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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
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ननद की सास, और सास का प्लान
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द्वंद और कामना का समावेश...पृष्ठ ११८० ( जोरू का गुलाम ) पर आरुषि जी उकृष्ट चित्रमयी काव्य कथा पति -पत्नी और मिंत्र
इसके बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाना होगा , पहली चार लाइनों से ही आने वाली स्थिति का अंदाज लग जाता है
मेरा एक परम मित्र है जो ऑफिस में है मेरा सहकर्मी
आजकल अपनी बीवी की नहीं बुझा पता है वो गर्मी
पिछले कुछ महीनों से उनमें हो रही थी खूब लड़ायी
ज्योति की योनि छूते ही मुरली बहा देता था मलाई
बस पृष्ठ ११८० पर जाएँ पढ़ें और पढ़ कर कैसा लगा जरूर बताएं।
https://exforum.live/threads/जोरू-का-गुलाम-उर्फ़-जे-के-जी.12614/page-1180
Going down to the memory lane.फागुन के दिन चार
फागुन अभी लगा नहीं , लेकिन दस्तक दे रहा है , और मुझे लगा यही सही समय है फागुन के दिन चार को पोस्ट करने का।
लिंक भी दे रही हूँ और थोड़ा इस कहानी के बारे में
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" फागुन के दिन चार " मेरी लम्बी कहानी बल्कि यूँ कहें की उपन्यास है। इसका काल क्रम २१ वी शताब्दी के शुरू के दशक हैं, दूसरे दशक की शुरुआत लेकिन फ्लैश बैक में यह कहानी २१ वीं सदी के पहले के दशक में भी जाती है.
कहानी की लोकेशन, बनारस और पूर्वी उत्तरप्रदेश से जुडी है, बड़ोदा ( वड़ोदरा ) और बॉम्बे ( मुंबई ) तक फैली है और कुछ हिस्सों में देश के बाहर भी आस पास चली आती है। मेरा मानना है की कहानी और उसके पात्र किसी शून्य में नहीं होने चाहिए, वह जहां रहते हैं, जिस काल क्रम में रहते हैं, उनकी जो अपनी आयु होती है वो उनके नजरिये को , बोलने को प्रभावित करती है और वो बात एक भले ही हम सेक्सुअल फैंटेसी ही लिख रहे हों उसका ध्यान रखने की कम से कम कोशिश करनी चाहिए।
लेकिन इसके साथ ही कहानी को कुछ सार्वभौम सत्य, समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है और होना चाहिए।
जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कहानी फागुन में शुरू होती है और फागुन हो, बनारस हो फगुनाहट भी होगी, होली बिफोर होली भी होगी।
लेकिन होली के साथ एक रक्तरंजित होली की आशंका भी क्षितिज पर है और यह कहानी उन दोनों के बीच चलती है इसलिए इसमें इरोटिका भी है और थ्रिलर भी जीवन की जीवंतता भी और जीवन के साथ जुडी मृत्यु की आशंका भी। इरोटिका का मतलब मेरे लिए सिर्फ देह का संबंध ही नहीं है , वह तो परिणति है। नैनों की भाषा, छेड़छाड़, मनुहार, सजनी का साजन पर अधिकार, सब कुछ उसी ' इरोटिका ' या श्रृंगार रस का अंग है। इसलिए मैं यह कहानी इरोटिका श्रेणी में मैं रख रही हूँ .
और इस कहानी में लोकगीत भी हैं, फ़िल्मी गाने भी हैं, कवितायें भी है
पर जीवन के उस राग रंग रस को बचाये रखने के लिए लड़ाई भी लड़नी होती है जो अक्सर हमें पता नहीं होती और उस लड़ाई का थ्रिलर के रूप में अंश भी है इस कहानी में।
तो यह थ्रेड इन्तजार कर रहा है आपके साथ का, प्यार का दुलार का आशीष का दुआओं का
कुछ नजारा मिल जाए इसलिए इस थ्रेड के शुरू करने के साथ मैंने आने वालो भागों की कुछ झलकियां भी शेयर की है
और इस भाग में तीन प्रंसग है, बनारस की शाम, सुबहे बनारस और बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम,
तो पधारे इस थ्रेड पर आशीष दें, और इन झलकियों पर भी अपना मंतव्य रखे
प्रतीक्षारत
https://exforum.live/threads/फागुन-के-दिन-चार.126857/
पूनम के चाँद पर तो ज्वार-भाटा भी उठा करते हैं...Abhi to Chanda raani ka Poonam ka chaand aisa hoga thanks for nice comments
मिशन पठानटोले वालियां...
और शमा तो निश्चित हीं रोमांचक और मनपसंद होगा (पठानटोले वालियों के लिए) साथ में रीडर्स भी अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाएंगे...
घोड़ों की बात आपने एकदम सही कहीमिशन पठानटोले वालियां...
और शमा तो निश्चित हीं रोमांचक और मनपसंद होगा (पठानटोले वालियों के लिए) साथ में रीडर्स भी अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाएंगे...
अब तम्बू कनात का सवाल ही नहीं सब कुछ एकदम खुले मेंअब तंबू-कनात एक तरफ और हवा पानी की शुरुआत...
खास करके गाढ़े पानी की....
भौजाइयां तो देवर को गौने की रात में देवरानी तक पहुंचाती भर हैं, आगे का कार्यक्रम तो देवर ही करता है।पर्दा उठते हीं सबको सलाम करते हैं...
लेकिन सारी मदद केवल भौजाइयों से हीं.
खुद के वश में कुछ नहीं...
कुछ तो चंट छोकरे होंगे... जो लाग लपेट के...
एकदम होंगे और हाल खुलासा बयान होगाकुछ नजारे तो देवर-भौजाई के होली में भी होंगे...