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फागुन के दिन चार मैंने पोस्ट करनी शुरू कर दी है, शुरू में कुछ प्रणय प्रसंग की झलकियां है, कुछ मीठी छेड़ छाड़, कुछ कैशोर्य के प्रेम की बेल चढ़ने के दिनों के,Dono nandiya le pichhvade ki thukai to kamal ke khute ki PHD ho gai. Par jo gariya ke daulog hena. Pagal hi kar deti ho. Geet aur gariyane ki to me deewani hu.
Ek to ye seen create
चंदा सब मेरी ननदों की तरह जनम की चुदवासी, सात पुश्त की रंडी, पैदायशी छिनार, गाँड़ में मोटे मोटे चींटे काट रहे थे, तड़प के बोली
aur ye gariya
1).
2).
Kya conversation he. Aap to pagal hi kar doge.
आपकी उपस्थिति प्रार्थनीय है।