हर छेद का आनंद ... बारंबार... यत्र तत्र सर्वत्र...इसलिए तो कहा है अहा ग्राम्य जीवन भी क्या, ...
जैसा आज हिना के साथ हुआ वो सूद सहित, तमन्ना, शबाना, आयशा, मुमताज, ज़ीनत सबके साथ,
हिना के साथ जैसे खुली बाग़ में गाँव के सब लौंडो के सामने, उसकी स्कूल की सहेलियों के बीच, सब भौजाइयों की मौजूदगी में।
और फिर जैसा दूबे भाभी ने करवाया, हिना ने सब सहेलियों की कुप्पी से सीधे मलाई खायी, स्वाद ले लेकर,... आम के बगीचे में और जिस की मलाई चटखारे ले के खा रही थी, वो भी देख रहे थे,
बिलकुल ऐसे,... फिर तम्बू कनात का सवाल ही नहीं रहता।