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Kisi nanad ki himmat nhi ho rhi kamal ki sawari krne kiकमल का खूंटा कमाल का
लेकिन कम्मो कौन कम थी, जैसे लड़कियों की सील टूटती थी गरमी का ज्वालामुखी फूट पड़ता है,... कम्मो बोली,...
" अरे दीदी, तोहरे सैंया बाद में हमार जीजा पहले, तोहरे कहने के पहले मैं शलवार का नाड़ा उनसे खुलवा लुंगी,... जीजा का घोंटने के पहले केहू से पूछना थोड़े पड़ता है,... और तनिको ना नुकुर किये तो खुदे चढ़ के चोद दूंगी। लेकिन अभी दुनो और क मजा ले लो,... "
पंकज अपनी छोटी बहन कम्मो की मस्त बातें सुन के एकदम पागल और नीचे से कमरा उठा उठा के पूरी तेजी से पेल रहा था और उसका दोस्त और जोश में नीलू भी अपनी चूँची पंकज की छाती पर रगड़ रगड़ के उसे और उकसा रही थी, कभी अपनी चूत निचोड़ लेती तो कभी गाँड़ से उलटे धक्का मारती और दोनों लड़के और जोश में,...
तबतक कमल दिख गया और मैंने उसे इशारे से बुलाया
" अरे ये भी तो तोहार बहिन लगेगी, अब रेनुआ को तो रोजे चोदोगे, ये तीन महीने बाद गौने चली जाएगी,... कम से कम चुसवा चटवा तो लो,... "
और मेरा कहना था की रेनू भी अपने भैया से कहने लगी,
" हाँ भैया चुसवा लो एक बार, पूरा हलक तक ठोंकना पेल दो जड़ तक इसके मुंह में "
नीलू ने खुद ही मुंह खोल दिया बड़ा सा जैसे लड्डू घोंटना हो और रेनुआ के भाई ने पेल दिया पूरे हलक तक,...
ट्रिपल हमले का नतीजा हुआ कुछ देर में ही नीलू झड़ने लगी और साथ पंकज और उसका दोस्त भी, अगवाड़े पिछवाड़े दोनों से दूध दही की नदी बह रही थी।
लेकिन बेचारा कमल, उसके तो वैसे भी जितने लौंडे यहाँ आज थे उनसे दस मिनट ज्यादा ही टाइम लगता था झड़ने में
और अब बेचारी नीलू की ये हालत नहीं थी की वो कमल का मोटा खूंटा घोंट सके, और उधर कमल ने निकाल लिया लेकिन जैसे नीलू के मुंह से निकला कलियों के मुंह से चीख निकल गयी
बित्ते भर से भी ज्यादा लम्बा लेकिन मोटा कितना और असली चीज तो होती है सुपाड़ा, मुट्ठी से भी मोटा,...और कड़ा इतना की दूर से भी लोहे का रॉड लग रहा था,
भौजाइयों के मुंह से आह निकल गयी, कोई भौजी हलके से बोली, तभी रेनुआ डर रही थी, .. लेकिन बात काट के गुलबिया हमारी नाउन की बहुरिया कजरी की भौजी ने चुप करा दिया,... रेनू उसके साथ ही बैठी थी,
" अरे,...पुरान बात,... रेनुआ हमार मीठ मालपुआ अस ननद एकदम नहीं डरती, दो बार घोंट चुकी अपने भैया का अगवाड़े भी पिछवाड़े,... "
गुलबिया ने जोर से बोला और जिसको नहीं मालूम था मालूम हो गया की भाई बहिनिया का असली रिश्ता आज हो गया।
रेनुआ थोड़ी शरमाई, थोड़ा मुस्करायी, और उस झुण्ड से हट के मेरे पास आ गयी,...
और कमल से चिपक के बैठ गयी जिससे जो गाँव वालियां उसके भाई को ताना मारती थी, की पहले घर के माल को पटाओ सब को पता चल जाए, माल पट भी गया, सट भी गया और फट भी गया,
और जिस ललचायी निगाह से वो अपने भैया के तने खूंटे को देख रही थी, सब लोग समझ गए थे की जिसके बारे में सोच के कमल की बहिनिया हदस जाती है अब उसी के लिए उस के उस के ऊपर और नीचे दोनों मुंह में लार टपक रही है,...
लेकिन मेरी परेशानी दूसरी थी, इत्ता मस्त खूंटा खड़ा था और कोई स्साली ननद छिनार नज़र नहीं आ रही थी, लेकिन बिल्ली के भाग से छीका टूटा, और चंदा दिखी,..
"हे मेरे सारे देवरों का खूंटा घोंट चुकी हो, तुम्हारा असली इम्तहान, चढ़ जाओ इस खूंटे पे ,"
और कमल को धक्का देके मैंने जमीन पर लिटा दिया,...
लग रहा था कुतुबमीनार आसमान चोद रहा हो,... एकदम खड़ा, फनफनाया,...
तभी चंदा की निगाह मेरे पास, मेरे साथ बैठी रेनू पर पड़ी और ननद कौन जो छिनरपना न करे तो चंदा ने छिनरपना कर दिया, वो देख रही थी, रेनू मेरे साथ बैठी है खूब चिपक के और जिस तरह से अपने भैया से नैन मटक्का कर रही है, समझ गयी और बोली वो मुझसे लेकिन निशाने पर कमल की बहिनिया थी
" भौजी, हाथ भर क खूंटा नहीं होता, ये तो बिजली क खम्भा है, लेकिन भौजी क बात, चढ़ जाएंगे हम,... पर तनी वो खम्भे वाली की बहिनिया से कहिये की अपने भैया के मूसल में चूस चास के,... "