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Thanks so muchSuper duper sexy updates
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आपने इस कहानी की व्यथा समझी इसके लिए क्या और कितना आभार वयक्त करूँ समझ में नहीं आता।यह कमेंट मेरा किसी भी साईट पर पहला है कोमल जी | मैं आपकी स्टोरी याहू ग्रुप से ही पढता आ रहा हु किन्तु कभी कमेंट नहीं किया | इतनी अच्छी स्टोरी पर बहुत कम कमेंट आने के कारन मुझे आना पड़ा | आप की स्टोरी बहुत ही ऊँचे दर्जे की है | मैंने आप की स्टोरी पढ़ी है | चांदनी चली गाँव, बरसान लगी बदरिया या शायद autaum सोनाटा थी |
Bahut hi achhi tarah se light hain Komal ji.भाग ८८
इन्सेस्ट कथा - मेरा मरद, मेरी ननद
१८,४०,३४१
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मैंने ननद को उकसाया,
" अरे भैया का पिछवाड़ा तो बहुत चाटा चूसा, तनी अपने गोल गोल लौंडा छाप चूतड़ का, पिछवाड़े की गली का भी तो रस चखाओ अपने भैया को "
बस ननद ने मेरी बात मान ली, पहले थोड़ा सा उठी,
अपने दोनों हाथों से पिछवाड़े के छेद को फैला कर, चौड़ा कर, भैया को दरसन करवाया और फिर उनके खुले मुंह पे पिछवाड़े का छेद,
उनका मुंह अब सील बंद और हम दोनों, भौजाई ननद मस्ती कर रहे थे , लेकिन ननद छिनार ने अपने भैया से क्या कहा, समझाया,
उन्होने पलटी मार ली
और मेरी गाँड़ के अंदर।
उईईईईई - जोर से मेरी चीख निकली,... गप्पांक से मोटा सुपाड़ा इनका मेरी गाँड़ में घुसा, पूरी ताकत से,
एक तो दस सांड की तरह इनकी कमर का जोर, फिर लगता है दूबे भाभी के चूरन का असर,... एकदम लोहे का रॉड लग रहा रहा था, जैसे रगड़ते दरेरते घुसा, पक्का चमड़ी छिल गयी थी. परपरा रहा था जोर से, ...
गौने के तीसरे दिन ही मेरी गाँड़ मारी गयी थी,
दिन दहाड़े, सुबह से ही मैं खूब टाइट शलवार कुरता पहन के टहल रही थी, मेरे दोनों चूतड़ कसर मसर,..
मेरी छोटी वाली ने ननद ने छेड़ा,... " भौजी, बहुत टाइट शलवार पहने हो, पिछवाड़ा खूब मस्त दिख रहा है। आज आपका पिछवाड़ा बचेगा नहीं। " "
" न बचे न ननद रानी, ... जब से गौने उतरी हूँ, दिन रात कभी तो नागा नहीं जाता, तेरे भैया चढ़े रहते है अगवाड़े तो पिछवाड़ा भी आज नहीं तो कल,... "
मैं भी गरमाई, थी उसी तरह मस्त हो के ननद को जवाब दिया ,
कल नहीं हुआ, उसी दिन,...दिन दहाड़े, उसी छोटी ननद के कमरे में, इन्होने यह भी नहीं देखा की बगल के कमरे में ही मेरी सास, ननद जेठानी सब है , छोटी ननद के पढ़ने वाली टेबल पर निहुरा के फाड़ दी थी गाँड़,.. दो दिन तक मैं दीवाल का सहारा लेकर चल रही थी, लग रहा था कोई लकड़ी का पिच्चड अंदर घुसा हुआ है।
उस के बाद शायद ही कभी नागा जाता हो, पिछवाड़े का नंबर लगने से
लेकिन आज कुछ ज्यादा ही लग रहा था,... पिछवाड़े की दीवाल फटी जा रही थी, ... और मेरी ननद मेरी चीखे सुन के खिलखिला रही थी.
मैं इनको, इनकी माँ बहन सब गरिया रही थी,...
" बहनचोद, मादरचोद,... अपनी महतारी के दामाद से, अपने खसम से, अपनी बहिनिया के जीजा से तोर महतारी चुदवाउ, ओकर गाँड़ मरवाऊँ,... भोसंडी के,... तोहरी महतारी क भोसंडा नहीं है जिसमें उनके सब समधी नहाते डुबकी लगाते हैं,... हमार कोमल कोमल पिछवाड़ा है , मारना अपनी महतारी क गांड अस, बहुत चूतड़ मटका मटका के चलती है रंडी छिनार,... "
और ननद खूब खुश, हंसती ही जा रही थी, मेरी ठुड्डी पकड़ के बोली,
" अरे भौजी, आपने तो मेरे भैया के मन की बात कह दी, बचपन से माँ का पिछवाड़ा देख के इसका पजामा तम्बू बन जाता था लेकिन अभी तो अपना पिछवाड़ा बचाइए "
सच में आज कुछ ज्यादा ही लग रहा था,... जैसे खरोंचते हुए छीलते हुए अंदर घुस रहा था और जैसे ही गांड का छल्ला पार हुआ मेरी जोर की चीख निकल गयी ,उईईईईई नहीं ओफ्फफ्फ्फ़ बहुत दर्द हो रहा है , रुक न स्साले, तेरी माँ बहन को अपने मायके वालों से ,चुदवाउंगी एक मिनट बस,...
लेकिन पिछवाड़े घुसाने के बाद, चाहे लौंडे की हो या लौंडिया की,... कौन रुकता है एक मिनट। ये भी नहीं रुके।
लेकिन एक बात है की ये उन कम लोगो में थे जिन्हे अगवाड़े और पिछवाड़े लेने का फर्क मालूम था.
अगवाड़े का मजा धक्के में है, लेकिन पिछवाड़े का मजा ठेलने, धकेलने, जबरदस्ती घुसेड़ने में. अगवाड़े तो शुरू में ही नर्व इंडिंग्स होती है और घुसते ही मजा आना शुरू हो जाता है। पिछवाड़े कोई नर्व एंडिंग्स नहीं होती, वहां का मजा है जब एकदम भरा भरा लगे,.. बुरी तरह स्ट्रेच हो जाए, अंदर तक ठूंसी जाए,... इसलिए पिछवाड़े का मजा देने के लिए मूसल का मोटा होना, खूब कड़ा होना बहुत जरूरी है।
और सबसे बड़ी बात ये थी की ये उन बहुत कम लोगों में से थे जो सिर्फ हचक के गाँड़ मार के झाड़ देते थे, बिना बुर में ऊँगली किये, बिना चूँची रगड़े मसले, और बिना मुझे झाड़े तो ये आज तक नहीं झड़े, सच्ची।
आधे से ज्यादा बांस घुस गया था मेरे अंदर, ...
अब मजा आ रहा था,
लेकिन आज की रात तो मेरी ननद के, इनकी बहिनिया के नाम थी, कहाँ से मेरा नंबर,...
मुड़ के मैंने इनकी ओर देखा, शिकायत भरे अंदाज में, पर जिस तरह से ये मुस्कराये, और हलके से आँख मार दी,... मैं समझ गयी इनकी बदमाशी,...
कुछ तो पिलानिंग है इस शरारती लड़के की,... और मैं भी साथ देके, कभी चूतड़ गोल गोल घुमा के कभी धक्के मार के कभी लंड को गाँड़ के अंदर निचोड़ निचोड़ के चुदाई चाहे आगे की हो या पीछे की, औरत को मरद का पूरा साथ देना चाहिए और मैं तो माँ की सिखायी पढाई,...
ये मेरी दोनों चूँचियाँ भी अब कस के निचोड़ रहे थे धक्के फुल स्पीड़ मे पहुंच गए थे,... और हुआ वही जो होना था,... मैं झड़ने लगी, मेरी पूरी देह काँप रही थी चूत की पंखुड़ियां सिकुड़ फ़ैल रही थीं, धीरे धीरे चाशनी बूँद बूँद निकलनी शुरू हो गयी थी,
उहह आहहह उहहहह मैं सिसक रही थी
और जब कुछ देर बाद झड़ना मेरा रुका तो मैंने इनकी ओर देखा, इन्होने मेरी ननद की ओर, और मैं इशारा समझ गयी।
बस कस के ननद की दोनों कलाइयाँ मेरी मुट्ठी में सँडसी की तरह जकड़ लिया था मैंने,...
और मेरे पिछवाड़े से इनका खूंटा निकल के सीधे मेरी ननद के मुंह में,... वो लाख सर पटकती रही लेकिन ये घोंटा के ही माने
और मैंने चिढ़ाना शुरू कर दिया,
" अरे ननद रानी अपने पिछवाड़े का स्वाद तो खूब लिया होगा जब गाँड़ मरवाने के बाद लंड चूसा चाटा होगा, तनी आज अपनी भौजी के पिछवाड़े क भी स्वाद ले लो,... आराम से प्यार से चाटो मजे ले ले कर "
करीब पांच दस मिनट इन्होने अपनी बहन के मुंह में डाल के चुसवाया, बाहर निकला तो एकदम चिक्क्न मुक्कन, अच्छे बच्चे की तरह और खड़ा पगलाया,
अरे कौन भाई होगा जिसका लंड अपनी सगी बहन से चुसवा चुसवा के न पगला जाए,... उस बहन को चोदने के लिए न व्याकुल हो,...
भाग ८८
इन्सेस्ट कथा - मेरा मरद, मेरी ननद
१८,४०,३४१
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मैंने ननद को उकसाया,
" अरे भैया का पिछवाड़ा तो बहुत चाटा चूसा, तनी अपने गोल गोल लौंडा छाप चूतड़ का, पिछवाड़े की गली का भी तो रस चखाओ अपने भैया को "
बस ननद ने मेरी बात मान ली, पहले थोड़ा सा उठी,
अपने दोनों हाथों से पिछवाड़े के छेद को फैला कर, चौड़ा कर, भैया को दरसन करवाया और फिर उनके खुले मुंह पे पिछवाड़े का छेद,
उनका मुंह अब सील बंद और हम दोनों, भौजाई ननद मस्ती कर रहे थे , लेकिन ननद छिनार ने अपने भैया से क्या कहा, समझाया,
उन्होने पलटी मार ली
और मेरी गाँड़ के अंदर।
उईईईईई - जोर से मेरी चीख निकली,... गप्पांक से मोटा सुपाड़ा इनका मेरी गाँड़ में घुसा, पूरी ताकत से,
एक तो दस सांड की तरह इनकी कमर का जोर, फिर लगता है दूबे भाभी के चूरन का असर,... एकदम लोहे का रॉड लग रहा रहा था, जैसे रगड़ते दरेरते घुसा, पक्का चमड़ी छिल गयी थी. परपरा रहा था जोर से, ...
गौने के तीसरे दिन ही मेरी गाँड़ मारी गयी थी,
दिन दहाड़े, सुबह से ही मैं खूब टाइट शलवार कुरता पहन के टहल रही थी, मेरे दोनों चूतड़ कसर मसर,..
मेरी छोटी वाली ने ननद ने छेड़ा,... " भौजी, बहुत टाइट शलवार पहने हो, पिछवाड़ा खूब मस्त दिख रहा है। आज आपका पिछवाड़ा बचेगा नहीं। " "
" न बचे न ननद रानी, ... जब से गौने उतरी हूँ, दिन रात कभी तो नागा नहीं जाता, तेरे भैया चढ़े रहते है अगवाड़े तो पिछवाड़ा भी आज नहीं तो कल,... "
मैं भी गरमाई, थी उसी तरह मस्त हो के ननद को जवाब दिया ,
कल नहीं हुआ, उसी दिन,...दिन दहाड़े, उसी छोटी ननद के कमरे में, इन्होने यह भी नहीं देखा की बगल के कमरे में ही मेरी सास, ननद जेठानी सब है , छोटी ननद के पढ़ने वाली टेबल पर निहुरा के फाड़ दी थी गाँड़,.. दो दिन तक मैं दीवाल का सहारा लेकर चल रही थी, लग रहा था कोई लकड़ी का पिच्चड अंदर घुसा हुआ है।
उस के बाद शायद ही कभी नागा जाता हो, पिछवाड़े का नंबर लगने से
लेकिन आज कुछ ज्यादा ही लग रहा था,... पिछवाड़े की दीवाल फटी जा रही थी, ... और मेरी ननद मेरी चीखे सुन के खिलखिला रही थी.
मैं इनको, इनकी माँ बहन सब गरिया रही थी,...
" बहनचोद, मादरचोद,... अपनी महतारी के दामाद से, अपने खसम से, अपनी बहिनिया के जीजा से तोर महतारी चुदवाउ, ओकर गाँड़ मरवाऊँ,... भोसंडी के,... तोहरी महतारी क भोसंडा नहीं है जिसमें उनके सब समधी नहाते डुबकी लगाते हैं,... हमार कोमल कोमल पिछवाड़ा है , मारना अपनी महतारी क गांड अस, बहुत चूतड़ मटका मटका के चलती है रंडी छिनार,... "
और ननद खूब खुश, हंसती ही जा रही थी, मेरी ठुड्डी पकड़ के बोली,
" अरे भौजी, आपने तो मेरे भैया के मन की बात कह दी, बचपन से माँ का पिछवाड़ा देख के इसका पजामा तम्बू बन जाता था लेकिन अभी तो अपना पिछवाड़ा बचाइए "
सच में आज कुछ ज्यादा ही लग रहा था,... जैसे खरोंचते हुए छीलते हुए अंदर घुस रहा था और जैसे ही गांड का छल्ला पार हुआ मेरी जोर की चीख निकल गयी ,उईईईईई नहीं ओफ्फफ्फ्फ़ बहुत दर्द हो रहा है , रुक न स्साले, तेरी माँ बहन को अपने मायके वालों से ,चुदवाउंगी एक मिनट बस,...
लेकिन पिछवाड़े घुसाने के बाद, चाहे लौंडे की हो या लौंडिया की,... कौन रुकता है एक मिनट। ये भी नहीं रुके।
लेकिन एक बात है की ये उन कम लोगो में थे जिन्हे अगवाड़े और पिछवाड़े लेने का फर्क मालूम था.
अगवाड़े का मजा धक्के में है, लेकिन पिछवाड़े का मजा ठेलने, धकेलने, जबरदस्ती घुसेड़ने में. अगवाड़े तो शुरू में ही नर्व इंडिंग्स होती है और घुसते ही मजा आना शुरू हो जाता है। पिछवाड़े कोई नर्व एंडिंग्स नहीं होती, वहां का मजा है जब एकदम भरा भरा लगे,.. बुरी तरह स्ट्रेच हो जाए, अंदर तक ठूंसी जाए,... इसलिए पिछवाड़े का मजा देने के लिए मूसल का मोटा होना, खूब कड़ा होना बहुत जरूरी है।
और सबसे बड़ी बात ये थी की ये उन बहुत कम लोगों में से थे जो सिर्फ हचक के गाँड़ मार के झाड़ देते थे, बिना बुर में ऊँगली किये, बिना चूँची रगड़े मसले, और बिना मुझे झाड़े तो ये आज तक नहीं झड़े, सच्ची।
आधे से ज्यादा बांस घुस गया था मेरे अंदर, ...
अब मजा आ रहा था,
लेकिन आज की रात तो मेरी ननद के, इनकी बहिनिया के नाम थी, कहाँ से मेरा नंबर,...
मुड़ के मैंने इनकी ओर देखा, शिकायत भरे अंदाज में, पर जिस तरह से ये मुस्कराये, और हलके से आँख मार दी,... मैं समझ गयी इनकी बदमाशी,...
कुछ तो पिलानिंग है इस शरारती लड़के की,... और मैं भी साथ देके, कभी चूतड़ गोल गोल घुमा के कभी धक्के मार के कभी लंड को गाँड़ के अंदर निचोड़ निचोड़ के चुदाई चाहे आगे की हो या पीछे की, औरत को मरद का पूरा साथ देना चाहिए और मैं तो माँ की सिखायी पढाई,...
ये मेरी दोनों चूँचियाँ भी अब कस के निचोड़ रहे थे धक्के फुल स्पीड़ मे पहुंच गए थे,... और हुआ वही जो होना था,... मैं झड़ने लगी, मेरी पूरी देह काँप रही थी चूत की पंखुड़ियां सिकुड़ फ़ैल रही थीं, धीरे धीरे चाशनी बूँद बूँद निकलनी शुरू हो गयी थी,
उहह आहहह उहहहह मैं सिसक रही थी
और जब कुछ देर बाद झड़ना मेरा रुका तो मैंने इनकी ओर देखा, इन्होने मेरी ननद की ओर, और मैं इशारा समझ गयी।
बस कस के ननद की दोनों कलाइयाँ मेरी मुट्ठी में सँडसी की तरह जकड़ लिया था मैंने,...
और मेरे पिछवाड़े से इनका खूंटा निकल के सीधे मेरी ननद के मुंह में,... वो लाख सर पटकती रही लेकिन ये घोंटा के ही माने
और मैंने चिढ़ाना शुरू कर दिया,
" अरे ननद रानी अपने पिछवाड़े का स्वाद तो खूब लिया होगा जब गाँड़ मरवाने के बाद लंड चूसा चाटा होगा, तनी आज अपनी भौजी के पिछवाड़े क भी स्वाद ले लो,... आराम से प्यार से चाटो मजे ले ले कर "
करीब पांच दस मिनट इन्होने अपनी बहन के मुंह में डाल के चुसवाया, बाहर निकला तो एकदम चिक्क्न मुक्कन, अच्छे बच्चे की तरह और खड़ा पगलाया,
अरे कौन भाई होगा जिसका लंड अपनी सगी बहन से चुसवा चुसवा के न पगला जाए,... उस बहन को चोदने के लिए न व्याकुल हो,...
Wowww kya mast gaand mari hai bahaniya ki.मरद चढ़ा, ननद के ऊपर
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और अब मैं अपनी ननद के ऊपर, उसको दिखाते हुए अपने पिछवाड़े का छेद उसको दिखा के दोनों हाथों से खुद, खूब फैला के खोला पूरी ताकत से, चौड़ा किया, और खुला फैला पिछवाड़े का छेद ननद के खुले मुंह पर, और लगी गरियाने
" अभी तो चटनी चाटी थी अपने भैया के लंड से, अब ले लो असली स्वाद,... "
लेकिन असली खेल कहीं और हो रहा था,
ननद एकदम पलंग के किनारे पर थी. उनके भैया ने चूतड़ के नीचे एक बार फिर से सारे तकिये लगा के दो बित्ता चूतड़ अपनी बहिनिया का ऊपर किया और खुद पलंग के नीचे खड़े हो कर अपना लंड अपनी बहिनिया की बुर में पेल दिया, गप्पाक।
सुपाड़ा पूरा एक झटके में अंदर। पतली कटीली कमरिया पकड़ के उन्होंने अपनी बहिन की जबरदस्त चुदाई एक बार फिर शुरू कर दी।
कितना मस्त लग रहा था देखना,
बहिन की बुर में भाई का लंड,...
और वो बहिन अपनी ननद हो और भाई अपना मरद तो कहना ही क्या,
जैसे बार बार इंजन का पिस्टन अंदर बाहर हो रहा है, जैसे कोई तलवार म्यान में घुसती हो और फिर निकलती हो, ...
मैं,..
जैसे गाँव की नई जवान होती लड़की, बछिया पर चढ़ रहे सांड़ को देखती है की कैसे सांड़ का खूब मोटा लम्बा,... बछिया के अंदर जा कर गायब हो जाता है उसी तरह मैं भी देख रही थी की मेरी ननद किस तरह मेरे मर्द का बित्ते भर का मूसल घोंट रही है।
वो धीरे धीरे बाहर निकालते और एक धक्के में दोनों हाथों से मेरी ननद की कमर पकड़ के पूरी ताकत से ठेल देते, अपनी कमर के जोर से, उनकी कमर के जोर का मुझसे ज्यादा किसे अंदाजा होगा, ... और गप्पाक, मुंह बा के ननद की बिल अपने भैया का घोंट लेती।ननद खुद अपने हाथ से अपने भैया का, मेरे मरद का खूंटा पकड़ के अपनी बिल में घुसेड़वा रही थी।
और जिस तेजी से मेरा मरद मेरी ननद के बुर में अपना लंड पेल रहा था उसी जोर से, उनकी बहिनिया, मेरी ननद मेरे पिछवाड़े एकदम अंदर तक जीभ धकेल देती थी और गोल गोल अंदर, अंदर की दीवालों से रगड़ रगड़,..मैं ननद के ऊपर चढ़ी अपने बड़े बड़े चूतड़ फैलाये, अपना पिछवाड़ा ननद से चटवा रही थी। और खेल तमासा भैया बहिनी का देख रही थी , ननद की दोनों टाँगे उठी, जाँघे फैली और मेरा मरद अपना मोटा मूसल पूरी ताकत से पेल रहा था, खड़े खड़े।
देखने में भी मजा आ रहा था और चटवाने में भी,
लेकिन ननद की दोनों गेंदें, जबरदस्त जोबन था मेरी ननद का, खूब कड़े कड़े टाइट, निपल भी बड़े बड़े,...
मुझसे नहीं रहा गया और अब मैं भी खेल तमाशे में शामिल हो गयी. दोनों हाथों से ननद की गेंदों से खेलने लगी, कभी सहलाती, कभी दबा देती, कभी कस कस के रगड़ती, आखिर ये जवानी के खिलौने, खेलने के लिए ही तो हैं, और आज मेरे मरद की मलाई खा के जब इन दोनों में दूध भरेगा तो दुहूँगी भी मैं ऐसे ही कस कस के.
मेरे मरद का हर चौथा पांचवा धक्का सीधे बच्चेदानी पे लगता था और बहिनिया उनकी काँप जाती थी। अबकी जब बच्चेदानी पे धक्का पड़ा तो लगा कुछ ज्यादा ही ठीक से पड़ा बेचारी मेरी ननद एकदम काँप गयी जैसे भूकंप का झटका लगा हो,... लेकिन मैंने इशारे से अपने मरद को रोक दिया,...
जैसे बोतल में कस के डॉट लगी हो, अंदर तक घुसी एकदम टाइट, बोतल उलट दो तो भी एक बूँद बाहर न गिरे,... बस उसी तरह जड़ तक मेरे साजन का खूंटा मेरी ननद की बिल में जड़ तक घुसा, ...
मेरी निगाह उस जादू की बटन पर पड़ी थी, छोटा सा दाना सा, योनि द्वार के ऊपर बिंदी सा,.. लेकिन औरत को पागल करने के लिए काफी,...
बस झुक के मैंने उसे चूम लिया, नहीं नहीं चूमा नहीं सिर्फ जीभ की टिप से छू भर दिया,
फिर जीभ की टिप से उस योनि शिखर की परिक्रमा कर उस जादू की बटन, ननद की क्लिट को अपने दोनों होंठों के हवाले, और कस कस लगी चूसने,
जल बिन मछली की तरह मेरी ननद तड़प रही थी,
कभी उछल जाती, कभी दोनों हाथों से कस के बिस्तर की चादर पकड़ लेती, मस्ती से आँखे उलट रही थी. न बोल सकती थी न सिसक सकती थी , मेरे भारी चूतड़ ने कस के ननद के मुंह को सील कर रखा था। बहन की यह हालत देख के मेरे मरद को बहुत मजा आ रहा था, कभी वो मोटे लंड के बेस से अपनी बहन की चूत को रगड़ देते, बिना लंड को निकाले, तो कभी बस कमर के जोर से रगड़ते।
ननद झड़ने के करीब आ रही थी मचल रही थी। और मैंने चूसना छोड़ दिया, .... बस मेरे साजन के लिए ये इशारा काफी था, उन्होंने अपनी बहन की बुर से लंड करीब पूरा बाहर निकाला, फिर,... क्या ताकत थी जैसे कोई भाला फेंक में पूरी ताकत से भाला फेंके, उन्होंने कमर के जोर से एक धक्के में ही पूरा भाला धंसा दिया,... सुपाड़े का धक्का बच्चेदानी पर लगा और ननद झड़ने लगी.
झड़ती रही, झड़ती रही, ... इस तरह कांप रही थी जैसे उसके ऊपर चढ़ी मुझे और अंदर घुसे अपने भैया को बाहर फेंक देगी,
उसके भैया के धक्के बंद हो गए थे और भौजी का बुर चूसना।
लेकिन झड़ना अभी अच्छी तरह रुका भी नहीं था की मैंने एक बार फिर से अपनी ननद की क्लिट चूसना शुरू कर दिया। एक बार फिर से वो गरमा गयी थी।
और अब मेरे मरद ने कस के अपनी बहन के दोनों चूतड़ पकड़ के उसे चोदना भी शुरू कर दिया, चुसाई और चुदाई एक साथ।]
Super Erotic update Komalji.ननद को गाभिन
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भौजाई चुसाई कर रही थी, भाई चुदाई। डबल रगड़ाई का वही असर हुआ जो होना था वो एक बार फिर से झड़ने के कगार पर, लेकिन मैंने चूसना छोड़ के अपने मरद को ललकारना शुरू कर दिया,...
" ऐसे रगड़ रगड़ के चोद के बहिनिया को गाभिन कर दा , फिर अपनी बहिनिया की महतारी क नातिन क, बहिनिया क बेटी क, .... ऐसे ही,... "
मेरा पिछवाड़ा भी अब ननद के मुंह से हट गया था और अब मुंह खुल जाए तो ननद को गारी देने से कौन रोक सकता है, फिर बिना ननद की मीठी गारी के ससुराल का मजा आधा रहता है, बात वो अपने भाई से कर रही थीं, गरिया मेरे खानदान को रही थी, मेरी बात बीच में काट के बोली,...
" अरे हमरी नयकी भौजी क रंडी महतारी क दामाद, अगर आज हमें गाभिन कर दिए न, नौ महीने बाद अँजोरिया अस बिटिया हुयी, तो झांट आवे के पहले, खुदे पकड़ के, भौजी क छिनार बहनियों के जीजा को खुदे चढ़ाउंगी, नेवान कराउंगी, ....लेकिन अगर गाभिन न हुयी तो सोच लो, तोहरी ससुरारी क न लड़की बचेगी न लड़का सब की गाँड़ अपने ससुराल वालों से मरवाउंगी। "
फिर जैसे मेरी ननद ने मुझसे कहा, मैं बोलीं,...
" अरे जो आपन बहिन न छोड़ा, महतारी न छोड़ेगा तो बेटी कैसे छोड़ेगा। "
" छोड़ना भी नहीं चाहिए, बहुत पाप लगेगा, " ननद मुझसे भी दो हाथ आगे इनको उकसाने में,
मैं भी अपने मरद की ओर से बोली, और जोड़ा,
" मेहनत तो वो कर रहा है, रात भर जग के उस की महतारी का पेट फुला के,... फिर मामा -भांजी में तो चलता है। और मेरे मर्द की का गलती,... जिसकी नानी छिनार पैदायशी रंडी माँ तो असर तो बेटी पर आएगा ही. और वो छोट छोट जोबन दिखा के ललचायेगी तो कौन मरद होगा जो छोड़ेगा कच्ची अमिया बिना कुतरे वो भी घर की। "
इतना बड़ा ऑफर ,
उनकी चुदाई की रफ्तार तेज हो गयी, लेकिन न वो इतनी जल्दी झड़ सकते थे न मैं चाहती थी बिना आज ननद को थेथर किये वो झड़ें,...
तो बस मैं एक बार कस के ननद की क्लिट को फिर से चूसने लगी और थोड़ी देर में डबल रगड़ाई का असर वो झड़ने लगी. उन्होंने धक्के लगाने बंद कर दिए अपनी बहन को झड़ता देख के, बस मैंने अपने हाथ से उनकी बहन की बिल से उनका खूंटा निकाल के बाहर कर दिया।
मेरी बुआ ने जब मेरी शादी तय हुयी थी तो एक ट्रिक बताई थी,
मरद अगर ज्यादा ही गर्म हो झड़ने के कगार पर हो और उसे झड़ने से रोकना हो, उसकी गर्मी काम करनी हो तो खूंटा जहाँ दोनों रसगुल्लों से मिलता है, वहीँ एक हलकी सी चिकोटी, और उसकी गर्मी कम हो जायेगी, लेकिन ज्यादा जोर से नहीं वरना कड़ापन भी कम हो जाएगा,...
बस तो वही ट्रिक, ... और बहुत हलके से लेकिन असली खेल और था, बार बार ननद की बिल में अंदर बाहर होते इनका मोटा मूसल देख के मेरे मुंह में पानी आ रहा था, बस गप्प से ननद के भैया का लंड जो उनकी बहन की बुर की सेवा कर रहा था, मेरे मुंह में,...
लेकिन ननद से मैंने कोई नाइंसाफी नहीं की, उनकी बिल मैंने खाली नहीं होने दी, पहले तीन ऊँगली, ... फिर चार ऊँगली,... जब उनके यार का भतार का, भाई का खूंटा मेरे मुंह में तो मेरी उंगलिया मेरी मरद की रखैल के बिल में
मन तो कर रहा था मुट्ठी कर दूँ, कोहनी तक, लेकिन चूड़ी कंगन पहन रखी थी,... चारो ऊँगली जो ननद की बिल में अंदर मिल के गयीं, अंदर जा के फैलने लगीं, ननद बेचारी की हालत खराब, ...
लेकिन थोड़ी देर तक चूसने चाटने के बाद ही
उनके भैया का मूसल पकड़ के अपने हाथ सेउनकी बहन मेरी ननद बिल के अंदर,...
और फिर कस कस के एक बार फिर से मैं ननद की क्लिट चूसने लगी, थोड़े देर में ही ननद झड़ने लगी लेकिन न मेरी चुसाई रुकी, न मेरे मर्द की चुदाई,...
चार बार, पांच बार,... फिर मैंने गिनना छोड़ दिया, इतनी बार वो झड़ी, बीच बीच में जब मेरे मर्द का खूंटा बाहर होता तो मेरी जीभ उनके खूंटे के बेस से चाटते हुए उनकी बहन की बिल होते हुए उनकी बहन की क्लिट पर,.. और ये देख के वो और गरमा जाते,...
आठ दस बार झड़ने के बाद ननद एकदम थेथर हो गयीं थी, हिलने की हालत नहीं थी। बस मैं जीभ चूत के होंठ छूती तो वो झड़ने लगती, मेरे मर्द का मोटा सुपाड़ा उनकी बच्चेदानी में लगता और वो झड़ने लगतीं।
ऐसी हालत में न मेरा मरद रुका न मैं, आधे घंटे तक रगड़ के चोदने के बाद, मेरा मरद मेरी ननद की बुर में झडा,...
वैसे भी तकिये लगा के उनके भैया ने चूतड़ खूब उठा रखे थे, मैंने भी दोनों हाथों से उनकी बहिन की चूतड़ को देर तक उठा के रखा था, कहने की बात नहीं झड़ते समय उनका सुपाड़ा बहन की बच्चेदानी से चिपका था. और पंद्रह मिनट तक चूतड़ उठे हुए, बूँद बूँद बीज बच्चेदानी में,...
पहली दूसरी चुदाई में मेरी ननद बच भी गयी हों अब पक्का गाभिन भी हो गयी होंगी।
आधे पौन घंटे तक तो बेचारी मेरी ननद हिलने वाली नहीं थी। बाहर रात झर रही थी, खिड़की खुली थी. आम के बौर और महुए की महक हवा को पागल करने वाली बना रही थी.
सुबह तक दो बार और मेरी ननद चुदी अपने भैया से,
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Chadh gai nanadiya apne bhaiyya par.सारी रात
हम तीनों थके थे, ननद बार बार झड़ के और अपने भैया की धाकड़ रगड़ चुदाई से एकदम थक गयी थीं। और उनके भैया भी,
हालाँकि जिस दिन से मैंने इस घर में पैर रखा था कोई दिन, मेरा मतलब रात बाकी नहीं गयी थी, जब कम से कम तीन बार मेरी टाँगे न उठी हों, और सुबह तो वो जहाँ मुर्गा बोला, मेरी सासु के बेटे का भी मुर्गा बोलता था और एक बार फिर, और दिन में जब मौका मिला जहाँ मौका देखा, बस, और वो मैं बोनस मानती थी,
तो मैं जानती थी की आज तो दूबे भाभी के असली शिलाजीत का भी असर है, और साथ में वीर्यवर्धक चूरन का भी तो आज तो आधा दर्जन बार तो भैया बहिनी की कबड्डी होगी ही, और हुआ वही, पांच बार तो मेरे सामने और एक बार जब मैं उठ के सुबह का काम धाम निपटा रही थी तो मेरी ननद रानू और उसका बचपन का लालची भाई,
लेकिन उस आधे घंटे में मैंने भी आराम किया और दो कारण थे।
पहले तो अगर मैं अपनी ननद की बिल में ऊँगली करती तो जो मलाई बिल में बजबजा रही थी, कुछ न कुछ छलक के बाहर आ जाती और मैं चाहती थी की उसकी एक एक बूँद बच्चेदानी में जाय तो नौ महीने बाद जिस बिल में मेरे मरद की मलाई बजबजा रही है उसी बिल से सुंदर सुंदर चाँदनी से बिटिया बाहर आये जो छिनरपन में अपनी माँ और नानी का भी नंबर डकाये, पहला धक्का उसके असली बाप ही मारें,
मैंने कुछ नहीं बोला,
उस होनेवाली बेटी की होनेवाली माँ ही उस होनेवाली बेटी के असली बाप को उकसा रही थी, और नाम मेरा लगा के
" जो बीज लगाए, फल खाने का तो पहला हक उसी का है, क्यों भौजी "
ननद ने अपने भैया कम साजन ज्यादा और होनेवाली बेटी के बाप की ओर देखते हुए मुझसे पूछा,
" एकदम लेकिन बाग़ की मालिन पर भी तो है की वो किसे फल खाने देती है किसे नहीं "
मैंने ननद को उस बाग़ की मालिन बना के अपनी बात रखी, फिर जोड़ा
" कही आस पास के तोते आके ठोर मार गए तो, जिसका बीज है वो तो इंतजार ही करता रह जाएगा। "
" अरे एकदम नहीं, कच्ची अमिया जैसे ही लगेगी मैं खुद अपने हाथ से, सोच लो भैया, दूर का फायदा है इस बहन के साथ " मुस्करा के बोली मेरी मस्त ननदिया ।
पता नहीं कच्ची अमिया की बात सोच के या अपनी बहन की बातें सुन के ;वो; फिर टनटनाने लगा, लेकिन न मैंने हाथ लगाया उसे न मेरी ननदिया ने, हम दोनों आपस में ही एकदम खुल्ल्म खुला नौ महीने के बाद क्या होगा उस की बातें करते रहे
अब उनसे नहीं रहा गया, तो वो मेरी ननद की ओर बढे तो मैंने रोक लगा दी, बस कमर के नीचे,
कमर के ऊपर का हिस्सा मेरा।
और मेरी ननद ने एक और रोक लगा दी,
" और जिधर से तेरी बेटी निकलेगी न उसका नंबर संबसे बाद में, कम से कम दस मिनट बाद और तब तक जैसी बात भौजी ने कही, कमर के नीचे,"
लेकिन सिगड़ी गरमाने में तो मेरे मरद का कोई सानी नहीं था, उनकी चुम्बन यात्रा, अपनी बहन के तलवों से शुरू हुयी और धीरे धीरे ऊपर
लेकिन ननद कौन जो भौजी को न चिढ़ाए वो छिनार मुझसे बोली, " भौजी, कबसे भैया से तलवे चटवा रही हो ? "
" अरे टांगो के बीच वाला चाटना है तो तलुवे चाटने में क्या बुराई है " हँसते हुए मैं बोली।
दस मिनट कैसे बीत गए पता नहीं चला और एक बार जब उन्होंने प्रेम गली पर जीभ से हमला किया तो थोड़ी देर में ही ननद गरमा गयी लेकिन अब मैंने एक शर्त लगा दी
" अस गरमा रही हो तो अपने भैया के ऊपर चढ़ के चोदो लेकिन मुंह मेरी ओर "
मैं अपने साजन के पैरों की ओर थी, यानी विपरीत रति तो होगी लेकिन मुंह उनका अपने भैया की ओर नहीं होगा, पीठ होगी।
और वो उसी तरह से चढ़ गयी, बुर मलाई से बजबजा रही थी इसलिए घुसने में भी बहुत दिक्कत नहीं हुयी।
गपागप, गपागप सटासट , सटासट बहिनिया अपने भैया का मोटा खूंटा घोंट भी रही थी और मुझे दिखा भी रही थी की कैसे उसकी चम्पाकली में मेरे मरद का मोटा बांस लपलप जा रहा था,
चुदती तो सब बहने अपने भाइयों से हैं लेकिन भौजाई के सामने, भौजाई को दिखा दिखा के, असली भाई चोद तो वही होती हैं,
जैसे मेरी ननद अपने भैया के मोटे डंडे पे उछल रही थी, उनकी मोटी मोटी चूँचियाँ भी, ऊपर नीचे ऊपर नीचे, और मैंने अपनी ननद को छेड़ा,