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Dubey bhoji ko saans to lene do, dusre devar chadhane se pehleदूबे भाभी -और देवर ननद
नीलू की बात पूरी की रेनू ने
" अरे भौजी चोदी भी जाएंगी, गाँड़ में भी खाएंगी , हम सब ननदन क इतनी गुड़ अस मीठ मीठ नयकी भौजी,... अरे भौजी दो दिन तक अगवाड़े पिछवाड़े से देवरों का सड़का टपकेगा " मेरी ओर मुंह करके रेनू बोली और मैंने उसे चूम लिया।
बात उसकी सही थी मेरे बिना उसकी और उसके भाई कमल की जोड़ी कैसे बनती।
रेनू को चूम के ठसके से मैं देवर कमल की गोद में बैठ गयी और उसका हाथ खींच के अपनी दोनों गुड़ की डली पे , और रेनू की बात का मैंने जवाब दिया,
" छोट ननद क बात कौन भौजी टालेगी, हम तो आये ही अपने मायके से इसीलिए, ... लेकिन देवर कुल पहले हमरे जेठानी का,.. "
और जैसे मेरी बात सुन के दोनों देवर हचक हचक के दूबे भाभी की चुदाई कर रहे थे।
खास तौर से विनोदवा, स्साला पक्का लौण्डेबाज रहा होगा। खूब कड़ा भी था और कमर में ताकत भी बहुत थी। दो चीजें जो एक असली गाँड़ मारने वाले में होनी चाहिए और दोनों विनोदवा में थी, लेकिन जिस तरह से दूबे भाभी अपना पिछवाड़ा सिकोड़ रही थीं, धक्के के जवाब में धक्के मार रही थीं, उन्होंने भी बचपन से ही गाँड़ खूब मरवाई होगी। लेकिन डर मुझे इस बात का थी मेरे दोनों देवर हार न जाए। दूबे भाभी इतनी जल्दी झड़ने वाली और जिस जोश में दोनों देवर धक्के मार रहे थे कभी भी वो किनारे लग सकते थे.
देवर लेकिन जितने नौसिखिया दिख रहे थे, उतने थे नहीं और उनको सलाह देने वाली चमेलिया और गुलबिया, ( अब वो दोनों एकदम ननदों की टीम में चली गयी थीं ) बड़ो बड़ो को पटखनी दे देती थीं.
चमेलिया ने विनोदवा को इशारा किया दूबे भाभी के चक्कर में न पड़े , उनके धक्को का जवाब न दे और अपनी रफतार धीमी कर दे।
बस उन दोनों देवरों ने बारी बारी से, जब एक नीचे से बुर में धक्के लगाता तो विनोदवा रुक जाता, और जब विनोदवा गिन के पांच धक्के तूफानी लगाता तो दूबे भाभी के बुर में जड़ तक घुसा लंड आराम करता। सब ननदें एक साथ खड़े होके हल्ला कर रही थीं , दूबे भाभी की पांच पुश्त गरिया रही थीं। गुलबिया ने चंदा के कान में कुछ फुसफुसाया,
चंदा भी दोनों लड़को के साथ, और दूबे भाभी को छेड़ते बोली
" अरे भौजी खाली देवरन के साथ मजा लेबू की हम ननदन क भी नंबर लागी। "
और दूबे भौजी की एक बड़ी बड़ी चूँची उसके हाथ में और क्या मस्त मसल रही थी, दायीं चूँची भौजी की चंदा के हाथ में थी तो बायीं नीलू ने दबोच ली और दोनों ननदें, दोनों ही खूब खेली खायी, सैकड़ों लंड के धक्के खाये होंगे,.... कस कस के भौजी के जोबन मसल रही थीं।
कभी निपल पकड़ के खींच लेती तो कभी रगड़ देतीं।
और अब बाकी भौजाइयां भी जोश में, देवरानी जेठानी की भी तो होली में मस्ती होती है. बस अब खाली चमेलिया गुलबिया ही नहीं बाकी सब भी देवरों को ललकार रही थीं।
और मेरी हालत भी कम खराब नहीं थी, कमल की गोद में बैठी मैं, बगल में उसकी बहन रेनू।
कमल का हाथ मेरी दोनों गुड़ की डलियों पर लेकिन साड़ी के ऊपर से, ...
मैंने रेनू की ओर मुस्करा के देखा, बिन बोले उसे सुनाया,
"तेरे भाई का औजार भले ही सांड़ से जब्बर हो, गदहे से बाइस हो लेकिन है बहुते सोझवा ही, "
मैंने खुद ही अपनी साड़ी सरका के उभारों के नीचे कर दी, छलक के दोनों जोबन बाहर और कमल इतना खुश की उसकी जैसे लाटरी लग गयी हो। जैसे उसकी गोद में बैठने में मुझे कुछ अटपटा सा लग रहा हो, मैं थोड़ी सी उचकी और साडी जो नितम्बों के नीचे घुटने तक, उसे थोड़ा सा सरकाया और अब वो बस कमर पर एक छल्ले की तरह। और अब जब मैं बैठी तो मेरे खुले मांसल चिकने भरे भरे नितम्ब सीधे रेनू के भाई के घोडा मार्का लिंग पे रगड़ खा रहे थे।
देवर भौजी के बीच में कपडे का क्या काम।
" हे रेनुआ, हमरे देवर क कुल जांगर तू ही पी गयी, थोड़ बहुत नयकी भौजी के लिए छोड़ देती , देख तोर भाई केतना हलके हलके दबा रहा है। अरे हिनवा का कच्चा टिकोरा नहीं है,... "
आगे की मेरी बात मेरी चीख में दब गयी। कमल ने पूरी ताकत से मेरी दोनों चूँची मसल दिया।
अपनी ख़ुशी मैंने कस के अपने चूतड़ उसके लंड पे रगड़ के जाहिर की और बोला भी, ... " हाँ अब लग रहा है नयकी भौजी क देवर है "
लंड कमलवा का पत्थर।
सामने अब सब ननदें भौजाइयां एक साथ देवरों को ललकार रही थीं, लेकिन तब भी लग रहा था बाजी दूबे भौजी के हाथ में रहेगी, मैं कमल और रेनू भी मजा लेते देख रहे थे. लेकिन तभी चमेलिया घुस गयी ननदों देवरों और दूबे भाभी के बीच,
" तुम सब हमारी जेठानी क जादू का बटन अब तक नहीं खोज पाए, तोहनंन क महतारी बहन चोदे और गाँड़ मरवावे के अलावा कुछ सिखाई नहीं "
चमेलिया ने दूबे भाभी पर चढ़े दोनों देवरों को हड़काते हुए बोला और अपना दांया हाथ सीधे, निहुरी हुयी दूबे भाभी के जाँघों के बीच क्लिट पे।
चमेलिया की पकड़ और रगड़ दोनों जबरदस्त थी. कुछ देर में ही दूबे भाभी सिसकिया भरने लगी।
लेकिन मेरी आँखे हिना को ढूंढ रही थीं, और वो मिल गयी, बेला के साथ दोनों ही एक क्लास में पढ़ती थीं और बेला के साथ तो एकदम फेविकोल से चिपका उसकी कजिन, चुन्नू, जिसकी नथ एक दिन पहले मैंने उतारी और आज उसने अपनी बहन बेला की नथ उतार दी।
बेला शार्ट के ऊपर से चुन्नू का खूंटा रगड़ रही थी, हिना मुस्करा रही थी। थोड़ी देर पहले जब पंकज और कमल हिना के अगवाड़े पिछवाड़े डबलिंग कर रहे थे, बेला ने चुन्नू का खूंटा हिना के मुंह में डाल दिया और हिना ने चूस चूस के उसका पानी निकाला भी , पीया भी मन भर कर।
वो चुन्नू को देख कर मुस्करा रही थी, फिर चुन्नू को छेड़ते हुए बेला से बोली
" काहें इसको तोप के रखी हो, खोल दो तनी हवा धूप लगने दो न "
" अरे तो तूही खोल दे न " हँसते हुए बेला अपनी क्लास की सहेली हिना से बोली , और चिढ़ाया काटेगा नहीं मेरे भैया का।
हिना ने खोल दिया, और खूंटा बाहर, अब दोनों सहेलियां मिल के मथ रही थीं मथानी। चुन्नू कुछ बोलता तो दोनों साथ साथ डांटती।
वो तीनो भी बाकी नन्दो देवरों भौजाइयों की तरह दूबे भाभी की रगड़ाई देख रहे थे,
तभी हिना को कुछ आइडिया आया और चुन्नू से बोली , " इधर चल, ' और उसका खूंटा पकड़ के दूबे भाभी की ओर,... दूबे भाभी अपनी देवरानियों को हड़का रही थीं, तभी हिना बोली
" भौजी, तनी एक नए केले का भी स्वाद ले लीजिये "
और चुन्नू का खूंटा दूबे भाभी के मुंह में और उनकी बोलती बंद, कुछ देर में ही दूबे भाभी ने हलके हलके चूसना शुरू कर दिया।
दो ननदें बेला नीलू भौजाई की चूँची मसल रही थी दो देवरानियां गुलबिया चमेलिया क्लिट के पीछे पड़ी थीं और तीन देवरों के खूंटे दूबे भाभी के अंदर धंसे, ...
कोई दूसरी होती तो दो चार मिनट में पार लग जाती लेकिन वो हम सब भौजाइयों की जेठानी थीं पर हुआ वही जो होना था।
पांच दस मिनट की सब की जबरदस्त रगड़ाई के बाद लग रहा था की जैसे दूबे भाभी पे कोई प्रेत आ गया हो, वो काँप रही थीं झूम रही थी, उनकी बुर और गांड दोनों कस कस के अंदर घुसे देवरों के खूंटे को निचोड़ रही थी, दबोच रही थी।
दूबे भाभी के झड़ने के साथ ही चुन्नू भी उनके मुंह में पानी छोड़ने लगा, हिना और बेला दोनों उसके साथ उसे उकसा रही थीं
" हे अंदर तक ठेल रखो, सब पानी भौजी के पेट में, ... अगर एक बूँद भी बाहर निकला तो हम दोनों को भूल जाना, मुट्ठ मार के काम चलाना। "
हिना अब बाकी ननदों में एकदम घुल मिल गयी थी।
भौजी का झड़ना रुकता तो फिर दुबारा, ... लेकिन अबकी जब उनकी चूत गाँड़ सिकुडनी शुरू हुयी तो बुर और गाँड़ में घुसे दोनों देवर भी,...
मान गयी मैं विनोदवा को , झड़ते हुए भी वो कस कस के धक्के मार रहा रहा और फिर डॉट की तरह भौजी की गाँड़ में उसने खूंटा ठूंस दिया था , तभी भी रिस रिस के उसकी मलाई दूबे भाभी के पिछवाड़े से बूँद बूँद टपक रही थी।
ननदें भी आज एकदम उधरायी थीं। भाइयों का लंड घोंट के सब बौरा गयी थीं।
दो देवरों को मुठिया के उन सबो ने पहले ही तैयार कर के रखा था और जैसे दोनों छेद दूबे भौजी के खाली हुए वो दोनों अंदर।