मुझे तो कमलवा की चाची का प्रसंग भी जोरदार लगा...और यह भाग, सास बहू की निकटता को उनके रिश्तों के खुलेपन को और देह से जुडी या कोई और बात हो उसे भी बिना छिपाव के कहने के संबंध को भी दिखाता है। बहू सास से छुप छुप के नहीं बल्कि लौट के रस ले ले के सास को बता रही है और सास भी मजे ले के उसे बढ़ावा दे रही है। पहले की भी कई पोस्टों में सास और बहू के इस कहानी में निकटता के प्रंसंग आये हैं जो देह के साथ आपसी समझ और मन के भी हैं
साथ में उनका दुःख भी...
लेकिन सास बहु अपने एक रसमिजाज अंदाज में सबको लुभा रही हैं...
और सास अपनी सास के साथ के दिनों को मन में कहीं न कहीं याद कर रही होंगी...
और उनकी शिक्षा आगे पास ऑन कर रही हैं...