Random2022
Active Member
- 540
- 1,281
- 123
esi garam or masti bhari baaten nanad or bhabhiyon ke bich to asli maja deti hai story me,चैलेन्ज
बात बदलने और काटने में नीलू का कोई मुकाबला नहीं था, हँसते हुए वो बोली,... ठीक है जो बहिन नहीं चोदा होगा ओके का इनाम मिलेगा, ... भौजाई सब चोदवायेंगी का,... अरे फागुन ख़तम हो रहा है,... नयकी भौजी सोच ला आज तोहार कुल देवर मुठियाय रहे हैं दो दर्जन से उपर देवर हैं, अगवाड़ा, पिछवाड़ा, एक साथ की बारी बारी से, ... "
कम्मो बैठी हुयी थी, उठा नहीं जा रहा था, उसके सगे भाई पंकज ने इतनी जबरदस्त अपनी छोटी बहन की कच्ची कोरी बिल फाड़ी थी, अभी भी मलाई जमी हुयी थी, लेकिन ननद मतलब छिनार, बिना बोले कैसे रहती, नीलू की बात जवाब उसी ने दिया। कबड्डी में भी वो मेरे पीछे पड़ी थी गरियाने में।
" अरे नीलू दीदी, बारी बारी से तो बहुत टाइम लगेगा, हमरे नयकी भौजी को समझत का हो, बड़ी निक हैं सबका मन रखेंगी एक साथ तीन तीन, तीनो छेद में और दो को मुठियायेंगी, हर देवर को हर छेद क मज़ा। उनकर महतारी भेजी हैं इसलिए। "
अब मैं मैदान में आ गयी,... नीलू को चिढ़ाते बोली,..
" अरे कान बुर और गाँड़ तीनो खुल के सुन ला, तीन बात, तीन महीना में तो हमरे देवर को छोड़ के ससुरार चली जाओगी अपने देवर नन्दोई से पेलवाने तो का हमार देवर बेचारे मुट्ठ मार के काम चलाएंगे,...
दूसरी बात देवर भौजाई का फागुन महीना भर क नहीं साल भर क होता है,... और तीसरी बात,... और फागुन में जउन देवर भौजाई से पूछता है न की भौजी देबू की ना तो ओह देवर क हम पहले निहुराय के गाँड़ मार लेती हूँ, मिर्चहवा अचार क तेल लगाया के,... अरे हमार बाप महतारी दान दहेज़ दे के , दस बार समझा के काहें भेजें हैं यह गाँव,...
और जहाँ तक नंदों का सवाल है , तो अपने भाई से बहुत चुदवाय ली तुम सब अब अगले हफ्ते से हम सब के भाई का नंबर है '
देवर सब बहुत खुस जोर से खूब हो हो हुआ
लेकिन यह गाँव क ननदें सब एक छिनार जब तक मोट और लम्बा मुंह में घुसता नहीं है, मुंह बंद नहीं होता, चंदा हाथ उठा के मुझसे बोली,
" अरे नयकी भौजी बुलवा लीजिये, ... और एक हफ्ते का कौन सांडे का तेल लगा के सहला के खड़ा कर रहे हैं का सब,... एक हफ्ते की जगह कल ही बुलवा लीजिये सीधी ट्रेन आती है, अपने भाइयों को तो रोज देते हैं हम सब, आप लोगों के भाई को भी दे देंगे, आखिर आप अपना शहर छोड़ हम लोगों के गाँव आयी है हम लोगन भाई से मरवाने तो,... हम ननदें भी आप के भाइयों को,... "
और भौजाइयों के हल्ले में चंदा की आगे की बात दब गयी।
तय यह हुआ की जो कच्ची कलियाँ, जिनकी आज पहली बार फटी है दो तीन बार चुद चुकी हैं खड़ा नहीं हुआ जा रहा है , अब उनके साथ नहीं,.. हाँ उनका खुद का मन हो तो बात अलग है ,
अब बस मन मर्जी होगी और कोई नियम क़ानून नहीं एक साथ दो तीन जितना चढ़ना चाहे,.. दस ग्यारह ननदें तो वो थीं जिनकी पहली बार फटी थी, हालत खराब थी। वो अब मैदान में नहीं होंगी तो बस छह सात ही बचीं और देवर तो दस बारह से ज्यादा ही तो इसलिए डबलिंग और उसमें भी जेंडर का भेद नहीं एक एक ननद के ऊपर देवर और भौजाई दोनों चढ़ सकते हैं,... फिर ननद भौजाई भी,...
असली खेल तो अब शुरू होना था,
चमेलिया -गुलबिया ने सब देवरों को अपने हाथ दूबे भाभी का पेसल लड्डू खिलाया और खेल शुरू हो गया।
नीलू ने आज मेरी बड़ी हेल्प की थी, सिर्फ नीलू ने क्यों जितनी थोड़ी बड़ी ननदें थीं ११-१२ में पढ़ने वाली, सबने कच्ची कलियों की फड़वाने में उन्हें पटा के समझा बुझा के घर से लाने में
तभी आज दर्जन भर से ऊपर ननदों की नथ उतरी और ज्यादा तर की उनके भैया से ही,..
लेकिन नीलू ने खुद चुन्नू के ऊपर चढ़ के मेरे देवर को न सिर्फ चोदा बल्कि उसकी झिझक दूर के उसे चोदू बनाया,
अभी एक दिन पहले तक तो चुन्नू कितना झिझकता था, शर्माने में उसके तो लड़कियां मात, चार दिन पहले तो हाईस्कूल का इम्तहान ख़तम हुआ था, कल ही मैंने करीब करीब जबरन चुन्नू के ऊपर चढ़ के उसकी नथ उतारी थी
और चुन्नू ने अपनी उस बहन बेला के ऊपर जो हर साल उसे राखी बांधती थी, उसके ऊपर चढ़ के उसकी कुँवारी गुल्लक फोड़ दी. मुझे डर बेला से नहीं थी, लड़कियां हरदम ज्यादा हिम्मत दिखाती थीं परेशानी चुन्नू जैसे लड़कों से थी जिनका मन तो करता है लेकिन अच्छे बच्चे बने रहने के चक्कर में अपने खोल से बाहर नहीं निकलते,
और नीलू से बढ़ कर कौन होती उसकी धड़क खोलने वाली,
मैंने पंकज ( कम्मो के भाई ) और उसको एक दोस्त को ललकारा,