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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Shetan

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किस्सा बनारस का ( एक आनेवाली कहानी के अंश )







लेकिन अचानक कहीं गली खुल गयी थी, .. और हम दोनों खुले में भीड़ भी एकदम कम हो गयी थी एक्का दुक्का आदमी, और हम दोनों एक बार फिर भाभी के साथ,...

आलमोस्ट खुला मैदान, कुछ पुराने पेड़ , और दो मकानों के बीच एक संकरी सी जगह थी , गली भी नहीं, बस हम दोनों का हाथ पकड़ के भाभी करीब करीब खींचते हुए उस दरार सी जगह से ले गयीं, करीब दो तीन सौ मीटर हम लोग ऐसे ही चले, फिर एक एकदम खुले मैदान में हम तीनों, कुछ भी नहीं था, बस कुछ टूटी दीवालें , ढेर सारे पेड़ थोड़े दूर दूर, और एक दो पेड़ों के नीचे कुछ साधू गांजे का दम लगाते, लेकिन एकदम अलग ढंग के, बहुत पुराने बाल जटा जूट से , भभूत लपेटे,... और जब वो चिलम खींचते तो आग की लपट ऊपर तक उठती,

भाभी ने हम दोनों को इशारे से बताया की हम उधर न देखें, और हम दोनों का हाथ पकडे पकडे, एक टूटी बहुत पुरानी दीवाल के सहारे, दीवाल में जगह जगह पेड़ उगे हुए थे, ईंटे गिर रहे थे,

भाभी ने एक बार पीछे मुड़ कर देखा, तो सूरज बस अस्तांचल की ओर , एक पीले आग के गोले की तरह, आसमान एकदम साफ़,

हम दोनों भाभी का हाथ पकडे पकडे,... और जहाँ वो दीवाल ख़तम हो रही थी, कुछ बहुत पुराने खडंहर, बरगद के पाकुड़ के पेड़ , पेड़ों के खोटर , और जैसे ही हम खंडहर में घुसे,... ढेर सारे चमगादड़, ... उड़ गए,

गुड्डो डर के मुझसे चिपक गयी.


लेकिन भाभी मेरा हाथ पकड़ के करीब खींचते हुए, गुड्डो मुझसे चिपकी दुबकी, आलमोस्ट अँधेरा और चमगादड़ों के फड़फाड़ने की जोर जोर आवाज, और उसी खंडहर की एक टूटी दीवार, और वो भी एक पेड़ की ओट में, दीवार में जैसे कोई ईंटों के ढहने से दो ढाई फीट का एक छेद सा बन गया था, नीचे दो ढाई फीट ईंटे थे उसके बाद वो टूटा हिस्सा, और उसके पीछे भी कोई बड़ा पेड़,


भाभी ने मुझे इशारा किया और गुड्डो को हाथ में उठा के आलमोस्ट कूद के उस टूटी जगह से मैं और पीछे पीछे भाभी,... गुड्डो मेरी गोद में चढ़ी दुबकी, कस के चिपकी,...

एक बार फिर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और उस पेड़ के पीछे,.... अब जैसे हम किसी पुराने खंडहर के आंगन में पहुँच गए थे, एकदम सन्नाटा, शाम अब गहरा रही थी , और भाभी ने चारो ओर देखा, एक ओर उन्हे पीली सी रौशनी आती दिखी,... रौशनी कहीं दूर से आ रही थी झिलमिल झिलमिल,..

और एक सरसराती हुयी ठंडी हवा पता नहीं किधर से आ रही थी, चारो ओर एक चुप्पी सी छायी थी, बस वही हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी,

गुड्डो का डर अब ख़तम हो चुका था, वो मेरे सामने खड़ी मुझे देख रही थी, मुस्कराते और अचानक उसने मुझे अपनी बांहों में दुबका लिया और उसके होंठ मेरे होंठों पर चिपक गए, मुझे भी एक अलग ढंग का अहसास हो रहा था अच्छा अच्छा , कोमल सा मीठा।


तभी मैंने देखा, भाभी आंगन के दूसरे किनारे से जहाँ से वो झिलमिल झिलमिल रोशनी आ रही थी, वहीं खड़ी इशारे से हम दोनों को बुला रही थीं,...


वह पीली रोशनी एक ताखे में रखे बड़े से कडुवे तेल के दीये से आ रही थी और लग रहा था जैसे जमाने से इसी ताखे में वो दीया जल रहा हो. उसकी कालिख से पूरा ताखा काला हो गया था। और उस ताखे के बगल में एक खूब बड़ा सा पुराना दरवाजा बंद था, उसमें लेकिन कोई सांकल नहीं थी, एक चौड़ी सी चौखट और खूब ऊँची, फीट . डेढ़ फीट ऊँची, दरवाजे के चारो ओर लगता है लकड़ी के चौखटों पर किसी जमाने में चांदी का काम रहा होगा लेकिन अब सब धुंधला गया था। दरवाजे के ऊपर कुछ मिथुन आकृतियां बनी थीं, और दरवाजे के दोनों ओर लगता है चांदी के रहे होंगे या चांदी मढ़े नाग नागिन का जोड़ा, ...



भाभी ने फुसफुसाते हुए कहा,
Kabardast or jan ne ka man ho raha he. Ye to jabadast hogi. Me betab hu banaras ko mahesus karne ke lie. Ise bhi jaldi post Karna. Ye aapne pahele bhi upload kiya tha. Or mene is pe comment bhi di he. Bad me bhabhi hero ki mammy se call pe bate karega. Incast he bahot maza aane vala he
 

komaalrani

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Mastikhor_Launda01

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Mastikhor_Launda01

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रजत जड़ित वह द्वार शायद गजराजों के जोर से भी नहीं हिलता, लेकिन अपने आप, एक अलग ढंग की रौशनी और दरवाजे के ठीक ऊपर एक तोते की आकृति,... जैसे पन्ने का हो, पल भर के लिए चमका, नीचे कुछ मंत्र सा लिखा,... और उसी समय भाभी ने गुड्डो की ओर दिखा के कुछ इशारा किया,



ऊँची सी चौखट, गुड्डो को गोद में उठाकर मैं द्वार के पार, बांये भाभी,



बिन बोले जैसे मन मना कर रहा हो पीछे मुड़ के देखने को,

जीवन और समय आगे ही चलते हैं,

और अब आगे ढेर सारे पेड़, अशोक के छोटे छोटे लाल फूलों से लदे, आम्र मंजरी से भरे पड़े ढेर सारे आम के पेड़, उन सब पर सैकड़ों तोते,... चमेली की बेल और लताओं पेड़ों का एक गझिन गुम्फन लेकिन उनको पार करती सूरज की विदा लेती सुनहली किरणे, और उन पेड़ों के बीच एक बहुत ही पुराना मंदिर,

एक बहुत ही अलग ढंग की हवा, सुरभित मंद मलय समीर,आम की बौर की महक के साथ चम्पा और चमेली की महक,

भाभी ने इशारा किया और पूजा की सामग्री जो भाभी के हाथ में थी उसके अलावा हमारे पहने कपडे, झोले सा गुड्डो का पर्स , बाकी सब सामान एक पेड़ के नीचे रख दिया, और भाभी के साथ हम दोनों, पेड़ों का झुरमुट और उसके ठीक बीचोबीच एक पुराना सा मंदिर और उसके शिखर पर डूबते सूर्य की किरणें पड़ रही थी और सूरज की उन किरणों से वो सोने सा चमक रहा था।

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एक मृदुल स्मिति,... और फिर वही आवाज,



' ये तो तेरा कर्म है और कर्मों का फल भी,... "



जैसे बच्चा माँ की गोद में सर घुसेड़े, तोड़े मरोड़े, बस उसे अच्छा लग रहा और कुछ भी समझ में न आ रहा हो,...



काम,... शक्ति,.. आनंद,... पुरुष,... बस कुछ कुछ,... और ये भी

स्मरण और विस्मरण दोनों ही जरूरी हैं और दोनों एक दूसरे के पूरक,... यहाँ से जाते ही सब कुछ विस्मृत के गर्त में और कुछ यादों का धंधलका जिसमें याद भी न रहे की क्या याद है या क्या कल्पना,...

फिर वो देसी शराब के चार,... मैं चढ़ा रहा भी था और देवता के प्रसाद का पान भी, अंजुरी रोप कर के,.. ... मैंने और गुड्डो ने साथ वो भांग की मिठाई,... जैसे एकदम संवेदन शून्य होकर या संवेदना की आखिरी चढ़ाई पार कर के,



पुजारी जी ने कुछ भाभी को इशारा किया और उन्होंने गुड्डो का हाथ पकड़ के,... वो छोटा सा सफेद बिन सिला कपडा जो कटि प्रदेश के नीचे बस लपेटा सा,... और गुड्डो का हाथ लग के, सरसरा के जमीन पर जहाँ चमेली और अशोक के फूल बिख्ररे थे,... वही मदिरा प्रसाद, मेरी देह से होकर,कटि प्रदेश के नीचे बस बूँद बूँद होकर , जैसे आसव टपक रहा हो, ... और ओक लगाकर ,... वहां से गिरता टपकता , गुड्डो,.. और फिर भाभी भी
 

motaalund

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Lagta hai bachpan mein ki hui mehnat ka fal ab chachi ko milne wala hai.
Very madak,kamuk ,erotic, gazab updates.
Vese aapki talent ki puri praise ke liye ye shabd kafi nahi hai didi, lekin tumari Raji ki bas itni hi knowledge hai ,itne hi shabd aate hai usko.
The most entertaining updates
.
👌👌👌👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯💯💯
☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️
⭐⭐⭐⭐⭐⭐
🔥🔥🔥🔥🔥
सही कहा...
मादकता और कामुकता से भरपूर...
 
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motaalund

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IMG-20221125-140339

Incast hi nahi lady cocold feel, sharati sex or bhi gav ke majedar kisse. Khas kar holi ko alag rango se daesana. Aam gharelu jivan ke riti rivaz manojak tarike se is tarah darshana. Sabdo se khelna. Or rango ki tarah bahakar use khubshurat bana kar ek kahani me tabdil karna. Story padhne vale ke face pe smaile hi raheti he. Koi bhi gam na ho vesi duniya crieat karna. Vakei la javab he
ताजगी से भरपूर जवानी....
 

motaalund

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Aap kisi ki tarif ki mohtaj nahi komalji. Ye aap ki hi kabilyat he jo ham aap ki tarif karne par aap ko kuchh kahene par majbur ho jate he. Muje to aap ki tarif me likhne ke lie sando ki bhi kami lagati he aap ke lie.
Mohe rang de jab mera ac nahi tha. Tab hi padh ki thi. Par aaj kuchh kahene ka apna mantvya rakhne ka moka mil raha he. Sanman dene ke lie bahot bahot shukriya
सचमुच शब्द ढूंढने पड़ते हैं....
तो भी मुश्किल से मिलते हैं....
 

motaalund

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जोरू का गुलाम भाग १५७

कुछ बातें, कुछ यादें, कुछ इरादे,...

update posted,...



and something about these special updates


ज्यादातर पोस्ट्स में कभी घंटनाएँ होती हैं तो कभी छेड़ छाड़ तो कभी दैहिक सुख की पराकाष्ठ, श्रृंगार का अंतिम चरण, मिलन जहां सिर्फ साँसे और कांपते रोम बोलते हैं , अंग चाहनाओं को रूप देते हैं,

पर यह पोस्ट, बहुत कुछ स्वगत है, खुद से बात चीत की , अंत: में झांकने की, कहा जाता है, टू बी इज टू बी परसीव्ड,

तो हम दूसरे को कैसे देखते हैं और वो हमें कैसे देखते है , और हम खुद क्या सोचते हैं की वो हमें कैसे देखते होंगे और वो किस तरह से देखते होंगे और वह हमारे उन्हें देखने को प्रभावित करे,... तो बस बहुत कुछ ऐसा ही,

बस सोचिये, जाड़े की गुनगुनी धुप में मुंडेर के सहारे बैठी कोई लड़की, किसी पुराने स्वेटर को उधेड़ के फिर से ऊन के गोले बना रही हो और सोच रही इस का मफलर बन सकता है या,...


तो बस इसी तरह ढेर यादों को उधेड़ने की कोशिश और अपनी उँगलियों की सलाइयों से दो उलटा चार सीधा करके कुछ बुनने की कोशिश,...

इस का कलेवर फागुन के दिन की तरह उपन्यास सा है और साइज भी वही पर सीरयल में हर बार अपेक्षा कुछ अलग सी होती है,...

तो यह पोस्ट बहुत कुछ मेरे बारे में , इस कहानी की नैरेटर के बारे में है ,

जैसे नाटकों में कई बार सूत्रधार मंच के अगले हिस्से में आ जाता है , बाकी रोशनियां धंधली हो जाती हैं , बाकी पात्र परछाइयों में खो जाते हैं , फ्रीज हो जाते हैं और सूत्रधार दर्शकों से सीधे कुछ कहने लगता है , और थोड़ी देर बाकी मंच पर भी प्रकाश पुंज आ जाता है , बाकी चरित्र भी सक्रिय हो जाते हैं और सूत्रधार भी अपनी भूमिका में वापस आ जाता है ,

इस पोस्ट के आड़ अगली पोस्टों में कुछ वैसा ही ही होगा,
Wonderful monologue...
 
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