो हीरो आए थे अभी वह तोड़ देते अभी दो हीरो और बाकी हैं तब तो असली गढ़वा और दलाल बनेंगे
अरे आपको मालूम नहीं है क्या इस फोरम में गे सेक्स नहीं परमिटेड है इसलिए ये कैसे दिखा सकते हैं , आप को जोरू का गुलाम अच्छी लग रही है बहुत धन्यवाद , लेकिन इस कहानी पर भी तो कमेंट दें
 

Shetan

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भाग ७५ पृष्ठ ७४४ पठान टोले वाली

भाग ७६ - पृष्ठ ७४९ बुर्के वाली पठान टोले की


भाग ७७ पृष्ठ ७६५ इंटरवल के बाद ननदों की मस्ती

Readers are requested to read all the parts and share your views, your advice, plase do like and comment.
Muje intjar he update ka. Besabri se.
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