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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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अब तंबू-कनात एक तरफ और हवा पानी की शुरुआत...एकदम सही कहा आपने
घुसाने वाले तो बड़े दिन से चक्कर में पड़े थे लेकिन वो ऐसा तम्बू कनात में बंद रखती थी, पर अब बगिया की धूप हवा लग गयी है, होंठों को स्वाद लग गया है तो खुद ही
और सिर्फ खुद नहीं, अपनी पठान टोले वाली बाकी सहेलियों को भी नया स्वाद लगवायेगी, और ऊपर से सुगना भाभी का साथ।
बल्कि कुछ तो कहेंगी...अरे बाकी पठान टोली वालियों की भी खुलेंगी, और तीनो छेद खुलेंगे,
बाईसपुरवा के लड़के छेद छेद में भेद नहीं करते,
कुछ के बहला फुसला के, कुछ के मना के, कुछ तो खुद खोल के आयंगी खुलवाने और कुछ के,...
बस पाठक गण साथ दें, आप उत्साह दें तो बस आगे आगे देखिएगा
कल्पनाओं में सतरंगी रंग बिखेर दिए...एकदम और सारी पठान टोलेवालियाँ, सब की फटेगी और हिना से भी ज्यादा जोर से
जितना पिसेगी... उतना हीं हीना का रंग पक्का होगा..रंग लाती है हिना पिसने के बाद
और कमल और पंकज तो पीस ही चुके हैं बाकी भी पीसने मीसने के लिए तैयार बैठे हैं।
पर्दा उठते हीं सबको सलाम करते हैं...बाईसपुरवा वाले लौंडे तो कब से तैयार है
अब सुगना भौजी और हिना की मदद से बाकी के बुरके खुलें,
पर्दा खुले सलाम हो जाए
कमसिन और नमकीन भी...सब की सब एक से एक गोरी चिकनी कमसिन
और खजाना भी उसी तरह का, चिकना
हिसाब किताब में कोई कंजूसी नहीं...और अब तो पठान टोलियों वाला का भी हिसाब चुकता होना है
कुछ नजारे तो देवर-भौजाई के होली में भी होंगे...ये भी कोई पूछने की बात है
और देवर भौजाई का फागुन तो साल भर चलता है
ओह .. फिर से दुबारा पढ़ना पड़ेगा....बहुत संक्षेप में था बस दो चार लाइनों में
असली जोड़ी तो चुन्नू और बेला की थी नीलू ने बस उसे तैयार किया और कॉन्फिडेंस बढ़ाया
चुन्नू ने अपना सफ़ेद चूना हीना के मुँह के अंदर लगा दिया...एकदम चुन्नू के जोश का तभी तो ये हाल था जो उसने सीधे हिना से अपनी बंसी बजवाई और इनाम में सारी रबड़ी मलाई हिना के मुंह में