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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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और नीलू और लीला का वो वैसे ही बियाह हो चूका है, तीन महीने में जेठ में गौना है और होलिका माई का आसीर्बाद भी है दोनों को की तीन महीने में ही पेट फुला लेंगीं। तो बस गाँव के लौंडो से ही पेट फुलवा के गौने जाएँ, अगले दिन से उलटी शुरू और सात आठ महीने में नतीजा सामने, सास को कहने क मौका न मिले की कब पोती पोता का मुंह देखने को मिलेगा।

इस फुलवाने की बात ने तो फुलवा की याद ताजा कर दी..
क्या पता कैसी है फुलवा... और अरविंदवा का बच्चा..
फुलवा मस्त है, बच्चा भी बड़ा हो रहा है। हो सकेगा तो इस कहानी में फिर एक बार उससे मुलाकात करवाउंगी।
 

komaalrani

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इस हरी मिर्च को तो .. शी शी.. करके चखा जाएगा....
शमा के लिए कुछ पेशल इंतजाम होगा, कोरी है और तीखी हरी मिर्च , और मिर्च कितनी भी तीखी हो कुतरी तो जाती ही है।
 

komaalrani

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कुछ रीझ के तो कुछ रीझा के...
आखिर जाएंगी कहाँ...
बस टसुए बहा के...
फड़वाएंगी यहाँ...
टसुए बहने के डर से, चीख पुकार से पीछे हट के अगर लौंडे रुक गए न ,

अरे जब खून खच्चर होने से भी ठेलने वाला नहीं रुकता तो ,

एकदम सही कहा आपने कुछ रीझ के कुछ रिझा के और बाकी जो भी बचीं उनके साथ,...
 

komaalrani

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इसी दर्द में मजा लेना .. तो कुछ विशिष्ट छोकरियों की पहचान है...

" चाची, पिछली बार तो एकदम बतिया थी ये "

" अरे पगली खाली बेटियां थोड़ी बड़ी होती हैं, " पंडिताइन चाची हंसने की कोशिश करते बोलीं और आँचल की कोर से आंसू का एक कतरा पोंछ लिया।


आपकी कहानी एक साथ कई लेयर पर चल रही होती है...
कभी हँसते हँसते रोना... और कभी रोते रोते हँसना... मन के भावों को अतीत के दर्पण से आँखों से झलकना...
और समाज के रीति रिवाज को .. अपनी बेबसी को हँस के सब कुछ समझा देना....
🙏🙏
 

komaalrani

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ओह्ह्ह.. ये तो कम होगा... या तो कंटेंट बढाएं या फ्रीक्वेंसी...
अगर सेक्स सीन में कुछ एडिशन संभव हो तो....
पोस्ट करनी मैंने शुरू कर दी है और हफ्ते का गैप पाठको का ध्यान रख के

कई बार सारी पोस्टों को पढ़ने के लिए उन्हें भी तो टाइम लगता है, फिर तीन कहानियां सब में अगर महीने में तीन तीन पोस्ट भी आ पायीं तो ९ पोस्ट्स

यानी एक हफ्ते में दो से ज्यादा,

कांटेट का जहां तक सवाल है जोरू का गुलाम की पिछली पोस्ट ९, ००० शब्दों की थी।

और फागुन के दिन चार में मैंने सोचा कॉपी पेस्ट से काम चल जाएगा, ... लेकिन उसमे भी काफी रफ़ूगीरी करनी पड़ रही है, पहला भाग तो मैंने पोस्ट कर दिया अब देखिये व्यूज और कमेंट्स कैसे आते हैं।
 

komaalrani

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पढ़ने वाले तो हजारों में होंगे...
लेकिन कमेंट करने वालों के विषय में कह नहीं सकता... उम्मीदन दस से ज्यादा ...
उम्मीद पे दुनिया कायम है।

मेरी उम्मीद है की कुछ नए पाठक भी आएं, कुछ उनमे से कमेंट करने वाले भी आएं

आखिर उम्मीद करने पे क्या जाता है , नाउम्मीदी ही तो मिलती है बस।
 

Lakshmanain

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मेरी नयी कहानी फागुन के दिन चार पढ़ें, उम्मीद है पसंद आएगी। आज ही से पोस्ट करना शुरू की है लिंक शेयर कर रही हूँ

मेरी नयी कहानी फागुन के दिन चार पढ़ें, उम्मीद है पसंद आएगी। आज ही से पोस्ट करना शुरू की है लिंक शेयर कर रही हूँ
कोमल मैं आपके जो लिखावट है उसका बहुत प्रशंसक करते हैं लेकिन हम जैसे मूवी देखते हैं उसी की तरह हम कहानी भी पढ़ते हैं जैसे मूवी में लोग हीरो हीरोइन के ऊपर फोकस करते हैं वैसे ही कहानी में भी फोकस करते हैं लेकिन कोमल मैं आप लोग मेंन किरदार की गांड मार कर उसकी कहानी को हिट बनाने में लगे रहते हो जैसे मेंन किरदार का लिंग छोटा रखना और दूसरों पुरुषों का लिंग बड़ा रखना जो कहानी पढ़ने से मन हटाने लगता है जैसे मूवी में हीरो को इतना ताकत दिया जाता है जैसी फिल्म रहती है और यह तो सेक्स कहानी है जो इसमें ताकत क्या दी जाती है आपसे अच्छा कौन जान सकता है आपके अभी तक जितनी कहानी पड़ा शुरू शुरू में सब अच्छी लगी लेकिन पूरा कहानी आपका कभी नहीं पड़ा जब मेंन किरदार के बात करता हूं तो और पाठक कहते हैं मैंन किरदार कहां दिखा कोमल मैं बस पाठकों के यही कहूंगा जिस पर कहानी बनती वही मेंन किरदार होता है फागुन का दिन चार जो पहले अपडेट किए थे जिसमें मेंन किरदार कोमल मैं नहीं होता वह कहानी ही नहीं पढ़ते हैं फागुन के तीन चार में आनंद यही मेंन किरदार है कि और कोई है और उनके कजिन का क्या नाम है
 

komaalrani

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कोमल मैं आपके जो लिखावट है उसका बहुत प्रशंसक करते हैं लेकिन हम जैसे मूवी देखते हैं उसी की तरह हम कहानी भी पढ़ते हैं जैसे मूवी में लोग हीरो हीरोइन के ऊपर फोकस करते हैं वैसे ही कहानी में भी फोकस करते हैं लेकिन कोमल मैं आप लोग मेंन किरदार की गांड मार कर उसकी कहानी को हिट बनाने में लगे रहते हो जैसे मेंन किरदार का लिंग छोटा रखना और दूसरों पुरुषों का लिंग बड़ा रखना जो कहानी पढ़ने से मन हटाने लगता है जैसे मूवी में हीरो को इतना ताकत दिया जाता है जैसी फिल्म रहती है और यह तो सेक्स कहानी है जो इसमें ताकत क्या दी जाती है आपसे अच्छा कौन जान सकता है आपके अभी तक जितनी कहानी पड़ा शुरू शुरू में सब अच्छी लगी लेकिन पूरा कहानी आपका कभी नहीं पड़ा जब मेंन किरदार के बात करता हूं तो और पाठक कहते हैं मैंन किरदार कहां दिखा कोमल मैं बस पाठकों के यही कहूंगा जिस पर कहानी बनती वही मेंन किरदार होता है फागुन का दिन चार जो पहले अपडेट किए थे जिसमें मेंन किरदार कोमल मैं नहीं होता वह कहानी ही नहीं पढ़ते हैं फागुन के तीन चार में आनंद यही मेंन किरदार है कि और कोई है और उनके कजिन का क्या नाम है
कहानी पढियेगा तो सब पता चल जाएगा, अगर पूरी कहानी कमेंट्स में ही बता दूँ तो कहानी का क्या मज़ा
 

Lakshmanain

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कहानी पढियेगा तो सब पता चल जाएगा, अगर पूरी कहानी कमेंट्स में ही बता दूँ तो कहानी का क्या मज़ा
कोमल मैं इसलिए पूछा था कि मैंने किरदार को ही लेकर पढ़ते हैं कल कोई कहेगा कि हीरोइन पर कहानी गाड़ी गई है इसलिए जोरू के गुलाम में देखने को मिला था जो शुरू में मैंन किरदार होता है उसमें उसी के गांड मार दिया जाता है इसलिए पूछा कोमल मैं
 

exforum

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कोमल मैं आपके जो लिखावट है उसका बहुत प्रशंसक करते हैं लेकिन हम जैसे मूवी देखते हैं उसी की तरह हम कहानी भी पढ़ते हैं जैसे मूवी में लोग हीरो हीरोइन के ऊपर फोकस करते हैं वैसे ही कहानी में भी फोकस करते हैं लेकिन कोमल मैं आप लोग मेंन किरदार की गांड मार कर उसकी कहानी को हिट बनाने में लगे रहते हो जैसे मेंन किरदार का लिंग छोटा रखना और दूसरों पुरुषों का लिंग बड़ा रखना जो कहानी पढ़ने से मन हटाने लगता है जैसे मूवी में हीरो को इतना ताकत दिया जाता है जैसी फिल्म रहती है और यह तो सेक्स कहानी है जो इसमें ताकत क्या दी जाती है आपसे अच्छा कौन जान सकता है आपके अभी तक जितनी कहानी पड़ा शुरू शुरू में सब अच्छी लगी लेकिन पूरा कहानी आपका कभी नहीं पड़ा जब मेंन किरदार के बात करता हूं तो और पाठक कहते हैं मैंन किरदार कहां दिखा कोमल मैं बस पाठकों के यही कहूंगा जिस पर कहानी बनती वही मेंन किरदार होता है फागुन का दिन चार जो पहले अपडेट किए थे जिसमें मेंन किरदार कोमल मैं नहीं होता वह कहानी ही नहीं पढ़ते हैं फागुन के तीन चार में आनंद यही मेंन किरदार है कि और कोई है और उनके कजिन का क्या नाम है
कामुक कहानियों में कोई हीरो नही होता, सर्वाधिक ताकत (बुर, चूंची, गांड़, होंठ) महिला के पास होती है । इसमें चूत ही हीरो है, हीरोइन है, विलेन है। बाकी सारे किरदार चूत के पूरक हैं । कोई उसे मारना चाहता है, कोई उसे रगड़ना चाहता है, कोई चूसना चाहता है, कोई सहलाना चाहता है यानी केंद्र में वही है। वैसे भी कहानी की पृष्ठभूमि ग्रामीण है । और ग्रामीण महिलाओं की बातचीत/किस्से/ कहानी इसी तरह होते हैं शुरू कहीं से होते हैं और खत्म कहीं होते हैं। आपके कहे अनुसार लेखक कहानी लिखे तो बोरियत के सिवा कुछ नही होगा वही घिसी पिटी कहानी बनेगी एक बड़े और मोटे लंड का हीरो है वही सबकी चूत मार रहा है। ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं। किंतु यह कहानी विपरीत दिशा में चल रही है जिसमे एक से अधिक चूत हैं और एक से अधिक लौड़े के इंतजाम हैं । मस्त कहानी चल रही है आनंद लो ।
 
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