I think you deserve more than this but whatever is there is solace.Best wishes to Friends for support
for 1000 pages and
Merry X Mas
I think you deserve more than this but whatever is there is solace.Best wishes to Friends for support
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Merry X Mas
आज सच में मेरी आंखें डबडबा आई। एक औरत के मन की पीड़ा का इतना जीवंत विवरण आपके इलावा कोई नही लिख सकता था। क्षमा चाहूंगी लेकिन आज मैं कुछ नहीं लिख पाऊंगी। मेरी औकात नहीं है कि मैं कुछ कमेंट लिख पाऊं इस मार्मिक और संवेदना से भरपूर अपडेट परमेरी ननद
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था, बस सूनी आँखों से उस रास्ते को देख रही थी जिधर से मेरी ननद गयी थीं, कभी उनकी उदास सूरत नजर आती आँखों के सामने,
“ भौजी, अगर वो साधुवा के पास जाना पड़ा तो बस ये आखीरी मुलाकात, इसलिए मैं अबकी इतना रह गयी, घर क आँगन डेहरी देख लूँ, जहाँ गुड्डा गुड़िया खेली, माई से तो बता नहीं सकती थी, इतना दुःख का बोझ, नहीं बर्दास्त कर पाती वो, एक तो बड़की भाभी चली गयीं तोहार छुटकी ननदिया को लेके, और बड़े भैया तो अब बम्बइये के, उनका बस चले तो सब खेत खलिहान बेच के बंबई ही, और फिर हमार ये, “
जिस तरह से ननद भभक के रोई थीं,
मैंने तय कर लिया था कुछ भी हो आपन ननद को,
ओह्ह साधुवा, उनकी सास और ननद के बीच दीवार की तरह खड़ी होना पड़े,
इसलिए छुटकी को इतने दिन मैंने घर से दूर रखा, अरविन्द गीता के यहाँ फिर नैना ननदिया के साथ,…
है तो बच्ची ही, कहीं गलती से ही कुछ सुन लेती, कुछ मायके में मेरे जाके मुंह से निकल जाता उसके,
ये बात सिर्फ मेरी ननद और हमारे बीच की थी, इनको बताने का तो सवाल ही नहीं था। गुस्से से पागल हो जाते, अपने बहनोई के साथ, ननद की ससुरार में,
अब चाहे जो पाप दोख लगे, बरम बाबा, सत्ती माई, भाई का बीज बहिन के कोख में,
लेकिन हमको कुछ और नहीं सूझा.
जो पाप दोख लगे, बस हमको लगे, ...भले हमरी कोख पे लगे. हमरे ननद को कुछ न हो उनकी कोख हरदम हरी रहे, नौवें महीना सोहर हो, उनकी मुंहझौसी सास ननद क मुंह बंद हो,... हमार सोना अस ननद,
मेरी सास, अब जब खुश खबरी उनकी समधन की ओर से आ गयी थी तो पूजा मनौती, तिझरिया तक तो उनको आना नहीं था, लेकिन दो चीजे आ गयी और मेरा मन एकदम बदल गया,
एक तो मायके से फोन मेरी माँ का, और उसके बाद मेरी सास का पूत, मेरी सास और ननद का भतार ये
बताती हूँ , बताती हूँ अगली पोस्ट में
सचमुच बहु-रेखीय कहानी है...जैसे अरविन्द और गीता का किस्सा था सगे भाई बहिन वाला, कई पार्ट्स में एकदम उसी तरह, थोड़ी बहुत झलकी तो दिखी थी पहले लेकिन आरुषि जी ने एक कविता ससुर बहू की इसी पोस्ट पे पोस्ट की थी तो बस उसी से प्रभावित हो के मैंने सोचा इन्सेस्ट का एक और रूप
सगे भाई बहन का किस्सा तो अभी मेरी ननद का चल ही रहा है और उसके पहले अरविन्द गीता और एक तरह से रेनू कमल का भी
तो ससुर बहू का किस्सा सुगना के जरिये,
इस थ्रेड में एक कहानी में कई कहानियां घुसी हैं अलग अलग तरह के इनसेस्ट्स की और कई लोगों की ककोल्ड की भी फरमाइस रहती है तो हो सकता है वो भी।
बाकी दोनों कहानियां अब कुछ दिन के लिए गंभीर दिशा में मुड़ गयी हैं तो बाकी सब कुछ यहीं
कहानियां तो इस फोरम भरी पड़ी हैं...एकदम अभी सारा जोर बहिनिया को गाभिन करने पे है
भाई बहिन का किस्सा तो अरविन्द गीता में भी था और फोरम में बहुत कहानी हैं भाई बहिन की लेकिन सगा भाई बहिनिया को गाभिन करे, अपनी निशानी दे दे, बहिनिया ९ महीना भैया की निशानी ले के पेट फुला के घूमे, अपनी सास ननद को दिखावे और फिर बिटिया जने, तब तो रिश्ता असली पक्का हुआ
भाग ९५ - सास का पिछवाड़ा last post on page 995
लगता है पठान टोले वालियों के कुछ नया हीं प्रसंग तैयार करने का जोर है...Kyon Komalji pathan tole ki ladkiyan kaha gayi
कहीं मेरी कोई गलती तो नहीं या मेरी कहानी की, अगर है तो,मेरे नहीं आने का कारण तो कुछ और है...
सलहज सारी शर्तें मनवा कर हीं दम लेगी...Yeh
yeh to teen sharte hui, baki ki do sharte kya hai komal ji
आप लौट आयेBelated merry christmas.