- 22,114
- 57,285
- 259
भाग ७९
हिना और दूबे भाभी
15,24,265
जैसे कोई जुगलबंदी चल रही हो, सुगना भौजी ने झट से हिना के गोरे गुलाबी गालों को कस के दबा दिया, चिरैया की चोंच की तरह चियार दिया हिना ने। खुल गया मुंह और घुस गयी कमल और पंकज के वीर्य से लिपटी गुलबिया की उँगलियाँ,
" अरे चाट ले चाट ले , ले ले स्वाद, देखना हफ्ते भर में आँख बंद कर के जीभ से चाट के बता दोगी की किस लौंडे की मलाई है " गुलबिया ने चिढ़ाया।
चुन्नू का तो उसने चाटा भी था पूरी मलाई घोंटी भी थी तो अब इन दोनों का भी , आखिर उस की ही बिल से तो निकली है, हिना मजे ले ले कर सडप सडप गुलबिया की ऊँगली चाट रही थी।
थोड़ी देर में गुलबिया एक बार फिर से हिना की दोनों जाँघों को फैला के चाट रही थी, चूस रही था, और हिना भी इस तरह से सिसक रही थी लगा अब गयी तब गयी,
बाकी लड़कियों को फरक नहीं पड़ रहा था कोई अपने भाई से चिपकी थी जिसने आज फाड़ के उसे जवान किया था तो किसी को दो दो भौजाइयां मिल के रगड़ रही थीं।
दूबे भाभी उस आम के पेड़ के नीचे चबूतरे पर थीं जहाँ कल होलिका माई बैठी थीं और उन्होंने बोला था बाईसपुरवा की सब ननदें भौजाइयों की बातें मानेगी,
गुलबिया अब कस कस के उस पठानटोली वाली की बुर चोद रही थी, बस थोड़ी देर और हिना फचाक से पानी फेंक देती , पांच छह बार उसे किनारे से लौटा लायी थी गुलबिया लेकिन अबकी उसे पार लगा देने वाली थी की तभी आवाज आयी।
दूबे भाभी बुला रही थीं हिना को, ...
--
और कुछ देर बाद
--
जहाँ कल होलिका माई बैठी थीं उसी बड़े आम के पेड़ के नीचे दूबे भाभी बैठी थीं, उनकी गोद में हिना थी और वो कच्ची जिनकी आज पहली बार फटी थी जिनकी बुर में उनके भाई की मलाई अभी बजबजा रही थी, उन सबको बुला बुला कर वो इकठ्ठा कर रही थीं,.. और उन्होंने रेनू को भी बुलाया,... मैंने उसको इशारे से बोला की जा , कमल के पास मैं हूँ,
दूबे भाभी जिस प्यार दुलार से हिना को पुचकार रही थीं, उसकी छोटी छोटी नयी आती चूँचियाँ सहला रहीं थीं, हम सब भौजाइयां समझ रही थी की कन्या रस ज्यादा है और प्यार दुलार कम, लेकिन स्साली माल ही इतनी मस्त थी की मन तो मेरा भी हो रहा था उसकी कच्ची अमिया कुतरने का
आम के जिस खूब पुराने गझिन बड़े पेड़ के नीचे एक ऊँची सी जगह पर दूबे भाभी हिना को लेकर बैठी थीं, कल वहीँ होलिका माई,...
सोच के ही मेरी देह में झुरझुरी सी आ गयी, कुछ तो था उस पेड़ में, उसकी नीचे की जगह में कुछ तो था. हम सब लोग उसके बगल से निकल जाते, थे और सब पेड़ों से पहले उस आम के पेड़ में बौर आते थे, और सबसे ज्यादा, पाला पड़े, तूफ़ान आये, बारिश हो, उसका एक बौर नहीं झड़ता था,... और जैसे ही पहला बौर आये सब औरतें, लाइन लगा के,... गाँव में एकदम परब त्यौहार का मौसम,...
मेरे पहले तो समझ में नहीं आया, लेकिन एक दिन सास ने किस्सा सुनाया, पहिले तो दुल्हन की डोली वहीँ उतरती थी, उसके बाद फिर घर,... बात उनके डोली उतरने के पहले की है,... एक साल उ,स पेड़ में बौर नहीं आया था,... और मेरी सास सोच के चुप हो गयीं, आँखे एकदम सूनी, पथराई,... फिर किसी तरह रुक रुक के बोलीं, उस साल ऐसा दुर्भिक्ष पड़ा, एक दाना नहीं हुआ खेत में, बोया बीज भी वापस नहीं लौटा। पूजा पाठ, मान मनौती,... तो अगले साल से,... पहला बौर उसी पेड़ में,
मैं भी सोच रही थी कितनी बार तो उस पेड़ के बगल से गयी मैं, एक बार भी बौर भी गिरा नहीं देखा,...
लेकिन उस दिन होलिका माई वाले, ... भरभरा कर, और सब होलिका माई की गोद में,... जैसे बूढ़ पुरनिया क आसिरबाद हो,... और वही बौर आशीष में औरतों की कोख में, गाभिन होने का असिरबाद,...
और उसी जगह दूबे भाभी हिना को गोद में ले के बैठी,...
उनकी उँगलियाँ कम खतरनाक नहीं थी बस मुश्किल से हिना के दिख रहे निप्स को जिस तरह सहला रही थीं,...
थोड़ी देर में ही हिना के छोटे छोटे उभार पथरा गए उसकी बिल में से एक तार की चासनी निकलने लगी,... मैं चंदा और कमल के पास थी दिख रहा था जिस तरह से हिना मस्ता रही थी,... मस्ती से आँखे उसकी बंद हो गयी थीं, देह ढीली पड़ रही थी,
और दूबे भाभी ने इशारा करके कम्मो को अपने पास इशारे से बुलाया, बेचारी की आज फटी थी. पहली बार मोटे लौंड़े का स्वाद लिया था, वो भी एक बार नहीं दो बार, मलाई अभी भी बजबजा रही थी, जाँघों पर भी लगी,...
बड़ी मुश्किल से चलती दूबे भाभी के बगल में पहुंची,... और बैठ गयी, दूबे भाभी ने उसके कान में कुछ फुसफुसाया, ... और कम्मो के चेहरे पर शरारत दौड़ गयी, आँखे चमकने लगीं।
और वो टांग उठा के सीधे हिना के चेहरे पर,... और दूबे भाभी ने कस के हिना के गाल को दबा के उसके गुलाबी होंठ खोल दिए। मलाई से भरी अपनी बिल कम्मो हिना के खुले मुंह पर,... और नकली डांट डांटते हुए कम्मो को हड़काया,.... अरे तोहार समौरिया,... तोहरे स्कूल में पढ़ती है, इतना मलाई घोंटी हो, तनी अपनी सहेली क तो चखाय दो, नीचे वाले मुंह में भले स्वाद ले ली हो, ... लेकिन ऊपर वाले मुंह में तो स्वाद नहीं मिला न बेचारी को,... आखिर स्कूल में तो मिल बाँट के खाती हो तो यहां कौन कंजूसी,...
"
हिना और दूबे भाभी
15,24,265
जैसे कोई जुगलबंदी चल रही हो, सुगना भौजी ने झट से हिना के गोरे गुलाबी गालों को कस के दबा दिया, चिरैया की चोंच की तरह चियार दिया हिना ने। खुल गया मुंह और घुस गयी कमल और पंकज के वीर्य से लिपटी गुलबिया की उँगलियाँ,
" अरे चाट ले चाट ले , ले ले स्वाद, देखना हफ्ते भर में आँख बंद कर के जीभ से चाट के बता दोगी की किस लौंडे की मलाई है " गुलबिया ने चिढ़ाया।
चुन्नू का तो उसने चाटा भी था पूरी मलाई घोंटी भी थी तो अब इन दोनों का भी , आखिर उस की ही बिल से तो निकली है, हिना मजे ले ले कर सडप सडप गुलबिया की ऊँगली चाट रही थी।
थोड़ी देर में गुलबिया एक बार फिर से हिना की दोनों जाँघों को फैला के चाट रही थी, चूस रही था, और हिना भी इस तरह से सिसक रही थी लगा अब गयी तब गयी,
बाकी लड़कियों को फरक नहीं पड़ रहा था कोई अपने भाई से चिपकी थी जिसने आज फाड़ के उसे जवान किया था तो किसी को दो दो भौजाइयां मिल के रगड़ रही थीं।
दूबे भाभी उस आम के पेड़ के नीचे चबूतरे पर थीं जहाँ कल होलिका माई बैठी थीं और उन्होंने बोला था बाईसपुरवा की सब ननदें भौजाइयों की बातें मानेगी,
गुलबिया अब कस कस के उस पठानटोली वाली की बुर चोद रही थी, बस थोड़ी देर और हिना फचाक से पानी फेंक देती , पांच छह बार उसे किनारे से लौटा लायी थी गुलबिया लेकिन अबकी उसे पार लगा देने वाली थी की तभी आवाज आयी।
दूबे भाभी बुला रही थीं हिना को, ...
--
और कुछ देर बाद
--
जहाँ कल होलिका माई बैठी थीं उसी बड़े आम के पेड़ के नीचे दूबे भाभी बैठी थीं, उनकी गोद में हिना थी और वो कच्ची जिनकी आज पहली बार फटी थी जिनकी बुर में उनके भाई की मलाई अभी बजबजा रही थी, उन सबको बुला बुला कर वो इकठ्ठा कर रही थीं,.. और उन्होंने रेनू को भी बुलाया,... मैंने उसको इशारे से बोला की जा , कमल के पास मैं हूँ,
दूबे भाभी जिस प्यार दुलार से हिना को पुचकार रही थीं, उसकी छोटी छोटी नयी आती चूँचियाँ सहला रहीं थीं, हम सब भौजाइयां समझ रही थी की कन्या रस ज्यादा है और प्यार दुलार कम, लेकिन स्साली माल ही इतनी मस्त थी की मन तो मेरा भी हो रहा था उसकी कच्ची अमिया कुतरने का
आम के जिस खूब पुराने गझिन बड़े पेड़ के नीचे एक ऊँची सी जगह पर दूबे भाभी हिना को लेकर बैठी थीं, कल वहीँ होलिका माई,...
सोच के ही मेरी देह में झुरझुरी सी आ गयी, कुछ तो था उस पेड़ में, उसकी नीचे की जगह में कुछ तो था. हम सब लोग उसके बगल से निकल जाते, थे और सब पेड़ों से पहले उस आम के पेड़ में बौर आते थे, और सबसे ज्यादा, पाला पड़े, तूफ़ान आये, बारिश हो, उसका एक बौर नहीं झड़ता था,... और जैसे ही पहला बौर आये सब औरतें, लाइन लगा के,... गाँव में एकदम परब त्यौहार का मौसम,...
मेरे पहले तो समझ में नहीं आया, लेकिन एक दिन सास ने किस्सा सुनाया, पहिले तो दुल्हन की डोली वहीँ उतरती थी, उसके बाद फिर घर,... बात उनके डोली उतरने के पहले की है,... एक साल उ,स पेड़ में बौर नहीं आया था,... और मेरी सास सोच के चुप हो गयीं, आँखे एकदम सूनी, पथराई,... फिर किसी तरह रुक रुक के बोलीं, उस साल ऐसा दुर्भिक्ष पड़ा, एक दाना नहीं हुआ खेत में, बोया बीज भी वापस नहीं लौटा। पूजा पाठ, मान मनौती,... तो अगले साल से,... पहला बौर उसी पेड़ में,
मैं भी सोच रही थी कितनी बार तो उस पेड़ के बगल से गयी मैं, एक बार भी बौर भी गिरा नहीं देखा,...
लेकिन उस दिन होलिका माई वाले, ... भरभरा कर, और सब होलिका माई की गोद में,... जैसे बूढ़ पुरनिया क आसिरबाद हो,... और वही बौर आशीष में औरतों की कोख में, गाभिन होने का असिरबाद,...
और उसी जगह दूबे भाभी हिना को गोद में ले के बैठी,...
उनकी उँगलियाँ कम खतरनाक नहीं थी बस मुश्किल से हिना के दिख रहे निप्स को जिस तरह सहला रही थीं,...
थोड़ी देर में ही हिना के छोटे छोटे उभार पथरा गए उसकी बिल में से एक तार की चासनी निकलने लगी,... मैं चंदा और कमल के पास थी दिख रहा था जिस तरह से हिना मस्ता रही थी,... मस्ती से आँखे उसकी बंद हो गयी थीं, देह ढीली पड़ रही थी,
और दूबे भाभी ने इशारा करके कम्मो को अपने पास इशारे से बुलाया, बेचारी की आज फटी थी. पहली बार मोटे लौंड़े का स्वाद लिया था, वो भी एक बार नहीं दो बार, मलाई अभी भी बजबजा रही थी, जाँघों पर भी लगी,...
बड़ी मुश्किल से चलती दूबे भाभी के बगल में पहुंची,... और बैठ गयी, दूबे भाभी ने उसके कान में कुछ फुसफुसाया, ... और कम्मो के चेहरे पर शरारत दौड़ गयी, आँखे चमकने लगीं।
और वो टांग उठा के सीधे हिना के चेहरे पर,... और दूबे भाभी ने कस के हिना के गाल को दबा के उसके गुलाबी होंठ खोल दिए। मलाई से भरी अपनी बिल कम्मो हिना के खुले मुंह पर,... और नकली डांट डांटते हुए कम्मो को हड़काया,.... अरे तोहार समौरिया,... तोहरे स्कूल में पढ़ती है, इतना मलाई घोंटी हो, तनी अपनी सहेली क तो चखाय दो, नीचे वाले मुंह में भले स्वाद ले ली हो, ... लेकिन ऊपर वाले मुंह में तो स्वाद नहीं मिला न बेचारी को,... आखिर स्कूल में तो मिल बाँट के खाती हो तो यहां कौन कंजूसी,...
"
Last edited: