बचपन का साथ...बहुत बहुत आभार
जितना प्यार भाई बहन से करता है, उससे कम बहन भाई से थोड़े करती है और फिर ब्याहता बहन, हर रस भोगी, हर खेल खेली तो भैया को विपरीत रति का सुख क्यों ने दे, भाई भी तो समझ ले बहन का भी मन उतना ही करता है, जितना उसका, फिर उसे इन्सेस्ट का अपराधबोध भी नहीं होगा, कुछ अटपटा भी नहीं लगेगा, और जब मौका पायेगा तब बहन के ऊपर,
ऐसे कमेंट ही सच बोलूं तो कहानी लिखने की और उसे आगे बढ़ाने की प्रेरणा देते हैं
हर सुख-दुःख... खेल में साथ साथ...
काफी कुछ समानता माँ बाप द्वारा प्रदत..
तो आकर्षण स्वाभाविक है..
और कई बार खेल-खेल में भी भाई-बहन की आपसी शिकायतों में भी प्यार छुपा होता है...
तो ये तो एक कदम आगे भर हीं है...
जो उनके प्यार को और गहराई देता है..