shetan ji शायद अभी फुरसत नहीं पा सकी होंगी...main kuch comments ka wait kar rahi thi bas sunday ya monday next part
नहीं तो रंगीन चित्रों के साथ कमेंट्स की भी बौछार हो जाती...
shetan ji शायद अभी फुरसत नहीं पा सकी होंगी...main kuch comments ka wait kar rahi thi bas sunday ya monday next part
उन सुनहरी यादों को गाहे बगाहे.. अपने दिमाग में चलते फिरते देख लेते हैं...एकदम सही कहा आपने, और वो यादें वो मन के किसी कोने में छुपे चलचित्र, कभी कभी बाहर निकल कर अकेलेपन में एक फैंटेसी को जागृत करते हैं, नए सपने देते हैं, उत्तेजना देते हैं और कई बार कहानियों में जगह पाते हैं।
कभी कभी तो लगता है कि अगली पीढ़ी इसे कैसे देखेगी...नॉस्टाल्जिया के साथ यही कष्ट है जब उसकी मुलाकात कठोर सत्य से होती है तो अक्सर उस पथरीले धरातल पर सब चूर चूर हो जाता है , जैसे किसी दोस्त से दसो साल न मिले हों, स्कूल के दिनों की याद हो और जब मिले तो सब कुछ बदल गया हो, वक्त की मार ने उसे चंचल और प्रगल्भ से उदास और अंतर्मुखी बना दिया हो, चेहरा मोहरा और फिर लगाता है शायद आगे न मिले और उन पुरानी यादों के सहारे जीएं तो ज्यादा अच्छा है।
हेराक्लाइटस की एक उक्ति है की आप किसी नदी में दुबारा पाँव नहीं डाल सकते।
क्योंकि अगले पल न वो नदी वो नदी रहती है, न आप, आप।
सही कहा...ठीक तो है, यही तो मौका होता है, भाभियों के लिए, और उस समय उम्र नहीं सिर्फ रिश्ता देखा जाता है। दूल्हे से ज्यादा हल्दी बाकी लोगो को लग जाती है, लेकिन ड्रेस कोड वाली शादियों में ये सब होता भी है तो बस रस्म अदायगी, और इवेंट मैनेजमेंट पर जोर ज्यादा रहता है। लेकिन यही छेड़खानी ही तो शादी का असली सुख है, फिर कहाँ कौन मिलता है।
मीत का एक अर्थ साथी भी है...एकदम सही कहा आपने , और रीता शब्द का प्रयोग भी, क्योंकि कहानी में मीता भाभी , रीता भाभी के जरिये ही जुड़ीं
बस तारीफ के दो शब्द हीं काफी है...प्रिय कोमल मैम
अपेक्षित कमेंट्स ना मिलने पर आपने जो मायूसी जाहिर की उससे मुझ जैसे पाठकों का भी मन व्यथित हुआ है और ज्यादा दुःख तो तब हुआ जब आपने यह कहा कि कम कमेंट्स ना मिलने पर आगे लिखने की ईच्छा भी प्रभावित होती है और ऐसी स्थिति में कहानी जल्दी खत्म का मन करता है।
आपकी व्यथा समझ से परे नहीं है, सभी पाठक समझते है और ज्यादातर पाठक अपनी उपस्थिति लाइक के माध्यम से दर्ज कराते है। लेकिन आपकी कहानी पर कमेंट्स करने के लिए भी तो आपके स्तर तक पहुंचना पड़ता है जो कम से कम मुझ जैसे पाठक के बस की तो नहीं है।
फिर भी मुझ जैसे पाठक कमेंट कर देते हैं क्योंकि सही बात तो यह है कि कमेंट पर आपके रिप्लाई में कहानी से भी ज्यादा मजा आता है।
पाठकों के लिए आप कितनी प्रिय है इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा ले कि मीडिया पर हर स्तर और माध्यम की उपलब्धता होने के बावजूद भी लोग आपकी कहानियां कितने चाव से पड़ते हैं और लाईक का तो ऐसा लगता हैं कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बनेगा।
सादर
और संसार का सतत सत्य भी...वाह कोमल जी
"हेराक्लाइटस की एक उक्ति है की आप किसी नदी में दुबारा पाँव नहीं डाल सकते "
क्या बात कही है।
सादर
आगे आगे देखिए होता है क्या...Madam, Advance Congratulations on 2 counts:
1) This story of yours is racing towards achieving 2 million views shortly..hopefully it'll achieve soon.
2) All your stories (this one + JKG + Phagun) are nearing (within touching distance) 50 L views...5 Million...wow!!!
Hopefully, your stories will achieve many more milestones and keep on continue to scale new heights.
komaalrani Rajizexy
और बचपन का प्यार .. अपनेपन का अहसास...एकदम कई खतरनाक चीजों का मिक्सचर जो हो गया
भैया बहिनी का प्यार दुलार
ननद भौजाई की छेड़खानी
और भैया को लालच की अगर बहिन को गाभिन कर दिया तो एक कुछ दिन बाद एक कच्ची कली भी,
ये खेल हीं दो-तरफा है...ननद को भी दुहरा मजा आ रहा था, भैया के साथ भी और भौजी के साथ, और मजे ले भी रही थी, दे भी रही थी। आखिर कबड्डी हार गयी थीं ननदें तो अब साल भर तक सब ननदों को भौजी की हर बात माननी ही थी।