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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Milind

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यह एक एपिक स्टोरी बनेगी..
... साये कीं तरह साथ चलने वाला मूक पाठक
 

Kalpana singh

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फ्लैश बैक,




हे अगर आप सच में उनका कन्फेसन सुनना चाहते हों,अपनी सास के सामने उन्होंने क्या कबूला अपने किस किस मायके वाली पे वो चढ़े तो चलिए आपको फ्लैश बैक में लेचलती हूँ,...



फ्लैश बैक,


"हे बोल, भूँड़वे, तेरी माूँ को गदहे चोदें, अपनी महतारी और बाप की बहन के अलावा और

किसको किसको अपने घर में चोदा?


वो थोड़ा सा मुश्कुराये और किर मुझे देखकर मेरी ओर इशारा करके कुछ हिचकिचाते हुए कबूल कर लिया

“मम्मी, इसकी बड़ी ननद को…



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“मम्मी, इसकी बड़ी ननद को…”

मेरी तो फट के हाथ में आ गयी। बड़ी ननद को भी, मम्मी ने आज क्या-क्या पता लगाया।

मम्मी ने किर पूछा-

“क्यों शादी के पहले चोदी थी, या…”




मम्मी की काट के वो जोर से मुश्कुराते बोले-

“मैंने कित्ता बोला बोला वो नहीं मानी बोली- “शादी के बाद भैया, चाहे जितनी बार ले लो… "

चोदा तो शादी के बाद, लेकिन उसके पहले मेरे हथियार की की दीवानी थी वो।


स्कूल से हम दोनों साथ आते थे,
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और आते ही कपड़े बाद में बदलते थे, वो मेरी नेकर खोल के, सीधे मुूँह में लेकर जबरदस्त चूसती थी।



पूरी मलायी गटक लेती थी।

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मैं भी उसकीस्कर्ट उठा के चूसता, कम से कम दो बार पानी निकालता था उसका।


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सब कुछ करवाती थी। लण्ड चूत पे रगड़वाती थी, गाण्ड पे रगड़वाती थी लेकिन बस अंदर नहीं घुसेड़ने देती थी , चूत के ऊपर से तो खूब रगड़ता था लंड मैं , बस अंदर नहीं घुसेड़नी देती थी।


मैं भी उसकी शादी के चार दिन बाद हमारे यहाँ भाई चौथी लेकर जाता है बस, मैंने उसी के बिस्तर पे पे पटक के पेल दिया ।

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फिर तो क्या मायका क्या ससुराल,

और जीजू का थ्रीसम का मन था

तो कई बार तो मैंने और जीजू ने मिल के के उसकी सैंडववच बनायी…”




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मैं भी सोच-सोच के मुश्कुरा रही थी।

तभी तो ननदोई जी और ये इतने ज्यादा खुले हैं।

और इसके पहले ये अपनी माँ और बुआ पर चढ़ने की बात मेरी माँ के सामने कबूल कर चुके थे


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हम तीनों की मस्ती चल रही थी, तभी वो तीनों आये,



गुड्डो बीच में आलमोस्ट टंगी हुयी,..


एक ओर से ये पकडे, एक ओर से नन्दोई जी, कहीं गलती से भी उसका पेर जमीन से लग जाता तो कस के चीख निकल जाती बेचारी की, चेहरा दर्द से डूबा हुआ, गालों पर जैसे आंसुओ की कितनी परत, पूरी देह थकान और दर्द से जैसे टूट रही हो,... लेकिन उस दर्द के पीछे एक अजीब सी हलकी सी ख़ुशी भी, जैसे कोई पहाड़ पर चढ़ने वाला, किसी दुर्गम चोटी पर चोटिल देह के साथ, दर्द से टूटती देह के साथ चढ़ जाए तो जैसे एक अचीवमेंट की मुस्कान थकान के पीछे छुपी होती है,....



न मैं बोली , न मेरी ननद पर हम दोनों के मन में हजार सवाल थे, पर सास की आंखों ने हम दोनों को चुप करा दिया, और गुड्डो भी सीधे दौड़ कर सास की गोद में छुप गयी. और सास ने भी उसे ऐसे गोद में उठा लिया जैसे कोई छोटे से बच्चे को जो कहीं दौड़ते हुए गिर गया हो उसे चोट लग गयी हो, उसी तरह उठा लिया और सीधे अपने कमरे की ओर,...

और उसके साथ ही उनकी आँखों ने एक बार अपनी अपनी बेटी और बहू को बरज दिया की इस बारे में कोई बात न हों,... ननद मेरी रसोई में चली गयीं खाने की तैयारी करने, और ननद के भैया अपने कमरे में,

बचे नन्दोई जी और मैं,....



मैं जान रही नन्दोई जी को मजा तो खूब आया होगा, कच्ची कली की कसी कसी गाँड़ फाड़ने में, अब गाँड़ कसी होगी तो चीख चिल्लाहट होगी ही , रोई रोहट भी , उस समय तो लगता है जोश में उन्होंने मेरी छुटकी बहिनिया की खूब जबरदस्ती ठोक ठोक के लिया, लेकिन अब उसका दर्द देख कर उन्हें थोड़ा सा सेन्स ऑफ़ गिल्ट लगता है हो रहा था,... जैसे किसी बच्चे से कोई महंगा खिलौना टूट जाए, एकदम वैसे ही उनका चेहरा लग रहा था,...



मैंने मुस्करा के उन्हें चिढ़ाया, उकसाया, आँचल गिरा कर ललचाया और आँख नचा के पूछा,...

" क्यों ननदोई जी, कैसी लगी मेरी छुटकी बहिनिया,... " और बिना उनके जवाब का इन्तजार किये मुड़ गयी,मेरी पीठ उनकी ओर , और अपने बड़े बड़े चूतड़ उनकी ओर देख के मटका दिए,...




वही असर हुआ जो मैं चाहती थी, खूंटा तन गया और नन्दोई ने कस के मुझे पीछे से दबोच लिया, उनके दोनों हाथ कस के चोली फाड़ते जोबन पे और तनी तलवार सीधे मेरी दरार के बीच, लग रहा था साडी साया फाड़ के यहीं खड़े खड़े मेरी गाँड़ मार लेंगे,... और जोबन का रस लेते बोले,...


" अरे बहुत रसीली है. लेकिन हमको तो बड़की वाली क ज्यादा मन करता है ,सच में इत्ती गाँड़ मारने को मिली लेकिन तोहार अइसन, ... कोई मुकाबला नहीं बोला कहिया मिली,... "



बस एक झटके में पलट के मैं गुस्से से अलफ़, और उन्हें पकड़ के पहले तो दस गाली उनकी बहन महतारी सब को, नाम ले ले के, मादरचोद , तोहरी महतारी पे हमार नन्दोई चढ़ें, उनके सार चढ़ें, सार क सार चढ़ें, और फिर कस के एक चुम्मी, चुम्मी क्या मेरे होंठों ने उनके होंठों को गपुच कर कचकचा के काट लिया , और जब छोड़ा तो मैंने अपना इरादा बता दिया,...

"स्साले ननदोई , अरे तोहार सलहज हूँ , अगर आगे से पूछा न तो मैं ही उलटे तेरी गाँड़ मार लूंगी, अरे जिसकी बहन की लेने के पहले कभी नहीं पूछते हो,... उसकी बीबी से क्या पूछना,... अरे ननदोई राजा जब चाहा, जहाँ चाहा, चाहे हमरी ननद के सामने,... बस पूछना मना है,... "






और पैंट के ऊपर से उनका खड़ा खूंटा मसल के अपने साजन के पास, हाँ नन्दोई को दिखा दिखा के चूतड़ मटकाना मैं नहीं भूली , सच में जबरदस्त दीवाने थे , मेरे पिछवाड़े के वो।

मैंने अपने साजन से सिर्फ दो सवाल किये और एक का जवाब हाँ में मिला दूसरे का नहीं में।
Mast update


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Rajajhand

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अब आप ने कहा है तो देखिये कुछ करती हूँ जुगाड़
Thanks Komal ji for considering my request, I'm a silent reader who had read your every story many times..
The story about I'm requesting for, always seems something lacking on the point..
Specially "Friends and other Devars" In evening..
I hope u will explore, U are unique and number 1 🥇
 
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Last Update is on last page,.... PART 19


please do read and share your comments,....
 

komaalrani

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Joru ka Gullam update posted , please do read,like and share your comments
 

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यह एक एपिक स्टोरी बनेगी..
... साये कीं तरह साथ चलने वाला मूक पाठक
Thanks की आप मूक से मुखर हुए , ...बस यही निवेदन है अपनी अभिवयक्ति को स्वर दें, शब्द दें , और साथ बने रहें। धन्यवाद , आभार
 
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Jaberjast komal ji
Thanks so much,....
 
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