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भाग ७८
चंदा का पिछवाड़ा और कमल का खूंटा
१४,७८, ९२०
रेनुआ थोड़ी शरमाई, थोड़ा मुस्करायी, और उस झुण्ड से हट के मेरे पास आ गयी,... और कमल से चिपक के बैठ गयी जिससे जो गाँव वालियां उसके भाई को ताना मारती थी, की पहले घर के माल को पटाओ सब को पता चल जाए, माल पट भी गया, सट भी गया और फट भी गया,
और जिस ललचायी निगाह से वो अपने भैया के तने खूंटे को देख रही थी, सब लोग समझ गए थे की जिसके बारे में सोच के कमल की बहिनिया हदस जाती है अब उसी के लिए उस के उस के ऊपर और नीचे दोनों मुंह में लार टपक रही है,...
लेकिन मेरी परेशानी दूसरी थी, इत्ता मस्त खूंटा खड़ा था और कोई स्साली ननद छिनार नज़र नहीं आ रही थी, लेकिन बिल्ली के भाग से छीका टूटा,
और चंदा दिखी,..
"हे मेरे सारे देवरों का खूंटा घोंट चुकी हो, तुम्हारा असली इम्तहान, चढ़ जाओ इस खूंटे पे ,"मैंने चंदा को उकसाया
और कमल को धक्का देके मैंने जमीन पर लिटा दिया,...
लग रहा था कुतुबमीनार आसमान चोद रहा हो,... एकदम खड़ा, फनफनाया,...
तभी चंदा की निगाह मेरे पास, मेरे साथ बैठी रेनू पर पड़ी और ननद कौन जो छिनरपना न करे तो चंदा ने छिनरपना कर दिया, वो देख रही थी, रेनू मेरे साथ बैठी है खूब चिपक के और जिस तरह से अपने भैया से नैन मटक्का कर रही है, समझ गयी और बोली वो मुझसे लेकिन निशाने पर कमल की बहिनिया थी
" भौजी, हाथ भर क खूंटा नहीं होता, ये तो बिजली क खम्भा है, लेकिन भौजी क बात, चढ़ जाएंगे हम,... पर तनी वो खम्भे वाली की बहिनिया से कहिये की अपने भैया के मूसल में चूस चास के,... "
वो चैलेन्ज था मेरे लिए भी रेनू के लिए भी,...
और में जानती थी कित्त्ता मुश्किल काम था उसके लिए आज पहली बार तो अपने भैया के खूंटे से दोस्ती हुयी, पहली बार चुनमुनिया का घूंघट उठा, और आज सबके सामने ये पहाड़ी आलू ऐसा मोटा , अपने भैया का सुपाड़ा ले के चूसे,...
लेकिन वो समझ रही थी नाक का सवाल था और सिर्फ उसकी नहीं मेरी भी,... और थोड़ी देर पहले ही उसने नीलू को उसके भैया का कमल का खूंटा मुंह में लिए देखा था, और मैंने भी इशारा किया, पहले जीभ निकाल के अपने होंठों को चाट कर खूब थूक लगा कर, और फिर बड़ा सा मुंह खोल के,...
भाइयों के मामले में उनकी बहने तुरंत समझ जाती हैं और रेनू भी समझ गयी मुंह में ढेर सारा थूक भर के पहले उसने बड़ी देर तक अपने भैया सुपाड़े को खूब प्यार से थूक लगा लगा के चाटा और फिर जैसे मैंने बड़ा सा मुंह खोल के दिखाया था उसी तरह पूरी ताकत से मुंह खोल के सुपाड़े को,
लेकिन बहुत ही मोटा था, और जहाँ सबसे मोटा था बीचोबीच जा कर अटक गया,... ताना मारने का मौका कौन ननद छोड़ती है तो चंदा भी चिढ़ा के बोली, बात उसने रेनू की की,....लेकिन निशाना कही और था,
" अरे भौजी उसकी बहिनिया तो इतना चाकर मुंह खोल के नहीं घोंट रही है तो,... "
और मेरे अंदर की भौजाई जागृत हो गयी. मैंने रेनू का सर पकड़ के कस के दबाया,....
वो गो गो करती रही, गाल उसका एकदम फूल गया आँखे बाहर उबल रही थीं, लेकिन सिर्फ मैं ही नहीं दबा रही थी, रेनू भी अपनी ओर से पूरी तरह कोशिश कर रही थी,... थोड़ी देर बस थोड़ी ताकत और लगा मैं हलके हलके बोल के रेनू की हिम्मत बढ़ा रही थी,... अभी एक बार सबके सामने घोंट लेगी तो फिर झिझक और हदस दोनों निकल जायेगी,...
एक एक सूत अंदर जा रहा था,...
और गपाक
पूरा सुपाड़ा अंदर,...
और उसके आगे का चर्म दंड तो उससे कम ही चौड़ा होगा, मैंने जोर और बढ़ाया आधे से ज्यादा अंदर हो गया था, ६ इंच के करीब,... और अब सुपाड़ा हलक में अटका था, बस इसी बात का चक्कर था गैग रिफ्लेक्स, वो हुआ भी
रेनू की हालत बहुत ख़राब थी, लेकिन मैंने प्रेशर कम नहीं किया, और थोड़ी देर में वो भी पार हो गया,... मैंने सर पर से हाथ हटा दिया
और रेनू अभी भी चूस रही थी एक हाथ से अपने भाई कमल का लंड पकडे, मुंह से लार गिर रही थी, चेहरा एकदम लाल हो गया था,...
मैंने विजयी भाव से चंदा की ओर देखा,
अब वो क्या करती, ... रेनू ने मुंह हटा लिया, उसका भैया प्यार से, तारीफ़ से अपनी छोटी बहन को देख रहा था,...
चंदा तो सदाबर्त चलाती थी सबको बांटती थी,... दोनों हाथों से अपनी चूत की फांको को फैला के सुपाड़े से सटा दिया लेकिन मैंने आँख से कमल को इशारा कर दिया था की वो नीचे से धक्का जरा भी न मारे और ऐन मौके पे कमर हिला के लंड सरका दे,...
वही हुआ, चार पांच बार कोशिश कर के भी वो नहीं ले पायी, तो फिर मैंने बड़े प्यारसे समझाया,
" अरे यार कुछ नहीं चल मैं और रेनुआ भी तेरी हेल्प करते हैं , मेरे देवर और उसके भाई का फायदा है तो हमारी भी तो जिम्मेदारी है, बस एक बार हट के दुबारा सटाओ और रेनू तुम नीचे से खूंटा पकड़ लो और चंदा के छेद में सटा देना, और मैं ऊपर से जोर लगाउंगी,"
हुआ वही लेकिन चंदा जोर से चिल्लाई,
मेरी और रेनू की मिली जुली बदमाशी. बदमाशी तो मेरी थी और रेनू मेरे इशारे पर काम कर रही थी लेकिन मन उसका भी कर रहा था, अब वह एकदम अपने भैया की तरफ से सोच रही थी,
मैंने आँख से इशारा किया और रेनू ने अपने भैया का खूंटा, चंदा के बजाय अगवाड़े के पिछवाड़े के छेद पर सेट कर दिया, दोनों हाथों से छेद भी फैला दिया, और मैंने उसी समय अपनी पूरी ताकत चंदा ननदिया के कंधे पर लगा दिया, पूरी ताकत से प्रेस कर आंख मार के कमल को भी इशारा किया.
वो मेरी और रेनू की बदमाशी समझ गया, और मुस्करा के उसने कस के अपने दोनों हाथों से चंदा की कमर पकड़ के अपनी ओर पुल करना शुरू किया और उसी जोर से नीचे से धक्का लगाया, ... रेनू ने कस के अपने भाई का खूंटा चंदा के पिछवाड़े सटा रखा था
उयी ओह्ह्ह्हह्ह नाहीईईई उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़
जोर से चंदा चीखी,.. जबतक वो समझी आधे से ज्यादा सुपाड़ा अंदर था, और ऊपर से मेरा पुश करना और नीचे से कमल का चंदा की कमर पकड़ के पुल करना जारी था,
चंदा का पिछवाड़ा और कमल का खूंटा
१४,७८, ९२०
रेनुआ थोड़ी शरमाई, थोड़ा मुस्करायी, और उस झुण्ड से हट के मेरे पास आ गयी,... और कमल से चिपक के बैठ गयी जिससे जो गाँव वालियां उसके भाई को ताना मारती थी, की पहले घर के माल को पटाओ सब को पता चल जाए, माल पट भी गया, सट भी गया और फट भी गया,
और जिस ललचायी निगाह से वो अपने भैया के तने खूंटे को देख रही थी, सब लोग समझ गए थे की जिसके बारे में सोच के कमल की बहिनिया हदस जाती है अब उसी के लिए उस के उस के ऊपर और नीचे दोनों मुंह में लार टपक रही है,...
लेकिन मेरी परेशानी दूसरी थी, इत्ता मस्त खूंटा खड़ा था और कोई स्साली ननद छिनार नज़र नहीं आ रही थी, लेकिन बिल्ली के भाग से छीका टूटा,
और चंदा दिखी,..
"हे मेरे सारे देवरों का खूंटा घोंट चुकी हो, तुम्हारा असली इम्तहान, चढ़ जाओ इस खूंटे पे ,"मैंने चंदा को उकसाया
और कमल को धक्का देके मैंने जमीन पर लिटा दिया,...
लग रहा था कुतुबमीनार आसमान चोद रहा हो,... एकदम खड़ा, फनफनाया,...
तभी चंदा की निगाह मेरे पास, मेरे साथ बैठी रेनू पर पड़ी और ननद कौन जो छिनरपना न करे तो चंदा ने छिनरपना कर दिया, वो देख रही थी, रेनू मेरे साथ बैठी है खूब चिपक के और जिस तरह से अपने भैया से नैन मटक्का कर रही है, समझ गयी और बोली वो मुझसे लेकिन निशाने पर कमल की बहिनिया थी
" भौजी, हाथ भर क खूंटा नहीं होता, ये तो बिजली क खम्भा है, लेकिन भौजी क बात, चढ़ जाएंगे हम,... पर तनी वो खम्भे वाली की बहिनिया से कहिये की अपने भैया के मूसल में चूस चास के,... "
वो चैलेन्ज था मेरे लिए भी रेनू के लिए भी,...
और में जानती थी कित्त्ता मुश्किल काम था उसके लिए आज पहली बार तो अपने भैया के खूंटे से दोस्ती हुयी, पहली बार चुनमुनिया का घूंघट उठा, और आज सबके सामने ये पहाड़ी आलू ऐसा मोटा , अपने भैया का सुपाड़ा ले के चूसे,...
लेकिन वो समझ रही थी नाक का सवाल था और सिर्फ उसकी नहीं मेरी भी,... और थोड़ी देर पहले ही उसने नीलू को उसके भैया का कमल का खूंटा मुंह में लिए देखा था, और मैंने भी इशारा किया, पहले जीभ निकाल के अपने होंठों को चाट कर खूब थूक लगा कर, और फिर बड़ा सा मुंह खोल के,...
भाइयों के मामले में उनकी बहने तुरंत समझ जाती हैं और रेनू भी समझ गयी मुंह में ढेर सारा थूक भर के पहले उसने बड़ी देर तक अपने भैया सुपाड़े को खूब प्यार से थूक लगा लगा के चाटा और फिर जैसे मैंने बड़ा सा मुंह खोल के दिखाया था उसी तरह पूरी ताकत से मुंह खोल के सुपाड़े को,
लेकिन बहुत ही मोटा था, और जहाँ सबसे मोटा था बीचोबीच जा कर अटक गया,... ताना मारने का मौका कौन ननद छोड़ती है तो चंदा भी चिढ़ा के बोली, बात उसने रेनू की की,....लेकिन निशाना कही और था,
" अरे भौजी उसकी बहिनिया तो इतना चाकर मुंह खोल के नहीं घोंट रही है तो,... "
और मेरे अंदर की भौजाई जागृत हो गयी. मैंने रेनू का सर पकड़ के कस के दबाया,....
वो गो गो करती रही, गाल उसका एकदम फूल गया आँखे बाहर उबल रही थीं, लेकिन सिर्फ मैं ही नहीं दबा रही थी, रेनू भी अपनी ओर से पूरी तरह कोशिश कर रही थी,... थोड़ी देर बस थोड़ी ताकत और लगा मैं हलके हलके बोल के रेनू की हिम्मत बढ़ा रही थी,... अभी एक बार सबके सामने घोंट लेगी तो फिर झिझक और हदस दोनों निकल जायेगी,...
एक एक सूत अंदर जा रहा था,...
और गपाक
पूरा सुपाड़ा अंदर,...
और उसके आगे का चर्म दंड तो उससे कम ही चौड़ा होगा, मैंने जोर और बढ़ाया आधे से ज्यादा अंदर हो गया था, ६ इंच के करीब,... और अब सुपाड़ा हलक में अटका था, बस इसी बात का चक्कर था गैग रिफ्लेक्स, वो हुआ भी
रेनू की हालत बहुत ख़राब थी, लेकिन मैंने प्रेशर कम नहीं किया, और थोड़ी देर में वो भी पार हो गया,... मैंने सर पर से हाथ हटा दिया
और रेनू अभी भी चूस रही थी एक हाथ से अपने भाई कमल का लंड पकडे, मुंह से लार गिर रही थी, चेहरा एकदम लाल हो गया था,...
मैंने विजयी भाव से चंदा की ओर देखा,
अब वो क्या करती, ... रेनू ने मुंह हटा लिया, उसका भैया प्यार से, तारीफ़ से अपनी छोटी बहन को देख रहा था,...
चंदा तो सदाबर्त चलाती थी सबको बांटती थी,... दोनों हाथों से अपनी चूत की फांको को फैला के सुपाड़े से सटा दिया लेकिन मैंने आँख से कमल को इशारा कर दिया था की वो नीचे से धक्का जरा भी न मारे और ऐन मौके पे कमर हिला के लंड सरका दे,...
वही हुआ, चार पांच बार कोशिश कर के भी वो नहीं ले पायी, तो फिर मैंने बड़े प्यारसे समझाया,
" अरे यार कुछ नहीं चल मैं और रेनुआ भी तेरी हेल्प करते हैं , मेरे देवर और उसके भाई का फायदा है तो हमारी भी तो जिम्मेदारी है, बस एक बार हट के दुबारा सटाओ और रेनू तुम नीचे से खूंटा पकड़ लो और चंदा के छेद में सटा देना, और मैं ऊपर से जोर लगाउंगी,"
हुआ वही लेकिन चंदा जोर से चिल्लाई,
मेरी और रेनू की मिली जुली बदमाशी. बदमाशी तो मेरी थी और रेनू मेरे इशारे पर काम कर रही थी लेकिन मन उसका भी कर रहा था, अब वह एकदम अपने भैया की तरफ से सोच रही थी,
मैंने आँख से इशारा किया और रेनू ने अपने भैया का खूंटा, चंदा के बजाय अगवाड़े के पिछवाड़े के छेद पर सेट कर दिया, दोनों हाथों से छेद भी फैला दिया, और मैंने उसी समय अपनी पूरी ताकत चंदा ननदिया के कंधे पर लगा दिया, पूरी ताकत से प्रेस कर आंख मार के कमल को भी इशारा किया.
वो मेरी और रेनू की बदमाशी समझ गया, और मुस्करा के उसने कस के अपने दोनों हाथों से चंदा की कमर पकड़ के अपनी ओर पुल करना शुरू किया और उसी जोर से नीचे से धक्का लगाया, ... रेनू ने कस के अपने भाई का खूंटा चंदा के पिछवाड़े सटा रखा था
उयी ओह्ह्ह्हह्ह नाहीईईई उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़
जोर से चंदा चीखी,.. जबतक वो समझी आधे से ज्यादा सुपाड़ा अंदर था, और ऊपर से मेरा पुश करना और नीचे से कमल का चंदा की कमर पकड़ के पुल करना जारी था,
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