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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

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कमल का खूंटा कमाल का

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लेकिन कम्मो कौन कम थी, जैसे लड़कियों की सील टूटती थी गरमी का ज्वालामुखी फूट पड़ता है,... कम्मो बोली,...


" अरे दीदी, तोहरे सैंया बाद में हमार जीजा पहले, तोहरे कहने के पहले मैं शलवार का नाड़ा उनसे खुलवा लुंगी,... जीजा का घोंटने के पहले केहू से पूछना थोड़े पड़ता है,... और तनिको ना नुकुर किये तो खुदे चढ़ के चोद दूंगी। लेकिन अभी दुनो और क मजा ले लो,... "


पंकज अपनी छोटी बहन कम्मो की मस्त बातें सुन के एकदम पागल और नीचे से कमरा उठा उठा के पूरी तेजी से पेल रहा था और उसका दोस्त और जोश में नीलू भी अपनी चूँची पंकज की छाती पर रगड़ रगड़ के उसे और उकसा रही थी, कभी अपनी चूत निचोड़ लेती तो कभी गाँड़ से उलटे धक्का मारती और दोनों लड़के और जोश में,...

तबतक कमल दिख गया और मैंने उसे इशारे से बुलाया


" अरे ये भी तो तोहार बहिन लगेगी, अब रेनुआ को तो रोजे चोदोगे, ये तीन महीने बाद गौने चली जाएगी,... कम से कम चुसवा चटवा तो लो,... "
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और मेरा कहना था की रेनू भी अपने भैया से कहने लगी,

" हाँ भैया चुसवा लो एक बार, पूरा हलक तक ठोंकना पेल दो जड़ तक इसके मुंह में "

नीलू ने खुद ही मुंह खोल दिया बड़ा सा जैसे लड्डू घोंटना हो और रेनुआ के भाई ने पेल दिया पूरे हलक तक,...
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ट्रिपल हमले का नतीजा हुआ कुछ देर में ही नीलू झड़ने लगी और साथ पंकज और उसका दोस्त भी, अगवाड़े पिछवाड़े दोनों से दूध दही की नदी बह रही थी।


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लेकिन बेचारा कमल, उसके तो वैसे भी जितने लौंडे यहाँ आज थे उनसे दस मिनट ज्यादा ही टाइम लगता था झड़ने में

और अब बेचारी नीलू की ये हालत नहीं थी की वो कमल का मोटा खूंटा घोंट सके, और उधर कमल ने निकाल लिया लेकिन जैसे नीलू के मुंह से निकला कलियों के मुंह से चीख निकल गयी

बित्ते भर से भी ज्यादा लम्बा लेकिन मोटा कितना और असली चीज तो होती है सुपाड़ा, मुट्ठी से भी मोटा,...और कड़ा इतना की दूर से भी लोहे का रॉड लग रहा था,
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भौजाइयों के मुंह से आह निकल गयी, कोई भौजी हलके से बोली, तभी रेनुआ डर रही थी, .. लेकिन बात काट के गुलबिया हमारी नाउन की बहुरिया कजरी की भौजी ने चुप करा दिया,... रेनू उसके साथ ही बैठी थी,



" अरे,...पुरान बात,... रेनुआ हमार मीठ मालपुआ अस ननद एकदम नहीं डरती, दो बार घोंट चुकी अपने भैया का अगवाड़े भी पिछवाड़े,... "


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गुलबिया ने जोर से बोला और जिसको नहीं मालूम था मालूम हो गया की भाई बहिनिया का असली रिश्ता आज हो गया।


रेनुआ थोड़ी शरमाई, थोड़ा मुस्करायी, और उस झुण्ड से हट के मेरे पास आ गयी,...

और कमल से चिपक के बैठ गयी जिससे जो गाँव वालियां उसके भाई को ताना मारती थी, की पहले घर के माल को पटाओ सब को पता चल जाए, माल पट भी गया, सट भी गया और फट भी गया,

और जिस ललचायी निगाह से वो अपने भैया के तने खूंटे को देख रही थी, सब लोग समझ गए थे की जिसके बारे में सोच के कमल की बहिनिया हदस जाती है अब उसी के लिए उस के उस के ऊपर और नीचे दोनों मुंह में लार टपक रही है,...


लेकिन मेरी परेशानी दूसरी थी, इत्ता मस्त खूंटा खड़ा था और कोई स्साली ननद छिनार नज़र नहीं आ रही थी, लेकिन बिल्ली के भाग से छीका टूटा, और चंदा दिखी,..
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"हे मेरे सारे देवरों का खूंटा घोंट चुकी हो, तुम्हारा असली इम्तहान, चढ़ जाओ इस खूंटे पे ,"


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और कमल को धक्का देके मैंने जमीन पर लिटा दिया,...

लग रहा था कुतुबमीनार आसमान चोद रहा हो,... एकदम खड़ा, फनफनाया,...

तभी चंदा की निगाह मेरे पास, मेरे साथ बैठी रेनू पर पड़ी और ननद कौन जो छिनरपना न करे तो चंदा ने छिनरपना कर दिया, वो देख रही थी, रेनू मेरे साथ बैठी है खूब चिपक के और जिस तरह से अपने भैया से नैन मटक्का कर रही है, समझ गयी और बोली वो मुझसे लेकिन निशाने पर कमल की बहिनिया थी


" भौजी, हाथ भर क खूंटा नहीं होता, ये तो बिजली क खम्भा है, लेकिन भौजी क बात, चढ़ जाएंगे हम,... पर तनी वो खम्भे वाली की बहिनिया से कहिये की अपने भैया के मूसल में चूस चास के,... "
Kisi nanad ki himmat nhi ho rhi kamal ki sawari krne ki
 

Random2022

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भाग ७८

चंदा का पिछवाड़ा और कमल का खूंटा



१४,७८, ९२०


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रेनुआ थोड़ी शरमाई, थोड़ा मुस्करायी, और उस झुण्ड से हट के मेरे पास आ गयी,... और कमल से चिपक के बैठ गयी जिससे जो गाँव वालियां उसके भाई को ताना मारती थी, की पहले घर के माल को पटाओ सब को पता चल जाए, माल पट भी गया, सट भी गया और फट भी गया,

और जिस ललचायी निगाह से वो अपने भैया के तने खूंटे को देख रही थी, सब लोग समझ गए थे की जिसके बारे में सोच के कमल की बहिनिया हदस जाती है अब उसी के लिए उस के उस के ऊपर और नीचे दोनों मुंह में लार टपक रही है,...

लेकिन मेरी परेशानी दूसरी थी, इत्ता मस्त खूंटा खड़ा था और कोई स्साली ननद छिनार नज़र नहीं आ रही थी, लेकिन बिल्ली के भाग से छीका टूटा,

और चंदा दिखी,..


"हे मेरे सारे देवरों का खूंटा घोंट चुकी हो, तुम्हारा असली इम्तहान, चढ़ जाओ इस खूंटे पे ,"मैंने चंदा को उकसाया
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और कमल को धक्का देके मैंने जमीन पर लिटा दिया,...

लग रहा था कुतुबमीनार आसमान चोद रहा हो,... एकदम खड़ा, फनफनाया,...

तभी चंदा की निगाह मेरे पास, मेरे साथ बैठी रेनू पर पड़ी और ननद कौन जो छिनरपना न करे तो चंदा ने छिनरपना कर दिया, वो देख रही थी, रेनू मेरे साथ बैठी है खूब चिपक के और जिस तरह से अपने भैया से नैन मटक्का कर रही है, समझ गयी और बोली वो मुझसे लेकिन निशाने पर कमल की बहिनिया थी

" भौजी, हाथ भर क खूंटा नहीं होता, ये तो बिजली क खम्भा है, लेकिन भौजी क बात, चढ़ जाएंगे हम,... पर तनी वो खम्भे वाली की बहिनिया से कहिये की अपने भैया के मूसल में चूस चास के,... "
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वो चैलेन्ज था मेरे लिए भी रेनू के लिए भी,...

और में जानती थी कित्त्ता मुश्किल काम था उसके लिए आज पहली बार तो अपने भैया के खूंटे से दोस्ती हुयी, पहली बार चुनमुनिया का घूंघट उठा, और आज सबके सामने ये पहाड़ी आलू ऐसा मोटा , अपने भैया का सुपाड़ा ले के चूसे,...

लेकिन वो समझ रही थी नाक का सवाल था और सिर्फ उसकी नहीं मेरी भी,... और थोड़ी देर पहले ही उसने नीलू को उसके भैया का कमल का खूंटा मुंह में लिए देखा था, और मैंने भी इशारा किया, पहले जीभ निकाल के अपने होंठों को चाट कर खूब थूक लगा कर, और फिर बड़ा सा मुंह खोल के,...

भाइयों के मामले में उनकी बहने तुरंत समझ जाती हैं और रेनू भी समझ गयी मुंह में ढेर सारा थूक भर के पहले उसने बड़ी देर तक अपने भैया सुपाड़े को खूब प्यार से थूक लगा लगा के चाटा और फिर जैसे मैंने बड़ा सा मुंह खोल के दिखाया था उसी तरह पूरी ताकत से मुंह खोल के सुपाड़े को,
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लेकिन बहुत ही मोटा था, और जहाँ सबसे मोटा था बीचोबीच जा कर अटक गया,... ताना मारने का मौका कौन ननद छोड़ती है तो चंदा भी चिढ़ा के बोली, बात उसने रेनू की की,....लेकिन निशाना कही और था,

" अरे भौजी उसकी बहिनिया तो इतना चाकर मुंह खोल के नहीं घोंट रही है तो,... "


और मेरे अंदर की भौजाई जागृत हो गयी. मैंने रेनू का सर पकड़ के कस के दबाया,....

वो गो गो करती रही, गाल उसका एकदम फूल गया आँखे बाहर उबल रही थीं, लेकिन सिर्फ मैं ही नहीं दबा रही थी, रेनू भी अपनी ओर से पूरी तरह कोशिश कर रही थी,... थोड़ी देर बस थोड़ी ताकत और लगा मैं हलके हलके बोल के रेनू की हिम्मत बढ़ा रही थी,... अभी एक बार सबके सामने घोंट लेगी तो फिर झिझक और हदस दोनों निकल जायेगी,...

एक एक सूत अंदर जा रहा था,...

और गपाक

पूरा सुपाड़ा अंदर,...
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और उसके आगे का चर्म दंड तो उससे कम ही चौड़ा होगा, मैंने जोर और बढ़ाया आधे से ज्यादा अंदर हो गया था, ६ इंच के करीब,... और अब सुपाड़ा हलक में अटका था, बस इसी बात का चक्कर था गैग रिफ्लेक्स, वो हुआ भी

रेनू की हालत बहुत ख़राब थी, लेकिन मैंने प्रेशर कम नहीं किया, और थोड़ी देर में वो भी पार हो गया,... मैंने सर पर से हाथ हटा दिया

और रेनू अभी भी चूस रही थी एक हाथ से अपने भाई कमल का लंड पकडे, मुंह से लार गिर रही थी, चेहरा एकदम लाल हो गया था,...


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मैंने विजयी भाव से चंदा की ओर देखा,

अब वो क्या करती, ... रेनू ने मुंह हटा लिया, उसका भैया प्यार से, तारीफ़ से अपनी छोटी बहन को देख रहा था,...

चंदा तो सदाबर्त चलाती थी सबको बांटती थी,... दोनों हाथों से अपनी चूत की फांको को फैला के सुपाड़े से सटा दिया लेकिन मैंने आँख से कमल को इशारा कर दिया था की वो नीचे से धक्का जरा भी न मारे और ऐन मौके पे कमर हिला के लंड सरका दे,...

वही हुआ, चार पांच बार कोशिश कर के भी वो नहीं ले पायी, तो फिर मैंने बड़े प्यारसे समझाया,

" अरे यार कुछ नहीं चल मैं और रेनुआ भी तेरी हेल्प करते हैं , मेरे देवर और उसके भाई का फायदा है तो हमारी भी तो जिम्मेदारी है, बस एक बार हट के दुबारा सटाओ और रेनू तुम नीचे से खूंटा पकड़ लो और चंदा के छेद में सटा देना, और मैं ऊपर से जोर लगाउंगी,"

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हुआ वही लेकिन चंदा जोर से चिल्लाई,

मेरी और रेनू की मिली जुली बदमाशी. बदमाशी तो मेरी थी और रेनू मेरे इशारे पर काम कर रही थी लेकिन मन उसका भी कर रहा था, अब वह एकदम अपने भैया की तरफ से सोच रही थी,

मैंने आँख से इशारा किया और रेनू ने अपने भैया का खूंटा, चंदा के बजाय अगवाड़े के पिछवाड़े के छेद पर सेट कर दिया, दोनों हाथों से छेद भी फैला दिया, और मैंने उसी समय अपनी पूरी ताकत चंदा ननदिया के कंधे पर लगा दिया, पूरी ताकत से प्रेस कर आंख मार के कमल को भी इशारा किया.


वो मेरी और रेनू की बदमाशी समझ गया, और मुस्करा के उसने कस के अपने दोनों हाथों से चंदा की कमर पकड़ के अपनी ओर पुल करना शुरू किया और उसी जोर से नीचे से धक्का लगाया, ... रेनू ने कस के अपने भाई का खूंटा चंदा के पिछवाड़े सटा रखा था



उयी ओह्ह्ह्हह्ह नाहीईईई उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़



जोर से चंदा चीखी,.. जबतक वो समझी आधे से ज्यादा सुपाड़ा अंदर था, और ऊपर से मेरा पुश करना और नीचे से कमल का चंदा की कमर पकड़ के पुल करना जारी था,
Chanda ko to din me chaand taare dikh gaye
 

Lakshmanain

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कामुक कहानियों में कोई हीरो नही होता, सर्वाधिक ताकत (बुर, चूंची, गांड़, होंठ) महिला के पास होती है । इसमें चूत ही हीरो है, हीरोइन है, विलेन है। बाकी सारे किरदार चूत के पूरक हैं । कोई उसे मारना चाहता है, कोई उसे रगड़ना चाहता है, कोई चूसना चाहता है, कोई सहलाना चाहता है यानी केंद्र में वही है। वैसे भी कहानी की पृष्ठभूमि ग्रामीण है । और ग्रामीण महिलाओं की बातचीत/किस्से/ कहानी इसी तरह होते हैं शुरू कहीं से होते हैं और खत्म कहीं होते हैं। आपके कहे अनुसार लेखक कहानी लिखे तो बोरियत के सिवा कुछ नही होगा वही घिसी पिटी कहानी बनेगी एक बड़े और मोटे लंड का हीरो है वही सबकी चूत मार रहा है। ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं। किंतु यह कहानी विपरीत दिशा में चल रही है जिसमे एक से अधिक चूत हैं और एक से अधिक लौड़े के इंतजाम हैं । मस्त कहानी चल रही है आनंद लो ।
आप सही कह रहे हो भाई हीरो हीरोइन उसे कहानी में नहीं होते जिसमें सामूहिक सेक्स कामुकता कहानी कहा जाता है उसमें सभी के घर परिवार के सभी एक दूसरे को शारीरिक सुख प्रदान करते हैं जोरू के गुलाम जो कहानी लिखी गई है वह सामूहिक सेक्स में नहीं आता जोरू के गुलाम कहानी शुरू से पढ़ोगे तो मालूम पड़ जाएगा कहानी के एंगल से पढ़ोगे तब जो स्त्री एक लेखक है जो उसका सजना एक है जो सजन की एक बहन है गुड्डी नाम है इन तीनों पर कहानी आधारित है जो जो सजनी का सजना होता है वह बहुत शरीफ होता है जो स्त्री एक लेखक है कैसे अपने जेठान को सजा के तौर पर कोठे पर पहुंचा देती है। क्या अपने जेठान को कोठे पर पहुंच कर क्या उसे घर की इज्जत नहीं जाएगी उसे सजा ही देना था तो जिंदगी भर गुलाम बनाकर घर में ही रखती जो स्त्री लेखक है उसके सजन का 7 इंच रखा है जब सजनी ने अपने जेठान को 8 इंच से सील पैक तोड़ा था दूसरे नंबर पर उसका सजना था दूसरे नंबर पर आ जा ते हैं रेनू और कमल और अजय जीजू के जो स्त्री लेखक है उसके कमल जीजू सवा आठ इंच है रीनू को पहले ही रात में अस्पताल पहुंचा दिए थे बुर और पिछवाड़ा दोनों बुरी तरह से फाड़े थे जो सजनी किरदार कर रही है उसका अजय ही जीजू 8 इंच पिछवाड़ा सील पैक तोड़ा था दूसरा नंबर कमल जीजू का लगा था तीसरा नंबर पर आ जाते हैं गुड्डी पर गुड्डी के रंडी घोषित करने पर जो पिछवाड़े पर रीनू ने अपने पति के तरफ से ₹100 रेट फिक्स किया था रीनू पति ने जो शूत सहित पिछवाड़े से असूल लिया रीनू ने गुड्डी रंडी घोषित करती है इसलिए कह रहा हूं अभी सभी कॉलेज की लड़के बाकी है जो लेखक स्त्री है जो उसका सजना है जो अपने सजन का फूफा के बारे में बता रही थी गढ़वा है जो अपने बीवी को दूसरे पुरुषों को साथ देख कर मजा आता है वही लेखक स्त्री के संजना वैसा ही उसका फूफा दोनों एक ही तरह के लगते हैं अब आ जाते हैं रीनू के ऊपर जो इस कहानी में स्त्री लेखक है अपने सजन को शेर आदमखोर औरत कोर बताती है जो कहती है सूत सहित आसूलेंगे पिछली बार जो चूक गए थे लेखक स्त्री को वह बात बताना चाहता हूं रेनू का पति पहले ही रात में रेनू का बुर और पिछवाड़ा दोनों फाड़ के रख दिया था सवा आठ इंच से जो लेखक स्त्री है उसके सजन का 7 इंच का है जो रीनू को पहले ही फटी है उसमें 7 इंच क्या जनाएगा रीनू ने उनके बीवी का पिछवाड़ा अपने पति को दिलवाई और उनके माल का भी पिछवाड़ा अपने पति को दिलवाई कहानी पढ़ने के बाद ही मालूम पड़ता है सूत सहित कौन असुला है रीनू पास ना आगे सील पैक है ना पीछे शीर्षक का जो पति है रीनू तो पहले से खेली खाई है उसे कुछ होने वाला नहीं कोमल में रेनू पास तीन नंनद थी रीनू छोटी बहन पास एक जब रीनू के ननद की बारी आती है तो लोग कहते हैं तो बदला हुआ तो भाई रीनू जो अपने छोटी बहन का नंनद के साथ कर रही हो वह क्या है बदला है या कुछ और जो स्त्री शीर्षक जो अपने सजन भाभी को कोठी खुश करने के लिए छोड़ देती है गुड्डी रंडी को कॉलेज के लड़कों के साथ लगा देती है बची है अपना अपना तो अब गांव में लड़कों को खुश करें बची है सजन की मां देखते हैं उसे क्या करवाती हैं भाई जैसे पढ़ने के बाद एक ही फीलिंग आता है जैसे कोई रंडी खाने से कहानी लाई हो आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २

रस बनारस का - चंदा भाभी

एक दस हजार से अधिक शब्दों वाला मेगा अपडेट

बहुत से नए प्रसंग


कृपया पढ़ें, आनंद ले , लाइक करे और कमेंट करे

फागुन के दिन चार भाग २

रस बनारस का - चंदा भाभी




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ब तक वहां एक महिला आई क्या चीज थी। गुड्डी ने बताया की वो चन्दा भाभी हैं। वह भी भाभी यानी गुड्डी की मम्मी की ही उम्र की होंगी, लेकिन दीर्घ नितंबा, सीना भी 38डी से तो किसी हालत में कम नहीं होगा लेकिन एकदम कसा कड़ा। मैं तो देखता ही रह गया। मस्त माल और ऊपर से भी ब्लाउज़ भी उन्होंने एकदम लो-कट पहन रखा था।


मेरी ओर उन्होंने सवाल भरी निगाहों से देखा।
भाभी ने हँसकर कहा अरे बिन्नो के देवर, अभी आयें हैं और अभी कह रहे हैं की जायेंगे। मजाक में भाभी की भाभी सच में उनकी भाभी थी और जब भी मैं भैया की ससुराल जाता था, जिस तरह से गालियों से मेरा स्वागत होता था और मैं थोड़ा शर्माता था इसलिए और ज्यादा। लेकिन चन्दा भाभी ने और जोड़ा-

“अरे तब तो हम लोगों के डबल देवर हुए तो फिर होली में देवर ऐसे सूखे सूखे चले जाएं ससुराल से ये तो सख्त नाइंसाफी है।


२. गुझिया


३, आनंद की बहिनी बिके कोई ले लो.

४. मिर्ची---“चल मेरे घोड़े चने के खेत में

५. थोड़ा सा फ्लैश बैक---गुड्डी और भाभी ( गुड्डी की मम्मी )

६. यादों की झुरमुट से--- गुड्डी

७. रसगुल्ला

८. भाभी, गुड्डी और भांग की गुझिया

९ शलवार सूट

updates posted, please read, enjoy, like and comment.
 
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komaalrani

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रेनुआ तो अब मुँह में घोटने का भी ट्रेनिंग ले ली....

और फिर भौजाई के साथ मिलकर बदमासी में भी आगे..
अब तो चंदा दोनों भाई बहिनी को गरियाएगी....
अरे रेनू -कमल का भाई बहिन का रिश्ता है, मरद मेहरारू की तरह रहेंगे तो कोई भी छेद क्यों छोड़े।
 

komaalrani

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जिस चीज से रेनुआ डरती थी...
वही अब मजे से दूसरों की मरवा रही है...

फिर टक्कर का चोदू हो तो मजा भी बेइंतहा मिलता है...
ये चंदा से ज्यादा अच्छे से कौन जानता होगा...
अच्छी लड़की है एक बार मजा मिल गया तो उस मजे को अपनी सहेलियों को भी बाँट रही है और जो सीधे से नहीं लेंगी उनसे थोड़ी बहुत जबरदस्ती भी। आखिर यही सब लड़कियां रेनू का बहाना बना के कमल से दूर दूर रहती थीं ,
 

komaalrani

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ओहो... साथ में हीना का भी ट्रेनिंग सुगना भौजी करवा रही हैं...
ललचा-ललचा कर इस मजे के लिए तड़पा देगी....
और यही तो असली गांड़ मरवाने वाली की पहचान है ..
कि खुद जोर लगा के सूत-सूत घोंटे...
एकदम सही कहा आपने।

एक पंथ दो नहीं कई काज,... चंदा के पिछवाड़े के पथ पर कमल ने जो एंट्री मारी है,

सुगना भौजी की जिम्मेदारी है हिना, एक बार उसको दिखा के ललचा के गरमा के पूरे बाइस पुरवा में नम्बर १ बनाना है

और उसके बाद हिना के सहारे सब पठानटोली वालियों का, खुलेगा ... पहले बुरका, फिर नाड़ा
और सिर्फ हिना ही नहीं सब पठानटोली वाली चंदा का नंबर डकायेंगी , रोज लंगर आते जाओ पाते जाओ


 

komaalrani

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झिझक हट रही है हीना की.. धीरे-धीरे...
अब हीना की लाइव एडवरटाईजमेंट हो गई है...
और हीना को भी लाइव डेमो मिल गया है...
तो नतीजा सुखद होगा...
एकदम सही कहा आपने

वैसे तो सब भौजाइयां ननदों को समझाती हैं, करवा ले बड़ा मजा मिलता है

लेकिन सामने देखने की बात और है वो भी एक समौरिया लड़की, न सिर्फ घोंट रही है बल्कि खुद धक्के मार रही है, उसके चेहरे की ख़ुशी, देह की मस्ती, सब इन्फेक्शस होती हैं और हिना सोच रही है अगर चंदा कर सकती है तो मैं क्यों नहीं, और एक बार हिना चालू हो गयी तो कल,

मुमताज़, ज़ीनत, आयशा, तमन्ना, शमा और शबनम भी कहेंगी

हिना कर सकती है तो मैं क्यों नहीं, वही क्यों अकेले अकेले मजा ले,... और सुगना भौजी हैं न जैसे अभी हिना को गरमा रही हैं एक एक करके बाकी पठानटोली वालियों को भी रस्ते पे ले आएँगी।
 

komaalrani

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और जब यह अहसास हो जाए तो समझ लीजिये कैशोर्य की चौखट डांक कर, गली में आंगन में ठीकरे से इक्कट, दुक्क्ट खेलने वाली लड़की अब तरुणी हो गयी है,
कैशोर्य के इस दहलीज पर मन में तरह तरह की भावनाएं उठते रहती हैं... जहाँ एक तरफ बचपन के खेल तो दूसरी तरफ जवानी की उमंगें..
हिना का मन, चावल चुगती, कभी इस मुंडेर पर कभी उस मुंडेर पर फुदकती गौरेया की तरह, कभी चंदा की ख़ुशी में डूबी देह को देखता तो कभी सोचता साल दो साल पहले ही तो इस गाँव के लड़के लड़कियों के साथ बिना हिचक वो खेलती, झगड़ा करती, लड़ती, बारिश आने पे पहली बूँद के साथ ही अपनी इन्ही सहेलियों के साथ कभी अपने आंगन में कभी कम्मो के घर, अरई परई गोल गोल चक्कर काटती, सब सहेलिया देखतीं किसके ऊपर कितनी बूंदे पड़ी , सबकी मायें डांटती, लड़की सब पागल हो गयी हैं का,

लगता है पलक झपकते हीं ये पल नजरों के सामने से गुजर गए हों.. जहाँ कुछ खोने के साथ-साथ पाने को भी हो..

देह की किताब पर सुख के ये अक्षर कैसे लिखे जाते हैं सीख रही थी. सुख सिर्फ पुरुष का नहीं है जो प्रणय याचना करता है, उससे ज्यादा ही सुख स्त्री भी भोगती है जब तन के साथ मन के सारे बंधन ढीले कर देती हैं.

सही में असली परमानंद तो स्त्री हीं भोगती है... मर्द तो मजदूर है जो अपनी मेहनत का सुख और स्त्री पर विजय के घमंड से खुश हो लेता है...
🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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जरुर...
लेकिन कुछ रसिक मिजाज में बढ़ोतरी के साथ...
जैसे संध्या भाभी आनंद बाबू के साथ ... ज्यादा कुछ ना कर सकी और दूबे भौजी बाथरूम में ले जाकर ... लेकिन उसके बाद कतर ब्योंत हो गई...
समोसे वाली के साथ-साथ रितु भाभी का भी कल्याण होना चाहिए...
अगर संभव हो...🙏🙏
बस आप ऐसे ऐसे आइडिया देते जाइये और मेरा काम बढ़ाते जाइये,

वैसे आइडिया एकदम सही है, काम बढ़ेगा तो बढे

और फागुन के चार के भाग दो में भी काफी प्रसंग नए जुड़ गए, कुछ फ्लैश बैक के जरिये और कई पार्ट्स में भी बीच बीच में भी,... इसलिए मूल से दूना बड़ा हो गया, बल्कि ज्यादा,... पढ़ के देखियेगा

और कुछ आइडिया आये तो बताइये
 
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